आज की टॉपिक समर्पणता।


ओम शांति ।

आज की टॉपिक समर्पणता।

आज की मुरली में बाबा हमें ब्रह्मा बाबा का उदाहरण दे रहें हैं, कैसे उन्होंने बाप को सबकुछ समर्पण किया, तन मन धन और सभी संबंध, तो बाबा कहते हैं जैसे ब्रह्मा बाप ने समर्पण होने का पहला कदम हिम्मत का उठाया, ऐसे फोलो फादर करो!! निश्चय की विजय अवश्य होती है, तो आज हम तन मन धन और सभी संबंधों को मन बुद्धि से समर्पण करेंगे, तो चलिये शुरू करते हैं।

एकाग्र करेंगें मस्तक के बीच मैं आत्मा एक चमकता सितारा..... मैं एक तेजस्वी आत्मा पॉइंट ऑफ लाईट ... अभी संकल्प करेंगे, मैं मन बुद्धि से समर्पित आत्मा हूँ ... अनुभव करेंगे कि यह मन मेरा है ही नहीं, यह मन परमात्मा बाप को समर्पण है ... मेरा कोई संकल्प नहीं ....

अनुभव करेंगे हमारे सिर के ऊपर परमात्मा शिवबाबा हमारी छत्रछाया बन चुके हैं .... परमात्मा शिवबाबा को मेरा मन पूरी तरह से समर्पण है.... मैं मन बुद्धि से समर्पित हूँ... मनमनाभव की स्थिति में परमात्मा बाप की याद की स्थिति में एकाग्र हूँ..... जितना हम मन को समर्पण करेंगे, उतना ही हमारा मन हल्का और बोझ मुक्त बनेगा..... हमारा हर संकल्प सिद्ध होगा..... हमें हर कार्य में सहज सफलता प्राप्त होगी....

दुसरा समर्पण हम करेंगे - तन का समर्पण.... बाबा मेरा तन आपको समर्पण है..... यह तन आज से आपका है.... जितना-जितना हम तन को समर्पण करेंगे उतना ही हम शरीर से लाईट और हल्का महसूस करेंगे ..... जो भी व्याधि, बीमारियां हैं वे सहज शांत हो जायेंगी और सहज ही बाबा हमें अपने कार्यों में उपयोग करेंगे ......

अभी हम तीसरा समर्पण करेंगे - धन का समर्पण! बाबा यह धन सम्पत्ति आपको समर्पण है.... जितना-जितना हम धन को मन बुद्धि से समर्पण करेंगे अर्थात ट्रस्टी हो इस धन को कार्य में लगायेंगे, उतना ही हम निश्चिंत रहेंगे और हमारी भंडारी और भंडारे सहज भरपूर रहेंगे....

चौथा समर्पण हम करेंगे - सर्व सम्बंधों का समर्पण.. अर्थात लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करेंगे! अनुभव करेंगे यह सभी संबंध परमात्मा को अर्पण है.... बाबा यह सभी संबंध आपको समर्पण है .... यह सभी आपकी संतान हैं, फरिश्ते हैं.... हमारे मन में सभी के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना है..... सब का भला हो, सभी सुखी रहें ...... बाबा हम तन मन धन और सभी सम्बंधों से आपको समर्पण है ..... एक बल, एक भरोसा सदा निश्चिंत हैं... हम सिर्फ निमित हैं.... मैं मन बुद्धि से समर्पित आत्मा हूँ ....

ओम शांति।