रोज़ सुबह यह 4 बोझ परमात्मा को अर्पण करें।


ओम शांति।

परमात्मा कहते हैं तुम सदा हल्के रहो। जहां कोई मुश्किल कार्य आए तो वह मुझे अर्पण कर दो, तो मुश्किल सहज हो जाएगी। जितना जितना हम ज़िम्मेदारी व बोझ शिवबाबा को अर्पण करेंगे, उतना हम हल्के रहेंगे, खुश रहेंगे और हमारा हर कार्य सहज होता जाएगा। तो आज हम 4 प्रकार के बोझ बाप को अर्पण करेंगे। यह अभ्यास करने से हम बहुत ही लाइट फील करेंगे। जितना हम लाइट होते जाएंगे, हल्के होते जाएंगे, उतना ही हमें परमात्मा की माइट मिलेगी, अर्थात शक्ति मिलेगी और हमारे जीवन में सबकुछ राइट होता रहेगा। तो यह 4 बातों का समर्पण चलें शुरू करते हैं..

एकाग्र करेंगे मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक चमकता सितारा... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं बहुत ही लाइट और हल्का महसूस कर रही हूँ... अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश की ओर... आकाश, चांद, तारों को पार कर पहुंच गया सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने हमारे परमात्मा शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरूप में... हमें प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं... और हमें दिल से गले लगा रहे हैं... यह परमात्म मिलन की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ अनुभूति है... हम बहुत ही हल्का और शांत महसूस कर रहे हैं... अभी बापदादा के सामने बैठ जाएं और फील करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... अभी हम एक एक बोझ उन्हें अर्पण करेंगे...

पहला बोझ हम अर्पण करेंगे तन का बोझ। बाबा मेरा यह तन आपको अर्पण है... आज से यह शरीर आपका है.. आप जैसे चलाना चाहो, चला सकते हो। तन का बोझ देने से हम बहुत ही हल्का महसूस कर रहे हैं... जितना जितना हम तन को परमात्म अर्पण करेंगे, उतना ही हम शरीर से लाइट रहेंगे... जो भी व्याधि या बीमारी शरीर में है, वह स्वत ही शांत होती जाएगी... और हम सदा निरोगी और स्वस्थ अनुभव करेंगे...

अभी हम दूसरा बोझ बाबा को अर्पण करेंगे मन के संकल्पों का बोझ। बाबा यह मन आपका है.. आज से हमारा कोई भी नेगेटिव या व्यर्थ संकल्प नहीं है... हम अपने सभी कमी कमजोरियां और कमजोर संकल्प आपको अर्पण करते हैं... हम हल्के हैं... आज से मेरे सर्व संकल्प श्रेष्ठ संकल्प हैं... परमात्म श्रीमत के अनुसार हैं... मन को अर्पण कर मैं पूरी तरह से निरसंकल्प हूँ....

अभी हम तीसरा समर्पण करेंगे धन का समर्पण। बाबा जो भी धन संपत्ति हमारे पास है, यह आपकी ही देन है... हम आपको मन बुद्धि से यह धन संपत्ति का समर्पण करते हैं... यह सर्व बोझ आपको अर्पण करते हैं... आज से मैं इसे ट्रस्टी बन संभालूंगा... और आपके श्रीमत अनुसार इसे यूज करूंगा... यह धन पवित्र धन है... धन को परमात्म अर्पण करने से वह धन पवित्र धन बन जाता है... और हम इस धन में वृद्धि का अनुभव करते हैं... हमारे घर की भंडारी अनगिनत रूप से भरपूर होती जाएगी... हम सुख समृद्धि का अनुभव करेंगे...

अभी हम बाबा को चौथा समर्पण करेंगे- सर्व संबंधों का समर्पण। हमारे जो भी रिश्ते हैं, हम सर्व संबंध परमात्मा को अर्पण करते हैं... जो भी हमारे मन में इन संबंधों के प्रति बोझ है, चिंताएं हैं, व्यर्थ संकल्प हैं, या किसी के प्रति नेगेटिव भाव है हम उन्हें परमात्म अर्पण करते हैं... पूरी तरह से अर्पण करके हल्का महसूस करें... जितना हम सर्व संबंध परमात्मा को अर्पण करेंगे, उतना स्वतः ही सभी के साथ हमारा संबंध अच्छा होता जाएगा! बाबा आज से हमारे सर्व संबंध आपके साथ हैं!!!! मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए... मेरा सबकुछ तेरा!! मेरा सबकुछ तेरा!! बहुत ही लाइट और हल्का महसूस करें... और मन ही मन रिपीट करें- बाबा हमारा तन मन धन और सारे संबंध संपर्क आपको अर्पण हैं!! यह सबकुछ आपका है... हम निश्चिंत हैं... हल्के हैं... सबकुछ तेरा!! सबकुछ तेरा!! सबकुछ तेरा....!!

ओम शांति।