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AVYAKT MURLI

28 / 10 / 75

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28-10-75  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा     मधुबन

 

*सौ ब्राह्मणों से उत्तम कन्या बनने के लिये धारणाये*

 

कुमारियों के साथ उच्चारे हुए अव्यक्त बापदादा के अव्यक्ती बोल  :-

अभी कुमारियों ने जो बाप से पहला वायदा किया हुआ है कि एक बाप, दूसरा न कोई’ - वह निभाती हैं? इसी वायदे को सदा निभाने वाली कुमारी विश्व-कल्याण के अर्थ निमित्त बनती हैं। कुमारियों का पूजन होता है, पूजन का आधार है सम्पूर्ण पवित्र। तो कुमारियों का महत्व पवित्रता के आधार पर है। अगर कुमारी, कुमारी होते हुए भी पवित्र नहीं तो कुमारी जीवन का महत्व नहीं। तो कुमारीपन की जो विशेषता है, उसको सदा साथ-साथ रखना, उसे छोड़ना नहीं। नहीं तो अपनी विशेषता को छोड़ने से वर्तमान जीवन का अति-इन्द्रिय सुख और भविष्य के राज्य का सुख दोनों से वंचित हो जायेंगी। ब्रह्माकुमारी होते हुए भी, सुनेंगी, बोलेंगी कि - अतीन्द्रिय सुख संगम का वर्सा है लेकिन अनुभव नहीं होगा। जब सदा कुमारी जीवन का महत्व स्मृति में रखेंगी तो सफल टीचर व ब्रह्माकुमारी बन सकेंगी। जब ऐसा लक्ष्य है तो कुमारीपन की विशेषता के लक्षण सदा कायम रहे। चाहे माया कितना भी इस विशेषता को हिलाना चाहे तो भी अंगद के समान कायम रहे। कुमारी निर्बन्धन तो हैं लेकिन डर रहता है कि कहीं कुमारी होते माया के वश नहीं हो जायें। अगर इस कारण को कुमारी मिटा देवें तो देखने की ट्रॉयल करने की ज़रूरत नहीं। दूसरे - परिवर्तन करने की शक्ति चाहिए। कोई भी आत्मा हो, कैसी भी परिस्थिति हो लेकिन स्वयं को परिवर्तन करने की शक्ति हो, तब ही सफल टीचर और सेवाधारी बन सकेंगी। सम्पूर्ण पवित्रता और परिवर्तन- शक्ति - इन दोनों विशेषताओं से सेवा, स्नेह और सहयोग में विशेष आत्मा बन सकेंगी। नहीं तो ट्रॉयल की लिस्ट में रहेगी। सरेण्डर की लिस्ट में नहीं आ सकेंगी। इन दोनों विशेषताओं को कायम रखने वाली कुमारी  ही गायन-पूजन योग्य होंगी।अल्पकाल का वैराग्य नहीं, लेकिन सदाकाल का वैराग्य। अर्थात् त्याग और तपस्या’ - तब कहेंगे विशेष कुमारी।अभी तो निमित्त को ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि अभी तक विशेषता दिखाई नहीं है। इसलिये सेवा रोकनी पड़ती है। कोई शिकायत किसी द्वारा न सुनी जाये, तब ही कम्पलीट टीचर अथवा सौ ब्राह्मणों से उत्तम कन्या बन सकती हैं। अच्छा!

 

महावाक्यों का सार

 

1. मेरा तो एक बाप दूसरा न कोई’ - इस वायदे को सदा निभाने वाली कुमारी विश्व-कल्याण के अर्थ निमित्त बनती हैं।

2. अगर कुमारी, कुमारी होते हुए भी पवित्र नहीं तो कुमारी जीवन का महत्व नहीं।

3. सम्पूर्ण पवित्रता और परिवर्तन-शक्ति से सेवा, स्नेह और सहयोग में विशेष आत्मा बन सकते हैं।

4. सदाकाल का वैराग्य, त्याग और तपस्या हो, तब कहेंगे विशेष कुमारी।

 

*जानी-जाननहार की स्टेज से सर्वशक्तिवान् की प्रत्यक्षता*

 

