23-06-1964     मधुबन आबू     रात्रि मुरली    साकार बाबा    ओम् शांति    मधुबन
 


हेलो, गुडनाइट यह तेइस जून का रात्रि क्लास है
राधे को कोई जगदम्बा भी नहीं कहे, सरस्वती को जगदम्बा भी कहते हैं । गफलत है । गीता भागवत, महाभारत व रामायण, जो अच्छे बच्चे हैं, वो अच्छी तरह से समझ गए हैं कि बरोबर ये रात-दिन का फर्क है । उन शास्त्रों से बरोबर रात-दिन का फर्क है कि उस गीता से रात हो पड़ती है और इस समय भगवान जो बैठ करके राजयोग सिखलाते हैं, उससे दिन हो पड़ती है । ये तो रात-दिन का फर्क है । ......जैसे दंत-कथाएं देखने में आती है । अब महाभारत की कितनी मान्यता है । देखो, महावीर और महावीरनी बैठे हुए हैं । 'शिवशक्ति, नाम तो बहुत अच्छा है । बहुत गाया हुआ है, परन्तु इस समय मे शिव की ये सब शक्तियॉ । शिव की शक्ति, मेल के लिए भी यही प्रनाउन्स है. 'शक्ति तो माताओं के लिए भी 'शक्ति । शक्ति मिलती है सर्वशक्तिवान से । तो ये हो गए मास्टर सर्वशक्तिवान । सर्वशक्तिवान ही स्वर्ग की स्थापना करते हैं । तो ये फिर उनके बच्चे हैं । ये बच्चे भी अभी जैसे मास्टर सर्वशक्तिवान हैं, क्योंकि बाप जो सर्वशक्तिवान है उनके साथ मिल करके और बच्चों को नशा भी रहता है, क्योंकि हम आत्माएं इस शरीर द्वारा श्रीमत पर इस भारत की सर्वोत्तम सेवा कर रहे हैं । सेवाएँ तो अनेक हैं ना, उनमे ये है सबको श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बनाना । श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ माना ही प्योर बनाना । प्यूरिटी मे ही मुक्ति लगी हुई है । तुम बच्चे जैसी सर्विस करेंगे वैसी तुम्हारी यादगार बनेगी, इसलिए तुम्हारी जो इतनी सर्विस है, उसकी यादगार है ना । ये सिद्ध करते हैं कि इन्होंने इतनी सर्विस की है । अभी तुम बच्चे जानते हो, समझते हो कि तुम बच्चों ने जो भी सर्विस की कल्प पहले उनका यह मंदिर भक्तिमार्ग मे बनाया हुआ है । फिर ये खतम हो जाएगा । तो यहाँ बच्चे हरेक की आक्युपेशन बायोग्राफी बताय सकते हैं । तो बुद्धि में जो अच्छे बच्चे हैं, उनको फिर नॉलेजफुल कहेंगे, जो सिर्फ याद में रहते हैं, कुछ बोल नहीं सकते है, उनमें नॉलेज कम रहती है । तुम बच्चों मे कई-कई में नॉलेज बहुत अच्छी रहती है, बुद्धि मे सारी नॉलेज फिरती रहती है और जो कम बुद्धि वाले हैं उनको यह नॉलेज है कि हाँ बाबा और वर्सा । वो जो डिटेल में है, वो जैसे बीज और झाड़ बस इतना ही समझेंगे, तो भी अगर नॉलेजफुल भी भले कोई है तो उनसे भी यह बच्चियाँ अगर सिर्फ याद में रहे, भले उन्हों मे इतनी बड़ी नॉलेज न भी हो और उसमें ऐसे इनकी तीखी हो, क्योंकि भले कोई योग मे भी अच्छे रहते हैं, किसको नॉलेज भी अच्छी है, परन्तु नहीं, उनसे भी अगर कोई अच्छी तरह से याद की दौड़ी पहने तो बच्चे बहुत ऊंचे जा सकते हैं, क्योंकि माया विध्न डालती है याद मे । इसलिए याद का चार्ट रखना, क्योंकि बाबा ने कहा है ना- याद के साथ वर्सा समाया हुआ है । तो अगर कोई याद का चार्ट रखते रहें, तो वो बच्चे बहुत ऊँच पद पाय सकते हैं, क्योंकि कर्मयोगी तो हो । इसलिए माताओं के लिए कहते हैं, अहिल्याएं बच्चियां ये बिचारी क्या सीखेंगी! इनको क्या, इतना कह याद कर सकती हैं । ये कौन आया । तो इस समय में बच्चों को यह जो नॉलेज है, यह नॉलेज फिर कोई को भी नहीं है । देखो, कितने बड़े-बड़े फिलॉसफर, डॉक्टरों का. फलाना क्या, बाहर में बहुत बड़े-बड़े आदमी हैं, बहुत धनवान हैं और देखो, यहाँ कैसे बच्चे बैठे हुए हैं और इनमें कितनी नॉलेज है । इनमें कितना नशा है कि हमारे जैसी नॉलेज और कोई भी मनुष्यमात्र मे नहीं होती है । तो नशा रहता है ना! सिर्फ एक लब्ज है । वो तो शास्त्र वगैरह अथाह हैं । तुम्हारी एक सेकेण्ड की बात । वो अनेक शास्त्र वगैरह, तीर्थ, जप करते हैं, कुछ भी मुक्ति-जीवनमुक्ति नहीं पाय सकते हैं । तुम्हारा एक अक्षर मन्मनाभव-मद्याजीभव का । देखो, भारी मंत्र है ना । उसमें सब समा जाता है । इन दो अक्षर मे- अल्फ और बे, बस