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AVYAKT MURLI

05 / 01 / 77

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05-01-77   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

त्यागी और तपस्वी बच्चे सदा पास हैं

ज्ञानसूर्य शिवबाबा नैन मुलाकात करते हुए अपने नूरे रत्नों से बोले :-

आज नैनों में समाये हुए बच्चों से नैन मिलन कर रहे हैं, ऐसे बच्चों की दृष्टि में बाप-दादा और ब्राह्मण ही हैं और ये ही उनकी सृष्टि है। वे और कुछ भी देखते हुए देखते नहीं हैं क्योंकि बाप के लव (Love) में सदा लवलीन रहते हैं। सदा बाप के गुणों अर्थात् ज्ञान, सुख, आनन्द के सागर में समाए हुए रहते हैं ऐसे बच्चों को बापदादा भी देख-देख हर्षित होते हैं। चाहे शरीर से कितना भी दूर हो, लेकिन ऐसे बच्चों का बाप के पास समीप से समीप स्थान सदा के लिए फिक्स (Fix) है। वह कौन-सा स्थान है, जानते हो?

जो अति प्रिय वस्तु होती है, वह समीप स्थान पर होती है। वह स्थान है - एक नैन और दूसरा दिल। तो दिल में समाने वाले श्रेष्ठ हैं या नैनों में समाने वाले श्रेष्ठ हैं? दोनों में नम्बर वन (Number One) कौन? दोनों का महत्व एक है या अलग- अलग? जो समझते हैं दोनों का महत्व एक है अथवा जो दिल में होते सो नैनों में होते हैं, वे हाथ उठाओ। जो समझते हैं कि दोनों का महत्व अलग-अलग है, नैनों में समाने वाले अलग, दिल में समाने वाले अलग वे हाथ उठाओ। एक होते हुए भी अलग- अलग महत्व है इसलिए दोनों ही ठीक हैं। जब इतने त्यागी और तपस्वी बच्चे अपने अनेक धर्मों और अपनी देह के धर्म के कर्म में हरेक रस्म का त्याग कर बाप-दादा की याद की तपस्या में लगे हुए हैं, ऐसे त्यागी और तपस्वी बच्चों को फैल (Fail) कैसे कर सकते हैं, इसलिए सदा पास हैं।

विदेशी सभी Short (थोड़े में) में पढ़ते हैं; क्योंकि बिज़ी रहते हैं। बाप-दादा ने एक ही शब्द याद दिलाया है, वो कौन-सा शब्द? एक ही शब्द है पास (Pass) होना है, पास (Near) रहना है, और जो कुछ बीत जाता है वह पास हो गया - एक शब्द के तीन अर्थ हैं। ये ही Short Cut (छोटा रास्ता) हो जाएगा; और पास विद् ऑनर (Pass With Honour) (सम्मान पूर्वक सफलता पाना) होना है।

लेकिन इस अर्थ में स्थित होने के लिए सदैव बाप समान समाने की शक्ति और बाप समान बनाने की शक्ति, दोनों भरने की आवश्यकता है। क्योंकि बाप समान बनने के लिए जब सेवा की स्टेज पर आते हो तो अनेक प्रकार की बातें सामने आती हैं। उन बातों को समाने की शक्ति के आधार से मास्टर सागर बन जाते हो और औरों को भी बाप समान बना सकते हो। समाना अर्थात् संकल्प रूप में भी किसी की व्यक्त बातों और भाव का आंशिक रूप समाया हुआ न हो। अकल्याणकारी बोल कल्याण की भावना में ऐसे बदल जाए जैसे अकल्याण का बोल था ही नहीं, ऐसी स्टेज को विश्व-कल्याणकारी स्टेज कहा जाता है। किसी का भी कोई अवगुण देखते हुए एक सेकेण्ड में उस अवगुण को गुण में बदल दें। नुकसान को फायदे में बदल दें। निन्दा को स्तुति में बदल दें, ऐसी दृष्टि और स्मृति में रहने वाला ही विश्व-कल्याणकारी कहा जाता है। विश्व-कल्याणकारी ही नहीं, लेकिन स्वयं-कल्याणकारी भी बनें। ऐसी स्टेज बाप-समान कही जाती है।

