योग की नई और अनोखी विधि - यह शरीर एक बॉक्स है, इसके अंदर मैं आत्मा एक हीरा हूं


ओम शांति ।

अव्यक्त मुरली 28 जुलाई, 1971 में बाबा हमें बहुत सुंदर एक योग का अभ्यास बताते हैं। बाबा कहते हैैं, "बिल्कुल ऐसा अनुभव हो, जैसे यह शरीर एक बॉक्स है। इनके अंदर जो हीरा है, उनसे ही संबंध स्नेह है.. ऐसा अनुभव करना है!" तो आज हम अनुभव करेंगे.. यह शरीर जैसे एक बॉक्स है, एक डिब्बी है, और इस डिब्बी के अंदर, मस्तक के बीच, मैं आत्मा एक चमकता हीरा..! बाबा कहते हैं, "इस हीरे से ही स्नेह संबंध हो!" तो यह मेडिटेशन चलिए शुरू करते हैं।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को परमात्मा को समर्पण कर एकाग्र करेंगे... मैं आत्मा मस्तक के बीच... एक चमकता हीरा... मस्तक मणि..! मैं आत्मा एक बेदाग हीरा... चमक रही हूं... यह शरीर एक बॉक्स है... इस बॉक्स के अंदर मैं आत्मा एक चमकता बेदाग हीरा हूं.... साक्षी होकर देखें... इस हीरे में कोई दाग नहीं है.. यह हीरा सात रंगों के प्रकाश से चमक रहा है...‌ अनुभव करेंगे, मुझ आत्मा हीरे से चारों तरफ रंग-बिरंगी किरणें फैल रही हैं.... सारे विश्व में यह किरणें फैल रही हैं...

एक चमकता हीरा.. डायमंड... और कोई संकल्प नहीं.... मैं एक बेदाग हीरा.... चारों तरफ मुझसे रंग-बिरंगी किरणें फैल रही हैं... मैं आत्मा एक बेदाग हीरा... सर्व गुणों, शक्तियों, वरदानों और खज़ानों से भरपूर हूं... एक-एक खज़ाने को अपने अंदर गहराई से अनुभव करें... पवित्रता.. ज्ञान.. गुण.. शक्तियां.. समय.. श्रेष्ठ संकल्प.. श्रेष्ठ कर्म.. खुशी.. दुआएं.. इन नौ खज़ानों से मैं आत्मा भरपूर हूं... इसी स्थिति में हम दो मिनट एकाग्र रहेंगे.... मैं आत्मा एक चमकता, बेदाग हीरा... और मुझसे चारों तरफ रंग-बिरंगी किरणें फैल रही हैं......

ओम शांति।