22-06-1964     मधुबन आबू     रात्रि मुरली    साकार बाबा    ओम् शांति    मधुबन
 


हेलो, गुडनाइट यह बाईस जून का रात्रि क्लास है
तुम नन्स नन बट वन, ऊंचे ते ऊंचा बाप है उनको याद करती हो और याद करती हो उन्हों के डायरेक्शन से, क्योंकि मनुष्य डायरेक्शन देते हैं ना- कृष्ण को याद करो, विष्णु को याद करो, ब्रहमा को याद करो, आदि देव को याद करो । ऐसे कहते हैं ना । तो मनुष्य, मनुष्य को कहते हैं- फलाने को याद करो, भले देवताओं को याद करो । यहाँ स्वयं बाप सन्मुख आ करके फिर बच्चों को कहते हैं और आत्मा से बात करते हैं । आत्माएँ कर्मेन्द्रियों से सुनती हैं । तो बच्चे, अभी मुझे याद करो । बच्चों को ये मालूम हुआ कि अभी खेल खलास होता है । सभी एक्टर्स मौजूद हैं । देखो, कितने एक्टर्स मौजूद हैं । वास्तव में सभी को कहेंगे, भले अच्छे मनुष्य भी होते हैं. ....कोई बुरे भी होते हैं, देखते हो ना । है बच्चे यहाँ । कोई तो देखो कितने... हैं । खून करने में देरी नहीं करते हैं, चोरी करने में देरी नहीं करते हैं । मार करके पैसा लेकर जाते हैं । अच्छे आदमी भी बहुत हैं । ऐसे तो नहीं कि नहीं हैं । अच्छे, गरीब, साहुकार । तो यहाँ अच्छे भी हैं, बुरे भी हैं । ऐसे जरूर कहेंगे । बुरे मनुष्य भी हैं, अच्छे मनुष्य भी हैं । वहाँ सतयुग में किसके मुख से ऐसे कभी नहीं निकलेगा कि अच्छे भी हैं, बुरे मी हैं । नहीं, सब अच्छे हैं । वहाँ बुरा अक्षर, पापात्मा अक्षर निकलेगा नहीं । यहीं निकलता है ना- यह बड़ा पापात्मा है, यह बहुत पुण्यात्मा है । वहाँ ये अक्षर भी नहीं आते हैं, क्योंकि वहाँ पापात्मा कोई होता ही नहीं है । .. समझाया जाता है कि वहाँ सभी वाइसलेस हैं । देखो, नाम ही है वाइसलेस वर्ल्ड । तो बच्चे अभी जानते हैं कि हम वाइसलेस वर्ल्ड के मालिक थे । विश्व को वर्ल्ड भी कहा जाता है, सृष्टि भी कहा जाता है, दुनिया भी कहा जाता है, अनेक नाम हैं । बच्चों को अभी यह भी जानकारी हुई कि यह भारत जो देवी-देवताओं का राजस्थान था, अभी वो ही पुराना भारत हुआ । यह जरूर कहेंगे । अभी जानते हैं । दुनिया नहीं जानती है, दुनिया के मनुष्य नहीं जानते हैं । कलहयुग कहते हुए भी, ऐसे नहीं कहेंगे कि पुरानी है; क्योंकि कलहयुग ही 40 हजार वर्ष बाकी है, ऐसा कहते हैं । बच्चे जान गए हैं अभी तो संगमयुग है और बच्चे जानते हैं कि अभी हमने इस पार से लंगर उठाया हुआ है । उस पार बहुत नजदीक जाकर पहुंचे हैं । इसको फिर ज्ञान कहा जाता है कि हम इस दुनिया से पार जा रहे हैं । अभी खिवैया है ना । तो खियैया जरूर जो नैया है उनको दूर ले जाते हैं । तो जैसे ये नैया है और अपने परमधाम के वा शांतिधाम के नजदीक है । तो बच्चों को खुशी है । ये बहुत थके हुए हैं । नाटक करते-करते बच्चे थक जाते हैं । उसमें भी जो पार्ट लेते हैं, जिनकी एक्टिंग होती है, थक जाते हैं, कहाँ नाटक पूरा हो तो घर भागें, क्योंकि उन लोगों को भी 4-5 घण्टा तो नाटक में रहना पड़ता है ना; बल्कि 5-6 घण्टा भी रहते हैं । बच्चों की बुद्धि में है कि अभी नाटक पूरा हुआ है, हम बहुत थक गए हैं, बहुत धक्का खाए हैं । भगत नहीं कहेंगे कि हम कोई धक्का खाते हैं । भगत तो धक्का खाने के लिए यानी तीर्थों पर दूर-दूर जाते हैं और थक आते हैं । तुम बच्चों को कोई थकावट की बात नहीं । सिर्फ याद । अभी ऐसे नहीं कहेंगे कि हम याद करते थक जाते हैं । ऐसे कोई भी नहीं कहेंगे, परन्तु माया थोड़ा याद में विघ्न