अच्छा, विदेशी सो स्वदेशी; बाप-दादा तो स्वदेशी देख रहे हैं, न कि विदेशी। स्वदेशी बच्चों की स्नेह की यादगार प्रत्यक्ष फल विशेष बाप-दादा का मिलना है। विदेशी सो स्वदेशी बच्चों की अमृतवेले की रूह-रूहान बहुत रमणीक होती है। उस समय विशेष दो रूप होते हैं - एक अधिकार रूप से मिलते और बातचीत करते हैं; और दूसरे उल्हनों के और तड़पती हुई आत्माओं के रूप में बात करते हैं। बाप-दादा को सुनकर के मज़ा आता है। लेकिन एक विशेषता मैजारिटी (अधिकतर) आत्माओं की देखी कि विदेशी सो स्वदेशी आत्माएं थोड़े में राज़ी होने वाले नहीं हैं। मैजारिटी विशेष दाव लगाते हैं। राम-सीता भी बनने वाले नहीं, लक्ष्मी-नारायण बनना चाहते हैं। इसलिए श्रेष्ठ लक्ष्य रखने के कारण बच्चों को बाप-दादा भी मुबारक देते हैं। आपको सदा इसी श्रेष्ठ लक्ष्य और लक्षण में रहना है। बाप-दादा के आगे दूर नहीं हो। जो तख्त-नशीन हैं, वह सदैव समीप हैं, आज सर्व विचारशील बच्चों को एक ही संकल्प है मिलन का। ऐसे ही सोते हुए भी याद में रहना है। बाप-दादा भी चारों ओर के विदेशी बच्चों को सम्मुख देखते हुए याद दे रहे हैं।

श्रेष्ठ लक्ष्य रखने वाले, खुशी-खुशी से बाप से सौदा करने वाले, बाप और सेवा में सदा मगन रहने वाले, लास्ट सो फास्ट, स्नेही-सहयोगी आत्माओं को, बाप को भी आप समान व्यक्त रूप बनाने वाले, कल्प पहले वाले, चमकते हुए सितारों प्रति बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।

 

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- नयनों में समाये हुए बच्चों से नैन मिलन कर रहे बापदादा ने ऐसे बच्चों की महिमा किस प्रकार से की है?

 प्रश्न 2 :- बाप-दादा ने एक ही शब्द याद दिलाया है, वह कौन-सा शब्द है?

 प्रश्न 3 :- पास' शब्द के अर्थ में स्थित होने अथवा बाप-समान स्टेज के लिए कौन-सी दो शक्तियों की आवश्यकता है?

 प्रश्न 4 :- समाने की शक्ति की यथार्थ निशानी क्या होगी?

 प्रश्न 5 :- बापदादा ने विदेशी सो स्वदेशी बच्चों की कौन-सी विशेषतायें गिनायी हैं?

 

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

{ विचारशील, विदेशी, समीप, तपस्वी, त्यागी, संकल्प, सम्मुख, नैन, रस्म, फेल, याद, याद, दिल, तपस्या, पास }

 1   ऐसे _____ और तपस्वी बच्चों को _____   कैसे कर सकते हैं, इसलिए सदा ______ हैं।

   

 2  इतने त्यागी और _____ बच्चे अपने अनेक धर्मों और अपनी देह के धर्म के कर्म में हरेक _____ का त्याग कर बाप-दादा की याद की _____ में लगे हुए हैं।

 3   जो अति प्रिय वस्तु होती है, वह _____ स्थान पर होती है। वह स्थान हैएक _____ और दूसरा _____

 4  बापदादा भी चारों ओर के _____ बच्चों को _____ देखते हुए _____ दे रहे हैं।

 5  सर्व _____ बच्चों को एक ही _____ है मिलन का। ऐसे ही सोते हुए भी _____ में रहना है।

 

 

सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-

 1  :- विदेशी सभी डिटेल में पढ़ते हैं; क्योंकि बिज़ी रहते हैं।

 2  :- दिल में समाने वाले श्रेष्ठ हैं या नैनों में समाने वाले श्रेष्ठ हैं? .एक होते हुए भी अलग-अलग महत्व है, इसलिए दोनों ही गलत हैं।

 3  :- जो तख्त-नशीन हैं, वह सदैव समीप हैं।

 4  :- जो अति प्रिय वस्तु होती है, वह समीप स्थान पर होती है। वह स्थान हैएक नैन और दूसरा दिल।

 5   :- अपने अनेक धर्मों और अपनी देह के धर्म के कर्म में हरेक रस्म का त्याग कर बाप-दादा की याद की तपस्या में लगे हुए ऐसे त्यागी और तपस्वी बच्चों को (बाप) पास कैसे कर सकते हैं!

