10 वरदानों का अभ्यास.. वरदानों का बहुत शक्तिशाली अनुभव करें.. एकाग्रता बढ़ेगी.. योग हो जायेगा सहज।


ओम शांति।

आज हम विशेष दस वरदानों का अभ्यास करेंगे। हमें अपने लिए कम से कम पांच से दस वरदान ऐसे चुनने है, जो हम प्रतिदिन अनुभव करते हैं, उनके स्वरूप में स्थित होते हैं। परमात्मा शिवबाबा कहते हैं- वरदानों से तुम्हारा जन्म होता है.. वरदानों से तुम्हारी पालना होती है..! और जितना जितना हम इन वरदानों का अभ्यास करेंगे, उतना हम वरदानी मूरत बनेंगे। तो प्रतिदिन इन वरदानों का अभ्यास कैसे करना है, चलें शुरू करते हैं।

एकाग्र करेंगे.. मस्तक के बीच... मैं आत्मा... ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा... एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं आत्मा अपने इस शरीर की मालिक... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... अनुभव करेंगे- मुझ आत्मा से शांति का प्रकाश निकल, सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है... ऊपर मस्तिष्क से लेकर नीचे पैरों तक यह शांति का प्रकाश फैल चुका है... और मैं आत्मा सम्पूर्ण रिलैक्स.. और इस शरीर से अलग हो चुकी हूं... जैसे कि ये शरीर सम्पूर्ण लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं परमात्मा का फरिश्ता हूं... अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा.. मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं... मुझे गले लगा रहे हैं... सामने बैठ जाएं.. बापदादा को फील करेंगे... उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... इन हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझ फरिश्ता में समाते जा रहा है... बापदादा मुझे पहला वरदान दे रहे हैं- श्रेष्ठ योगी भव... इस वरदान की प्राप्ति से आज से मेरा योग सहज हो जाएगा... योग में मुझे मेहनत नहीं होगी... मुझे सदैव स्मृति है मैं श्रेष्ठ योगी आत्मा हूं... इस ब्राह्मण जीवन में सर्व श्रेष्ठ वरदान योगी भव का वरदान है... जिसे ये वरदान प्राप्त होता है, उस आत्मा को बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त होते हैं...

बापदादा मुझे दूसरा वरदान दे रहें हैं- मास्टर सर्वशक्तिवान भव... मास्टर सर्वशक्तिवान भव... इस वरदान की प्राप्ति से बाबा ने मुझे अपनी सर्व शक्तियां वरदान में दी है... मैं परमात्मा की सन्तान, मास्टर सर्वशक्तीवान हूं... मास्टर सर्वशक्तिवान की स्मृति में हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है... इस वरदान से हर कार्य में मुझे सफलता मिलेगी... सभी कार्य सहज होते रहेंगे... जहां बाप साथ है, जहां परमात्म शक्तियां साथ है, वहां कोई कुछ कर नहीं सकता... इस दुनिया की कोई भी नेगेटिविटी मुझ आत्मा को टच नहीं कर सकती... मैं मास्टर सर्वशक्तीवान हूं...

बापदादा मुझे तीसरा वरदान दे रहें हैं- सम्पूर्ण पवित्र भव... सम्पूर्ण पवित्र भव... इस वरदान की प्राप्ति से मेरी प्यूरिटी नेचुरल‌ रहेगी... मनसा वाचा कर्मणा मैं सम्पूर्ण पवित्र हूं... परमात्मा से मुझे वरदान मिला है- सम्पूर्ण पवित्र भव...

बापदादा मुझे चौथा वरदान दे रहे हैं- सफलता मूरत भव... सफलता मूरत भव... इस वरदान की प्राप्ति से जीवन के हर कार्य में, वो चाहे ऑफिस हो, बिजनेस हो, पढ़ाई हो, कोई सेवा हो, हर कार्य में मैं सफल बनूंगा... परमात्मा का मुझे वरदान है- सफलता मूरत भव! मैं आज से हर कार्य में विजयी हूं... सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है... परमात्मा सदैव मेरे साथ हैं... परमात्म साथ होने से हर कार्य में सफलता हुई पड़ी है...

