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AVYAKT MURLI

10 / 01 / 77

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10-01-77   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

जैसा लक्ष्य वैसा लक्षण

 

सदा बर्थ-राईट (Birth-Right) के नशे में रहने वाले, ईश्वरीय नशे में मस्त रहने वाले, लक्ष्य और लक्षण समान करने वाले, सर्व को सर्व उलझनों से निकालने वाले बच्चों प्रति बाप-दादा बोले :-

आज बाप-दादा हर बच्चे के मस्तक और नैनों द्वारा एक विशेष बात देख रहे हैं। अब तक लक्ष्य और लक्षण कितना समीप हैं। लक्ष्य के प्रभाण लक्षण प्रैक्टीकल रूप में कहाँ तक दिखाई देते हैं? लक्ष्य सब का बहुत ऊँचा है लेकिन लक्षण धारण करने में तीन प्रकार के पुरुषार्थी हैं। वह कौन-से हैं?

(1) एक हैं - जिन्हें सुन कर अच्छा लगता है, करना चाहिए, लेकिन सुनना आता है पर करना नहीं आता है।

(2) दूसरे हैं - जो सोचते हैं, समझते भी हैं, करते भी हैं। लेकिन शक्ति-स्वरूप न होने के कारण डबल पार्ट बजाते हैं। अभी-अभी ब्राह्मण, तीव्र पुरुषार्थी अभी-अभी हिम्मतहीन। कारण? पांच विकार और प्रकृति के तत्व, दोनों में से किसी न किसी के वशीभूत हो जाते हैं। इसलिए लक्ष्य और लक्षण में अन्तर पड़ जाता है। इच्छा है लेकिन इच्छा मात्रम् अविद्या बनने की शक्ति नहीं, इस कारण अपने लक्ष्य की इच्छा तक पहुँच नहीं पाते हैं।

(3) तीसरे हैं - जो सुनना, सोचना और करना, तीनों को समान करते हुए चलते हैं। ऐसी आत्माओं का लक्ष्य और लक्षण 99% समान दिखाई पड़ता है। ऐसे तीन प्रकार के पुरुषार्थी देख रहे हैं।

वर्तमान समय हरेक ब्राह्मण आत्मा के संकल्प और बोल को लक्ष्य की कसौटी पर चैक करना चाहिए: लक्ष्य के प्रमाण संकल्प और बोल हैं? लक्ष्य है - फरिश्ता सो देवता। जैसे लौकिक परिवार और आक्यूपेशन (Occupation) के प्रमाण अपना संकल्प, बोल और कर्म चैक (Check) करते हैं वैसे ब्राह्मण आत्माएं अपने ऊँच से ऊँच परिवार और आक्यूपेशन को सामने रखते हुए चलते हैं? वर्तमान मरजीवा ब्राह्मण जन्म नैचुरल (Natural) स्मृति में रहता है वा पास्ट शुद्रपन के लक्षण नैचुरल रूप में पार्ट में आ जाते हैं? जैसा जन्म होता है वैसे कर्म होते हैं। श्रेष्ठ जन्म के कर्म भी स्वत: ही श्रेष्ठ होने चाहिए। अगर मेहनत लगती है तो ब्राह्मण जन्म की स्मृति कम है। वास्तव में श्रेष्ठ कर्म व श्रेष्ठ लक्ष्य श्रेष्ठ जन्म का बर्थ-राईट (Birth Right) जन्मसिद्ध अधिकार है। जैसे लौकिक जन्म में स्थूल सम्पत्ति बर्थ-राईट होती है। वैसे ब्राह्मण जन्म का दिव्य गुण रूपी सम्पत्ति, ईश्वरीय सुख शक्ति बर्थ-राईट है। बर्थ-राईट का नशा नैचुरल रूप में रहता ही है, मेहनत करने की आवश्यकता ही नहीं। अगर मेहनत करनी पड़ती है तो अवश्य सम्बन्ध और कनेक्शन में कोई कमी है। अपने आप से पूछो बर्थ-राईट का नशा रहता है? इस नशे में रहने से ही लक्ष्य और लक्षण समान हो जायेगा, इसके लिए सहज युक्ति जिससे मेहनत से मुक्ति मिल जाये वो कौन-सी है? स्वयं को जो हूँ, जेसा हूँ, जिस श्रेष्ठ बाप और परिवार का हूँ वैसा जानते हो; लेकिन हर समय मानते नहीं हो। अपनी तकदीर की तस्वीर नहीं देखते हो। अगर सदैव अपनी तकदीर की तस्वीर को देखते रहो तो जैसा साकार शरीर को देखते हुए नैचुरल देह की स्मृति-स्वरूप रहते हो वेसे ही नैचुरल तकदीर की तस्वीर के स्मृति में रहेंगे। चलते फिरते वाह बाबा! और वाह मेरी तकदीर की तस्वीर! यह अजपाजाप अर्थात् मन से यह आवाज़ निकलती रहे। जो भक्त लोग अनहद आवाज़ सुनने का प्रयत्न करते हैं, यह आप की ही स्थिति का गायन भक्ति में चलता रहता है। अपने कल्प पहले की खुशी में सदा नाचने का चित्र जिसको रास-लीला का चित्र कहते हैं - हर गोपी वा गोप सदा गोपीवल्लभ के साथ रास करते हुए दिखाते हैं, यह खुशी में नाचने का यादगार चित्र है। आप के प्रैक्टीकल चरित्र का चित्र बना है। ऐसा प्रैक्टीकल चरित्रवान चित्र सदा देखने में आता है? ऐसे अनुभव करते हो कि यह मेरा ही चित्र है? इसको कहा जाता है तकदीर की तस्वीर। रोज़ अपनी तकदीर की तस्वीर को देखते हुए हर कर्म करेंगे तो मेहनत से मुक्त हो बर्थ-राईट की खुशी का अनुभव करेंगे।

