रोज़ सवेरे परमात्मा से लेना है यह एक वरदान - इस एक वरदान में सभी वरदान समाए हुए हैं


ओम शांति ।

आज हम एक विशेष वरदान का अभ्यास करेंगे। हम परमात्मा द्वारा वरदान लेंगे - अशरीरी भव! अंतिम विनाश काल में जब चारों तरफ हलचल होगी, चारों ही तरफ से पेपर होंगे, वह चाहे शरीर से हो, संबंधों से हो, वैभव या पांच तत्वों से हो, इन अंतिम परिस्थितियों में सेफ रहने का साधन है - एक सेकंड में मैं अशरीरी आत्मा हूं... इस अभ्यास से ही हम अंतिम विनाश काल में सेफ रहेंगे, पास विद ऑनर बनेंगे। पूरे ज्ञान का सार है - अशरीरी भव! इस एक अभ्यास में सभी वरदान समाए हुए हैं। लंबे काल की प्रैक्टिस ही हमें अंतिम पेपर में पास करेगी। हम सेफ रहेंगे। बाबा ने मुरलियों में कहा है - "जो लंबा काल अशरीरी बनने का अभ्यास करेंगे, विनाश काल में उनका विनाश नहीं होगा। वह स्वेच्छा से शरीर छोड़ेंगे।" कर्म करते भी बीच-बीच में हमें चेक करना है, क्या हम अपने संकल्पों को एक सेकंड में फुल स्टॉप देकर अशरीरी बन सकते हैं? यही अभ्यास सर्वश्रेष्ठ अभ्यास है। तो यह मेडिटेशन चलिए शुरू करते हैं।

एकाग्र करेंगे, अपने ब्रेन के मध्य में... मैं एक पॉइंट ऑफ लाइट.... अशरीरी आत्मा हूं! जैसे अपने मस्तक रूपी गुफा में, मैं एकाग्र चित्त हूं.... कोई संकल्प नहीं... बस मैं अशरीरी आत्मा.. शरीर के बंधन से न्यारी हूं..... मैं अशरीरी आत्मा...‌ कर्म करने के लिए कर्म में आती हूं... और कर्म समाप्त कर, कर्म संबंध से न्यारी हो जाती हूं! मैं अशरीरी आत्मा हूं...

अभी फील करेंगे, मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... अपने लाइट के शरीर में... और एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्म वतन में.... चारों तरफ सफेद प्रकाश.... हमारे सामने परमात्मा शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरूप में!! हमें दृष्टि दे रहे हैं..... इनके सामने बैठ जाएं और फील करें, उनका वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर है.... और उन हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल कर, मुझ आत्मा में समा रहा है.... इन हाथों से दिव्य किरणें, शक्तियों, दुआओं और वरदानों से भरपूर यह प्रकाश.... अभी बापदादा हमें वरदान दे रहे हैं - अशरीरी भव... अशरीरी भव... अशरीरी भव!! इस वरदान की प्राप्ति से आज से मैं एक सेकंड में अशरीरी आत्मा बनने की प्रैक्टिस सहज कर सकूंगी.... यह वरदान निरंतर मेरे साथ रहेगा!

इसी संकल्प में स्थित रहें, मैं अशरीरी आत्मा हूं...!! सभी बंधन जैसे परमात्मा ने खींच लिए हैं... कोई बंधन नहीं..... सभी बंधनों से मुक्त हूं! वह चाहे शरीर का बंधन हो, कर्म का बंधन, व्यक्तियों का बंधन, वैभवों का बंधन, अपने ही स्वभाव संस्कारों का बंधन, इन सभी बंधनों से मैं मुक्त, अशरीरी आत्मा हूं!!

अभी फील करेंगे, सूक्ष्म वतन में मैं आत्मा अपना सूक्ष्म शरीर समेटकर.. एक सेकंड में पहुंच गई परमधाम में... परमधाम, शांतिधाम में... परमात्मा शिवबाबा के पास...!! परमात्मा शिवबाबा से दिव्य प्रकाश निकल, मुझ आत्मा बिंदु में समा रहा है.... इसी स्थिति में एकाग्र रहें.... परमात्मा शिवबाबा से जैसे कंबाइंड हूं... अशरीरी अवस्था अर्थात् जीते जी सबकुछ भूल, एक बाप की याद रहे - यह है अशरीरी अवस्था! इस अवस्था में शरीर का भी भान नहीं रहता... ना ही और कोई संकल्प रहते... केवल मैं आत्मा और मेरा बाबा.....!!

इसी स्थिति में एकाग्र रहें.... मैं अशरीरी आत्मा, परमात्मा शिवबाबा के साथ परमधाम में.... और उनसे दिव्य प्रकाश मुझमें समाते जा रहा है.....

ओम शांति।