बापदादा मुझे पांचवा वरदान दे रहे हैं- विघ्न विनाशक आत्मा भव... विघ्न विनाशक आत्मा भव... इस वरदान की प्राप्ति से जीवन की हर समस्या या विघ्न नष्ट हो जाएंगे... यदि कोई कार्य में विघ्न आते भी हों, तो भी वह सहज ही पार हो जाएंगे... जैसे हर विघ्न या पेपर सूली से कांटा बन जाएगा... क्योंकि स्वयं भगवान का मुझे वरदान है- विघ्न विनाशक भव...

अभी बापदादा मुझे छठा वरदान दे रहे हैं- सदा सुखी भव... सदा सुखी भव... इस वरदान की प्राप्ति से आज से मेरा जीवन सुखमय बनेगा... मैं सुखी हूं... तन मन धन से भरपूर हूं... संपन्न हूं... परमात्मा का मुझे वरदान है- सदा सुखी भव! मैं सम्पूर्ण सुखी हूं...

बापदादा मुझे सातवां वरदान दे रहे हैं- सदा निरोगी भव... सदा निरोगी भव... इस वरदान की प्राप्ति से भगवान ने मुझे सदा निरोगी भव का वरदान दिया है... मैं सम्पूर्ण निरोगी हूं.. स्वस्थ हूं.. मेरा तन स्वस्थ है.. सम्पूर्ण निरोगी है.. मैं सम्पूर्ण फिट हूं.. हैल्थी हूं.. खुशी में नाच रहा हूं.. मेरा मन स्वस्थ है... हमेशा पॉजिटिव है... मैं सदा निरोगी हूं.. स्वस्थ हूं...

बापदादा मुझे आठवां वरदान दे रहे हैं- शांति का फरिश्ता भव... शांति का फरिश्ता भव... इस वरदान की प्राप्ति से, मुझ फरिश्ता से सर्व आत्माओं को शांति का दान स्वतः मिलता रहेगा... मुझसे सर्व आत्माओं को शांति का अनुभव होता रहेगा... मेरे हर बोल, कर्म, संकल्प व दृष्टि से सर्व आत्माओं को शांति की अनुभूति होगी... स्वयं परमात्मा ने मुझे वरदान दिया है- शांति का फरिश्ता भव! इस संसार में मैं एक अवतरित फरिश्ता हूं... मुझे सर्व आत्माओं को शांति का दान देना है... मैं इस संसार में परमात्मा का भेजा हुआ एक फरिश्ता हूं...

अभी बापदादा मुझे नौवां वरदान दे रहे हैं- सतयुगी दिव्य आत्मा भव... इस वरदान की प्राप्ति से, सतयुगी दिव्य आत्माओं के गुण से बाबा ने भरपूर किया है... मैं सोलह कला संपन्न हूं... सम्पूर्ण सतोप्रधान.... इस वरदान से जैसे स्वयं परमात्मा ने मुझे सतयुग का श्रेष्ठ पद- रजाई पद का वरदान दिया है! आज से सर्व आत्माओं को मुझसे दिव्य गुणों का अनुभव होगा... शक्तियों का अनुभव होगा... मैं सतयुगी दिव्य आत्मा हूं...

अभी बापदादा मुझे दासवां वरदान दे रहे हैं- बाप समान भव... बाप समान भव... इस वरदान की प्राप्ति से बाबा ने मुझे अपनी सर्व शक्तियां, गुण, वरदान, खज़ाने व ज्ञान जैसे गिफ्ट में दे दी है.. ब्लेसिंग में दे दी है... आज से मैं एक बाप समान आत्मा हूं... मुझे बाप समान विश्व का कल्याण करना है... संसार की सर्व आत्माओं का कल्याण करना है... संसार की सर्व आत्माओं को परमात्म संदेश देना है... मैं बाप समान आत्मा हूं...

हम इन दस वरदानों को दिल से रिपीट करेंगे... इनकी गहराई से अनुभूति करेंगे- श्रेष्ठ योगी भव... मास्टर सर्वशक्तिवान भव... सम्पूर्ण पवित्र भव... सफलता मूरत भव... विघ्न विनाशक आत्मा भव... सदा सुखी भव... सदा निरोगी भव... शांति का फरिश्ता भव... सतयुगी दिव्य आत्मा भव... बाप समान भव.......

ओम शांति।