अब मेहनत करने का समय नहीं रहा, अब तो यह स्मृति-स्वरूप बनो - जो जानना था वह जान लिया, पाना था सो पा लिया ऐसा अनुभव करते हो? बाप-दादा तो हर एक के तकदीर की तस्वीर देख हर्षित होते हैं। ऐसे ही तत् त्वम्। बाप-दादा को विशेष आश्चर्य एक बात का लगता है - मास्टर सर्वशक्तिवान श्रेष्ठ तकदीरवान छोटी-छोटी उलझनों में कैसे उलझ जाते हैं जैसे कि शेर चींटी से घबरा जाता है। अगर शेर कहे ‘‘मैं चीटीं को कैसे मारूं, क्या करूँ’’ तो क्या सोचेंगे? सम्भव बात लगेगी या असम्भव लगेगी? ऐसे मास्टर सर्व शक्तिवान ज़रा-सी उलझन में उलझ जाएं तो क्या बाप को सम्भव बात लगेगी या आश्चर्य की बात लगेगी? इसलिए अब छोटी-छोटी उलझनों से घबराने का समय नहीं है, अब तो सर्व उलझी हुई आत्माओं को निकालने का समय है। समझा ये बचपन की बातें हैं। मास्टर रचयिता के लिए यह बचपन की बातें शोभती नहीं इस लिए कहा है कि सदैव उमंग, उल्लास की रास में नाचते रहो। सदा वाह मेरा भाग्य! और वाह भाग्य विधाता!! इस सूक्ष्म मन की आवाज़ को सुनते रहो। नाचने के साथ जेसे साज चाहिए ना, तो यह अनादि मन का आवाज़ सुनते रहो और खुशी में नाचते रहो।

ऐसे सदा बर्थ-राईट के नशे में रहने वाले, ईश्वरीय मस्ती में सदा रहने वाले, मेहनत से मुक्त होने वाले, लक्ष्य और लक्षण समान करने वाले, सर्व उलझनों से निकालने वाले,ऐसे श्रेष्ठ तकदीर वाले, पद्मापद्म भाग्यशाली बच्चों को यादप्यार और नमस्ते।

29-01-77   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

मधुबन की महिमा

 

