Amritvela Yog Ki sahaj Vidhi


ओम शांति ।

चारो तरफ से अपने सर्व संकल्प समेट कर, एकाग्र करेगें मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक प्वाइंट ऑफ लाइट.. अपने फोरेहेड के बीच में एक चमकता सितारा.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. शांति मेरी एक शक्ति हैं.. मुझ आत्मा का स्वभाव शांत हैं.. अनुभव करेंगें.. मुझ आत्मा से शान्ति की किरणें निकल कर संपुण शरीर में फैल रही है, विजुलाइज करेंगें यह शान्ति की किरणें ऊपर ब्रेन में फैल रही हैं... धीरे धीरे यह किरणें कानों में, नीचे गले, कंधे, दोनो हाथों तक, दोनो हाथों की उंगलियों तक फैल चुकी है... धीरे धीरे यह किरणें छाती, हृदय, पेट, किडनी, एक एक अंग में यह शान्ति की किरणें समाती जा रही हैं.. सारे अंग, सारी मांसपेशियां रिलैक्स होते जा रही हैं... फील करेंगे.. धीरे धीरे यह किरणें दोनों पैरों में, घुटनों, नीचे पैरों की उंगलियों तक फैल चुकी हैं... मैं सम्पूर्ण रिलैक्स हूं... इस शरीर से डिटैच हूं... जैसे यह शरीर लाइट का बन चुका है.. हर अंग, मांसपेशियां, हड्डियां जैसे लाइट हो चुके हैं, संपुण रिलेक्स हो चुके हैं... कोई हलचल नहीं, फील करेंगे इस शांति को... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... मैं परमात्मा का फरिश्ता हूं... एंजल हूं... संपुण लाइट.. अशरीरी हूं....

अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सुक्ष्मवतन में.. चारों तरफ सफेद प्रकाश.. फरिश्तों की दुनिया है ये!! अनुभव करेंगे हमारे सामने बापदादा! बापदादा के साथ मम्मा, दादी जानकी, दादी प्रकाशमणि, दादी गुलज़ार और अन्य सभी दादियां हमें दृष्टि दे रहे हैं... फील करेंगे उनके साथ का अनुभव... मानो बापदादा और सभी दादियां दृष्टि द्वारा हमें शक्तियां दे रहे हैं... बहुत ही शक्तिशाली और दिव्य अनुभव है ये... अनुभव करेंगे- बापदादा, मम्मा और सभी दादियों ने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... उनके हाथों से दिव्य प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है... दिव्य शक्तियों के प्रकाश द्वारा मानो सभी हमें शक्तियां और वरदान दे रहे हैं... बापदादा, मम्मा और दादियों के साथ का अनुभव करें... फील करेंगे हाथों से सभी मुझे वरदान दे रहे हैं - शक्तिशाली आत्मा भव! शक्तिशाली आत्मा भव! इस वरदान की प्राप्ति से मैं शक्तिशाली रहूंगा... हर परिस्थिति में निर्भय रहूंगा... अचल अडोल रहूंगा...

अभी यह सभी मुझे दूसरा वरदान दे रहे हैं- विजय भव! विजय भव! इस वरदान की प्राप्ति से मैं अपने हर पेपर में, हर परिस्थिति में, या किसी भी कार्य में विजयी बनूंगा! बाबा का, मम्मा का, और सभी दादियो का हमेंमे वरदान हैं, उनका आशीर्वाद है, हमारी विजय निश्चित है!
अभी सभी मुझे तीसरा वरदान दे रहे है- सदा सुखी भव! सदा सूखी भव! इस वरदान की प्राप्ति से हम जीवन में सदा खुश और सुखी रहेंगे। हम तन मन धन से भरपूर रहेंगे। हमारे सभी रिश्ते.. संबंध अच्छे हैं... जीवन मे मैं बहुत सुखी हूं... अनुभव करेंगे सूक्ष्म वतन में हमारे साथ बापदादा, मम्मा, सभी दादियां और बाबा के सारे फरिश्ते हमें दिल से दुआएं दे रहे हैं... अपना आशीर्वाद दे रहे हैं... शक्तियां दे रहे हैं... वरदान दे रहे हैं...

