5 स्वरूप का अभ्यास।


ओम शांति।

एक सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने निराकारी स्वरूप में.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं परमधाम में.. चारों तरफ लाल प्रकाश.. सितारों की दुनिया है ये.. हर आत्मा अपने अपने सेक्शन में स्थित है.. फील करेंगे मैं आत्मा पहुंच गई परमात्मा शिवबाबा के एकदम पास.. फील करेंगे उनके साथ का अनुभव.. मैं परमात्मा शिवबाबा से कंबाइंड हूं.. अनुभव करेंगे परमात्मा शिव ज्योति से दिव्य गुणों और शक्तियों का प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समाते जा रहा है.. इन किरणों से मुझ आत्मा के जन्म जन्मांतर के विकर्म नष्ट हो चुके हैं.. मैं सम्पूर्ण बाप समान गुणमूर्त, शक्तिशाली बन चुकी हूं.. जैसे परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान हैं, वैसे मैं आत्मा उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं अपने इस निराकारी स्वरूप में.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा अपने निराकारी स्वरूप में, सम्पूर्ण बेदाग हीरा बन चुकी हूं... एक हीरे समान चमक रही हूं... मुझपे कोई नेगेटिविटी का दाग नहीं है.. मैं सम्पूर्ण स्वच्छ हूं..

अभी एक सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने देवता स्वरूप में.. फील करें, अनुभव करें देवता रूपी ड्रेस.. सिर पर डबल ताज.. एक पवित्रता का और एक रत्नों जड़ित हीरों का ताज... कंचन काया... सम्पूर्ण सतोप्रधान... सोलह कला संपन्न.. देवता अर्थात दिव्य गुणों से सजे सजाए.. सर्व दिव्य गुणों से मैं संपन्न हूं.. देवता अर्थात देने वाला.. मैं सदा देता हूं.. देने का संस्कार मुझ आत्मा का ओरिजिनल संस्कार है.. अनुभव करेंगे अपने देवता स्वरूप को.. संपूर्ण एकाग्र होकर फील करेंगे स्वर्ग का आनंद.. पंछियों की आवाज.. एक नेचुरल संगीत.. मैं एक सतयुगी दिव्य आत्मा हूं.. सतयुग में मैं प्रिंस हूं.. अनुभव करेंगे चारों तरफ सोने के महल.. महलों के आंगन में खड़े पुष्पक विमान.. अनुभव करेंगे पुष्पक विमान की सैर.. सेकंड में बटन दबाया और उड़ चले... मैं सतयुगी दिव्य आत्मा हूं...

अभी एक सेकंड में फील करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने पूज्य स्वरूप में.. मंदिरों में मेरी पूजा हो रही है.. कभी गणेश के रूप में.. कभी दुर्गा माता के रूप में.. कभी माता लक्ष्मी के रूप में.. कभी हनुमान के रूप में.. द्वापर और कलयुग में मैंने भक्तों की शुद्ध मनोकामनाएं पूर्ण की हैं.. उनके दुखों को समाप्त कर सुख का अनुभव कराया है.. उन्हें शांति का अनुभव कराया है.. हनुमान बन भक्त आत्माओं को मैंने शक्ति दी है, बल दिया है.. गणेश बन उनके दुखों को हर कर उनको सुख दिया है.. माता लक्ष्मी बन उनको धन की प्राप्ति कराई है.. दुर्गा माता बन उनके सर्व दुख, कष्ट, समस्याएं शक्ति रूप से नष्ट किए हैं.. मैं एक पूज्य आत्मा हूं..

एक सेकंड में स्थित हो जाएं अपने ब्राह्मण स्वरूप में.. मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप, चमकता सितारा.. स्थित हूं अपने श्रेष्ठ संगमयुगी ब्राह्मण स्वरूप में... संपूर्ण पवित्र.. सर्व शक्तियों से संपन्न.. ब्राह्मण अर्थात मायाजीत.. सर्वशक्ति संपन्न बनना ही मायाजीत बनना है.. ब्राह्मण अर्थात स्वराज्य अधिकारी.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक.. संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण स्वरूप... ब्राह्मण अर्थात विजय.. सर्व शक्तियां अर्थात सर्व शस्त्रों से संपन्न.. ब्राह्मण स्वरूप अर्थात सदा ताज, तख्त और तिलकधारी... विश्व कल्याण की जिम्मेदारी के ताजधारी... सदा स्वतः स्मृति के तिलकधारी... सदा बाप के दिल तख्त नशीन... ब्राह्मण अर्थात सदा अलौकिक जीवन के मौज में रहने वाले... सदा रूहानी सूरत और सीरत वाले... मैं ब्राह्मण सदा मौज में रहने वाला संपूर्ण पवित्र स्वराज्य अधिकारी सर्वशक्ति संपन्न मायाजीत आत्मा हूं...

अभी अनुभव करेंगे एक सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. फरिश्ता अर्थात डबल लाइट.. सदा हल्का.. सारे दिन में स्वभाव संस्कार, संबंध संपर्क में लाइट.. फरिश्ता अर्थात जिसका पुरानी देह और पुरानी दुनिया से कोई रिश्ता नहीं... फरिश्ता का यथार्थ स्वरूप है देह भान और देह के संबंध से, देह अभिमान से न्यारा.. फरिश्ते सदा उड़ते रहते हैं.. और परमात्मा का मेसेज देते रहते हैं.. मैं फरिश्ता इस संसार में परमात्मा का भेजा हुआ एक एंजेल हूं.. एक अवतरित फरिश्ता हूं.. सारे संसार को मुझे परमात्मा का मेसेज देना है.. उनके अवतरण का संदेश देना है.. मुझ फरिश्ता को इस संसार के किसी आत्मा से कुछ नहीं चाहिए.. मुझे सिर्फ देना है.. मुझ फरिश्ता से इस संसार को सदैव पवित्रता, ज्ञान, गुणों और शक्तियों के वाइब्रेशन सदैव मिलते हैं... और मैं सदैव हल्के और उड़ते रहता हूं.. फरिश्ता आया, संदेश दिया और उड़ा....

ओम शांति।