नॉलेजफुल, निराकारी, निर्विकारी बाबा मधुबन निवासी बच्चों से बोले :-

सभी सदा खुश हो ना? जो तीनों कालों के राज़ को जान गए तो राज़ी हो गए हो ना? कभी भी कोई नाराज़ होता है अर्थात् ड्रामा के राज़ को भूल जाता है। जो सदा ड्रामा के राज़ को और तीनों कालों को जानता है तो वह राज़ी रहेगा ना। नाराज़ होने का कारण राज़ को नहीं जानना है। तीनों कालों के ज्ञाता बनने वाले को त्रिकालदर्शी कहा जाता है। वह सदा राज़ी और खुश रहता है। मधुबन निवासी अर्थात् सदा खुश और राज़ी रहने वाले। दूसरे से नाराज़ होना अर्थात् अपने को राज़ जानने की स्टेज से नीचे ले आना। तख्त छोड़ कर नीचे आते हो तब नाराज़ होते हो। त्रिकालदर्शी अर्थात् नॉलेजफुल (Knowledgeful) नॉलेजफुल की स्टेज एक तख्त है, ऊँचाई है। जब इस तख्त को छोड़कर नीचे आते हो तब नाराज़ होते हो। जैसा स्थान वैसी स्थिति होनी चाहिए। मधुबन को स्वर्ग भूमि कहते हो ना! यह तो मानते हो मधुबन स्वर्ग का माडल (Model) है तो स्वर्ग में माया आती है क्या? इसकी भी अविद्या होनी चाहिए कि माया क्या है। स्वर्ग में माया का ज्ञान नहीं होता है। इस भूमि को साधारण समझने के कारण माया आती है। मधुबन वरदान भूमि को साधारण स्थान नहीं समझो। मधुबन की स्मृति भी समर्थी दिलाती है। मधुबन में रहने वाले फरिश्ते होने चाहिए। मधुबन की महिमा अर्थात् मधुबन निवासियों की महिमा। मधुबन की दीवारों की महिमा तो नहीं है ना! मधुबन निवासियों को सारी दुनिया किस नज़र से देखती है; विश्व अब तक भी याद के रूप में कितनी ऊँची नज़र से देखती, भक्त भी मधुबन निवासियों के गुणगान करते हैं। ब्राह्मण परिवार भी ऊँची नज़र से देखता है। अगर आपकी भी इतनी ऊँची नज़र हो तो फरिश्ता तो हो ही गए ना?

मधुबन निवासी यज्ञ निवासी भी कहे जाते हैं। यज्ञ में रहने वालों को अपनी आहुति डालनी है। तब फिर दूसरे फालो (Follow) करेंगे। यादगार के यज्ञ में भी आहुति सफल तब होती हैं, जब मन्त्र जपते हैं। यहाँ भी सदा मन्मनाभव मन्त्र स्मृति में रहे तब आहुति सफल होती है। मधुबन निवासी तो निरन्तर मन्त्र में स्थित होने वाले हैं। सिर्फ बोलने वाले नहीं, लेकिन मन्त्रस्वरूप हो। अभी तो बाप ने रियलाईजेशन कोर्स (REALIZATION Course;अनुभूति करना) दिया है तो अपने को रियलाईजेशन कर चेंज किया? सभी ठीक हैं? कोई ठीक कहता है तो बाप-दादा तो कहते हैं - मुख में गुलाब। कहने से भी ठीक हो ही जायेगा। कमी को बार-बार सोचने से कमी रह जाती है। कमी को देखते खत्म करते जाओ। चैक करने के साथ-साथ चेंज भी करो। कोई कमाल करके दिखाना है ना? इतने समय में जितना भी साथ मिला, कमाल की। कोई ऐसा काम जो कमाल का गाया जाए, या करते हुए भी भूल जाते हो? अपने को सदा गुणमूर्त्त देखते ऊँची स्टेज पर स्थित रहते रहो। नीचे नहीं आओ। सुनाया था ना कि जो रॉयल फैमली (ROYAL Family;उच्च परिवार) के बच्चे होते हैं वह कब धरती पर, मिट्टी पर पांव नहीं रखेंगे। यहाँ देह-भान मिट्टी है, इसमें नीचे नहीं आओ। इस मिट्टी से सदा दूर रहो। संकल्प से भी देहाभिमान में आए अर्थात् मिट्टी में पांव रखा। वाचा, कर्मणा में आना अर्थात् मिट्टी खा ली। रॉयल फैमली के बच्चे कभी मिट्टी नहीं खाते। सदा स्मृति में रहो कि ऊँचे से ऊँचे बाप के ऊँची स्टेज वाले बच्चे हैं तो नीचे नज़र नहीं आएगी। पुरानापन तो स्वप्न से भी खत्म कर देना है। जो योगी तू आत्मा, ज्ञानी तू आत्मा होगा उनका स्वप्न भी नई दुनिया, नई जीवन का होगा। जब स्वप्न ही बदल गया तो संकल्प की बात ही नहीं। मधुबन निवासियों के स्वप्न भी श्रेष्ठ। बाप-दादा भी उसी नज़र से देखते हैं। मधुबन निवासी नाम की महिमा है जो अन्त समय तक भी, नामधारी (वृन्दावन, मधुबन) सिर्फ नामपर अपना शरीर निर्वाह करते रहते हैं। नाम की इतनी महिमा है, तो मधुबन निवासियों का नाम ही महान है। जब नाम की इतनी महिमा है तो स्वयं स्वरूप की क्या होगी? अच्छा, सभी सन्तुष्ट तो हो ही, अच्छा।

