Jab Bhi Man Udaas Ho toh Bas 10 Minute Yah Meditation Karein


ओम शांति ।

जब भी मन में कोई दुःख, चिंता, टेंशन हो जाये तो बस 10 मिनट इस विधि से मेडिटेशन करें। जब भी हमारे मन में कोई नेगेटिव संकल्प या व्यर्थ संकल्प चलते हैं, हमारा मन जब भी दुखी, अशांत उदास हो जाये, तो इस विधि से मडिटेशन करने से हम अनुभव करेंगे हमारा मन शांत रहने लगेगा। जो भी मन के उलझनें हैं, व्यर्थ संकल्प हैं, चिंताए, नेगेटिव संकल्प हैं, हम अनुभव करेंगे धीरे धीरे वह शांत होते जायेंगे। यह लॉ ऑ नेचर (Law of Nature) है- चित्त को शांत कर दो, तो समस्याएं भी स्वतः ही शांत हो जाएंगी। तो हमें परिस्थितियों में न उलझकर हमारे मन को मेडिटेशन से शांत करना है। जैसे ही हमारा मन चित्त शांत होगा, हम अनुभव करेंगे कि समस्याएं भी शांत हो जाएंगी। तो चलिए ये मेडिटेशन स्टार्ट करते हैं...

अनुभव करेंगे मैं एक ज्योति स्वरुप आत्मा हूं.... अपने मस्तक के बीच में एक चमकता हुआ सितारा... एकाग्र करें अपने इस आत्मिक स्वरुप पर.. और संकल्प करेंगे मैं आत्मा शांत हूं.... मैं आत्मा शांत हूं.... मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर शांत है.. मेरा स्वभाव शांत है... फील करेंगे मुझ आत्मा ज्योति बिंदु से शांति की किरणें निकल हमारे पूरे शरीर में फैल रहीं हैं... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक ये शांति का प्रभाव हो रहा है... और मेरा शरीर पूरी तरह से रिलैक्स हो चूका है... जैसे हमारा पूरा शरीर यह शांति की सफेद किरणों से जगमगा उठा है... जैसे मैं आत्मा अपने एक लाइट के प्रकाश के शरीर में हूं... पूरी तरह से अशरीरी हूं... इस संसा के सभी बातों से मुक्त हूं... फील करेंगे मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर के साथ अपना ये स्थूल शरीर छोड़ धीरे धीरे ऊपर जा रही हूं... और आकाश चाँद तारों को पार कर पहुंच गयी हूं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश.... अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरुप में हमारे सामने..... हमें प्यार भरी दृष्टी दे रहे हैं... अद्भुत शांति है उनके नैनो में... पूरी तरह से मेरा मन शांत हो चुका है... अभी हम बाबा के सामने बैठ जायेंगे और अनुभव करेंगे बाबा ने अपना हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है.. और उनके हाथों से शांति की सफेद किरणें मुझ आत्मा और मेरे पूरे सूक्ष्म शरीर में फैल रही हैं.... अनुभव करेंगे इस परम शांति को..... अनुभव करेंगे परमात्म साथ को..... अनुभव करेंगे स्वयं भगवान् का हाथ मेरे सिर के ऊपर है... और वे मुझे निश्चिंत कर रहे हैं... सभी बोझ, सभी बातें जैसे वे हमारे मन से खींच रहे हैं, अब्सॉर्ब (absorb) कर रहे हैं... और हमें कह रहे हैं- "बच्चे तुम चिंता मत करो, मैं हूं ना!! मैं तुम्हारे साथ हूं!! जब भी मुश्किल आए, बस दिल से कहना- बाबा, मेरे बाबा, मेरे साथी, आ जाओ, मदद करो! फिर बाबा भी बंधा हुआ है! बस दिल से कहना! जहां बाप साथ है, वहां कोई कुछ नहीं कर सकता.... तुम चिंता मत करो, मैं हूं ना... भगवान् अपने बच्चे को सदा तन से, मन से, धन से सहज रखेगा, ये बाप की गारंटी है! तुम सिर्फ मुझे याद करो, तुम्हारे लिए सोचने का कार्य भी मैं करूँगा!!"

इसी स्थिति में एकाग्र रहें- स्वयं भगवान का हाथ मेरे सिर पर है! दुनिया की सभी बातों, चिंताओं, परेशानियों से मैं मुक्त हूं.. कोई संकल्प नहीं.. बस परमात्मा का हाथ मेरे सिर के ऊपर.. और उनसे शांति का प्रकाश मुझमें समा रहा है....
ओम शांति।