क्षमा- सदा सुखि, निरोगी बनाने के लिए माफ करना और माफी मांगना।


ओम शांति।

आज की मेडिटेशन कमेंटरी है क्षमा पर। माफ कर देना और माफी माँगना। इस मेडिटेशन कमेंटरी में हम सूक्ष्म वतन में आत्मओं को इमर्ज कर, परमात्मा से प्यार की किरणें देंगे और उनसे क्षमा याचना करेंगे। जितना हम इन आत्मओं को प्यार की किरणें देंगे, उनके मन में जो भी नेगेटिव भाव है वह पॉजिटिव में परिवर्तन हो जाएगा। जिसको बाबा कहते हैं वृत्ति से वृत्ति को परिवर्तन करना। हमारी शुभ भावना से इनके मन का भाव स्वतः चेंज हो जाएगा। बाबा ने हमें मुरलियों में ज्ञान दिया है कोई कुछ भी दे, आपको दुआएं ही देना है। जितना जितना हम मेडिटेशन प्रैक्टिस करेंगे उतना हमारा कार्मिक अकाउंट दबता जाएगा। हमारा मन स्वतः हल्का और खुश रहने लगेगा। यदि इस जीवन में हमें कोई पेपर है, वह चाहे व्यक्तियों से हो, चाहे शरीर से हो या धन का हो, यह हमारे जो भी परिस्थितियां है वह हमारे पिछले जन्मों के कारण है। इस मेडिटेशन प्रैक्टिस से हमारे कर्मों का खाता स्वतः हल्का होगा। और जो भी परिस्थितियां है, मुश्किलात हैं, वह चाहे धन के रूप में हो, शरीर के बीमारियां के रूप में हो या व्यत्कियों से हो, वह स्वतः हल्का होगा। स्वतः ही हम महसूस करेंगे कि यह समस्याएं इस मेडिटेशन से हलकी हो रहीं हैं। तो चलें शुरू करते हैं।

चारों तरफ से अपना ध्यान समेट कर एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच... मैं आत्मा... एक ज्योति स्वरुप... एक पॉइंट ऑफ़ लाइट... मैं एक शान्त स्वरुप आत्मा हूँ... मेरा स्वभाव बहुत शांत है... शांति मेरा ओरिजिनल नेचर है... महसूस करेंगे मुझ आत्मा से शांति का प्रकाश निकल सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है... ऊपर ब्रेन से लेके नीचे पैरों तक यह प्रकाश फैल चूका है... मैं सम्पूर्ण रिलैक्स हूँ... मेरा सम्पूर्ण शरीर लोप हो चूका है... बस मैं आत्मा.. स्थित हूँ अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरुप में....

अभी एक सेकंड में पहुँच जाएँ सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा मुझे दृष्टि दे रहे हैं... उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सर के ऊपर रख दिया है... उन हाथों से प्रेम का प्रकाश निकल मुझमे निरंतर समाते जा रहा है.... मुझे वरदान दे रहे हैं - अशरीरी भव... सदा सुखी भव... महसूस करेंगे मैं सम्पूर्ण प्रेम की किरणों से भरपूर हो चूका हूँ... अभी बापदादा के साथ बैठ जाएँ और सूक्ष्म वतन में ही सामने इमर्ज करेंगे उन आत्मओं को जिन्होंने हमें दुःख दिया हो... वह चाहे हमारे फैमिली मेंबर हो या कर्मक्षेत्र में हमारे दोस्त हो.... इमर्ज करेंगे सामने इन आत्मओं को.... इसी के साथ हम इमर्ज करेंगे उन आत्मओं को भी जिन्होंने पिछले जन्मों में हमे कोई दुःख दिया हो.... फील करेंगे बापदादा से प्यार की किरणें निकल मुझमें समा कर इन सर्व आत्मओं को मिल रहीं हैं.... यह सर्व आत्माएँ प्यार की किरणों से भरपूर हो रहीं हैं.... इन आत्मओं ने जाने अनजाने स्वभाव संस्कार वश या परिस्थिति वश मुझे दुःख दिया हो, इनमें इनकी कोई गलती नहीं है... मैं इन्हें सम्पूर्ण रूप से माफ करता हूँ... क्षमा करता हूँ... एक मिनट तक हम यह प्यार की किरणें इन को देते रहेंगे....

यह आत्माएं प्यार की किरणों से भरपूर हो मुझे दिल से दुआएं दे रहीं हैं... हमारा सारा कर्मों का खता समाप्त हो चूका है...

अभी हम सूक्ष्म वतन में इमर्ज करेंगे उन आत्मओं को, जिनको जाने अनजाने हमने दुःख दिया हो। वह चाहे इस जन्म में हो या पिछले कोई जन्मों में हो... देखेंगे इन आत्मओं को.... फील करेंगे परमात्मा से प्यार की किरणें निकल, मुझमें समा कर इन सर्व आत्मओं को मिल रहीं हैं.... हम दिल से इनसे माफी माँगते हैं... जाने अनजाने हमने आपको दुःख दिया है...मुझे माफ कर दीजिये.. मैं आपसे दिल से क्षमा मांगता हूँ... एक मिनट तक हम यह प्यार की किरणें इन आत्मओं को देंगे....
प्यार की किरणों से भरपूर हो यह आत्माएँ मुझे दिल से दुआएं दे रहीं हैं.... मेरा सम्पूर्ण कर्मों का खाता इनके साथ खत्म हो चूका है... मैं सर्व बन्धनों से मुक्त हो चूका हूँ... मेरे सर्व हिसाब किताब नष्ट हो चुके है।।

ओम शांति।