 

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- तीन प्रकार के पुरूषार्थी कौन कौन से है? लक्ष्य और लक्षणों में अन्तर का क्या कारण है?

 प्रश्न 2 :-बापदादा को किस एक विशेष बात का आश्चर्य लगता है? और क्यों?

 प्रश्न 3 :- बर्थ-राईट जन्म सिद्ध अधिकार क्या है? मेहनत से मुक्त बर्थ राइट नशा नैचुरल रहे उसकी क्या युक्ति है?

 प्रश्न 4 :- राॅयल फैमिली के बच्चों की विशेषता स्पष्ट कीजिए साथ ही बताइए कि कमी को खत्म करने की बापदादा ने क्या समझानी दी है?

 प्रश्न 5 :- त्रिकालदर्शी की विशेषताएं बताइए?

 

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

{ शक्ति, श्रेष्ठ, ब्राह्मण, लक्ष्य, लक्षण, नशा, मेहनत, सम्बन्ध, बाप, परिवार }

 1   इच्छा है लेकिन इच्छा मात्रम् अविद्या बनने की ______ नहीं, इस कारण अपने ______ की इच्छा तक पहुँच नहीं पाते हैं।

 2  श्रेष्ठ जन्म के कर्म भी स्वत: ही ______ होने चाहिए। अगर मेहनत लगती है तो _______ जन्म की स्मृति कम है।

 3  अपने आप से पूछो बर्थ-राईट का _______ रहता है? इस नशे में रहने से ही लक्ष्य  और ______ समान हो जायेगा। 

 4  अगर ______ करनी पड़ती है तो अवश्य _______ और कनेक्शन में कोई कमी है।

       

 5  स्वयं को जो हूँ, जैसा हूँ, जिस श्रेष्ठ ______और ______ का हूँ वैसा जानते हो ; लेकिन हर समय मानते नहीं हो।

 

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 1 :- अब इन्तजार करने का समय नहीं रहा, अब तो यह स्मृति-स्वरूप बनो - जो जानना था वह जान लिया।

 2 :- यादगार के यज्ञ में भी आहुति सफल तब होती हैं, जब मन्त्र जपते हैं। यहाँ भी सदा मन्मनाभव मन्त्र वाचा में रहें, तब आहुति सफल होती है।

 3 :- जो योगी तू आत्मा, ज्ञानी तू आत्मा होगा उनका स्वप्न भी परमधाम, नई जीवन का होगा।

 4 :- जब स्वप्न ही बदल गया तो संकल्प की बात ही नहीं। 

 5 :- मधुबन निवासी यज्ञ निवासी भी कहे जाते हैं। यज्ञ में रहने वालों को अपनी आहुति डालनी है। तब फिर दूसरे फालो (Follow) करेंगे।

 

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- तीन प्रकार के पुरूषार्थी कौन कौन से है? लक्ष्य और लक्षणों में अन्तर का क्या कारण है?

