सूक्ष्मवतन में फरिश्ता स्वरूप के 8 अभ्यास ।


ओम शांति।

चारों ओर से सर्व संकल्पों को समेट कर एकाग्र करें मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. एक चमकता सितारा.. स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेंद्रियों की मालिक.. इस शरीर की मालिक.. यह देह अलग और मैं आत्मा इस देह को चलाने वाली एक ज्योति स्वरूप बिंदु हूं.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मुझ आत्मा का स्वभाव शांत है.. फील करें मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल सम्पूर्ण शरीर में फैल रही हैं.. ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह शांति का प्रकाश फैल चुका है.. मानो सम्पूर्ण देह लोप हो चुका है.. बस मैं आत्मा अपने प्रकाश के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं एक शांति का फरिश्ता हूं.. इस संसार में परमात्मा का एक फरिश्ता हूं.. अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्मवतन में.. चारों तरफ सफेद प्रकाश.. फरिश्तों की दुनिया है ये.. देखें सामने मेरे परमपिता परमात्मा शिवबाबा.. ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त फरिश्ता स्वरूप में...

पहला अभ्यास - अनुभव करें बापदादा हमें प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं.. अनंत प्रेम भरा है इस दृष्टि में.. अनुभव करें बाबा की दृष्टि से प्यार की किरणें निकल मुझ फरिश्ता के दृष्टि में समा रही हैं.. और मेरे सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रही हैं.. खो जाएं इस प्यार भरी मीठी दृष्टि में.. बाबा प्यार के सागर हैं.. इनके आंखों से अनंत प्यार की किरणें निकल मुझमें समा रही हैं.. मैं इस प्यार में सम्पूर्ण मग्न हो चुका हूं...

दूसरा अभ्यास - दृष्टि देते देते बाबा ने हमें गले लगा लिया है! समा जाएं बापदादा की बाहों में.. फील करें बाबा ने हमें अपनी बाहों में समा लिया है.. और उन्हें गले लगा कर हम सम्पूर्ण लाइट हो चुके हैं.. सम्पूर्ण बोझमुक्त अवस्था है ये.. सर्व बोझ दे दें बाबा को.. तन, मन, धन, जो भी कार्य व संबंध संपर्क सब बोझ बाबा को दे दें.. और उनकी बाहों में सम्पूर्ण निर्संकल्प स्थिति में स्थित हो जाएं.. और कोई संकल्प नहीं.. बस मैं बाबा का और बाबा मेरा है! बाबा कहते हैं इस संगमयुग में यदि तुम परमात्म प्यार में मग्न हो जाओ, तो जन्म जन्म संबंधों में प्यार मिलता रहेगा...

तीसरा अभ्यास - बैठ जाएं बापदादा के सामने.. अनुभव करें बाबा हमारे मस्तक पे तिलक लगा रहे हैं और हमें वरदान दे रहे हैं - विजयी भव.. सफलता मूर्त भव.. विजयी भव.. सफलता मूर्त भव.. इन वरदानों की प्राप्ति से आज से मैं हर कार्य में सफल रहूंगा.. स्वयं भगवान का मुझे वरदान है- विजयी भव! सफलता मूर्त भव! हर कार्य में परमात्मा सदैव मेरे साथ रहेंगे! और मैं सफलता मूर्त बनूंगा! जहां परमात्मा, उनके वरदान और शक्तियां साथ हैं, वहां विजय हुई पड़ी है! सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है!

चौथा अभ्यास - अनुभव करें बाबा के मस्तक मणि से अनंत दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझ फरिश्ता के मस्तक बिंदु में समाती जा रही हैं... अनंत शक्तियों की रंग बिरंगी किरणें, दिव्य ज्ञान, गुण शक्तियों से भरपूर मैं आत्मा बन चुकी हूं.. बापदादा हमें उनकी सर्व शक्तियां, गुण, ज्ञान मानो वरदान में दे रहे हैं.. सम्पूर्ण खो जाएं, मग्न हो जाएं इस स्थिति में!

पांचवां अभ्यास - फील करें बापदादा ने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.. इन हाथों से अनंत शक्तियों का लाल प्रकाश निकल मुझ फरिश्ता में समा रहा है.. मानो मेरा सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर लाल प्रकाश से जगमगा उठा है.. निरंतर बाबा के हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समाते जा रहा है.. और बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं - मास्टर सर्वशक्तिवान भव.. सदा सुखी भव.. मास्टर सर्वशक्तिवान भव.. सदा सुखी भव.. इन वरदानों के माध्यम से परमात्मा ने सर्व शक्तियां हमें वरदान में दे दिए हैं... परमात्मा सर्वशक्तिवान हैं.. मैं आत्मा उनकी सन्तान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! सदा सुखी हूं! हेल्थ वेल्थ हैप्पीनेस से भरपूर हूं! मेरे सर्व संबंध सुखमय हैं, अच्छे हैं!

