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AVYAKT MURLI
19 / 03 / 86
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19-03-86 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
अमृतवेला - श्रेष्ठ प्राप्तियों की वेला
यू.के.ग्रुप के प्रति बापदादा बोले
आज रूहानी बागवान अपने रूहानी रोज फ्लावर्स का बगीचा देख रहे हैं। ऐसा रूहानी गुलाब का बगीचा अब इस संगमयुग पर ही बापदादा द्वारा ही बनता है। बापदादा हर एक रूहानी गुलाब फूल की रूहानियत की खुशबू और रूहानियत के खिले हुए पुष्पों की रौनक देख रहे हैं। खुशबूदार सभी हैं लेकिन किसकी खुशबू सदाकाल रहने वाली है और किसकी खुशबू थोड़े समय के लिए रहती है। कोई गुलाब सदा खिला हुआ है और कोई कब खिला हुआ, कब थोड़ा-सा धूप वा मौसम के हिसाब से मुरझा भी जाते हैं। लेकिन हैं फिर भी रूहानी बागवान के बगीचे के रूहानी गुलाब! कोई-कोई रूहानी गुलाब में ज्ञान की खुशबू विशेष है। कोई में याद की खुशबू विशेष है। तो कोई में धारणा की खुशबू, कोई में सेवा की खुशबू विशेष है। कोई-कोई ऐसे भी हैं जो सर्व खुशबू से सम्पन्न हैं। तो बगीचे में सबसे पहले नजर किसके ऊपर जायेगी? जिसकी दूर से ही खुशबू आकर्षित करेगी। उस तरफ ही सबकी नजर पहले जाती है। तो रूहानी बागवान सदैव सभी रूहानी गुलाब के पुष्पों को देखते हैं। लेकिन नम्बरवार। प्यार भी सभी से है क्योंकि हर एक गुलाब पुष्प के अन्दर बागवान प्रति अति प्यार है। मालिक से पुष्पों का प्यार है और मालिक का पुष्पों से प्यार है। फिर भी शोकेस में सदा रखने वाले रूहानी गुलाब वही होते जो सदा सर्व खुशबू से सम्पन्न हैं। और सदा खिले हुए हैं। मुरझायें हुए कभी नहीं। रोज अमृतवेले बापदादा स्नेह और शक्ति की विशेष पालना से सभी रूहानी गुलाब के पुष्पों से मिलन मनाते हैं।
अमृतवेला विशेष प्रभू पालना का वेला है। अमृतवेला विशेष परमात्म मिलन का वेला है। रूहानी रूह-रूहान करने का वेला है। अमृतवेले भोले भण्डारी के वरदानों के खज़ाने से सहज वरदान प्राप्त होने का वेला है। जो गायन है मन इच्छित फल प्राप्त करना, यह इस समय अमृतवेले के समय का गायन है। बिना मेहनत के खुले खज़ाने प्राप्त करने का वेला है। ऐसे सुहावने समय को अनुभव से जानते हो ना! अनुभवी ही जानें इस श्रेष्ठ सुख को, श्रेष्ठ प्राप्तियों को। तो बापदादा सभी रूहानी गुलाब को देख-देख हर्षित हो रहे हैं। बापदादा भी कहते हैं - ‘वाह मेरे रूहानी गुलाब’। आप वाह-वाह के गीत गाते तो बापदादा भी यही गीत गाते। समझा!
