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AVYAKT MURLI

24 / 04 / 73

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24-04-73   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

अलौकिक जन्म-पत्री

 

ज्ञान के सागर, सर्व महान्, श्रेष्ठ मत के दाता, कर्मों की रेखाओं के ज्ञाता, सर्व आत्माओं के पिता शिव बोले:-

इस समय सभी मास्टर सर्वशक्तिवान् स्वरूप में स्थित हो? एक सेकेण्ड में अपने इस सम्पूर्ण स्टेज पर स्थित हो सकते हो? इस रूहानी ड्रिल के अभ्यासी बने हो? एक सेकेण्ड में जिस स्थिति में अपने को स्थित करना चाहो, उसमें स्थित कर सकते हो? जितना समय और जिस समय चाहें तभी स्थित हो जाओ, इसमें अभ्यासी हो, कि अभी तक भी प्रकृति द्वारा बनी हुई परिस्थितियाँ अवस्था को अपनी तरफ कुछ-न-कुछ आकर्षित कर लेती हैं? सभी से ज्यादा अपनी देह के हिसाब-किताब, रहे हुए कर्म-भोग के रूप में आने वाली परिस्थितियाँ अपनी तरफ आकर्षित करती हैं? यह भी आकर्षण समाप्त हो जाये, इसको कहा जाता है - सम्पूर्ण नष्टोमोह:। जिस वस्तु से मोह अर्थात् लगन होती है, वह अपनी तरफ बार-बार आकर्षित करती है। कोई भी देह की वा देह की दुनिया की परिस्थिति स्थिति को हिला नहीं सके इसी स्थिति का ही गायन गाया हुआ है। अंगद के रूप में जो कल्प पहले का गायन है-यही सम्पूर्ण स्टेज है। जो बुद्धि रूपी पाँव को प्रकृति की परिस्थितियाँ हिला नहीं सकें, ऐसे बने हो? लक्ष्य तो यही है ना? अभी तक लक्ष्य और लक्षण में अन्तर है। कल्प पहले के गायन और वर्तमान प्रैक्टिकल जीवन में अन्तर है। इस अन्तर को मिटाने के लिये तीव्र पुरूषार्थ की युक्ति कौन-सी है? जब युक्तियों को जानते भी हो फिर अन्तर क्यों? क्या नेत्र नहीं हैं? या नेत्र भी हैं लेकिन नेत्र को योग्य समय पर यूज़ (Use) करने की योग्यता नहीं है?

जितनी योग्यता, उतनी महानता दिखाई देती है? महानता की कमी के कारण जानते हो? जो मुख्य मान्यता सदैव सुनाते भी रहते हो। उस मान्यता की महीनता नहीं है। महीनता आने से महावीरता आ जाती है। महावीरता अर्थात् महानता। तो फिर कमी किस बात की रही - महीनता की। महीन वस्तु तो किसी में भी समा सकती है। बिना महीनता के कोई भी वस्तु जहाँ जैसा समाना चाहे वैसे समा नहीं सकती। जितनी जो वस्तु महीन होती है उतनी माननीय होती है। पॉवरफुल होती है।

तो अपने-आप से पूछो कि पहली मान्यता व सर्व मान्यताओं में श्रेष्ठ मान्यता कौन-सी है? श्रीमत ही आपकी मान्यता है तो पहली मान्यता क्या है? (देह सहित सभी कुछ भूलना) छोड़ो या भूलो, भूलना भी छोड़ना है। पास रहते भी अगर भूले हुए हैं तो छोड़ा हुआ है। भूलना भी गोया छोड़ना है। जैसे देखो सन्यासियों के लिए आप लोग चैलेंज करते हो कि उन्होंने छोड़ा नहीं है। कहते हैं घर-बार छोड़ा है लेकिन छोड़ा नहीं है क्योंकि भूले हुए नहीं हैं। ऐसे ही अगर सरकमस्टान्सिज (Circumstances) प्रमाण बाहर के रूप से अगर छोड़ा भी अर्थात् किनारा भी किया लेकिन मन से यदि भूले नहीं तो क्या उसको छोड़ना कहेंगे? यहाँ छोड़ने का अर्थ क्या हुआ? मन से भूलना। मन से तो आप भूले हो ना? तो छोड़ा है ना या कि अभी भी छोड़ना है? अगर अभी तक भी कहेंगे कि छोड़ना है तो फिर बहुत समय से छोड़ने वालों की लिस्ट से निकल, अभी से छोड़ने वालों की लिस्ट में आ जायेंगे।

