26-08-1964     मधुबन आबू     प्रात: मुरली    साकार बाबा    ओम् शांति    मधुबन
 


हेलो, स्वदर्शन चक्रधारी ब्राह्मण कुलभूषणों को हम मधुबन निवासियों की नमस्ते, आज बुधवार अगस्त की छब्बीस तारीख है, प्रात: क्लास में बापदादा की मुरली सुनते हैं।

(म्यूजिक बजा)....(बच्ची ने कहा- बाबा, ये टेप सभी सेन्टर्स तक जाती है । ग्रीटिंग्स पढ़ेंगे?) अच्छा, ग्रीटिंग्स काहे की? जन्माष्टमी की? अच्छा, क्यों नहीं, वाह! ये टेप पहले पहले कहाँ जाएगा? (बच्ची ने कहा- दिल्ली जाती है, दूसरी बॉम्बे जाती है) अच्छा, हैलो, सभी शिवबाबा के रुहानी सेन्टर्स निवासी ब्राहमण कुलभूषण... स्वदर्शन चक्रधारी सौभाग्यशाली बच्चों प्रति मात-पिता व बाप-दादा आज बड़ी दिल व जान, सिक व प्रेम से याद-प्यार दे रहे हैं । अच्छा, यहाँ का तो समाचार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का जो बच्चों को समझाया और खेल-पाल कराया सो तो समाचार आपे ही लिख देंगे मुरली में और तुम बच्चों ने भी । तुम बच्चों को कोई उत्सव नहीं मनाना है, तुमको उत्सव मनाना है सर्विस का । ऐसे नहीं कि अच्छा कपड़ा पहनना-करना है, मंदिर में जाना है, फलाना करना है, नहीं । तुम बच्चों को जाकर समझाना है कि श्रीकृष्ण का जन्म कब हुआ था? श्रीकृष्ण को जो सतयुग के पहले प्रिन्स का पद मिला है, यह इनको कर्म किसने सिखलाया जो ऐसा विश्व का पहला प्रिन्स बना? श्रीकृष्ण 84 जन्म कैसे लेता है? फिर इस समय में, अंतिम जन्म में बहुत जन्म के अंत के जन्म में भी फिर देखो बाप कैसे आ करके शिवबाबा कहते हैं कि मैं इनके अंतिम जन्म में फिर प्रवेश करता हूँ । फिर इनका नाम प्रजापिता रखता हूँ क्योंकि मुझे फिर ब्राहमण धर्म स्थापन करना होता है । तो जरूर यहाँ भारत में चाहिए । तो जन्म भी भारत में लेते हैं और जरूर किसमें प्रवेश करेंगे । तो वो बोल देते हैं कि पता है मैं किसमें प्रवेश करता हूँ? जो पहले पहले श्री लक्ष्मी नारायण थे. फिर उनके बहुत जन्म के अंत के जन्म में जो उनका बुड्‌ढा शरीर है उनमें मैं प्रवेश करता हूँ । फिर उनका नाम प्रजापिता रख देता हूँ । प्रजापिता नाम भी उनका क्यों रखता हूँ? क्योंकि ब्रहमा के मुखकमल से फिर मुझे ब्राहमण और ब्राहमणियों की रचना रचनी है । तो मैं ब्रहमा कहाँ से लाऊं? तो इसलिए मैं इनका नाम ब्रहमा रखता हूँ क्योंकि मेरा बच्चा बन जाते हैं । सन्यास करते हैं तो सन्यासी का नाम हमेशा बदलता है । तो फिर उनका नाम ब्रहमा रखता हूँ । अच्छा, ये तो तुम बच्चों को राज समझाया । तुमको किसलिए समझा रहे हैं कि औरों को समझाओ । तो तुम्हारा जो उत्सव है; तुमको उत्सव क्या करना है? सर्विस करनी है । ऐसे नहीं कि कपड़ा पहनना-करना है, मंदिर में जाना है, मिश्री खाना है । मंदिर में तो जरूर भाषण करना चाहिए । किस मंदिर में? या लक्ष्मी नारायण या