 उत्तर 1 :- बाबा कहते है लक्ष्य सब का बहुत ऊँचा है लेकिन लक्षण धारण करने में तीन प्रकार के पुरुषार्थी हैं।

          एक हैं - जिन्हें सुन कर अच्छा लगता है, करना चाहिए, लेकिन सुनना आता है पर करना नहीं आता है।

          दूसरे हैं - जो सोचते हैं, समझते भी हैं, करते भी हैं। लेकिन शक्ति-स्वरूप न होने के कारण डबल पार्ट बजाते हैं। अभी-अभी ब्राह्मण, तीव्र पुरुषार्थी अभी-अभी हिम्मतहीन।

          ❸  तीसरे हैं - जो सुनना, सोचना और करना, तीनों को समान करते हुए चलते हैं। ऐसी आत्माओं का लक्ष्य और लक्षण 99% समान दिखाई पड़ता है।

बापदादा कहते- लक्ष्य और लक्षणों में अन्तर के  कारण है- पांच विकार और प्रकृति के तत्व, दोनों में से किसी न किसी के वशीभूत हो जाते हैं। इसलिए लक्ष्य और लक्षण में अन्तर पड़ जाता है।

 

 प्रश्न 2 :- बापदादा को किस एक विशेष बात का आश्चर्य लगता है? और क्यों?

 उत्तर 2 :- बापदादा को विशेष आश्चर्य एक बात का लगता है, कि -                 

          मास्टर सर्वशक्तिवान, श्रेष्ठ तकदीरवान, छोटी-छोटी उलझनों में कैसे उलझ जाते हैं जैसे कि शेर चींटी से घबरा जाता है।             अगर शेर कहे ‘‘मैं चीटीं को कैसे मारूं, क्या करूँ’’ तो क्या सोचेंगे? सम्भव बात लगेगी या असम्भव लगेगी?

          ❷  ऐसे मास्टर सर्व शक्तिवान ज़रा-सी उलझन में उलझ जाएं तो क्या बाप को सम्भव बात लगेगी या आश्चर्य की बात लगेगी?

       क्योंकि अब छोटी-छोटी उलझनों से घबराने का समय नहीं है, अब तो सर्व उलझी हुई आत्माओं को निकालने का समय है।  ये बचपन की बातें हैं। मास्टर रचयिता के लिए यह बचपन की बातें शोभती नहीं ।

 

 प्रश्न 3 :- बर्थ-राईट जन्म सिद्ध अधिकार क्या है? मेहनत से मुक्त बर्थ राइट नशा नैचुरल रहे उसकी क्या युक्ति है?

 उत्तर 3 :- बापदादा कहते है-

     श्रेष्ठ कर्म व श्रेष्ठ लक्ष्य श्रेष्ठ जन्म का बर्थ-राईट (Birth Right) जन्मसिद्ध अधिकार है। जैसे लौकिक जन्म में स्थूल सम्पत्ति बर्थ-राईट होती है। वैसे ब्राह्मण जन्म का दिव्य गुण रूपी सम्पत्ति, ईश्वरीय सुख शक्ति बर्थ-राईट है।

          अगर सदैव अपनी तकदीर की तस्वीर को देखते रहो तो जैसा साकार शरीर को देखते हुए नैचुरल देह की स्मृति-स्वरूप रहते हो वेसे ही नैचुरल तकदीर की तस्वीर के स्मृति में रहेंगे। चलते फिरते वाह बाबा! और वाह मेरी तकदीर की तस्वीर! यह अजपाजाप अर्थात् मन से यह आवाज़ निकलती रहे।

          अपने कल्प पहले की खुशी में सदा नाचने का चित्र जिसको रास-लीला का चित्र कहते हैं - हर गोपी वा गोप सदा गोपीवल्लभ के साथ रास करते हुए दिखाते हैं, यह खुशी में नाचने का यादगार चित्र है।

          आप के प्रैक्टीकल चरित्र का चित्र बना है। ऐसे अनुभव करते हो कि यह मेरा ही चित्र है? इसको कहा जाता है तकदीर की तस्वीर

          रोज़ अपनी तकदीर की तस्वीर को देखते हुए हर कर्म करेंगे तो मेहनत से मुक्त हो बर्थ-राईट की खुशी का अनुभव करेंगे।

      

 

 प्रश्न 4 :- राॅयल फैमिली के बच्चों की क्या विशेषता स्पष्ट कीजिए साथ ही बताइए कि कमी को  खत्म करने की बापदादा ने क्या समझानी दी है?