जिन्होंने जब से मन से त्याग किया अर्थात् कोई भी देह के बन्धन व देह के सम्बन्ध को एक सेकेण्ड में त्याग कर दिया उन की वह तिथि-तारीख और वेला सभी ड्रामा में व बापदादा के पास नूँधी हुई है। जैसे आजकल ज्योतिषी, ज्योतिष विद्या को जानने वाले जन्म की तिथि और वेला के प्रमाण अपनी यथा-योग्य नॉलेज के आधार से भविष्य जन्मपत्री बनाते हैं। उन्हों का भी आधार तिथि और वेला पर होता है। वैसे यहाँ भी मरजीवा जन्म की तिथि वेला और स्थिति है। वे लोग परिस्थिति को देखते हैं किस परिस्थिति में पैदा हुआ। यहाँ उस वेला के समय स्थिति को देखा जाता है। जन्मते ही किस स्थिति में रहे, उसी आधार पर यहाँ भी हरेक के भविष्य प्रारब्ध का आधार है। तो आप लोग भी इन तीनों बातों की तिथि, वेला और स्थिति को जानते हुए अपने संगमयुग की प्रारब्ध व संगमयुग की भविष्य स्थिति और भविष्य जन्म की प्रारब्ध अपने-आप भी जान सकते हो। एक-एक बात की प्राप्ति प्रैक्टिकल जीवन के साथ सम्बन्धित है। यह है ही अपने तकदीर को जानने का नेत्र। इससे आप हरेक अपनी फाइनल स्टेज (Final Stage) के नम्बर को जान सकते हो।

जैसे ज्योतिषी हस्तों की लकीरों द्वारा किसी की भी जन्म-पत्री को जान सकते हैं, वैसे आप लोग मास्टर त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्री व ज्ञानस्वरूप अर्थात् मास्टर नॉलेजफुल होने के नाते अपने मरजीवा जीवन की प्रैक्टिकल कर्म रेखाओं से, संकल्पों की सूक्ष्म लकीरों से अगर संकल्प को चित्र में लायेंगे तो किस रूप में दिखावेंगे? अपने संकल्पों की लकीरों के आधार पर व कर्मों की रेखाओं के आधार पर अपनी जन्मपत्री को जान सकते हो कि संकल्प रूपी लकीरें सीधी अर्थात् स्पष्ट हैं? कर्म की रेखायें श्रेष्ठ अर्थात् स्पष्ट हैं! एक तो यह चेक करो कि बहुत काल से स्थिति में व सम्पर्क में श्रीमत के प्रमाण बिताया है? यह है काल अर्थात् समय को देखना। समय अर्थात् वेला का प्रभाव भी जन्मपत्री पर बहुत होता है। तो यहाँ भी समय अर्थात् बहुत समय के हिसाब से सम्बन्ध रखता है। बहुत समय का मतलब यह नहीं कि स्थूल तारीखों व वर्षों के हिसाब से नहीं, लेकिन जब से जन्म लिया तब से बहुत समय की लगन हो। सभी सब्जेक्टस् में यथार्थ रूप से कहाँ तक बहुत समय से रहते आये हैं, इसका हिसाब जमा होगा। मानो कोई को 35 वर्ष हुए हैं लेकिन अपने पुरूषार्थ की सफलता में बहुत समय नहीं बिताया है तो उनकी गिनती बहुत समय में नहीं आयेगी। अगर कोई 35 वर्ष के बदले 15 वर्ष से आ रहे हैं लेकिन 15 वर्ष में बहुत समय पुरूषार्थ की सफलता में रहा है तो उनकी गिनती जास्ती में आयेगी। बहुत समय स्Ìफलता के आधार पर गिना जाता है। तो वेला का आधार ही हुआ ना?