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- नयनों में समाये हुए बच्चों से नैन मिलन कर रहे बापदादा ने ऐसे बच्चों की महिमा किस प्रकार से की है?

 उत्तर 1 :-बापदादा ने कहा कि जो अति प्रिय वस्तु होती है, वह समीप स्थान पर होती है। इसी रीति नयनों में समाये हुए ऐसे बच्चों की निम्नलिखित विशेषताएँ होंगी:

          ऐसे बच्चों की दृष्टि में बाप-दादा और ब्राह्मण ही हैं और ये ही उनकी सृष्टि है।

          वे और कुछ भी देखते हुए देखते नहीं हैं।

          वे बाप के लव (Love) में सदा लवलीन रहते हैं।

          सदा बाप के गुणों अर्थात् ज्ञान, सुख, आनन्द के सागर में समाए हुए रहते हैं।

          ऐसे बच्चों का बाप के पास समीप से समीप स्थान सदा के लिए फिक्स है, चाहे वे शरीर से कितना भी दूर हों।

   

 प्रश्न 2 :- बाप-दादा ने एक ही शब्द याद दिलाया है, वह कौन-सा शब्द है?

 उत्तर 2 :-बाप-दादा ने एक ही शब्द याद दिलाया है, वह एक शब्द हैपास।

          पास (Pass) होना है।

          पास (Near) रहना है।

          और जो कुछ बीत जाता है, वह पास (Pass/past) हो गया।

         

     एक शब्द के तीन अर्थ हैं। ये ही (पढ़ाई में) Short Cut (छोटा रास्ता) हो जाएगा; और पास विद् ऑनर (Pass With Honour) (सम्मान पूर्वक सफलता पाना) होना है।

 

 प्रश्न 3 :- 'पास' शब्द के अर्थ में स्थित होने अथवा बाप-समान स्टेज के लिए कौन-सी दो शक्तियों की आवश्यकता है?

 उत्तर 3 :-'पास' शब्द के अर्थ में स्थित होने अथवा बाप-समान स्टेज के लिए सदैव बाप-समान समाने की शक्ति और बाप-समान बनाने की शक्तिदोनों भरने की आवश्यकता है।

      बाबा ने समझाया कि बाप समान बनने के लिए जब सेवा की स्टेज पर आते हो, तो अनेक प्रकार की बातें सामने आती हैं। उन बातों को समाने की शक्ति के आधार से मास्टर सागर बन जाते हो और औरों को भी बाप समान बना सकते हो।

 

 प्रश्न 4 :- समाने की शक्ति की यथार्थ निशानी क्या होगी?

 उत्तर 4 :-बाबा ने समझाया कि समाने की शक्ति के आधार से ही बाप-समान स्टेज कही जाती है। ऐसी स्टेज को विश्व-कल्याणकारी स्टेज कहा जाता है। ऐसी दृष्टि और स्मृति में रहने वाला ही विश्व-कल्याणकारी कहा जाता है।

       

      समाना अर्थात्:

          संकल्प रूप में भी किसी की व्यक्त बातों और भाव का आंशिक रूप समाया हुआ न हो।

          अकल्याणकारी बोल कल्याण की भावना में ऐसे बदल जाए, जैसे अकल्याण का बोल था ही नहीं।

          किसी का भी कोई अवगुण देखते हुए एक सेकेण्ड में उस अवगुण को गुण में बदल दें। नुकसान को फायदे में बदल दें। निन्दा को स्तुति में बदल दें।

          विश्व-कल्याणकारी ही नहीं, लेकिन स्वयं-कल्याणकारी भी बनें।

 

 प्रश्न 5 :- बापदादा ने विदेशी सो स्वदेशी बच्चों की कौन-सी विशेषतायें गिनायी हैं?

