एकाग्रता से सर्व प्राप्तियों और सर्वशक्तियों का अनुभव - सर्व समस्याओं का समाधान - एकाग्रता की शक्ति।


ओम शांति ।

स्थिति श्रेष्ठ तो परिस्थितियां स्वत: बदल जाएंगी और श्रेष्ठ स्थिति का आधार है - एकाग्रता। एकाग्रता अर्थात स्वमान की स्थिति। एकाग्रता ही सफलता की चाबी है। एकाग्रता ही सर्व सिद्धियों का आधार है। एकाग्रता अर्थात एक ही संकल्प में टिक जाना। एकाग्रता सर्व गुणों और सर्व शक्तियों की अनुभूति स्वत: कराती है। एकाग्रता की शक्ति से स्वत: ही एक परमात्म बाप, दूसरा न कोई, यह अनुभूति होती है। जितना हम डेली एकाग्रता का अभ्यास करेंगे, मेडिटेशन करेंगे, उतना ही यह प्रैक्टिस नेचुरल हो जाएगा।

जीवन में चलते-चलते कई अनेक ऐसी परिस्थितियां आती हैं, ऐसी समस्याएं आती हैं, जिन समस्याओं में, जिन प्रश्नों में हम उलझ जाते हैं, और हम सही डिसीजन नहीं ले सकते। उस समय वह बातें, वह परिस्थितियां हमें बहुत बड़ी लगने लगती है। इन परिस्थितियों में हमारे मन में बहुत व्यर्थ और नेगेटिव संकल्प चलने लगते हैं, वह नेगेटिव संकल्पों का फोर्स हमें उलझा देता है। और जब हम एकाग्रता का अभ्यास करते हैं, स्वमान का अभ्यास करते हैं, तब हमारी स्थिति स्वत: श्रेष्ठ बनने लगती है और इस श्रेष्ठ स्थिति से वह परिस्थितियां हमें सहज लगती हैं, छोटी लगने लगती हैं और उन परिस्थितियों में हम सही निर्णय लेते हैं। एकाग्रता के अभ्यास में हमें अपने आत्मिक स्वरूप पर एकाग्र होकर पॉजिटिव संकल्प करने हैं या कोई एक स्वमान में स्थित होना है। और इसी एकाग्रता की स्थिति में स्थित होकर, हम परमात्मा बिंदु पर एकाग्र करेंगे। रेगुलर प्रैक्टिस करने से ही हमारा यह अभ्यास नैचुरल हो जाएगा। शुरुआत के दिनों में एकाग्रता के लिए, हम काउंटिंग मेथड का भी आधार ले सकते हैं। अर्थात, अपने आत्मिक स्वरूप पर एकाग्र हो या परमात्म बिंदु पर एकाग्र हो, हम काउंट करेंगे - 10 काउंटिंग, 25 काउंटिंग। धीरे-धीरे इस काउंटिंग को 50 और 100 तक भी बढ़ाएंगे। इससे हमारा अभ्यास बहुत ही सरल हो जाएगा, तो यह अभ्यास कैसे करना है, with five minute meditation, चलिए स्टार्ट करते हैं।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर... विज्वलाइज़ करें मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... एक चमकता सितारा... इसी पॉइंट ऑफ लाइट पे एकाग्र रहें... मैं आत्मा इस देह, देह की दुनिया से न्यारी हूं... सब बातों और परिस्थितियों से डिटैच हूं... कोई संकल्प नहीं, बस मैं एक पॉइंट ऑफ लाइट, आत्मा हूं... मैं आत्मा शांत हूं... मैं आत्मा शांत हूं... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... गहराई से इस स्थिति में एकाग्र हो जाएं... मगन हो जाएं... अभी हम बुद्धि रूपी नेत्र के सामने विज्वलाइज़ करेंगे, परमधाम में परमात्मा शिवबाबा, हमारी तरह एक पॉइंट ऑफ लाइट... उनपे पूरी तरह एकाग्र हो जाएं... फील करेंगे... परमात्म बिंदु से एक लाइट की तार निकलकर, मुझ आत्मा में कनेक्ट हो चुकी है... इसी कनेक्शन में स्थित रहें... परमात्म बिंदु पर एकाग्र रहें... जैसे हमारे मन के सभी संकल्प, बोझ परमात्मा ने एब्जॉर्ब कर ली हो, खींच ली हो... मेरा कोई संकल्प नहीं.... बस मैं एकाग्र हूं, परमात्मा शिवबाबा पे... परमात्म बिंदु में मगन हो जाएं... कोई संकल्प नहीं, एक परमात्म बाप दूसरा न कोई......

ओम शांति।