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AVYAKT MURLI

02 / 02 / 75

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   02-02-75   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

 

पवित्रता - प्रत्यक्षता की पूर्वगामिनी है और पर्सनेलिटी की जननी

 

 

 

रूहानी रॉयल्टी के संस्कार भरने वाले, सर्वोतम पर्सनेलिटी बनाने वाले, विश्व के परमपिता शिव बोले -

 

आज बाप सर्व देवों के भी देव, सर्व राजाओं के भी राजा बनाने वाले रचयिता की रचना, अर्थात् श्रेष्ठ आत्माओं के श्रेष्ठ भाग्य को देख हर्षित हो रहे हैं। आप ऊंचे-से-ऊंचे, बाप से भी ऊंची बनने वाली आत्मायें हैं। आज ऐसी ऊंची आत्माओं की विशेष दो बातें देख रहे हैं। वह कौन-सी हैं? एक रूहानी रॉयल्टी, दूसरी पर्सनेलिटी। जब हैं ही ऊंचे-से-ऊंचे बाप की ऊंची सन्तान - जिन्हों के आगे देवतायें भी श्रेष्ठ नहीं गाये जाते, राजायें भी चरणों में झुकते हैं, और सर्व नामी-ग्रामी आत्मायें भी भिखारी बन ईश्वरीय प्रसाद लेने के लिए जिज्ञासा रख आने वाली हैं तो ऐसी सर्व- आत्माओं के निमित्त बने हुए आप सभी मास्टर-ज्ञानदाता और वरदाता हो। तो ऐसी रॉयल्टी है? वास्तव में तो प्योरिटी ही रॉयल्टी है और प्योरिटी ही पर्सनेलिटी है। अब अपने को देखो कितने परसेन्ट प्योरिटी धारण की हुई है? प्योरिटी की परख व पहचान हरेक की रॉयल्टी और पर्सनेलिटी से हो रही है।

 

रॉयल्टी कौनसी है? रॉयल आत्मा को हद की विनाशी वस्तु व व्यक्ति में कभी आकर्षण नहीं होगा। जैसे लौकिक रीति से रॉयल पर्सनेलिटी वाली आत्मा को किन्हीं छोटी-छोटी चीजों में ऑख नहीं डूबती है, किसी के द्वारा गिरी हुई कोई भी चीज स्वीकार करने की इच्छा नहीं होती है, उनके नयन सदा सम्पन्न होने के नशे में रहते हैं, अर्थात् नयन नीचे नहीं होते हैं, उनके बोल मधुर और अनमोल अर्थात् गिनती के होते हैं और उनके सम्पर्क में खुमारी अनुभव होती है, ऐसे ही रूहानी रॉयल्टी उससे भी पदम गुणा श्रेष्ठ है।

 

ऐसी रॉयल्टी में रहने वाली आत्माओं की कभी भी एक-दूसरे के अवगुणों या कमजोरी की तरफ आँख भी नहीं जा सकती। जिसको दूसरा छोड़ रहा है अर्थात् मिटाने के पुरूषार्थ में लगा हुआ है, ऐसी छोड़ने वाली चीज अर्थात् गिरावट में लाने वाली चीज और गिरी हुई चीज, रूहानी रॉयल्टी वाले के संकल्प में भी धारण नहीं हो सकती व दूसरे की वस्तु की तरफ कभी संकल्प रूपी ऑख भी नहीं जा सकती। तो यह पुराने तमोगुणी स्वभाव, संस्कार, कमज़ोरियाँ शूद्रों की हैं न कि ब्राह्मणों की। शूद्रों की वस्तु की तरफ संकल्प कैसे जा सकता है? अगर धारण करते हैं तो जैसे कहावत है ना कि ‘‘कख का चोर सो लख का चोर’’ - तो यह भी सेकेण्ड-मात्र व संकल्पमात्र धारण करने वाली आत्माएं रॉयल नहीं गायी जायेंगी।

 

