वरदानों से शरीर की बीमारी ठीक करें।


ओम शांति।

आज हम चार वरदानों का अभ्यास करेंगे। इन वरदानों का अभ्यास करने से हम पूरी तरह स्वस्थ बनेंगे। जो भी बीमारी या रोग हमारे शरीर में है, हम उस पर पूरी तरह से विजय प्राप्त करेंगे। जो भी बीमारी या व्याधि हमारे तन में है, वो शांत हो जाएगी। परमात्मा कहते हैं जितना परमात्मा शिवबाबा को याद करेंगे, उतना शरीर की बीमारी जो तंग करती है, वह ठंडी हो जाएगी। तो आज हम परमात्म याद और वरदानों द्वारा पूरी तरह स्वस्थ बनेंगे। जितना जितना हम इन चार वरदानों का अभ्यास करते जाएंगे, उतना हमारा मन शक्तिशाली बनता जाएगा। हमारे मन के पॉजिटिव शक्तिशाली संकल्पों का प्रभाव हमारे शरीर पर दिखेगा। हम धीरे धीरे फील करेंगे कि हमारे शरीर की जो बीमारी है, वह शांत होती जा रही है। हम शरीर से लाइट और शक्तिशाली महसूस करते जा रहे हैं। मानो मेडिटेशन हमारे लिए एक पेन किलर का काम करता है। तो बीमारी से मुक्ति पाने के लिए चार वरदानों का अभ्यास चलें शुरू करते हैं...

चारों तरफ के सर्व संकल्प समेट कर एकाग्र करेंगे... मैं एक आत्मा हूँ... अपने मस्तक के बीच में देखें मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा अपने फौरहेड के बीच में... अभी संकल्प करेंगे मैं शांत स्वरूप आत्मा हूँ... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूँ... मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर शांत है... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल पूरे शरीर में फैल रहीं हैं... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह शांति की किरणें फैल चुकी हैं... इन शांति की किरणें से मेरा पूरा शरीर एक लाइट का शरीर बन चुका है... मानो मेरा स्थूल शरीर पूरी तरह से लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में... अभी एकाग्र करेंगे परमधाम में परमात्मा शिवबाबा... एकाग्र करेंगे परम ज्योति पर... परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर... शांति के सागर... सर्वशक्तिवान... हम दिल से उनको याद कर रहे हैं... और दिल से उनका हम आह्वाहन करेंगे- बाबा, मेरे बाबा, मेरे साथी, आ जाओ, मदद करो... अनुभव करेंगे हमारे दिल की पुकार सुन परमात्मा शिवबाबा धीरे धीरे नीचे उतर रहे हैं... और आ चुके हैं सुक्ष्म वतन में... ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरूप में... उनके सुक्ष्म शरीर का आधार लेते हुए वे धीरे धीरे नीचे आ रहे हैं... आकाश, चांद, तारों से भी नीचे आ गए हैं... हमारे सामने फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा ब्रह्मा बाबा के सुक्ष्म शरीर में फरिश्ता स्वरूप में प्यार भरी मीठी दृष्टि का अनुभव करें... फील करेंगे उनके साथ का अनुभव... उनके प्यार का अनुभव... अनुभव करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... अनुभव करेंगे उनका हाथ हमारे सिर के ऊपर है... पूरी तरह से रिलैक्स हो जाएं बोझ मुक्त अवस्था है ये... फील करेंगे उनके हाथों से दिव्य किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रही हैं, और पूरे सुक्ष्म शरीर में फैल रहीं हैं... दिव्य परमात्म शक्तियों की किरणें है ये... यह किरणें हमारे पूरे सुक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर में फैल चुकी हैं... अनुभव करेंगे परमात्मा शक्तियों का लाल प्रकाश हमारे पूरे शरीर में फैल चुका है, और हमारे शरीर को घेरे हुए यह किरणें एक सुरक्षा कवच बना चुकी है...

अनुभव करेंगे परमात्मा हमें पहला वरदान दे रहे हैं - मास्टर सर्वशक्तिवान भव... मास्टर सर्वशक्तिवान भव... इस वरदान की प्राप्ति से मानो परमात्मा ने अपनी सर्व शक्तियां वरदान में दी हैं... मास्टर सर्वशक्तिवान के सामने कोई भी विघ्न या समस्या ठहर नहीं सकतीं... स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिया है- मास्टर सर्वशक्तिवान भव... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ.. इस स्मृति से मैं बहुत शक्तिशाली हूँ.. निर्भय हूँ.. सुरक्षित हूँ.. कोई भी विघ्न समस्या या बीमारी हमें कुछ नहीं कर सकती मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ...

अभी परमात्मा हमें दूसरा वरदान दे रहे हैं- निर्विघ्न भव... निर्विघ्न भव... इस वरदान की प्राप्ति से आज से हमारे जीवन के सभी विघ्न, समस्याएं पूरी तरह से समाप्त हो चुकी हैं... मैं शक्तिशाली हूँ.. निर्विघ्न हूँ.. विसुअलाइज करें हमारे जीवन में कोई भी विघ्न, समस्याएं नहीं हैं... जो भी परिस्थितियां हैं, वो हम एक सेकंड में शक्तिशाली बन पार करेंगे....

अभी अनुभव करेंगे परमात्मा हमें तीसरा वरदान दे रहे हैं- सफलता मूर्त भव... सफलता मूर्त भव... इस वरदान की प्राप्ति से जीवन के हर परिस्थिति में, हर कार्य में मैं विजयी हूं... मैं सफलता को प्राप्त करूंगा... इस बीमारी पर मेरी विजय प्राप्त हो चुकी है... जीवन में मैं पूरी तरह से सफल हूँ... भगवान ने मुझे वरदान दिया है - सफलता मूर्त भव... इस दुनिया की कोई ताकत, कोई नेगेटिविटी हमें टच भी नहीं कर सकती... मैं सफलता मूर्त हूँ..

अभी परमात्मा हमें चौथा वरदान दे रहे हैं- सम्पूर्ण स्वस्थ भव... सम्पूर्ण स्वस्थ भव... इस वरदान की प्राप्ति से मैं तन और मन से पूरी तरह से स्वस्थ हूँ... निरोगी हूँ.. मैं बीमारी से मुक्त हूँ.. स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिया है सम्पूर्ण स्वस्थ भव... विजुलाइज करें अपना स्वस्थ शरीर, अपना निरोगी शरीर बीमारी से मुक्त हूँ.. देखेंगे हम पूरी तरह से स्वस्थ हैं.. नाच रहे हैं.. खेल रहे हैं.. बहुत खुश हैं.. स्वस्थ हैं... जीवन में पूरी तरह से सुखी हैं...

हम इन चार वरदानों को रिवाइज करेंगे- मास्टर सर्वशक्तिवान भव... निर्विघ्न भव... सफलता मूर्त भव... सम्पूर्ण स्वस्थ भव...

ओम शांति।