28-07-1964     मधुबन आबू     रात्रि मुरली    साकार बाबा    ओम् शांति    मधुबन
 


गुड इवनिंग यह अट्ठाईस जुलाई का रात्रि क्लास है।

बच्चे तैयारी करते होंगे बड़े दिन पर कोई भाषण करने की कि कहाँ कोई निमंत्रण आ जाए । अभी क्या बड़ा दिन आने वाला है? (बच्ची ने कहा- रक्षा बंधन) रखड़ी बंधन । ...रक्षा तो स्वयं बाप करते हैं बच्चों की । सब भक्तों की भगवान आ करके रक्षा करते हैं । रक्षा की जाती है जबकि कोई बहुत ही दुःख में होता है । भारत तो इस समय में बहुत ही दु:खी है । दुःख से रक्षा करने वाला तो है सबका सुख देने वाला, दुःख हरने वाला बाप । तुम बच्चों को तो मालूम है कि बरोबर दुःख हर्ता और सुख कर्ता आय पधारा है; परन्तु ये सूचना कैसे दी जाए? क्योंकि बच्चों को यह भी एक चिन्ता है अच्छी तरह से । जैसे कोई दुःखी होते हैं ना, तो जो दुःख से मिटाने वाला है उनको चिन्ता रहती है कि इनको दुःख से कैसे छुड़ावें? बेहद के बाप को तो जरूर चिंता रहती है । वो अच्छी तरह से जानते हैं कि बच्चे अभी बहुत ही दुःखी हैं; क्योंकि दुःखधाम भी अति दुःखधाम है । अभी इस दुःखधाम से सुखधाम बनाने वाला वो आया हुआ है, हम कैसे यह ढिंढोरा पिटवावें? ढिंढोरा भी पिटवाया जाता है । अगर कोई ढिंढोरा लिखकर ढिंढोरे वाले से ढिंढोरा पिटवावे कि हमको यह सूचना देनी है कि सभी का दुःखहर्ता और सुखकर्ता सो तो है ही एक, जिसको ही फिर पतित-पावन भी कहा जाता है । देखो, ये बाप ऐस्से देते हैं युक्तियाँ कीं । उनको ठीक से अमल में ले आना, यह तो बच्चों का काम है । ढिंढोरे पर तो बहुत मनुष्य आते हैं । ढिंढोरे जब पीटते हैं तो सारे शहर में पीटते हैं । बड़ा शहर होता है तो 5-7 ढिंढोरी । ढिंढोरी कोई जास्ती नहीं लेता है, रोज का दो-चार रुपये लेंगे । तो कोई जास्ती नहीं लेगा । तो अभी रक्षा बंधन पर अगर कोई ऐसे टॉपिक लिखकर ढिंढोरची को भी देवें, जो..... जाकर ढोल बजा करके और यह समझावे कि अभी दु:ख के तो पहाड़ गिरने ही हैं और दु:खधाम तो है ही । सबका दु:खहर्ता और सुखकर्ता वो तो आ गया है, जो बैठ करके ज्ञान दे रहा है । जो न गांधी जी और नेहरू जी चाहते हैं कि भारत को फिर से ऑलमाइटी वो तो अंग्रेजी अक्षर है, यानी सर्वशक्तिवान, भारत को फिर से दैवी राज्य मिले । ये बाप आ गया है और जिसको भी बाप से मिलना हो, सो एड्रेस डाल देना कि उनसे जा करके मिले या उनके सेन्टर से या ऐसी कोई युक्ति करनी है, जो तुम जाते हो तो एक ढिंढोरा सब एक ही बार में, जितने भी गामरे हैं सबमें पिटवा दो । बाबा फिर अच्छी तरह से लिखकर देंगे । ये तो अभी- अभी बाबा को ख्याल आया है कि इनका बड़ा दिन कौन-सा आता है, जो ये ब्रह्माकुमारियॉ हशर मचाती हैं सर्विस का । सर्विस का हशर मचाना है ना । तो बड़े दिन में क्या करना चाहिए? भाषण भी तो करते हैं । यह भी तो ठीक है । तो उस दिन धाम-धूम मचा देवें कि सिवाय पवित्रता के कंगन बॉधने काम पर जीत पहनने भारत पर सदा सुख का दैवी सतयुगी स्वराज्य स्थापन होना असम्भव है । तो ऐसे तुम लोग हशर मचा सकते हो । उनके साथ पत्रा भी बाँट सकते हो । जब कोई बच्चे बैठ करके आपस में कमेटी करते हैं कि कैसे सर्विस करें; इसलिए बहुत मिलते हैं आपस में । तो ये भी एक युक्ति है; और भी दीदी ने बाबा को कहा कि बाबा, दिल्ली से समाचार आया है कि मीटिंग करके कुछ युक्तियां निकाली हैं । तो फिर रात को विचार-सागर-मंथन भी करेंगे; और सब बच्चे करें कि क्या युक्ति रखें जो सर्विस थोड़ा विहंग मार्ग में आवे; क्योंकि अभी तो चींटी मार्ग में चल रहा है । यूं है चींटी मार्ग में, होना भी है; क्योंकि झाड़ है, तो अपने कायदे अनुसार, समय अनुसार बढ़ेगा । बच्चे जानते हैं कि ड्रामा अनुसार इस समय तक झाड़ को जितना बढना था या स्थापना होनी थी, वो तो ठीक हो चुकी है और देखते हैं कि बरोबर झाड़ की वृद्धि बड़ी धीमी-धीमी होती है । लॉ भी ऐसा कहता है कि धीमे-धीमें ही होती है । तो इसलिए बच्चों को हर वक्त यही ख्याल रखना है । जैसे देखो, बाबा ने आज अखबार में पढ़ा कि....