रूहानी रॉयल्टी वाली आत्माओं के बोल महावाक्य होते हैं। ये वाक्य गोल्डन वर्शन्स होते हैं, जिन्हें सुनने वाले भी गोल्डन एज  के अधिकारी बन जाते हैं। एक-एक बोल रत्न के समान वेल्युएबल होता है वे दु:ख देने वाले, गिराने वाले या पत्थर के समान बोल नहीं होते, साधारण और व्यर्थ भी नहीं होते, समर्थ और स्नेह के बोल होते हैं। सारे दिन के उच्चारण किये हुए बोल ऐसे श्रेष्ठ होते हैं कि हिसाब निकालने पर स्मृति में आ सकते हैं कि आज ऐसे और इतने बोल बोले। रॉयल्टी वाले की निशानी व विशेषता यह है कि पचास बोल बोलने वाले विस्तार के बजाय दस बोल के सार में बोले, क्वॉन्टिटी को कम कर क्वॉलिटी में लाये। रूहानी रॉयल्टी वाले के सम्पर्क में जो भी आत्मा आये, उसे थोड़े समय में भी, उस आत्मा के दातापन की व वरदातापन की अनुभूति होनी चाहिए, शीतलता व शान्ति की अनुभूति होनी चाहिए जो हर-एक के मन में यह गुणगान हो कि यह कौन-सा फरिश्ता था, जो सम्पर्क में आया। थोड़े समय में भी उस तड़पती हुई और भटकती हुई आत्मा को बहुत काल की प्यास बुझाने का साधन व ठिकाना दिखाई देने लगे। इसको कहा जाता है - पारस के संग लोहा भी पारस हो जाए, अर्थात् रूहानी रॉयल्टी वाले की रूहानी नजर से निहाल हो जाए। ऐसी रॉयल्टी अनुभव करते हो?

 

अब सेवा की गति तीव्र चाहिए। वह तब होगी, जब ऐसी रूहानी रॉयल्टी चेहरे से दिखाई देगी। तब ही सर्व-आत्माओं का उलाहना पूर्ण कर सकेंगे। ऐसी प्योरिटी की पर्सनेलिटी हो कि जो मस्तक द्वारा शुद्ध आत्मा और सतोप्रधान आत्मा दिखाई दे अर्थात् अनुभव कर सके, नयनों द्वारा भाई-भाई की वृत्ति अर्थात् शुद्ध, श्रेष्ठ वृत्ति द्वारा वायुमण्डल व वायब्रेशन परिवर्तित कर सको। जब लौकिक पर्सनेलिटी अपना प्रभाव डाल सकती है तो प्योरिटी की पर्सनेलिटी कितनी प्रभावशाली होगी? शुद्ध स्मृति द्वारा निर्बल आत्माओं को समर्थी स्वरूप बना सकते हो? ऐसी रॉयल्टी और पर्सनेलिटी स्वयं में प्रत्यक्ष रूप में लाओ। तब स्वयं को व बाप को प्रत्यक्ष कर सकेंगे! अब विशेष रहमदिल बनो। स्वयं पर भी और सर्व पर भी रहमदिल! सहज ही सर्व के स्नेही और सहयोगी बन जायेंगे। समझा? ऐसे भाग्य का सितारा चमक रहा है न? ऐसे धरती के सितारों को सब चमकता हुआ देखना चाहते हैं।

 

अच्छा, गोल्डन वर्शन्स द्वारा गोल्डन एज लाने वाले, सर्व के प्रति सदा रहमदिल, सर्वगुणों से सम्पन्न, सर्व प्राप्ति करने वाले, एक आत्मा को भी वंचित नहीं रखने वाले ऐसे सदा दाता, रूहानी रॉयल्टी और पर्सनेलिटी में रहने वाले, सदा चमकते हुए सितारों को बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते!

