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AVYAKT MURLI

18 / 01 / 73

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18-01-73   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

"समानता और समीपता"

 

सदा निर्मान और निर्माण करने के कार्य में सदा तत्पर रहने वाले और बच्चों को आप-समान स्वमान-धारी बनाने वाले शिव बाबा बोले:-

क्या बापदादा समान स्वमान-धारी, स्वदर्शन-चक्रधारी और निर्मान बने हो? जितना-जितना इन विशेष धारणाओं में समान बनते जाते हो उतना ही समय को समीप लाते हो। समय को जानने के लिये अभी कितना समय पड़ा है? इसकी परख - आपकी धारणाओं में समान स्थिति है। अब बताओ कि समय कितना समीप है? समानता में समीप हो तो समय भी समीप है। इस प्रोग्राम के बीच अपने-आपको परखने व अपने द्वारा समय को जानने का समय मिला है। इस विशेष मास के अन्दर दो मुख्य बातें मुख्य रूप से लक्ष्य के रूप में सामने रखनी हैं। वो कौन-सी? एक तो लव (Love) और दूसरा लवलीन।

कर्म में, वाणी में, सम्पर्क में व सम्बन्ध में लव और स्मृति में व स्थिति में लवलीन रहना है। जो जितना लवली (Lovely) होगा, वह उतना ही लवलीन रह सकता है। इस लवलीन स्थिति को मनुष्यात्माओं ने लीन की अवस्था कह दिया है। बाप में लव खत्म करके सिर्फ लीन शब्द को पकड़ लिया है। तो इस मास के अन्दर इन दोनों ही मुख्य विशेषताओं को धारण कर बापदादा समान बनना है। बापदादा की मुख्य विशेषता, जिसने कि आप सबको विशेष बनाया, सब-कुछ भुलाया और देही-अभिमानी बनाया, वह यही थी - लव और लवलीन।

लव ने आप सबको भी एक सेकेण्ड में 5000 वर्ष की विस्मृत हुई बातों को स्मृति में लाया है, सर्व सम्बन्ध में लाया है, सर्वस्व त्यागी बनाया है। जबकि बाप ने एक ही विशेषता से एक ही सेकेण्ड में अपना बना लिया तो आप सब भी इस विशेषता को धारण कर बाप-समान बने हो? जबकि साकार बाप में इस विशेषता में परसेन्टेज (Percentage) नहीं देखी, परफेक्ट (Perfect) ही देखा तो आप विशेष आत्माओं को और बाप समान बनी हुई आत्माओं को भी परफेक्ट होना है। इस मुख्य विशेषता में परसेन्टेज नहीं होनी चाहिए। परफेक्ट होना है, क्योंकि इस द्वारा ही सर्व आत्माओं के भाग्य व लक्क को जगा सकते हो। लक्क (Luck) के लॉक (Lock) की चाबी (Key) कौन-सी है?-’लव। लव ही लॉक की की’ (Key) है। यह मास्टर-की’ (Master Key) है। कैसे भी दुर्भाग्यशाली को भाग्यशाली बनाती है। क्या इसके स्वयं अनुभवी हो?

जितना-जितना बापदादा से लव जुटता है, उतना ही बुद्धि का ताला खुलता जाता है। लव कम तो लक्क भी कम। तो सर्व आत्माओं के लक्क के लॉक को खोलने वाली चाबी आपके पास है? कहीं इस लक्क की चाबी को खो तो नहीं देते हो? या माया भिन्न-भिन्न रूपों व रंगों में इस चाबी को चुरा तो नहीं लेती है? माया की भी नजर इसी चाबी पर है। इसलिये इस चाबी को सदा कायम रखना है। लव अनेक वस्तुओं में होता है। यदि कोई भी वस्तु में लव है तो बाप से लव परसेन्टेज में हो जाता है। अपनी देह में, अपनी कोई भी वस्तु में यदि अपनापन है तो समझो कि लव में परसेन्टेज है। अपनेपन को मिटाना ही बाप की समानता को लाना है। जहाँ अपनापन है, वहाँ बापदादा सदा साथ नहीं हैं।

