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AVYAKT MURLI

01 / 12 / 78

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01-12-78   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

सर्व खज़ानों की चाबी - एकनामी बनना

भगवान को भी वश में करने वाले बच्चों के प्रति बाप-दादा बोले :-

 

बाप-दादा सदा बच्चों की तकदीर को देख हर्षित होते। वाह तकदीर वाह! ऐसी श्रेष्ठ तकदीर जो बाप को भी अपने स्नेह सम्बन्ध से निराकार से साकार बना लेते। आवाज़ से परे बाप को आवाज़ में लाते। स्वयं भगवान को जैसे चाहे वैसे स्वरूप में लाने के मालिक को सेवाधारी बना लेते। बाप के सर्व खज़ानों के अधिकारी बनने की वा बाप को स्वयं पर समर्पण कराने की चाबी बच्चों के हाथ में है। जिसके हाथ में ऐसी चाबी हो उनसे श्रेष्ठ और कोई हो सकता है? ऐसी चाबी को सम्भालने वाले नॉलेजफुल और सेन्सीबल बने हो। चाबी तो बाप ने दे दी - जिस चाबी द्वारा जो चाहो एक सेकेण्ड में प्राप्त कर सकते हो - जब रचता सेवाधारी बन गए तो सर्व रचना आप श्रेष्ठ आत्माओं के आगे सेवा के लिए बाँधी हुई है - जब आसुरी रावण अपने साइन्स् की शक्ति से प्रकृति अर्थात् तत्वों को आज भी अपने कन्ट्रोल में रख रहे हैं तो आप ईश्वरीय सन्तान मास्टर रचता, मास्टर सर्वशक्तिवान के आगे यह प्रकृति और परिस्थिति दासी नहीं बन सकती! अपने साइलेन्स की शक्ति को अच्छी तरह से जानते हो वा बहुत शक्तियाँ मिलने के कारण उनके महत्त्व को भूल जाते हा? जब साइन्स की अणु शक्ति महान कर्त्तव्य कर सकती है तो आत्मिक शक्ति, परमात्म-शक्ति क्या कर सकती है उसका अनुभव अभी बहुत थोड़ा और कभी-2 करते हो। परमात्म- शक्ति को अपना बना सकते, रूप परिवर्तन करा सकते तो प्रकृति और परिस्थिति का रूप और गुण परिवर्तन नहीं कर सकते ? तमोगुणी प्रकृति को स्वयं की सतोगुणी स्थिति से परिवर्तन नहीं कर सकते हैं? परिस्थिति पर स्व-स्थिति से विजय नहीं पा सकते हैं? ऐसे मास्टर रचता शक्तिशाली बने हो? बाप-दादा बच्चों की श्रेष्ठ प्राप्ति को देख यही कहते एक-एक बच्चा ऐसी श्रेष्ठ आत्मा है जो एक बच्चा भी बहुत कमाल कर सकता है! तो इतने क्या करेंगे! चाबी तो बहुत बढ़िया मिली है - लगाने वाले लगाते नहीं है। सभी को चाबी मिली है। न कि कोई कोई को। नये पुराने छोटे बड़े सब अधिकारी हैं जैसे आज-कल की दुनिया में भी स्वागत अर्थात् कोई गेस्ट की रिसेप्शन करते हैं तो सिटी की चाबी देते हैं ना। बाप-दादा ने भी हर बच्चे की रिसेप्शन में बच्चों को स्वयं की और खज़ानों की चाबी आने से ही दे दी। ऐसी जादू की चाबी जिससे जिस शक्ति का आह्वान करो वह शक्ति स्वरूप बन सकते हो। एक सेकेण्ड में इस जादू की चाबी द्वारा जिस लोक में जाने चाहो उस लोक के वासी बन सकते हो। जिस काल को जानने चाहो उस काल को जानने वाले रूहानी ज्योतिषी बन सकते हो। संकल्प शक्ति को जिस रफ्तार से जिस मार्ग पर ले जाना चाहो उसी रीति से संकल्प शक्ति के अधिकारी बन सकते हो - ऐसी चाबी काम में क्यों नहीं लगाते? महत्त्व को नहीं जाना है क्या? किनारे रखने के संस्कार इमर्ज हो जाते। अच्छी चीज़ को सम्भाल कर किनारे रखते हैं ना कि समय पर काम में लायेंगे! लेकिन यह चाबी हर समय कार्य में लाओ। चाबी लगाओ और खज़ाना लो। इसमें एकनामी नहीं करो - लेकिन एकनामी बनो। एकनामी बनना ही चाबी को लगाने का तरीका है। तो यह करने नहीं आता? आजकल तो चाबी साथ रखने का फैशन है। सौगात में भी कीचेन देते हैं। यह सम्भालना मुश्किल लगता है क्या? कोई भी कर्म शुरू करने के पहले जैसा कर्म वैसी शक्ति का आह्वान। इस चाबी द्वारा करो - तो हर शक्ति आप मास्टर रचता की सेवाधारी बन सेवा करेगी। आह्वान नहीं करते हो लेकिन कर्म की हलचल में आह्वान के बजाए आवागमन के चक्र में आ जाते हो। अच्छा-बुरा, सफलता-असफलता इस आवागमन के चक्कर में आ जाते हो। आह्वान करो अर्थात् मालिक बन आर्डर करो। यह सर्वशक्तियाँ आपकी भुजायें समान है - आपकी भुजायें आपके आर्डर के बिना कुछ कर सकती हैं? आर्डर करो सहनशक्ति कार्य सफल करो तो देखो सफलता सदा हुई पड़ी है। आर्डर नहीं करते हो लेकिन क्या करते हो - जानते हो। आर्डर के बजाए डरते हो - कैसे सहन होगा कैसे सामना कर सकेंगे। कर सकेंगे वा नहीं कर सकेंगे। इस प्रकार का डर आर्डर नहीं कर सकता है। अब क्या करेंगे - डरेंगे वा आर्डर करेंगे। महाकाल के बच्चे भी डरें तो और कौन निर्भय होंगे। हर बात में निर्भय बनो। अलबेले और आलस्यपन में निर्भय नहीं बनना - मायाजीत बनने में निर्भय बनो। तो सुना जादू की चाबी। सौगात को सम्भालना सीखो और सदा कार्य में लगाओ। अच्छा