दीदी जी के साथ अव्यक्त बापदादा के उच्चारे हुए मधुर महावाक्य:-

किस विशेष कमज़ोरी को मिटाने के लिये विशेष संगठन चाहिये। महाकाली स्वरूप शक्तियों का संगठन चाहिये जो अपने योग-अग्नि के प्रभाव से इस वातावरण को परिवर्तन करे। अभी तो ड्रामा अनुसार हर एक चलन रूपी दर्पण में अन्तिम रिजल्ट स्पष्ट होने वाली है। आगे चल कर महारथी बच्चे अपने नॉलेज की शक्ति द्वारा हर एक के चेहरे से उन्हों की कर्म-कहानी को स्पष्ट देख सकेंगे। जैसे मलेच्छ भोजन की बदबू समझ में आ जाती है, वैसे मलेच्छ संकल्प रूपी आहार स्वीकार करने वाली आत्माओं की वायब्रेशन से बुद्धि में स्पष्ट टचिंग होगी। इसका यन्त्र है बुद्धि की लाइन क्लियर। जिसका यह यन्त्र पॉवरफुल होगा वह सहज जान सकेंगे। शक्तियों व देवताओं के जड़ चित्रों में भी यह विशेषता है, जो कोई भी पाप-आत्मा अपना पाप उन्हों के आगे जाकर छिपा नहीं सकती। आपेही यह वर्णन करते रहते हैं कि हम ऐसे हैं! यह स्वत: ही वर्णन करते रहते। तो जड़ यादगार में भी अब अन्तकाल तक यह विशेषता दिखाई देती है। चैतन्य रूप में शक्तियों की यह विशेषता प्रसिद्ध हुई है, तब तो यादगार में भी है। यह है मास्टर जानीजाननहार की स्टेज, अर्थात् नॉलेजफुल की स्टेज। यह स्टेज भी प्रैक्टिकल में अनुभव होगी, होती जा रही है और होगी भी। ऐसा संगठन बनाया है? बनना तो है ही। ऐसे शमा-स्वरूप संगठन चाहिए, जिन्हों के हर कदम से बाप की प्रत्यक्षता हो। जो सदा बाप में लवलीन अर्थात् याद में समाये हुए हैं, ऐसी आत्माओं के नैनों में और मुख में अर्थात् मुख के हर बोल में बाप समाया हुआ होने के कारण शक्ति-स्वरूप के बजाय सर्वशक्तिवान् नजर आयेगा। जैसे आदि स्थापना में ब्रह्मा रूप में सदैव श्रीकृष्ण दिखाई देता था, ऐसे शक्तियों द्वारा सर्वशक्तिवान् दिखाई दे। ऐसे अनुभव हो रहा है ना, जो सदा बाप की याद में होंगे और मैंपन की त्याग-वृत्ति में होंगे, उन्हों से ही बाप दिखाई देगा। जैसे स्वयं मैं-पन भूले हुए हैं, वैसे दूसरों को भी उन्हों का वह रूप दिखाई नहीं देगा, लेकिन सर्वशक्तिवान का रूप दिखाई देगा। अच्छा!

 

इस मुरली का सार

 

1. बुद्धि की लाइन क्लियर होने से और अपनी नॉलेज की शक्ति के द्वारा हर एक चेहरे से उन्हों की कर्म-कहानी को जान सकते हैं।

2. जो सदा बाप की याद में होंगे, मैं-पन के त्याग-वृत्ति में होंगे उन्हों से ही सर्वशक्तिवान् बाप दिखाई देगा।

 

 

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QUIZ QUESTIONS

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प्रश्न 1 :-  सफल टीचर व ब्रह्माकुमारी बनने के लिए बापदादा ने  किन किन बातों पर अटैन्शन खिचवाया है?

प्रश्न 2:- निर्बन्धन होते हुए भी कुमारी जीवन में किस बात का डर रहता है?

प्रश्न 3:- विशेष कुमारी बनने के लिए बापदादा ने कौन कौन सी विशेषताए बताई है?

प्रश्न 4 :- बापदादा को अब कौन सा संगठन चाहिए और क्यों?

प्रश्न 5:- शक्तियों व जडचित्रों की विशेषता बताते हुए जानी जाननहार की स्टेज स्पष्ट कीजिए।?