 

05-09-75   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

फरिश्ता स्वरूप में स्थिति

 

 

 

फर्शवासी मनुष्य से अर्शवासी फरिश्ता बनाने वाले, सदा लाइट रूप, प्रमुख हीरो पार्टधारी, जीरो शिव बाबा ने फरिश्ता बनने के पुरुषार्थी बच्चों के सम्मुख यह मधुर महावाक्य उच्चारे -

 

फरिश्ते स्वरूप की स्थिति में सदा स्थित रहते हो? फरिश्ते स्वरूप की लाइट में अन्य आत्माओं को भी लाइट ही दिखाई देगी। हद के एक्टर्स जब हद के अन्दर अपने एक्ट करते दिखाई देते हैं, तो लाइट के कारण अति सुन्दर स्वरूप दिखाई देते हैं। वही एक्टर, साधारण जीवन में, साधारण लाइट के अन्दर पार्ट बजाते हुए कैसे दिखाई देते हैं? रात-दिन का अन्तर दिखाई देता है ना? लाइट का फोकस उनके फीचर्स को ही परिवर्तित कर देता है। ऐसे ही बेहद ड्रामा के आप हीरो हीरोइन एक्टर्स, अव्यक्त स्थिति की लाइट के अन्दर हर एक्ट करने से क्या दिखाई देंगे? अलौकिक-फरिश्ते! साकारी की बजाय सूक्ष्म वतनवासी नजर आयेंगे। साकारी होते हुए भी आकारी अनुभव होंगे। हर एक्ट हरेक को स्वत:ही आकर्षित करने वाला होगा।

 

जैसे आज हद का सिनेमा व ड्रामा कलियुगी मनुष्यों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है-छोड़ना चाहते हुए और न देखना चाहते हुए भी हद के एक्टर्स की एक्ट अपनी ओर खींच लेती है, लेकिन उसका आधार लाईट है, ऐसे ही इस अन्तिम समय में माया के आकर्षण की अति के बाद अन्त होने पर, बेहद के हीरो एक्टर्स, जो सदा जीरो स्वरूप में स्थित होते हुए जीरो बाप के साथ हर पार्ट बजाने वाले हैं और दिव्य ज्योति स्वरूप वाले जिनकी स्थिति भी लाइट की है और स्टेज पर हर पार्ट भी लाइट में हैं - अर्थात् जो डबल लाइट वाले फरिश्ते हैं - वे हर आत्मा को स्वत:ही अपनी तरफ आकर्षित करेंगे। आजकल की दुनिया में ड्रामा के अतिरिक्त और कौनसी वस्तु है जो ऐसे फरिश्तों के नयनों जैसी आकर्षण करने वाली हैं? टी.वी.। जैसे टी.वी. द्वारा इस संसार की कैसीकैसी सीन-सीनरियाँ देखते हुए कई आकर्षित होते, अर्थात् गिरती कला में जाते हैं - ऐसे ही फरिश्तों के नयन दिव्य दूर-दर्शन का काम करेंगे। हर एक के नयनों द्वारा सिर्फ इस संसार के ही नहीं लेकिन तीनों लोकों के दर्शन करेंगे। ऐसे फरिश्तों के मस्तक में चमकती हुई मणि आत्माओं को सर्च-लाइट व लाइट हाऊस के समान स्वयं का स्वरूप, स्व-मार्ग और श्रेष्ठ मंज़िल का स्पष्ट साक्षात्कार करायेंगी।

 

ऐसे फरिश्तों के युक्ति-युक्त बोल अर्थात् अमूल्य बोल, हर भिखारी आत्मा की रत्नों से झोली भरपूर करेंगे। जो गायन है देवताएं भी भक्तों पर प्रसन्न हो फूलों की वर्षा करते हैं - ऐसे आप श्रेष्ठ आत्माओं द्वारा विश्व की आत्माओं के प्रति सर्व-शक्तियों, सर्वगुणों तथा सर्व वरदानों की पुष्प-वर्षा सर्व के प्रति होगी। तब ही आप सब को देवता अर्थात् देने वाला समझ कर भक्त-गण द्वापर युग से देवताओं का गायन और पूजन करते आ रहे हैं, क्योंकि अन्त समय सर्व आत्माएँ, विशेषकर वे भारतवासी आत्माएँ देवता धर्म की अन्त तक वृद्धि पाने वाली आत्मायें जो सतयुग में आपके देवताई रूप की पालना तो नहीं लेंगी बल्कि बाद में इस धर्म की वृद्धि होने के समय से लेकर अन्त तक के समय में आपका देवता रूप, दाता रूप अथवा वरदाता रूप अनुभव करेंगी। आपके अन्तिम देवता रूप की अनेक प्राप्तियों के संस्कार व स्मृतियाँ सर्व आत्माओं में मर्ज रहती हैं अर्थात् समाई हुई रहती हैं। इस कारण प्रैक्टिकल रूप में सतयुगी सृष्टि में न आते हुए भी द्वापर में सृष्टि-मंच पर आते ही देवता स्वरूप की प्राप्ति की स्मृति इमर्ज हो जाती है और गायन-पूजन करते रहते हैं। समझा, अपने अन्तिम फरिश्ते स्वरूप को?

