108 योग के प्रयोग द्वारा विभिन्ना समस्याओं का समाधान –

108 मेडिटेशन कमेंट्री - भाग-1

BK Rahul


अमृत - सूची

01. पाँच मिनट में पाँच स्वरूप का अभ्यास - बहुत सुन्दर योग कमेंटरी।

02. पांच मिनट योग - कोई कर्म करने से पहले ये योग अभ्यास ज़रूर करें - हर कर्म में सफलता प्राप्त होगी।

03. पांच मिनट परमधाम मेडिटेशन - परमधाम में ज्वालामुखी योग की अनुभूति।

04. 7 चक्र को क्लीन करें राजयोग मेडिटेशन से - हीलिंग एंड एक्टिवेटिंग 7 चक्र - गाइडेड मेडिटेशन।

05. अमृतवेला मेडिटेशन परमधाम, सूक्ष्मवतन व परमात्म मिलन की विधि और मनसा सेवा की अनुभूति।

06. आने वाली सतयुगी दुनिया कैसी होगी? गोल्डन एज मेडिटेशन कमेंट्री।

07. 12 बार निराकारी और 12 बार फरिश्ता स्वरूप का अभ्यास।

08. दस मिनट सूक्ष्मवतन ड्रिल - सूक्ष्मवतन में फरिश्ता स्थिति का अनुभव।

09. दस मिनट परमधाम मेडिटेशन - अमृतवेला शक्तिशाली अनुभव करें।

10. योग निद्रा योग - गाइडेड मेडिटेशन।

11. दिमाग को शक्तिशाली बनाने के लिए मेडिटेशन | Increase Your Brain Power!

12. बीज रूप स्थिति से विकर्म विनाश - अमृतवेला शक्तिशाली अनुभव करें।

13. कंबाइंड स्वरूप परमात्मा के साथ का गहरा अनुभव - अमृतवेला शक्तिशाली अनुभव करें।

14. कलर मेडिटेशन - रंगों के ध्यान से बिमारियों का इलाज।

15. बहुत पावरफुल मेडिटेशन जिससे सभी विघ्न खत्म हो जायेंगे - रिलैक्स माइन्ड एंड बॉडी।

16. बीज रूप स्थिति से विकर्म विनाश - अमृतवेला शक्तिशाली अनुभव करें।

17. मेडिटेशन कमेंटरी - सभी बिमारियों से मुक्ति पाएं।

18. जन्म जन्म की आत्माओं से हिसाब किताब चुक्तु करने की विधि।

19. सुख, समृद्धि, सेहत और सफलता के लिए सुबह उठकर ये सुनें - सब कुछ अच्छा होगा!

20. निराकारी, फरिश्ता स्वरूप और कंबाइंड स्वरूप की 3 मिनट की ड्रिल।

21. मनसा सेवा करने की 3 विधियां।

22. कोई एक आत्मा को परिवर्तन करने की विधि - योग कमेंटरी।

23. ईविल सोल, नेगेटिविटी और सर्व विघ्न व समस्याओं से अपने घर को सुरक्षित करें - सुरक्षा कवच।

24. फरिश्ता स्वरूप का अनुभव - फरिश्ता स्थिति का अभ्यास।

25. सारे विश्व को सकाश देने की विधि - पावरफुल योग कमेंटरी मनसा सेवा।

26. सवेरे परमात्मा से लेने हैं ये 2 वरदान - पवित्रता बनेगी नेचुरल, जीवन बनेगा निर्विघ्न।

27. साकारी-आकारी-निराकारी की 3 मिनट की ड्रिल।

28. पानी और भोजन को चार्ज करने की विधि।

29. शक्तिशाली अमृतवेला - बहुत सुन्दर योग- पावरफुल अमृतवेला।

30. सर्वशक्तिवान की किरणों के ऑरा का सुरक्षा कवच - नेगेटिव वातावरण, ईविल सोल के प्रभाव से मुक्ति पायें।

31. पूरे विश्व की आत्माओं को दुःख दर्द से मुक्त करने के लिए पावरफुल मेडिटेशन।

32. रोज सवेरे परमात्मा से लेने हैं यह 5 वरदान - एकाग्रता बढ़ेगी योग हो जायेगा सहज।

33. पांच मिनट ये योग अभ्यास करें तो तनाव मुक्त व खुश रहने लगेंगे।

34. अमृतवेला प्रभु मिलन का बहुत सुन्दर अनुभव - सम्पूर्ण पावन बनने की सहज विधि।

35. नाईट मेडिटेशन - सोने से पहले इस योग का प्रयोग कर सोयें - दिनभर के सारे तनाव से मुक्त हो जायेंगे।

36. पवित्रता और खुशी का बहुत सुंदर अनुभव - मैं सदा होली और हैप्पी हूँ।

37. श्रेष्ठ योगी भव! ब्राह्मण जीवन का सर्व श्रेष्ठ वरदान मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूँ।

38. 108 स्वमानों का अभ्यास - स्वमानों के अभ्यास से एकाग्रता की शक्तिशाली स्थिति का अनुभव करें।

39. कोई निराश व बिमार आत्मा को सकाश देने की विधि।

40. कमर दर्द, साइटिका, आर्थराइटिस, स्लिप डिस्क - इस मेडिटेशन से ठीक करें।

41. सूक्ष्मवतन में फरिश्ता स्वरूप के 8 अभ्यास।

42. अमृतवेला मेडिटेशन - बहुत सुन्दर योग कमेंटरी।

43. यह 3 संकल्प करने से मन शांत होगा - धन में वृद्धि होगी –

    3 Thoughts to Earn Money।

44. सात गुणों का अभ्यास - राजयोग मेडिटेशन कमेंटरी।

45. 3 मिनट एकाग्रता का अभ्यास - इस अभ्यास से मन का भटकना बंद हो जायेगा।

46. प्रकृति के पांच तत्वों को सकाश - निरोगी बनने के लिए प्रकृति को दुआ दें और दुआ लें।

47. 21 वरदानों का अभ्यास - अमृतवेला परमात्मा से वरदानों का बहुत शक्तिशाली अनुभव करें - 21 वरदानों की माला।

48. 20 मिनट परमधाम मेडिटेशन - अमृतवेला शक्तिशाली अनुभव करें।

49. जब भी मन दुःखी या उदास हो तब इस योग का कमेंट्री अनुभव करें - 5 मिनट मेडिटेशन।

50. मैं निर्भय आत्मा हूँ। विनाश ज्वाला से बचने का साधन - निर्भयता की शक्ति है।

51. चिंता से मुक्ति पायें - गाइडेड मेडिटेशन (Anxiety, OCD, Depression, Bipolar Disorder)।

52. कोई भी नेगेटिव वायुमण्डल या परिस्थिति के प्रभाव से बचने के लिए यह अंतर्मुखता का अभ्यास सीख लें।

53. Meditation for Students - Best way to improve Concentration, Memory Power - एकाग्रता के लिए मेडिटेशन।

54. कोई कार्य करते बीच बीच में यह 5 मिनट शांति का अनुभव करें - मन होगा शांत - बुद्धि होगी एकाग्र।

55. रात सोने से पहले सभी की गलतीयों को माफ कर दो और सब कुछ परमात्मा को अर्पण कर दो।

56. Tension free, Peaceful रिलैक्सिंग मेडिटेशन कमेंट्री।

57. रोज़ अमृतवेले परमात्मा से वरदान कैसे लें? इस विधि से अमृतवेला करेंगे तो बाबा हर अर्जी पूरी कर देंगे।

58. बहुत सुंदर सुक्ष्म वतन, फरिश्ता स्वरूप और मनसा सेवा का अनुभव - नुमाशाम योग कमेंट्री।

59. रोज़ अमृतवेले प्रभु पिता को कैसे याद करें | उनसे बातें कैसे करें? | उनसे मदद कैसे लें?

60. आओ फैलाएं पवित्रता का गोल्डन प्रकाश - मैं परम पवित्र आत्मा हूँ - मेडिटेशन कमेंट्री।

61. "मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा।" यह एक जादुई संकल्प आपकी ज़िंदगी बदल देगा।

62. Walking Meditation चलते फिरते या कर्म करते योग कैसे करें?

63. जहाँ भी मुश्किल आवे ना, बस दिल से कहना - बाबा, मेरा बाबा, मेरे साथी आ जाओ, मदद करो।

64. Healing Diabetes With Rajyoga Meditation डायबिटीज़ को ठीक करें - मेडिटेशन।

65. Guided Meditation to Heal our Friends & Family कोई बीमार या उदासीन आत्मा की मनसा सेवा कैसे करें।

66. सोने से पहले इस योग कमेंटरी को सुनकर सोएं - दिनभर के सारे तनाव से मुक्त हो जायेंगे। योग निद्रा।

67. इस अभ्यास से मन को हर बोझ से हल्का और टेंशन फ्री रखें।

68. सुबह सुबह पहले 10 मिनट ये 5 शक्तिशाली संकल्प करें और अपने सोये भाग्य को जगाएं।

69. फरिश्ता स्थिति, मनसा सेवा और पांच स्वरूप का अभ्यास - नुमाशाम योग कमेंट्री।

70. घर में किसी डिफिकल्ट या जिद्दी स्वभाव वाले को कैसे चेंज करें।

71. अपने घर में बापदादा का आह्वान करने की विधि - मन के बोझ बाबा को दे दो।

72. मैं संपूर्ण सुखी हूं। Feel the Divine Happiness।

73. यह चार संकल्प करें - जो चाहोगे वही पाओगे - नौकरी, घर, सफलता जो चाहिए अपनी हर मनोकामना पूर्ण कीजिए।

74. शक्तिशाली अमृतवेला - परमधाम, सूक्ष्म वतन व परमात्म मिलन की विधि और मनसा सेवा।

75. किसी भी शरीर की बीमारी से बचने के लिए परमात्म शक्तियों का सुरक्षा कवच मेडिटेशन।76. पारिवारिक सुख शांति के लिए योग कमेंट्री - परमात्म किरणों से अपने घर को मंदिर बनाएं।77. अमृतवेला परमधाम मेडिटेशन।

78. सवेरे उठते ही और सोने से पूर्व यह 3 संकल्प करें। जैसा सोचेंगे, वैसा बनेंगे।

79. पूज्य स्वरूप मैं विघ्न विनाशक गणेश हूं - सुखकर्ता दुखहर्ता गणेश बन संसार को सुखी बनाना।

80. क्षमा - सदा सुखी, निरोगी बनने के लिए माफ करना और माफी मांगना।

81. रोज सुबह और रात सोने से पहले यह 5 संकल्प करें - Law of attraction - attract what you think

82. टेलीपैथी - संकल्पों से कैसे पहुंचाए अपनी मन की बात - मनसा सेवा से कोई आत्मा को परिवर्तन कैसे करें

83. ज्वालामुखी योग द्वारा विकर्म विनाश।

84. विकारों का अंश समाप्त करने के लिए - कर्म करते बीच बीच में यह 5 मिनट का योग करें।

85. यह 7 नियम बना लें - और अपने जीवन में चमत्कार देखें, जो चाहोगे वही होगा, हर कार्य में सफलता होगी।

86. रिलैक्सिंग योग निद्रा - गाइडेड मेडिटेशन।

87. रोज अमृतवेला 10 मिनट इस विधि से मनसा सेवा करें।

88. सुबह उठकर और रात को सोने से पहले ये 5 चमत्कारिक संकल्प जरूर कीजिए।

89. अपने परिवार और सम्बन्ध संपर्क वालों को सकाश दें।

90. परमात्म प्रेम की अनुभूति।

91. परमात्मा से शक्तियों और वरदानों की पुष्प वर्षा।

92. जो बच्चे मेरी याद में मग्न रहते हैं उनके सोचने का कार्य भी मैं करता हूं।

93. सुबह आंखें खुलते ही ये संकल्प करें।

94. विद्यार्थियों के लिए 5 दृढ़ संकल्प।

95. सात रंगों के हीरों का योग अभ्यास।

96. अष्ट शक्तियों का अनुभव। बहुत ही पावरफुल मेडिटेशन।

97. मैं शिवशक्ति हूँ, अष्ट भुजाधारी हूँ।

98. अव्यक्त बापदादा होमवर्क। मनसा सेवा।

99. विदेही अवस्था - अमृतवेला के लिए योग कमेंटरी।

100. Attitude of Gratitude - Miracles of Grateful Heart! शुक्रिया भाव भाग्य बदल देगा!

101. हीलिंग मेडिटेशन - बहुत पावरफुल योग जिससे सभी विघ्न, समस्या समाप्त हो जाएंगे।

102. सब कुछ तेरा - यह संकल्प करें और अपने जीवन में चमत्कार देखें - भंडारी और भंडारे भरपूर हो जाएंगे।

103. मैं सफलता का सितारा हूं! यह अभ्यास हर दिन 2 से 3 बार करें तो आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी।

104. अपने सारे पाप कर्म भस्म करने वाला ज्वालामुखी अमृतवेला योग कमेंट्री।

105. रोज सुबह 5 मिनट यह संकल्प करें और जो चाहे वो पाएं। Heal Your Mind, Body, Soul. What we Think We Create!

106. आज तक के पुराने खाते समाप्त करना - पावरफुल विकर्म विनाश योग कमेंट्री।

107. सवेरे उठते ही और सोने से पूर्व करें यह 10 संकल्प। Power of Subconscious Mind!

108. 10 वरदानों का अभ्यास। इन शक्तिशाली वरदानों के अनुभव से एकाग्रता बढ़ेगी, योग हो जायेगा सहज।
 


01. पाँच मिनट में पाँच स्वरूप का अभ्यास - बहुत सुन्दर योग कमेंटरी।

ओम शांति।

स्थित करें अपने आप को मस्तक के बीच... मैं आत्मा.. मास्टर सर्वशक्तिवान... ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... अभी उड़ चलें आकाश की ओर... मैं आत्मा आकाश को पार कर पहुँच गयी हूँ परमधाम में... शान्तिधाम में.. मेरा असली घर... परमपिता परमात्मा शिवबाबा के पास.......... अभी मैं आत्मा उड़ चली अपने पहले सतयुगी जन्म में... देखेंगे सिर पर डबल ताज... घर के आंगन में खड़े पुष्पक विमान..... फूलों की एक नेचुरल खुशबू... एक नेचुरल संगीत.... एक नेचुरल अतीन्द्रिय सुख... चारों तरफ सुख ही सुख है..... अभी मैं आत्मा उड़ चली अपने पूज्य स्वरूप... विघ्न विनाशक गणेश... मंदिर के मूर्ति में स्थित... लाखों भक्त मेरी पूजा कर रहें हैं... सुख की किरणें मुझ विघ्न विनाशक गणेश से निकल इन आत्माओं को मिल रहीं हैं.. द्वापर कलियुग में मैंने इस संसार को शांति व सुख की किरणें दी हैं.... भक्तों के सभी मनोकामनाएं पूर्ण की हैं... कभी गणेश के रूप में, कभी दुर्गा के रूप में, कभी माता लक्ष्मी के रूप में, कभी हनुमान के रूप में और कभी तिरुपति बालाजी के रूप में... अभी मैं आत्मा उड़ चली संगमयुगी ब्राह्मण जीवन ब्राह्मण स्वरूप में... मैं आत्मा कोटों में भी कोई, कोई में भी कोई वह भाग्यवान आत्मा हूँ जिसको भगवान ने इस सृष्टि परिवर्तन के कार्य में चुना है... मैं एक महान ब्राह्मण आत्मा हूँ... अभी उड़ चली मैं आत्मा फरिश्ता स्वरूप सूक्ष्म वतन में... बापदादा मेरे सामने... मुझे दृष्टि दे रहें हैं... मुझे मस्तक पे तिलक लगा रहें हैं... और मुझे वरदान दे रहें हैं - श्रेष्ठ योगी भव... विजयी भव... विश्व कल्याणकारी भव... मुझ फरिश्ता से रंग बिरंगी किरणें नीचे सारे संसार को मिल रहीं हैं... प्रकृति के पांचो तत्व - अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी और संसार की सर्व आत्माएं इन किरणों से तृप्त हो रहीं हैं... उनको सुख शांति की अनुभूति हो रही है.... ।  

ओम शांति।


02. पांच मिनट योग - कोई कर्म करने से पहले ये योग अभ्यास ज़रूर करें - हर कर्म में सफलता प्राप्त होगी।

ओम शांति।

सेट करेंगे अपने आप को मस्तक के बीच में.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. यह शरीर मेरा एक वस्त्र है.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ.. मेरी शांति की किरणें निरंतर चारों ओर फैल रहीं हैं.. अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से शांति की किरणें मेरे सम्पूर्ण देह में फैल रहीं हैं.. जैसे कि ये देह है ही नहीं.. मैं एक डबल लाइट फरिश्ता हूँ.. मैं एक शांति का फरिश्ता हूँ.. अभी बुद्धि ले जाएंगे परमधाम में.. शिव परमात्मा.. ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. शक्तियों के सागर.. उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें इस संसार में निरंतर फैल रहीं हैं.. अनुभव करेंगे शिव ज्योति स्वरूप से एक सफेद प्रकाश, शक्तियों की दिव्य किरणें नीचे मुझ आत्मा में निरंतर समाती जा रहीं हैं.. सम्पूर्ण एकाग्र करें शिवज्योति स्वरूप पे.. उनसे शक्तियों का प्रवाह मुझमें समाते जा रहा है.. मैं एक शक्तिशाली आत्मा हूँ.. अभी धीरे-धीरे अनुभव करेंगे शिव ज्योतिस्वरूप शिव परमात्मा नीचे इस सृष्टि की ओर आ रहें हैं.. और आ गए मेरे सिर के ऊपर.. मेरी छत्रछाया बन चुके हैं.. उनसे निरंतर दिव्य प्रकाश मुझमें समाते जा रहा है.. शिव परमात्मा मेरी छत्रछाया हैं.. वह मुझसे निरंतर कंबाइंड हैं.. इस कंबाइंड की सुखद अनुभूति में मैं परमानंद की स्थिति का अनुभव कर रहा हूँ.. जैसे शिवबाबा सर्वशक्तिवान, वैसे मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ.. वे निरंतर मेरे साथ हैं.. इसी कंबाइंड स्वरूप से, उनके साथ के अनुभव से मेरे हर कार्य में सफलता होगी... हर असंभव कार्य संभव हो जाएगा.. जहां बाप साथ हैं वहां कोई कुछ कर नहीं सकता.. विजय हमारी हुई पड़ी है. . बाबा कहते हैं कर्म करने से पहले यह निश्चय करो विजय हमारी हुई पड़ी है.. इसी पॉजिटिव संकल्प के साथ परमात्मा मेरे साथ कंबाइंड हैं और हर कर्म में उनका साथ मैं अनुभव करूँगा.. और एक विजयी सफलता मूरत आत्मा बनूंगा... ।  

ओम शांति।


03. पांच मिनट परमधाम मेडिटेशन - परमधाम में ज्वालामुखी योग की अनुभूति।

ओम शांति।

स्थित करेंगे अपने आप को मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक.. अभी एक सेकंड में पहुंच जाएं अपने घर परमधाम में.. देखेंगे मैं निराकारी आत्मा अपने घर परमधाम में... चारों तरफ सुनहरा लाल प्रकाश.. एक गहरी शांति... देखेंगे मेरे साथ हैं परमप्रिय परमपिता परमात्मा शिवबाबा... उनसे पवित्रता की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रहीं हैं.. सम्पूर्ण पवित्र इन किरणों से मैं सम्पूर्ण अशरीरी महसूस कर रहा हूँ.. ये किरणें मुझे पावन कर रहीं हैं.. जैसे-जैसे ये किरणें मुझ आत्मा में समा रहीं हैं वैसे-वैसे मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म नष्ट हो रहें हैं.. मैं पावन बन रहा हूँ.. सर्व आत्माओं से मेरे जो हिसाब किताब है वो सम्पूर्ण नष्ट हो रहें हैं.. अभी देखेंगे मैं आत्मा संपूर्ण पावन, बेदाग हीरा बन चुका हूँ.. मुझ आत्मा में कोई दाग, नेगेटिविटी नहीं है.. मैं सम्पूर्ण शुद्ध.. पवित्र आत्मा हूँ.. मेरे संकल्प, मेरे संस्कार, मेरे स्वभाव संपुर्ण पावन हो चुके हैं... अभी देखेंगे मुझ आत्मा से ये किरणें नीचे पूरे विश्व में फैल रहीं हैं.. जिससे प्रकृति के पांचों तत्व पावन हो रहे हैं - अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी.. इन किरणों से सम्पूर्ण पावन हो रहीं हैं.. इन किरणों से सृष्टि की असंख्य आत्माएं पावन बन रहीं हैं .. इन पवित्रता की किरणों से ये सुख शांति का अनुभव कर रहीं हैं.. गहराई से अनुभव करेंगे ये सृष्टि पावन बन रही है.. जैसे जैसे ये पवित्रता की किरणें इन आत्माओं पर, पृथ्वी पर, तत्वों पर पड़ रहीं हैं, वैसे वैसे ये पावन बन रहीं हैं.. देखेंगे ये सृष्टि गोल्डन एज सतयुग में परिवर्तित हो रही है.. सर्व आत्माएं सम्पूर्ण पावन हैं.. यहां पे श्री लक्ष्मी श्री नारायण का राज्य है.. चारों तरफ सुख ही सुख है....  

