ज्वालामुखी योग द्वारा विकर्म विनाश।


ओम शांति।

चारों ओर के संकल्पों से अपना ध्यान समेट कर बुद्धि को एकाग्र करेंगे अपने मस्तक के बीच.... मैं आत्मा... एक चमकता सितारा... एक ज्योति स्वरुप... मैं आत्मा अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक... स्वराज्य अधिकारी... सम्पूर्ण एकाग्रचित्त... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूँ अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... अभी एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को परमधाम में... परमपिता परमात्मा शिव बाबा ज्योति स्वरूप पर... शिव बाबा ज्ञान के सागर... गुणों के सागर... सर्वशक्तिवान... मैं उनका दिल से आह्वाहन कर रहा हूँ... देखेंगे शिव बाबा हमारा आह्वाहन स्वीकार कर, धीरे धीरे नीचे उतर रहें हैं.... और आ गए मेरे सिर के ऊपर... मैं आत्मा स्थित हूँ अपने मस्तक के बीच... शिवबाबा मेरे सिर के ऊपर मेरी छत्रछाया बन चुके हैं... इसी स्वरूप को कंबाइंड स्वरूप कहते हैं.... अभी एकाग्र करेंगे शिव बाबा ज्योति स्वरूप पर... अनुभव करेंगे उनसे गोल्डन रंग की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रहीं हैं.... जैसे एक गोल्डन रंग की ज्वाला मुझमें समा रहीं हैं.... एकाग्र हो जायें इस स्थिति में... अनुभव करेंगे जैसे मैं आत्मा यह ज्वालास्वरूप किरणें खिंच रही हूँ.... अंदर ही अंदर इन किरणों को समाती जा रही हूँ.... जैसे एक ज्वाला की तरह शिव बाबा से यह किरणें निकल रहीं हैं और मुझ आत्मा में समा रहीं हैं.... जैसे जैसे ये किरणें मुझ आत्मा में समा रहीं हैं, मुझ आत्मा पे चढ़ी हुई जन्म जन्मान्तर की मैल साफ हो रही है.. मेरे सर्व विकर्म नष्ट हो रहे हैं... परमात्मा की किरणें मुझमें समाती जा रही हैं... और मैं सम्पूर्ण स्वच्छ, पवित्र बन रही हूँ... अभी अनुभव करेंगे मैं आत्मा सम्पूर्ण स्वच्छ, गोल्डन बन चुकी हूँ.. मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र, सम्पूर्ण सुनहरी किरणों से चमक रही हूँ... मैं आत्मा गोल्डन बन चुकी हूँ... सम्पूर्ण पवित्र अभी मैं आत्मा इसी कंबाइंड स्वरुप में यह देह छोड़ कर ऊपर की ओर चली... देखेंगे मैं आत्मा और शिव बाबा दोनों ही धीरे धीरे इस सृष्टि को छोड़ ऊपर की ओर जा रहे हैं.... आकाश, चाँद, तारों को पार कर पहुँच गए हैं परमधाम में... चारों ओर लाल प्रकाश... मैं आत्मा शिव बाबा के साथ.... निरंतर उनसे गोल्डन रंग की किरणें निकल मुझमें समाती जा रहीं हैं.... एक ज्वालामुखी की तरह यह किरणें मुझमें समा रहीं हैं... सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं इस निराकारी स्थिति में... अपने अनादि स्थिति में... अभी अनुभव करेंगे शिव बाबा से ये गोल्डन पवित्रता की किरणें निकल, मुझमें समा कर, नीचे सारे संसार को मिल रहीं हैं... पांचों ही तत्व- अग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी और संसार की सर्व आत्माओं को गोल्डन रंग की सुनहरी किरणें मिल रहीं हैं... यह सम्पूर्ण दुनिया गोल्डन रंग की किरणों को ग्रहण कर रहीं हैं... प्रकृति के पांचों तत्व और संसार की सर्व आत्मायें तृप्त हो रहीं हैं... देखेंगे यह सर्व आत्माएं गोल्डन रंग की किरणों में चमक रहीं हैं... वे सम्पूर्ण गोल्डन हो चुकी हैं... सुनहरी हो चुकी हैं... जैसे परमधाम से एक सुनहरी किरणों का ज्वालामुखी सारे संसार में फैल रहा है... यह सर्व आत्माएं मुझे और बाबा को दिल से दुआएं दे रहीं हैं... अनुभव करेंगे यह संसार सम्पूर्ण पवित्र बन चूका है... और सतयुग में परिवर्तित हो चूका है... चारों ओर सुख..शांति... प्रकृति के पाँचों ही तत्व सम्पूर्ण सतोप्रधान, संसार की सर्व आत्माएं सुखी बन चुकी हैं... सम्पूर्ण पवित्र सतोप्रधान बन चुकी है...।

ओम शांति।