ऐसे श्रेष्ठ तकदीरवान रूहानी शक्ति स्वरूप मास्टर रचता, प्रकृति और परिस्थितियों को अधिकार से विजय पाने वाले सदा विजयी बच्चों को बाप-दादा का यादप्यार और नमस्ते।

दीदीजी से बातचीत

संगमयुग के राजाओं का साक्षात्कार होता है ? राज्य वंश यहाँ से ही आरम्भ होता है। अभी राजे और प्रजा दोनों ही संस्कार प्रत्यक्ष रूप में दिखाई दे रहे हैं प्रजा अर्थात् सदा हर बात में अधीनपन के संस्कार । उसको कितना भी अधिकारी-पन की स्टेज का तख्त दो लेकिन तख्तनशीन बन नहीं सकते। सदा निर्बल और कमज़ोर आत्मा दिखाई देंगे। स्वयं की हिम्मत नहीं होगी लेकिन दूसरे की हिम्मत और सहयोग से कार्य सफल कर सकते। सहयोग और चीज़ है और हिम्मत बढ़ाने के लिए सहयोग और चीज़ है। हिम्मत देंगे तो कर सकेंगे। यह अधिकारीपन की निशानी नहीं है। हिम्मत रखने से सहयोग के पात्र स्वत: ही बनेंगे। तो इसलिए पूछा कि राज्य वंश दिखाई दे रहा है? जब अभी का राज्य वंश प्रत्यक्ष हो तब प्रत्यक्षता हो। कितने प्रत्यक्ष हुए हैं? कितने राजे, कितनी रानियाँ बनी हैं? राजा और रानी में भी फर्क होगा - वन और टू का अन्तर तो होगा। अभी इस पर रूह-रूहान करना। राजा की निशानी क्या होगी और बालब च्चों की क्वालिफिकेशन क्या होगी -राज्य वंश के बच्चों में भी वंश के संस्कार तो होंगे ना। इसपर रूहरूहान करना। अच्छा।

कुमारों के साथ

कुमारों का चित्र सदा बाप के साथ रहने का दिखाया है, तुम्हीं से खेलूं, तुम्हीं से खाऊं - यह चित्र देखा है सखे रूप से। सखा अर्थात् साथ। तो कुमारों को सखा रूप से साखी रूप दिखाया है, ग्वालबाल के रूप में दिखाया है ना। तो अपने को सदा बाप के साथी समझकर तुम्हीं से खाऊं, तुम्हीं से बैठूं. सभी कुमार युगल मूर्त्त ही चलते हो। युगल हो या अकेले हो? कभी अकेले का संकल्प नहीं करना। साथी को सदा साथ रखो तो सदा खुश रहेंगे और दिन-रात खुशी में नाचते अपना और दूसरों का भविष्य बनायेंगे। अकेला कब न समझना - अकेला समझा और माया आई। कुमारों की यही कम्पलेन है कि हम अकेले हैं। यह साथ तो दु:ख सुख का साथी है। वह साथ तो माथा खराब कर देता। तो युगल हो ना! प्रवृत्ति वाले नहीं हो, सुख की प्रवृत्ति मिल जाए और क्या चाहिए। हमारे जैसा साथी किसी को मिल नहीं सकता। साथी को साथ रखना - साथ रखेंगे तो मन सदा मनोरंजन में रहेगा। अच्छा