अभी धीरे धीरे मेरा संपूर्ण लाइट का शरीर लोप हो रहा है, बची सिर्फ मैं आत्मा.. एक चमकता सितारा! पहुंच गई हूं परमधाम में... परमधाम, शांतिधाम, मुक्तिधाम... चारों ओर लाल प्रकाश... असंख्य आत्माएं अपने ज्योति स्वरूप में स्थित हैं अपने अपने जगह पर... जैसे कि एक आत्माओं का झाड़ है इस लाल प्रकाश की दुनिया में... अभी मैं आत्मा पहुंच गई हूं परमात्मा शिव बाबा के एकदम पास... अनुभव करेंगे परमपिता परमात्मा शिवबाबा मेरे समीप... उनसे दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है... मैं आत्मा स्थित हूं अपने निरकारी स्वरूप में... परमात्मा शिवबाबा से निरन्तर दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समाता जा रहा है... जेसे जेसे ये किरणें मुझमें समा रही हैं, मेरे जन्म जन्म के विकर्म नष्ट हो रहे हैं.. और मैं आत्मा संपूर्ण स्वच्छ, पवित्र बन रही हूं... दो मिनट तक हम अनुभव करेंगे परमात्मा से पवित्रता की किरणें निकल मुझमें समाती जा रही हैं...., संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में...

अनुभव करेंगे मैं आत्मा संपूर्ण पवित्र बन चुकी हूं! मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म, नेगेटिविटी संपूर्ण नष्ट हो चुकी है... जैसे कि मैं एक बेदाग हीरा हूं... बाप समान संपूर्ण पवित्र... अभी अनुभव करेंगें मुझ आत्मा से यह पवित्रता का प्रकाश निकल सारे संसार को मिल रहा है... प्रकृति के पांचों तत्व - आग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी संपूर्ण पवित्र बन रहे हैं... संसार की सर्व आत्माओं को यह पवित्रता की किरणें मिल रही हैं... पवित्रता सुख शान्ति की जननी है! इन पवित्रता की किरणों से संसार की हर आत्मा सुख, शांति का अनुभव कर रही है... उन आत्माओं पर अपवित्रता की चढ़ी हुई मैल संपूर्ण स्वच्छ हो रही है... 2 मिनट तक हम पवित्रता का दान सारे संसार को देंगे..... अनुभव करेंगे जैसे कि मैं आत्मा परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं.., परमधाम में परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निरंतर मुझमें समा कर सारे संसार को मिल रही हैं....

अभी मैं आत्मा चली नीचे सृष्टि की ओर.. पहुंच गई अपने स्थूल शरीर में... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में.. एकाग्र करेंगे बुद्धि को परमधाम में शिव ज्योती स्वरूप पर... शिवबाबा ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, शांति के सागर, सर्वशक्तिमान!! अनुभव करेंगे शिवबाबा से रंग बिरंगी किरणें निकल नीचे फाउंटेन की तरह फ्लो हो रही हैं, और मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... जैसे जैसे ये किरणें मुझ आत्मा में समा रही हैं, परमात्मा के सभी गुण शक्तियां मुझमें समा रहे हैं... जैसे परमात्मा ज्ञान के सागर हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर ज्ञान का सागर हूं... परमपिता परमात्मा सर्वशक्तिमान, मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... इन किरणों से भरपूर होकर मैं बिल्कुल बाप समान बन चुका हूं... मेरी आत्मा संपूर्ण दिव्य, बाप समान चमक रही है... बाप कहते हैं- जैसे मैं चमकता हूं उस दुनिया में, वैसे ही आप चमको इस संसार में! अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह रंग बिरंगा प्रकाश सारे संसार में फैल रहा है... संसार की लाखों करोड़ों आत्माओं में यह रंग बिरंगा प्रकाश समाते जा रहा है... जैसे एक फाउंटेन की तरह मुझसे यह रंग बिरंगी किरणों का दान संसार को मिल रहा है... 3 मिनट तक हम संसार को यह किरणें देंगे.....

ओम शांति।