परसेन्टेज वाला कभी भी परफेक्ट नहीं बन सकता। परसेन्टेज अर्थात् डिफेक्ट (DEFECT) वाला कभी परफेक्ट नहीं बन सकता, इसलिये इस वर्ष में परसेन्टेज को मिटा कर परफेक्ट बनो। तब यह वर्ष विनाश की वर्षा लायेगा। एक वर्ष का समय दे रहे हैं जो कि फिर यह उलहना न दें कि ‘‘हमको क्या पता’’? एक वर्ष अनेक वर्षों की श्रेष्ठ प्रारब्ध बनाने के निमित्त है। अपने आप ही चेकर (Checker) बन अपने आप को चेक  करना। अगर मुख्य इस बात में अपने को परफेक्ट बनाया तो अनेक प्रकार के डिफेक्ट स्वत: ही समाप्त हो जायेंगे। यह तो सहज पुरूषार्थ है ना? अगर स्वयं बाप के साथ लव में लवलीन रहेंगे तो औरों को भी सहज ही आप-समान व बाप-समान बना सकेंगे। तो यह वर्ष बाप-समान बनने का लक्ष्य रख कर चलेंगे, तो बापदादा भी ऐसे बच्चों को ‘‘तत् त्वम्’’ का वरदान देने के लिये ड्रामानुसार निमित्त बना हुआ है। इस वर्ष की विशेषता बाप-समान बन समय को समीप लाने का है। समय की विशेषता को स्वयं में लाना है।

ऐसे सदा लवली-लवलीन रहने वाले, बाप-समान निर्मान और निर्माण करने के कर्त्तव्य में सदा तत्पर रहने वाले,समय की विशेषता को स्वयं में लाने वाले, श्रेष्ठ स्वमान में सदा स्थित रहने वाले, श्रेष्ठ और समान आत्माओं को बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते। ओम शान्ति।

इस वाणी का सार

1. यदि कोई भी वस्तु में और अपनी देह में अपना-पन है तो जरूर बाप से लव में परसेन्टेज है, अपने-पन को मिटाना ही स्वयं में बाप की समानता को लाना है।

2. दो मुख्य बातें लक्ष्य रूप में सामने रखनी हैं। एक तो लव’, दूसरा- लवलीन। जो जितना लवली होगा, वह उतना ही लवलीन रह सकता है। 

08-06-73   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

सर्वश्रेष्ठ शक्ति-परखने की शक्ति

 

सर्वशक्तियाँ भरने वाले, सर्वशक्तिवान् शिव बाबा बोले:-

सर्व-शक्तियों में से विशेष शक्ति को जानते हो? अपने को मास्टर सर्वशक्तिवान् तो समझते हो ना? सर्वशक्तियों में से सर्व श्रेष्ठ शक्ति कौन-सी है। जैसे पढ़ाई में अनेक सब्जेक्टस् होते हैं लेकिन उनमें से एक विशेष होता है। वैसे ही सर्व-शक्तियाँ आवश्यक तो हैं लेकिन इन शक्तियों में से सभी से श्रेष्ठ शक्ति कौन-सी है? जो आवश्यक हैं, जिसके बगैर महारथी व महावीर बनना मुश्किल है। हैं तो सभी आवश्यक। एक का दूसरे से सम्बन्ध है लेकिन फिर भी नम्बर वन जो सर्वशक्तियों को नजदीक लाने वाली है वह कौन-सी है? (परखने की शक्ति)।

सैल्फ रिअलाइजेशन करना भी परखने की शक्ति है। सैल्फ रिइलाइजेशन का अर्थ ही है-अपने आप को परखना व जानना। पहले बाप को परखेंगे तब जानेंगे या पहचान सकेंगे। और जब पहचानेंगे तब बाप के समीप व समान बन सकेंगे। परखने की शक्ति है नम्बरवन। परखना जिसको कामन शब्दों में पहचान कहते हैं। पहले-पहले ज्ञान का आधार ही है बाप को पहचानना अर्थात् परखना कि यह बाप का कर्त्तव्य चल रहा है। पहले परखने की शक्ति आवश्यक है। परखने की शक्ति को नॉलेजफुल  की स्टेज कहते है।

