विदेही अवस्था - अमृतवेला के लिए योग कमेंटरी।


ओम शांति।

चारों ओर से अपने सर्व संकल्प समेट कर... एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच... मैं आत्मा... ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा.. मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी.. अपने इस शरीर की मालिक... यह शरीर मेरा एक वस्त्र है.. मैं आत्मा संपूर्ण अलग हूं इस वस्त्र से.. यह शरीर अलग और मैं आत्मा अलग.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... मेरा स्वभाव शांत है.. मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूं.. मैं सुख स्वरूप आत्मा हूं.. मैं संपूर्ण सुखी हूं.. अभी अनुभव करेंगे, मुझ आत्मा से चारों तरफ एक शांति का प्रकाश फैल रहा है... यह प्रकाश धीरे धीरे मेरे संपूर्ण शरीर में फैल रहा है.. एक एक अंग को देखेंगे.. यह शांति की किरणें फैल रही है... ऊपर मस्तिष्क में यह किरणें फैल रही है... धीरे-धीरे यह किरणें देखेंगे, अनुभव करेंगे, नीचे की ओर फैल रही हैं... गर्दन.. कंधों.. दोनों हाथ.. ह्रदय.. फेफड़ो.. आंतों.. पेट.. पीछे पूरे रीढ़ की हड्डी में यह शांति के किरणें फैल चुकी है... धीरे-धीरे यह किरणें नीचे घुटनों तक फैल चुकी है... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... शांति की किरणों से मेरा शरीर संपूर्ण रिलैक्स हो चुका है... संपूर्ण डिटैच हूं मैं अपने इस शरीर से... मैं स्थित हूं संपूर्ण विदेही अवस्था में... देह से न्यारी में आत्मा... एक चमकता सितारा... धीरे-धीरे अनुभव करेंगे मैं आत्मा इस देह को छोड़, चली ऊपर की ओर... देखेंगे मैं चमकता सितारा... इस देह को छोड़, डिटैच हो, चला ऊपर... संपूर्ण साक्षी हो देखेंगे देह को, इस संसार को, मैं आत्मा छोड़ चली ऊपर... धीरे-धीरे आकाश, चांद, तारों को पार कर, पहुंच गई परमधाम में... परमधाम... शांतिधाम... यह मेरा असली घर है... एक असीम शांति है यहां पर... परमधाम, आत्माओं का घर... मैं आत्मा पहुंच गई परमात्मा शिवबाबा के एकदम पास... जैसे उनके साथ मैं जुड़ चुकी हूं... परमात्मा शिवबाबा एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं उनकी संतान भी एक पॉइंट ऑफ लाइट... उनके साथ अटैच हूं.. उनके साथ जैसे कंबाइंड हूं.. उनसे दिव्य पवित्रता का प्रकाश मुझमें निरंतर समाते जा रहा है... अनुभव करेंगे यह पवित्रता का दिव्य प्रकाश... इन पवित्रता के किरणों से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूं... जैसे पवित्रता का करंट मुझमें फ्लो हो रहा है... और मुझ आत्मा में निरंतर समाते जा रहा है... पवित्रता की किरणों से, मुझ आत्मा पर चढ़ी हुई मैल, नेगेटिविटी संपूर्ण क्लीन हो रही है.. साफ हो रही है.. संपूर्ण स्वच्छ मैं आत्मा बन रही हूं... मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म, पाप नष्ट हो चुके हैं... अनुभव करेंगे मैं संपूर्ण पवित्र बन चुकी हूं.. मैं आत्मा संपूर्ण पवित्र, शुद्ध.. जैसे कि एक बेदाग हीरा चमक रहा है... पवित्रता सुख शांति की जननी है। इन किरणों से बाबा ने पवित्रता, सुख, शांति, प्रेम से मुझ आत्मा को भरपूर कर दिया है... बाबा कहते हैं- कोई एक गुण गहराई से अभ्यास करो, तो सर्वगुण उसमें समा जाते हैं.... संपूर्ण पवित्र अवस्था में मैं आत्मा एकाग्र हूं... निरंतर बाबा से मुझ में किरणें समाती जा रही हैं... अभी अनुभव करेंगे, यह पवित्रता की किरणें मुझ आत्मा से नीचे सारे संसार में फैल रही है... संपूर्ण ब्रह्मांड में यह किरणें फैल चुकी है.. देखेंगे प्रकृति के पांचों