 

 

FILL IN THE BLANKS:-

{ निमित्त, शिकायत, कम्पलीट, संगठन, विशेषता, लक्ष्य, कुमारीपन, अंगद, योग-अग्नि, माया }

1.अभी तो ____ को ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि अभी तक _____ दिखाई नहीं है। इसलिये सेवा रोकनी पड़ती है।

2.कोई _____ किसी द्वारा न सुनी जाये, तब ही____  टीचर अथवा सौ ब्राह्मणों से उत्तम कन्या बन सकती हैं।

3.जब ऐसा _______ है तो ______ की विशेषता के लक्षण सदा कायम रहे।

4.चाहे ____ कितना भी इस विशेषता को हिलाना चाहे तो भी _____ के समान कायम रहे।

5.महाकाली स्वरूप शक्तियों का _____ चाहिये जो अपने ______ के प्रभाव से इस वातावरण को परिवर्तन करे।

 

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

1 :-अभी तो भाग्य अनुसार हर एक चलन रूपी दर्पण में अन्तिम रिजल्ट स्पष्ट होने वाली है।

2:-आगे चल कर पुरूषार्थी बच्चे अपने नॉलेज की शक्ति द्वारा हर एक के चेहरे से उन्हों की कर्म-कहानी को स्पष्ट देख सकेंगे।

3:-जो सदा बाप की याद में होंगे और मैं पन की त्याग-वृत्ति में होंगे, उन्हों से ही बाप दिखाई देगा।

4:-जैसे स्वयं मैं-पन भूले हुए हैं, वैसे दूसरों को भी उन्हों का वह रूप दिखाई नहीं देगा, लेकिन सर्वशक्तिवान का रूप दिखाई देगा।

5:-कोई भी कुमारी हो, कैसी भी परिस्थिति हो लेकिन स्वयं को परिवर्तन करने की शक्ति हो, तब ही सफल टीचर और सेवाधारी बन सकेंगी।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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प्रश्न 1 :- सफल टीचर व ब्रह्माकुमारी बनने के लिए बापदादा ने किन किन बातों पर अटैन्शन खिचवाया है?

उत्तर 1:-सफल टीचर व ब्रह्माकुमारी बनने के लिए बापदादा समझानी देते है :-

❶ ‘एक बाप, दूसरा न कोई’ - इसी वायदे को सदा निभाने वाली कुमारी विश्व-कल्याण के अर्थ निमित्त बनती हैं।

कुमारियों का पूजन होता है, पूजन का आधार है सम्पूर्ण पवित्र।तो कुमारियों का महत्व पवित्रता के आधार पर है।

अगर कुमारी, कुमारी होते हुए भी पवित्र नहीं तो कुमारी जीवन का महत्व नहीं।

तो कुमारीपन की जो विशेषता है, उसको सदा साथ-साथ रखना, उसे छोड़ना नहीं।

नहीं तो अपनी विशेषता को छोड़ने से *वर्तमान जीवन का अति-इन्द्रिय सुख और भविष्य के राज्य का सुख दोनों से वंचित हो जायेंगी।    

ब्रह्माकुमारी होते हुए भी, सुनेंगी, बोलेंगी कि - *अतीन्द्रिय सुख संगम का वर्सा है लेकिन अनुभव नहीं होगा।

जब सदा कुमारी जीवन का महत्व स्मृति में रखेंगी तो सफल टीचर व ब्रह्माकुमारी बन सकेंगी।

 

प्रश्न 2:- निर्बन्धन होते हुए भी कुमारी जीवन में किस बात का डर रहता है?

उत्तर 2:- बापदादा कहते हैं कि :-

कुमारी निर्बन्धन तो हैं लेकिन डर रहता है कि *कहीं कुमारी होते माया के वश नहीं हो जायें।

अगर इस कारण को कोई कुमारी मिटा देवें तो देखने की ट्रॉयल करने की ज़रूरत नहीं।

दूसरे - परिवर्तन करने की शक्ति चाहिए।

 

प्रश्न 3:- विशेष कुमारी बनने के लिए बापदादा ने कौन-कौन सी विशेषताए बताई है?

उत्तर 3 :- विशेष कुमारी बनने के लिए बापदादा समझाते है कि :-

सम्पूर्ण पवित्रता और परिवर्तन- शक्ति - इन दोनों विशेषताओं से सेवा, स्नेह और सहयोग में विशेष आत्मा* बन सकेंगी।

नहीं तो ट्रॉयल की लिस्ट में रहेगी। *सरेण्डर की लिस्ट में नहीं आ सकेंगी।

इन विशेषताओं को कायम रखने वाली कुमारी ही गायन-पूजन योग्य होंगी।

अल्पकाल का वैराग्य नहीं, लेकिन सदाकाल का वैराग्य। अर्थात् त्याग और तपस्या’ - तब कहेंगे विशेष कुमारी।

 

प्रश्न 4:- बापदादा को अब कौन सा संगठन चाहिए और क्यों  ?

