Poore Vishwa Ki Atmaon Ko Dukh Dard Se Mukt Karne Ke Liye Meditation Commentar


ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को परमधाम में.. शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर... परमपिता परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर... सर्व गुणों के सागर... सर्वशक्तिवान.. उनसे अनंत किरणें सारे संसार में फैल रही हैं... फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा से सुख और शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा बिंदु में समाती जा रही हैं... परमपिता परमात्मा शांति के सागर.. मैं उनकी संतान मास्टर शांति का सागर हूं.. मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. बाप समान विश्व सेवक हूं.. उनसे सुख शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा में निरंतर समाती जा रही हैं... और मुझ आत्मा से चारों ओर यह अनंत सुख शांति की किरणें फैल रही हैं... अभी बुद्धि रूपी नेत्र के सामने हम इमर्ज करेंगे संसार की सर्व आत्माओं को.. पृथ्वी के पूरे ग्लोब को.. और फील करेंगे निरंतर शिवबाबा से सुख शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा कर, इस सारे ग्लोब को मिल रही हैं.. और संसार की सर्व आत्माओं को यह सुख और शांति की किरणें मिल रही हैं.....

संसार में अनेक दुखी अशांत आत्माएं बाबा को और हम फरिश्तों को पुकार रही हैं, चिल्ला रही हैं... यह हम पूर्वज आत्माओं को आवाज दे रही हैं - शांति दे दो.. जरा सा सुख की अंजलि दे दो... इन सर्व आत्माओं को सुख और शांति की अंजलि मिल रही है... और इनके मन के सर्व दुख, अशांति, कष्ट, रोग सब नष्ट हो रहे हैं.. समाप्त हो रहे हैं......

संसार में अनेक मानसिक और शारीरिक बीमारियों से तड़पती आत्माएं शांत हो रही हैं... वे मन से बहुत राहत महसूस कर रही हैं... निरंतर हमसे इन सर्व आत्माओं को सुख शांति की किरणें मिल रही हैं और वे सम्पूर्ण शांत हो रहे हैं... जैसे कि हम परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हैं, परमात्मा शिवबाबा मुझ द्वारा इन सर्व आत्माओं को शांत कर रहे हैं... अनुभव करेंगे यह सर्व आत्माएं शांत हो चुकी हूं, सुखी हो चुकी हैं.. निरंतर अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से सुख शांति की किरणें इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.. पृथ्वी के पूरे ग्लोब को मिल रही हैं.. प्रकृति के पांचों ही तत्व शांत हो चुके हैं.. स्थिर हो चुके हैं.. संसार की सर्व आत्माओं का मन शांत हो रहा है.. उनके मन से सर्व दुख, अशांति, व्यर्थ, नेगेटिविटी नष्ट हो चुकी है.. वह दिल से हमें और बाबा को शुक्रिया कह रहे हैं.. हम दो मिनट एकाग्र हो जाएंगे - निरंतर शिवबाबा से सुख शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा कर, संसार की सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.. और संसार की सर्व दुखी, अशांत, तड़पती आत्माएं शांत हो रही हैं.. सर्व दुख, अशांति, कष्ट, रोग सब नष्ट हो रहे हैं, समाप्त हो रहे हैं.......

ओम शांति।