सिर्फ ये 5 पुण्य करें और अपने दुआओं का खाता बढ़ाये - और अपने भाग्य के सितारे को बुलंदी पर ले चलें।


ओम शांति।

आज का टॉपिक है इस ज्ञान मार्ग में सबसे बड़े पांच पुण्य कर्म। कई बार मुरलियों में आया है- सेवाओं का बल तुम्हें योग युक्त बनने में मदद करेगा। हमारे पुण्य कर्म हमें योग युक्त बनने में मदद करते हैं। जितना जितना हम सेवा और अच्छे पुण्य कर्मों से दुआएं प्राप्त करेंगे, उतना स्वतः ही हमारी स्थिति शक्तिशाली बनेगी। हमें एक नेचुरल खुशी रहेगी। योग लगाने में मेहनत नहीं होगी। स्वतः ही हमारा योग ईज़ी हो जाएगा, जिसे बाबा कहते हैं सहज योग। तो ऐसे कौन से पांच पुण्य कर्म है जो हमें करने हैं, वह करने से सबसे ज्यादा मार्क्स मिलेंगे...

इस ब्राह्मण जीवन में सबसे पहला पुण्य कर्म हमें करना है- पवित्रता की धारणा। परमात्मा कहते हैं- पवित्रता सुख शांति की जननी है। जितना जितना हमारी प्योरिटी हमारी पवित्रता बढ़ती जाएगी, हमें एक नेचुरल खुशी, नेचुरल शांति का अनुभव होता रहेगा। और इस अनुभूति से हमारे द्वारा प्रकृति को और आत्माओं को भी वाइब्रेशंस मिलते रहेंगे। एक साकार मुरली में बाबा ने कहा है- बच्चे मैं आपसे एक जन्म के लिए पवित्रता की भीख मांगता हूं... इस एक जन्म की पवित्रता से आपको 21 जन्मों की बादशाही मिलेगी। इस पवित्रता को मजबूत बनाने के लिए हमें ज्ञान बल और योग बल बढ़ाना है। जितना जितना हम ज्ञान मुरली मनन करेंगे, पढ़ेंगे, सुनेंगे, हमारी प्योरिटी स्वतः बढ़ती जाएगी। हमारा योग भी अच्छा होगा।

इसी प्रकार दूसरा पुण्य कर्म हमें करना है- संसार की सर्व आत्माओं को सुख और शांति के वाइब्रेशन देना है। हमें दिन में, कम से कम 2 बार, सुबह और शाम 10-10 मिनट, स्पेशली बैठ कर, इस संसार की आत्माओं को और प्रकृति को सुख, शांति, पवित्रता, प्रेम के वाइब्रेशंस देने हैं। यह मनसा सेवा करने से हमें संसार की सर्व आत्माओं के ब्लेसिंग्स मिलती है l, हमें दुआएं मिलती हैं... इन दुआओं के बल से हमारा योग अच्छा होगा। हमारी स्थिति शक्तिशाली बनेगी। एक मुरली में बाबा ने कहा था- परमात्मा ज्ञान सूर्य से किरणें लेकर इस संसार को दान देना, यही आप का मुख्य कर्तव्य है। बाकी सब सेवाएं तो निमित्त मात्र हैं।

इसी प्रकार हमें तीसरा पुण्य कर्म करना है- ईश्वरीय सत्य ज्ञान का दान करना। हमें अलग-अलग माध्यमों से, साधनों से , वाणी द्वारा परमात्मा ज्ञान का दान करना है। हम साधनों द्वारा ऑनलाइन, व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब, अलग-अलग माध्यमों से, ज्ञान का दान कर सकते हैं। बाबा ने एक मुरली में कहा था यह एक एक ज्ञान का पॉइंट लाखों रुपए का है। करोड़ों रुपए का है। जितना हम यह ज्ञान दान करेंगे उतना हमें दुआएं मिलेंगी। स्वतः ही आत्माओं के मन में हमारे प्रति शुभ भावना रहेगी। जितना जितना हम यह ज्ञान दान करेंगे, स्वतः ही हमारा ज्ञान बढ़ेगा। हमें ज्ञान का बल प्राप्त होगा।

इसी प्रकार चौथा पुण्य कर्म हमें करना है- किसी आत्मा को भगवान से मिला देना। जो भी आत्माएं हमारे संबंध संपर्क में आती हैं, अभी-अभी ज्ञान ले रहे हैं, उन्हें इतना निश्चय नहीं है... हमें उन्हें भगवान से मिलाने के लिए हेल्प करना है। वह हम ज्ञान द्वारा भी कर सकते हैं, अपने मनसा सेवा से भी कर सकते हैं... या उन्हें प्रॉपर मार्गदर्शन दें कि परमात्मा से सूक्ष्म वतन में या परमधाम में कैसे मिलन मनाया जाए... या परमात्मा का आवाहन हमारे घर में कैसे किया जाए... संसार की आत्माएं भटक रहीं हैं, तड़प रहीं हैं...जो हमारा मुख्य कर्तव्य है उन्हें परमात्मा मिलन की अनुभूति कराना।

इसी प्रकार पांचवा पुण्य कर्म हमें करना है- भगवान के यज्ञ में तन, मन, धन से सहयोग देना। यह भगवान का यज्ञ है। जितना जितना हम तन, मन या धन का सहयोग देंगे, उतना ही रिटर्न में हमें दुआएं प्राप्त होंगी। एक मुरली में बाबा ने कहा था- जो अपना तन सफल करेंगे उन्हें 21 जन्म निरोगी काया, निरोगी तन मिलेगा। जो मन से सेवा करेंगे उनका मन सदा तंदुरुस्त रहेगा। कोई भी मानसिक टेंशन कहें या स्ट्रेस कहें नहीं होगा। इसी प्रकार जो धन सफल करेंगे, उन्हें यह जन्म और आगे 21 जन्म कभी धन की कमी नहीं होगी। भगवान अपने बच्चों को सदा तन से, मन से और धन से सहज रखेगा- यह बाप की गारंटी है। तो जितना जितना हम यह पुण्य कर्म करते जाएंगे, हमें स्वतः ही परमात्मा की ब्लेसिंग्स मिलेगी संसार की सर्व आत्माओं की ब्लेसिंग्स मिलेगी। और इन्हीं ब्लेसिंग से, दुआओं से हम स्वतः ही खुश रहने लगेंगे। सुख शांति का अनुभव होगा। स्थिति शक्तिशाली बनेगी। अंतिम समय में हमें दो ही चीजें काम आएंगी- एक है परमात्मा याद और दूसरा हमारे पुण्य कर्म।

ओम शांति।