साधु लोग इस काम मे कैसे आ सकते हैं, क्योंकि यह तो है गवर्मेन्ट की कारोबार । गवर्मेन्ट की पॉलिटिकल बातों को साधु जानते ही नहीं हैं । उनको क्यों इस करप्शन(भ्रष्टाचार) एडल्टरेशन(व्यभिचार) में डाला गया है । तो साधुओं ने फिर रिस्पॉन्स दिया है । इनको बाबा ने दिखलाया था कि जिसने डाला है, क्योंकि नामी-ग्रामी हो ना । चीफ मिनिस्टर उड़ीसा के थे, अभी नहीं हैं । तो उनसे मिलना चाहिए । ये साधु तो खुद ही करप्टिव, एडल्ट्रेटिव है, क्योंकि इनकी तो परम्परा से करप्शन एडल्टरेशन आ गई है । वो लिखे हैं कि हम लोग तो दुनिया को त्याग करने वाले हैं, घर-घाट को त्याग करने वाले हैं । तो उनको बतावे, त्याग कहाँ किया! अभी तो ये साधु-संत, इन्होंने बड़ी- जागीरें कर दी हैं । ये कहते हैं ना हमने दुनिया को त्याग किया है । दुनिया को कहाँ त्याग किया? अभी तो बड़ी-बड़ी जगह ली है, मकान ले लिए हैं, बड़े-बड़े फ्लैटस ले लिए हैं । बहुत धनवान बन गए हैं । तो ये कैसे धनवान बने? जरूर कुछ करप्शन या कुछ एडल्ट्रेशन की है । बाबा बैठकर इनको समझाते थे । बरोबर हमारे शास्त्रों को बहुत एडल्ट कर दिया है । पहले-पहले गीता को खण्डन कर दिया है, जिस कारण ही भारत का नाम बदनाम हुआ है और भारत इतना कंगाल बन गया है इनके कारण और फिर इनसे करप्शन तो बड़ा भारी है । ये पैसा कहाँ से इकट्‌ठा किया? क्योंकि जो भी मिनिस्टर होते हैं तो बोलते हैं- इतना पैसा कहाँ से इकट्‌ठा किया? तो इनसे पूछा जाए जब तुमने सब कुछ छोड़ा तो तुम इतना पैसा कैसे इकट्‌ठा किया? इनको तो इकट्‌ठा करना ही नहीं चाहिए, क्योंकि ये त्यागी हैं । ये तो राजा लोग भी राज्य छोड़कर जाते हैं और उनको बेगर होकर रहना है । ये इतने साहूकार हैं, जरूर कुछ कमाई की या ठगी की । तो इनका पता लगाना चाहिए कि कैसे ठगी करते हैं । उन्होंने इनको समझा दिया कि बाप सर्वव्यापी है, वो ज्ञान दे करके ये सब पैसा कमाते रहते हैं और मनुष्यों का खाना खराब करते हैं । तो ऐसी-ऐसी बातें इनको बैठ करके बाबा समझाते हैं । इन्होंने फिर लिखा है अंग्रेजी में । तो ऐसे-ऐसे किसको इकट्‌ठा करके फिर अखबार मे डालना चाहिए, क्योंकि तुम बच्चों के दुश्मन तो ये सन्यासी बहुत हैं, क्योंकि वो कहते हैं माताएँ हैं नर्क का द्वार और तुम जानते हो कि बरोबर बाबा, जिसकी श्रीमत पर अभी चलते हो, वो तुमको बनाते हैं स्वर्ग का द्वार । तो उनको ये भी दोष डाल देना चाहिए कि गई, ये कहते हैं स्त्रियां नर्क का द्वार हैं । अभी वो उनके गुरू बन बैठे हैं । ऐसे बहुत पॉइंट हैं, जो बच्चों की बुद्धि में है, क्योंकि अथॉरिटी तो तुम बच्चों को मिलती है सर्वशक्तिवान से कि जो कुछ भी डायरेक्शन देते हैं उस प्रकार तुम युद्ध के मैदान मे आओ । इन साधु संत महात्माओं भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य वगैरह जैसे, इनको इन सब बातों से कोई समय में तो जीता है ना! .......