ओम शांति।


04. 7 चक्र को क्लीन करें राजयोग मेडिटेशन से - हीलिंग एंड एक्टिवेटिंग 7 चक्र - गाइडेड मेडिटेशन।

ओम शांति।

आज का गाइडेड मेडिटेशन है एक्टिवेटिंग 7 चक्र विथ राजयोग मेडिटेशन। इस मेडिटेशन में हम हर चक्र पे 3 मिनट का योग करेंगे। इस मेडिटेशन में हम परमात्मा द्वारा किरणें ले हर चक्र को एक्टिवेट करेंगे। अलग अलग चक्र का एक रंग है, उस रंग की हम परमात्मा द्वारा किरणें ले उस चक्र पे फोकस करेंगे। चलिए शुरू करते हैं। 1. एकाग्र करेंगे बुद्धि को परमधाम में... परमपिता शिव परमात्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट.. मैं एक फरिश्ता हूँ... मैं परमात्मा की संतान हूँ.. एक शांत स्वरूप आत्मा.. एक शांत स्वरूप फरिश्ता हूँ... परमात्मा से दिव्य शक्तियों की किरणें मुझमें निरंतर समा रहीं हैं.. अभी अनुभव करेंगे परमात्मा से लाल रंग की किरणें निकल मेरे सम्पूर्ण शरीर मे फैल रहीं हैं.. मेरा सम्पूर्ण शरीर लाल रंग का हो चुका है... जैसे कि ये शरीर है ही नहीं.. एक लाल रंग के लाइट का प्रकाशमय शरीर बस... इस लाल रंग से मेरा मूलाधार चक्र (root chakra) एक्टिवेट हो रहा है... सम्पूर्ण लाल प्रकाशमय मेरा सूक्ष्म शरीर.. मुझसे लाल रंग की किरणें चारों तरफ फैल रहीं हैं.. इस लाल रंग की किरणों से मेरा जितना जितना यह मूलाधार चक्र एक्टिवेट होगा, उतना उतना मेरी विल पावर बढ़ेगी.. मेरे सम्पूर्ण शरीर के हड्डीयां व मांसपेशियां मज़बूत बनेंगे.... मेरी शारीरिक शक्ति इस अभ्यास से बढ़ती जा रही है... इन किरणों से मैं बहुत ही शक्तिशाली महसूस कर रहा हूँ... मेरा मूलाधार चक्र सम्पूर्ण एक्टिवेट और साफ हो रहा है... मेरा मूलाधार चक्र सम्पूर्ण एक्टिवेट और साफ हो चुका है.... 2. अभी अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से नारंगी रंग की किरणें निकल मेरे सम्पूर्ण शरीर में फैल रहीं हैं.... मेरा सम्पूर्ण शरीर नारंगी रंग का हो गया है... मुझसे नारंगी रंग की किरणें चारों तरफ फैल रहीं हैं.. इन नारंगी रंग की किरणों से मेरा स्वादिष्ठान चक्र (sacral chakra) जागृत हो रहा है... इस चक्र के एक्टिवेट होने से मेरी इम्युनिटी पावर, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी... कुछ भी रिप्रोडक्टिव (reproductive ) सिस्टम या यूरिनरी (urinary) सिस्टम में जो भी ऊपर नीचे होता है, वो बैलेंस हो जाएगा... नारंगी रंग पवित्रता का रंग है.. इस अभ्यास से मेरी पवित्रता बढ़ रही है... मेरी इम्युनिटी पावर शक्तिशाली हो चुकी है... मैं सम्पूर्ण एकाग्र हो चुका हूँ... सम्पूर्ण मगन हो चुका हूँ इन नारंगी रंग की किरणों में... कितनी सुखद अनुभूति है ये.... 3. अभी अनुभव करेंगे परमात्मा द्वारा मुझे पीले रंग की किरणें मिल रहीं हैं... मेरा सम्पूर्ण शरीर पीला रंग का हो गया है... इन पीले रंग की किरणों से मेरा मणिपूर चक्र जिसको solar plexus चक्र भी कहते हैं वह एक्टिवेट हो रहा है.... इन पीले रंग की किरणों से मेरा मणिपूर चक्र पूरी तरह एक्टिवेट और साफ हो रहा है.... मणिपूर चक्र के साफ होने से मेरे मन में एक खुशी की अनुभूति हो रही है... पीला रंग खुशी का प्रतीक होता है.. इस रंग से मैं बहुत ही खुशी की अनुभूति कर रहा हूँ.. जैसे जैसे ये चक्र क्लीन हो रहा है मेरा सम्पूर्ण पाचन तंत्र एक्टिवेट हो रहा है.. बैलेंस हो रहा है.... मेरे आंतों और पेट में जो भी गंदगी है वो सब क्लीन हो रही है... पीले रंग की किरणें सम्पूर्ण एक्टिवेट कर रहीं हैं... अनुभव करेंगे ये मणिपूर चक्र सम्पूर्ण क्लीन हो चुका है और संपूर्ण एक्टिवेट हो चुका है.... 4. इसी प्रकार से हम चौथे चक्र अनाहत चक्र (heart chakra) का अभ्यास करेंगे.. अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से हरे रंग की किरणें मेरे सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर मे फैल चुकी हैं... मेरा सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर हरा हो चुका है.... एकाग्र करेंगे इस अनाहत चक्र पे, जितना जितना हम इन हरे रंग का अभ्यास कर रहें हैं, उतना हमारे में प्रेम बढ़ेगा.... हरा रंग प्रेम का प्रतीक है... स्वयं के लिए भी और औरों के लिए भी हमारी स्नेह की दृष्टि रहेगी.... जैसे जैसे मैं ये हरे रंग का अनुभव कर रहा हूँ, मेरा अनाहत चक्र एक्टिवेट हो रहा है... सम्पूर्ण क्लीन हो रहा है... बहुत ही सुखद अनुभूति है... हरे रंग की किरणें मेरे सूक्ष्म शरीर से चारों तरफ फैल रहीं हैं... इस चक्र के क्लीन होने से मेरा सम्पूर्ण ब्लड सर्कुलेशन रिसेट हो रहा है... ठीक हो रहा है... अनुभव करेंगे मेरा ये हार्ट चक्र सम्पूर्ण एक्टिवेट और क्लीन हो चुका है... हार्ट द्वारा जो भी ब्लड सर्कुलेशन हो रहा है वो एकदम नार्मल और एक्टिवेट हो चुका है.... सम्पूर्ण बैलेंस रीति से यह सिस्टम काम कर रहा है... 5. इसी प्रकार से हम पांचवे चक्र विशुद्ध चक्र का अभ्यास करेंगे, ये throat chakra है... अनुभव करेंगे नीले रंग की किरणें परमात्मा द्वारा मेरे सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रहीं हैं... मेरा सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर निला रंग का प्रकाशमय शरीर हो चुका है.. नीला रंग शांति का रंग है.. इस अभ्यास से मैं शांति का अनुभव कर रहा हूँ... मेरा सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर नीला रंग का हो चुका है.. चारों तरफ नीली किरणें मेरे शरीर से फैल रहीं हैं... अनुभव करेंगे मेरा विशुद्ध चक्र सम्पूर्ण एक्टिवेट और साफ हो चुका है... जिससे मेरा रेस्पिरेटरी (respiratory) सिस्टम और थायराइड (thyroid) सिस्टम सम्पूर्ण बैलेंस हो चुका है... यह अपने नार्मल तरीके से काम कर रहें हैं... बहुत ही शांति का अनुभव है इन नीले रंग की किरणों में.... 6. इसी प्रकार से हम छठवें चक्र का अभ्यास करेंगे.. यह चक्र आज्ञा चक्र है जिसे हम third eye चक्र भी कह सकते हैं...अनुभव करेंगे परमात्मा द्वारा इंडिगो रंग की किरणें जिसको हम जामुनी रंग की किरणें कह सकते हैं, मेरे सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रही हैं... मेरा संपूर्ण सूक्ष्म शरीर जामुनी रंग का हो चुका है.. इस अभ्यास से मेरा आज्ञा चक्र जागृत हो चुका है.. अनुभव करेंगे मेरा ये आज्ञा चक्र सम्पूर्ण क्लीन और एक्टिवेट हो चुका है.... जिससे मेरा नर्वस सिस्टम सम्पूर्ण बैलेंस में काम कर रहा है... इस अभ्यास से मेरी बुद्धि की एकाग्रता बढ़ रही है.. यह चक्र ज्ञान का चक्र है... जितना जितना यह चक्र एक्टिवेट होगा, उतना हम हर क्षेत्र में, हर कार्य में एकाग्रता की शक्ति से सफल बनेंगे... कोई भी ज्ञान हो हम आसानी से ग्रहण करेंगे... इस अभ्यास से मुझे ये सम्पूर्ण ज्ञान है कि मैं एक आत्मा हूँ.... 7. इसी प्रकार से हम सातवें चक्र का अभ्यास करेंगे - सहस्त्रार चक्र का.. इसको crown chakra भी कहते हैं.. अनुभव करेंगे परमात्मा द्वारा मुझे बैंगनी रंग की किरणें मिल रहीं हैं.. सम्पूर्ण एकाग्र करें मेरा सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर बैंगनी रंग का हो गया है... मुझसे चारों ओर यह किरणें फैल रहीं हैं... इस प्रैक्टिस से मेरा सहस्त्रार चक्र सम्पूर्ण एक्टिवेट और क्लीन हो चुका है... यह चक्र आनंद का चक्र है, जिसको हम परमानंद कहते हैं! यह सर्वश्रेष्ठ चक्र है और यह सर्वश्रेष्ठ स्थिति है और यह सबसे सुंदर अनुभव है... जितना जितना यह चक्र एक्टिवेट होगा, मैं अनुभव करूँगा कि मैं एक आत्मा हूँ और संसार की सर्व आत्माओं का पिता परमपिता शिव परमात्मा एक हैं.. हम आत्माएं सब भाई भाई हैं.. इस चक्र को हम awakening चक्र भी कह सकते हैं... जितना जितना हमारा यह छठवां (third eye chakra) और सातवां चक्र एक्टिवेट और क्लीन होगा, हमें परमात्म मिलन की अनुभूति होगी... इस संसार की सर्व सुखद अनुभूति यह परमात्म मिलन की अनुभूति है... इस अभ्यास से मेरे सातों ही चक्र आटोमेटिकली बैलेंस हो जाएंगे... और इस परमात्म मिलन की, परमानंद की अवस्था में, एक अतीन्द्रिय सुख की अवस्था में मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म भी नष्ट होगें... जितना जितना मैं इस स्थिति में एकाग्र रहूंगा, उतना मेरे जीवन में हेल्थ, हैप्पीनेस निरंतर रहेंगी......  

ओम शांति।


05. अमृतवेला मेडिटेशन - परमधाम, सूक्ष्मवतन व परमात्म मिलन की विधि और मनसा सेवा की अनुभूति - योग कमेंटरी।

ओम शांति।

स्थित करें अपने आप को मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा.. अपने लाइट के शरीर में.. अपने लाइट के फरिश्ता रूपी शरीर में.. अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश, चाँद, तारों को पार कर सूक्ष्म वतन में... देखें अपने आप को सूक्ष्म वतन में.. बापदादा मेरे सामने.. बापदादा अपना हाथ मेरे सिर के ऊपर रखते हुए पवित्रता की किरणों से मुझ आत्मा को भर रहें हैं.. देखेंगे ये पवित्रता की किरणें मुझ आत्मा बिंदु और मुझ बिंदु से सारे सूक्ष्म शरीर में फैल रहीं हैं... इन किरणों से मैं सम्पूर्ण पावन बन चुका हूँ... अभी बापदादा मुझे वरदान दे रहें है - बच्चे श्रेष्ठ योगी भव... श्रेष्ठ योगी भव... इस ब्राह्मण जीवन में सर्वश्रेष्ठ वरदान योगी भव का वरदान है... जिसे ये वरदान प्राप्त होता है उसे बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त होते हैं.. आज से स्वयं भगवान ने मुझे ये वरदान दिया है - बच्चे श्रेष्ठ योगी भव... अभी बापदादा मुझे दूसरा वरदान दे रहें हैं - बच्चे सफलतामूर्त भव.... बच्चे सफलतामूर्त भव... इस वरदान की प्राप्ति से मेरा हर कार्य, हर संकल्प सफल होगा.. मैं हर क्षेत्र में सफलतामूर्त बनूँगा... बापदादा से अभी हमें तीसरा वरदान मिल रहा है - बाप समान भव.. विश्व कल्याणकारी भव.. बाप समान भव.. इस वरदान की प्राप्ति से बापदादा के सर्व गुण, सर्व शक्तियों का हकदार मैं बन रहा हूँ.. जैसे परमात्मा ज्ञान का सागर वैसे मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सागर हूँ.. जैसे वे सर्व गुणों के सागर हैं, वैसे मैं मास्टर गुणों का सागर हूँ.. अभी फील करेंगे बाप समान मेरी लाइट फुल ग्लो हो रही है... मैं सम्पूर्ण चमकता सितारा, बेदाग हीरा, सम्पूर्ण पवित्र बन रहा हूँ.. अभी फील करेंगे यह पवित्रता की किरणें बापदादा से मुझमें समा कर नीचे सारे विश्व में समा रहीं हैं... देखेंगे यह किरणें एक फाउंटेन की तरह नीचे फ्लो हो रहीं हैं जिससे सम्पूर्ण प्रकृति - अग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी पावन हो रहें हैं.. पृथ्वी पर सर्व आत्माएं इन पवित्रता की किरणों से सुख शांति का अनुभव कर रहीं हैं.. 5 मिनट तक हम यह किरणें सारे विश्व को दान करेंगे...... अभी एक सेकंड में पहुँच जाएं अपने घर परमधाम में.. देखेंगे मैं निराकारी आत्मा अपने घर परमधाम में.. चारों तरफ सुनहरा लाल प्रकाश.. एक डीप साइलेंस.. देखेंगे मेरे साथ हैं परमप्रिय परमपिता परमात्मा शिवबाबा... उनसे पवित्रता की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रहीं हैं.. सम्पूर्ण पवित्र इन किरणों से मैं सम्पूर्ण अशरीरी महसूस कर रहा हूँ.. यह किरणें मुझे पावन कर रहीं हैं.. जैसे जैसे यह किरणें मुझमें समा रहीं हैं, वैसे वैसे मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म भस्म हो रहें हैं.. मैं पावन बन रहा हूँ.. सर्व आत्माओं से मेरे जो हिसाब किताब हैं वो सम्पूर्ण नष्ट हो रहें हैं .. अभी देखेंगे मैं आत्मा सम्पूर्ण पावन बेदाग हीरा बन चुका हूँ.. मुझ आत्मा में कोई दाग, कोई नेगेटिविटी नहीं है.. मैं सम्पूर्ण शुद्ध, पवित्र आत्मा हूँ.. मेरे संकल्प, मेरे संस्कार, मेरे स्वभाव सम्पूर्ण पावन हो चुके हैं.. अभी देखेंगे मुझ आत्मा से ये किरणें नीचे सारे विश्व में फैल रहीं हैं... जिससे प्रकृति के पांचों तत्व पावन हो रहें है... अग्नि, वायु, जल, आकाश, पृथ्वी इन किरणों से सम्पूर्ण पावन हो रहें हैं... इन किरणों से सृष्टि की असंख्य आत्माएं पावन हो रहीं हैं.. ये सुख शांति का अनुभव कर रहीं हैं.. गहराई से अनुभव करेंगे यह सृष्टि पावन बन रहीं हैं.. जैसे जैसे ये पवित्रता की किरणें इन आत्माओं पे, और पृथ्वी पे, तत्वों पे पड़ रहीं हैं, वैसे वैसे ये पावन बन रहीं हैं.. देखेंगे यह सृष्टि स्वर्णिम युग सतयुग में परिवर्तन हो रही है.. सर्व आत्माएं सम्पूर्ण पावन हैं... यहां पे श्री लक्ष्मी नारायण का राज्य है.. चारों तरफ सुख ही सुख है।  

