27-04-1964     मधुबन आबू     रात्रि मुरली    साकार बाबा    ओम् शांति    मधुबन
 


गुड इवनिंग ये 27 अप्रैल का रात्रि क्लास है।
परमपिता परमात्मा, क्योंकि दिखलाते तो हैं कि ब्रहमा द्वारा सभी वेदो-ग्रंथो-शास्त्रों और जपो-तपो इन सबका राज समझाते हैं । कौन? बाबा । शिवबाबा को सब यहाँ भारत में कहते ही हैं 'बाबा सांई, शिवबाबा । अभी जब बाबा, शिवबाबा तो बस फिर वो एक रहा, दूसरा हुआ 'लौकिक बाबा । अभी दूसरे बाबा साईं, जो ये मुसलमान या फलाने लोग नाम रखते हैं, तो ये पत्थरबुद्धि भारतवासी यह समझ नहीं सकते हैं, यह 'बाबा साईं' कैसे हो सकते हैं । बाबा साईं तो एक शिवबाबा साईं ठहरा । तो खास करके भारत के, उसमें भी जो बाहर में गरीब लोग भी हैं, बड़े फँसे रहते हैं इन साधु-संतों में । पाई-पैसे का बस कुछ न कुछ पढ़ा । बाबा ने बताया था ना कि कोई भी होवे, कुछ भी पढ़ा हुआ होवे, कोई भी मंदिर-टिकाना निकाल कर बैठे, कोई भी कोई चित्र लगा करके बैठ जावे, तो बड़े-बड़े सब जा करके मत्था टेकते हैं । बाबा ने समझाया था, जब अमरनाथ पर गए थे तो छोकरा था इन जितना और वो पुजारी । किसका? अमरनाथ का । अभी यह कहाँ तीर्थ बड़ा! देखो कितना झुण्ड जाते हैं और उनको जा करके पाँव पड़ते हैं । उनको 30 रुपया.. । हम पूछा भी उनसे, अरे कितना तलक तुमको मिलता है? बोला- 30 रुपया मिलता है । वहाँ 30 रुपया का तलबदार रख करके और उनसे ये लोग काम कराते हैं । देखो कितनी अंधश्रद्धा। और ये सब जाते हैं बड़े-बड़े प्रेजिडेंट और प्राइम-मिनिस्टर्स फलाना । ये थोड़ा भगत हैं । जाते हैं, ऐसे-ऐसे को जा करके मत्था टेकते हैं । नहीं तो शिवबाबा यह तो सभी समझते हैं कि निराकार है और बाबा है और पतित-पावन है । और यह भी समझना बड़ा सहज है कि सतयुग की आदि, कलहयुग का अंत, यह जो संगम होता है, संगम तो सबका होता है ना । सतयुग के बाद त्रेता, तो हुआ संगम । त्रेता के बाद द्वापर तो हुआ संगम । तो अवस्था गिरती जाती है, दुनिया पुरानी होती जाती है । सतयुगी नई दुनिया, फिर सारी दुनिया दो कला कम हो जाती है तो हुआ त्रेता । फिर त्रेता से द्वापर, दो कला और ही कम । दो नहीं बल्कि चार । डबल हो जाती है । द्वापर से कलहयुग .वो तो आठ कला कम । पतित तो सबको बनना है । जो पहले है सतयुग में श्री लक्ष्मी और नारायण उनको 84 जन्म भोग करके पतित जरूर बनना है । तो जब वो बनना है तो बाकी सब भी बनना है, क्योकि पुनर्जन्म तो सभी मानते हैं और पुनर्जन्म तो है ही, नहीं तो वृद्धि कहाँ से होवे! तो अभी सबको बुद्धि में यह है जरूर कि बाबा भगवान है, निराकार है और बाबा है सबका । जबकि सबका बाबा है तो बाबा से वर्सा जरूर मिलता होगा । अभी बुद्धि से काम लेना चाहिए कि बाबा क्या वर्सा देगा? विवेक कहते हैं, क्योकि बाबा बुद्धि का ताला खोलते हैं ना । जो यहाँ नए भी आवे, तो उनकी बुद्धि का ताला खोलते हैं, क्योंकि...