परखने की शक्ति का विस्तार क्या है और उससे प्राप्ति क्या-क्या होती हैं? इस विषय पर आपस में रूह-रूहान कर सकते हो। आपस में हम सरीखे खेलने वाले होते हैं तो खेल में भी मजा अता हैं। खेल-खेल में मेल भी हो जाता है। इस खेल में भी आपस में खेलते-खेलते दोस्त बन जाते हैं। वह हुआ स्थूल खेल। यहाँ भी खेल-खेल में आत्माओं की समीपता का मेल होता है। आत्माओं के संस्कार स्वभाव का मेल होता है। खेल के साथी बहुत पक्के होते स 69 हैं, जीवन के अन्त तक अपना साथ निभाते हैं। रूहानी खेल के साथ अन्त तक आपस में मेल निभाते हो, तब तो इस मेल की निशानी माला बनी हुई है। सभी बातों में जब अन्त में एक दूसरे के समीप हो जाते, मेल हो जाता तब दाना दाने से मिल माला बनती है। यह मेल की निशानी (माला) है। अच्छा! ओम् शान्ति।

इस मुरली का सार

1. परखने की शक्ति के बगैर महारथी बनना मुश्किल है।

2. सैल्फ रियलाइजेशन करना भी परखने की शक्ति है। सैल्फ रियला इजेशन का अर्थ ही है -- अपने आप को परखना व जानना। पहले बाप को परखेंगे, तब जानेंगे या पहचान सकेंगे। और जब पहचानेंगे तब बाप के समीप व समान बन सकेंगे।

3. परखने की शक्ति का विस्तार क्या है और उससे प्राप्ति क्या होती है? इस विषय पर आपस में रूह-रूहान कर सकते हो। इससे खेल-खेल में आत्माओं की समीपता का मेल होता है। जब अन्त में सभी बातों में -- एक दूसरे के समीप हो जाते हैं, मेल हो जाता है तब दाना दाने से मिल माला बनती है।

 

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QUIZ QUESTIONS

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प्रश्न 1 :- इस विशेष मास के अन्दर किन दो मुख्य विशेषताओं को धारण करना है?

 प्रश्न 2 :- लक्क (Luck) के लॉक (Lock) की चाबी (Key) कौन-सी है?

 प्रश्न 3 :- इस वर्ष पुरुषार्थ में कौनसा लक्ष्य रख कर चलेंगे ?

 प्रश्न 4 :- बाबा ने किस शक्ति को नम्बरवन शक्ति कहा है?

 प्रश्न 5 :- "खेल में मेल" और "मेल की निशानी माला" इसे बाबा ने कैसे समझाया हैं?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( समीप, डिफेक्ट, परखने, परसेन्टेज, श्रेष्ठ, परफेक्ट, प्रारब्ध, समय, वस्तु, समानता )

 

 1   इस प्रोग्राम के बीच अपने-आपको _______ अपने द्वारा ______ को जानने का समय मिला है।

 2  अगर मुख्य इस बात में अपने को _________ बनाया तो अनेक प्रकार के _________ स्वत: ही समाप्त हो जायेंगे।

 3  एक वर्ष अनेक वर्षों की _____ _________ बनाने के निमित्त है।

 4  यदि कोई भी ______ में लव है तो बाप से लव _________  में हो जाता है।

 5  _________ में समीप हो तो समय भी _______  है।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :- लव ने आप सबको भी एक मिनट में 5000 वर्ष की विस्मृत हुई बातों को स्मृति में लाया है, सर्व बंधन में लाया है, सर्वस्व योगी बनाया है।

 2  :- अपनी देह में, अपनी कोई भी वस्तु में यदि अपनापन है तो समझो कि लव में परसेन्टेज है।