छठा अभ्यास - सूक्ष्मवतन में बापदादा से सर्व संबंधों का अनुभव करें! बाप, मां, टीचर, सदगुरु, साजन, सखा, भाई और बच्चे के रूप में हम इन सर्व संबंधों का अनुभव करेंगे... बाप बनकर बाबा हमारी पालना कर रहे हैं.. मां बन हमें अनंत प्यार देते हैं- निस्वार्थ प्यार! टीचर बन हमें पढ़ाई पढ़ाते हैं.. सदगुरु बन मुक्ति, जीवन-मुक्ति का वरदान देते हैं.. साजन बन सदैव मेरे साथ रहते हैं.. हर कार्य में मुझे हेल्प करते हैं.. सखा बन मुझसे खेलते हैं.. मेरा साथ देते हैं.. मुझे हसाते हैं.. मेरा सर्व कार्य सहज कर देते हैं.. भाई बन मेरी रक्षा करते हैं.. मैं सदैव सेफ हूं.. सुरक्षित हूं.. और कभी कभी हमारा बच्चा बन हमसे खेलते हैं.. हमें प्यार करते हैं.. हम उन्हें बच्चे रूप में खिलाते हैं!

सातवां अभ्यास - बापदादा से रूह रिहान करें! परमात्मा कहते हैं जो बच्चे मुझे बहुत याद करते हैं, मैं उन्हें वतन में इमर्ज कर उनसे रूह रिहान करता हूं.. अनुभव करें हम बाबा से बातें कर रहे हैं.. उन्हें अपने दिल की हर बात बता रहे हैं.. सर्व संकल्प जो भी हमारे मन में हैं, हम उन्हें सब बता रहे हैं.. सम्पूर्ण समर्पण की अनुभूति करें.. और बाबा से बातें करें- बाबा मेरा समय, संकल्प, संपत्ति, सर्व संबंध, मेरा कर्म और यह शरीर मैं आपको समर्पण करता हूं.. मेरा कुछ नहीं.. मेरे गुण और विशेषताएं सब आपकी देन है! मेरा कुछ नहीं.. सब कुछ आपका है! सम्पूर्ण निर्संकलप हो जाएं.. सब कुछ तेरा! सब कुछ तेरा! सब कुछ तेरा!

आठवां अभ्यास - बापदादा के साथ बैठ जाएं.. और सूक्ष्मवतन में हम इमर्ज करेंगे संसार की सर्व दुखी, अशांत, रोगी और तड़पती आत्माओं को.. फील करें सूक्ष्मवतन में बाबा से अनंत शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा कर, इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.. इन किरणों से ये सम्पूर्ण शांत हो रहे हैं.. इनके सर्व दुख, अशांति, बीमारियां सब समाप्त हो रहे हैं.. यह आत्माएं सम्पूर्ण तृप्त महसूस कर रही हैं.. इनके साथ हम इमर्ज करेंगे पृथ्वी के सम्पूर्ण ग्लोब को.. और बाबा से अनंत पवित्रता की किरणें निकल मुझ फरिश्ता में समा कर इस सारे ग्लोब को यह किरणें मिल रही हैं.. संसार की सर्व आत्माओं को पवित्रता का दान मिल रहा है.. पवित्रता सुख शांति की जननी है.. इन पवित्रता की किरणों से संसार की सर्व आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं.. प्रकृति के पांचों ही तत्वों को यह पवित्रता का दान मिल रहा है.. अग्नि, वायु, जल, आकाश व पृथ्वी- पांचों ही तत्व सम्पूर्ण पवित्र बन चुके हैं! शांत.. स्थिर.. कोई हलचल नहीं है.. प्रकृति हमें दिल से दुआएं दे रही है.. वरदान दे रही है- सदा निरोगी भव! प्रकृतिजीत भव! संसार की सर्व आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं.. संसार की सर्व आत्माएं हमें दिल से दुआएं दे रही हैं.. 2 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे कि जैसे मैं परमात्मा का इंस्ट्रुमेंट हूं, परमात्मा मुझ द्वारा इस संसार को, प्रकृति को सुख शांति का दान दे रहे हैं...

ओम शांति।