मास्टर ज्ञान सूर्य स्थिति।


ओम शांति।

अनुभव करेंगे मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... चमकता सितारा.. मस्तक के बीच में... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्म इंद्रियों की मालिक... संपूर्ण एकाग्र हो जाएं अपने आत्मिक स्थिति में... मैं मास्टर ज्ञान सूर्य हूं... अनुभव करेंगे मैं मास्टर ज्ञान सूर्य समान चमक रही हूं... मुझसे शक्तियों की किरणें चारों ओर फैल रही हैं... अभी अनुभव करेंगे परमधाम में परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप... परमात्मा ज्ञान के सागर... गुणों के सागर... सर्वशक्तिमान... ज्ञान सूर्य... फील करेंगे उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें निकल फ्लो हो रही हैं... और मुझ आत्मा में समा रही हैं... यह दिव्य शक्ति रूपी किरणें, गुण रूपी किरणें, मुझमें समाती जा रही हैं.... मैं मास्टर ज्ञान सूर्य समान दिव्य, तेजोमय चमक रही हूं... मैं ऊंची स्मृति, ऊंची वृत्ति, ऊंची दृष्टि और ऊंची प्रवृत्ति में रहने वाली मास्टर ज्ञान सूर्य आत्मा हूं... अनुभव करेंगे यह दिव्य शक्तियों की किरणें हमारे संपूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल चुकी हैं... मेरा देह संपूर्ण लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा अपने सूक्ष्म शरीर में... मेरा सूक्ष्म शरीर संपूर्ण तेजोमय चमक रहा है... परमात्मा शिवबाबा से निरंतर दिव्य शक्तियों और गुणों की किरणें मुझमें समाती जा रही हैं... मैं मास्टर ज्ञान सूर्य हूं... मुझ आत्मा का संपूर्ण अंधकार मिट चुका है... मैं संपूर्ण प्रकाशमय बन चमक रही हूं... और अनुभव करेंगे हमसे यह किरणें सारे विश्व में फैल रही हैं... मैं सारे विश्व का अंधकार मिटाने वाली मास्टर ज्ञान सूर्य हूं... इन किरणों से सारे विश्व की आत्माएं तृप्त हो रही हैं... यह दिव्य शक्तियों और गुणों की किरणें अनुभव कर रही हैं... संसार की सभी आत्माओं के मन की सभी उलझनें, प्रश्न, समस्याएं, विघ्न समाप्त हो रहे हैं... भटकती हुई आत्माएं, तड़पती हुई आत्माएं, रोगी, बीमार आत्माएं संपूर्ण शांत हो चुकी हैं... मैं मास्टर ज्ञान सूर्य प्रकाशमय हूं... सारे विश्व की विकार रूपी आग बुझ गई है... अंधकार दूर हो चुका है... सारे विश्व में हमसे शक्तियों और गुणों की किरणें फैल चुकी हैं... निरंतर परमात्मा शिवबाबा से मुझमें यह दिव्य किरणें समा कर सारे विश्व को मिल रही हैं... 2 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे....

ओम शांति।