मैं शिव-शक्ति हूँ, अष्टभुजाधारी हूँ।


ओम शांति।

चारों ओर के सर्व संकल्पों को समेटकर, एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा.. मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी.. अपने इस शरीर रूपी वस्त्र की मालिक.. मैं आत्मा परमात्मा शिव बाबा की संतान.. मास्टर सर्वशक्तिमान.. मैं आत्मा सर्वशक्ति संपन्न, मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं... मैं शिव शक्ति हूं... बुद्धि रूपी नेत्र के सामने देखेंगे, मेरे सिर के ऊपर परमात्मा शिव बाबा... ज्योति स्वरूप.. परमात्मा शिवबाबा हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... वह मेरे साथ हैं... मुझसे कंबाइंड हैं.... फील करेंगे उनके साथ का अनुभव... मैं आत्मा परमात्मा शिवबाबा से कंबाइंड शिव शक्ति हूं..... अनुभव करेंगे यह संपूर्ण देह जैसे लोप हो चुका है.. बस मैं आत्मा... और मैं आत्मा कंबाइड हूं परमपिता परमात्मा शिव बाबा ज्योति स्वरूप से.. मैं शिव शक्ति हूं... परमात्मा शिवबाबा से जैसे कि एक लाइट की तार निकल मुझसे कंबाइंड है.. मैं उनसे कनेक्टेड हूं, कंबाइंड हूं... उनके साथ होने से उनकी सर्व शक्तियां मुझ आत्मा में प्रवेश करती रहेंगी... जैसे परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिमान है, मैं उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं... शिवशक्ति हूं.. शिव शक्ति की स्मृति में रहने से हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है.. हमारे सर्व संकल्प, बोल सिद्ध होते हैं.. हम सदा निर्विघ्नं रहते हैं.. हमें हर कार्य में सफलता मिलती है... सर्व आत्माओं को हम से एक अलौकिक, रूहानी प्रेम का अनुभव होता रहेगा... जो आत्माएं मास्टर सर्वशक्तिमान और मैं शिव शक्ति हूं इस स्मृति में रहते हैं, उन्हें स्थूल साधन भी स्वतः प्राप्त होते रहते हैं... जो सदैव ईश्वरीय नशे में मस्त रहते हैं, वे सर्व प्राप्ति संपन्न बनते हैं... मैं शिव शक्ति.. ज्ञान से भरपूर.. गुणों से भरपूर.. सर्वशक्ति संपन्न.. मैं शिव शक्ति, अष्ट भुजाधारी अर्थात अष्ट शक्तियों से भरपूर.. अष्ट शक्तिवान.. हम अपना जितना यह शिव शक्ति और अष्ट भुजाधारी की स्मृति में रहेंगे, इतना सहज ही हमें साक्षीपन का अनुभव होगा.. और परमात्मा शिव बाबा के साथ का अनुभव स्वतः होता रहेगा... मैं शिवशक्ति सदा कंबाइंड हूं.. अष्ट भुजाधारी हूं.. परमात्मा शिवबाबा सदैव हमारे साथ हैं....

ओम शांति।