सूक्ष्म वतन में मालिश का अनुभव - दिमाग, शरीर और स्थिति की सारी थकावट दूर करें।


ओम शांति।

आज हम विशेष सूक्ष्म वतश में वतन में मालिश का अनुभव करेंगे। अव्यक्त मुरली- 20 फरवरी, 1988 में बाबा ने कहा है, "बापदादा तो बच्चों को इतना बिज़ी देख यही सोचते हैं कि इन्हों के माथे की मालिश होनी चाहिए। लेकिन समय निकालेंगे तो वतन में बापदादा मालिश भी कर देंगे। वह भी आलौकिक होगी, ऐसे लोकिक मालिश थोड़े ही होगी, एकदम फ्रेश हो जाएंगे। एक सेकंड की भी शक्तिशाली याद, तन और मन दोनों को फ्रेश कर देती है। बाप के वतन में आ जाओ... जो संकल्प करेंगे, वह पूरा हो जाएगा। चाहे शरीर की थकावट हो, चाहे दिमाग की, चाहे स्थिति की थकावट हो... बाप तो आये ही हैं थकावट उतारने।"

तो यह मेडिटेशन करने से हम बहुत ही फ्रेश और रिलैक्स महसूस करेंगे। तो यह अभ्यास चलिए स्टार्ट करते हैं-

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर.. अनुभव करेंगे..‌ मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप... मस्तक के बीच में एक चमकता सितारा... गहराई से अनुभव करेंगे.. मैं आत्मा अपने शान्त स्वरूप में स्थित हूं.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... मुझ आत्मा का अरिजिनल नेचर शांति है... अभी फील करेंगे मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल सारे शरीर में फैल चुकी हैं... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक शांति की किरणों का प्रभाव हो रहा है... मैं आत्मा अशरीरी बन चुकी हूं.. रिलैक्स हूं... फील करेंगे अब यह स्थूल शरीर लोप हो चुका है... मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक शांति का फरिश्ता हूं। अब एक सेकंड में पहुंच जाएं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा... मुझे दृष्टि दे रहे हैं... असीम शान्ति है इन नयनों में... अनुभव करेंगे... बापदादा ने हमें गले लगा लिया है... मैं सम्पूर्ण रिलैक्स... अशरीरी, बोझ मुक्त अवस्था में हूं... कोई संकल्प नहीं... बस मैं बाबा का, और बाबा मेरा... अभी बापदादा के सामने बैठ जाएं और फील करेंगे- बापदादा ने अपने दोनों हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिए हैं... बाबा के हाथों से दिव्य प्रकाश मुझ आत्मा में व मेरे सूक्ष्म शरीर में फैल रहा है... अभी अनुभव करेंगे- बापदादा बहुत प्यार से हमारे माथे की मालिश कर रहे हैं... धीरे धीरे अपनी उंगलियों से हमारे माथे की मालिश कर रहे हैं। इन हाथों से दिव्य प्रकाश पूरे मस्तिष्क में फैल रहा है... बहुत ही दिव्य और आलोकिक अनुभव है ये। मैं सम्पूर्ण अशरीरी, निर्संकल्प स्थिति में स्थित हूं। जैसे कि कोई बोझ है ही नहीं.... ब्रेन, मस्तिष्क इन किरणों से, बाबा के हाथों की वायब्रेशन्स से सम्पूर्ण रिलैक्स हो चुका है.. दिव्य प्रकाश से चमक रहा है... बड़े ही प्यार से बाबा हमारे माथे की मालिश कर रहे हैं... एक माँ के रूप में हमें प्यार की पालना दे रहे हैं... एक बाप बन सर्व बोझ से हमें मुक्त कर दिया है... और एक फ्रेंड बन, खुदा दोस्त बन हमें निरंतर साथ का अनुभव कराते हैं... अभी फील करेंगे.. इन हाथों से दिव्य प्रकाश निकल सारे शरीर में फैल चुका है... जैसे सारे शरीर की मालिश हो रही है... एक अतीन्द्रिय सुख का अनुभव है ये... इस अनुभव से मैं बहुत ही रिलैक्स और फ्रेश महसूस कर रहा हूं... सम्पूर्ण बोझ मुक्त अवस्था है ये, कोई संकल्प नहीं... बाबा कहते हैं- बाप के वतन में आ जाओ.. जो संकल्प करेंगे वह पूरा हो जाएगा। चाहे शरीर की थकावट हो, चाहे दिमाग की, चाहे स्थिति की थकावट हो... बाप तो आये ही हैं थकावट उतारने। बाबा से हम वरदान लेंगे- अशरीरि भव...! इस वरदान से हमारी यह बोझ मुक्त स्थिति, अशरीरी स्थिति निरंतर बनी रहेगी। हमें यह अनुभव निरंतर रहेगा और हमारे जीवन में नैचरल बन जायेगा। इस आलौकिक मालिश से हमारे मन की, संकल्पों की, दिमाग की और शरीर की सारी थकावट समाप्त हो चुकी है। मैं फरिश्ता बहुत ही फ्रेश और रिलैक्स महसूस कर रहा हूं....

ओम शान्ति।