अमृतवेले बहुत सुंदर योग की नई विधि का अनुभव: 8 शक्तियां, 9 खजाने - अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां


ओम शांति ।

जैसे एक बच्चा मां के गर्भ में 9 महीने रहता है और अपनी मां से हर तरह की पालना लेता है - शरीर की पूर्ति से लेकर संस्कार तक। इसी तरह हम आत्माएं शिव मां के गर्भ, अर्थात परमधाम में अपनी शिव मां से 9 मिनट के लिए पालना लेंगे! इस मेडिटेशन में हम पहले 7 मिनट 7 गुणों से भरपूर बनेंगे। फिर 1-1 मिनट हम अष्ट शक्तियों का और 9 खज़ाने, नवनिधि का अनुभव करेंगे। और सभी गुणों, शक्तियों और खज़ानों से भरपूर होकर, हम इस सृष्टि रंगमंच पर रोल प्ले करेंगे। तो यह मेडिटेशन चलिए शुरू करते हैं।

एक सेकंड में अनुभव करें, मैं आत्मा अपने मस्तक के बीच में.... एक पॉइंट ऑफ लाइट.. एक चमकता सितारा... पूरी तरह एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप पर.... अभी एक सेकंड में मैं आत्मा पहुंच गई परमधाम में... अपने शिव मां के पास...!! अनुभव करेंगे.. परमधाम में... परमपिता परमात्मा शिवबाबा.... जैसे मां अपने बच्चे की पालना करती है, उसी प्रकार शिव मां के पालना का अनुभव करें....!! उनसे दिव्य किरणें निकलकर, मुझ आत्मा में समा रही हैं......

अभी हम एक-एक मिनट सातों ही गुणों का अनुभव करेंगे... दिव्य ज्ञान का प्रकाश निकलकर, मुझ आत्मा में समाते जा रहा है..... इसी स्थिति में एकाग्र रहें.... जैसे परमात्मा ज्ञान के सागर हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर ज्ञान की सागर हूं..!! मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूं..!! दिव्य तेज अनुभव करें... मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूं... मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूं...

अभी हम फील करेंगे.. परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निकल कर, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.... यह दिव्य पवित्रता का प्रकाश अपने अंदर समा रही हूं.... इसी स्थिति में एकाग्र रहें.. मैं परम पवित्र आत्मा हूं... मैं परम पवित्र आत्मा हूं....

अभी फील करेंगे.. अपनी शिव मां से हम शांति की किरणें ले रहे हैं.... यह शांति का प्रकाश मुझ आत्मा में समाते जा रहा है..... मैं आत्मा इस शांति की किरणों से भरपूर हो चुकी हूं.... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं...! मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं...!

अभी हम अनुभव करेंगे.. हमारी शिव मां से प्रेम की किरणें निकलकर, मुझ आत्मा में समा रही हैं.... जैसे एक मां अपने बच्चे को बहुत दिल से नि:स्वार्थ वृत्ति से प्यार करती है, उसी प्रकार मैं आत्मा शिव मां से प्रेम की अनुभूति कर रही हूं.... मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूं... मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूं....

अभी हम अनुभव करेंगे.. परम ज्योति से सुख की किरणें निकल कर, मुझ आत्मा में समाती जा रही है.... इन सुख की किरणों का अनुभव करें.... इन किरणों से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूं.... मैं आत्मा बहुत सुखी हूं... मैं सुख स्वरूप आत्मा हूं... मैं सुख स्वरूप आत्मा हूं....

अभी हम फील करेंगे.. परम ज्योति से आनंद की किरणें निकल कर, मुझ आत्मा में समा रही हैं.... गहराई से अनुभव करें इन आनंद की किरणों को.... इसी स्थिति में एकाग्र रहें और संकल्प करें - मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूं... मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूं...

