आज तक के पुराने खाते समाप्त करना- पावरफुल विकर्म विनाश योग कमेंट्री- Meditation Commentary.


ओम शांति।

परमात्मा शिवबाबा कहते हैं- आज तक जो कमजोरी, कमियां, निर्बलता या कोमलता रही हुई है, वह सभी पुराने खाते आज से समाप्त करना, यही दीपमाला मनाना है। अल्पकाल के लिए नहीं, लेकिन सदा काल के लिए, सर्व रूपों से समाप्त करना, यह है दीपावली मनाना। इस योग कमेंट्री में हम परमात्मा द्वारा पवित्रता की किरणें ले, आत्मा को स्वच्छ करेंगे। आत्मा के पुराने संस्कार, स्वभाव, कमजोरियां, निर्बलता, इन पवित्रता की किरणों से समाप्त करेंगे। और परमात्मा से हम सर्व गुणों और शक्तियों की किरणें लेंगे। तो चले शुरू करते हैं।

चारों तरफ से अपना ध्यान समेट कर, एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच... मैं आत्मा.. ज्योति स्वरुप.. चमकता सितारा.. पॉइंट ऑफ लाइट... मैं आत्मा दीपक समान चमक रही हूँ... मैं परम पवित्र आत्मा हूँ... यह देह अलग, मैं आत्मा इस देह को चलाने वाली मालिक हूँ... अपने सर्व कर्मेन्द्रियों की मालिक... अभी मैं आत्मा यह देह छोड़, उड़ चली आकाश की ओर... आकाश, चाँद, तारों को पार कर, पहुंच गयी परमधाम में... चारों तरफ गोल्डन लाल किरणें... सितारों की दुनिया है ये... मैं आत्मा पहुंच गयी परमपिता परमात्मा शिवबाबा के पास.... उनके समीप.... फील करेंगे परमात्म साथ का अनुभव.... अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... मैं आत्मा सम्पूर्ण स्वच्छ बन रही हूँ... मुझ आत्मा की पुरानी कमियां, कमज़ोरियां, निर्बलता, कोमलता समाप्त हो रहे हैं... मैं संपूर्ण स्वच्छा बन रही हूँ... मुझ आत्मा की सफाई हो रही है... इन किरणों से मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म, पाप नष्ट हो रहे हैं... ये किरणें मुझमे निरंतर समाते जा रहीं हैं... मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र बन चुकी हूँ.. सम्पूर्ण स्वच्छ.... सभी पुराने संस्कार, कमियां, कमज़ोरियां सब नष्ट हो चुकी हैं... मैं सम्पूर्ण पवित्र बन चुकी हूँ... मैं परम पवित्र आत्मा हूँ... पवित्रता के सागर की संतान... अभी अनुभव करेंगे- मैं सम्पूर्ण स्वच्छ आत्मा... और मुझ में परमात्मा से दिव्य गुणों और शक्तियों की किरणें समाती जा रहीं हैं... अनुभव करेंगे यह रंग बिरंगी किरणें सर्व गुण और शक्तियों की किरणें हैं.... इन दिव्य गुणों और शक्तियों की किरणों से, मैं आत्मा भरपूर हो रही हूँ... जैसे परमात्मा शिवबाबा मुझे उनके सर्व गुण और शक्तियां वरदान में दे रहें हैं.... जैसे परमात्मा शिवबाबा गुणों के सागर, वैसे मैं आत्मा मास्टर गुणों का सागर बन चुकी हूँ... ज्ञान, प्रेम, आनंद, सुख व खुशी से भरपूर हो चुकी हूँ.... निरंतर परमात्मा से यह दिव्य किरणें मुझ में समाती जा रहीं हैं... जैसे परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान बन चुकी हूँ... मुझ आत्मा का सम्पूर्ण दीपक जगमगा उठा है... जैसे कोई दाग नहीं है... सम्पूर्ण सतोप्रधान, सम्पूर्ण स्वच्छ.. परम पवित्र... सर्व गुण और सर्व शक्तियों से भरपूर..... अभी फील करेंगे मुझ आत्मा से यह दिव्य शक्तियों की किरणें निकल, नीचे सारे संसार में फैल रहीं हैं... प्रकृति के पाँचों तत्वों को मिल रहीं हैं... संसार के सर्व आत्मों को मिल रहीं हैं... इन किरणों से उनके सर्व दुःख व दर्द समाप्त हो रहे हैं... मानो उनके आत्मा रूपी दीपक जगमगा उठे हैं... परमात्मा शिवबाबा से जैसे मुझ में लाइट समा कर, सम्पूर्ण विश्व में यह लाइट फैल चुकी है... और सारे विश्व में यह रौशनी फैल चुकी है... सारे विश्व का अँधियारा समाप्त हो, मानो सारे विश्व में दीपावली हो रही है... सभी आत्माओं के दीपक चमक रहे हैं... सर्व आत्माएं पवित्रता, ज्ञान, शांति, प्रेम, आनंद और शक्तियों से भरपूर हो चुकी हैं... मानो सारे विश्व में दीपावली मनाई जा रही है.... चारों तरफ सभी आत्माए खुशियाँ मना रहे हैं... प्रकृति अपने सतोप्रधान अवस्था में है... शांत.. शीतल.. अचल अडोल.. संसार की सर्व आत्माएं खुशी में झूम रही हैं... और परमात्मा शिवबाबा को और मुझ आत्मा को शुक्रिया कह रहे हैं....

ओम शांति।