ओम शांति।


06. आने वाली सतयुगी दुनिया कैसी होगी?  गोल्डन एज मेडिटेशन कमेंट्री।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. स्थित हूँ मस्तक के बीच.. स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेंद्रियों की मालिक .. मैं आत्मा एक सतयुगी दिव्य आत्मा हूँ.. मैं एक सतयुगी रॉयल आत्मा हूँ.. इस विश्व रूपी ड्रामा में मैंने 84 जन्म का पूरा पार्ट बजाया है.. अभी एक सेकंड में मैं आत्मा पहुंच गयी अपने पहले सतयुगी जन्म में.. अनुभव करेंगे मेरा जन्म एक प्रिंस के रूप में हुआ है.. ओहो! कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं आत्मा! देखेंगे सतयुग का नज़ारा.. चारों तरफ सोने के महल.. महलों के आंगन में खड़े असंख्य पुष्पक विमान... हीरे और जवाहरातों के प्रकाश से सम्पूर्ण महल जगमगा उठा है.... मेरा जन्म बहुत ही बड़ी रॉयल फैमिली में हुआ है.. बाबा कहते हैं गोल्डन स्पून इन द माउथ... अनुभव करेंगे स्कूल के नज़ारें... श्री कृष्ण मेरा मित्र.. उनके साथ हम स्कूल जाते हैं.. स्कूल में भी क्या जैसे खेल है - चित्रकला और संगीत, यह दो विषय... अनुभव करेंगे... श्री कृष्ण बांसुरी बजा रहें हैं.. और हम उनके मित्र उस संगीत में मंत्रमुध हो खो गए हैं... ओहो! क्या यह अनुभव है! क्या इस सृष्टि में सुंदरता है! जिसको हम शब्दो में वर्णन नहीं कर सकते हैं! हवाओं से पत्ते झूल रहें हैं... पंछी गा रहें हैं... जैसे कि नेचुरल संगीत बज रहा है.. इस सतयुग में एक एक सब आत्माएं जैसे कि चित्रकार है.. आर्टिस्ट है.. कितना नैचुरली ये संगीत बजा रहें हैं.. ओहो! खो जाए इस संगीत भरी दुनिया में.... सतयुग में देखेंगे हम श्री कृष्ण और श्री राधा के साथ रास खेल रहें हैं... देखेंगे हम उस रास में सम्पूर्ण खो चुके हैं... सम्पूर्ण लीन अवस्था है उस संगीत में.. अभी अनुभव करेंगे हमारे महलों के आंगन में पुष्पक विमान... हम इस पुष्पक विमान में बैठ संकल्प से एक सेकंड में सारे विश्व का चक्कर लगा रहें हैं... देखेंगे ऊपर से ये सतयुग के नज़ारे पुष्पक विमान से.... ओहो! क्या जगमगाती दुनिया है ये! चारों तरफ सोने के महल.. हीरे जवाहरात से सम्पूर्ण सम्पन्न है ये दुनिया!! चारों तरफ सुख ही सुख!! खुशी ही खुशी है!! उड़ते उड़ते पहुँच जाएं अमेरिका के ऊपर से.. ऑस्ट्रेलिया के ऊपर से.. इंग्लैंड के ऊपर से.. बाबा ने कहा है ये सब स्थान पिकनिक के होंगे.. देखेंगे क्या मनमोहक वातावरण है ये.. झरनें, नदियां, हरे-भरे पेड़.. पंछी.. ओहो ! क्या सुंदरता है ये ! जिसको हम शब्दों में भी वर्णन नहीं कर सकते हैं.. अभी पुष्पक विमान से सैर कर हम आ गए हैं अपने बगीचे में... ओहो! क्या फूल है! क्या फल है! यहां का भोजन फल और फूल और दूध है.. फल भी ऐसे नेचुरल है कि बस दबाया और मीठे रस से भरा है... यहां कोई भी चीनी, नमक आदि की जरूरत नहीं है... फलों और फूलों में एक नेचुरल मिठास है... अभी अनुभव करेंगे श्री लक्ष्मी और श्री नारायण के राज्यदरबार में हम एक प्रिंस के रूप में बैठे हुए हैं... कितनी सुंदर दरबार है ये.. अनेक प्रिंस प्रिंसेस इस दरबार मे बैठे हुए हैं.. आपस में रूह रिहान कर रहें हैं.. कितनी सौभाग्यशाली हूँ मैं जो मैंने श्री कृष्ण का पहला जन्म देखा.. श्री लक्ष्मी-नारायण का मुझे संग मिल रहा है.. कितनी सौभाग्यवान हूँ मैं आत्मा जो इस स्वर्ग में हमें पहला जन्म मिला! दिल से मन ही मन शिवबाबा को शुक्रिया कहेंगे - वाह बाबा वाह! शुक्रिया बाबा शुक्रिया! आपने हमें अपना बना लिया और इतनी सुंदर दुनिया का आपने हमें मालिक बना दिया.....।  

ओम शांति।


07. 12 बार निराकारी और 12 बार फरिश्ता स्वरूप का अभ्यास।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपने आप को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा पॉइंट ऑफ लाइट.. ज्योति स्वरूप.. मैं आत्मा अभी एक सेकंड में पहुँच गयी सूक्ष्म वतन में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. चारों ओर सफेद प्रकाश.. एक असीम शांति का अनुभव.. बापदादा मेरे सामने.. मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं.. और गले लगा रहें हैं.. अभी अनुभव करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.. उनसे शक्तियों का दिव्य प्रकाश निकल मुझमें समाता जा रहा है.. बापदादा मुझे अभी वरदान दे रहें हैं - बच्चे श्रेष्ठ योगी भव.. सफलता मूरत भव.. इन वरदानों की प्राप्ति से बापदादा सदैव मेरे साथ रहेंगे.. और हर कार्य मे मुझे सहज सफलता प्राप्त होगी.... अभी मैं आत्मा एक सेकंड में उड़ चली ऊपर परमधाम में.. चारों ओर लाल प्रकाश.. मैं आत्मा स्थित हूँ अपने निराकारी स्वरूप में.. अभी अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप मेरे पास.. उनसे एक दिव्य प्रकाश निकल मुझमें सामते जा रहा है.. एक असीम परमानंद का अनुभव मैं कर रहा हूँ.. इस दिव्य प्रकाश से मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म नष्ट हो रहें हैं... मुझ आत्मा पे नेगेटिविटी की मैल सम्पूर्ण क्लीन ही रही है.... पिछले 63 जन्मों में मुझसे जाने अंजाने में हुए विकर्म सम्पूर्ण विनाश हो रहें हैं... इस दिव्य प्रकाश से मैं सम्पूर्ण दिव्य बन रहा हूँ.. जैसे शिवबाबा सर्वशक्तिवान है, वैसे मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ!  

ओम शांति।


08. दस मिनट सूक्ष्मवतन ड्रिल - सूक्ष्मवतन में फरिश्ता स्थिति का अनुभव।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपने आप को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. पॉइंट ऑफ लाइट.. ज्योति स्वरूप हूँ.. मैं आत्मा अभी एक सेकंड में पहुच गयी सूक्ष्म वतन में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में... चारों ओर सफेद प्रकाश.. एक असीम शांति का अनुभव.. बापदादा मेरे सामने.. मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं.. और गले लगा रहें हैं.. अभी अनुभव करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.. उनसे शक्तियों का दिव्य प्रकाश निकल मुझमें समाता जा रहा है.. बापदादा मुझे अभी वरदान दे रहें हैं - बच्चे श्रेष्ठ योगी भव.. सफलता मूरत भव.. इन वरदानों की प्राप्ति से बापदादा सदैव मेरे साथ रहेंगे.. और हर कार्य में मुझे सहज सफलता प्राप्त होगी.. बापदादा मुझे अभी वरदान दे रहें हैं - बाप समान फरिश्ता भव.. कर्मयोगी फरिश्ता भव.. अभी अनुभव करेंगे उनके हाथों से शांति की किरणें निकल मुझमें समा कर नीचे सारे संसार को मिल रहीं हैं.. प्रकृति के पांचों तत्व, संसार की सर्व आत्माएं संपूर्ण शांत हो रहें हैं... मैं एक लाइट हाउस हूँ.. परमात्मा का भेजा हुआ एक फरिश्ता हूँ.. मुझ द्वारा इस सारे विश्व को शांति का सकाश मिल रहा है... इस संसार में मैं एक शांति का फरिश्ता हूँ... एक लाइट हाउस हूँ... एक दिव्य शक्तियों का प्रवाह नीचे सारे संसार को मिल रहा है.. पांचों ही तत्व, संसार की सर्व 800 करोड़ आत्माएं इन शक्तियों का अनुभव कर रहीं हैं....।  

ओम शांति।


09. दस मिनट परमधाम मेडिटेशन - अमृतवेला शक्तिशाली अनुभव करें।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप.. पॉइंट ऑफ लाइट.. एक चमकता सितारा.. समपूर्ण पवित्र.. स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक.. मैं आत्मा स्थित हूँ अपने मस्तक के बीच में.. अभी मैं आत्मा एक सेकंड में उड़ चला ऊपर परमधाम में.. चारों ओर लाल प्रकाश.. लाखों करोड़ों आत्माएं अपने अपने जगह स्थित हैं.. परमधाम... शान्तिधाम... मुक्तिधाम... धीरे धीरे अनुभव करेंगे मैं शिवबाबा के पास बहुत नज़दीक आ चुका हूँ.. यह है मेरी बीजरूप अवस्था.. सम्पूर्ण निराकारी, सम्पूर्ण मुक्त अवस्था..... बीजरूप स्थिति अनुभव करेंगे.. परमात्मा शिवबाबा से गुणों और शक्तियों का दिव्य प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समा रहा है... एक फाउंटेन की तरह, एक शॉवर की तरह मुझ आत्मा में समा रहा है.. एक सम्पूर्ण परमानंद की स्थिति... मुक्त अवस्था की स्थिति... इस अवस्था में मैं सम्पूर्ण एकाग्र हो चुका हूँ.. दिव्य प्रकाश मैं अपने आप में समाता जा रहा हूँ... अनुभव करेंगे जैसे जैसे ये प्रकाश मुझ आत्मा में समाता जा रहा है, वैसे वैसे मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म विनाश हो रहें हैं... आत्मा पे चढ़ी हुई मैल सम्पूर्ण साफ हो रही है.. सम्पूर्ण नेगेटिविटी क्लीन हो रही है.. द्वापर कलियुग में मुझसे जाने अनजाने हुए विकर्म सम्पूर्ण नष्ट हो रहें हैं.. धीरे धीरे अनुभव करेंगे मैं सितारा सम्पूर्ण क्लीन सम्पूर्ण बेदाग हीरा बन चुका हूँ... मेरे सम्पूर्ण विकर्म नष्ट हो चुके हैं.... मैं एक सम्पूर्ण पवित्र, गुणमूर्त, शक्तिशाली आत्मा हूँ.. मैं एक बाप समान आत्मा हूँ.. अभी अनुभव करेंगे शिवबाबा से दिव्य प्रकाश निकल, मुझमें समा कर नीचे पूरे संसार को पहुँच रहा है... मुझ बीज रूप आत्मा से यह सृष्टि रूपी झाड़ एक दिव्य प्रकाश का अनुभव कर रहा है.... अनुभव करेंगे यह प्रकाश पांचो तत्वों को मिल रहा है.. अग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी यह पांचो ही तत्व इस प्रकाश से सम्पूर्ण तृप्त हो रहें हैं.. और प्रकृति मुझे शुक्रिया कह रही है.. अनुभव करेंगे यह प्रकाश संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहा है.. असंख्य 800 करोड़ आत्माएं इस सृष्टि पे हैं.. एक एक आत्मा इस दिव्य प्रकाश की अनुभूति में परमानंद की अनुभूति कर रही है.. इस सृष्टि रूपी झाड़ के हर धर्म के पत्ते पत्ते को यह प्रकाश मिल रहा है.. मैं इस सृष्टि का बीज हूँ.. मैं बाप समान विश्व कल्याणकारी हूँ.. विश्व रक्षक हूँ.. विश्व परिवर्तक हूँ.. मुझे ये संसार को सर्व दुखों से मुक्त करना है.. मुझ बीज रूप से यह प्रकाश निकल संसार की सर्व आत्माएं को मिल रहा है, जिससे वे सर्व दुखों से मुक्त हो रहीं हैं...।

ओम शांति।


10. योग निद्रा योग - गाइडेड मेडिटेशन।

ओम शांति।

योगनिद्रा के लिए हमें शवासन में लेटना होगा। आंखें बंद हो... शवासन में संपूर्ण रिलैक्स अवस्था में लेट जाएं। चलिए शुरू करते हैं। चारों ओर से बुद्धि को समेट कर एकाग्र करें मैं आत्मा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. ज्योति स्वरूप हूँ.. स्थित हूँ अपने मस्तक के बीच में.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूँ.. यह शरीर मेरा एक वस्त्र है.. सम्पूर्ण डिटैच हो जाएं इस शरीर से... अभी बुद्धि रूपी नेत्र के सामने अनुभव करेंगे शिव परमात्मा.. ज्योति स्वरूप.. शांति के सागर.. उनसे शांति की किरणें सारे विश्व मे निरंतर फैल रहीं हैं... अभी अनुभव करेंगे शिव ज्योति स्वरूप से शांति की किरणों का एक फव्वारा मुझ आत्मा में निरंतर सामते जा रहा है... जैसे एक लेज़र बीम शिवबाबा से मुझमें समाती जा रही है... मैं आत्मा सम्पूर्ण शांत स्वरूप में स्थित हूँ.. अभी अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह शांति का प्रकाश धीरे-धीरे मेरे सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है... और मेरे सम्पूर्ण शरीर को रिलैक्स कर रहा है... एक एक अंग को दें ये प्रकाश... ऊपर मस्तिष्क से धीरे धीरे नीचे गला, चेहरा.. आंखों में यह शांति की किरणें समाती जा रहीं हैं.. धीरे धीरे यह किरणें कंधों.. हाथ.. छाती.. फेफड़ों.. आंतों.. पेट में फैल रही हैं... एक एक अंग में जैसे जैसे ये किरणें समाती जा रही हैं, वैसे वैसे वे सम्पूर्ण रिलैक्स और शिथिल होते जा रहें हैं... नीचे किडनी.. दोनों पैर... पैरों की उंगलियों तक यह किरणें अनुभव करें... मेरा पूरा शरीर रिलैक्स, शिथिल हो चुका है... सम्पूर्ण बोझमुक्त, ढीला छोड़ दें... यह शांति की किरणें मेरे सम्पूर्ण शरीर में फैल चुकी हैं.. जैसे कि ये शरीर सम्पूर्ण लाइट हो गया है.. जैसे कि ये शरीर है ही नहीं... मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में, अपने फरिश्ता स्वरूप में... सम्पूर्ण बोझ मुक्त अवस्था... परमात्मा को मैं इन शांति की किरणों के लिए शुक्रिया कह रहा हूँ और दिन भर में जो भी गलतियां हुई है - सुख, दुख सब उन्हें समर्पण कर रहा हूँ... और उन्हें दिल से शुक्रिया कह रहा हूँ... सारे दिन में जो भी बातें हुई हो, जिन आत्माओं को हमने जाने अनजाने दुख दिया हो, मन ही मन उनसे क्षमा मांगता हूं... और जिन आत्माओं ने हमें जाने अनजाने दुख दिया हो हम उन्हें सम्पूर्ण क्षमा कर रहें हैं... माफ कर रहें हैं.. इस अभ्यास से मैं सम्पूर्ण फ्री हो चुका हूँ... मैं बस एक लाइट का शरीर हूँ.. सम्पूर्ण मुक्त... परमात्मा से शांति की किरणों का प्रवाह मुझमें निरंतर हो रहा है... मैं सम्पूर्ण शिव परमात्मा को समर्पण हूँ.. जैसे एक पतंग की डोर जुड़ी होती है, वैसे मुझ आत्मा की डोर शिव परमात्मा से निरंतर जुड़ी हुई है... इसी अवस्था में मैं सम्पूर्ण एकाग्र हूँ... सम्पूर्ण शांत हूँ.. सम्पूर्ण रिलैक्स हूँ... सम्पूर्ण जीवनमुक्त... एक फरिश्ता हूँ एक एंजेल हूँ....

ओम शांति।


11. दिमाग को शक्तिशाली बनाने के लिए मेडिटेशन। Increase Your Brain Power!