मुरलियाँ तो बहुत सुनी हैं। सुन-सुनकर सम्पन्न बन गये हो। अभी महादानी बन बांटने के प्लैन बना रहे हो। यह उमंग बहुत अच्छा है। आज यू.के. अर्थात् ओ.के. रहने वालों का टर्न है। डबल विदेशियों का एक शब्द सुन करके बापदादा सदा मुस्कराते रहते हैं। कौन-सा? - ‘थैंक यू’। थैंक यू करते हुए भी बाप को भी याद करते रहते हैं। क्योंकि सबसे पहले शुक्रिया दिल से बाप का ही मानते हैं। तो जब किसी को भी थैंक यू करते तो पहले बाप याद आयेगा ना! ब्राह्मण जीवन में पहला शुक्रिया स्वत: ही बाप के प्रति निकलता है। उठते-बैठते अनेक बार थैंक यू कहते हो। यह भी एक विधि है - बाप को याद करने की। यू.के. वाले सर्व भिन्न-भिन्न हद की शक्तियों वालों को मिलाने के निमित्त बने हुए हो ना। अनेक प्रकार के नॉलेज की शक्तियाँ हैं। भिन्न-भिन्न शक्ति वाले, भिन्न-भिन्न वर्ग वाले, भिन्न-भिन्न धर्म वाले, भाषा वाले, सभी को मिलाकर एक ही ब्राह्मण वर्ग में लाना, ब्राह्मण धर्म में, ब्राह्मण भाषा में आना। ब्राह्मणों की भाषा भी अपनी है। जो नये समझ भी नहीं सकते कि यह क्या बोलते हैं। तो ब्राह्मणों की भाषा, ब्राह्मणों की डिक्शनरी ही अपनी है। तो यू.के. वाले सभी को एक बनाने में बिजी रहते हो ना? संख्या भी अच्छी है और स्नेह भी अच्छा है, हर एक स्थान की अपनी-अपनी विशेषता तो है ही है लेकिन आज यू.के.का सुना रहे हैं। यज्ञ स्नेही, यज्ञ सहयोगी यह विशेषता अच्छी दिखाई देती है। हर कदम पर पहले यज्ञ अर्थात् मधुबन का हिस्सा निकालने में अच्छे नम्बर में जा रहे हैं। डायरेक्ट मधुबन की याद एक स्पेशल लिफ्ट बन जाती है। हर कार्य में, हर कदम में मधुबन अर्थात् बाप की याद है या बाप की पढ़ाई है या बाप का ब्रह्मा भोजन है या बाप से मिलन है। मधुबन स्वत: ही बाप की याद दिलाने वाला है। कहाँ भी रहते मधुबन की याद आना अर्थात् विशेष स्नेह, लिफ्ट बन जाता है। चढ़ने की मेहनत से छूट जाते। सेकण्ड में स्विच आन किया और पहुँचे।
बापदादा को और कोई हीरे मोती तो चाहिए नहीं। बाप को स्नेह की छोटी वस्तु ही हीरे रत्न हैं। इसलिए सुदामा के कच्चे चावल गाये हुए हैं। इसका भावार्थ यही है कि स्नेह की छोटी-सी सुई में भी मधुबन याद आता है। तो वह भी बहुत बड़ा अमूल्य रत्न है। क्योंकि स्नेह का दाम है। वैल्यु स्नेह की है। चीज़ की नहीं। अगर कोई वैसे ही भल कितना भी दे देवे लेकिन स्नेह नहीं तो उसका जमा नहीं होता। और स्नेह से थोड़ा भी जमा करे तो उनका पदम जमा हो जाता है। तो बाप को स्नेह पसन्द है। तो यू.के.वालों की विशेषता - यज्ञ स्नेही, यज्ञ सहयोगी आदि से रहे हैं। यही सहज योग भी है। सहयोग, सहज योग है। सहयोग का संकल्प आने से भी याद तो बाप की रहेगी ना। तो सहयोगी, सहज योगी स्वत: ही बन जाते हैं। योग बाप से होता, मधुबन अर्थात् बापदादा से। तो सहयोगी बनने वाले भी सहजयोग की सबजेक्ट में अच्छे नम्बर ले लेते हैं। दिल का सहयोग बाप को प्रिय है। इसलिए यहाँ यादगार भी ‘दिलवाला मन्दिर’ बनाया है। तो दिलवाला बाप को दिल का स्नेह, दिल का सहयोग ही प्रिय है। छोटी दिल वाले छोटा सौदा कर खुश हो जाते और बड़ी दिल वाले बेहद का सौदा करते हैं। फाउण्डेशन बड़ी दिल है तो विस्तार भी बड़ा हो रहा है। जैसे कई जगह पर वृक्ष देखे होंगे तो वृक्ष की
शाखायें भी तना बन जाती हैं। तो यू.के.के फाउण्डेशन से तना निकला, शाखायें निकलीं। अब वह शाखायें भी तना बन गई। उन तना से भी शाखायें निकल रही हैं। जैसे आस्ट्रेलिया निकला, अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका निकले। सब तना बन गये। और हर एक तना की शाखायें भी अच्छी तरह से वृद्धि को पा रही हैं। क्योंकि फाउण्डेशन स्नेह और सहयोग के पानी से मजबूत है। इसलिए विस्तार भी अच्छा है और फल भी अच्छे हैं। अच्छा –
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QUIZ QUESTIONS
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प्रश्न 1 :- बाबा आज कितने प्रकार के रूहानी गुलाब के वर्णन किए हैं?
प्रश्न 2 :- बाबा ने अमृतवेला की क्या क्या विशेषताएं बताई हैं?
