20-09-1964     मधुबन आबू    रात्रि  मुरली    साकार बाबा    ओम् शांति    मधुबन
 


हेलो, गुड इवनिंग यह बीस सेप्टेम्बर का रात्रि क्लास है
 

मम्मा पूछती है और दूसरे तरफ में कम्बाइण्ड पूछते हैं । ऐसे है ना - मात-पिता और दादा । माता तो गुप्त हो गई, बाकी बापदादा तो प्रत्यक्ष है । कोई सतसंग में या घर में बच्चों से कभी कोई पूछते ही नहीं हैं । बाप होगा तो अलग पूछेंगे, दादा होगा तो अलग पूछेंगे, दादी होंगी तो अलग पूछेगी, माँ होंगी तो अलग पूछेगी- ऐसे होता है ना । ये बातें कोई शास्त्रों में तो नहीं लिखी हैं । ये बातें है अनुभव की और भासना की । बच्चों को ये वण्डरफुल भासना आती है, जिस भासना के राज को कोई भी मनुष्य नहीं जान सकते हैं । कोई भी और धर्म वाले नहीं जान सकते है सिवाय तुम संगमयुगी ब्राह्मण कुलभूषणों के; क्योंकि यूँ तो प्रजापिता ब्रह्मा का नाम बाला है । प्रजा माना ही रचना, सो भी नई । तो नई रचना जब होगी तभी तो नया युग भी होगा तो नया धर्म भी होगा, सब नया ही होगा । तो ये सब नई बातें हैं । तो जरूर सिद्ध होता है कि ये जो गीता लिखी हुई है जिसमें ये अगडम-बगड़म लिखा हुआ है, ये परम्परा से चला हुआ नहीं है । ये भी तुम ब्राह्मण बच्चे महसूस कर सकते हो, अनुभव कर सकते हो । समझते हो । वो तो बात ही वहाँ न्यारी है कि श्रीकृष्ण भगवानुवाच, अर्जुन प्रति युद्ध का मैदान । युद्ध का मैदान तो है, ये तो जरूर है, परन्तु युद्ध का मैदान ये है ही एक वण्डरफुल कि रावण पर युद्ध है । यूँ तो युद्ध के मैदान बहुत समय से यानी द्वापर से चले आए है । युद्ध का मैदान सतयुग-त्रेता में होता ही नहीं है । न रूहानी युद्ध रावण से है, न ही जिस्मानी युद्ध मनुष्यों का मनुष्यों से । सतयुग और त्रेतायुग में कोई भी युद्ध नहीं है । फिर बाकी है बाहुबल की लड़ाई । युद्ध का मैदान तो बहुत समय से चला आया है । सो भी बताया ना कि द्वापर से और द्वापर में भी बहुत समय के बाद जबकि अन्य धर्म वालों की वृद्धि हो और फिर एक- दो के ऊपर लड़ाई करें । जैसे बौद्धी हैं, तो बौद्धियों की तो कोई से लड़ाई हो नहीं सकती है । फिर आओ इस्लामियों की तरफ, उनके साथ भी कोई की लड़ाई हो नहीं सकती है । वो तो जब मनुष्य सम्प्रदाय बहुत होती है और फिर टेम्पटेशन होती है कोई के ऊपर चढ़ाई करने की तब लड़ाई होती है । फिर क्रिश्चियन भी ऐसे ही समझो कि जब तलक वो वृद्धि को न पाए है, पीछे ये लड़ाइयाँ शुरू होती हैं । समझो, कोई 1500 वर्ष हुए होंगे तब फिर कुछ न कुछ किस्म-किस्म की बाहुबल की लड़ाई होती है । ये तो तुम बच्चों को समझाया जाता है । यूँ तो लड़ाई बहुत समय से दिखलाते रहते है । कंस और कृष्ण की भी दिखलाते हैं । ऐसे दिखलाते हैं ना कि कंस को मारा है । तो अगर कंस को मारा तो कंसकी भी राजाई होगी, कृष्ण की भी राजाई होगी । कृष्ण को तो कहेंगे ही जरूर कि शहजादा था, राजाई होगी । कंस का क्या था? ये तो कोई है नहीं । कंस तो सिर्फ नाम है असुरों का ऐसे ही गाया हुआ । ये शास्त्रों में लिखा हुआ है तभी हम कंस कहते है । नहीं तो कंस का कोई अर्थ ही नहीं निकलता है । असुर है, रावण है, फिर उनकी ये सम्प्रदाय । कंसजरासिंधी वो तो अभी की बात है । कंसजरासिंधी वगैरह इनका कोई राज्य तो है नहीं । ये तो फिर रावण का राज्य कहेंगे । जब मनुष्य जो पापात्मा होते हैं, उनको ये शिशुपाल, फलाना नाम दे देते हैं । यहाँ तो बहुत समझने की बातें होती हैं । मनुष्य क्या समझते हैं हनुमान, फलाना । तुम बच्चे तो इन सब बातों से छूट गए हो । मनुष्य तो इन बातों में चारों तरफ भटकते रहते हैं । कोई भी बिचारों को पता नहीं है कि हम क्या करते है, किसकी पूजा करते हैं, क्यों धक्का खाते हैं । हाँ, इतना कहते हैं कि भगत जब बहुत भक्ति करेंगे तो भगवान आएँगे । सो तो बच्चे जानते है कि आधा कल्प का भक्तिमार्ग जब खलास