ओम शांति।

किसी भी क्षेत्र या कार्य में सफल होने के लिए हमारे ब्रेन का पावरफुल होना बहुत ज़रूरी है। दिमाग के तेज़ होने के लिए दिमाग का ब्लड सर्कुलेशन का ठीक से चलना बहुत ज़रूरी है। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम ब्रेन को शांति के वाइब्रेशन देकर उसे आराम देंगे। अर्थात संकल्पों को स्लो डाउन करेंगे, धीमा करेंगे। और जब हमारे संकल्प और ब्रेन शांत हो जाएंगे, तब उस स्थिति में हम ब्रेन को परमात्म शक्तियों से भरपूर करेंगे। यह मेडिटेशन करने से हमारा ब्रेन शक्तिशाली बनेगा। ब्रेन का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगा। हमारी एकाग्रता बढ़ेगी, कंट्रोलिंग पावर बढ़ेगी। हमारे ब्रेन की रचनात्मक शक्तियां बढ़ेंगी। हमारे परखने की और निर्णय करने की शक्ति भी बढ़ेगी, जिससे हम हर कार्य में निर्विघ्न रूप से सफलता प्राप्त करेंगे। तो चलें शुरू करते हैं.. एकाग्र करें मैं आत्मा... एक पॉइंट ऑफ लाइट.. स्थित हूं अपने ब्रेन के मध्य में... देखें मैं एक ज्योति स्वरूप चमकता सितारा हूं... संकल्प करें मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... मेरा स्वभाव शांत है... मैं एकाग्रचित्त हूं.. बुद्धिवान हूं... मेरा ब्रेन शांत और शक्तिशाली है.. मेरा ब्रेन शांत और शक्तिशाली है... अभी देखें परमधाम में परमपिता परमात्मा शिवबाबा... एक पॉइंट ऑफ लाइट.. शांति के सागर... फील करें उनसे शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... मैं संपूर्ण शांत हूं.. और मुझसे यह शांति की तरंगे संपूर्ण ब्रेन में फैल रही हैं... मेरा ब्रेन संपूर्ण रिलैक्स हो चुका है.. मैं बहुत ही शांत और रिलैक्स महसूस कर रहा हूं.. मेरा संपूर्ण ब्रेन शांत और रिलैक्स है... इस शांति की स्थिति में मेरे ब्रेन का ब्लड सर्कुलेशन सामान्य रूप से काम कर रहा है... अभी देखें परमात्मा से शक्तियों की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा कर, संपूर्ण ब्रेन को मिल रही हैं... जैसे एक शक्तियों का प्रवाह मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... और संपूर्ण ब्रेन को यह शक्तियों की किरणें मिल रही हैं.... देखें शक्तियों का लाल प्रकाश संपूर्ण ब्रेन में फैल चुका है.. लाल रंग की शक्तियों की किरणों से संपूर्ण ब्रेन जगमगा उठा है... परमात्म शक्तियों से भरपूर हो चुका है... परमात्मा सर्वशक्तिवान हैं, मैं आत्मा उनकी सन्तान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मेरा ब्रेन परमात्म दिव्य शक्तियों से भरपूर है... मेरा ब्रेन शक्तिशाली है.. स्वस्थ है.. मैं बुद्धीवान हूं... एकाग्रचित्त हूं... मेरा ब्रेन संपूर्ण परमात्म शक्तियों से भरपूर हो लाल रंग की किरणों से जगमगा उठा है ! मेरा ब्रेन शक्तिशाली है ! दिव्य है ! इसमें अनंत रचनात्मक शक्तियां हैं.... 2 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे- परमात्मा से दिव्य शक्तियों की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाकर, मेरे संपूर्ण ब्रेन में फैल रही हैं.. और मेरा ब्रेन संपूर्ण स्वस्थ है... ओम शांति।


12. बीज रूप स्थिति से विकर्म विनाश- अमृतवेला शक्तिशाली अनुभव करें - योग कमेंटरी।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप.. पॉइंट ऑफ लाइट.. एक चमकता सितारा.. सम्पूर्ण पवित्र.. स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक.. मैं आत्मा स्थित हूँ अपने मस्तक के बीच में.. अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से एक दिव्य सफेद प्रकाश निकल मेरे सारे शरीर में फैल रहा है..... जैसे कि ये शरीर है ही नहीं... एक लाइट का शरीर है... अनुभव करेंगे कि ये शरीर धीरे धीरे सम्पूर्ण लोप हो रहा है... और बची मैं आत्मा आपने लाइट के शरीर में.. फरिश्ता स्वरूप में.. अपने एंजल स्वरूप में... अनुभव करेंगे मैं एक संपूर्ण पवित्र फरिश्ता हूँ... एक अवतरित फरिश्ता.. अभी अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता उड़ चला ऊपर आकाश की ओर... चाँद, तारों को पार कर ऊपर उड़ते जा रहा हूँ... पहुँच गया सूक्ष्मवतन में... सामने मेरे बापदादा ... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं. .. मुझे गले लगा रहें हैं.... अभी उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... और मुझे वरदान दे रहें हैं - बच्चे संपूर्ण अशरीरी भव... बच्चे संपूर्ण अशरीरी भव.... इस वरदान से मुझे हमेशा स्मृति रहेगी कि मैं शरीर नहीं, एक आत्मा हूँ... एक ज्योति स्वरूप चमकता सितारा हूँ... और इस वरदान से मैं नैचुरली कभी भी अशरीरी की प्रैक्टिस आसानी से कर पाऊंगा... मुझे हमेशा स्मृति रखनी है कि भगवान ने मुझे वरदान दिया है- अशरीरी भव... अभी मैं संपूर्ण मुक्त होकर, अपने इस फरिश्ता रूपी शरीर को समेट कर ऊपर उड़ चला परमधाम में... चारों ओर लाल प्रकाश...... लाखों करोड़ों आत्माएं अपने अपने जगह स्थित हैं ... परमधाम... शान्तिधाम .... मुक्तिधाम... धीरे धीरे अनुभव करेंगे मैं शिवबाबा के पास.. बहुत नजदीक आ चुका हूँ.... यह है मेरी बीजरूप अवस्था.... संपूर्ण निराकारी... संपूर्ण मुक्त अवस्था... बीजरूप स्थिति... अनुभव करेंगे कि परमात्मा शिवबाबा से गुणों और शक्तियों का दिव्य प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समा रहा है.... एक फाउंटेन की तरह, एक शावर की तरह मुझ आत्मा में समा रहा है.... एक संपूर्ण परमानंद की स्थिति..... मुक्त अवस्था की स्थिति..... इस अवस्था में मैं संपूर्ण एकाग्र हो चुका हूँ.... दिव्य प्रकाश मैं अपने आप में सामते जा रहा हूँ... अनुभव करेंगे जैसे जैसे ये प्रकाश मुझ आत्मा में समाता जा रहा है, वैसे वैसे मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म विनाश हो रहें हैं .... आत्मा पे चढ़ी हुई मैल सम्पूर्ण साफ हो रही है... सम्पूर्ण नेगेटिविटी क्लीन हो रही है.... द्वापर कलियुग में मुझसे जाने अनजाने हुए विकर्म सम्पूर्ण नष्ट हो रहें हैं... धीरे धीरे अनुभव करेंगे मैं सितारा सम्पूर्ण क्लीन.. सम्पूर्ण बेदाग हीरा बन चुका हूँ... मेरे सम्पूर्ण विकर्म नष्ट हो चुके हैं... मैं एक सम्पूर्ण पवित्र, गुणमूर्त शक्तिशाली आत्मा हूँ... मैं एक बाप समान आत्मा हूँ.... अभी अनुभव करेंगे शिवबाबा से ये दिव्य प्रकाश निकल, मुझमें समा कर, नीचे सारे संसार को पहुँच रहा है.... मुझ बीज रूप आत्मा से ये सृष्टि रूपी झाड़ एक दिव्य प्रकाश का अनुभव कर रहा है... अनुभव करेंगे यह प्रकाश सारे तत्वों को मिल रहा है- अग्नि, वायु, जल, आकाश व पृथ्वी.. यह पांचो ही तत्व इस प्रकाश से तृप्त हो रहें हैं..... और प्रकृति मुझे शुक्रिया कह रही है... अनुभव करेंगे यह प्रकाश संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहा है... असंख्य 800 करोड़ आत्माएं इस सृष्टि पे है.... एक एक आत्मा इस दिव्य प्रकाश की अनुभूति में कई अनुभूति कर रही है... इस सृष्टि रूपी झाड़ के हर धर्म को, पत्ते पत्ते को यह प्रकाश मिल रहा है... मैं इस सृष्टि का बीज हूँ... मैं बाप समान विश्व कल्याणकारी हूँ.... विश्व रक्षक हूँ... और विश्व परिवर्तक हूँ... मुझे इस संसार को सर्व दुखों से मुक्त करना है... मुझ बीज रूप से यह प्रकाश निकल संसार की सर्व आत्माओं पर पड़ रहीं हैं.... जिससे वे सर्व दुखों से मुक्त हो रहीं हैं..... अनुभव करेंगे मुझ बीज से इस सृष्टि रूपी झाड़ को ये किरणें मिल रहीं हैं..... जितना जितना हम बीज रूप स्थिति में स्थित हो किरणें देंगे, उतना उतना ही ये आत्माएं हमें दुआएं देंगी... बाबा ने कहा है अभी तुम्हारी मनसा सेवा से सतयुग त्रेता में तुम्हारी प्रजा बनेगी और जो आत्माएं भिन्न भिन्न धर्मों में, द्वापर कलियुग में आएंगी, वे रिटर्न में आपके भक्त बनेंगे... इस संगमयुग में हमारे किरणों से इनको सुख शांति का अनुभव हुआ है... रिटर्न में द्वापर कलियुग में वे हमारे मूर्तियों की पूजा करेंगी..... और हमारे मूर्तियों द्वारा उन्हें वही सुख शांति का अनुभव होगा... अभी मैं आत्मा धीरे धीरे नीचे उतर रही हूँ... आ गयी सूक्ष्म वतन में... अपने फरिश्ता रूपी शरीर में... धीरे धीरे मैं फरिश्ता नीचे उतर रहा हूँ... सृष्टि की ओर अपने स्थूल देह में.. आ जाएं अपने मस्तक सिंहासन पे.. अभी शिवबाबा धीरे धीरे परमधाम छोड़ नीचे सृष्टि की ओर आ रहें हैं.... आ गए ज्योति स्वरूप परमात्मा मेरे मस्तक के ऊपर... सम्पूर्ण बीजरूप स्थिति का अनुभव करें... मैं आत्मा... परमात्मा शिवबाबा छत्रछाया बनकर मेरे सिर के ऊपर हैं.... उनसे दिव्य प्रकाश निकल, मुझमें समा कर... चारों ओर पूरे सृष्टि को मिल रहा है... अभी इसी बीजरूप अवस्था में हम शिवबाबा का शुक्रिया करेंगे.....शुक्रिया बाबा शुक्रिया ! इस कलियुग के अंत में आकर आपने हमें मुक्त कर दिया ! और जीवनमुक्ति का वर्सा आपके द्वारा हमें मिल रहा है... शुक्रिया बाबा शुक्रिया ! हमें अपना इंस्ट्रूमेंट(instrument) बनाने के लिए... शुक्रिया ! शुक्रिया ! शुक्रिया ! इस अनुभव को हमें चौबीसों घंटे कर्म में यूज़ करना है... जैसा कि बाबा ने कहा है - 12 बारी निराकारी, 12 बारी फरिश्ता स्वरूप दिन में अभ्यास करना है... तो जैसे जैसे ये अभ्यास हम हर घंटे 1 मिनट या 2 या 5 मिनट करेंगे, तो यह अभ्यास हमारा नेचुरल हो जाएगा... हम जब चाहें अपने बीजरूप अवस्था में स्थित हो सकेंगे... हम जब चाहें फरिश्ता स्वरूप में स्थित हो सकेंगे... और जितना जितना हम कर्म में इस अव्यक्त स्थिति को महसूस करेंगे , बापदादा को साथ रखेंगे, उतना उतना हमारी हर कर्म में विजय होगी... हम सफलतामूर्त बनेंगे.... हम एक वरदानी आत्मा बनेंगे... इसी प्रैक्टिस से असंख्य आत्माओं को हमारे द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार होगा... ।  

ओम शांति।


13. कंबाइंड स्वरूप परमात्मा के साथ का गहरा अनुभव - अमृतवेला शक्तिशाली अनुभव करें - योग कमेंटरी।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को... मस्तक के बीच मैं आत्मा... ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.... एक सम्पूर्ण शांत... चमकता सितारा.... अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक... स्वराज्य अधिकारी... अभी मैं आत्मा एक सेकंड में पहुँच गयी परमधाम में... चारों ओर लाल प्रकाश... अनुभव करेंगे शिवबाबा ज्योति स्वरूप.. परमधाम में उनके समीप मैं आ पहुंची हूँ... एकदम पास... परमपिता शिव परमात्मा से दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझमें समा रहीं हैं... बाबा सर्वशक्तिवान, मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान... उनसे दिव्य शक्तियों का प्रकाश मुझमें सामते जा रहा है... मैं बाप से संपूर्ण कंबाइंड हूँ... इस कंबाइंड स्वरूप में मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म, पाप सब नष्ट हो रहें हैं... मैं सम्पूर्ण एकाग्र हूँ इस स्थिति में... एक बाप दूसरा न कोई.... सम्पूर्ण परमानंद की स्थिति है ये... मैं बाप समान शक्तिशाली आत्मा हूँ.... उनसे शक्तियों का प्रकाश निरंतर मुझमें सामते जा रहा है.... और किरणों से मैं सम्पूर्ण शक्तिशाली पावन बन चुकी हूँ... बेदाग हीरा... चमकता सितारा.... यही कंबाइंड स्वरूप सर्वश्रेष्ठ स्वरूप है... अभी अनुभव करेंगे बाबा और मैं इसी कंबाइंड स्थिति में धीरे धीरे नीचे इस सृष्टि की ओर आ रहें हैं.... और मैं आत्मा आ चुकी हूं अपने देह में... अपने सिंहासन में.. और शिवबाबा मेरे सिर के ऊपर मेरी छत्रछाया बन गए है.... मुझसे निरंतर कंबाइंड हैं... निरंतर उनसे शक्तियों का प्रकाश मुझमें समाते जा रहा है... इस कंबाइंड स्वरूप की स्मृति से, बाबा हमेशा मेरे साथ हैं, हर कर्म में मैं उनके साथ का अनुभव करूँगा.... जहां बाप साथ हैं वहां सर्व सिद्धियां हैं... वहां कोई भी विघ्न कोई भी नेगेटिविटी कुछ कर नहीं सकती... इस कंबाइंड स्वरूप में मैं हमेशा विजयी बनूँगा... बाबा मेरे साथ हैं... जो होगा अच्छा होगा... उनके छत्रछाया में मैं निरंतर सेफ हूँ..... यह कंबाइंड स्वरूप की स्मृति सर्वश्रेष्ठ स्मृति है... इसमें हर असंभव कार्य संभव हो जाता है।  

ओम शांति।


14. कलर मेडिटेशन - रंगों के ध्यान से बिमारियों का इलाज।

ओम शांति।

मैं आत्मा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट... अपने मस्तक के बीच में स्थित... अनुभव करेंगे मैं एक ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.... अभी देखेंगे परमधाम में शिवबाबा एक पॉइंट ऑफ लाइट... जैसे मैं आत्मा ज्योतिस्वरूप हूँ, वैसे परमात्मा शिवबाबा ज्योतिस्वरूप हैं... अभी अनुभव करेंगे शिव परमात्मा से लाल रंग की किरणें धीरे धीरे नीचे फ्लो होकर मुझ आत्मा में समा रहीं हैं.... लाल रंग शक्ति का प्रतीक होता है... परमात्मा द्वारा मुझे लाल रंग की किरणों से शक्तियों की प्राप्ति हो रही है...... अभी अनुभव करेंगे ये लाल प्रकाश धीरे धीरे मेरे सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है..... एक एक अंग को देखेंगे... ऊपर से ये प्रकाश मस्तिष्क.... कानों में.. धीरे धीरे आंखों में.. नाक.. पूरा चेहरा.. धीरे धीरे नीचे उतर कंधो तक... दोनों हाथ... सब सम्पूर्ण लाल प्रकाशमय हो रहें हैं.... धीरे धीरे ये प्रकाश मेरे हृदय... फेफड़ों... रीढ़ की हड्डी.... नीचे पेट, आंतों में... किडनी में.. नीचे धीरे धीरे पैरों में ये फैल रहा है... धीरे धीरे मेरा हर अंग, हर मांसपेशियां... हर एक हड्डीयां लाल रंग की हो चुकी हैं... इन किरणों से मैं बहुत ही शक्तिशाली महसूस कर रहा हूँ... इन किरणों से मेरी सारी बीमारियां नष्ट हो रहीं हैं... मैं बहुत ही शक्तिशाली और सम्पूर्ण निरोगी बन रहा हूँ... हमें यह प्रैक्टिस एक बार में 5 से 10 मिनट तक करनी है... और ऐसा दिन में कम से कम 3 से 4 बार करना है.. 21 दिन में हमें इस प्रैक्टिस से बहुत ही सुंदर परिणाम मिलेंगे।

ओम शांति।


15. बहुत पावरफुल मेडिटेशन जिससे सभी विघ्न खत्म हो जायेंगे - रिलैक्स माइन्ड एंड बॉडी गाइडेड मेडिटेशन।

ओम शांति।

चलें स्थित करें अपने आप को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा.. मास्टर सर्वशक्तिवान.. एक परम पवित्र आत्मा.. सम्पूर्ण तेजोमय.. ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.. मैं आत्मा इस देह की मालिक हूँ.. अपने सर्व कर्मेन्द्रियों की मालिक.. स्वराज्य अधिकारी.. अभी मैं आत्मा उड़ चली ऊपर आकाश की ओर.. चाँद तारों को पार कर पहुँच गयी हूँ परमधाम... परमपिता परमात्मा शिवबाबा के पास... अभी फील करेंगे शिवबाबा ज्योति स्वरूप से शक्तियों की रंग बिरंगी किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रहीं हैं... मैं आत्मा शिवशक्ति हूँ... भगवान की संतान हूँ... इन शक्तियों की किरणों से मैं तृप्त हो रहीं हूँ... इन शक्तियों की किरणों से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूँ... मेरे जन्म जन्मांतर के पाप विकर्म सब नष्ट हो रहें है ... अभी मैं आत्मा चली नीचे अपनी देह की तरफ... पहुँच गयी अपने मस्तक के बीच.. अपने आसन पर स्थित... परमात्मा द्वारा जो शक्तियों की किरणें मिलीं हैं वह सम्पूर्ण ब्रेन में फैल रहीं हैं... पूरा मस्तिष्क इन शक्तियों की किरणों से तेजोमय हो गया है.. ये किरणें अभी नीचे अंग अंग में फैल रहीं हैं... देखेंगे धीरे धीरे ये किरणें नीचे एक एक अंग - मेरे हाथ..दिल..फेफड़ों..पेट.. नीचे मेरे पांव तक यह किरणें फैल रहीं हैं.. इन किरणों की तेज से संपूर्ण शरीर जगमगा उठा है.. मैं सम्पूर्ण निरोगी महसूस कर रहा हूँ.. बहुत ही लाइट फील कर रहा हूँ.. सम्पूर्ण अशरीरी... जैसे कि यह देह है ही नहीं.. सम्पूर्ण अशरीरी.. निरोगी.. भगवान ने मुझ आज से वरदान दिया है - बच्चे निरोगी भव.. अशरीरी भव... भगवान अपने बच्चों को सदा तन से, मन से और धन से सहज रखेगा यह बाप की, परमपिता परमात्मा की गारंटी है.....