बुद्धि का ताला- माया ने बन्द कर दिया, लॉकप गॉडरेज का ताला लगा हुआ है । तो बाप आ करके बुद्धि का ताला बड़ा सहज खोलते हैं, परन्तु देखो बाबा तो सब शिव को कहते हैं ना । तो जरूर शिव रचता है । तो सबका बेहद का बाप हुआ ना । तो बेहद के बाप से बेहद का सुख । बेहद का सुख कौन सा देंगे? बाप सतयुग स्थापन करते हैं । सतयुग में यह लक्ष्मीनारायण हैं । बरोबर हुआ ना । बेहद के बाप से श्री लक्ष्मी और नारायण को बेहद दुनिया का मालिक बनाया । किसने बनाया? कलहयुग में तो कोई बेहद का मालिक नहीं होगा ना । देखो, कलहयुग में क्या है! और यह भारत में ही है कि बरोबर सतयुग में श्री लक्ष्मी और नारायण का राज्य है । जरूर इनको यह वर्सा बाप से मिला होगा । तो सिर्फ लक्ष्मीनारायण थोड़े ही होंगे, वो तो सतयुग मे राजधानी होगी ना । तो बाबा साईं जरूर यह सारी राजाई देते हैं । तो जरूर राजाई देने का लायक बनाता होगा । तो देखो तुम बच्चों को लायक बनाने के लिए राजयोग सिखलाय रहे हैं । तुम यहाँ राजयोग सीख रहे हो । अभी कोई मनुष्य तो नहीं सुनाय सकते हैं । कितना भी कोई विद्वान-पण्डित होवे, राजयोग तो नहीं सिखलाते । विश्व का मालिक तो नहीं बनाय सके ना । विश्व का मालिक तो बाप बनाएगा ना, शिवबाबा जो मालिक है और रचता है । भगवान को बाप भी कहते हैं । तो जब बाबा है तो उनसे हमको वर्सा होना चाहिए । सतयुग में था, अभी नहीं है । तो अभी फिर मिलना चाहिए, क्योंकि संगमयुग है । अभी तुम बरोबर जानते हो कि शिवबाबा से वर्सा ले रहे हो- शांति का और सुख का । भला और बाकी से क्या मिलता है? बाकी से सब दुःख का वर्सा मिलता है । भला सबसे अच्छा तो गुरु है ना । बोलता है- वो तो और ही तुमको डुबाते हैं, क्योकि वो जानते तो हैं नहीं । वो तो शिवोहम सर्वव्यापी कह देते हैं । तो बाप कहते हैं कि देखो, पतित-पावन मुझे कहते हो । यह समझ की बात है ना । तुम कहते हो कि पतित-पावन आओ । सभी पतित हुआ! अच्छा, मैं पावन जब बनाता हूँ तो जरूर पावन तुमको रहना पड़ेगा । सतयुग त्रेता को पावन कहते हैं । फिर तुमको जरूर कोई पतित बनाने वाला होगा, क्योंकि चक्र तो फिरता रहता है । तो इनको मालूम थोड़े ही है कि पतित फिर कौन बनाते हैं । ये 5 विकार रूपी रावण । तो इस समय में सभी पतित, बन्दर हैं । देखो, वो अखानी है ना कि लक्ष्मी का स्वयंवर होता था तो वो नारद खड़ा था । भगत था ना । बोला- हम वर सकते हैं लक्ष्मी को । ...