 उत्तर 5 :-बापदादा ने कहा किविदेशी सो स्वदेशी; बाप-दादा तो स्वदेशी देख रहे हैं, न कि विदेशी। तो ऐसे डबल विदेशी सो स्वदेशी बच्चों की निम्नलिखित विशेषतायें हैं:

          स्नेह का यादगार 'प्रत्यक्ष फल' विशेष बापदादा का मिलना है।

          विदेशी सो स्वदेशी बच्चों की अमृतवेले की रूह-रूहान बहुत रमणीक होती है। उस समय विशेष दो रूप होते हैंएक अधिकार रूप से मिलते और बातचीत करते हैं; और दूसरे उल्हनों के और तड़पती हुई आत्माओं के रूप में बात करते हैं। बाप-दादा को सुनकर के मज़ा आता है।

          मैजारिटी (अधिकतर) विदेशी सो स्वदेशी आत्माएं थोड़े में राज़ी होने वाले नहीं हैं। मैजारिटी विशेष दाव लगाते हैं। राम-सीता भी बनने वाले नहीं, लक्ष्मी-नारायण बनना चाहते हैं।

          श्रेष्ठ लक्ष्य रखने के कारण बच्चों को बाप-दादा भी मुबारक देते हैं। आपको सदा इसी श्रेष्ठ लक्ष्य और लक्षण में रहना है।

          ऐसी आत्मायें बाप-दादा के आगे दूर नहीं हैं।

          डबल विदेशी सो स्वदेशी सभी Short (थोड़े में) में पढ़ते हैं; क्योंकि बिज़ी रहते हैं; लेकिन सदा पास हैं।

        

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

{ विचारशील, विदेशी, समीप, तपस्वी, त्यागी, संकल्प, सम्मुख, नैन, रस्म, फेल, याद, याद, दिल, तपस्या, पास }

 1   ऐसे _____ और तपस्वी बच्चों को _____   कैसे कर सकते हैं, इसलिए सदा ______ हैं।

    त्यागी / फेल / पास

 

 2  इतने त्यागी और _____ बच्चे अपने अनेक धर्मों और अपनी देह के धर्म के कर्म में हरेक _____ का त्याग कर बाप-दादा की याद की _____ में लगे हुए हैं।

    तपस्वी / रस्म / तपस्या

 

 3   जो अति प्रिय वस्तु होती है, वह _____ स्थान पर होती है। वह स्थान हैएक _____ और दूसरा _____

    समीप / नैन / दिल

 

 4  बापदादा भी चारों ओर के _____ बच्चों को _____ देखते हुए _____ दे रहे हैं।

    विदेशी / सम्मुख / याद

 

 5  सर्व _____ बच्चों को एक ही _____ है मिलन का। ऐसे ही सोते हुए भी _____ में रहना है।

    विचारशील / संकल्प / याद

 

 

सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-】【

 1  :- विदेशी सभी डिटेल में पढ़ते हैं; क्योंकि बिज़ी रहते हैं।

  विदेशी सभी शार्ट में पढ़ते हैं; क्योंकि बिज़ी रहते हैं। 

 

 2  :- दिल में समाने वाले श्रेष्ठ हैं या नैनों में समाने वाले श्रेष्ठ हैं? .एक होते हुए भी अलग-अलग महत्व है, इसलिए दोनों ही गलत हैं।

  दिल में समाने वाले श्रेष्ठ हैं या नैनों में समाने वाले श्रेष्ठ हैं? .एक होते हुए भी अलग-अलग महत्व है, इसलिए दोनों ही ठीक हैं।

 3  :- जो तख्त-नशीन हैं, वह सदैव समीप हैं।

 4  :- जो अति प्रिय वस्तु होती है, वह समीप स्थान पर होती है। वह स्थान हैएक नैन और दूसरा दिल।

 

 5   :- अपने अनेक धर्मों और अपनी देह के धर्म के कर्म में हरेक रस्म का त्याग कर बाप-दादा की याद की तपस्या में लगे हुए ऐसे त्यागी और तपस्वी बच्चों को (बाप) पास कैसे कर सकते हैं!

  अपने अनेक धर्मों और अपनी देह के धर्म के कर्म में हरेक रस्म का त्याग कर बाप-दादा की याद की तपस्या में लगे हुए ऐसे त्यागी और तपस्वी बच्चों को (बाप) फेल कैसे कर सकते हैं!