ओम शांति।


16. बीज रूप स्थिति से विकर्म विनाश - अमृतवेला शक्तिशाली अनुभव करें - 5 मिनट मेडिटेशन।

ओम शांति।

मस्तक के बीच मैं आत्मा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट हूँ.. ज्योति स्वरूप आत्मा हूँ.. अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से किरणें निकल सारे शरीर में फैल रहीं हैं.. धीरे धीरे मेरा शरीर लोप हो चुका है.. बची सिर्फ मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. अशरीरी.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. अनुभव करेंगे जैसे कि ये शरीर है ही नहीं.. मैं सिर्फ एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूँ.. अभी अनुभव करेंगे परमधाम में शिवबाबा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. उनसे एक सफेद रंग का प्रकाश निकल मुझ आत्मा में एक फाउंटेन की तरह समा रहा है.. अनुभव करेंगे एक पतंग की डोर जैसे बंधी होती है, वैसे मैं आत्मा इस सफेद प्रकाश की डोर से ऊपर परमात्मा से कंबाइंड हूँ.. इस कनेक्शन में परमात्मा से सफेद रंग का प्रकाश मुझ अशरीरी आत्मा में समा रहा है.. मैं सम्पूर्ण रिलैक्स और अशरीरी अनुभव कर रही हूँ.. अभी देखेंगे यह सफेद प्रकाश नीचे संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहा है.. अनुभव करेंगे जैसे कि संसार की सर्व आत्माएं निराकारी ज्योति स्वरूप आत्माएं हैं.. उन्हें परमात्मा की किरणें मुझ द्वारा मिल रहीं हैं.. जिससे वे भी सम्पूर्ण अशरीरी महसूस कर रहीं हैं.. जैसे एक फाउंटेन की तरह मुझसे किरणें निकल इन स भी आत्माओं को मिल रहीं हैं.. अनुभव करेंगे कि मैं सिर्फ निमित्त हूँ... परमात्मा मेरे द्वारा इन आत्माओं को किरणें दे रहें हैं।  

ओम शांति।


17. मेडिटेशन कमेंटरी - सभी बिमारिओं से मुक्ति पाएँ।

ओम शांति।

बीमारी पर योग का प्रयोग - हम इस मेडिटेशन कमेंटरी को 2 भागों में बाटेंगे। पहले भाग में हम परमात्मा द्वारा किरणें ले पूरे शरीर के एक एक अंग को देंगे, जिससे कि जो भी रोग हो वो अपने आप धीरे-धीरे शांत होता है और रिकवरी तेज़ होती है। और दुसरे भाग में जैसे कि मुरली में आता है कि हमारे ये जो भी रोग अथवा कर्मभोग हैं, वो पूर्व जन्मों का हिसाब किताब है, तो क्षमा याचना द्वारा हम इस हिसाब किताब को हल्का करेंगे। चलिए शुरू करें। ओम शांति। स्थित करें अपने आप को मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट.... सम्पूर्ण पवित्र... एकाग्र करें अपने आप को इस आत्मिक स्थिति में। मैं बहुत ही लाइट महसूस कर रहा हूँ... जैसे कि ये शरीर है ही नहीं... बस मैं आत्मा ज्योति स्वरूप...... अभी बुद्धि रूपी नेत्र के सामने देखेंगे परमधाम में हमारे परमपिता परमात्मा शिवबाबा..... अखंड ज्योति स्वरूप...... एक गोल्डन किरणों का प्रकाश परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप से प्रवाहित हो मुझ आत्मा में समा रहा है..... अनुभव करेंगे पवित्र गोल्डन प्रकाश परमात्मा शिव से मुझ आत्मा में समा रहा है.... धीरे धीरे ये प्रकाश मस्तिष्क की तरफ फैल रहा है ... मस्तिष्क का हर सेल एक्टिवेट हो रहा है... मैं बहुत शांत महसूस कर रहा हूँ. .. अभी ये गोल्डन प्रकाश मुझ आत्मा से निकल नीचे शरीर के गर्दन.. दाएँ कंधे... दायाँ हाथ ... उसी तरह बायीं ओर में बाएँ कंधे ... बाएँ हाथ में प्रवाह हो रहा है.... धीरे धीरे ये प्रकाश मेरे हृदय ... फेफड़ों... पेट... आंतों... पीछे पूरे रीढ़ की हड्डी में ये प्रवाह हो रहा है... परमात्म किरणों का गोल्डन प्रवाह जिससे शरीर के आगे व पीछे के सारे मांसपेशियां रिलैक्स हो रहें हैं... बिल्कुल रिलैक्स फील करें... धीरे धीरे ये प्रवाह मेरे दाएं पैर... नीचे एड़ी व उँगलियों... उसी तरह बाएँ पैर के एड़ी व उँगलियों तक ये गोल्डन पवित्र किरणें फैल चुके हैं, जिससे बीमारियों के हर कीटाणु, हर नेगेटिविटी नष्ट हो रही है..... मैं बहुत शांत और हल्का फील कर रहा हूँ... जैसे कि ये शरीर है ही नहीं... बिल्कुल जैसे गोल्डन प्रकाश में शरीर की सारी बीमारियां नष्ट हो रहीं है.... मैं निरोगी बन रहा हूँ... सम्पूर्ण निरोगी.... अभी मैं आत्मा इस प्रकाश के शरीर में उड़ चली आकाश की ओर... चाँद तारों को पार कर पहुँच चुकी हूँ सूक्ष्म लोक में... बापदादा मेरे सामने... मुझे वरदान देते हुए बच्चे संपूर्ण निरोगी भव... प्रकृतिजीत भव... परमात्म दृष्टि मुझ पर पड़ रही है... फील करेंगे इस दृष्टि से प्रेम का हरे रंग का प्रकाश मुझमें समा रहा है... मेरा पूरा प्रकाश का शरीर अब हरा रंग का हो चुका है.... मैं सम्पूर्ण प्रेम स्वरूप बन चुका हूँ। अभी सूक्ष्म वतन में हम आह्वान करेंगे उन आत्माओं का, जिनको जाने अनजाने हमने किसी न किसी जन्म या शायद इसी जन्म में दुख दिया हो.... उनके लिए विघ्नों का रूप बने हो..... समस्या का रूप बने हो.... देखेंगे वे सर्व आत्माएं हमारे सामने इमर्ज ही चुकीं हैं.... अनुभव करेंगे बापदादा द्वारा प्रेम का प्रकाश मुझ आत्मा में समा कर इन सर्व आत्माओं को मिल रहा है..... इस प्रेम के प्रकाश में ये सर्व आत्माएं तृप्त हो रहीं हैं... हम दिल से इनसे क्षमा मांग रहें हैं... रिटर्न में हमें ये आत्माएं दुआएं दे रहीं हैं.... धीरे धीरे फील करें कि इन आत्माओं ने हमें सम्पूर्ण क्षमा कर दिया है.... और हम बहुत ही हल्का महसूस कर रहें हैं... अभी इमर्ज करेंगे हम उन आत्माओं को जिन्होंने किसी न किसी जन्म में या शायद इसी जन्म में जाने अनजाने हमें दुख दिया हो... हमारे लिए समस्याएं निर्माण किये हो या हमारे किसी न किसी कार्य में विघ्न-रूप बनें हो.... हम दिल से उन्हें क्षमा कर रहें हैं.... परमात्मा द्वारा प्रेम की किरणें मुझ आत्मा में समा कर इन सर्व आत्माओं को मिल रहीं हैं..... इन किरणों से वे बहुत ही तृप्त हो चुके हैं... और दिल से हमें दुआएं दे रहें हैं... इन सब पूर्व जन्मों के हिसाब किताब से मैं संपूर्ण लाइट हो रहा हूँ ....।  

ओम शांति।


18. जन्म जन्म की आत्माओं से हिसाब किताब चुक्तु करने की विधि - शक्तिशाली योग कमेंटरी - गाइडेड मेडिटेशन।

ओम शांति।

मस्तक के बीच मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... देखेंगे मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... अपने फरिश्ता रूपी प्रकाश के शरीर में... सम्पूर्ण पवित्र... फरिश्ता स्वरूप... अभी एक सेकंड में उड़ चलेंगे सूक्ष्म वतन में... बापदादा मेरे सामने.... मुझे प्यार भरी दृष्टि देते हुए.... उनके दृष्टि से गुणों की और शक्तियों की किरणें मुझ आत्मा में समा रहीं हैं... इन किरणों से मैं बहुत तृप्त महसूस कर रहा हूँ.... बापदादा मुझे वरदान दे रहें हैं - सम्पूर्ण पवित्र भव... बाप समान भव... मैं बहुत ही लाइट फील कर रहा हूँ... एक असीम शांति ... अतीन्द्रिय सुख... अभी सूक्ष्म वतन में हम अपने सामने उन आत्माओं को इमर्ज करेंगे जिनको हमने दुख दिया हो... शायद इसी जन्म में.. या शायद पिछले किन्हीं जन्मों में हमने इन आत्माओं को किसी न किसी रीति से दुख दिया हो... शायद क्रोध किया हो... संकल्पों में ईर्ष्या या घृणा रखी हो.. या किसी न किसी कर्म में उनके लिए विघ्न बनें हो.... इन आत्माओं को इमर्ज कर, प्यार भरी दृष्टि देते हुए मैं इन आत्माओं से क्षमा मांग रहा हूँ.... मुझे माफ कर देना... शायद प्रकृतिवश या किसी स्वभाव-संस्कार वश मैंने आपको दुख दिया... मैं दिल से आपसे क्षमा मांग रहा हूँ... प्यार की किरणें मुझसे इन सर्व आत्माओं पर पड़ रहीं हैं... और वे शांत हो रहीं हैं... और वे मुझे माफ कर दिल से दुआएं दे रहीं हैं.... अभी इमर्ज करेंगे हम उन आत्माओं को जिन्होंने किसी न किसी कारण से, शायद इसी जन्म में या शायद पिछले किन्हीं जन्मों में मुझे दुख दिया हो... मुझपे इन्होंने क्रोध किया हो... या किसी संकल्पों से दुख दिया हो... प्यार भरी दृष्टि देते हुए मैं इन आत्माओं को क्षमा कर रहा हूँ.... बिना शर्त माफ कर रहा हूँ..... मेरे मन में आपके लिए कोई भी नेगेटिव भाव नहीं है.... मुझ आत्मा से इन पर प्यार की किरणें पड़ रहीं हैं... वे बहुत ही तृप्त हो रहीं हैं... हमने दिल से इन्हें क्षमा कर दिया है.... संकल्पों के सभी बंधन टूट चुके हैं..... मेरे पूरे नेगेटिव हिसाब किताब समाप्त हो चुके हैं... ये सर्व आत्माएं मेरे भाई बहन हैं... अभी इमर्ज करेंगे हम उन आत्माओं को जिन्होंने किसी न किसी मुश्किल घड़ी में जब मुझे ज़रूरत थी, तब मुझे सहयोग किया था... मुझे मदद की थी... वो चाहे धन के रूप में या कार्य में सहयोग किया था... या किसी न किसी कार्य में हमारा मनोबल बढ़ाने में ये निमित्त बनी थीं... मैं इन सर्व आत्माओं को प्यार भरी दृष्टि देते हुए शुक्रिया कह रहा हूँ... बहुत बहुत शुक्रिया। ऐसे ही हम संसार की सर्व आत्माओं को सूक्ष्म वतन में इमर्ज कर रहें हैं... और प्यार की दृष्टि दे रहें हैं... देखेंगे संसार की सर्व आत्माएं, प्रकृति के पांचो तत्वों को मुझसे प्यार की किरणें मिल रहीं हैं... और ये सुख शांति का अनुभव कर रहें हैं....।  

ओम शांति।


19. सुख, समृद्धि, सेहत और सफलता के लिए सुबह उठकर ये सुनें - सब कुछ अच्छा होगा! Powerful Morning Affirmations!

ओम शांति।

जैसा हम सोचेंगे वैसा हम बनते जाएंगे। What we think we become! अभी आंखें बंद करेंगे और एक-एक शब्द को गहराई से फील करेंगे, उनको महसूस करेंगे। सबसे पहले हम शुक्रिया करेंगे परमात्मा का आज के दिन के लिए! अब संकल्प करें - आज का दिन बहुत अच्छा होगा ! मैं संपूर्ण सुखी और स्वस्थ हूं ! मैं हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस से भरपूर हूं ! परमात्मा हमेशा मेरे साथ हैं ! मैं निर्भय हूं ! सुरक्षित हूं ! मैं एक विशेष आत्मा हूं ! मैं एक महान आत्मा हूं ! मेरा स्वभाव शांत है ! मैं बुद्धिमान हूं ! मैं हर कार्य में सही निर्णय लेता हूं और सफलता प्राप्त करता हूं ! मैं पास्ट के सभी आत्माओं के गलतियों को क्षमा करता हूं.. और जाने अनजाने मुझसे कोई दुखी हुआ हो, तो उनसे क्षमा मांगता हूं ! मैं सर्वशक्तिवान परमात्मा की सन्तान हूं ! मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं ! मेरे लिए कुछ भी असंभव नहीं है ! मैं हर असंभव कार्य को संभव कर सकता हूं ! मैं बहुत शक्तिशाली हूं ! मैं निर्भय हूं ! मैं हर कार्य में सफल हूं ! मैं बहुत धनवान हूं ! मैं परमात्म ब्लेसिंग्स और वरदानों से भरपूर हूं ! मैं परमात्मा के सर्व गुणों और शक्तियों से संपन्न हूं ! मैं अपने सर्व रिश्तों को, सर्व संबंधों को और सर्व आत्माओं को शुक्रिया करता हूं ! उन्हें दिल से दुआएं देता हूं ! मेरे सर्व रिश्ते बहुत अच्छे हैं ! मेरे संबंध संपर्क की और परिवार की सभी आत्माएं बहुत अच्छी हैं, प्यारी हैं ! मैं इस संसार में परमात्मा का भेजा हुआ एक फरिश्ता हूं ! मुझसे निरंतर शांति के प्रकंपन चारों ओर फैल रहे हैं ! मुझसे सभी आत्माओं को शांति का दान हमेशा मिलता है ! मुझसे प्रकृति के पांचों तत्वों को भी शांति के वाइब्रेशन सदैव मिलते हैं ! मुझ फरिश्ता को संसार की सर्व आत्माओं को प्यार देना है ! संसार की सभी आत्माएं मुझे दुआएं देते हैं ! परमात्मा की दुआएं और शक्तियां सदैव मेरे साथ हैं ! आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा ! आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा ! आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा !  

ओम शांति।


20. निराकारी, फरिश्ता स्वरूप और कंबाइंड स्वरूप की 3 मिनट की ड्रिल - मेडिटेशन योग कमेंटरी।

ओम शांति।

मस्तक के बीच मैं आत्मा... एक पॉइंट ऑफ लाइट... अनुभव करेंगे मैं ये शरीर नहीं हूँ... एक निराकारी ज्योति स्वरूप आत्मा हूँ... सम्पूर्ण पवित्र... बेदाग हीरा... बहुत ही शांत स्वरूप... सम्पूर्ण विदेही.... अशरीरी... एक पॉइंट ऑफ लाइट... निराकारी ज्योति स्वरूप....... अभी एक सेकंड में मैं आत्मा फरिश्ता स्वरूप ड्रेस पहन उड़ चली सूक्ष्मवतन की ओर..... सामने बापदादा..... मुझ फरिश्ता को दृष्टि देते हुए मुस्कुरा रहें हैं... उन्होंने अभी अपना हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... उनसे सम्पूर्ण पवित्रता की किरणें मुझ फरिश्ता में समा रही हैं... और वे मुझे वरदान दे रहे हैं - सदा खुश भव... सदा सुखी भव... अभी एक सेकंड में मैं आत्मा इस फरिश्ता चोला को छोड़ उड़ चली परमधाम... फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा... ज्योति स्वरूप.... उनके साथ मैं आत्मा.. उनके बहुत करीब.. कंबाइंड... शिव परमपिता की किरणें मुझ आत्मा में समा रहीं हैं... उनके किरणों से मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म नष्ट हो रहें हैं... मैं सम्पूर्ण पावन बन रही हूँ... फील करेंगे यह लवलीन अवस्था.... कंबाइंड स्वरूप......

ओम शांति।


21. मनसा सेवा करने की 3 विधियां।

ओम शांति।

1. स्थित करें अपने आप को मस्तक के बीच... मैं आत्मा... ज्योति स्वरूप... पॉइंट ऑफ लाइट... अभी मैं आत्मा उड़ चली आकाश की ओर... धीरे धीरे आकाश, चांद, तारों को पार कर मैं ज्योति स्वरूप आत्मा, सूक्ष्म वतन को भी पार कर पहुँच चुकी हूं परमधाम में .... देखें परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप मेरे साथ कंबाइंड रूप में... शिव परमात्मा से शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा में पड़ रहीं हैं.... शांति की किरणें परमात्मा शिवबाबा से निकल मुझ आत्मा में समा कर नीचे सारे विश्व में फैल रहीं हैं... देखेंगे शांति की किरणें नीचे पूरे ब्रह्माण्ड को शांत कर रहीं हैं... अग्नि.. वायु.. आकाश.. जल.. पृथ्वी.. ये प्रकृति के पांचो तत्व असीम शांति का अनुभव कर रहें हैं... अभी देखेंगे पृथ्वी पर 800 करोड़ आत्माएं यह शांति की किरणें महसूस कर रहीं हैं... और शांत हो रहीं हैं... परमात्मा बाप शांति का सागर, मैं आत्मा मास्टर शांति का सागर... सम्पूर्ण विश्व को शांति का दान दे रहा हूँ....

2. अभी मैं आत्मा, शिवबाबा के साथ कंबाइंड.. चली नीचे सूक्ष्म वतन की ओर ... देखेंगे सूक्ष्म वतन में अव्यक्त बापदादा कंबाइंड स्वरूप में... मुझे वरदान देते हुए - बच्चे अशरीरी भव... अभी कंबाइंड हो जाएंगे बापदादा के साथ.. मैं फरिश्ता... देखेंगे बाबा के मस्तक से प्रेम की किरणें निकल मुझ फरिश्ता के मस्तक बिंदु में समा रहीं हैं.... बाबा प्यार का सागर है और मैं मास्टर प्यार का सागर हूँ... देखेंगे ये किरणें बाबा से निकल मुझमें और मुझसे निकल सामने इमर्ज करेंगे हम प्रकृति के पांचो तत्वों को - अग्नि, वायु, आकाश, जल और पृथ्वी... ये भी एक लाइट के स्वरूप में देखेंगे.... इनके साथ हम इमर्ज करेंगे संसार की सर्व 800 करोड़ आत्माओं को... उन्हें भी हम प्यार की किरणों का दान देंगे... यह आत्माएं बहुत ही तृप्त महसूस कर रहीं हैं... सम्पूर्ण प्रेममयी........