बहुत समय के लगन में मग्न रहने वाले को प्रारब्ध भी बहुत समय तक प्राप्त होती है। अल्प काल की सफलता वालों की अल्पकाल अर्थात् 21 जन्मों में थोड़े जन्म की ही प्रारब्ध होती है। बाकी साधारण प्रारब्ध। इसलिये ज्योतिषी लोग भी वेला को महत्व देते हैं। बहुत काल से निर्विघ्न अर्थात् कर्मों की रेखा क्लियर हो, उसका आधार जन्मपत्री पर होता है। जैसे हस्तों की लाइन में अगर बीच-बीच में लकीर कट होती हैं तो श्रेष्ठ भाग्य नहीं गिना जाता है व बड़ी आयु नहीं मानी जाती है। वैसे ही यहाँ भी अगर बीच-बीच में विघ्नों के कारण बाप से जुटी हुई बुद्धि की लाइन कट होती रहती है, व क्लियर नहीं रहती है तो बड़ी प्रारब्ध नहीं हो सकती।

अभी अपने-आपको जान सकेंगे कि हमारी जन्मपत्री क्या है? किस पद की प्राप्ति नूँधी हुई है? जन्मपत्री में दशायें भी देखते हैं। जैसे बृहस्पति की दशा रहती है। क्या बहुत समय बृहस्पति की दशा रहती है या बार-बार दशा बदलती रहती है? कभी बृहस्पति की, कभी राहू की? अगर बार-बार बदलती है अर्थात् निर्विघ्न नहीं है तो प्रारब्ध भी बहुत समय के लिए निर्विघ्न राज्य में नहीं पा सकते। तो यह दशायें चेक करो कि शुरू से लेकर अभी तक कौनसी दशा रही है?

जन्मपत्री में राशि देखते हैं। यहाँ कौन-सी राशि है? यहाँ तीन राशि हैं। एक है महारथी की राशि, दूसरी है घोड़े सवार की और तीसरी है प्यादे की। इन तीनों में से अपनी राशि को भी देखो कि शुरू से अर्थात् जन्म से ही पुरूषार्थ की राशि महारथी की रही, या घुड़सवार या प्यादे की रही है? इस राशि के हिसाब से भी जन्मपत्री का मालूम पड़ जाता है। मास्टर त्रिकालदर्शी का ज्ञान-स्वरूप बन अपनी जन्मपत्री स्वयं ही चेक करो और अपने भविष्य को देखो। राशि को व दशा को व लकीरों को बदल भी सकते हैं। परखने के बाद, चेक  करने के बाद, फिर चेंज (Change) करने का साधन अपनाना। स्थूल नॉलेज में भी कई साधन बताते हैं। यहाँ तो साधन को जानते हो ना? तो साधनों द्वारा सम्पूर्ण सिद्धि को प्राप्त करो। समझा?

ऐसे ज्ञान-स्वरूप, बुद्धि द्वारा सिद्धि को प्राप्त करने वाले, सम्पूर्णता को अपने जीवन से प्रत्यक्ष दिखलाने वाले, सदा अपनी स्व-स्थिति से परिस्थिति को पार करने वाले महावीरों को बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते। अच्छा! ओम् शान्ति।

इस मुरली की विशेष बातें

कोई भी देह की वा देह की दुनिया की परिस्थिति, स्थिति को हिला न सके इसी स्थिति का ही तो गायन है अंगद के रूप में, जो बुद्धि रूपी पाँव को प्रकृति की परिस्थितियाँ हिला न सकीं।

01-06-73   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

सर्व शक्तियों का स्टॉक

 

विघ्न विनाशक, सर्व-शक्तिवान् महादानी शिव बाबा बोले:-

क्या अपने को विघ्न-प्रूफ समझते हो? जब स्वयं विघ्न-प्रूफ बनेंगे तब ही दूसरों को भिन्न-भिन्न प्रकार के विघ्नों से बचा सकेंगे। स्वयं में भी कोई मनसा का विघ्न है तो दूसरों को विघ्न-प्रूफ कभी भी बना न सकेंगे। अभी तो समय ऐसा आ रहा है जो सारे भंभोर को जब आग लगेगी, उस आग से बचाने के लिए कुछ मुख्य बातें आवश्यक हैं। जैसे कहीं भी आग लगती है, तो आग से बचने के लिए पहले किस वस्तु कि आवश्यकता होती है?