अपना मुँह देखो । मुँह दिखलाया तो बन्दर देखने में आया । बन्दर तुम लक्ष्मी को कैसे वरेंगे । तो भगत हैं ही बन्दर । वो थोड़े ही बाप से वर्सा ले सकते हैं । नहीँ । फिर बाप बन्दरों को लायक बनाते हैं । देखो, तुम सभी अभी श्री लक्ष्मी को वरने के लिए पुरुषार्थ कर रहे हो । कोई लक्ष्मीनारायण एक तो नहीं होते हैं ना । डिनायस्टी है । आठ होते हैं- लक्ष्मीनारायण द फर्स्ट, द सेकेण्ड, द थर्ड । देखो, अभी तुम बनाते हो । तो जब ये हाथ उठाते हैं तो बाबा खुद पूंछ्ते हैं- दिल रूपी दर्पण में देखा है, कोई भूत तो तुम्हारे में नहीं है? काम का या क्रोध का? या लोभ का या अशुद्ध अहंकार का कोई भूत तो नहीं? अगर भूत है तो तुम लायक नहीं हो सूर्यवंशी बनने का । यहाँ तो एक्यूरेट समझाया जाता है ना । कौन बैठकर समझाते हैं? शिवबाबा । जब कहते हो शिवबाबा तो जरूर बाबा से तो वर्सा मिलना चाहिए ना । जरूर उनको रूप धारण करना ही पड़े, आना ही पड़े । तो देखो वो आते हैं, वो बोलते हैं कि मैं आता ही हूँ उनमें, जिनको मैंने वर्सा दिया था और फिर गुमाया है । चक्र खाएगा ना, जो पहले- हैं । 84 जन्म तो पहले वाले का होगा ना । इसलिए तो गाया जाता है ना कि आत्माएं और परमात्मा अलग रहे बहुकाल । तो बाप कहते हैं पहले-पहले हमने तुमको स्वर्ग में भेज दिया । तुम पहले-पहले बिछुड़े, अभी फिर तुमको ही स्वर्ग का मालिक बनाना पड़े । तो कितना सहज है समझना और समझाना, सो भी खास करके भारतवासियों को । बाप समझाते हैं कि जो भी देवताओं का पुजारी होवे, गीता-वीता का होवे, उनको थोड़ा सुनाने से सहज होगा । बाकी जो दूसरे मठ पंथ ये सभी, आर्यसमाजी, चिदाकाशी. बहुत होते हैं ना, वो कभी नहीं समझेंगे एकदम, क्योंकि वो देवी-देवता धर्म के हैं ही नहीं । हाँ, कोई देवता वाला कनवर्ट हो करके गया हुआ होगा उनको कुछ टच होगा । वो ले सकते हैं, क्योंकि सैम्पलिग लग रही है । तो जो भी हिन्दू धर्म वाले, उनमें जो पुजारी अथवा रिलीजस माइंडेड हैं, वो बहुत आएंगे और बाकी कोई-कोई कहाँ-कहाँ से निकलेंगे । मुसलमान भी निकल आएंगे तो सन्यासी भी निकल आएँगे और कोई धर्म से भी निकल आएंगे, क्योकि धर्म वाले ये सभी कनवर्ट हो गए हैं । देवी-देवता धर्म वाले सब प्राय: गुम हो गए हैं, कनवर्ट हो गए । कोई अपन को हिन्दू कहलाने लग पड़े हैं, कोई क्या, कोई क्या । तो जो यह धर्म वाले होंगे ना, वो बड़े धारण करेंगे और जो दूसरे धर्म वाले हैं उनकी बुद्धि मे बैठेगा ही नहीं एकदम । समझा, क्योकि जैसे वो पत्थर बुद्धि हैं । कभी बुद्धि में बैठेगा भी नहीं एकदम । तुम देखेंगे ना जो यह मरते हैं. ..जो एग्जिबिशन होते हैं, उसको क्या कहते हैं? प्रदर्शन । उनमें बहुत लिखेंगे कि बहुत अच्छा । बहुत लिखेंगे कि कुछ समझ मे नहीं आता है । बहुत लिखेंगे कि इसमें कुछ समझ में आता ही नहीं है । ये सभी वाह्यात है । कोई लिखेंगे कि बड़ा अच्छा है । तुम देखते नहीं हो ना । बाबा देखता था । वहाँ तो छूट ही है, जो चाहिए सो लिख देवें । कोई तो गालियाँ भी लिखकर जाते हैं । तो देखो, देखने में आता है ना, कोई बड़ा अच्छा समझते हैं, कोई