माताओं से

निर्मोही हो? नष्टोमोहा हो ना। माताओं को विशेष विघ्न मोह का ही आता है। नष्टोमोहा अर्थात् तीव्र पुरूषार्थ। अगर ज़रा भी मोह चाहे देह के सम्बन्ध में है तो तीव्र पुरुषार्थी के बजाए पुरुषार्थी में आ जाते। तीव्र पुरुषार्थी हैं फर्स्ट नम्बर, पुरुषार्थी हैं सेकेण्ड नम्बर। क्या भी हो - कुछ भी हो खुशी में नाचते रहो, ‘‘मिरूआ मौत मलूका शिकार’’ इसको कहते हैं नष्टोमोहा। नष्टोमोहा वाले ही विजय माला के दाने बनते हैं। मोह पर विजय प्राप्त कर ली तो सदा विजयी। पास हो या फुल पास हो? पेपर बहुत आयेंगे, पेपर आना अर्थात् क्लास आगे बढ़ना। अगर इम्तहान ही न हो तो क्लास चेन्ज कैसे होगा। इसलिए फुल पास होना है - न कि पास होना है। अच्छा

युगलों से

स्मृति से पुराना सौदा कैन्सिल कर सिंगल बनो। फिर युगल बनो। पुराना हिसाब-किताब सब चुक्तू और नया शुरू। माया के सम्बन्ध को डायवोर्स दे दिया - बाप के सम्बन्ध से सौदा कर दिया - इसीसे मायाजीत, मोह जीत विजयी रहेंगे। सहयोगी भले हो - कम्पेनियन नहीं । कम्पेनियन एक है, कम्पेनियनपन का भान आया और गया।

जो बाप की याद में रहते उनके ऊपर सदा बाप का हाथ हैं। सभी मोस्ट लकी हो। घर बैठे भगवान मिल जाए तो इससे बड़ा लक और क्या चाहिए। जो स्वप्न में न हो और साकार हो जाए तो और क्या चाहिए। बाप आप के पास पहले आया - पीछे आप आये हो। इसी अपने भाग्य का वर्णन करते सदा खुश रहो भगवान को मैंने अपना बना लिया। कहीं भी रहें लेकिन बाप का सदा साथ हर कर्म, हर दिनचर्या में सदा बाप के साथ का अनुभव करो। अच्छा।

 

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QUIZ QUESTIONS

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 प्रश्न 1 :- बाबा के अनुसार प्रत्यक्षता कब होगी ?

 

  प्रश्न 2 :- बाबा के अनुसार माताओं को विशेष कौन सा विघ्न आता है?

 

 प्रश्न 3 :- बाबा के अनुसार मायाजीत, मोह जीत कब बन सकते है ?

 

 प्रश्न 4 :- बाबा अनुसार मन सदा मनोरंजन में कब रहेगा?

 

 प्रश्न 5 :- बाबा ने मुरली मे सर्व खज़ानों की चाबी किसे कहा है?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

( निराकार, चाबी, सेन्सीबल, प्रकृति, साइन्स, अनुभव, कर्म, चक्र, हलचल, महान, दासी, सन्तान, नॉलेजफुल, साकार, तकदीर )

 

1      ऐसी श्रेष्ठ ______ जो बाप को भी अपने स्नेह सम्बन्ध से ______ से ______ बना लेते।

 

2      ऐसी ______ को सम्भालने वाले ______ और _______ बने हो।

 

3      ईश्वरीय _______ मास्टर रचता, मास्टर सर्वशक्तिवान के आगे यह _______ और परिस्थिति _______ नहीं बन सकती।

 

4      जब _______ की अणु शक्ति _______ कर्त्तव्य कर सकती है तो आत्मिक शक्ति, परमात्म-शक्ति क्या कर सकती है उसका _______ अभी बहुत थोड़ा और कभी-2 करते हो।

 

5      आह्वान नहीं करते हो लेकिन _______ की _______ में आह्वान के बजाए आवागमन के ________ में आ जाते हो।

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

1      :- ब्रह्मा के बच्चे भी डरें तो और कौन निर्भय होंगे। हर बात में निर्भय बनो।