3. अभी मैं आत्मा फरिश्ता स्वरूप में... बापदादा के साथ हाथों में हाथ ले चली पृथ्वी की ओर... देखेंगे मैं फरिश्ता नीचे उतर रहा हूँ.. आकाश चांद तारों को पार कर नीचे अवतरित हूँ ग्लोब पर ... बापदादा से कंबाइंड... अभी फील करेंगे बाबा से शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा कर सारे ग्लोब पे जा रही है.... शक्तियों की किरणें सम्पूर्ण प्रकृति को मिल रही हैं... संसार की सर्व आत्माओं को शक्ति मिल रही है... जिससे वे शक्तिशाली और निर्भय महसूस कर रहीं हैं... उन्हें सभी परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिल रही है ... वे दिल से मुझ फरिश्ता को दुआएं दे रहीं हैं......ओम शांति। इस तरह हम मनसा सेवा तीनों लोक - परमधाम, सूक्ष्म वतन और साकार वतन में से कर सकते हैं.... दिन में यह ड्रिल पांच मिनट, 4 से 5 बार करनी है जिससे बाबा ने जैसा मुरलियों में कहा है, मनसा सेवा करने से हमारे पूर्व जन्मों के विकर्म भी विनाश होंगे, हम पावन भी बनेंगे और हमारे दुआओं का खाता भी जमा होगा...जिससे हम सतयुगी सृष्टि में ऊंच पद प्राप्त करेंगे।  

ओम शांति


22. कोई एक आत्मा को परिवर्तन करने की विधि - योग कमेंटरी

ओम शांति।

परमात्मा शिवबाबा मुरलियों में हमें एक बहुत सुंदर रहस्य बताते हैं कि जिन आत्माओं को हम सकाश देंगे, रिटर्न में वे आत्माएं हमें दिल से दुआएं देंगी। बाबा कहते हैं कि आपकी शुभ भावना से आप किसी क्रोधी को भी परिवर्तित कर सकते हो, कोई विरोधी आत्मा को भी परिवर्तित कर सकते हो.. यदि कोई आत्मा इस जीवन में हमारे विरोधी बनते हैं या कोई टकराव होता है तो इसका कारण होता है- हमारे पिछले कर्मों का खाता। शायद यह खाता हमने इसी जन्म में बनाया हो या किसी पिछले जन्म का हो... अब इस नेगेटिव खाते को हमें पॉजिटिव एनर्जी से समाप्त करना है... जितना जितना हम सकाश देंगे, सामने वाली आत्मा की नेगेटिव एनर्जी उतना ही समाप्त हो, उनके मन में हमारे लिए शुभ भावना दिल से निकलेगी... चलिए अनुभव करते हैं। सेट करेंगे अपने आप को... मैं आत्मा मस्तक के बीच... एक पॉइंट ऑफ लाइट... शांत.. ज्योति स्वरूप... स्वराज्य अधिकारी.... अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक... मुझ आत्मा का प्रकाश सारे शरीर में फैल रहा है... मैं सम्पूर्ण लाइट, फरिश्ता हूँ... देखेंगे मैं फरिश्ता एक सेकंड में पहुँच गया सूक्ष्म वतन में... बापदादा मेरे सामने... मेरे सिर पर हाथ रख रहें हैं.... उनके हाथों से शक्तिशाली पवित्रता की किरणें मुझमें समा रहीं हैं... और मुझे वरदान दे रहें हैं - बच्चे सम्पूर्ण पवित्र भव... सदा सुखी भव... उनकी किरणों से मैं बहुत ही तृप्त महसूस कर रहा हूँ... एक संपूर्ण परमानंद की स्थिति.... इस सूक्ष्म वतन में हम इमर्ज करेंगे उस आत्मा को जो किसी न किसी कार्य में हमारे विरोधी हैं... शायद उन्होंने हम पर कभी क्रोध किया हो या कोई कारण से उनके मन में हमारे लिए कोइ नेगेटिव भाव हो... देखेंगे बापदादा से प्रेम की किरणें निकल मुझ फ़रिश्ता में समा कर इस आत्मा को मिल रहीं हैं... सम्पूर्ण प्यार भरी दृष्टि देते हुए हम इनसे क्षमा मांग रहें हैं- जाने अनजाने हमने आपको दुख दिया है... हम आपसे क्षमा मांग रहे हैं... हमें माफ कर दीजिए... इसी प्रकार से हम भी इनको क्षमा कर देंगे... इनके कोई भी व्यवहार से हम प्रभावित न हो इन्हें क्षमा कर रहें हैं... 2 मिनट तक इनको प्यार भरी दृष्टि देते हुए सकाश देंगे..... इसी प्रकार हम इमर्ज करेंगे सूक्ष्म वतन में संसार की सर्व आत्माओं को.... सर्व आत्माओं को प्यार भरी दृष्टि देते हुए अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा कर, इन सर्व आत्माओं को मिल रहीं हैं... इसी प्रकार जितना जितना हम आत्माओं की मनसा सेवा करेंगे, रिटर्न में हमें इनकी दुआएं प्राप्त होंगी... हमारा दुआओं का खाता जमा होगा... हमारे पुण्य का खाता जमा होगा... इसी से हमारा जीवन निर्विघ्न बनेगा..... हमें किसी भी कार्य में कष्ट अनुभव नहीं होगा.... हमारा हर कार्य सिद्ध होगा.... बहुत सहज विधि से हमारा हर कार्य पूर्ण होगा... हमारा पूरा जीवन संपूर्ण मायाजीत, विजयी‌ और निर्विघ्न बनेगा.....।

ओम शांति।


23. ईविल सोल, नेगेटिविटी और सर्व विघ्न व समस्याओं से अपने घर को सुरक्षित करें - सुरक्षा कवच योग कमेंटरी।

ओम शांति।

स्थित हो जाएं अपने सीट पे... मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप... मस्तक सिंहासन पे स्थित... एक चमकता सितारा... एक पॉइंट ऑफ लाइट... शांति के सागर परमपिता परमात्मा की संतान... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल मेरे सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर मे फैल रहीं हैं... मैं एक शांति का फरिश्ता हूँ... स्वयं भगवान की संतान.. मैं एक अवतरित फरिश्ता हूँ... अभी बुद्धि को एकाग्र करेंगे परमधाम में... शिवबाबा ज्योति स्वरूप... उनका हम दिल से अपने घर में आह्वाहन कर रहे हैं.... अनुभव करेंगे धीरे धीरे शिवबाबा नीचे उतर रहें हैं... आ गए सूक्ष्म वतन में.. ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त फरिश्ता स्वरूप में... अभी बापदादा दोनों हमारा आह्वान स्वीकार करके नीचे आ रहें हैं.... आ गए हमारे घर में... मेरे सम्मुख.... बापदादा हमें प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं.... अभी अनुभव करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.... और इन हाथों से शक्तियों का लाल प्रकाश मुझमें समा रहा है.... और मुझे वरदान दे रहें हैं - मास्टर सर्वशक्तिवान भव... विघ्नविनाशक भव... सदा निर्भय भव... मास्टर सर्वशक्तिवान भव... विघ्नविनाशक भव... सदा निर्भय भव.... अभी इन शक्तियों का लाल प्रकाश मेरे सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रहा है... मेरा लाइट का शरीर सम्पूर्ण लाल प्रकाशमय हो चुका है... यह दिव्य शक्तियां मुझे परमात्मा से वरदान में मिली हैं... अभी धीरे धीरे यह शक्तियां मुझ फरिश्ता से निकल मेरे पूरे घर में फैल रहीं हैं... हर एक कमरे में, घर के कोने कोने तक यह किरणें फैल चुकी हैं... यह जैसे सम्पूर्ण घर लाल प्रकाश से जगमगा उठा है... यह परमात्मा की लाल प्रकाश की दिव्य किरणें सम्पूर्ण घर में फैल रहीं हैं.... और घर में एक सुरक्षा कवच बना रहीं हैं.... अनुभव करेंगे जैसे बाबा ने एक गोल घेरा निकाल दिया हो सम्पूर्ण घर में... एक लाल प्रकाश का घेरा... जिसमें इस घर का वायुमंडल शक्तिशाली बन रहा है..... भगवान ने मुझे वरदान दिया है - मास्टर सर्वशक्तिवान भव... विघ्नविनाशक भव.... भगवान की यह दिव्य किरणें निरंतर इस घर की रक्षा करेगी... और इस परिवार में जो भी सदस्य हैं, वो सदा शक्तिशाली रहेंगे, निर्विघ्न रहेंगे और निर्भय रहेंगे... संसार की कोई भी नेगेटिविटी का प्रभाव इस घर में नहीं होगा.... मैं और हमारा परिवार सदा सुरक्षित है... स्वयं भगवान ने हमें ये वरदान दिया है - सदा निर्भय भव... सदा सुरक्षित भव.... यदि कोई आत्मा हमारे प्रति नेगेटिव भी सोचें तो भी उसका प्रभाव हम पे नहीं होगा..... इसी प्रकार संसार का कोई भी विघ्न, नेगेटिविटी या समस्या हम पे असर नहीं करेगी... यह घर भगवान का घर है... और हम आत्माएं भगवान की संतान हैं... और जहां बाप साथ है वहां कोई कुछ कर नहीं सकता....जहां भगवान साथ है वहां हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है... हम सदा निर्विघ्न और विजयी बनेंगे... भगवान अपने बच्चों को सदा तन से, मन से और धन से सहज रखेगा - यह बाप की गारंटी है।  

ओम शांति।


24. फरिश्ता स्वरूप का अनुभव - फरिश्ता स्थिति का अभ्यास - बहुत सुन्दर योग कमेंटरी - पावरफुल मेडिटेशन।

ओम शांति।

सेट करेंगे अपने आप को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट... सम्पूर्ण पवित्र... एक ज्योति स्वरूप... अभी अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से पवित्रता का प्रकाश निकल मेरे सारे शरीर में फैल रहा है.... देखेंगे यह प्रकाश ऊपर मस्तिष्क से लेकर नीचे पैरों तक फैल चुका है... धीरे धीरे मेरा ये स्थूल शरीर सम्पूर्ण लोप हो रहा है... बची मैं आत्मा अपने प्रकाश के शरीर में... अपने सूक्ष्म शरीर में... फरिश्ता स्वरूप में... मैं आत्मा इस धरा पे एक अवतरित फरिश्ता हूँ... मैं एक संपूर्ण पवित्र फरिश्ता हूँ... अभी मैं फरिश्ता उड़ चला ऊपर आकाश की ओर.... अनुभव करेंगे चाँद तारों आकाश को पार कर मैं ऊपर उड़ते जा रहा हूँ...... पहुँच गया अब मैं सूक्ष्म वतन में.... चारों ओर सफेद प्रकाश ..... सामने मेरे बापदादा... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं... और मुझे गले लगा रहें हैं... बापदादा ने अपना हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... और मुझे वरदान दे रहें हैं - सम्पूर्ण पवित्र भव... सदा सुखी भव.... अनुभव करेंगे उनके हाथों से पवित्रता का प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है... मैं एक संपूर्ण पवित्र फरिश्ता हूँ.... भगवान ने मुझे इस सृष्टि परिवर्तन के कार्य में अपना राइट हैंड बनाया है... मैं एक भाग्यवान आत्मा हूँ... कोटों में कोई और कोई में भी कोई.... अभी सामने इमर्ज करेंगे हम संसार की सर्व आत्माओं को... उन्हें दृष्टि देते हुए अनुभव करेंगे - बापदादा से पवित्रता का प्रकाश निकल, मुझमें समा कर इन सर्व आत्माओं को मिल रहा हैं.... पवित्रता सुख व शांति की जननी है। पवित्रता की किरणें प्राप्त कर संसार की सर्व आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रहीं हैं... संसार की सर्व आत्माएं सर्व दुखों से मुक्त हो रहीं हैं... किरणें देते देते मैं फरिश्ता उड़ चला नीचे सृष्टि की ओर.....मुझ फरिश्ता से एक पवित्रता का प्रकाश सम्पूर्ण संसार में फैल रहा है.... अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता पृथ्वी के ऊपर विराजमान हूँ.... मुझसे पवित्रता का प्रकाश निकल प्रकृति के पांचो तत्वों को प्राप्त हो रहा है.... अग्नि, वायु, आकाश, जल और पृथ्वी... यह पांचो ही तत्व और संसार की सर्व आत्माएं पावन हो रहे हैं.... और संसार की सर्व आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रहें हैं.... मैं भगवान का भेजा हुआ एक फरिश्ता हूँ... अभी अनुभव करेंगे संसार में जिन जिन आत्माओं को परमात्मा का संदेश नहीं मिला है उन्हें हम मैसेज दे रहें हैं - हे आत्माओं, आओ परमात्मा अभी सृष्टि परिवर्तन का कार्य कर रहें हैं। उनसे कनेक्शन जोड़ उन्हें याद कर अपना भाग्य बनाएं.....।

ओम शांति।


25. सारे विश्व को सकाश देने की विधि - पावरफुल योग कमेंटरी - मनसा सेवा।

ओम शांति।

सेट करेंगे अपने आप को मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... स्वराज्य अधिकारी... मुझ आत्मा से एक सफेद प्रकाश निकल मेरे सारे शरीर मे फैल रहा है.... अभी धीरे धीरे ये सम्पूर्ण शरीर लोप हो रहा है... बची मैं आत्मा अपने प्रकाश के शरीर में, अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक शांति का फरिश्ता हूँ.... अभी बुद्धि ले जाएंगे परमधाम में, परमपिता परमात्मा शिवबाबा.. शांति के सागर शिवबाबा से शांति की किरणें सारे विश्व में फैल रही हैं.... अनुभव करेंगे शिव ज्योति स्वरूप से शांति का प्रवाह नीचे मुझ आत्मा की समाते जा रहा है... एक फाउंटेन की तरह ये शांति की किरणें शिवबाबा से निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.... मैं एक शांति का फरिश्ता हूँ.... अभी मुझसे ये शांति की किरणें सारे विश्व में फैल रहीं हैं... पांचो ही तत्व व संसार की सर्व आत्माएं इन किरणों से शांति का अनुभव कर रहीं हैं.... मैं एक लाइट हाउस, पीस हाउस हूँ.... भगवान ने मुझे सारे विश्व में शांति की किरणें सकाश देने के निमित्त बनाया है। मैं एक अवतरित फरिश्ता हूँ। अभी मैं फरिश्ता उड़ चला ऊपर की ओर... उड़ते उड़ते आकाश, चाँद, तारों, सारे ग्रहों को दृष्टि देते देते मैं पहुँच गया सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश.... एक असीम शांति का अनुभव... बापदादा मेरे सामने... मुझे गले लगा रहें हैं... मुझे मीठी दृष्टि दे रहें हैं..... उनकी दृष्टि से एक शांति का प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समा रहा है..... बापदादा मुझे वरदान दे रहें हैं - सम्पूर्ण पवित्र फरिश्ता भव... विश्व कल्याणकारी भव... इन वरदानों की प्राप्ति से मैं बाप समान शांति दाता विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ.... अभी अनुभव करेंगे सुक्ष्म वतन में हम इमर्ज कर रहें हैं प्रकृति के पांचो तत्वों को... फील करेंगे बापदादा के मस्तक से शांति की किरणें निकल मुझ फरिश्ता में समा कर इन पांचों तत्वों को मिल रही हैं... एक एक करके इन पांचों को इमर्ज करेंगे - अग्नि, वायु, जल, आकाश, पृथ्वी.. यह पांचो ही तत्व सम्पूर्ण शांत हो रहें हैं... अभी इनके साथ इमर्ज करेंगे हम संसार की सर्व आत्माओं को... इन आत्माओं को भी हम शांति का दान दे रहें हैं... जैसे बाप शांति के सागर हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर शांति का सागर हूँ.... अभी धीरे धीरे मैं आत्मा सूक्ष्म शरीर को समेट कर उड़ चला ऊपर परमधाम में... शान्तिधाम में... चारों तरफ लाल प्रकाश..... अनुभव करेंगे शिवबाबा के एकदम पास .... उनसे शांति की किरणों का प्रवाह मुझ आत्मा में सामते जा रहा है... मैं एक असीम शांति का अनुभव कर रहा हूँ... उनसे शांति की किरणें निकल मुझमें समा कर नीचे सारे संसार को मिल रहीं है... पांचो ही तत्व, संसार की सर्व 800 करोड़ आत्माएं इन शांति की किरणों को महसूस कर रहीं हैं..... वे बहुत ही तृप्त हो रहीं हैं... इन किरणों की प्राप्ति कर वे हमें दिल से दुआएं दे रहें हैं... मुझसे शांति की किरणों का प्रवाह संसार के हर धर्म के पत्तों पत्तों को मिल रहा है..... मैं संसार रूपी वृक्ष का बीज हूँ... परमात्मा शिवबाबा बीज, मैं मास्टर बीजरूप। इन शांति की किरणों से यह सम्पूर्ण वृक्ष शांत हो चुका है... संसार की सर्व आत्माएं एक असीम शांति का अनुभव कर रहीं हैं... किरणें देते देते मैं आत्मा परमधाम से नीचे उतर रहा हूँ.... सूक्ष्मवतन में अपने फरिश्ता स्वरूप में... बापदादा के साथ अनुभव करेंगे उनके हाथों में हाथ डाल के हम दोनों नीचे उतर रहें हैं.... इस संसार की ओर... बापदादा और मुझसे शांति की किरणों का प्रवाह इस संसार को मिल रहा है.... अभी देखेंगे बापदादा के साथ मैं इस ग्लोब पे विराजमान हूँ... बापदादा से और मुझ फरिश्ता से शांति की किरणें सम्पूर्ण ग्लोब को मिल रही है.... सम्पूर्ण पृथ्वी, जल तत्व शांत हो चुके हैं... अभी अनुभव करेंगे ग्लोब से घिरा हुआ ये वायु तत्व हमारी किरणों से सम्पूर्ण शांत हो रहा है... इसी प्रकार ऊपर सम्पूर्ण आकाश, सूर्य, अग्नि तत्व सम्पूर्ण शांत हो चुके हैं... मैं एक शांति का फरिश्ता हूँ, एक पीस हाउस..... मैं भगवान का भेजा हुआ एक फरिश्ता हूँ... मैं बस निमित्त हूँ... उनके सृष्टि परिवर्तन के कार्य मे राइट हैंड बना हूँ.... अनुभव करेंगे पांचो तत्वों के साथ संसार की सर्व आत्माएं सम्पूर्ण शांत स्थिति में स्थित हैं... इसी प्रकार हर कर्म में मैं एक शांति का फरिश्ता बनके, अव्यक्त स्थिति में कर्मयोगी बनके कार्य करूँगा.... इस सृष्टि की सर्व आत्माओं को मुझ से फरिश्ता रूप का साक्षात्कार होगा। जो भी आत्माएं हमें मिलेंगी उन्हें हमारी दृष्टि से, बोल से, कर्म से शांति प्राप्त होगी.. और हमें वे दिल से दुआएं देंगी।

ओम शांति।


26. सवेरे परमात्मा से लेने हैं ये 2 वरदान - पवित्रता बनेगी नेचुरल, जीवन बनेगा निर्विघ्न - योग कमेंटरी।