प्रश्न 3 :- बाबा ने "थैंक यू" के बारे में क्या कहा?
प्रश्न 4 :- बाबा ने स्नेह के सम्बन्ध में क्या बताया?
प्रश्न 5 :- बाबा ने सहयोग और सहज योग के आपसी सम्बन्ध में क्या कहा?
FILL IN THE BLANKS:-
(लिफ्ट, बांटने, पुष्पों, खुशबू, बागवान, योगी, सहयोगी, महादानी, गुलाब, रौनक, गुलाब, मधुबन)
1 बापदादा हर एक रूहानी ___ फूल की रूहानियत की ___ और रूहानियत के खिले हुए पुष्पों की ___ देख रहे हैं।
2 तो रूहानी ____ सदैव सभी रूहानी ___ के ___ को देखते हैं।
3 अभी ____ बन ___ के प्लैन बना रहे हो।
4 डायरेक्ट ____ की याद एक स्पेशल ___ बन जाती है।
5 तो ____, सहज ___ स्वत: ही बन जाते हैं।
सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】
1 :- जब किसी को भी थैंक यू करते तो पहले आत्मा याद आयेगा ना!
2 :- बाप को स्नेह की छोटी वस्तु ही हीरे रत्न हैं।
3 :- स्नेह की छोटी-सी सुई में भी सूक्ष्मवतन याद आता है।
4 :- छोटी दिल वाले छोटा सौदा कर खुश हो जाते और बड़ी दिल वाले हद का सौदा करते हैं।
5 :- फाउण्डेशन स्नेह और सहयोग के पानी से मजबूत है।
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QUIZ ANSWERS
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प्रश्न 1 :- बाबा आज कितने प्रकार के रूहानी गुलाब के वर्णन किए हैं?
उत्तर 1 :- आज रूहानी बागवान अपने रूहानी रोज फ्लावर्स का बगीचा देख रहे हैं। ऐसा रूहानी गुलाब का बगीचा अब इस संगमयुग पर ही बापदादा द्वारा ही बनता है। बापदादा हर एक रूहानी गुलाब फूल की रूहानियत की खुशबू और रूहानियत के खिले हुए पुष्पों की रौनक देख रहे हैं। खुशबूदार सभी हैं लेकिन,
..❶ किसकी खुशबू रहने वाली है और किसकी खुशबू थोड़े समय के लिए रहती है।
..❷ कोई गुलाब सदा खिला हुआ है और कोई कब खिला हुआ, कब थोड़ा-सा धूप वा मौसम के हिसाब से मुरझा भी जाते हैं। लेकिन हैं फिर भी रूहानी बागवान के बगीचे के रूहानी गुलाब!
..❸ कोई-कोई रूहानी गुलाब में ज्ञान की खुशबू विशेष है।
..❹ कोई में याद की खुशबू विशेष है।
..❺ तो कोई में धारणा की खुशबू।
..❻ कोई में सेवा की खुशबू विशेष है।
..❼ कोई-कोई ऐसे भी हैं जो सर्व खुशबू से सम्पन्न हैं।
प्रश्न 2 :- बाबा ने अमृतवेला का क्या क्या विशेषताएं बताया?
उत्तर 2 :- बाबा ने बताया कि रोज अमृतवेले बापदादा स्नेह और शक्ति की विशेष पालना से सभी रूहानी गुलाब के पुष्पों से मिलन मनाते हैं।
..❶ अमृतवेला विशेष प्रभू पालना का वेला है।
..❷ अमृतवेला विशेष परमात्म मिलन का वेला है।
..❸ रूहानी रूह-रूहान करने का वेला है।
..❹ अमृतवेले भोले भण्डारी के वरदानों के खज़ाने से सहज वरदान प्राप्त होने का वेला है।
..❺ जो गायन है मन इच्छित फल प्राप्त करना, यह इस समय अमृतवेले के समय का गायन है।
..❻ बिना मेहनत के खुले खज़ाने प्राप्त करने का वेला है। ऐसे सुहावने समय को अनुभव से जानते हो ना! अनुभवी ही जानें इस श्रेष्ठ सुख को, श्रेष्ठ प्राप्तियों को।
प्रश्न 3 :- बाबा ने "थैंक यू" के बारे में क्या कहा?