 

2      :- तो सुना जादू की चाबी। बात को सम्भालना सीखो और सदा कार्य में लगाओ।

 

3      :- पांडवों का चित्र सदा बाप के साथ रहने का दिखाया है, तुम्हीं से खेलूं, तुम्हीं से खाऊं - यह चित्र देखा है सखे रूप से।

 

4      :-  बाप के सर्व खज़ानों के अधिकारी बनने की वा बाप को स्वयं पर समर्पण कराने की युक्ति बच्चों के हाथ में है।

 

5      :- स्वयं भगवान को जैसे चाहे वैसे स्वरूप में लाने के मालिक को सेवाधारी बना लेते।

 

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QUIZ ANSWERS

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 प्रश्न 1 :- बाबा के अनुसार प्रत्यक्षता कब होगी ?

 

 उत्तर 1 :-  इस बारे में बाबा ने बताया है कि:-

          जब अभी का राज्य वंश प्रत्यक्ष हो तब प्रत्यक्षता हो। कितने प्रत्यक्ष हुए हैं? कितने राजे, कितनी रानियाँ बनी हैं? राजा और रानी में भी फर्क होगा - वन और टू का अन्तर तो होगा।

          अभी इस पर रूह-रूहान करना। राजा की निशानी क्या होगी और बाल बच्चों की क्वालिफिकेशन क्या होगी -राज्य वंश के बच्चों में भी वंश के संस्कार तो होंगे ना। इस पर रूहरूहान करना।

 

 प्रश्न 2 :- बाबा के अनुसार माताओं को विशेष कौन सा विघ्न आता है?

 

 उत्तर 2 :- बाबा ने इस बारे मे बताया है कि :-

           ❶  माताओं को विशेष विघ्न मोह का ही आता है। नष्टोमोहा अर्थात् तीव्र पुरूषार्थ। अगर ज़रा भी मोह चाहे देह के सम्बन्ध में है तो तीव्र पुरुषार्थी के बजाए पुरुषार्थी में आ जाते।

          तीव्र पुरुषार्थी हैं फर्स्ट नम्बर, पुरुषार्थी हैं सेकेण्ड नम्बर। क्या भी हो - कुछ भी हो खुशी में नाचते रहो, ‘‘मिरूआ मौत मलूका शिकार’’ इसको कहते हैं नष्टोमोहा।

          नष्टोमोहा वाले ही विजय माला के दाने बनते हैं। मोह पर विजय प्राप्त कर ली तो सदा विजयी। पास हो या फुल पास हो?

         पेपर बहुत आयेंगे, पेपर आना अर्थात् क्लास आगे बढ़ना। अगर इम्तहान ही न हो तो क्लास चेन्ज कैसे होगा। इसलिए फुल पास होना है - न कि पास होना है।

 

 प्रश्न 3 :- बाबा के अनुसार मायाजीत, मोह जीत कब बन सकते है ?

 

 उत्तर 3 :- इस बारे मे बाबा ने कहा है कि :-    

           स्मृति से पुराना सौदा कैन्सिल कर सिंगल बनो। फिर युगल बनो। पुराना हिसाब-किताब सब चुक्तू और नया शुरू। माया के सम्बन्ध को डायवोर्स दे दिया - बाप के सम्बन्ध से सौदा कर दिया - इसीसे मायाजीत, मोह जीत विजयी रहेंगे।

          सहयोगी भले हो - कम्पेनियन नहीं । कम्पेनियन एक है, कम्पेनियनपन का भान आया और गया।

          जो बाप की याद में रहते उनके ऊपर सदा बाप का हाथ हैं। सभी मोस्ट लकी हो।

 

          घर बैठे भगवान मिल जाए तो इससे बड़ा लक और क्या चाहिए। जो स्वप्न में न हो और साकार हो जाए तो और क्या चाहिए।

 

 प्रश्न 4 :- बाबा अनुसार मन सदा मनोरंजन में कब रहेगा?

 

 उत्तर 4 :- इस बारे मे बाबा ने बताया है कि :-

           कभी अकेले का संकल्प नहीं करना। साथी को सदा साथ रखो तो सदा खुश रहेंगे और दिन-रात खुशी में नाचते अपना और दूसरों का भविष्य बनायेंगे। अकेला कब न समझना - अकेला समझा और माया आई।

          कुमारों की यही कम्पलेन है कि हम अकेले हैं। यह साथ तो दु:ख सुख का साथी है। वह साथ तो माथा खराब कर देता। तो युगल हो ना! प्रवृत्ति वाले नहीं हो, सुख की प्रवृत्ति मिल जाए और क्या चाहिए।

          हमारे जैसा साथी किसी को मिल नहीं सकता। साथी को साथ रखना - साथ रखेंगे तो मन सदा मनोरंजन में रहेगा।

 

 प्रश्न 5 :- बाबा ने मुरली मे सर्व खज़ानों की चाबी किसे कहा है?

