योग करने की सबसे प्यारी और आसान विधि - एक बाबा ही मेरा संसार है - हर दिन यह एक मेडिटेशन जरूर करें


ओम शांति ।

आज हम एक विशेष अभ्यास करेंगे। यह अभ्यास है, एक बाबा ही मेरा संसार है। अभी अंत में सभी हद के आधार टूटने हैं, इसलिए हमें सभी आधार छोड़, एक परमात्मा बाप को आधार बनाना है। अंतिम समय में न व्यक्ति काम आएंगे, न वस्तु, वैभव या साधन काम आएंगे, काम आएगी एक परमात्मा बाप की याद। काम आएगी, हमारी श्रेष्ठ स्थिति और हमारे पुण्य कर्म। इसलिए समय से पहले हमें एक परमात्म बाप को अपना संसार बनाना है। यदि परमात्म प्राप्ति के बाद भी हमारी बाहर के रसों में आसक्ति है, हम उन पर आधारित हैं, तो हम सदा संतुष्ट रह नहीं सकते। शिव भगवानुवाच - अभी याद की सब्जेक्ट में अनेक जन्मों के विकर्म विनाश करने में और अटेंशन दो। बाबा ही मेरा संसार है, यह पक्का करो। संसार में सबकुछ समाया होता है। संसार के बाहर और कोई दूसरा संसार नहीं होता! तो बाबा ही मेरा संसार है, यह अभ्यास कैसे करना है, चलिए स्टार्ट करते हैं।

अनुभव करें... मैं आत्मा अपने मस्तक के बीच में, एक चमकता सितारा... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट...अनुभव करें... मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... फील करें अपना डबल लाइट शरीर... मैं आत्मा लाइट.. और मेरा स्थूल शरीर पूरी तरह लाइट बन चुका है... मैं एक फरिश्ता हूं.... एंजेल हूं... अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता बन पहुंच गया, सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने हमारे बापदादा। बापदादा हमें दृष्टि दे रहें हैं... अभी सजनी बन, बाबा के साथ बैठ जाएं.... अनुभव करेंगे... उनके कंधे पर सिर रखकर, उन्हें गले लगा लें... अनुभव करें... बाबा ने हमें अपनी बाहों में समा लिया है... फील करेंगे ... बाबा ही हमारा संसार है... हमारे सभी संबंध एक परमात्मा बाप से है... पूरी तरह मन-बुद्धि को समर्पित कर दें... कोई संकल्प नहीं...

अनुभव करेंगे.... बाबा के मस्तक बिंदु से दिव्य प्रेम का प्रकाश निकल कर, मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... इस प्रेम के प्रकाश को अपने अंदर समाते जाएं... और इसी स्थिति में एकाग्र होकर, बाबा से हम बातें करेंगे.... "बाबा, आप ही मेरे संसार हो... मैं आपको तन, मन, धन और सभी संबंधों से समर्पित हूं..." परमात्मा प्रेम में मगन हो जाएं..... अनुभव करें... यह मन हमारा है ही नहीं, पूरी तरह बाप को समर्पण है... यह तन हमारा है ही नहीं, पूरी तरह समर्पण है... जो भी धन है, वैभव है, वह परमात्मा बाप को मन से समर्पण है... जो भी है, बाप का है! हम ट्रस्टी बन संभाल रहे हैं... जो होगा, अच्छा होगा, भगवान मेरे साथ हैं.... एक परमात्मा बाप ही मेरा संसार है... अनुभव करें...जो भी संबंध हैं हमारे, वह बाप को अर्पण हैं... और फील करें, हमारे सभी संबंध एक बाप से हैं... हर संबंध की अनुभूति बाबा हमें कराते हैं...

एक मुरली में बाबा ने कहा- "कोई एक संबंध गहराई से जोड़ो, तो उस संबंध में सर्व संबंध समाए हुए हैं..." इसी स्थिति में एकाग्र रहें... हमारा कोई संकल्प नहीं, बस परमात्म बाप को गले लगाएं हुए हैं और परमात्म प्रेम की किरणों से भरपूर हो चुके हैं... एक बाबा ही मेरा संसार है......

इस एक अभ्यास से हमारे सभी विकर्म विनाश होंगे। हम तन, मन, धन से भरपूर बनेंगे। हमारे जो भी रिश्तें हैं, वह भी स्वत: अच्छे हो जाएंगे। हमें सभी का सहयोग स्वत: मिलेगा। प्रकृति भी हमें समय पर सहयोग देगी... इसी स्थिति में दो मिनट एकाग्र रहें... और परमात्म प्यार में मग्न हो जाएं... इस एक संकल्प में ही एकाग्र रहें - एक बाबा ही मेरा संसार है...

ओम शांति।