लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करने की विधि।


ओम शांति।

आज की मेडिटेशन कमेंट्री है लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करने की युक्ति। यह अभ्यास करने से हम बहुत ही लाइट और शक्तिशाली महसूस करेंगे। हर कार्य निर्विघ्न बनेगा। हमें हर क्षेत्र में, हर कार्य में सहज सफलता प्राप्त होगी। यह चिंतन करने से, यह मेडिटेशन करने से हमारा हर कर्म परमात्मा की सेवा बन जाएगा। हमारा हर बोल वरदानी बोल बन जाएगा और हमारा हर संकल्प विश्व सेवा करेगा। तो यह लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करने का अभ्यास चले स्टार्ट करते हैं..

अनुभव करेंगे मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा अपने मस्तक के बीच में.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मुझ आत्मा का स्वभाव शांत है.. शांति मेरी एक शक्ति है.. फील करेंगे यह शांति की किरणें मुझ आत्मा से पूरे शरीर में फैल रही हैं.. ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह प्रकाश फैल चुका है.. और मेरा स्थूल शरीर पूरी तरह से लोप हो चुका है.. बस मैं आत्मा अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं एक शांति का फरिश्ता हूं.. अभी हम हमारे सामने visualise करेंगे परमात्मा ज्योति स्वरूप.. प्वाइंट ऑफ लाइट.. परमपिता परमात्मा शिवबाबा - ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान.. हम उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हैं.. फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा से मुझ आत्मा में परमात्म किरणें समाती जा रही हैं.. एकाग्र हो जाएंगे इस स्थिति में.. मैं आत्मा बहुत शक्तिशाली महसूस कर रही हूं.. फील करेंगे यह किरणें पूरे सूक्ष्म शरीर में फैल चुकी हैं.. और धीरे धीरे यह किरणें पूरे घर में फैल चुकी हैं.. अनुभव करेंगे जैसे यह परमात्म सुरक्षा कवच बन चुका है.. परमात्मा शिवबाबा से मुझमें यह किरणें समा कर हमारे पूरे घर में फैल चुकी हैं.. यह घर परमात्मा का घर है.. यह मंदिर है.. अनुभव करेंगे यह किरणें इस घर के कोने कोने तक फैल चुकी हैं.. फील करेंगे इस घर में जो भी सदस्य हैं, हमारे जो भी संबंधी है, यह किरणें उनको भी मिल रही हैं.. और वे भी लाइट बन चुके हैं.. वे भी परमात्मा की संतान हैं.. वे भी फरिश्ता हैं.. मेरा घर परमात्मा का घर है.. सभी सदस्य उनकी संतान हैं.. सभी अच्छे हैं.. अनुभव करेंगे हमारा हर कर्म परमात्मा की सेवा है.. वो चाहे भोजन बनाना हो या कोई घर का कार्य हो या कोई ऑफिस, बिजनेस हो.. ये सब परमात्मा की सेवा है.. मैं ट्रस्टी हूं.. मैं बस निमित्त हूं.. यह घर, यह सभी संबंध, यह कर्म परमात्मा को समर्पण है.. यह शरीर परमात्मा की दी हुई अमानत है.. मेरा हर कर्म सेवा है.. हमारे मन में सभी के लिए प्यार है.. सभी का भला हो.. सभी सुखी रहें.. संसार की सभी आत्माओं को हम दुआएं देते हैं.. हमारा हर कर्म परमात्म सेवा है.. यह कर्म करते हम सदैव शक्तिशाली रहते हैं.. हमारा हर संकल्प, समय, कर्म, सभी संबंध, धन और यह शरीर परमात्मा को अर्पण है.. यहां के भंडारी और भंडारे सदा भरपूर हैं.. हमसे सभी को सुख मिलता है.. मैं परमात्मा की संतान हूं.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. निर्भय हूं.. बहुत शक्तिशाली हूं.. सदैव सुरक्षित हूं.. निर्विघ्न हूं.. हर क्षेत्र में, हर कार्य में हमारे साथ परमात्म शक्तियां कार्य करती हैं.. हमारा हर कार्य सफलता को प्राप्त करता है...

ओम शांति।