राधे-कृष्ण या शिव का मंदिर । वो बिल्कुल ठीक है । उनमें शिव की बैठकर महिमा करनी है कि कैसे पतित-पावन है । (बच्ची ने कहा- अब गुलजार तो मथुरा में गई है) हाँ, गुलजार भी मथुरा में गई है, वो भी तो अच्छा है, क्योंकि कृष्ण की पुरी गाई जाती है । श्रीकृष्ण के मथुरा में, वृंदावन में; वृंदावन में एक कुंज गली है । कहते है कि कुंज गली में रात को कृष्ण की रास होती थी । वो रास में सब शामिल होते थे । रास काहे का? डांस होती थी अर्थात् वो ज्ञान सुनते थे । फिर वो ज्ञान सुन करके, अगर कोई आ करके उल्टा-सुल्टा बोलते थे कि ये क्या करते हैं, फलाना करते हैं, तो उनका घट घुट जाता था । वो गूँगा बन जाते थे, कुछ बोल नहीं सकते थे । तुम जानती हो कि जो बाबा का ज्ञान सुन करके निंदा करते हैं या ट्रेटर बनते हैं तो गूंगे हो जाते हैं । कुछ भी ज्ञान कथन नहीं कर सकते हैं । उसको गूँगा कहा जाता है । समझा। अच्छा, अभी ये तो जैसे कि मुरली बजाता हूँ । हम तुम बच्चों को याद-प्यार दे रहा हूँ और सर्विस का समाचार तो देते हैं । (किसी ने कहा- आत्मप्रकाश) जो सर्विस अच्छी करते हैं उनको आफरीन दी जाती है । तो देखो, दिल्ली में बहुत अच्छी बच्ची सर्विस की होगी और बाबा जानते हैं कि सर्विसएबुल तो बाबा के दिल पर चढ़े हुए हैं । जैसे हमारा जगदीश है और दूसरी, वहाँ गुलजार बच्ची रहती है और राजकुमार है और अभी जो मैंने भेजा है हमारे सिकीलधे बच्चे आत्मप्रकाश को, वो बहुत मीठा बच्चा है एकदम । वो भी अभी सर्विस कर रहे हैं । मकान के पिछाड़ी भी दौड़ते होंगे, सर्विस भी करते होंगे । दिल्ली में तो ऐसे मीठे-मीठे ऑलराउण्डर को भी । उनका ऑलराउण्डर नाम क्यों रखा? क्योंकि हम ऑलराउण्डर 84 जन्म भोगते हैं । सतयुग से लेकर ऑलराउण्ड हमारी सर्विस है । जो बच्चे ऑलराउण्ड सर्विस करते हैं उनको कहो खाना पकाओ तो ये पकाया, सर्विस करो तो ये किया, झाड़ लगाओ तो ये किया । उसको कहा जाता है ऑलराउण्ड सर्विस । तो ऑलराउण्ड सर्विस वाले बाबा को बहुत प्यारे लगते हैं । ऑलराउण्डर को, और किसको याद प्यार देवें? (किसी ने कहा- सुदेश) वाह! बहुत अच्छी बच्ची है ये सुदेश । इनको भी यादप्यार देना । अच्छा, दिल्ली को दूँगा और भी तो बहुत सेन्टर्स के बच्चे हैं । तुम बोलती हो कि ये जो.....सभी सेन्टर्स में जाएँगे । कौन-से? (क्या) दिल्ली के सभी सेन्टर्स में? (किसी ने कहा- नहीं-नहीं. सभी सभी सेन्टर्स में से । अभी देखो दिल्ली को यादप्यार फिर दिल्ली के आस-पास बड़े-बड़े सेन्टर तो हैं । नम्बरवन सेन्टर है बॉम्बो । (किसी ने कहा- पूनो) । बोम्बे और उनका बच्चा पूनो । इनसे पीछे फिर है दिल्ली सेन्टर सबसे अच्छा । बाबा महिमा कर रहे हैं कि पीछे दिल्ली के सब सेन्टर मिल करके, बॉम्बे एक सेन्टर, दो सेन्टर, तो वो भी हैं तीन सेन्टर । तो दिल्ली के भी सेन्टर बहुत अच्छे हैं .