यह 7 नियम बना लें - और अपने जीवन में चमत्कार देखिये, जो चाहोगे वही होगा, हर कार्य में सफलता होगी।


ओम शांति।

आज का टॉपिक है कौन से ऐसे 7 नियम हैं, जिसे बनाने से हमारी सर्व समस्याएं, प्रश्न समाप्त हो जाएंगे। कई बार आत्माओं के मैसेजेस आते हैं, कमेंट्स आते हैं, ईमेल आते हैं, अलग-अलग समस्याएं अलग-अलग परिस्थितियों पर आधारित प्रश्न आते हैं, कोई को धन का पेपर है.. कई आत्माओं को संबंधों का पेपर है.. कई आत्माएं अपने ही संस्कारों वश दुखी रहती हैं... उदास रहती हैं... ऐसे ही अनेक सवालों का जवाब हम आपको देंगे एक लाइन में - करो तपस्या मिटे समस्या! बाबा का एक महावाक्य है, एक लाइन में, जिसमें पूरा ज्ञान समाया है.. वह लाइन है- तुम सिर्फ अव्यक्त वायुमंडल बनाने में बिजी रहो बाकी सब स्वतः होगा। स्थिति श्रेष्ठ तो परिस्थितियां स्वतः बदल जाएंगी। और स्थिति का आधार है श्रेष्ठ स्वमान। तो इसी स्थिति को श्रेष्ठ बनाने के लिए हम आपको ऐसे सात नियम बताएंगे जिसको धारण करने से कुछ ही दिनों में, कुछ ही समय में आपकी सर्व समस्याएं स्वतः सॉल्व हो जाएंगी। आप संपूर्ण निर्विघ्नं बन जाएंगे। एक पॉजिटिव एनर्जी आप में फ्लो होगी।

तो पहला नियम हम बताएंगे- अमृतवेला। अमृतवेला बापदादा बच्चों प्रति ब्लेसिंग की झोली खोलते हैं। यह अमृतवेला वरदानी वेला है। एक मुरली में बाबा ने कहा था अमृतवेला ठीक करने से सब स्वतः ठीक हो जायेगा। बच्चे तुम सिर्फ अपना अमृतवेला ठीक करो, मैं तुम्हारा सब कुछ ठीक कर दूंगा। अगर हम अमृतवेला अच्छा योग करते हैं, एकाग्र चित्त होकर अच्छी स्थिति बनाते हैं तो वह स्थिति दिन भर रहती है। और परमात्मा शिव बाबा की ब्लेसिंग मिलने से हम स्वतः ही निर्विघ्नं बन जाते हैं। और हमारी सर्व प्रॉब्लम, सर्व समस्याएं, सर्व परिस्थितियां स्वतः समाप्त हो जाती हैं।

इसी प्रकार हम दूसरा नियम बनाएंगे- ज्ञान मुरली सुनना या पढ़ना। अमृतवेले के बाद सुबह जब भी समय मिले- 6:00 बजे, 7:00 या 8:00 बजे तक, हमें बैठ के अच्छी स्थिति योग युक्त बनाकर मुरली सुनना है या पढ़ना है। हमें दिन में बीच-बीच में यह मुरली के पॉइंट रिवाइज करने हैं। जो भी मुरली की अच्छी पॉइंट मिले, 2 या 3 पॉइंट आप नोट कर के रख दो। और बीच-बीच में वह रिवाइस करें। यह ज्ञान एक शक्ति है। यह मुरली एक संजीवनी है। जितना ही हम इस ज्ञान मुरली का मनन करेंगे, हम स्वतः ही शक्तिशाली बनेंगे।

इसी प्रकार हम तीसरा नियम बनाएंगे- सारे दिन में जो भी आत्माएं हमारे संबंध संपर्क में आती हैं, हमें उनके प्रति शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना रखनी है। जिसे हम कह सकते हैं सर्व प्रति आत्मिक दृष्टि बनाए रखनी है। सर्व आत्माओं का अपना अपना रोल है... कोई आत्मा हमारे प्रति नहीं नेगेटिव भाव भी रखें, तो भी हमें उनके प्रति शुभभावना ही रखनी है। हमें बस दुआएं ही देनी है। एक मुरली में बाबा ने कहा था- और कुछ नहीं करो, दिनभर दुआएं दो और दुआएं लो। इससे हम स्वत ही निर्विघ्नं बन जाएंगे।

इसी प्रकार चौथा नियम हम बनाएंगे- कर्म करते बीच बीच में अशरीरी बनने की प्रैक्टिस करनी है। अशरीरी प्रैक्टिस बीच-बीच में करने से हमारे संकल्पों की स्पीड स्वतः ही स्लो होगी। जिससे हमारे संकल्पों की बचत होगी। हमारी स्थिति शक्तिशाली बनेगी। हम यह अभ्यास अपने समय अनुसार कर सकते हैं। या बाबा के द्वारा जो दिए हुए ट्रैफिक कंट्रोल के टाइमिंग है, उन टाइमिंग्स में भी कर सकते हैं।

इसी प्रकार हम पांचवा नियम बनाएंगे- भोजन और पानी योग युक्त होकर स्वीकार करना है। एक मुरली में बाबा ने कहा है- भोजन योग युक्त हो बनाना और योग युक्त होकर स्वीकार करना, इसी में ही आपकी 50% प्योरिटी बन जाएगी। यानी 50% पुरुषार्थ हमारा यहां ही कंप्लीट हो जाएगा। आज के समय में प्रकृति के पांचों ही तत्व संपूर्ण नेगेटिव बन चुके हैं। इसीलिए जो भोजन हम स्वीकार करते हैं, हमें संपूर्ण परमात्म याद में स्वीकार करना है। जिससे हमें शक्ति मिलेगी और हमारी स्थिति योगयुक्त और शक्तिशाली बनेगी।

छठवां नियम हम बनाएंगे- नुमाशाम योग। हमें कम से कम आधा घंटा अच्छा योग करना है, 6 और 8 के बीच में। एक संदेश में बाबा ने कहा था- यदि कोई स्थान में विघ्न आते हैं तो उस स्थान को निर्विघ्नं बनाना है तो शाम का 7:00 से 7:30 का योग करो। इस समय योग करने से सर्व विघ्न, सर्व समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी।

इसी प्रकार हम सातवा नियम बनाएंगे- रात्रि सोने पूर्व 30 मिनट आधा घंटा हमें अच्छे अभ्यास करने हैं। जिसमें हम 15 मिनट बाबा के महावाक्य पढ़ सकते हैं... और 15 मिनट हम अच्छा योग कर सकते हैं। इस योग में हमें बाबा को पूरी दिनचर्या का पोतामेल बताकर उन्हें सब कुछ समर्पण करना है। सब कुछ अर्पण कर संपूर्ण निश्चिंत अवस्था बनानी है। इस रात्रि के सोने पूर्व योग की धारणा बनाने से हमारा अमृतवेला स्वतः ही शक्तिशाली बनेगा। अमृतवेला हमें योग लगाने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। अमृतवेला योग स्वतः ही अच्छा हो जाएगा... जिससे हमारा जीवन निर्विघ्नं, अचल अडोल बनेगा। हमें हर कर्म में सफलता प्राप्त होगी।

ओम शांति।