 

ऐसे बेहद के एक्टर्स स्वत: अपनी तरफ आकर्षित नहीं करेंगे? यह ही डबल लाइट स्थिति और स्टेज आप सबको और बाप को प्रत्यक्ष करेगी। जीरो और हीरो दोनों प्रत्यक्ष होंगे। समझा (लाइट चली गई) फिर बाबा बोले - अभी भी देखो, लाइट से कितना काम होता है। अभी भी आप सबके आकर्षण करने की वस्तु लाइट के आधार पर है। अच्छा।

 

ऐसे सदा जीरो के साथ हीरो पार्ट बजाने वाले, सदा देने वाले देवता स्वरूप, विश्व में स्वयं को और बाप को प्रख्यात करने वाले, विश्व की सर्व आत्माओं की सर्व-मनोकामनायें सम्पन्न करने वाले, ऐसे फरिश्तों को फरिश्तों की दुनिया में रहने वाले और फरिश्तों की दुनिया से पार रहने वाले बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते!

 

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :-बापदादा ने रॉयलिटी वाली आत्मा की क्या क्या निशानियां बताई है ?

 प्रश्न 2 :- बापदादा ने रूहानी रॉयलिटी वाली आत्माओं के बोल के बारे में क्या बताया ?

 प्रश्न 3 :- अंतिम समय में भक्त आत्माओं को फरिश्तों से होने वाले अनुभव प्रति बापदादा ने क्या बताया ?

 प्रश्न 4 :-बापदादा को प्रत्यक्ष करने के लिये बापदादा ने क्या-क्या शिक्षाएं दी ?

 प्रश्न 5 :- साकारी होते हुए भी आकारी अनुभव हो इस के लिये बापदादा ने क्या समझानी दी ?

 

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

{ रॉयलिटी, प्योरिटी, परसेन्ट, पर्सनेलिटी, आधार, स्टेज, प्रत्यक्ष, वस्तु, आकर्षण, परख, लाइट, स्वरूप, आत्माओं }

 1   फरिश्ते की _____ लाइट में अन्य _____ को भी लाइट ही दिखाई देगी।

 2  अभी भी आप सबके _____ करने की _____ लाइट के _____ पर है।

 3  यह ही डबल लाइट स्थिति और _____ आप सबको और बाप को _____ करेगी।

 4  प्योरिटी की _____ व पहचान हरेक की _____ और _____ से हो रही है।

 5  अब अपने को देखो कितने _____ , _____ धारण की हुई है?

 

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 1  :- जीरो और हीरो दोनों अप्रत्यक्ष होंगे।

 2  :- आप ऊंचे-से-ऊंचे, बाप से भी नीची बनने वाली आत्मायें हैं। 

 3  :- अगर धारण करते हैं तो जैसे कहावत है ना कि ‘‘कख का चोर सो लख का चोर’’ - तो यह भी सेकेण्ड-मात्र व संकल्पमात्र धारण करने वाली आत्माएं रॉयल नहीं गायी जायेंगी।

 4  :- वास्तव में तो प्योरिटी ही रॉयल्टी नही है और प्योरिटी ही पर्सनेलिटी नही है।

 5   :- आज ऐसी ऊंची आत्माओं की कमी की दो बातें देख रहे हैं।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- बापदादा ने रॉयलिटी वाली आत्मा की क्या क्या निशानियां बताई है ?