वो तो गुरु हैं नहीं । उनको लिख देना- वो गुरू तो डुबाने वाले हैं । यह लिखे भी कोई अच्छी फीमेल, क्योंकि तुम्हारा ही नाम बाला होना है । मदद करनी है बच्चों को, क्योंकि तुम इतने आर्टीकल वगैरह लिखना तो जानते ही नहीं हो, अक्सर करके अनपढ़ हो । तो फिर इनकी मदद मिलती है । तो ऐसे-ऐसे खयालात करने से, परन्तु इनमें मेहनत चाहिए, बुद्धि चाहिए, मिलाप चाहिए बच्चों का, जो सर्विस को बढाय सकें । में तो इस समय यूं तो इस समय में जो सर्विस चल रही है, वो कहेगे तो जरूर ड्रामा अनुसार चल रही है । फिर भी पुरुषार्थ भी तो ड्रामा अनुसार किया जाता है । ..... शक्तियॉ अच्छी तरह से लेख लिख सकती हैं कि नारी शिव शक्ति सेना, नारी सेना । उन्होंने ये भारत को वर्ल्ड ऑलमाइटी अथॉरिटी राज्य दिलाया है, स्थापना किया है और वो जो नारी को नर्क का द्वार कहते हैं, वो तो और ही भारत को डुबा दिया है । साधुओं ने क्या किया है? भिन्न-भिन्न प्रकार से पैसे कमाए हैं । गंगा में जाकर स्नान कराय करके पैसे बहुत लूटते रहते हैं । झूठ बोलते रहते हैं कि गंगा पतित-पावनी है । एक तरफ तो गाते हैं पतित-पावन सीता-राम और फिर ये कहते हैं । देखो, कितने मेले लगते हैं, भारत के कितने पैसे बरबाद होते हैं । ऐसे-ऐसे अगर बातें समझ, बुद्धि में लगावें तो बहुत कुछ तुम लेख लिख सकती हो समय पर और वो चांस देख करके, जब कोई कहाँ आवे । कमेटी अच्छी चाहिए जिनमें ये सभी प्वाइंट बुद्धि में आवें । अब बच्चा बड़ा बुद्धिवान चाहिए । ......दे सकते हैं चले जाना चाहिए उनके पास । किसको? फिर माताओं को । बाबा भी राय देंगे ना । देखो, रमेश यहाँ है । तो रमेश के साथ कोई भी जा सकते हैं, उनको मत देवें । पता है कोई एक अच्छा निकल जावे और अहमदाबाद में भी कोई सेन्टर खुल जावे, तो बहुतों का कल्याण हो सकता है । ऐसे भी नहीं कि बिगर निमंत्रण हम नहीं खोल सकते हैं । ऐसे भी कहाँ-कहाँ खोल सकते हैं । कोई बड़ी बात नहीं है, परन्तु कोई एक को, दो, पांच, दस को महत्व दिया जाता है । तो ऐसे-ऐसे सर्विस का खयालात कुछ अखबार से, कुछ अपनी बुद्धि से करना चाहिए । सर्विस तो बच्चे बहुत कर सकते हैं । रेजगारी सर्विस भी तो बहुत होती हैं । ऐसे नहीं कि कोई गवर्मेन्ट का बड़ा मरा, गवर्नर मरा तो वहाँ कोई तुम्हारी सर्विस हो सकती है, नहीं । कहाँ कोई अच्छा आदमी, कोई दानी मरता है, बड़ा फिलेंथ्रोफिस्ट बनते हैं या बड़ा बिजनेसमेन बनते हैं, तो उनके भी बहुत आदमी वहाँ जाते हैं । तो वहाँ जा करके चित्र भी देना .समझाना भी । सर्विस तो बहुत है, कोई भी करे, जितनी चाहे इतनी करे और बहुत करके माताओं को ही हिम्मत करनी चाहिए । पुरुषों के ऊपर आधार नहीं रखना चाहिए । आधार है माताओं के ऊपर । जितना जो करेगा सो पाएगा । अगर पति कुछ नहीं करता है, तो माताओं को अपना, जो कुछ हो उनसे............उनमे कुछ खर्चा थोड़े ही लगता है । तो शौक चाहिए माताओं को बहुत ।........तो इन बातों को समझ करके और महादानी बन करके महाराजा बनना है गरीबों को । देखो, कितना सहज ले आता हूँ तीरी पर बहिश्त एकदम । चलो बच्चे, अभी चलो अपने सुखधाम । छोड़ो ममत्व अब इस दु:खधाम से । यह मेरा पति है, यह मेरा बच्चा है, यह मेरा धन है- ये सब छोड़ो । नहीं, मेरा तो एक बाबा, फिर दूसरा न कोई । बनो झटपट विश्व के मालिक बनो । क्या ये कमाई करते हो पाई-पैसे की! लाख कमाएगा, 2 लाख कमाएगा, 10 करोड़ कमाएगा, 50 करोड़ कमाएँगे, चलो अरब कमाएँगे! यहाँ तो तुमको बाप आ करके चपटी से ये सारे विश्व का मालिक बनाते हैं । और फिर क्या चाहिए । सदा सुखी बनाते है । .....अच्छा चलो बच्ची, बाजा बजाओ । (म्युजिक बजा) लकी ज्ञान सितारों प्रति मात-पिता बाप-दादा का यादप्यार और गुडनाइट ।