 उत्तर 4 :- बाप दादा कहते हैं :-

          जो रॉयल फैमली (ROYAL Family;उच्च परिवार) के बच्चे होते हैं वह कब धरती पर, मिट्टी पर पांव नहीं रखेंगे।

          संकल्प से भी देहाभिमान में आए अर्थात् मिट्टी में पांव रखा। वाचा, कर्मणा में आना अर्थात् मिट्टी खा ली।

          रॉयल फैमली के बच्चे कभी मिट्टी नहीं खाते। सदा स्मृति में रहो कि ऊँचे से ऊँचे बाप के ऊँची स्टेज वाले बच्चे हैं तो नीचे नज़र नहीं आएगी।

     कमी को समाप्त करने के बारे में बापदादा कहते-      

        कमी को बार-बार सोचने से कमी रह जाती है। कमी को देखते खत्म करते जाओ। चैक करने के साथ-साथ चेंज भी करो

        अपने को सदा गुणमूर्त्त देखते ऊँची स्टेज पर स्थित रहते रहो। नीचे नहीं आओ।

        

 

 प्रश्न 5 :- त्रिकालदर्शी की विशेषताएं बताइए?

 उत्तर 5 :- तीनों कालों के ज्ञाता बनने वाले को त्रिकालदर्शी कहा जाता है।       

          त्रिकालदर्शी अर्थात् नॉलेजफुल ।

          ❷   (Knowledgeful) नॉलेजफुल की स्टेज एक तख्त है, ऊँचाई है।

          जब इस तख्त को छोड़कर नीचे आते हो तब नाराज़ होते हो। जैसा स्थान वैसी स्थिति होनी चाहिए।

           वह सदा राज़ी और खुश रहता है। मधुबन निवासी अर्थात् सदा खुश और राज़ी रहने वाले।

          दूसरे से नाराज़ होना अर्थात् अपने को राज़ जानने की स्टेज से नीचे ले आना।

 

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

{ शक्ति, श्रेष्ठ, ब्राह्मण, लक्ष्य, लक्षण, नशा, मेहनत, सम्बन्ध, बाप, परिवार }

 1   इच्छा है लेकिन इच्छा मात्रम् अविद्या बनने की____  नहीं, इस कारण अपने ____ की इच्छा तक पहुँच नहीं पाते हैं।

    शक्ति / लक्ष्य

 

 2  श्रेष्ठ जन्म के कर्म भी स्वत: ही ____ होने चाहिए। अगर मेहनत लगती है तो _____ जन्म की स्मृति कम है।

    श्रेष्ठ / ब्राह्मण

 

 3  अपने आप से पूछो बर्थ-राईट का _____ रहता है? इस नशे में रहने से ही लक्ष्य  और ____ समान हो जायेगा। 

   नशा /  लक्षण

 

 4  अगर ____ करनी पड़ती है तो अवश्य _____ और कनेक्शन में कोई कमी है।

    मेहनत / सम्बन्ध

 

 5  स्वयं को जो हूँ, जैसा हूँ, जिस श्रेष्ठ_____और ____ का हूँ वैसा जानते हो ; लेकिन हर समय मानते नहीं हो।

    बाप /  परिवार

 

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:- 】 【

 1  :- अब इन्तजार करने का समय नहीं रहा, अब तो यह स्मृति-स्वरूप बनो - जो जानना था वह जान लिया।

  अब मेहनत करने का समय नहीं रहा, अब तो यह स्मृति-स्वरूप बनो - जो जानना था वह जान लिया।

 

 2  :- यादगार के यज्ञ में भी आहुति सफल तब होती हैं, जब मन्त्र जपते हैं। यहाँ भी सदा मन्मनाभव मन्त्र वाचा में रहें, तब आहुति सफल होती है।

  यादगार के यज्ञ में भी आहुति सफल तब होती हैं, जब मन्त्र जपते हैं। यहाँ भी सदा मन्मनाभव मन्त्र स्मृति में रहे तब आहुति सफल होती है।

 

 3  :- जो योगी तू आत्मा, ज्ञानी तू आत्मा होगा उनका स्वप्न भी परमधाम, नई जीवन का होगा।

  जो योगी तू आत्मा, ज्ञानी तू आत्मा होगा उनका स्वप्न भी नई दुनिया, नई जीवन का होगा।

 4 :- जब स्वप्न ही बदल गया तो संकल्प की बात ही नहीं। 

 

 5 :- मधुबन निवासी यज्ञ निवासी भी कहे जाते हैं। यज्ञ में रहने वालों को अपनी आहुति डालनी है। तब फिर दूसरे फालो (Follow) करेंगे।