 उत्तर 1 :- बापदादा ने राॅयलिटी वाली आत्मा की निशानियां बताई है कि:-

           रॉयल आत्मा को हद की विनाशी वस्तु व व्यक्ति में कभी आकर्षण नहीं होगा।

          जैसे लौकिक रीति से रॉयल पर्सनेलिटी वाली आत्मा को किन्हीं छोटी-छोटी चीजों में आंख नहीं डूबती है, किसी के द्वारा गिरी हुई कोई भी चीज स्वीकार करने की इच्छा नहीं होती है, उनके नयन सदा सम्पन्न होने के नशे में रहते हैं, अर्थात् नयन नीचे नहीं होते हैं, उनके बोल मधुर और अनमोल अर्थात् गिनती के होते हैं और उनके सम्पर्क में खुमारी अनुभव होती है, ऐसे ही रूहानी रॉयल्टी उससे भी पदम गुणा श्रेष्ठ है।

 

          ऐसी रॉयल्टी में रहने वाली आत्माओं की कभी भी एक-दूसरे के अवगुणों या कमजोरी की तरफ आँख भी नहीं जा सकती।

          ❹ जिसको दूसरा छोड़ रहा है अर्थात् मिटाने के पुरूषार्थ में लगा हुआ है, ऐसी छोड़ने वाली चीज अर्थात् गिरावट में लाने वाली चीज और गिरी हुई चीज, रूहानी रॉयल्टी वाले के संकल्प में भी धारण नहीं हो सकती व दूसरे की वस्तु की तरफ कभी संकल्प रूपी ऑख भी नहीं जा सकती।

 

 प्रश्न 2 :- बापदादा ने रूहानी रॉयलिटी वाली आत्माओं के बोल के बारे में क्या बताया ?

 उत्तर 2 :-बापदादा ने बताया: -

         रॉयल्टी वाली आत्माओं के बोल महावाक्य होते हैं।

         ये वाक्य गोल्डन वर्शन्स होते हैं, जिन्हें सुनने वाले भी गोल्डन एज  के अधिकारी बन जाते हैं।  

         एक-एक बोल रत्न के समान वेल्युएबल होता है वे दु:ख देने वाले, गिराने वाले या पत्थर के समान बोल नहीं होते, साधारण और व्यर्थ भी नहीं होते, समर्थ और स्नेह के बोल होते हैं।

          सारे दिन के उच्चारण किये हुए बोल ऐसे श्रेष्ठ होते हैं कि हिसाब निकालने पर स्मृति में आ सकते हैं कि आज ऐसे और इतने बोल बोले।

 

 प्रश्न 3 :- अंतिम समय में भक्त आत्माओं को फरिश्तों से होने वाले अनुभव प्रति बापदादा ने क्या बताया ?

 उत्तर 3 :- अंतिम समय में भक्त आत्माओं को फरिश्तों से होने वाले अनुभव प्रति बापदादा ने बताया :-

          हर एक के नयनों द्वारा सिर्फ इस संसार के ही नहीं लेकिन तीनों लोकों के दर्शन करेंगे।

          ऐसे फरिश्तों के मस्तक में चमकती हुई मणि आत्माओं को सर्च-लाइट व लाइट हाऊस के समान स्वयं का स्वरूप, स्व-मार्ग और श्रेष्ठ मंज़िल का स्पष्ट साक्षात्कार करायेंगी।

 

          ऐसे फरिश्तों के युक्ति-युक्त बोल अर्थात् अमूल्य बोल, हर भिखारी आत्मा की रत्नों से झोली भरपूर करेंगे। 

          जो गायन है देवताएं भी भक्तों पर प्रसन्न हो फूलों की वर्षा करते हैं - ऐसे आप श्रेष्ठ आत्माओं द्वारा विश्व की आत्माओं के प्रति सर्व-शक्तियों, सर्वगुणों तथा सर्व वरदानों की पुष्प-वर्षा सर्व के प्रति होगी।

           तब ही आप सब को देवता अर्थात् देने वाला समझ कर भक्त-गण द्वापर युग से देवताओं का गायन और पूजन करते आ रहे हैं, क्योंकि अन्त समय सर्व आत्माएँ, विशेषकर वे भारतवासी आत्माएँ देवता धर्म की अन्त तक वृद्धि पाने वाली आत्मायें जो सतयुग में आपके देवताई रूप की पालना तो नहीं लेंगी बल्कि बाद में इस धर्म की वृद्धि होने के समय से लेकर अन्त तक के समय में आपका देवता रूप, दाता रूप अथवा वरदाता रूप अनुभव करेंगी।    

         आपके अन्तिम देवता रूप की अनेक प्राप्तियों के संस्कार व स्मृतियाँ सर्व आत्माओं में मर्ज रहती हैं अर्थात् समाई हुई रहती हैं।

 

 प्रश्न 4 :- बापदादा को प्रत्यक्ष करने के लिये बापदादा ने क्या-क्या शिक्षाएं दी ?

