खुश रहने के लिए 3 संकल्प - 3 Thoughts For A Happy Life


ओम शांति।

जब हम योग करते हैं, तो हमारी स्थिति अच्छी होती है। हमें बहुत अच्छा अनुभव होता है। परन्तु जीवन में चलते चलते कुछ ऐसी मुश्किल परिस्थितियां या पेपर आते हैं, उन परिस्थतियों में कर्म करते करते हम योगयुक्त कैसे रहें? परमात्म साथ का अनुभव कैसे हो? अचानक के पेपर में हमें यह तीन संकल्प बहुत हेल्प करेंगे। यह तीन संकल्प दिनचर्या के तीन परिस्थितियों पर आधारित हैं। जब भी कोई मुश्किल अनुभव हो, ऐसी परिस्थितियां आ जाएं, बहुत ही विघ्न हो, तब हमें संकल्प करना है भगवान साथी मेरे साथ हैं, जो भी होगा अच्छा होगा! भगवान साथी मेरे साथ हैं, जो भी होगा अच्छा होगा! स्वयं परमात्मा कहते हैं- सदैव कहो मेरे साथ जो भी होगा, अच्छा होगा, तब यदि बुरा होने वाला होगा, तो वो भी अच्छा हो जाएगा। तो यह संकल्प हमारे मन के व्यर्थ और नेगेटिव संकल्पों के जाल को समाप्त कर देगा और उन मुश्किल परिस्थितियों को सही निर्णय लेकर हम पार करेंगे।

इसी प्रकार दूसरी परिस्थिति जब भी हमें कर्मों में बोझ अनुभव हो, कभी कभी कई प्रकार के कर्म एक साथ हमारे सामने आ जाते हैं और हम उलझ जाते हैं, बोझ अनुभव करते हैं, उस समय हम तुरंत निर्णय नहीं ले पाते। तो उस समय हमें संकल्प करना है- मेरा कुछ नहीं, सब परमात्मा बाप का है... मेरा कुछ नहीं, सब परमात्मा बाप का है... यह संकल्प करने से जो भी बोझ वाली परिस्थिति है वह हल्की हो जाएगी, हम लाइट अनुभव करेंगे। परमात्म शक्ति हमें मिलेगी और वह कर्म राइट होगा। हम सही निर्णय लेंगे उस परिस्थिति में।

तीसरी परिस्थिति हमारे सामने आती है संबंध संपर्क से, हमारे रिश्तों से। कभी कभी हमें इन रिश्तों में दुख का अनुभव होता है, हमें hurt की फीलिंग होती है, हमारे साथ कुछ ग़लत व्यवहार हो या कोई हमारे प्रति ग्लानि करता हो या किसी के मन में हमारे प्रति नफरत भाव हो, इन परिस्थितियों में कभी कभी हमें दुख का अनुभव होता है। तो इन रिश्तों के पेपर में, संबंध संपर्क में हमें संकल्प करना है - मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए, मुझे सिर्फ देना है... मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए, मुझे सिर्फ देना है... यह संकल्प करने से हमारे मन में जो भी हद की इच्छाएं, कामनाएं, जो व्यक्तियों से है वो समाप्त हो जाएंगी और हमारा मन हल्का हो जाएगा। और मन में हमें फील करना है हम परमात्मा की संतान हैं, हमें किसी से कुछ नहीं चाहिए, हमें सिर्फ देना है। तो इन परिस्थितियों में मेडिटेशन कैसे करें, कैसे इनको यूज करें, चलें शुरू करते हैं...

पहली परिस्थिति - मुश्किल या विघ्नों में संकल्प करेंगे भगवान साथी मेरे साथ है, जो भी होगा अच्छा होगा.... भगवान मेरा साथी है! वह हमेशा मेरे साथ है! मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा! यह मुश्किल परिस्थिति, पेपर सहज पार होगा, क्योंकि स्वयं भगवान मेरे साथ है!! उनकी शक्तियां मेरे साथ हैं.... परमात्म साथ होने से हर मुश्किल सहज होती है... हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है... जहां परमात्मा बाप साथ है, वहां कोई भी कुछ कर नहीं सकता... कोई भी नेगेटिविटी, किसी के भी नेगेटिव संकल्प हमें टच भी नहीं कर सकते... स्वयं भगवान मेरे साथ हैं! जो होगा, अच्छा होगा....

दूसरी परिस्थिति - जब भी कर्मों में बोझ अनुभव हो, हम उलझ जाए, हम निर्णय नहीं ले पा रहे हैं... तब संकल्प करें - मेरा कुछ नहीं... सब परमात्मा बाप का है.... यह कर्म, यह घर, या कोई भी ऑफिस का कार्य हो.. सभी संपत्ति, संबंध, यह शरीर, यह सब परमात्मा को अर्पण है... मेरा कुछ नहीं, सब परमात्मा बाप को अर्पण है!! गहराई से संकल्प करें - सब कुछ तेरा... सब कुछ तेरा... सब कुछ तेरा... हम बहुत ही हल्का और लाइट अनुभव कर रहे हैं... मुक्त अवस्था है ये!! हर कर्म बाप को अर्पण करने से हर कर्म सहज हो जाएगा और हर कर्म में सफलता प्राप्त करेंगे....

तीसरी परिस्थिति - संबंध- संपर्क, रिश्तों में जब हमें दुख हो, तब हमें संकल्प करना है - मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए... मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए... मुझे सिर्फ देना है!! मुझे सिर्फ देना है!! स्वयं परमात्मा मेरे साथ हैं! उनकी शक्तियां मेरे साथ हैं! मैं एक महान आत्मा हूँ... मैं भाग्यवान हूँ... मैं भरपूर हूँ... स्वयं भगवान ने मुझे भरपूर किया है.... मुझे किसी से कुछ भी नहीं चाहिए... मुझे सिर्फ देना है... परमात्मा कहते हैं - इच्छा अच्छा बनने नहीं देगी! इसलिए इच्छा मात्रम् अविद्या बनो... ब्राह्मण जीवन में देना ही लेना है। जितना हम देंगे, मन से, कर्म से, तो रिटर्न में कई गुना हमें स्वतः ही मिलता रहेगा... इसलिए मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए... मुझे सिर्फ देना है... मैं भरपूर हूँ... बहुत शक्तिशाली हूँ... निर्भय हूँ... निर्विघ्न हूँ... और सफलता मूर्त हूँ... आज से मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा....

ओम शांति।