अभी हम फील करेंगे... परमात्मा शिवबाबा से‌ शक्तियों की किरणें निकल कर, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.... इन दिव्य शक्तियों को फील करें... जैसे परमात्मा सर्वशक्तिवान है, वैसे मैं आत्मा उनकी संतान.. मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं...

अभी एक मिनट हम आठों ही शक्तियों को गहराई से फील करेंगे.... जैसे मेरी शिव मां मुझे सर्व शक्तियों से भरपूर कर रही हैं... मैं आत्मा बहुत शक्तिशाली बन चुकी हूं.... एक-एक शक्ति को गहराई से फील करें - समेटने की शक्ति.. समाने की शक्ति.. सामना करने की शक्ति.. विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति.. सहयोग की शक्ति.. सहनशक्ति.. निर्णय करने की शक्ति.. परखने की शक्ति.... इन आठों ही शक्तियों से मैं आत्मा भरपूर हो चुकी हूं!!

इसी स्थिति में एकाग्र रहें... और अनुभव करें, मेरी शिव मां ने मुझ आत्मा पर अपने सारे खज़ाने लुटा दिए हैं! अपना सर्वस्व मुझे दे दिया है.... मैं अपनी मां की प्यारी संतान हूं! मेरी शिव मां ने मुझे अपना सर्वस्व देकर, मुझे अपने समान बना दिया है....
मुझे नौ खज़ानों से भरपूर कर दिया है..!! एक-एक खज़ाने को फील करें - पवित्रता.. ज्ञान... गुण... शक्तियां... समय... श्रेष्ठ संकल्प... श्रेष्ठ कर्म... खुशी.. और दुआएं... इन नौ खज़ानों से भरपूर हूं... परमात्मा बाप समान हूं...

अब मैं आत्मा भरपूर होकर सृष्टि रूपी रंगमंच पर आने के लिए तैयार हो गई हूं... अनुभव करें, धीरे-धीरे मैं आत्मा परमधाम से नीचे उतर रही हूं इस सृष्टि की ओर... धीरे-धीरे नीचे उतर कर अनुभव करें, मैं आत्मा अपने पहले जन्म में, देवता स्वरूप में... अनुभव करेंगे, देवता रूपी ड्रेस... सिर पर डबल ताज.. कंचन काया... संपूर्ण सतोप्रधान.. 16 कला संपन्न.. देवता अर्थात, दिव्य गुणों से सजे सजाए! सर्व गुणों से मैं संपन्न हूं...

अभी एक सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने पूज्य स्वरूप में... मंदिरों में मेरी पूजा हो रही है... कभी गणेश के रूप में, कभी दुर्गा माता के रूप में, कभी माता लक्ष्मी के रूप में, कभी हनुमान के रूप में! द्वापर और कलयुग में मैंने भक्तों की शुद्ध मनोकामनाएं पूर्ण की हैं! उनके दुख समाप्त कर सुख का अनुभव कराया है... उन्हें शांति का अनुभव कराया है....

एक सेकंड में स्थित हो जाएं अपने ब्राह्मण स्वरूप में... संपूर्ण पवित्र... सर्व शक्तियों से संपन्न... ब्राह्मण अर्थात, मायाजीत! सर्वशक्ति संपन्न बनना ही मायाजीत बनना है! ब्राह्मण अर्थात स्वराज्य अधिकारी! ब्राह्मण अर्थात विजयी! ब्राह्मण स्वरूप अर्थात सदा ताज, तख्त, और तिलकधारी!

अभी अनुभव करेंगे, मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... फरिश्ता अर्थात डबल लाइट... सदा हल्का... फरिश्ता अर्थात, जिसका पुरानी देह और पुरानी दुनिया से कोई रिश्ता नहीं... फरिश्ते सदा उड़ते रहते हैं... और परमात्मा का मैसेज देते रहते हैं... मैं फरिश्ता इस संसार में परमात्मा का भेजा हुआ एक एंजेल हूं! एक अवतरित फरिश्ता हूं!

ओम शांति।