गुप्त दान महा पुण्य - सेवा करते यह 5 बातें इमर्ज हो तो जमा का खाता बढ़ता जायेगा।


ओम शांति ।

परमात्मा कहते हैं - "जो दिखावे के लिए सेवा करेंगे, वे टूटते रहेंगे और जो गुप्त सेवा करेंगे, वे सदा स्थिर रहेंगे!" जितना हम गुप्त सेवा करेंगे, निष्काम सेवा करेंगे, उतना ही हमारी स्थिति स्थिर और शक्तिशाली रहेगी। एक मुरली में बाबा ने कहा था - अगर नाम के लिए सेवा करेंगे, या कोई हद की प्राप्ति के लिए सेवा करेंगे, तो बाबा मदद नहीं करेंगे, बस नाम मात्र सेवा होगी। दिखावे के लिए की गई सेवा या नाम के लिए की गई हुई सेवा के मार्क्स कट हो जाएंगे। फाइनल में मार्क्स जमा होने का आधार है - कितनों को हमने सुख दिया? पूरे ब्राह्मण जीवन में हम कितना शक्तिशाली रहें? कितना हम संतुष्ट रहें? कितना हम पूरा जीवन धारणा युक्त रहें? कई बार सेवा करके भी हम संतुष्ट नहीं होते, वह भरपूरता का अनुभव नहीं होता। इसका मुख्य कारण है - कहीं ना कहीं हमारे किए हुए पुण्य कर्म में, हमारे संकल्पों में लीकेज है। वह जमा का खाता नहीं बढ़ रहा। जितना हमारा जमा का खाता बढ़ता जाएगा, उतना ही हम शक्तिशाली और भरपूरता का अनुभव करेंगे। और जितना हम गुप्त सेवाधारी बनेंगे, निष्काम सेवाधारी बनेंगे, वह जमा का खाता बढ़ता जाएगा। गुप्त सेवाधारी सदा खुशी से भरपूर रहता है।

तो यह लीकेज को समाप्त कर, जमा का खाता बढ़ाने के लिए अव्यक्त मुरली 31 दिसंबर, 2000 में बाबा हमें बहुत ही गहरी बात समझाते हैं। बाबा कहते हैं - "सेवा की और उसकी रिजल्ट अपनी मेहनत या मैंने किया... मैंने किया यह स्वीकार किया अर्थात् सेवा का फल खा लिया। जमा नहीं हुआ। बापदादा ने कराया, बापदादा के तरफ अटेन्शन दिलाया, अपने आत्मा की तरफ नहीं। यह बहन बहुत अच्छी, यह भाई बहुत अच्छा, नहीं। बापदादा इन्हों का बहुत अच्छा, यह अनुभव कराना - यह है जमा खाता बढ़ाना।" इसी मुरली में बाबा कहते हैं - "जमा के खाते की चाबी बहुत सहज है, वह डायमण्ड चाबी है, गोल्डन चाबी लगाते हो लेकिन जमा की डायमण्ड चाबी है ‘‘निमित्त भाव और निर्मान भाव’’। अगर हर एक आत्मा के प्रति, चाहे साथी, चाहे सेवा जिस आत्मा की करते हो, दोनों में सेवा के समय, आगे पीछे नहीं सेवा करने के समय निमित्त भाव, निर्मान भाव, नि:स्वार्थ शुभ भावना और शुभ स्नेह इमर्ज हो तो जमा का खाता बढ़ता जायेगा।"

तो इस मुरली में बाबा हमें जमा का खाता बढ़ाने के लिए यह पांच बातें बताते हैं:- निमित्त भाव, निर्माण भाव, निस्वार्थ भाव, सर्व के प्रति शुभ भावना और शुभ स्नेह - सेवा करते समय इमर्ज हो तो जमा का खाता बढ़ता जाएगा!

ओम शांति।