जब इस विनाश की आग चारो ओर लगेगी, उस समय आप श्रेष्ठ आत्माओं का पहला-पहला कर्त्तव्य कौन-सा है? शान्ति का दान अर्थात् शीतलता का जल देना। पानी डालने के बाद फिर क्या-क्या करते हैं? जिसको जो-कुछ आवश्यकता होती है वह उन की आवश्यकताएं पूर्ण करते हैं। किसी को आराम चाहिए, किसी को ठिकाना चाहिए, मतलब जिसकी जैसी आव श्यकता होती है वही पूरी करते हैं। आप लोगों को कौन-सी आवश्यकताएं पूर्ण करनी पड़ेंगी, वह जानते हो? उस समय हरेक को अलग-अलग शक्ति की आवश्यकता होगी। किसी को सहनशक्ति की आवश्यकता, किसी को समेटने की शक्ति की आवश्यकता, किसी को निर्णय करने की शक्ति की आवश्यकता और किसी को अपने-आप को परखने की शक्ति की आवश्यकता होगी। किसी को मुक्ति के ठिकाने की आवश्यकता होगी। भिन्न-भिन्न शक्तियों की उन आत्माओं को उस समय आवश्यकता होगी। बाप के परिचय द्वारा एक सेकेण्ड में अशान्त आत्माओं को शान्त कराने की शक्ति भी उस समय आवश्यक है। वह अभी से ही इकट्ठी करनी होगी। नहीं तो उस समय लगी हुई आग से कैसे बचा सकेंगे? जी-दान कैसे दे सकेंगे? यह अपने-आप को पहले से ही तैयारी करने के लिए देखना पड़ेगा।

जैसे छ: मास का स्टॉक रखते हो न, कि छ: मास में इस-इस वस्तु की आवश्यकता होगी। चेक करके फिर भर देते हो। इस प्रकार क्या यह स्टॉक भी चेक करते हो? सारे विश्व की सभी आत्माओं को शक्ति का दान देना पड़ेगा। इतना स्टॉक जमा किया है जो स्वयं भी अपने को शक्ति के आधार से चला सकें और दूसरों को भी शक्ति दे सकें ताकि कोई भी वंचित न रहे। अगर अपने पास शक्तियाँ जमा नहीं हैं और एक भी आत्मा वंचित रह गई तो इसका बोझा किस पर होगा? जो निमित्त बनी हुई हैं। सदैव अपनी हर शक्ति का स्टॉक चेक करो। जिसके पास सर्व-शक्तियों का स्टॉक जमा है वही म्ख्य गाये जाते हैं।

जैसे स्टार्स दिखाते हैं उनमें भी नम्बरवार होते हैं। जिन के पास स्टॉक जमा है वही लक्की स्टार्स के रूप में चमकते हुए विश्व कि आत्माओं के बीच नजर आयेंगे। तो यह चैकिंग करनी है कि क्या सर्वशक्तियों का स्टॉक है? महारथियों का हर संकल्प पर पहले से ही अटेन्शन रहता है। महारथियों के चेक करने की रूप-रेखा ही न्यारी है। योग की शक्ति होने के कारण ऑटोमेटिकली युक्ति-युक्त संकल्प, बोल और कर्म होंगे। अभी यह नेचरल रूप हो गया है। महारथियों के चैकिंग का रूप भी यह है। सर्वशक्तियों में किस शक्ति का कितना स्टॉक जमा है। उस जमा किऐ हुए स्टॉक से कितनी आत्माओं का कल्याण कर सकते हैं। जैसे स्थूल स्टॉक की देख-रेख करना और जमा करना यह ड्यूटी है; वैसे ही सर्वशक्तियों के स्टॉक जमा करने की भी ज़िम्मेवारी है। यह होता है ऑलराउण्डर का हर चीज के स्टॉक की आवश्यकता प्रमाण जमा करना। अमृतबेले उठकर अपने को अटेन्शन के पट्टे पर चलाना तो पट्टे पर गाड़ी ठीक चलेगी। फिर नीचे-ऊपर होना सम्भव ही नहीं। तो अभी यह स्टॉक जमा करने की चैकिंग रखनी है। सारे विश्व को जिम्मेवारी तुम बच्चों पर है। सिर्फ भारत की नहीं। महारथियों का हर कर्म महान् होना चाहिए। किससे?-घोड़े सवार और प्यादों से महान्। अच्छा।

इस मुरली से विशेष तथ्य

1. जैसे स्थूल वस्तुओं का स्टॉक रखते हो ना कि छ: मास में इस-इस वस्तु की आवश्यकता होगी। चेक कर के फिर भर देते हो। इसी प्रकार शक्तियों का स्टॉक भी चेक करते रहो। इतना स्टॉक जमा हो जो स्वयं भी अपने को शक्ति के आधार से चला सकें और दूसरों को भी शक्ति दे सकें।