 3  :- अकेलेपन को मिटाना ही बाप की समानता को लाना है। जहाँ अपनापन है, वहाँ सम्बन्धी सदा साथ नहीं हैं।

 4  :- एक वर्ष का समय दे रहे हैं जो कि फिर यह उलहना दें कि ‘‘हमको क्या पता’’? एक वर्ष अनेक वर्षों की श्रेष्ठ प्रारब्ध बनाने के निमित्त है।

 5   :- डिफेक्ट होना है, क्योंकि इस द्वारा ही सर्व ब्राह्मण के भाग्य लक्क को जगा सकते हो।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- इस विशेष मास के अन्दर किन दो मुख्य विशेषताओं को धारण करने का इशारा बापदादा ने दिया है?

उत्तर 1 :- इस विशेष मास के अंदर मुख्य दो विशेषताओं एक तो लव (Love) और दूसरा लवलीन स्थिति को धारण करना है। इस संबंध में बाबा ने आगे बताया कि -

        कर्म में, वाणी में, सम्पर्क में व सम्बन्ध में लव और स्मृति में व स्थिति में लवलीन रहना है। जो जितना लवली (Lovely) होगा, वह उतना ही लवलीन रह सकता है।

       इस लवलीन स्थिति को मनुष्यात्माओं ने लीन की अवस्था कह दिया है। बाप में लव खत्म करके सिर्फ लीन शब्द को पकड़ लिया है।

       बापदादा की मुख्य विशेषता, जिसने कि आप सबको विशेष बनाया, सब-कुछ भुलाया और देही-अभिमानी बनाया, वह यही थी - लव और लवलीन।

 

 प्रश्न 2 :- बाबा ने लक्क (Luck) के लॉक (Lock) की चाबी (Key) कौन-सी बताई हैं?

उत्तर 2 :- बाबा ने स्पष्ट किया है-

        लव ही लॉक की की’ (Key) है। यह मास्टर-की’ (Master Key) है। कैसे भी दुर्भाग्यशाली को भाग्यशाली बनाती है। जितना-जितना बापदादा से लव जुटता है, उतना ही बुद्धि का ताला खुलता जाता है। लव कम तो लक्क भी कम।

        तो सर्व आत्माओं के लक्क के लॉक को खोलने वाली चाबी आपके पास है? कहीं इस लक्क की चाबी को खो तो नहीं देते हो? या माया भिन्न-भिन्न रूपों व रंगों में इस चाबी को चुरा तो नहीं लेती है? माया की भी नजर इसी चाबी पर है। इसलिये इस चाबी को सदा कायम रखना है। 

 

 प्रश्न 3 :- इस वर्ष पुरुषार्थ मे कौन सा लक्ष्य रख कर चलेंगे ?

उत्तर 3 :- इस वर्ष पुरुषार्थ में लक्ष्य प्रति बाबा ने कहा है :-

       अगर स्वयं बाप के साथ लव में लवलीन रहेंगे तो औरों को भी सहज ही आप-समान व बाप-समान बना सकेंगे। तो यह वर्ष बाप-समान बनने का लक्ष्य रख कर चलेंगे, तो बापदादा भी ऐसे बच्चों को ‘‘तत् त्वम्’’ का वरदान देने के लिये ड्रामानुसार निमित्त बना हुआ है।

       इस वर्ष की विशेषता बाप-समान बन समय को समीप लाने का है। समय की विशेषता को स्वयं में लाना है।

 

 प्रश्न 4 :- बाबा ने किस शक्ति को नम्बरवन शक्ति कहा है?