सर्विस करते हैं और बहुत काँटों से फूल बनते रहते हैं । अच्छा, फिर हम कहाँ जायें? मेरठ भी बहुत अच्छी है । वो बहुत मीठा देवता बैठा हुआ है । क्या नाम है उनका? (किसी ने कहा- कमल) कमल सुन्दरी बच्ची और सन्देशी भी बड़ी अच्छी है । वो अच्छी-अच्छी मुरली प्वाइंट्स भी समझाती है । छटकेली बच्ची है । बहुतों को अच्छा बनाती है । अच्छा, फिर उनके साथ सर्विसेबुल और भी साथी हैं । अच्छा, फिर कहाँ जाऊँ? फिर कानपुर में जाऊँ । वहाँ भी अच्छे-अच्छे बच्चे हैं । बहुत सेन्टर्स हैं । बहुत सर्विस करते हैं । अभी जो सर्विस करेगा वो अपनी सर्विस करते हैं । समझे! ऐसे समझे कि हम अपनी सर्विस से अपनी तकदीर बनाते हैं । ऐसे मीठे लाडले बच्चे, तकदीर को बनाते रहो । देखो, अमृतसर वाह! अभी तो फिर कौन सुनावे । अभी तो अमृतसर में जाने वाले हैं । वहाँ बहुत अच्छी-अच्छी, मीठी-मीठी सिकीलधी बच्चियाँ हैं । अमृतसर के साथ बटाला भी कम नहीं है । जालंधर भी कम नहीं है । जालंधर भी कमाल करते हैं । वहाँ भी बड़े अच्छे-अच्छे, सतगुरुप्रसाद जैसे बच्चे, सतनाम जैसे बच्चे, भले कोई-कोई बच्चे घुटके खाते हैं; परन्तु माया तो जरूर घुटका खिलाएगी ना । तो घुटका खा करके खड़े हो जाना चाहिए । जैसे देखो, एक खिलौना होता है, चमाट लगाते हैं तो फिर ऐसे-ऐसे करके फिर खड़े हो जाते हैं । तो माया तो जरूर... फिर कभी हिलना नहीं चाहिए । जैसे हमारा कोई.....अच्छा-अच्छा, बैटरी फौरन याद आ गई । किसको यादप्यार देवें? (किसी ने कहा- जगदीश और करनाल) वाह! करनाल कम है क्या । करनाल भी अच्छी है, मगर पता नहीं उनके पास टेप है या नहीं, फिर है तो सही शायद । अच्छा, दे देंगे उनको भी टेप.. । अमृतसर में एक प्रिंसिपल है- जगदीश । बड़ा अच्छा बच्चा है । फिर उनकी जो हाफपार्टनर युगल है, वो सवेरे में यहाँ आई थी । बच्ची बहुत अच्छी है । वो टीचर भी है । ....प्रिंसिपल है । वो तो हद की शिक्षा पढ़ाती है । तो यहाँ भी अगर वो बेहद की शिक्षा में भी लग जावे तो डबल सर्विस । तो जो पुरानी ब्रहमाकुमारियॉ हैं वो सिंगल सर्विस पर हैं । सिर्फ रूहानी । वो जिस्मानी और रूहानी कमाल कर देवे । बहुत ऊँच पद ले सकती है अगर श्रीमत पर चलने लग पड़े तो । अच्छा, और किसको यादप्यार देवें? (बच्ची ने कहा- कुमारी) बहुत कुमारियाँ हैं । पटना में भी टेप जाते हैं । वहाँ भी तो बाबू जी है हीरेलाल जी । देखो कितने सेंटर । पटना में दो-तीन सेन्टर हैं । कलकत्ते में सेन्टर हैं । कुछ कमाल की है उसने भी, कोई कम थोड़े ही है । तो उसको भी बाबा यादप्यार दे रहे हैं । अच्छा, कलकत्ता वालों को भी । और कहाँ है? और तो कोई जगह टेप है नहीं । (किसी ने कहा- बैंगलोर) हाँ, बैंगलोर । वाह । बैंगलोर में वो जो पुष्पा है, रोजी है और लक्ष्मण है । वो तो है ही बाबा की । खांसी होती है, इसलिए सबसे विदाई ।