Shubh Bhawana Aur Shubh Kamana


ओम शांति ।

यह एक लॉ ऑफ नेचर है कि जो हम देते हैं, रिटर्न में हमें वही मिलता है। यदि हमारे मन में कोई आत्मा के प्रति नेगेटिव भाव है, घृणा या नफरत का भाव है, तो हम सदा संतुष्ट या खुश रह नहीं सकते। परमात्मा कहते हैं यदि आपके मन में कोई एक आत्मा के प्रति भी घृणा भाव है, तो आप सम्पूर्ण बन नहीं सकते। तो हमें सदा खुश रहना है, संतुस्ट रहना है, अच्छा योगी बनना है तो हमें ये सूक्ष्म अटेंशन रखना है कि हमारे मन में कोई एक आत्मा के प्रति भी नेगेटिव भाव न हो। हमें यह निरंतर अटेंशन रखना है कि सदा सबके प्रति शुभ भावना हो, शुभ कामना हो। जितना हम सबके प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रखेंगे, स्वतः ही हमें सभी का प्यार मिलेगा, सभी का सहयोग मिलेगा, सभी हमें दिल से दुआए देंगे। एक मुरली में बाबा ने कहा है - "और कुछ पुरुषार्थ नहीं करो, बस सबके प्रति शुभ भावना शुभ कामना रख सबको दुआएं दो और दुआएं लो, बस इस एक पुरुषार्थ से आप माला का मणका बन जायेंगे!" जितना हम सबके प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखेंगे, सभी को दुआएं देंगे, उतना हम बहुत ही हल्का और रिलैक्स महसूस करेंगे! हमारे जो भी कर्मो का खाता - नेगेटिव कार्मिक अकाउंट पूर्व जन्मों में या इसी जन्म में क्रिएट हुए हैं, वह स्वतः समाप्त हो जाएंगे। जितना हमें दुआ मिलेगी, उतना यह दुआ हमारा जीवन योगयुक्त बनाएगी। यह शुभ भावना शुभ कामना से प्राप्त हुई दुआएं हमें योगयुक्त बनने में मदद करेंगी। हम कोई आत्मा से किनारा भी कर रहे हैं, तो बाबा ने एक मुरली में कहा है- अगर संस्कारों का तकरार होता है, किनारा करते हो, तो भी शुभभावना रख कर किनारा करना है।" तो हमें कम से कम 5 से 10 मिनट एक विशेष समय हमारे सर्व रिश्तों, सम्बन्धों जो भी हमें इस जन्म में मिले हैं, उन्हें हम दुआएं देंगे। इसी के साथ हम संसार के सभी आत्माओं को इमर्ज करेंगे भले ही वो ज्ञान में हैं या नहीं हैं। हमें सबके प्रति शुभ भावना शुभ कामना अर्थात रहम की दृष्टि रखनी है। जितना हमारी दृष्टि रहम की होगी, उतना स्वतः ही हमारी शुभ भावना रहेगी। तो यह मेडिटेशन कैसे करना है, चलिए स्टार्ट करते हैं।

चारों ओर के सर्व संकल्पों को समेट कर एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच.. मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं आत्मा शांत हूँ.. अपने इस शरीर से पूरी तरह से डीटैच हूं...

मेरे मन में सबके प्रति शुभभावना शुभकामना है... अनुभव करेंगे हमारे सिर के ऊपर परमात्मा शिवबाबा एक पॉइंट ऑफ लाइट... हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... उनके साथ का अनुभव करें... जैसे एक लाइट की तार निकल परमात्मा से मुझ आत्मा बिन्दु में कनेक्ट हो चुकी है.. और इस कनेक्शन से हम पूरी तरह से शक्तिशाली बन चुके हैं... अनुभव करेंगे परमात्म साथ को... अनुभव करेंगे उनकी शक्तियों को... परमात्मा सर्वशक्तिमान, मैं आत्मा उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ..., भरपूर हूँ , संपन्न हूँ, संतुष्ट हूँ... परमात्मा रहम के सागर हैं... मैं आत्मा मास्टर रहम का सागर हूँ... मेरी सभी आत्माओं के प्रति शुभभावना शुभकामना है... सभी के प्रति प्यार है, रहम का भाव है!!

रहम की दृष्टि से घृणा की दृष्टि स्वतः ही समाप्त हो जाती है! अभी हम हमारे सामने उन आत्माओं को इमर्ज करेंगे जिन आत्माओं के प्रति कभी न कभी नेगेटिव सोचा हो, उनके प्रति नफरत, घृणा भाव आयी हो। अनुभव करेंगे प्यार के सागर परमात्मा शिवबाबा से प्रेम की, स्नेह की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाकर सभी आत्माओ को मिल रही हैं... हम इन आत्माओं को परमात्म प्रेम की किरणें दे रहे हैं... यह सभी आत्माएं परमात्मा की संतान हैं.. हम इन्हें दिल से दुआएं दे रहे हैं... सब का भला हो, सभी सुखी रहें... कभी इन्होंने मेरे साथ कुछ गलत भी किया हो, इनमें इनका दोष नहीं है! हमारा ही पिछला कोई कार्मिक अकाउंट होगा.. यह सभी आत्माएं बहुत अच्छी हैं.. पहले जो भी हुआ हो, हम इनसे दिल से माफ़ी मांगते हैं, क्षमा मांगते हैं। और इन आत्माओं को हम दिल से रहम की दृष्टि से , प्यार की किरणे दे रहे हैं... 2 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे....

अभी हम इमर्ज करेंगे पृथ्वी के ग्लोब को। और अनुभव करेंगे परमात्मा से प्रेम के किरणें निकल मुझ आत्मा में समा कर संसार के सभी आत्माओं को मिल रही हैं..= अनुभव करेंगे संसार की सभी आत्माओं को यह प्यार की किरणें मिल रही हैं... हम इन्हें दिल से दुआएं दे रहे हैं... जितना हम इन आत्माओं को दुआएं देंगे, उतना हम अनुभव करेंगे अनगिनत रूप में हमें रिटर्न में दुआए मिलेंगी, सहयोग मिलेगा। 2 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहें- परमात्मा शिवबाबा से प्यार की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाकर संसार की सभी आत्माओं को मिल रही हैं.....

ओम शांति।