उत्तर 4 :- बाबा ने कहा है -

        ❶ (परखने की शक्ति) सैल्फ रिअलाइजेशन करना भी परखने की शक्ति है। सैल्फ रिइलाइजेशन का अर्थ ही है - अपने आप को परखना व जानना।

        पहले बाप को परखेंगे तब जानेंगे या पहचान सकेंगे। और जब पहचानेंगे तब बाप के समीप व समान बन सकेंगे। परखने की शक्ति है नम्बरवन।

        परखना जिसको कामन शब्दों में पहचान कहते हैं। पहले-पहले ज्ञान का आधार ही है बाप को पहचानना अर्थात् परखना कि यह बाप का कर्त्तव्य चल रहा है। पहले परखने की शक्ति आवश्यक है। परखने की शक्ति को नॉलेजफुल  की स्टेज कहते है।

 

 प्रश्न 5 :- "खेल में मेल" और "मेल की निशानी माला" इस पर बाबा ने क्या समझाया हैं?

उत्तर 5 :- बाबा ने समझाया है कि:-

      आपस में हम सरीखे खेलने वाले होते हैं तो खेल में भी मजा अता हैं। खेल-खेल में मेल भी हो जाता है। इस खेल में भी आपस में खेलते-खेलते दोस्त बन जाते हैं।

      वह हुआ स्थूल खेल। यहाँ भी खेल-खेल में आत्माओं की समीपता का मेल होता है। आत्माओं के संस्कार स्वभाव का मेल होता है। खेल के साथी बहुत पक्के होते हैं, जीवन के अन्त तक अपना साथ निभाते हैं। रूहानी खेल के साथ अन्त तक आपस में मेल निभाते हो, तब तो इस मेल की निशानी माला बनी हुई है।

      सभी बातों में जब अन्त में एक दूसरे के समीप हो जाते, मेल हो जाता तब दाना दाने से मिल माला बनती है। यह मेल की निशानी (माला) है।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( समीप, डिफेक्ट, परखने, परसेन्टेज, श्रेष्ठ, परफेक्ट, प्रारब्ध, समय, वस्तु, समानता )

 

 1   इस प्रोग्राम के बीच अपने-आपको _______ व अपने द्वारा ______ को जानने का समय मिला है।

 परखने /  समय

 

 2  अगर मुख्य इस बात में अपने को _________ बनाया तो अनेक प्रकार के _________ स्वत: ही समाप्त हो जायेंगे।

 परफेक्ट /  डिफेक्ट

 

 3   एक वर्ष अनेक वर्षों की _____ _________ बनाने के निमित्त है।

श्रेष्ठ  / प्रारब्ध

 

 4  यदि कोई भी ______ में लव है तो बाप से लव _________  में हो जाता है।

 वस्तु  / परसेन्टेज

 

 5   _________ में समीप हो तो समय भी _______  है।

समानता /  समीप

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :- लव ने आप सबको भी एक मिनट में 5000 वर्ष की विस्मृत हुई बातों को स्मृति में लाया है, सर्व बंधन में लाया है, सर्वस्व योगी बनाया है।

लव ने आप सबको भी एक सेकेण्ड में 5000 वर्ष की विस्मृत हुई बातों को स्मृति में लाया है, सर्व सम्बन्ध में लाया है, सर्वस्व त्यागी बनाया है।

 

 2  :-  अपनी देह में, अपनी कोई भी वस्तु में यदि अपनापन है तो समझो कि लव में परसेन्टेज है।

 

 3  :- अकेलेपन को मिटाना ही बाप की समानता को लाना है। जहाँ अपनापन है, वहाँ सम्बन्धी सदा साथ नहीं हैं।

अपनेपन को मिटाना ही बाप की समानता को लाना है। जहाँ अपनापन है, वहाँ बापदादा सदा साथ नहीं हैं।

 

 4  :-  एक वर्ष का समय दे रहे हैं जो कि फिर यह उलहना दें कि ‘‘हमको क्या पता’’? एक वर्ष अनेक वर्षों की श्रेष्ठ प्रारब्ध बनाने के निमित्त है।

 

 5   :-  डिफेक्ट होना है, क्योंकि इस द्वारा ही सर्व ब्राह्मण के भाग्य व लक्क को जगा सकते हो।

परफेक्ट होना है, क्योंकि इस द्वारा ही सर्व आत्माओं  के भाग्य व लक्क को जगा सकते हो।