तत्व- अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी.. इन पांचों ही तत्वों में यह किरणें समा रही हैं.. यह पांचों ही तत्व संपूर्ण पवित्र बन रहे हैं.. इस आकाश में स्थित लाखों-करोड़ों सितारें, आठों ग्रह इन किरणों से संपूर्ण पावन बन रहे हैं.. पृथ्वी पर स्थित संसार की सर्व आत्माएं इन किरणों को महसूस कर रही हैं.. जैसे कि एक पवित्रता का करंट इन आत्माओं में समाते जा रहा है... अनुभव करेंगे, इन पवित्रता की किरणों से संसार की सर्व आत्माएं सुख शांति का अनुभव कर रही हैं... हमसे इन किरणों का दान मिलने से, रिटर्न में हजार गुना हमें यह आत्माएं दुआएं दे रहे हैं... संपूर्ण तृप्त हो चुकी है यह आत्माएं... संपूर्ण पावन बन चुकी है यह आत्माएं... वे हमें दिल से शुक्रिया कह रहे हैं... हमें दिल से दुआएं दे रहे हैं... अभी अनुभव करेंगे प्रकृति के पांचों ही तत्व संपूर्ण पावन बन चुके हैं... यह पांचों ही तत्व संपूर्ण पावन बन संपूर्ण सतोप्रधान अवस्था में स्थित हो चुके हैं... यह पांचों ही तत्व हमें दिल से दुआएं दे रहे हैं... वरदान दे रहे हैं- सदा सुखी भव! प्रकृतीजीत भव ! सदा योगी भव ! संपूर्ण भरपूर हो चुकी हूं मैं आत्मा बाबा की किरणों से... यह दिव्य किरणें.. पवित्रता.. सुख.. शांति.. प्रेम.. आनंद.. संपूर्ण भरपूर हो, संपूर्ण बाप समान बन चुकी हूं.. अभी धीरे-धीरे मैं आत्मा चली नीचे संसार की ओर.. आकाश, चांद, तारों को पार कर पहुंच गई अपने शरीर में... अपने मस्तक के बीच में... अपनी सीट पर सेट... देखेंगे मैं चमकता सितारा.. संपूर्ण बाप समान... अनुभव करेंगे, मैं आत्मा इस शरीर से डीटैच.. स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं इस संसार में अवतरित फरिश्ता हूं...मैं विश्व कल्याण के लिए अवतरित फरिश्ता हूं... अनुभव करेंगे, परमधाम में शिव बाबा ज्योति स्वरूप से शक्तियों का दिव्य प्रकाश नीचे फ्लो होते जा रहा है.. और मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... जैसे शक्तियों का दिव्य करंट, लाल प्रकाश अनुभव करेंगे.. शिवबाबा से निकल मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... शिव बाबा सर्वशक्तिमान.. मैं उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिमान.. संपूर्ण शक्तिशाली.. बाप समान.. धीरे-धीरे इस पृथ्वी से, अपने शरीर से मैं फरिश्ता थोड़ा ऊपर उड़ चुका हूं... अनुभव करेंगे, आकाश तत्व में मैं फरिश्ता स्थित हूं... और मुझ में परमधाम से शक्तियों का लाल प्रकाश फ्लो हो रहा है... और नीचे मैं फरिश्ता इस संसार को यह शक्तियों की किरणों का दान दे रहा हूं... यह दिव्य शक्तियां पांचों ही तत्व में समाती जा रही है.. अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी- यह किरणें इनमें समा रहीं हैं... अनुभव करेंगे यह दिव्य शक्तियों का प्रकाश संसार के सर्व आत्माओं को मिल रहा है... इस पृथ्वी पर स्थित 800 करोड़ आत्माएं यह दिव्य शक्तियों का प्रकाश महसूस कर रही हैं... यह शक्तियों की किरणें इनमें बल भर रही हैं... यह आत्माएं संपूर्ण शक्तिशाली बन रही हैं... संसार में स्थित दुखी, प्यासी, अतृप्त आत्माएं संपूर्ण शक्तिशाली बन चुकी है... वे संपूर्ण शक्तिशाली अवस्था में स्थित हैं... हर परिस्थिति में यह शक्तियां इनके काम में आएंगे... वे मुझ फरिश्ता को और परमात्मा शिवबाबा को दिल से शुक्रिया कह रहे हैं... तीन मिनट तक हम इसी स्थिति में स्थित रहेंगे- परमधाम से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल, मुझे फरिश्ता में समा कर, संसार में फैल रहा है.....

ओम शांति।