अपने सारे पापकर्म भस्म करनेवाला 20 मिनट पावरफुल ज्वालामुखी अमृतवेला योग कमेंट्री।


ओम शांति।

परमात्मा कहते हैं- पवित्रता सुख शांति की जननी है। आज हम विशेष प्योरिटी का, पवित्रता का अभ्यास करेंगे। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम, परमात्मा शिवबाबा से दो वरदान लेंगे। पहला वरदान- परम पवित्र आत्मा भव, दूसरा वरदान हम लेंगे- पवित्रता का सूर्य भव। इन वरदानों से संपन्न बन, अपने संपूर्ण प्योरिटी की स्टेज में स्थित हो, सारे संसार को पवित्रता का दान देंगे। जितना हम पवित्रता का अभ्यास करेंगे, उतना हमारे विकर्म, पाप सभी नष्ट हो जाएंगे। हमारा पवित्रता का बल बढ़ेगा। हमारा योग बल बढ़ेगा। हमारी स्थिति शक्तिशाली बनेगी। जीवन में जो भी कार्य हम करते हैं, सभी सफल होंगे। और जितना हम अपने प्योरिटी की स्टेज में रहेंगे, परमात्मा का साथ हमें निरंतर और सहज अनुभव होता रहेगा। तो चले शुरू करते हैं।

चारों तरफ से अपना ध्यान समेट कर, एकाग्र करेंगे... अपने आत्मिक स्वरूप पर.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.. यह शरीर मेरा एक वस्त्र है.. मैं आत्मा संपूर्ण डीटैच हूं अपने स्थूल शरीर से.. मैं संपूर्ण अशरीरी हूं.. मैं एक परम पवित्र आत्मा हूं.. पवित्रता मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर है.. अनुभव करेंगे- मुझ आत्मा से पवित्रता की किरणें निकल, संपूर्ण शरीर में फैल चुकी हैं... ऊपर मस्तिष्क से लेकर नीचे पैरों तक यह पवित्रता की किरणों का प्रवाह फैल चुका है... संपूर्ण शरीर इन पवित्रता की किरणों से जगमग आ उठा है... मेरा यह स्थूल शरीर संपूर्ण लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा.. अपने लाइट के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक पवित्रता का फरिश्ता हूं... अभी मैं फरिश्ता उड़ चला ऊपर आकाश की ओर... आकाश, चांद, तारों को पार कर, पहुंच गया सुक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं... मुझे गले लगा रहे हैं.. अभी बापदादा के सामने बैठ जाएं.. अनुभव करें- उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... इन हाथों से दिव्य पवित्रता का प्रकाश निकल, मुझ आत्मा में समा रहा है.. और मेरे संपूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रहा है... एकाग्र हो जाएंगे इस स्थिति में... अभी बापदादा मुझे वरदान दे रहे हैं- परम पवित्र भव..!! परम पवित्र भव..!! पवित्रता का सूर्य भव..!! पवित्रता का सूर्य भव..!! मैं परम पवित्र आत्मा हूं... बाप दादा ने मुझे दोनों वरदानों से संपन्न किया है... भरपूर किया है! आज से यह पवित्रता का वरदान हममें नेचुरली काम करेगा। मैं परम पवित्र आत्मा हूं.. मैं पवित्रता का सूर्य हूं!! मैं संपूर्ण शुद्ध व पवित्र आत्मा हूं... अभी मैं आत्मा अपना सुक्ष्म शरीर समेटकर, चली परमधाम में..... परमधाम.. शांतिधाम.. पहुंच जाएं परमात्मा शिवबाबा के पास.. अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा का साथ.. अनुभव करेंगे शिवबाबा से पवित्रता का दिव्य प्रकाश निकल, मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... संपूर्ण एकाग्र हो जाएंगे इस स्थिति में.. परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... इन किरणों से मुझ आत्मा के जन्म जन्मांतर के विकर्म, पाप सब भस्म हो चुके हैं.. नष्ट हो चुके हैं... मैं संपूर्ण शुद्ध, पवित्र, सतोप्रधान अवस्था में स्थित हूं... परमात्मा का मुझ आत्मा को वरदान है- परम पवित्र आत्मा भव!! पवित्रता का सूर्य भव!! अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह पवित्रता का प्रकाश निकल, नीचे सारे संसार को मिल रहा है... जैसे पवित्रता की किरणों का फाउंटेन मुझ आत्मा से नीचे सारे संसार में फ्लो हो रहा है... संसार की सर्व आत्माओं को यह पवित्रता की किरणों का दान मिल रहा है... इन किरणों से उनके सर्व विघ्न समाप्त हो रहे हैं... पवित्रता सुख और शांति की जननी है। संसार की सर्व आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं... यह किरणें प्रकृति के पांचों ही तत्वों को मिल रही हैं- अग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी.. पांचों ही तत्व शुद्ध बन रहे हैं, स्वच्छ बन रहे हैं... प्रकृति की हलचल शांत हो रही है... धरती मां हमें दिल से वरदान दे रही हैं- सदा निरोगी भव! सदा सफल भव! संसार की सर्व आत्माएं इन पवित्रता की किरणों से सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं... वे दिल से हमें दुआएं दे रही हैं... अभी मैं आत्मा चली नीचे अपने स्थूल देह में, पहुंच जाएं अपने मस्तक के बीच में.. अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता स्थित हूं ग्लोब पर.. मैं परम पवित्र आत्मा हूं.. मैं पवित्रता का फरिश्ता हूं... मैं पवित्रता का सूर्य हूं... मुझ आत्मा से पवित्रता की किरणें संसार में निरंतर फैल रही हैं.... अनुभव करेंगे- परमधाम में शिव बाबा से पवित्रता की किरणें, नीचे फ्लो होकर, मुझ आत्मा में समाकर, चारों ओर संसार में फैल रही हैं.... परमात्मा कहते हैं- जैसे मैं चमकता हूं उस जहान में, वैसे तुम चमको इस जहान में.. तुम इस संसार के नूर हो! तुम इस संसार में ना होते, तो यह संसार वीरान हो जाता... अनुभव करेंगे पवित्रता के सूर्य समान मैं आत्मा चमक रही हूं.... और मुझसे सारे संसार को पवित्रता की किरणों का दान मिल रहा है.... प्रकृति शांत हो रही है... संसार की सर्व आत्माओं को यह पवित्रता की किरणें मिल रहीं हैं... पवित्रता सुख शांति की जननी है.. अनुभव करेंगे इन पवित्रता की किरणों से, संसार की सर्व आत्माएं शांत व सुखी बन चुकी हैं... परमात्मा शिवबाबा मुझ द्वारा इन सर्व आत्माओ को, प्रकृति को, पवित्रता का दान दे रहे हैं... शांत सुखी बना रहे हैं....

ओम शांति।