उत्तर 3 :- बाबा ने कहा कि डबल विदेशियों का एक शब्द सुन करके बापदादा सदा मुस्कराते रहते हैं। कौन-सा? - ‘थैंक यू’। थैंक यू करते हुए भी बाप को भी याद करते रहते हैं। क्योंकि सबसे पहले शुक्रिया दिल से बाप का ही मानते हैं। तो जब किसी को भी थैंक यू करते तो पहले बाप याद आयेगा ना! ब्राह्मण जीवन में पहला शुक्रिया स्वत: ही बाप के प्रति निकलता है।उठते-बैठते अनेक बार थैंक यू कहते हो। यह भी एक विधि है - बाप को याद करने की।
प्रश्न 4 :- बाबा ने स्नेह के सम्बन्ध में क्या बताया?
उत्तर 4 :- बाबा ने बताया :-
..❶ मधुबन स्वत: ही बाप की याद दिलाने वाला है। कहाँ भी रहते मधुबन की याद आना अर्थात् विशेष स्नेह, लिफ्ट बन जाता है। चढ़ने की मेहनत से छूट जाते। सेकण्ड में स्विच आन किया और पहुँचे।
..❷ बापदादा को और कोई हीरे मोती तो चाहिए नहीं। बाप को स्नेह की छोटी वस्तु ही हीरे रत्न हैं।
..❸ इसलिए सुदामा के कच्चे चावल गाये हुए हैं। इसका भावार्थ यही है कि स्नेह की छोटी-सी सुई में भी मधुबन याद आता है। तो वह भी बहुत बड़ा अमूल्य रत्न है। क्योंकि स्नेह का दाम है। वैल्यु स्नेह की है। चीज़ की नहीं।
..❹ अगर कोई वैसे ही भल कितना भी दे देवे लेकिन स्नेह नहीं तो उसका जमा नहीं होता। और स्नेह से थोड़ा भी जमा करे तो उनका पदम जमा हो जाता है। तो बाप को स्नेह पसन्द है।
प्रश्न 5 :- बाबा ने सहयोग और सहज योग के आपसी सम्बन्ध में क्या कहा?
उत्तर 5 :- बाबा ने कहा :-
तो यू.के.वालों की विशेषता - यज्ञ स्नेही, यज्ञ सहयोगी आदि से रहे हैं। यही सहज योग भी है। सहयोग, सहज योग है। सहयोग का संकल्प आने से भी याद तो बाप की रहेगी ना। तो सहयोगी, सहज योगी स्वत: ही बन जाते हैं। योग बाप से होता, मधुबन अर्थात् बापदादा से। तो सहयोगी बनने वाले भी सहजयोग की सबजेक्ट में अच्छे नम्बर ले लेते हैं। दिल का सहयोग बाप को प्रिय है। इसलिए यहाँ यादगार भी ‘दिलवाला मन्दिर’ बनाया है। तो दिलवाला बाप को दिल का स्नेह, दिल का सहयोग ही प्रिय है।
FILL IN THE BLANKS:-
(लिफ्ट, बांटने, पुष्पों, खुशबू, बागवान, योगी, सहयोगी, महादानी, गुलाब, रौनक, गुलाब, मधुबन)
1 बापदादा हर एक रूहानी ___ फूल की रूहानियत की ___ और रूहानियत के खिले हुए पुष्पों की ___ देख रहे हैं।
गुलाब / खुशबू / रौनक
2 तो रूहानी ____ सदैव सभी रूहानी ___ के ___ को देखते हैं।
बागवान / गुलाब / पुष्पों
3 अभी ____ बन ___ के प्लैन बना रहे हो।
महादानी / बांटने
4 डायरेक्ट ____ की याद एक स्पेशल ___ बन जाती है।
मधुबन / लिफ्ट
5 तो ____, सहज ___ स्वत: ही बन जाते हैं।
सहयोगी / योगी
सही-गलत वाक्यों को चिह्नित करें:-【✔】【✖】
1 :- जब किसी को भी थैंक यू करते तो पहले आत्मा याद आयेगा ना! 【✖】
जब किसी को भी थैंक यू करते तो पहले बाप याद आयेगा ना!
2 :- बाप को स्नेह की छोटी वस्तु ही हीरे रत्न हैं। 【✔】
3 :- स्नेह की छोटी-सी सुई में भी सूक्ष्मवतन याद आता है। 【✖】
स्नेह की छोटी-सी सुई में भी मधुबन याद आता है।
4 :- छोटी दिल वाले छोटा सौदा कर खुश हो जाते और बड़ी दिल वाले हद का सौदा करते हैं। 【✖】
छोटी दिल वाले छोटा सौदा कर खुश हो जाते और बड़ी दिल वाले बेहद का सौदा करते हैं।
5 :- फाउण्डेशन स्नेह और सहयोग के पानी से मजबूत है। 【✔】