डालती है, जिसको फिर तूफान कहा जाता है और जोर से डालती है । न चाहते हुए भी... कोई बच्चे कोशिश भी करते हैं कि नहीं, हम तो ऐसे; जैसे बाबा ने समझाया ना- आशिक और माशूक । दुनिया में कोई नहीं जानते हैं कि बरोबर कोई आत्मा आशिक होती है और परमात्मा आत्मा का माशूक होता है । तुम बच्चे जानते हो कि हम सभी आत्माएँ अब परमात्मा के आशिक हैं । दुनिया में कोई इस आशिक और माशूक को नहीं जानते हैं । भले गाते हैं; परन्तु प्रैक्टिकल में जिसको कहें, कोई भी नहीं जानते हैं । तुम बच्चों में भी बरोबर नंबरवार हैं । कोई तो बड़े अच्छे आशिक हैं । माशूक को बहुत अच्छा याद करते हैं । फिर कौन विघ्न डालते हैं? कम, कोई कम, कोई कम । कोई अच्छे आशिक, माशूक हैं । बड़े प्यार से याद करते हैं ।....एक प्रवृत्तिमार्ग की है । मैं किसको याद करती हूँ? बाबा को याद करती हूँ । ऐसे नहीं कहना है कि बाबा से योग रखती हूँ । घर में थोड़े ही बच्चे ऐसे कहेंगे । कहेंगे- बाबा को याद करते हैं, मम्मा को याद करते हैं । एक फैमिलियरटी का अक्षर जो अपने गृहस्थ का होता है प्रवृत्तिमार्ग का । तो याद रखना याद मीठा भी है । कोई भी कहे कि हम भूल जाते हैं । अरे, ऐसे कैसे हो सकता है! यानी बच्चा कभी कह थोड़े ही सकते हैं कि हम बाबा को भूल जाते हैं । अज्ञान काल में कभी भी कोई बच्चा ऐसे नहीं कह सकेगा कि हम बाबा को भूल जाते हैं और मर जाते हैं तो भी याद करते हैं; क्योंकि उनका चित्र भी तो रहता है ना । तो याद तो अच्छी है ना । तो यहाँ भी मात-पिता को हम याद करते हैं । तो बच्चों को ऐसे-ऐसे अपने से वाचा करनी चाहिए कि मात-पिता को, जिसके हम अब बच्चे बने हैं, उनको याद करते हैं । यह बात रूह के लिए हुई ना । इस याद में ही अति इन्द्रिय सुख जो गाया जाता है- अति इन्द्रिय सुख पूछो तो गोपीवल्लभ के गोप और गोपियों को । क्यों?.... अभी गोपी-गोपवल्लभ कौन? शिवबाबा । कृष्ण को वल्लभ तो कह न सके ना । अभी यहाँ समझते हो बरोबर हम मात-पिता के सम्मुख बैठे हुए हैं । जितना यहाँ तुम बच्चों को याद रहती है; क्योंकि सन्मुख हो ना, घर में बैठे हो तो क्यों नहीं याद पड़ेंगे । नहीं तो किसके पास आए हो? तो सब जरूर कहेंगे कि हम मात-पिता, बापदादा के पास आए हैं, बैठे हैं । तो आए हैं, बैठे हैं, घर में बैठे हैं ना, तो कहेंगे बहुत, दिल होगी- बाबा, अगर आपके पास हम सदैव रहेंगे तो हमको अच्छी भासना आती रहेगी, हमारा निश्चय भी और याद भी पक्की होती रहेगी; परन्तु ऐसे यहाँ ठहरने का ड्रामा में है नहीं । जाना ही पड़ता है; क्योंकि अपने गृहस्थ व्यवहार को सम्भालना है, क्रियेशन को सम्भालना है । जाना ही पड़े, नहीं तो इतने ढेर-ढेर बच्चे कहाँ बैठकर पालें? देखो .... .होते हैं तो भी कितनी बड़ी-बड़ी डेग बनाते थे । अभी कितनी डेगियाँ बनाई हैं । देखो, यहाँ मधुबन में क्या लग रहा है? शादमानी । डेगियॉ चढ़ती रहती हैं और चढ़ती ही रहेंगी, वृद्धि को होती रहेंगी । एक समय मे इतने बच्चे आ करके इकट्‌ठे होंगे, वो शायद इतनी बड़ी डेग नहीं है । देखो, वहाँ मुसलमानों का जो अजमेर में दरगाह होता है ना, उनमें पता है कितने भाड़ा हैं? (बच्ची ने कहा- 120 बंकि) बाबूजी, है आपके पास इतना बड़ा 120 बंकी? तो विवेक कहता है कि यहाँ कितनी बंकी डेग पर फिर आकर चढ़ेंगी जरूर, ऐसे ही जैसे कि बाप खुद कहते हैं- बापदादा दोनों कहते हैं ना हम कितने बच्चे वाले हैं । ढेर के ढेर बच्चे वाले होते ही जाते