Sahanshilta Ki Shakti - Main Atma Sahanshil Hoon


ओम शांति ।

आज हम सहनशीलता रूपी विशेष गुण पर मेडिटेशन करेंगे। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम अनुभव करेंगे- मैं आत्मा सहनशील हूँ। मैं आत्मा सहनशीलता की देवी हूँ। और अव्यक्त मुरली के आधार पर हम सहनशीलता की एक एक विशेषता को अनुभव करेंगे। तो चलिए स्टार्ट करते हैं...

चारों तरफ के सर्व बातों को समेट कर एकाग्र करेंगे... मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप पर और संकल्प करेंगे.. मैं आत्मा सहनशील हूँ... मैं आत्मा सहनशीलता की देवी हूँ, मैं आत्मा सहनशीलता की देवी हूँ.... अनुभव करेंगे... मैं आत्मा सहन करने की शक्ति से भरपूर हूँ... हर परिस्थिति में अचल, अडोल हूँ... मान-अपमान, निंदा-स्तुति, हार या जीत में समान रहती हूँ... हर परिस्थिति, विघ्न व समस्या में मैं सहनशील बन बड़ी बात को छोटी बनाकर.., फुलस्टॉप लगाकर, उड़ती रहती हूँ!! कोई प्रशंसा करें और मुस्कुराए, इसको सहनशीलता नहीं कहते। लेकिन कोई दुश्मन बन, क्रोधित हो अपशब्दों की वर्षा करे, पर ऐसे समय भी सदा मुस्कुराते रहना.., संकल्प मात्र भी मुरझाने का चिन्ह चेहरे पर न हो - इसको कहा जाता है सहनशीलता! सहनशीलता अर्थात् दुश्मन आत्मा को भी रहमदिल भावना से देखना, बोलना व सम्पर्क में आना!

जैसे ब्रह्मा बाप ने बड़ी बात को छोटा सा खिलौना बनाया, खेल की रीति से सदा पार किया.... उन्होंने बड़ी बात को सदा हल्का बनाया, स्वयं भी हल्के रहे और दूसरों को भी हल्का बनाया - इसको कहते हैं सहनशीलता!!

मैं आत्मा ब्रह्मा बाप समान सहनशील हूँ!! अनुभव करेंगे.... मैं सहनशील श्रेष्ठ आत्मा हूँ, सदा ज्ञान योग के सार में स्थित हो विस्तार को, समस्या को, विघ्न को भी सार में ले आती हूँ... उन परिस्थितियों में फुलस्टॉप लगाकर, बिन्दु लगाकर आगे बढ़ती हूँ.... सदा हर परिस्थिति में बिन्दु बन... फुलस्टॉप लगाकर मौज में रहती हूँ.... मुस्कुराती हूँ!! सहनशीलता की शक्तिवाला कभी घबराएगा नहीं.... सदा सम्पन्न होने के कारण ज्ञान की, याद की गहराई में जायेगा। सहनशील सदा इन सब बातों से मुक्त सदा मौज में रहता है, उड़ता रहता है!! ब्राह्मण जीवन अर्थात् ब्रह्मा बाप समान मौज की जीवन... लेकिन इसका आधार है- सहनशीलता! इस विशेषता के कारण ब्रह्मा बाप सदा अटल, अचल व अडोल रहे!

लोगों ने अपशब्द भी बोले, अत्याचार भी किए... यज्ञ की स्थापना में भिन्न भिन्न विघ्न आये, कोई ब्राह्मण बच्चे ट्रेटर बने.... लेकिन इसमें भी सदा असंतुष्ट को संतुष्ट करने की भावना से, सदा कल्याण की भावना से, सहनशीलता की साइलेंस पावर से उन्होंने हरेक को आगे बढ़ाया। सामना करने वाले को भी मधुरता और शुभ भावना से सहनशीलता का पार्ट पढ़ाया!

ऐसे मैं आत्मा ब्रह्मा बाप को फॉलो करने वाली, सहनशीलता की शक्ति से सम्पन्न हूँ! मैं आत्मा सहनशीलता की देवी हूँ.... मैं आत्मा सहनशीलता का देवता हूँ... मैं एक सहनशील श्रेष्ठ आत्मा हूँ....

ओम शान्ति।