ओम शांति।

स्थित करें अपने आप को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. देखेंगे मैं आत्मा अपने फरिश्ता रूपी ड्रेस में... मुझ आत्मा से पवित्रता का प्रकाश मेरे सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रहा है... मैं एक अवतरित फरिश्ता हूँ... परमात्मा की संतान हूँ... अभी एक सेकंड में उड़ चलेंगे सूक्ष्म वतन में.. चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने देखेंगे बापदादा... मुझे प्यार भरी दृष्टि दे रहें हैं... उन्होंने अपना हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... उनके हाथों से पवित्रता की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा कर, सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रहीं हैं... इन किरणों से मैं सम्पूर्ण पावन बन रहा हूँ... देखेंगे धीरे धीरे मैं आत्मा सम्पूर्ण पावन बन चुका हूँ... एक डिवाइन एंजेल... एक अवतरित फरिश्ता... अभी बापदादा मुझे वरदान दे रहें हैं - बच्चे सम्पूर्ण पवित्र भव.. बच्चे सम्पूर्ण आत्मिक दृष्टि भव... बच्चे सम्पूर्ण पवित्र भव... बच्चे सम्पूर्ण आत्मिक दृष्टि भव... इस वरदान से मुझे हमेशा स्मृति रहेगी कि मैं आत्मा हूँ.. और संसार की सर्व आत्माएं मेरे भाई हैं... आज से मुझे सम्पूर्ण आत्मिक दृष्टि का वरदान मिला है! आज से शरीर को देखते हुए न देख, भृकुटि के मध्य स्थित आत्मा मुझे दिखेगी... बाबा कहते हैं - शरीर को देखेंगे तो विघ्न पड़ेंगे... शरीर को न देख आत्मा देखेंगे, फरिश्ता देखेंगे तो आपको विघ्न नहीं पड़ेंगे.. आप निर्विघ्न बन जाएंगे.. बाबा कहते हैं शरीर में विकारी करंट हैं, इसलिए शरीर को न देख हमें आत्मा देखना है... आत्मिक दृष्टि से हमारा पवित्रता का बल बढ़ता है... हमारा योगबल बढ़ता है... हमारी एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है ... जितना जितना हम इस आत्मिक दृष्टि को प्रैक्टिस करेंगे, उतना उतना यह दृष्टि, यह प्रैक्टिस हमारी नेचुरल हो जाएगी।  

ओम शांति।


27. साकारी-आकारी-निराकारी की 3 मिनट की ड्रिल - मेडिटेशन योग कमेंटरी - योग की गहन अनुभूति।

ओम शांति।

मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... स्थित हूँ अपने मस्तक के बीच... अपने साकार शरीर में... मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र... स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक... मुझ आत्मा से पवित्रता की किरणें निकल सारे शरीर में फैल रहीं हैं.... अभी एक सेकंड में मैं आत्मा उड़ चली सूक्ष्म वतन में... अपने फरिश्ता स्वरूप में.. अपने आकारी स्वरूप में.... बापदादा मेरे सामने... मुझे प्यार भरी दृष्टि देते हुए मुझे वरदान दे रहे हैं - बच्चे श्रेष्ठ योगी भव.. श्रेष्ठ योगी भव... इस वरदान से मेरी बुद्धि एकाग्र होगी और परमात्मा शिव सदा मुझसे कंबाइंड रहेंगे... एकाग्र बुद्धि से मेरा जीवन निर्विघ्न बनेगा.. मेरा हर कार्य सफल होगा.. अभी एक सेकंड में पहुच जाएं अपने घर परमधाम में... चारों तरफ सुनहरा लाल प्रकाश... परमात्मा शिवबाबा मेरे पास... उनसे शक्तियों की किरणें निकल मुझ निराकारी आत्मा में समा रही है... जैसे परमात्मा सर्वशक्तिवान हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ......।  

ओम शांति।


28. पानी और भोजन को चार्ज करने की विधि - योग कमेंटरी।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट... सम्पूर्ण पवित्र.. अनुभव करेंगे पवित्रता की किरणें मुझ आत्मा से निकल, मेरे सारे सूक्ष्म शरीर में फैल रहीं हैं... और दृष्टि से भोजन में और पानी में समा रहीं हैं... अभी अनुभव करेंगे परमधाम से शिवबाबा ज्योति स्वरूप नीचे उतर रहें हैं... वे आ गए सूक्ष्म वतन में... ब्रह्मा बाबा के साथ... देखेंगे बापदादा नीचे उतर रहें हैं... वे आ चुके हैं हमारे घर में... मेरे सामने... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं... उनकी दृष्टि से पवित्रता का प्रकाश निकल, सम्पूर्ण भोजन और पानी को मिल रहा है... सम्पूर्ण भोजन और पानी में समा रहा है... जिससे ये भोजन सम्पूर्ण पवित्र और शक्तिशाली बन रहा है... अभी बापदादा को हम भोजन स्वीकार कराएंगे... भोजन के साथ अनुभव करेंगे हम बापदादा को पानी स्वीकार करा रहें हैं.... अभी ये भोजन सम्पूर्ण पवित्र और शक्तिशाली बन चुका है... अभी ये भोजन जो भी स्वीकार करेंगे, उनके मानसिक और तन के सर्व रोग नष्ट होंगे.. उनके संकल्प सम्पूर्ण पवित्र बनेंगे। मुरली में बाबा ने कहा है कि भोजन योगयुक्त बनाना और योगयुक्त हो कर खाना, इससे ही हमारी 50% प्यूरिटी सम्पन्न हो जाएगी, यानी 50% पुरुषार्थ हमारा यहां ही कम्पलीट हो जाएगा। इसी प्रकार भोजन करते समय हमें भिन्न भिन्न योग के अभ्यास करने हैं... कभी हम अनुभव करेंगे हम बापदादा के सामने भोजन स्वीकार कर रहें हैं, कभी हम बापदादा को खिला रहें हैं.. कभी बापदादा हमको खिला रहें हैं.. हम यह भी अनुभव कर सकते हैं कि भोजन करते समय पवित्रता की किरणें निकल मेरे सारे घर में फैल रहीं हैं... और धीरे-धीरे सारे संसार मे फैल रही है...। भोजन करते समय हम बापदादा से रूह रिहान भी कर सकते हैं.. इसी प्रकार अलग अलग रमणीक अनुभवों में हमें भोजन को स्वीकार करना है... हमें यह याद रखना है कि जैसे मेरे संकल्प होंगे, वैसे ही मेरी वृत्ति होगी... जैसे शांत स्वरूप या शक्ति स्वरूप या पवित्र स्वरूप.. और उस वृत्ति से वायुमंडल शुद्ध बनेगा और वह भोजन ग्रहण करके हमारे विचार भी वैसे ही पवित्र व शुद्ध बनेंगे।  

ओम शांति।


29. शक्तिशाली अमृतवेला - बहुत सुन्दर योग - पावरफुल अमृतवेला मेडिटेशन कमेंटरी।

ओम शांति।

स्थिर करेंगे अपनी बुद्धि को मस्तक सिंहासन पे... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक... स्वराज्य अधिकारी... ये देह मेरा एक वस्त्र है... इस विश्व में रोल प्ले करने के लिए मैंने यह ड्रेस धारण किया है.... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ! सम्पूर्ण पवित्र... सम्पूर्ण सुख स्वरूप.... मुझ आत्मा से पवित्रता का प्रकाश निरंतर चारों ओर फैल रहा है... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से पवित्रता का प्रकाश मेरे सम्पूर्ण देह में फैल रहा है... ऊपर मस्तिष्क से लेकर नीचे पैरों तक यह प्रकाश फैल चुका है... धीरे धीरे यह सम्पूर्ण देह लोप हो चुका है... बची मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में... अपने सूक्ष्म शरीर में.... अभी मैं फरिश्ता पहुंच गया हूँ सूक्ष्म वतन में... चारों ओर सफेद प्रकाश... सामने बापदादा मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं... बापदादा ने अभी मुझे गले लगा लिया है... बहुत ही सुखद अनुभूति है ये... रूह रिहान करेंगे बाबा के साथ.... "बाबा आपको पाने के लिए हमने जन्म जन्मांतर भक्ति की है... और इस कलियुग के अंत में आपने हमें अपना बना लिया! हम दिल से आपका शुक्रिया करते है! कोटो में भी कोई, कोई में भी कोई वह भाग्यवान आत्मा आपने हमें बना लिया!" अभी सर्व बोझ, सर्व संकल्प, सर्व समस्याएं बाप को अर्पित कर दें... और सम्पूर्ण बोझमुक्त फरिश्ता स्थिति में सेट हो जाएं... अभी बापदादा ने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.... और मुझे वरदान दे रहें है - बच्चे अशरीरी भव... विजयी भव... बाप समान भव..... इन वरदानों की प्राप्ति से बापदादा ने मुझे भरपूर कर दिया है... मैं एक वरदानी मूर्त आत्मा हूँ... भगवान का हाथ मेरे सिर के ऊपर हमेशा रहेगा। अभी अपना सूक्ष्म शरीर समेट कर मैं आत्मा पहुँच गयी हूँ परमधाम में.... बाप के सम्पूर्ण समीप... एकदम नज़दीक आ पहुँची हूँ... शिवबाबा से निरंतर एक दिव्य प्रकाश मुझ आत्मा में समा रहा है... मैं सम्पूर्ण निराकारी बीजरूप अवस्था में बाबा से कंबाइंड हूँ.... और निरंतर उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें अपने में समाती जा रहीं हूँ... ओहो! कितनी सुखद अनुभूति है ये! मैं सम्पूर्ण परमानंद की स्थिति में स्थित हूँ। कोई संकल्प नहीं....बस किरणों में नहाते जा रही हूँ... किरणें मुझमें समाती जा रही हैं...... इन किरणों की प्राप्ति से मैं सम्पूर्ण पावन बन रही हूँ.... सम्पूर्ण पवित्र..... मेरे जन्म जन्मांतर के जाने अनजाने में किये गए विकर्म सब नष्ट हो रहें हैं..... उनसे दिव्य शक्तियों का प्रकाश मुझमें निरंतर समा रहा है..... इस स्थिति में सम्पूर्ण एकाग्र हूँ... मग्न हूँ उस परमात्म अनुभूति में जिस अनुभूति के लिए मैं जन्म जन्मांतर से भटकी हूँ.... अभी अनुभव करेंगे शिवबाबा से पवित्रता की दिव्य किरणें निकल मुझमें समा कर नीचे सारे संसार को मिल रही हैं...... प्रकृति के पांचो तत्वों में समाती जा रहीं हैं..... संसार की सर्व आत्माओं को यह किरणें प्राप्त हो रहीं हैं.... मैं सम्पूर्ण एकाग्र हूँ इस स्थिति में... यह पवित्रता की किरणें मुझसे इस सारे संसार को मिल रहीं हैं.... पवित्रता सुख शांति की जननी है। संसार की सर्व आत्माएं इस पवित्रता की किरणों से सुख शांति का अनुभव कर रहें हैं... इन किरणों से सर्व आत्माओं के दुख दर्द पीड़ाएं सब नष्ट हो रहीं हैं..... वे मन ही मन में मुझे दिल से दुआएं दे रहें हैं..... इन पवित्रता की किरणों का दान देने से मैं बहुत ही सुखद अनुभूति में स्थित हूँ.... मुझे डबल दुआएं मिल रहीं है - एक परमात्मा शिवबाबा की, दूसरी संसार की सर्व आत्माओं की। प्रकृति भी मुझे दिल से शुक्रिया कह रही है..... धीरे धीरे मैं आत्मा नीचे उतर आयी हूँ अपने देह में..... अपने मस्तक सिंहासन पे सेट हूँ... अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता स्वरूप में इस ग्लोब पे बैठी हूँ और परमधाम से शिवबाबा के प्यार की किरणों की बरसात मुझ आत्मा में हो रही है... प्रेम की किरणें परमधाम से शिवबाबा से निकल, मुझ आत्मा में समा कर, नीचे सारे ग्लोब को मिल रहीं हैं..... सम्पूर्ण पृथ्वी को मिल रहीं हैं... अनुभव करेंगे यह प्यार की हरे रंग की किरणें सारे संसार में फैल रहीं हैं..... संसार की सर्व आत्माएं इस स्नेह की अनुभूति को महसूस कर रहीं हैं और प्रकृति के पांचों तत्व - अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी - इन सबको शिवबाबा मुझ द्वारा प्यार की किरणें दे रहें हैं। ये एक लवलीन अवस्था है... एक सुखद परमानंद की अवस्था है। बाबा प्यार का सागर है... मैं आत्मा मास्टर प्यार का सागर हूँ। संसार की आत्माएं सच्चे प्यार के लिए तड़प रहीं हैं...... इन किरणों से वे बहुत ही तृप्त हो रहीं हैं.... उन्हें एक परमानंद की अनुभूति हो रही है.. परमात्म प्यार में इस सृष्टि पे सर्व आत्माएं रंग चुकी हैं... जैसे हरे रंग की प्यार की किरणों की होली में खेल रहें हैं, रंग से खेल रहें हैं। अभी शिवबाबा सर्वशक्तिवान परमधाम से नीचे आ रहें हैं.... हम उनका दिल से आह्वान कर रहें हैं.. और आ गए बाबा मेरे सिर के ऊपर.... मेरी छत्रछाया बन गए हैं.... बाबा सर्वशक्तिवान हैं... और मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ! वे सदैव मेरे साथ छत्रछाया बनकर हैं! उनके छत्रछाया में मैं सदा सुरक्षित हूँ! सदा उनसे कंबाइंड हूँ! उनसे शक्तियों का लाल प्रकाश मुझमें निरंतर समा रहा है.... अनुभव करेंगे दिव्य शक्तियों का लाल प्रकाश.... एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.... शिवबाबा मेरे सिर के ऊपर... मैं आत्मा मस्तक में स्थित...... मुझसे चारों ही तरफ यह शक्तियों की किरणें फैल रहीं हैं... मगन हो जाएं इस स्थिति में.... मैं इस ग्लोब पे परमात्मा का भेजा हुआ एक अवतरित फरिश्ता हूँ... मैं एक बाप समान आत्मा हूँ.... शिवबाबा ने अपने विश्व परिवर्तन के कार्य में मुझे अपना राइट हैंड बनाया है... मैं भगवान का एक निमित्त मात्र इंस्ट्रूमेंट हूँ। इस कंबाइंड स्वरूप की स्थिति में स्थित हो, शिवबाबा पे अपनी बुद्धि एकाग्र कर हम उन्हें दिल से शुक्रिया कहेंगे... बाबा आपका कोटि कोटि शुक्रिया! आपने हमें अपना बना लिया ! इस कलियुग के अंत मे आपने हमें सर्व दुखों से, सर्व बन्धनों से छुड़ा कर एक मुक्त आत्मा बना दिया... मैं पिछले 63 जन्मों से आपकी भक्ति कर कहाँ न कहाँ भटक रहा था... आपने मुझे ढूंढ निकाला... आपका बारंबार शुक्रिया! कोटि कोटि शुक्रिया! थैंक यू बाबा!

ओम शांति।


30. सर्वशक्तिवान की किरणों के ऑरा का सुरक्षा कवच - नेगेटिव वातावरण, ईविल सोल के प्रभाव से मुक्ति पायें।

ओम शांति।

सेट करेंगे अपने आप को मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक चमकता सितारा... ज्योति स्वरूप.... मास्टर सर्वशक्तिवान... स्थित हूँ अपने लाइट के सूक्ष्म शरीर में... अभी देखेंगे परमधाम में शिवबाबा... शांति के सागर, सर्व गुणों के सागर, सर्वशक्तिवान... परमपिता परमात्मा शिवबाबा.... धीरे धीरे शिवबाबा नीचे आ रहें हैं... आ गए मेरे सिर के ऊपर... मेरी छत्रछाया बन गए हैं.... उनसे सर्वशक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में निरंतर समा रही हैं... इन किरणों से मैं बहुत शक्तिशाली महसूस कर रहा हूँ... मेरी बुद्धि एकाग्र और स्थिर हो चुकी है.... शिवबाबा सर्वशक्तिवान, मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान... अभी देखेंगे यह शक्तियों का लाल प्रकाश मेरे सारे सूक्ष्म शरीर में फैल रहा है... सूक्ष्म शरीर में फैल कर मेरे चारों तरफ लाल प्रकाश का एक आभामंडल तैयार हो चुका है.... भगवान ने स्वयं यह शक्तिशाली आभामंडल हमारे लिए बनाया है... इसके अंदर मैं सदा सुरक्षित हूँ.... कोई भी नेगेटिव एनर्जी या वातावरण मुझपे असर नहीं करेगा... मैं सदा शक्तिशाली हूँ... भगवान शिवबाबा मुझसे निरंतर कंबाइंड हैं.. उनसे निरंतर दिव्य शक्तियों का प्रकाश मुझ आत्मा में समा रहा है... मैं सदा इस कंबाइंड स्वरूप की स्मृति में स्थित रहूंगा और सदा हर विघ्न, हर नेगेटिविटी से सुरक्षित रहूंगा! स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिए हैं - मास्टर सर्वशक्तिवान भव... सदा सुरक्षित भव... भगवान अपने बच्चों को सदा तन से, मन से और धन से सहज रखेंगे - यह बाप की गारंटी है! जहां बाप साथ है, वहां कोई कुछ नहीं कर सकता! यह कंबाइंड स्वरूप ही सर्वश्रेष्ठ स्वरूप है!