हैं, आते ही जाते है । तो कितने बच्चे हो जाएँगे देखो तो? सौतेले कि सगे? बाबा-मम्मा तो जरूर कहेंगे ना । सौतेले-सगे, कोई काका-चाचा भाई-भाई नहीं हैं । ये सुन थोड़ा सौतेले हैं, जो प्रतिज्ञा नहीं करते हैं, पवित्र नहीं बनते हंा और जो पवित्र बनते हैं वो सगे । फिर खुशी भी जरूर होनी चाहिए । बच्चे जान गए कि जिसके लिए हम कहते थे, तुम मात-पिता, हम बालक तेरे, तुम्हरी कृपा ते सुख घनेरे- ये अक्षर बड़े अच्छे हैं । बरोबर उस मात-पिता से हम वर्सा पाय रहे हैं । थोड़ी याद की मेहनत है । अभी याद की मेहनत को कोई मेहनत थोड़े ही कहेंगे । बच्चे बाप को याद करते हैं, हम याद करते हैं, यह कोई मेहनत थोड़े ही है । ये तो ऑटोमैटिकली जैसे हो ही जाता है । तो ये भी आत्मा परमात्मा के गोद में आ करके बैठती है । बाबा आते हैं ना, पूछते हैं किसके गोद में आई हो? शिवबाबा के । अच्छा, शिवबाबा की गोद में आई हो, तो भला बाबा को याद करते रहेंगे ना । जब भी कोई बच्चा नहीं होता है तो मात-पिता दोनों बच्चों को एडॉप्ट करते हैं । फिर मात-पिता को तो जरूर याद करेंगे ना; क्योंकि वर्सा भी सामने खड़ा है । देखो, यहाँ तुम्हारे पास कितनी आमदनी मिलती है! बादशाही मिलती है । तो बहुत पक्का याद करना चाहिए अच्छी तरह से । बड़ी भारी प्राप्ति है, बहुत प्राप्ति है और सिर्फ याद से, सो भी चुप करके याद से । अब यह तो जरूर है, जो याद करेंगे और औरों को याद करवाएँगे ऊँचे फुल पाएँगे । जो करेगा सो पाएगा । अच्छा... .....जहाँ बैठो तहाँ तुम यात्रा पर हो । वो तो वहाँ जाते हैं कोई ठिकाने पैदल कर्मेन्द्रियों से, ये जो स्थूल कर्मेन्द्रियाँ हैं इनसे चलना होता है, इनसे काम नहीं लेना पड़ता है । आत्मा को बड़ी खुशी होती है । 10 वर्ष के पीछे परदेस से कोई का बाप आवे और बच्चों से मिले तो खुश नहीं होते हैं बच्चे! तो ये जो कल्प के बाद आकर मिले हैं तो खुशी होनी चाहिए ना और ले भी सौगात आए हैं । तुमको मुट्‌ठी में खर्ची देते हैं । हाँ, ऐसे करके मुट्‌ठी में तुमको क्या मिलती है? बाबा क्या देते हैं? वैकुण्ठ की बादशाही । ये गीत है यहाँ तुम लोगों के पास । (बच्चों ने कहा- नन्हें-मुन्ने बच्चे तेरी मुट्‌ठी में क्या है?) नन्हें-मुन्ने बच्चे तो यही हैं ना । सच्ची-सच्ची यही है । वो भी गाते हैं और है तुम्हारे लिए, गाते हैं बिचारे वो । हैं भी नन्हें-मुन्ने बच्चे, देखो, कितने ढेर के ढेर हैं । अब तुम्हारी मुट्‌ठी में बरोबर स्वर्ग की बादशाही है । कुछ पिछाड़ी में वो भी ऐसे ही शायद कहते हैं- राजा बनेंगे । ...... अपने बच्चों को, सिकीलधे बच्चों को ये कल्प पहले भी तो खिलाया होगा ना । कल्प पहले ये खाए होंगे और अभी भी खिलाता हूँ । (बच्ची ने कहा- आइसक्रीम सबको मिल गई होगी? नहीं मिली होगी तो हाथ खड़ा करे) कायदे अनुसार फिर बनेंगी । (बच्ची ने कहा- फिर दूसरी, तो गोपगप्पा कब बनेंगे?) गोलगप्पा । टेप वाले बच्चों को कैसे खिलावें? यहाँ शिवबाबा अभी सूबीरस पिला रहे हैं । हाथ में कटोरा है और तुम तो कुछ टेस्ट ले नहीं सकेंगे । अगर पूछना है तो टेस्ट लेने वाले से पूछो । अच्छा, अब मम्मा को भी खिलाते हैं । मम्मा थोड़ा मुख तो खोलना । अच्छा, टेस्ट करके देखो- अच्छा है? मीठा है? (बच्ची ने पूछा- ठण्डी तो नहीं लगती है?) बोलते हैं- हाँ, अच्छा है । (किसी ने कहा-बहुत अच्छा आइसक्रीम!) मीठे-मीठे सिकीलधे रूहानी बच्चों प्रति मात-पिता, बापदादा का यादप्यार और गुडनाइट ।