उसमें सब आ जाता है । अलफ माना अल्लाह, बे माना रचना । अलफ माना रचता । सृष्टि मे सभी धर्मो के इतने जो भी वेद-ग्रंथ-शास्त्र है, वो सब इन दो अक्षरों में समा जाते हैं । देखो, थोड़े से अक्षरों में बिल्कुल ही.. जीवनमुक्ति सेकेण्ड में । अभी गाते तो बहुत हैं । एक पांडव गीता भी है, अष्टावक्र गीता है । पढ़ते भी बहुत हैं । पढ़ी हुई भी है, परन्तु कुछ भी समझ में नहीं आता है । अभी दो अक्षरों मे बाप से क्या मिल जाता है! तो उन दो अक्षरों को तो याद करना चाहिए ना । उसमें भी अलफ बाप को याद करना । बे उसमें आ जाती है । अलफ के बाद रचना शुरू होती है ना- बे, ते, से वगैरह-वगैरह । तो बस, तुम बच्चों ने सिर्फ अलफ को याद किया, बाप को याद किया तो वर्सा जरूर याद पड़ता है । अभी कितना सहज है! कोई सिर्फ यह याद करता रहे तो सदा यूं खुशी में रहे । वो मनुष्य कितना भी लखपति, करोड़पति और ये बिल्कुल ही गरीब हो, बस यह याद करते रहें तो भविष्य में हम मालिक बन जाते हैं । पढ़ाई हुई ना । छोटे बच्चे हो । अभी पढ़ रहे हो । बाप को अपना बनाया, झट फिर शुरू हुई ये पढ़ाई । बच्चा पैदा हुआ देरी थोड़े ही लगती है । बच्चा पैदा हुआ और पढ़ाई शुरू हुई । एक सेकेण्ड में बच्चा पैदा हुआ और एक सेकेण्ड में पढ़ाई पढ़ ली । पढ़ाई कितनी थोड़ी है एकदम । बस, बाबा कहने से विश्व की बादशाही की याद आ जाती है । इस हालत मे तो खुशी में रहना चाहिए ना और बरोबर गायन भी है कि गोप-गोपियों से अति इन्द्रिय सुख की पूछो, जो नशा चढा हुआ है कमाई का, जबरदस्त नशा चढा हुआ है । कोई तकलीफ नहीं । कहाँ हैं बेबियॉ! देखो, ये भी अगर खडी हो जावे, दो अक्षर है, कोई जास्ती नहीं है । शूरुड बुद्धि वाले इशारे मे समझते हैं ।.......जैसे राजा कोई होवे, गरीब को एडॉप्ट किया, राजा का नशा चढा अल्प काल का । यह भी ऐसे ही है । गरीब तो हैं ही सभी । जीवनमुक्ति, सस्ता सौदा हुआ ना । इसलिए ये नाम इनका ऐसे ही गाया जाता है- भोलानाथ, कितना मीठा, कितना प्यारा, जो सेकेण्ड मे जीवनमुक्ति देते हैं और बाप भी ऐसे कहते हैं ना । गाते तो हो ना । गाते आए हो सेकेण्ड में जीवनमुक्ति । यह तो जरूर है कि भक्तों के लिए जब मैं आऊंगा तो भक्तों के लिए कोई सौगात ले आऊँगा ना । इनको याद जो करते रहते हो, कोई तो सौगात ले आऊंगा ना । तो मैं सौगाते ले आता हूँ दो मुट्‌ठी भरता हूँ । एक मुट्‌ठी में मुक्ति देता हूँ एक मुट्‌ठी में जीवनमुक्ति देता हूँ और जिनको मुक्ति देता हूँ उनको भी जीवनमुक्ति मिल जाती है, क्योंकि मुक्त तो हो जाते हैं ना । पीछे वो सतोप्रधान बन जाते हैं । जब आएँगे तो सतोप्रधान ही होंगे । अच्छा, बच्चे राजी-खुशी बैठे हैं । बाबा ने कल यहाँ कहा था कि वो हम फिर खिलाऊँगा, तो देखा कि आज बच्चियाँ बहुत बिजी थीं, क्या-क्या बनाय रही थी, तो ये गुरुवार के दिन रखा है । ठीक है ना । तुम सबसे जास्ती बाबूजी को रहना है यहाँ । तुम्हारा सबका प्रोग्राम है । बाबूजी कोई प्रोग्राम से थोड़े ही आया है । इनवीटेशन थोड़ा आया हुआ है बाबू । तुम प्रोग्राम से आए हुए हो । लिखा जाता है सात रोज रहेंगे, पद्रह की पार्टी जाएगी, पद्रह रोज के पहले तुम बच्चों को इतला देना है । देखो, इनके लिए कितना कंडीशन्स हैं । बाबू के लिए कोई कंडीशन नहीं है । इसलिए कम से कम एक मास ऐसे, अगर कोई बिल्कुल जरूरी काम न पड़ा तो । ये मार्जिन दी जाती है । बाजा बजाओ ।. .बिल्कुल काफी है बच्चों के लिए । उसमें भी एक अक्षर मे सब कुछ है । अल्प मे ही सब कुछ है । देखो तो, कितनी थोड़ी सी बात ।... इस अल्फ को कोई जान ही नहीं सकते हैं । देवता भी नहीं जान सकते हैं । सिर्फ तुम जानते हो अल्फ को । अभी जैसे कि अल्लाह के बच्चे बैठे हुए हो, तो अल्लाह भी है, बीबी भी है । तो उनके बच्चे बैठे हुए हो । मात-पिता के सम्मुख बैठे हुए हो । तो मजा है । अच्छा, चलाओ बच्ची । (म्यूजिक बजा) मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता, बापदादा का सिक व प्रेम से यादप्यार और गुडनाइट ।