होता है तो भक्तों की रक्षा करने भगवान को आना ही है; क्योंकि भगत दुःखी हैं । भगत सुखी तो नहीं हुए ना । भक्ति सुख के लिए तो नहीं हुई ना : क्योंकि भगत दुःखी हैं तब भक्तों की रक्षा अर्थ, भक्तों का रखवाला है भगवान । गीत में भी ऐसे है ना । रक्षा की जाती है उनकी जो मनुष्य बहुत दुःखी होते हैं । भक्ति दुःखी करती है ना । दर-दर भटकते रहते हैं, थक जाते हैं । इसलिए तो बाप आकर पाँव दबाते है ना । कहते हैं- बच्चे, बहुत थक गए हो? ड्रामा अनुसार अभी सब समझ गए कि आधाकल्प तुम बच्चों को भक्ति जरूर करनी है; क्योंकि रात है और सृष्टि के चक्र को भी फिरना है । वर्णो में भी जरूर आना है । ब्राह्मण वर्ण, देवता वर्ण, क्षत्रिय वर्ण, वैश्य वर्ण, शूद्र वर्ण में आना है जरूर । गाये गए हैं । गाये जाते है; परन्तु ये चक्र कैसे फिरता है, ये बिचारे कोई नहीं जानते हैं । जानते हो कि बरोबर ज्ञान सागर, पतित-पावन, फिर यहाँ सहज राजयोग सिखलाने वाला; वो तो भगवान बैठ करके सिखलाएगा । तुम बच्चे जानते हो कि बरोबर जिसको ज्ञान का सागर, सुख का सागर, शांति का सागर इत्यादि-इत्यादि कहा जाता है, बरोबर तुम उनसे पूरा वर्सा पाने का पुरुषार्थ कर रहे हो । अभी पुरूषार्थ पूरा ही करना है । समय तो बाकी थोड़ा है । अभी तो और सभी सगाइयाँ कैन्सल करके एवं देह सहित देह के सभी सम्बंधों को बाबा, मामा, चाचा, गुरू, गोसाई, पति, पत्नी ये सभी से नाता तुड़ाते हैं । सिर्फ अपने साथ जोड़ते हैं; क्योंकि मेरे साथ जोडने से तुम बच्चे विकर्माजीत बनेंगे, पवित्र बनेंगे और फिर अपनी पवित्र दुनियाका मालिक बनेंगे । तो देखो, सभी सम्बंध तुड़ाते हैं, एक से जुड़ाते है और युक्ति बताते हैं कि ऐसे-ऐसेकरो । ये सम्बंध जल्दी नहीं टूट जाते है । विकर्म पुरुषार्थ से विनाश करना है । यूँ तो भक्तिमार्ग में भी विकर्म विनाश होते हैं । बाबा ने समझाया है कि जब शिव के ऊपर बलि चढ़ते हैं तो जो विकर्म किए हुए हैं उनकी सजा भोगते हैं । फिर विकर्म शुरू हो जाते हैं; क्योंकि ये है ही माया की दुनिया । उसमें पुनर्जन्म फिर भी लेना ही पड़े । ये बरोबर है कि भक्तिमार्ग में शिव के ऊपर बलि चढ़ते हैं तो उसी समय में वो सजाएँ खा-खा कर कर्मातीत बन जाते हैं, पर वापस नहीं जाएंगे । फिर उनको अच्छा जन्म मिलेगा । यहाँ तो तुमको योग से विकर्म विनाश करना है । काशी कलवट नहीं खाना है; क्योंकि उससे कुछ भी फायदा नहीं होगा । कोई कलवट भी खाएँगे तो ज्ञान नहीं है ना, योग भी नहीं है, तो क्या करेंगे, कहाँ जाएँगे । ये तो श्रीमत पर चलना है याद करने के लिए । बातें तो सभी विचित्र हैं ना । देखो, बाबा कैसे समझाते हैं! तुम भी कहेंगे बाबा समझाते हैं, ये भी कहते है बाबा समझाते है । अभी मनुष्य कैसे समझे कि ये भी कहते हैं कि बाबा समझाते हैं, ये भी कहते है कि बाबा समझाते है । तो जरूर इनका बाबा गुप्त देखने में आता है । ये तो बरोबर शिवबाबा है भी गुप्त । ये बच्चों से बापदादा की चिटचैट कहेंगे; क्योंकि कम्बाइण्ड हैं । हुसैन का पण्डा छुगू कहाँ है? (किसी ने कहा - ये सामने)....अपने-अपने साथ में जिनको लाते हैं इनको बहुत अच्छा सुखाला रखना है । बाप तो आए ही हैं सुख देने के लिए तो बच्चों को भी हर एक को सुख देना है । सुख की मत कोई स्वीकार करे या न करे । बाप तो देंगे ना । बरोबर सुख की मत बाप देते हैं, फिर जितना जिसकी तकदीर में है वो मत उठाते हैं । नहीं तो फिर अपनी मत पर चलते रहते हैं । ध्यानी की पार्टी । बुड्‌ढियाँ ये सुनती है? (किसी ने कहा - हाँ, ज्ञान सुनती हैं) यहाँ जो कुछ कहते है सुनती हो? बाबा ने क्या कहा? (किसी ने कहा - श्रीमत पर चलना) । हाँ । (म्युजिक बजा) (मम्मा ने कहा - मात-पिता, बापदादा का मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति यादप्यार और गुडनाइट) गुडनाइट अच्छी या मॉर्निग अच्छा?