2. जैसे स्टार्स में भी नम्बरवार होते हैं, इसी प्रकार ज्ञान सितारों में भी नम्बरवार होते हैं। जिन के पास शक्तियों का स्टॉक जमा हो वही लक्की स्टार्स के रूप में चमकते हुए विश्व की आत्माओं के बीच नजर आयेंगे।

3. महारथी वह जो यह चेक करता रहे कि सर्वशक्तियों में किस शक्ति का कितना स्टॉक जमा है, उस जमा किये हुए स्टॉक से कितनी आत्माओं का कल्याण कर सकते हैं।

 

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- बाबा "सम्पूर्ण नष्टोमोहा अवस्था" के संबंध मे क्या बता रहे है?

 प्रश्न 2 :- बाबा "तीव्र पुरूषार्थ की युक्तियाँ" के संबंध मे क्या समझा रहे है?

 प्रश्न 3 :- बाबा बच्चो के "प्रारब्ध का आधार" के संबंध मे क्या बता रहे है?

 प्रश्न 4 :- जब इस विनाश की आग चारो ओर लगेगी, उस समय आप श्रेष्ठ आत्माओं का पहला-पहला कर्त्तव्य कौन-सा है?

 प्रश्न 5 :- बाबा महारथियों प्रति शक्तियों के संबंध मे क्या कह रहे है?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( त्याग, ज्ञान, दुनिया, स्टॉक, महारथी, सम्बन्ध, भविष्य, स्थिति, स्टार्स, शक्ति, ड्रामा, लकीरों, बुद्धि, नजर, कल्याण )

 1   जिन्होंने जब से मन से ______ किया अर्थात् कोई भी देह के बन्धन व देह के ______ को एक सेकेण्ड में त्याग कर दिया उन की वह तिथि-तारीख और वेला सभी ______ में व बापदादा के पास नूँधी हुई है।

 2  मास्टर त्रिकालदर्शी का ______-स्वरूप बन अपनी जन्मपत्री स्वयं ही चेक करो और अपने ______ को देखो। राशि को व दशा को व ______ को बदल भी सकते हैं।

 3  कोई भी देह की वा देह की ______ की परिस्थिति, ______ को हिला न सके इसी स्थिति का ही तो गायन है अंगद के रूप में, जो ______ रूपी पाँव को प्रकृति की परिस्थितियाँ हिला न सकीं।

 4  जिन के पास शक्तियों का ______ जमा हो वही लक्की ______ के रूप में चमकते हुए विश्व की आत्माओं के बीच ______ आयेंगे।

 5  _____ वह जो यह चेक करता रहे कि सर्वशक्तियों में किस ______ का कितना स्टॉक जमा है, उस जमा किये हुए स्टॉक से कितनी आत्माओं का ______ कर सकते हैं। 

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :- जिस वस्तु से मोह अर्थात् लगन होती है, वह अपनी तरफ बार-बार विकर्षित करती है।

 2  :- छोडऩे का अर्थ है मन से छोड़ना।

 3  :- स्वयं में भी कोई मनसा का विघ्न है तो दूसरों को विघ्न-प्रूफ कभी भी बना न सकेंगे।

 4  :- अभी तो समय ऐसा आ रहा है जो सारे भंभोर को आग लगेगी।

 5   :- जैसे स्टार्स में भी नम्बरवार होते हैं, इसी प्रकार ज्ञान सितारों में भी नम्बरवार होते हैं।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- बाबा "सम्पूर्ण नष्टोमोहा अवस्था" के संबंध मे क्या बता रहे है?

उत्तर 1 :- बाबा सम्पूर्ण नष्टोमोहा अवस्था के संबंध मे बता रहे है कि :-

          इस समय सभी मास्टर सर्वशक्तिवान् स्वरूप में स्थित हो? एक सेकेण्ड में अपने इस सम्पूर्ण स्टेज पर स्थित हो सकते हो? इस रूहानी ड्रिल के अभ्यासी बने हो? एक सेकेण्ड में जिस स्थिति में अपने को स्थित करना चाहो, उसमें स्थित कर सकते हो?