गालियाँ लिख देते हैं । कोई तो कहते हैं- मैं समझने को आया हूँ । कोई तो आता है समझने के लिए । हाँ चलो, बहुत हैं ना । कितने आए हो? बाबा, 30 हजार आए हैं । उनमें से कितने आए बाबा 5-7 आते हैं समझने के लिए । कहाँ से बोलेगा, 20 समझ रहे हैं । बाबा, आए 5-7 रोज समझ करके, फिर अभी आते ही नहीं । तो बाबा कहते हैं ना- कोटो में कोऊ कोऊ में कोऊ, फिर कोऊ में कोऊ । तो देखो बरोबर ऐसे होता है ना । जो इस धर्म का नहीं होगा उसकी बुद्धि में बिल्कुल नहीं बैठेगा । उड़ जाएगा । थोड़ा बैठेगा तो नम्बरवार प्रजा मे आ जाएँगे । जितना अच्छा समझेंगे इतना अच्छा प्रजा में आ जाएँगे । थोड़ा समझेंगे, थोड़ा प्रजा मे आएँगे । बहुत समझेंगे तो अच्छी प्रजा में आएंगे, क्योकि यह नया फिर से वही देवी-देवता धर्म स्थापन हो रहा है, जिसका जो फाउंडेशन था वो सड़ गया है । जैसे कलकत्ते में यह बनियन ट्री, बड़ का झाड़ देख करके आए ना । एकदम बड़ा-बड़ा है ना । फाउण्डेशन जड़ सड़ गया है । तो उसका मिसाल देते हैं कि वो जो स्थापना करने वाला धर्म है, वो प्राय:लोप हो गया है, बाकी सभी धर्म खड़े हैं । तो फिर जब रिपीट होना है, तो फिर वो धर्म हो जाएगा तो बाकी सभी धर्म उड़ जाएंगे । अभी कितनी समझने की बाते हैं, परन्तु बाबा कहते हैं जो इस धर्म वाले होंगे सो कुछ न कुछ समझेंगे । बाकी किसकी बुद्धि मे बैठेगा नहीं, यहाँ से सुना, यहाँ से चला गया । ऐसे बच्चे यहाँ बहुत आते हैं । अच्छा, आज बहुत देरी भी हो गई है । चलो, बाजा बजाओ । जब कोई सख्त बीमार होते हैं ना तो होपलेस हो जाते हैं । शिवबाप खुद कहते हैं- बच्चे, तुम सब होपलेस हो, सब मरने वाले हो । मैं तुम सभी आत्माओं को वापिस ले जाने के लिए आया हुआ हूँ । वो तो जरूर होगा ना । सबको मच्छरों मुआफिक ले जाएगा ना । वो तो खुद कहते हैं- मैं तुम्हारा रूहानी पण्डा हूँ । अभी समझते हो? यह तुम सभी आत्माओं को हम मच्छरों के मुआफिक वापिस ले जाने के लिए आए हैं, क्योकि ये सभी पतित हैं । कहते हैं ना पतित-पावन दुनिया । पावन दुनिया में तो थोड़े होते हैं । बाकी आत्माओं को तो वापिस ले जाना है । तो देखो पण्डा है, इसलिए पाण्डव हैं । यादव, कौरव पाण्डव हैं । तुम पण्डे हो । वो जिस्मानी पण्डे ब्राहमण, तुम सच्चे-सच्चे ब्रह्मावंशी रूहानी पण्डे । तुम सभी आत्माओं को वापिस ले जाने वाले हो । यह मनुष्यों का काम नहीं है । यह बाप का काम है सद्‌गति देना । दुर्गति देना मनुष्यों का काम है । ये जो गुरू? लोग हैं ना, ये सभी दुर्गति मे डालते हैं । कोई भी सद्‌गति नहीं दे सकते हैं । बाबा खुद कहते है- मैंने कम से कम डजन गुरु? किए होंगे । वर्थ नॉट ए पैनी बन गए । अभी बाबा एकदम पावन बनाते हैं । तत् त्वम तुमको भी ऐसे ही बनाते हैं । अच्छा, बाजा बजाओ बच्ची । कोई किताब लेते