 

 उत्तर 5 :- बाबा ने कहा है कि-

           आज-कल की दुनिया में भी स्वागत अर्थात् कोई गेस्ट की रिसेप्शन करते हैं तो सिटी की चाबी देते हैं ना। बाप-दादा ने भी हर बच्चे की रिसेप्शन में बच्चों को स्वयं की और खज़ानों की चाबी आने से ही दे दी।

           ऐसी जादू की चाबी जिससे जिस शक्ति का आह्वान करो वह शक्ति स्वरूप बन सकते हो। एक सेकेण्ड में इस जादू की चाबी द्वारा जिस लोक में जाने चाहो उस लोक के वासी बन सकते हो। जिस काल को जानने चाहो उस काल को जानने वाले रूहानी ज्योतिषी बन सकते हो।

           संकल्प शक्ति को जिस रफ्तार से जिस मार्ग पर ले जाना चाहो उसी रीति से संकल्प शक्ति के अधिकारी बन सकते हो - ऐसी चाबी काम में क्यों नहीं लगाते? महत्त्व को नहीं जाना है क्या? किनारे रखने के संस्कार इमर्ज हो जाते।

           अच्छी चीज़ को सम्भाल कर किनारे रखते हैं ना कि समय पर काम में लायेंगे! लेकिन यह चाबी हर समय कार्य में लाओ। चाबी लगाओ और खज़ाना लो। इसमें एकनामी नहीं करो - लेकिन एकनामी बनो। एकनामी बनना ही चाबी को लगाने का तरीका है।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

 

( निराकार, चाबी, सेन्सीबल, प्रकृति, साइन्स, अनुभव, कर्म, चक्र, हलचल, महान, दासी, सन्तान, नॉलेजफुल, साकार, तकदीर )

 

 1   ऐसी श्रेष्ठ _____ जो बाप को भी अपने स्नेह सम्बन्ध से _____ से _____ बना लेते।

    तकदीर / निराकार / साकार

 

 2  ऐसी _____ को सम्भालने वाले _____ और _______ बने हो।

    चाबी / नॉलेजफुल / सेन्सीबल

 

 3  ईश्वरीय _____ मास्टर रचता, मास्टर सर्वशक्तिवान के आगे यह ______ और परिस्थिति ______ नहीं बन सकती

    सन्तान / प्रकृति / दासी

 

  जब ______ की अणु शक्ति ______ कर्त्तव्य कर सकती है तो आत्मिक शक्ति, परमात्म-शक्ति क्या कर सकती है उसका ______ अभी बहुत थोड़ा और कभी-2 करते हो।

  साइन्स / महान / अनुभव

 

  आह्वान नहीं करते हो लेकिन ______ की _______ में आह्वान के बजाए आवागमन के _______ में आ जाते हो।

   कर्म / हलचल / चक्र

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :-  ब्रह्मा के बच्चे भी डरें तो और कौन निर्भय होंगे। हर बात में निर्भय बनो। 】 

  महाकाल के बच्चे भी डरें तो और कौन निर्भय होंगे। हर बात में निर्भय बनो।

 

 2  :- तो सुना जादू की चाबी। बात को सम्भालना सीखो और सदा कार्य में लगाओ।

 तो सुना जादू की चाबी। सौगात को सम्भालना सीखो और सदा कार्य में लगाओ।

 

 3  :- पांडवों का चित्र सदा बाप के साथ रहने का दिखाया है, तुम्हीं से खेलूं, तुम्हीं से खाऊं - यह चित्र देखा है सखे रूप से।

  कुमारों का चित्र सदा बाप के साथ रहने का दिखाया है, तुम्हीं से खेलूं, तुम्हीं से खाऊं - यह चित्र देखा है सखे रूप से।

 

 4  :- बाप के सर्व खज़ानों के अधिकारी बनने की वा बाप को स्वयं पर समर्पण कराने की युक्ति बच्चों के हाथ में है।

 बाप के सर्व खज़ानों के अधिकारी बनने की वा बाप को स्वयं पर समर्पण कराने की चाबी बच्चों के हाथ में है।

 

 5   :- स्वयं भगवान को जैसे चाहे वैसे स्वरूप में लाने के मालिक को सेवाधारी बना लेते।