उत्तर 4 :-बापदादा कहते :-       

अब ऐसे शमा-स्वरूप संगठन चाहिए, जिन्हों के हर कदम से बाप की प्रत्यक्षता हो*।

जो सदा बाप में लवलीन अर्थात् याद में समाये हुए हैं,

ऐसी आत्माओं के नैनों में और मुख में अर्थात् मुख के हर बोल में बाप समाया हुआ होने के कारण  शक्ति-स्वरूप के बजाय सर्वशक्तिवान् नजर आयेगा।

जैसे आदि स्थापना में ब्रह्मा रूप में सदैव श्रीकृष्ण दिखाई देता था, ऐसे शक्तियों द्वारा सर्वशक्तिवान् दिखाई दे।

जो सदा बाप की याद में होंगे और मैं पन की त्याग-वृत्ति में होंगे, उन्हों से ही बाप दिखाई देगा।

जैसे स्वयं मैं-पन भूले हुए हैं, वैसे दूसरों को भी उन्हों का वह रूप दिखाई नहीं देगा, लेकिन सर्व शक्तिवान का रूप दिखाई देगा।

 

प्रश्न 5:- शक्तियों व जडचित्रों की विशेषता बताते हुए जानी जाननहार की स्टेज स्पष्ट कीजिए।

उत्तर 5:- बापदादा ने कहा कि :-

शक्तियों व देवताओं के जड़ चित्रों में भी यह विशेषता है, जो कोई भी पाप-आत्मा अपना पाप उन्हों के आगे जाकर छिपा नहीं सकती।

आपे ही यह वर्णन करते रहते हैं कि हम ऐसे हैं*!स्वत: ही वर्णन करते रहते। तो *जड़ यादगार में भी अब अन्तकाल तक यह विशेषता दिखाई देती है।

चैतन्य रूप में शक्तियों की यह विशेषता प्रसिद्ध हुई है, तब तो यादगार में भी है।

यह है मास्टर जानीजाननहार की स्टेज, अर्थात् नॉलेजफुल की स्टेज।   

 

 

FILL IN THE BLANKS:-

{ निमित्त, शिकायत, कम्पलीट, संगठन, विशेषता, लक्ष्य, कुमारीपन, ‘अंगद’, योग-अग्नि, माया }

1.अभी तो____  को ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि अभी तक_____  दिखाई नहीं है। इसलिये सेवा रोकनी पड़ती है।

निमित्त / विशेषता

 

2.कोई____  किसी द्वारा न सुनी जाये, तब ही_____  टीचर अथवा सौ ब्राह्मणों से उत्तम कन्या बन सकती हैं।

शिकायत / कम्पलीट

3.जब ऐसा____  है तो______  की विशेषता के लक्षण सदा कायम रहे।

लक्ष्य / कुमारीपन 

 

4.चाहे ___ कितना भी इस विशेषता को हिलाना चाहे तो भी_____  के समान कायम रहे।

माया /अंगद

 

5.महाकाली स्वरूप शक्तियों का____  चाहिये जो अपने  ______के प्रभाव से इस वातावरण को परिवर्तन करे।

संगठन / योग-अग्नि

 

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:- 【✖】 【✔】

1:-अभी तो भाग्य अनुसार हर एक चलन रूपी दर्पण में अन्तिम रिजल्ट स्पष्ट होने वाली है।

अभी तो ड्रामा अनुसार हर एक चलन रूपी दर्पण में अन्तिम रिजल्ट स्पष्ट होने वाली है।

 

2:-आगे चल कर पुरूषार्थी बच्चे अपने नॉलेज की शक्ति द्वारा हर एक के चेहरे से उन्हों की कर्म-कहानी को स्पष्ट देख सकेंगे।

आगे चल कर महारथी बच्चे अपने नॉलेज की शक्ति द्वारा हर एक के चेहरे से उन्हों की कर्म-कहानी को स्पष्ट देख सकेंगे।

 

3:-जो सदा बाप की याद में होंगे और मैं पन की त्याग-वृत्ति में होंगे, उन्हों से ही बाप दिखाई देगा।

4:-जैसे स्वयं मैं-पन भूले हुए हैं, वैसे दूसरों को भी उन्हों का वह रूप दिखाई नहीं देगा, लेकिन सर्वशक्तिवान का रूप दिखाई देगा। 【✔】

 

5:-कोई भी कुमारी हो, कैसी भी परिस्थिति हो लेकिन स्वयं को परिवर्तन करने की शक्ति हो, तब ही सफल टीचर और सेवाधारी बन सकेंगी।

 

   कोई भी आत्मा हो, कैसी भी परिस्थिति हो लेकिन स्वयं को परिवर्तन करने की शक्ति हो, तब ही सफल टीचर और सेवाधारी बन सकेंगी।