हैं? अच्छा, कोई साकार गुरु के शिष्य हैं जो बैठ करके जो गुरु सिखलाते हैं, कहते- नहीं, ! हम निराकार बाप को जानते हैं जो आकर के.... तो बाप कहते हैं, यह भी ऐसे ही कहते हैं ना- हम निराकार को जानते हैं । निराकार कहते हैं- मैं तुम सब बच्चों को पढ़ाता हूँ । जो साकार पढ़ाते हैं वो तुमको डुबाते हैं और मैं तुमको पावन करता हूँ पावन दुनिया मे ले जाता हूँ । (गीत की धुन:- चलो चले माँ, सपनों के गॉव में....) ..देख रही है । ये प्रदर्शनी पिछाड़ी प्रदर्शनी बहुत होती जाऐगी । विलायत तक भी होती जाएँगी । ये दुनिया देखती है कि ये भारत को स्वर्ग बनाकर ही छोडेंगी । कल्प-कल्प जैसे बनाती हो । बोलते हैं कि जीवन में ये काम की चिंगारी नहीं लगाना । कभी काला मुँह नहीं करना फिर, जबकि अभी तुम्हारा गोरा मुँह बनाते हैं । ऐसे हैं ना । इस समय में सबका काला मुँह है, क्योंकि जो काम चिता पर चढ़ते हैं उनको कहा ही जाता है- कलमुँहे बन्दर । तो बाप कहते हैं खबरदार रहना । जब एक दफा प्रतिज्ञा करते हो कि हमको पवित्र रहना है, तो मुँह काला नहीं करना । अगर मुँह काला करेंगे तो फिर पद भ्रष्ट हो जाएगा । फिर ऐसा अच्छा गोरा नहीं बन सकेंगे । मूल बात है ये । समझा ना। क्योंकि बाप भी कहते हैं ना- काम महाशत्रु है । इसलिए इन पर पूरी जीत पहननी है । शत्रु से लड़ाई है । कम नहीं है बच्चे । बहुत फेल होते हैं । तो बाबा लिख देते हैं- कुलकलंकित बाप से प्रतिज्ञा करके कि हम काला मुँह नहीं करेंगे, फिर तुमने काला मुँह कर दिया । तो बाबा लिख देते हैं कि नैलत है तुम्हारे ऊपर । जैसे लौकिक बाप होते हैं ना, बाप बच्चों को नैलत डालते हैं । परलौकिक बाप भी नैलत डालते हैं, परन्तु तुमको शर्म आना चाहिए, क्योंकि ब्राहमण कुल है ऊंचे ते ऊँचा क्योंकि पवित्र है और फिर ईश्वरीय सन्तान हैँ । तो देखो, बाप जिनके हाथ में राइट हैंड धर्मराज है, वो तो बहुत कड़ी सजा देंगे । तो बोलते हैं एक तो कड़ी सजा भी खाएंगे और पद भ्रष्ट भी हो जाएगा । इसलिए पवित्रता फर्स्ट प्यूरिटी फर्स्ट । नो प्यूरिटी नो मुक्ति वा जीवनमुक्ति, नो सुख । मूल बात है यही पवित्रता के ऊपर और उसमें ही सब बहुत फेल होते है, घड़ी-? गिरते हैं । तो इसलिए बाबा बच्चों को सावधानी देते रहते हैं कि प्रतिज्ञा करके अगर तुम काला मुँह कर दिया, तो फिर वो गर्त है ना, उसमें ताम्रध्वज और मोरध्वज की कहानी कि धर्मराज से आरे से वो कटवाते हैं । ये ट्रिबुनल बैठती है । इसलिए खबरदार रहना । बाप से पवित्रता की प्रतिज्ञा करना है तो तोड़ निभाना है, नहीं तो फिर मरे । अच्छा, मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति परलौकिक मात-पिता जिससे सुख घनेरे का वर्सा लेते हो, जिनकी श्रीमत पर चलना है, ऐसे श्रीमत पर चलने वाले बच्चों को यादप्यार और गुडनाइट ।