          जितना समय और जिस समय चाहें तभी स्थित हो जाओ, इसमें अभ्यासी हो, कि अभी तक भी प्रकृति द्वारा बनी हुई परिस्थितियाँ अवस्था को अपनी तरफ कुछ-न-कुछ आकर्षित कर लेती हैं? सभी से ज्यादा अपनी देह के हिसाब-किताब, रहे हुए कर्म-भोग के रूप में आने वाली परिस्थितियाँ अपनी तरफ आकर्षित करती हैं? यह भी आकर्षण समाप्त हो जाये, इसको कहा जाता है - सम्पूर्ण नष्टोमोहा।

 

 प्रश्न 2 :- बाबा "तीव्र पुरूषार्थ की युक्तियाँ" के संबंध मे क्या समझा रहे है?

उत्तर 2 :- बाबा तीव्र पुरूषार्थ की युक्तियाँ के संबंध मे समझा रहे है कि:-

          अभी तक लक्ष्य और लक्षण में अन्तर है। कल्प पहले के गायन और वर्तमान प्रैक्टिकल जीवन में अन्तर है। इस अन्तर को मिटाने के लिये तीव्र पुरूषार्थ की युक्ति कौन-सी है? जब युक्तियों को जानते भी हो फिर अन्तर क्यों? क्या नेत्र नहीं हैं? या नेत्र भी हैं लेकिन नेत्र को योग्य समय पर यूज़ करने की योग्यता नहीं है?

          जितनी योग्यता, उतनी महानता दिखाई देती है? महानता की कमी के कारण जानते हो? जो मुख्य मान्यता सदैव सुनाते भी रहते हो। उस मान्यता की महीनता नहीं है। महीनता आने से महावीरता आ जाती है।

          महावीरता अर्थात् महानता। तो फिर कमी किस बात की रही - महीनता की। महीन वस्तु तो किसी में भी समा सकती है। बिना महीनता के कोई भी वस्तु जहाँ जैसा समाना चाहे वैसे समा नहीं सकती। जितनी जो वस्तु महीन होती है उतनी माननीय होती है। पॉवरफुल होती है।

          तो अपने-आप से पूछो कि पहली मान्यता व सर्व मान्यताओं में श्रेष्ठ मान्यता कौन-सी है? श्रीमत ही आपकी मान्यता है तो पहली मान्यता क्या है? (देह सहित सभी कुछ भूलना) छोड़ो या भूलो, भूलना भी छोड़ना है। पास रहते भी अगर भूले हुए हैं तो छोड़ा हुआ है। भूलना भी गोया छोड़ना है।

 

प्रश्न 3 :- बाबा बच्चो के "प्रारब्ध का आधार" के संबंध मे क्या बता रहे है?

उत्तर 3 :- बाबा बच्चो के प्रारब्ध का आधार के संबंध मे बता रहे है कि :-

          यहाँ उस वेला के समय स्थिति को देखा जाता है। जन्मते ही किस स्थिति में रहे, उसी आधार पर यहाँ भी हरेक के भविष्य प्रारब्ध का आधार है। तो आप लोग भी इन तीनों बातों की तिथि, वेला और स्थिति को जानते हुए अपने संगमयुग की प्रारब्ध व संगमयुग की भविष्य स्थिति और भविष्य जन्म की प्रारब्ध अपने-आप भी जान सकते हो। एक-एक बात की प्राप्ति प्रैक्टिकल जीवन के साथ सम्बन्धित है। यह है ही अपने तकदीर को जानने का नेत्र। इससे आप हरेक अपनी फाइनल स्टेज के नम्बर को जान सकते हो।

          सभी सब्जेक्टस् में यथार्थ रूप से कहाँ तक बहुत समय से रहते आये हैं, इसका हिसाब जमा होगा। मानो कोई को 35 वर्ष हुए हैं लेकिन अपने पुरूषार्थ की सफलता में बहुत समय नहीं बिताया है तो उनकी गिनती बहुत समय में नहीं आयेगी। अगर कोई 35 वर्ष के बदले 15 वर्ष से आ रहे हैं लेकिन 15 वर्ष में बहुत समय पुरूषार्थ की सफलता में रहा है तो उनकी गिनती जास्ती में आयेगी। बहुत समय सफलता के आधार पर गिना जाता है। तो वेला का आधार ही हुआ ना?

