पवित्रता और खुशी का बहुत सूंदर अनुभव - मैं सदा होली और हैप्पी हूँ- मेडीटेशन कमेंटरी।


ओम शांति।

आज हम परमात्मा से विशेष वरदान लेंगे। यह वरदान है- होली और हैप्पी भव! अव्यक्त मुरली- 13-1-1986 में बापदादा कहते हैं- होली अर्थात पवित्रता की प्रत्यक्ष निशानी। हैप्पी अर्थात खुशी सदा प्रत्यक्ष रूप में दिखायी देगी। अगर खुशी नहीं, तो अवश्य कोई अपवित्रता अर्थात संकल्प व कर्म यथार्थ नहीं हैं, तब खुशी नहीं हैं। अपवित्रता सिर्फ 5 विकारों को नहीं कहा जाता, लेकिन संपूर्ण आत्माओं के लिए, देव आत्मा बनने वालों के लिए- अयथार्थ, व्यर्थ, साधारण संकल्प, बोल व कर्म भी संपूर्ण पवित्रता नहीं कहा जएगा। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम सुक्ष्म वतन में, बापदादा से होली व हैप्पी भव का वरदान लेंगे। तो चलें शुरु करते हैं।

एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं परम पवित्र आत्मा हूँ... मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर पवित्रता है... शांति है... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से पवित्रता की किरणें निकल, सम्पूर्ण शरीर में फैल रहीं हैं... ऊपर मस्तिष्क से लेकर नीचे पैरों तक, पवित्रता की ये किरणें फैल चुकी हैं... और मेरा शरीर सम्पूर्ण रिलैक्स व शिथिल हो चूका है... जैसे पवित्रता की किरणों से सम्पूर्ण शरीर जगमगा उठा है... और मेरा स्थूल शरीर सम्पूर्ण लोप हो चूका है... बस मैं आत्मा, अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरुप में... मैं पवित्रता का फरिश्ता हूँ... अनुभव करेंगे- मैं फरिश्ता इस स्थूल देह और दुनिया से दूर, उड़ चला सूक्ष्म वतन की ओर.... आकाश, चाँद, तारों को पार कर, पहुंच गया हूं सूक्ष्म वतन में... चारों ओर सफेद प्रकाश... सामने मेरे परमात्मा शिवबाबा...ब्रह्मा बाबा के सूक्ष्म शरीर में... बाप और दादा दोनों मेरे सामने... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं.... बापदादा के सामने बैठ जाएं.... दृष्टि देते देते इन्होनें अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.... इन हाथों से पवित्रता के प्रकंपन मुझ फरिश्ता में समाते जा रहे हैं.... इसी स्थिति में एकाग्र हो जाएंगे.... बस बाबा का हाथ मेरे सिर के ऊपर.. उनसे पवित्रता की किरणें निकल, निरंतर मुझ फरिश्ता में समाती जा रही हैं... और बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं- सदा होली और हैप्पी भव!! सदा होली और हैप्पी भव!! आज से मैं सदा खुश रहूँगा! खुशी का आधार सम्पूर्ण पवित्रता पर है। जितना जितना हम पवित्र बनते जाएंगे, हमारी खुशी निरंतर बनी रहेगी.... आज से मेरा हर संकल्प, बोल व कर्म श्रेष्ठ रहेगा... क्योंकी बाबा से मुझे सम्पूर्ण होली, सम्पूर्ण पवित्रता का वरदान मिला है!! और हर संकल्प, बोल व कर्म श्रेष्ठ बनने से सदा खुशनसीबी की फलक अनुभव होगी.... और सर्व आत्माओं को यह खुशनसीबी अनुभव कराएगी.... मुझे आज से वरदान है- सदा हौली और हैप्पी भव! आज से मैं सदा हैप्पी रहुंगा, खुश रहूँगा! परमात्मा की मुझे ब्लेसिंग है- मैं सदा हैप्पी हूँ!! आज से मेरी खुशी कोई भी हद के आधारों पे नहीं है। मेरी खुशी कोई भी हद के प्राप्तियों पर आधारित नहीं है। कोई नाम शान पर आधारित नहीं है। कोई इच्छा पूर्ण होने पर आधारित नहीं है। कोई व्यक्ति पर आधारित नहीं है। मुझ आत्मा को सदा खुशनसीबी का वरदान मिला है! मैं सदा हौली और हैप्पी हूँ! आज से मेरा हर संकल्प, बोल व कर्म यथार्थ, पवित्र और श्रेष्ठ रहेगा... और इस आधार पर मैं सदा खुशी में उड़ता रहूँगा...!!

ओम शांति।