 उत्तर 4 :-  ऐसी रॉयल्टी और पर्सनेलिटी स्वयं में प्रत्यक्ष रूप में लाओ। तब स्वयं को व बाप को प्रत्यक्ष कर सकेंगे! अब विशेष रहमदिल बनो। स्वयं पर भी और सर्व पर भी रहमदिल! सहज ही सर्व के स्नेही और सहयोगी बन जायेंगे।

 

 प्रश्न 5 :- साकारी होते हुए भी आकारी अनुभव हो इस के लिये बापदादा ने क्या समझानी दी ?

 उत्तर 5 :-  हद के एक्टर्स जब हद के अन्दर अपने एक्ट करते दिखाई देते हैं, तो लाइट के कारण अति सुन्दर स्वरूप दिखाई देते हैं। वही एक्टर, साधारण जीवन में, साधारण लाइट के अन्दर पार्ट बजाते हुए कैसे दिखाई देते हैं? रात-दिन का अन्तर दिखाई देता है ना? लाइट का फोकस उनके फीचर्स को ही परिवर्तित कर देता है। ऐसे ही बेहद ड्रामा के आप हीरो हीरोइन एक्टर्स, अव्यक्त स्थिति की लाइट के अन्दर हर एक्ट करने से क्या दिखाई देंगे? अलौकिक-फरिश्ते! साकारी की बजाय सूक्ष्म वतनवासी नजर आयेंगे। साकारी होते हुए भी आकारी अनुभव होंगे। हर एक्ट हरेक को स्वत:ही आकर्षित करने वाला होगा।

 

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

{ रॉयलिटी, प्योरिटी, परसेन्ट, पर्सनेलिटी, आधार, स्टेज, प्रत्यक्ष, वस्तु, आकर्षण, परख, लाइट, स्वरूप, आत्माओं }

 1   फरिश्ते की _____ लाइट में अन्य _____ को भी लाइट ही दिखाई देगी।

    स्वरूप / आत्माओं

 

 2  अभी भी आप सबके _____ करने की _____ लाइट के _____ पर है।

    आकर्षण /  वस्तु /  आधार

 

 3  यह ही डबल लाइट स्थिति और _____ आप सबको और बाप को _____ करेगी।

    स्टेज /  प्रत्यक्ष

 

 4  प्योरिटी की _____ व पहचान हरेक की _____ और _____ से हो रही है।

    परख /  रॉयलिटी /  पर्सनेलिटी

 

 5  अब अपने को देखो कितने _____ , _____ धारण की हुई है?

    परसेंट /  प्योरिटी

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 1  :- जीरो और हीरो दोनों अप्रत्यक्ष होंगे।

  जीरो और हीरो दोनों प्रत्यक्ष होंगे।

 

 2  :- आप ऊंचे-से-ऊंचे, बाप से भी नीची बनने वाली आत्मायें हैं। 

  आप ऊंचे-से-ऊंचे, बाप से भी ऊंची बनने वाली आत्मायें हैं।

 

 3  :- अगर धारण करते हैं तो जैसे कहावत है ना कि ‘‘कख का चोर सो लख का चोर’’ - तो यह भी सेकेण्ड-मात्र व संकल्पमात्र धारण करने वाली आत्माएं रॉयल नहीं गायी जायेंगी।

 

 4  :- वास्तव में तो प्योरिटी ही रॉयल्टी नही है और प्योरिटी ही पर्सनेलिटी नही है।

  वास्तव में तो प्योरिटी ही रॉयल्टी है और प्योरिटी ही पर्सनेलिटी है।

 

 5  :- आज ऐसी ऊंची आत्माओं की कमी की दो बातें देख रहे हैं।

  आज ऐसी ऊंची आत्माओं की विशेष दो बातें देख रहे हैं।