          बहुत समय के लगन में मग्न रहने वाले को प्रारब्ध भी बहुत समय तक प्राप्त होती है। अल्प काल की सफलता वालों की अल्पकाल अर्थात् 21 जन्मों में थोड़े जन्म की ही प्रारब्ध होती है। बाकी साधारण प्रारब्ध। इसलिये ज्योतिषी लोग भी वेला को महत्व देते हैं।

          बहुत काल से निर्विघ्न अर्थात् कर्मों की रेखा क्लियर हो, उसका आधार जन्मपत्री पर होता है। जैसे हस्तों की लाइन में अगर बीच-बीच में लकीर कट होती हैं तो श्रेष्ठ भाग्य नहीं गिना जाता है व बड़ी आयु नहीं मानी जाती है। वैसे ही यहाँ भी अगर बीच-बीच में विघ्नों के कारण बाप से जुटी हुई बुद्धि की लाइन कट होती रहती है, व क्लियर नहीं रहती है तो बड़ी प्रारब्ध नहीं हो सकती।

          अभी अपने-आपको जान सकेंगे कि हमारी जन्मपत्री क्या है? किस पद की प्राप्ति नूँधी हुई है? जन्मपत्री में दशायें भी देखते हैं। जैसे बृहस्पति की दशा रहती है। क्या बहुत समय बृहस्पति की दशा रहती है या बार-बार दशा बदलती रहती है? कभी बृहस्पति की, कभी राहू की? अगर बार-बार बदलती है अर्थात् निर्विघ्न नहीं है तो प्रारब्ध भी बहुत समय के लिए निर्विघ्न राज्य में नहीं पा सकते।

 

 प्रश्न 4 :- जब इस विनाश की आग चारो ओर लगेगी, उस समय आप श्रेष्ठ आत्माओं का पहला-पहला कर्त्तव्य कौन-सा है?

उत्तर 4 :- बाबा कह रहे है कि :-

          जब इस विनाश की आग चारो ओर लगेगी तो शान्ति का दान अर्थात् शीतलता का जल देना। पानी डालने के बाद फिर क्या-क्या करते हैं? जिसको जो-कुछ आवश्यकता होती है वह उन की आवश्यकताएं पूर्ण करते हैं। किसी को आराम चाहिए, किसी को ठिकाना चाहिए, मतलब जिसकी जैसी आवश्यकता होती है वही पूरी करते हैं।

          आप लोगों को कौन-सी आवश्यकताएं पूर्ण करनी पड़ेंगी, वह जानते हो? उस समय हरेक को अलग-अलग शक्ति की आवश्यकता होगी। किसी को सहनशक्ति की आवश्यकता, किसी को समेटने की शक्ति की आवश्यकता, किसी को निर्णय करने की शक्ति की आवश्यकता और किसी को अपने-आप को परखने की शक्ति की आवश्यकता होगी। किसी को मुक्ति के ठिकाने की आवश्यकता होगी। भिन्न-भिन्न शक्तियों की उन आत्माओं को उस समय आवश्यकता होगी।

          बाप के परिचय द्वारा एक सेकेण्ड में अशान्त आत्माओं को शान्त कराने की शक्ति भी उस समय आवश्यक है। वह अभी से ही इकट्ठी करनी होगी। नहीं तो उस समय लगी हुई आग से कैसे बचा सकेंगे? जी-दान कैसे दे सकेंगे? यह अपने-आप को पहले से ही तैयारी करने के लिए देखना पड़ेगा। जैसे छ: मास का स्टॉक रखते हो न, कि छ: मास में इस-इस वस्तु की आवश्यकता होगी। चेक करके फिर भर देते हो। इस प्रकार क्या यह स्टॉक भी चेक करते हो? सारे विश्व की सभी आत्माओं को शक्ति का दान देना पड़ेगा। इतना स्टॉक जमा किया है जो स्वयं भी अपने को शक्ति के आधार से चला सकें और दूसरों को भी शक्ति दे सकें ताकि कोई भी वंचित न रहे।

          अगर अपने पास शक्तियाँ जमा नहीं हैं और एक भी आत्मा वंचित रह गई तो इसका बोझा किस पर होगा? जो निमित्त बनी हुई हैं। सदैव अपनी हर शक्ति का स्टॉक चेक करो। जिसके पास सर्व-शक्तियों का स्टॉक जमा है वही मुख्य गाये जाते हैं।

 

 प्रश्न 5 :- बाबा महारथियों प्रति शक्तियों के संबंध मे क्या कह रहे है?

उत्तर 5 :- बाबा महारथियों प्रति शक्तियों के संबंध मे कह रहे है कि :-

          जैसे स्टार्स दिखाते हैं उनमें भी नम्बरवार होते हैं। जिन के पास स्टॉक जमा है वही लक्की स्टार्स के रूप में चमकते हुए विश्व कि आत्माओं के बीच नजर आयेंगे। तो यह चैकिंग करनी है कि क्या सर्वशक्तियों का स्टॉक है? महारथियों का हर संकल्प पर पहले से ही अटेन्शन रहता है।

          महारथियों के चेक करने की रूप-रेखा ही न्यारी है। योग की शक्ति होने के कारण ऑटोमेटिकली युक्ति-युक्त संकल्प, बोल और कर्म होंगे। अभी यह नेचरल रूप हो गया है। महारथियों के चैकिंग का रूप भी यह है। सर्वशक्तियों में किस शक्ति का कितना स्टॉक जमा है। उस जमा किऐ हुए स्टॉक से कितनी आत्माओं का कल्याण कर सकते हैं।

           जैसे स्थूल स्टॉक की देख-रेख करना और जमा करना यह ड्यूटी है। वैसे ही सर्वशक्तियों के स्टॉक जमा करने की भी ज़िम्मेवारी है। यह होता है ऑलराउण्डर का हर चीज के स्टॉक की आवश्यकता प्रमाण जमा करना। अमृतबेले उठकर अपने को अटेन्शन के पट्टे पर चलाना तो पट्टे पर गाड़ी ठीक चलेगी। फिर नीचे-ऊपर होना सम्भव ही नहीं। तो अभी यह स्टॉक जमा करने की चैकिंग रखनी है। सारे विश्व को जिम्मेवारी तुम बच्चों पर है। सिर्फ भारत की नहीं। महारथियों का हर कर्म महान् होना चाहिए।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( त्याग, ज्ञान, दुनिया, स्टॉक, महारथी, सम्बन्ध, भविष्य, स्थिति, स्टार्स, शक्ति, ड्रामा, लकीरों, बुद्धि, नजर, कल्याण )

 

 1   जिन्होंने जब से मन से ______ किया अर्थात् कोई भी देह के बन्धन देह के ______ को एक सेकेण्ड में त्याग कर दिया उन की वह तिथि-तारीख और वेला सभी ______ में बापदादा के पास नूँधी हुई है।

त्याग / सम्बन्ध /  ड्रामा

 

 2  मास्टर त्रिकालदर्शी का ______-स्वरूप बन अपनी जन्मपत्री स्वयं ही चेक करो और अपने ______ को देखो। राशि को दशा को ______ को बदल भी सकते हैं।

ज्ञान /  भविष्य /  लकीरों

 

  कोई भी देह की वा देह की ______ की परिस्थिति, ______ को हिला सके इसी स्थिति का ही तो गायन है अंगद के रूप में, जो ______ रूपी पाँव को प्रकृति की परिस्थितियाँ हिला सकीं।  

ज्ञान /  स्थिति /  बुद्धि

 

 4  जिन के पास शक्तियों का ______ जमा हो वही लक्की ______ के रूप में चमकते हुए विश्व की आत्माओं के बीच ______ आयेंगे।

स्टॉक /  स्टार्स /  नजर

 

 5  _____ वह जो यह चेक करता रहे कि सर्वशक्तियों में किस ______ का कितना स्टॉक जमा है, उस जमा किये हुए स्टॉक से कितनी आत्माओं का ______ कर सकते हैं।

महारथी /  शक्ति /  कल्याण

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :- जिस वस्तु से मोह अर्थात् लगन होती है, वह अपनी तरफ बार-बार विकर्षित करती है। 【✖】

जिस वस्तु से मोह अर्थात् लगन होती है, वह अपनी तरफ बार-बार आकर्षित करती है। 

 

 2  :- छोडऩे का अर्थ है मन से छोड़ना।

 

3  :- स्वयं में भी कोई मनसा का विघ्न है तो दूसरों को विघ्न-प्रूफ कभी भी बना सकेंगे। 【✔】 

 

4  :- अभी तो समय ऐसा रहा है जो सारे भंभोर को आग लगेगी। 【✔】

 

5   :- जैसे स्टार्स में भी नम्बरवार होते हैं, इसी प्रकार ज्ञान सितारों में भी नम्बरवार होते हैं। 】