ओम शांति।


31. पूरे विश्व की आत्माओं को दुःख दर्द से मुक्त करने के लिए पावरफुल योग कमेंटरी।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट.... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ। मुझसे शांति की किरणें चारों ओर फैल रहीं हैं... अनुभव करें मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल मेरे सम्पूर्ण देह में फैल रहीं हैं... जैसे कि ये शरीर सम्पूर्ण लाइट का हो चुका है.... एकाग्र हो जाएं अपने इस लाइट के स्वरूप में... मैं आत्मा स्थित हूँ अपने लाइट के इस फरिश्ता स्वरूप में...। अभी अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश की ओर.... आकाश, चाँद, तारों को पार कर पहुँच गया हूँ सूक्ष्म वतन में... चारों ओर सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं... और मुझे गले लगा रहें हैं... अभी उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... और मुझे वरदान दे रहें हैं - बच्चे बाप समान फरिश्ता भव... विश्व कल्याणकारी भव... बाबा मुझसे बातें कर रहें हैं - बच्चे तुम इस विश्व में अवतरित फरिश्ता हो। तुम बाप समान फरिश्ता हो! तुम्हें इस संसार की आत्माओं को दुख दर्द से मुक्त करना है। इन आत्माओं को सुख शांति की किरणें दे शांत करना है। इनकी शुद्ध मनोकामनाएं पूर्ण करनी है। इन्हें परिस्थितियों को सामना करने के लिए शक्तियों का दान देना है। अभी अनुभव करेंगे बापदादा के साथ मैं कंबाइंड हूँ... सूक्ष्म वतन में इमर्ज करेंगे संसार की सर्व आत्माओं को..... देखेंगे बाबा से शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा कर इन सर्व आत्माओं को मिल रहीं हैं... शांति की किरणों का जैसे एक फाउंटेन मुझ द्वारा बाबा इन्हें दे रहें है..... कोई न कोई परिस्थिति से यह आत्माएं दुखी हैं... कोई अकाले मृत्यु से शरीर छोड़ भटक रहे हैं... कोई किसी न किसी अपने संस्कार वश, परिस्थिति-वश अशांत व दुखी हैं... शांति की किरणों का दान देने से यह सम्पूर्ण शांत हो रहें हैं..... यह दिल से मुझ फरिश्ता को और परमात्मा को शुक्रिया कह रहे हैं..... 2 मिनट तक हम इन्हें शांति की किरणों का दान देंगे.... अभी अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता स्थित हूँ ग्लोब पे... मुझसे शांति की किरणें निकल सम्पूर्ण ग्लोब को मिल रहीं हैं... इन किरणों से प्रकृति के पांचो तत्व - पृथ्वी, अग्नि, वायु, आकाश, जल... पांचो ही तत्व शांत हो चुके हैं.... शीतल हो चुके हैं... इन किरणों से तृप्त होकर हमें किसी भी परिस्थिति में प्रकृति सहयोग देगी.... अभी अनुभव करेंगे इस ग्लोब पर मैं अपने पूज्य स्वरूप गणेश के रूप में स्थित हूँ। अभी अनुभव करेंगे परमधाम से शिवबाबा से सुख की किरणें निकल, मुझमें समा कर, इस सारे संसार को मिल रहीं है...... सम्पूर्ण ग्लोब को मिल रहीं हैं... संसार की एक एक आत्माओं को ये सुख की किरणें मिल रहीं हैं... दुख, अशांत, तड़पती आत्माएं हमें पुकार रहीं हैं - हे सुखकर्ता! दुखहर्ता! विघ्न विनाशक गणेश! आकर हमें इन सभी विघ्नों से, समस्याओं से मुक्त करो.... 2 मिनट तक हम इन सभी आत्माओं को सुख की किरणें देंगे...... देखेंगे संसार की सर्व आत्माएं सुखी और शांत हो चुकी हैं..। वह दिल से मुझे दुआएं दे रहीं हैं - हे विघ्न विनाशक गणेश! आपका बहुत बहुत शुक्रिया! अभी अनुभव करेंगे मैं आत्मा अपने शक्ति स्वरूप दुर्गा माता के रूप में इस ग्लोब पे स्थित हूँ... और परमधाम से परमात्मा द्वारा शक्तियों की किरणें निकल, मुझमें समा कर इस सारे संसार को मिल रहीं हैं... इस संसार की सर्व आत्माओं को शक्तियों का दान मुझसे मिल रहा है... 2 मिनट तक यह शक्तियों का प्रकाश हम सर्व आत्माओं को देंगे, जिससे सर्व आत्माओं को मुश्किल परिस्थितियों में सामना करने की शक्ति और सहनशक्ति प्राप्त होगी..... अनुभव करेंगे संसार की सर्व आत्माएं शांत, सुखी और शक्तिशाली बन चुकी हैं। वे हर मुश्किल परिस्थितियों से, दुखों से, दर्द से मुक्त हो चुकी हैं.... उनकी तड़पन समाप्त हो चुकी हैं... वे सर्वशक्तिवान परमात्मा को, फरिश्तों को, पूज्य देवी-देवताओं को शुक्रिया कह रहे हैं.....  

ओम शांति।


32. रोज सवेरे परमात्मा से लेने हैं यह 5 वरदान - एकाग्रता बढ़ेगी - योग हो जायेगा सहज - योग कमेंटरी।

ओम शांति।

सेट करें अपने आप को मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... सम्पूर्ण पवित्र... अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट हूँ... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से पवित्रता का प्रकाश निकल सारे शरीर में फैल रहा है... अनुभव करेंगे धीरे धीरे मेरा स्थूल शरीर लोप हो रहा है... बची मैं आत्मा अपने प्रकाशमय शरीर में, अपने फरिश्ता स्वरूप में... अभी एक सेकंड में पहुँच जाएं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने बापदादा... मुझे प्यार भरी दृष्टि देते हुए मुझे गले लगा रहें हैं... अभी उन्होंने अपना हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... उनसे शक्तियों की किरणें निकल मुझमें समा रही हैं... इन किरणों से मेरे संकल्प सम्पूर्ण शांत हो चुके हैं... बापदादा अब मुझे पहला वरदान दे रहें है - बच्चे सम्पूर्ण पवित्र भव.. सम्पूर्ण पवित्र भव..... अनुभव करेंगे मैं आत्मा अपने प्रकाश के शरीर में सम्पूर्ण पावन.. शुद्ध.. एक बेदाग हीरा हूँ... मुझ आत्मा में कोई भी नेगेटिव दाग नहीं है... मेरा हर संकल्प.. हर कर्म.. हर बोल सम्पूर्ण पवित्र है.... अभी बापदादा मुझे दूसरा वरदान दे रहें हैं - बच्चे श्रेष्ठ योगी भव... श्रेष्ठ योगी भव.... ब्राह्मण जीवन में सर्वश्रेष्ठ वरदान श्रेष्ठ योगी भव का वरदान है... जिसे ये वरदान प्राप्त होता है, उसे बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त होते हैं... इस वरदान की प्राप्ति से मेरी बुद्धि सम्पूर्ण एकाग्र है.. मेरी स्थिति सम्पूर्ण योगयुक्त बनी है... परमात्मा शिवबाबा हर कर्म में मेरे साथ हैं.... अभी बापदादा मुझे तीसरा वरदान दे रहें है - बच्चे सफलतामूर्त भव.. सफलतामूर्त भव... इस वरदान की प्राप्ति से मेरा हर संकल्प, हर कर्म सफल होगा... मैं हर क्षेत्र में विजयी बनूँगा... परमात्म वरदान है मुझे, सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है... परमात्मा हर कर्म में मेरे साथ हैं... जिससे मेरा हर कर्म सहजता पूर्वक सफल होगा, यह परमात्मा की गारंटी है। अभी बापदादा मुझे चौथा वरदान दे रहें है - बच्चे कर्मयोगी फरिश्ता भव... कर्मयोगी फरिश्ता भव... इस वरदान की प्राप्ति से मेरे हर कर्म में भगवान मेरे साथ रहेंगे.... मैं हर कर्म में परमात्मा से योगयुक्त रहूंगा.. इस योगयुक्त स्थिति से मैं हर कर्म में जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव करूँगा.... यह मेरा ब्राह्मण जीवन परमात्मा को अर्पण है... मेरा हर कर्म भगवान की सेवा है.. हर कर्म में मैं अनुभव करूँगा भगवान मेरे साथ हैं... जो होगा अच्छा होगा। अभी पांचवा वरदान मुझे बापदादा दे रहें है - बच्चे बाप समान भव.. बाप समान भव.. इस वरदान की प्राप्ति से मैं सम्पूर्ण, परमात्मा बाप समान गुणमूर्त व शक्तिमूर्त हूँ.... मुझसे हर आत्मा को भगवान का साक्षात्कार होगा... मैं परमात्मा का भेजा हुआ इस धरा पे एक अवतरित फरिश्ता हूँ। मेरा हर कर्म, हर बोल, हर संकल्प बाप समान है। अभी अनुभव करेंगे परमात्मा के हाथों से शांति की किरणें निकल, मुझ फरिश्ता में समा कर, नीचे सारे संसार को मिल रही हैं... प्रकृति के पांचों तत्व - अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी शांत हो रहें हैं... अनुभव करेंगे संसार की सर्व आत्माएं इन किरणों से शांति का अनुभव कर रहें हैं... इन किरणों से वे बहुत ही तृप्त महसूस कर रहें हैं....। ओम शांति। रोज़ सवेरे और शाम इन पांचों वरदानों का अनुभव करने से हम वरदानी मूरत बनेंगे। हमारा जीवन योगयुक्त और सहज बनेगा। बुद्धि में वरदानों का मनन करने से हमारी बुद्धि शक्तिशाली बनेगी.. हमारी बुद्धि में ज्ञान का बल बढ़ेगा... उस ज्ञान के बल से योगबल स्वतः बढ़ता जाएगा। और जितना जितना हमारा योगबल बढ़ेगा, परमात्मा हमें सर्व बंधनों से मुक्त कर अपने कार्य में यूज़ करेंगे... | ओम शांति।


33. पांच मिनट ये योग अभ्यास करें तो तनाव मुक्त व खुश रहने लगेंगे।

ओम शांति।

चारों ओर से अपना ध्यान समेट कर एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ.. अभी बुद्धि रूपी नेत्र के सामने देखेंगे शिव परमात्मा.. शिवबाबा... ज्योति स्वरूप मेरे आंखों के सामने... उनसे मुझ आत्मा में खुशी की किरणों का प्रवाह हो रहा है.. खुशी की किरणें मुझ आत्मा में सामते जा रहीं हैं.. मैं खुशनसीब आत्मा हूँ.. भगवान मुझे वरदान दे रहें हैं - सदा खुशनसीब भव.. सदा खुशनसीब भव... खुशी की किरणें मुझ आत्मा में निरंतर समा कर, मेरे चारों तरफ इन किरणों का एक आभामंडल तैयार हो गया है.. मैं बहुत खुश हूं..! स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिया है खुशनसीब भव... अभी अनुभव करेंगे ये खुशी की किरणें मुझसे नीचे सारे ग्लोब को मिल रहीं हैं.. संसार की सर्व आत्माएं इन खुशी की किरणों को महसूस कर रहीं हैं... उनके सर्व दुख-दर्द दूर हो रहें हैं... वे बहुत ही खुशी का अनुभव कर रहीं हैं.. परमात्मा मुझ द्वारा इनको खुशी का वरदान दे रहे हैं... चारों ओर प्रकृति में एक खुशी का वायुमंडल हो गया है.. ये सर्व आत्माएं मुझे दुआएं दे रहीं हैं.. इन दुआओं के बल से मेरा जीवन सदा निर्विघ्न बनेगा... मैं निरंतर इस खुशी की अनुभूति में स्थित रहूंगा.. भगवान ने मुझे वरदान दिया है - सदा खुशनसीब भव...

ओम शांति।


34. अमृतवेला प्रभु मिलन का बहुत सुन्दर अनुभव - सम्पूर्ण पावन बनने की सहज विधि - पावरफुल योग कमेंटरी।

ओम शांति।

सर्व संकल्पों को समेट कर एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट.. एक ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.. मैं एक शान्त स्वरूप आत्मा हूँ.. मुझसे शांति की किरणें चारों ओर फैल रहीं हैं... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल मेरे सम्पूर्ण देह में फैल रहीं हैं... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह किरणें फैल रहीं हैं... और मेरे शरीर को रिलैक्स कर रहीं है ... अनुभव करेंगे यह जैसे स्थूल शरीर सम्पूर्ण लोप हो चुका है.. बची मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. अपने लाइट के शरीर में.. अपने सूक्ष्म शरीर में.. यह मेरा फरिश्ता स्वरूप है... मैं एक शांति का फरिश्ता हूँ... इस संसार में एक अवतरित फरिश्ता हूँ... अभी धीरे धीरे मैं फरिश्ता अपना ये स्थूल देह छोड़ ऊपर की ओर चल पड़ा.. आकाश, चाँद, तारों, प्रकृति के पाँचों तत्वों से पार मैं उड़ चला... पहुँच गया सूक्ष्म वतन में.. चारों ओर सफेद प्रकाश.. एक असीम शांति की दुनिया... अव्यक्त फरिश्तों की ये दुनिया... देखेंगे सामने मेरे बापदादा.. मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं.. और मुझे गले लगा रहे हैं.. अभी रूह रिहान करेंगे बाबा से.. "बाबा मैं फरिश्ता आपको सम्पूर्ण समर्पण हूँ.. मेरा हर संकल्प, समय, संपत्ति, संबंध, कर्म और यह देह सर्व आपको समर्पण है..." इस प्रकार सर्व बोझ बाप को दे सम्पूर्ण हलके बेफिक्र बादशाह बन जाएं... बाबा कहते हैं मेरे को तेरे में परिवर्तन कर, फिकर बाप को दे, फकुर ले लो.. अर्थात् बेफिक्र बादशाह बन जाओ..... अभी देखेंगे बाबा ने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.. इन हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश मुझ फरिश्ता में निरंतर समा रहा है... और बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं - बच्चे श्रेष्ठ योगी भव... ब्राह्मण जीवन में सर्वश्रेष्ठ वरदान श्रेष्ठ योगी भव का वरदान है.. जिसे ये वरदान प्राप्त होता है, उसे बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त होते हैं... इस योगी भव के वरदान से बाबा मुझसे सदा कंबाइंड रहेंगे... और मैं हर कर्म में, हर परिस्थिति में बाबा के साथ कंबाइंड होने से शक्तिशाली अनुभव करूँगा... अभी बापदादा मुझे दुसरा वरदान दे रहे हैं - बच्चे सफलतामूर्त भव.. इस वरदान की प्राप्ति से मैं हर कर्म में, हर क्षेत्र में सफलतामूर्त बनूँगा... विजय मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है.. स्वयं परमात्मा ने मुझे ये वरदान दिया है सफलतामूर्त भव.. अभी बापदादा मुझे तीसरा वरदान दे रहे हैं - विघ्न विनाशक भव.. इस वरदान की प्राप्ति से मैं सम्पूर्ण निर्विघ्न बनूँगा.... कोई भी समस्या मुझे टच नहीं कर सकती.. यदि कोई भी विघ्न पेपर रूप में हमारे सामने आता है तो वह इस वरदान से सहज ही पार हो जाएगा.. जिसको बाबा कहते हैं सूली से काँटा हो जाएगा..... अभी बापदादा से हम चौथा वरदान लेंगे - बाप समान भव.. बाप समान भव.. इस वरदान की प्राप्ति से मैं बाप समान मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... जैसे बाबा शांति के सागर, वैसे मैं आत्मा मास्टर शांति का सागर हूँ.... अभी अनुभव करेंगे बापदादा के हाथों से शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा कर नीचे सारे विश्व में फैल रहीं हैं... संसार की सर्व आत्मायें, प्रकृति के पाँचों तत्वों को यह शांति की किरणों का दान परमात्मा मुझ द्वारा दे रहें हैं... दो मिनट तक यह किरणें हम देंगे...... अभी अपना सूक्ष्म शरीर समेट कर मैं आत्मा पहुँच गयी हूँ परमधाम में... चारों तरफ लाल प्रकाश... असंख्य आत्मायें अपनी अपनी जगह पे स्थित हैं... परमधाम.. शान्तिधाम.. मुक्तिधाम.. अभी पहुँच जाएँ परमात्मा शिवबाबा के पास.. परमात्मा शिवबाबा शांति के सागर.... गुणों के सागर... सर्वशक्तिवान ... हमारे साथ कंबाइंड हैं... अनुभव करेंगे उनसे पवित्रता का दिव्य प्रकाश मुझमें समा रहा है... यह पवित्रता का दिव्य प्रकाश जैसे फाउंटेन की तरह मुझमें निरंतर समाते जा रहा है... एकाग्र हो जाएँ इस स्थिति में... इस स्थिति में मेरे जन्म-जन्मान्तर के विकर्म सब नष्ट हो रहे हैं... आत्माओं से मेरे सम्पूर्ण हिसाब किताब इन पवित्रता की किरणों से सम्पूर्ण नष्ट हो रहे हैं... मैं आत्मा सम्पूर्ण स्वच्छ बन रही हूँ... अभी देखेंगे मैं आत्मा यह पवित्रता की किरणें ग्रहण करके सम्पूर्ण पवित्र.. स्वच्छ, जैसे कि बेदाग हीरा बन गयी हूँ... मुझ आत्मा में कोई भी दाग नहीं है... अभी शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निकल, मुझमें समा कर नीचे सारे विश्व को मिल रहीं हैं... सर्व ग्रह, प्रकृति के पाँचों तत्व - अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी व संसार की सर्व आत्माओं को यह पवित्रता की किरणें परमात्मा शिवबाबा मुझ द्वारा दे रहे हैं... मैं केवल निमित्त मात्र हूँ... तीन मिनट तक हम सारे संसार को पवित्रता का दान देंगे.... देखेंगे पवित्रता की किरणों से संसार की सर्व आत्माएं सुख शांति का अनुभव कर रहीं हैं... पवित्रता सुख शांति की जननी है.. इसी तरह अभी हम शिवबाबा से लाल शक्तियों का प्रकाश लेंगे... अनुभव करेंगे शिवबाबा से लाल शक्तियों का प्रकाश मुझमें समा रहा है... शिवबाबा सर्वशक्तिवान.. मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... उनसे शक्तियों का लाल प्रकाश निरंतर मुझमें समा रहा है.. और मैं सम्पूर्ण शक्तिशाली बन चुका हूँ.. अभी शक्तियों का यह लाल प्रकाश सारे संसार को देंगे... तीन मिनट तक देखेंगे हम परमात्मा से लाल शक्तियों का प्रकाश ले नीचे सारे संसार को दे रहे हैं..... अभी मैं आत्मा पहुँच गयी हूँ सूक्ष्म वतन में.. अपने सूक्ष्म शरीर में... बाबा के हाथों में हाथ डाल फरिश्ता बन सूक्ष्म वतन की सैर करें... देखेंगे यह फरिश्तों की दुनिया.. संकल्पों की दुनिया है ये.. इस संगमयुग में इस सूक्ष्म वतन से परमात्मा अपना सृष्टि परिवर्तन का कार्य कर रहें हैं... देखेंगे असंख्य फरिश्तें इस सूक्ष्म वतन में उड़ रहे हैं... ओहो! कितनी सुन्दर दुनिया है ये! और अपने भाग्य के गीत गाएंगे... वाह बाबा वाह! आपने हमें फरिश्ता बना दिया! कितनी भाग्यवान हूँ मैं आत्मा! इस कलियुग के अंत में आकर आपने हमें अपना बना लिया! हमें सर्व दुःखों से मुक्त कर बेफिक्र बादशाह, फरिश्ता बना दिया! शुक्रिया बाबा शुक्रिया! इसी प्रकार से मैं आत्मा चली नीचे संसार की ओर... अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता बैठा हूँ इस ग्लोब पर... एक अवतरित फरिश्ता.... भगवान ने अपने सृष्टि परिवर्तन के कार्य में मुझे अपना राइट हैंड बनाया है... अनुभव करेंगे परमधाम से दिव्य शक्तियों का लाल प्रकाश निकल, मुझ फरिश्ता में समा कर नीचे सम्पूर्ण ग्लोब को मिल रहा है... प्रकृति के पाँचों तत्व और संसार की सर्व आत्माओं को मैं शक्तियों का दान दे रहा हूँ... पांच मिनट तक यह किरणें हम इस संसार को देंगे... अभी हम दिल से आह्वान करेंगे परमधाम से शिव परमात्मा का... शिवबाबा ज्योति स्वरूप देखेंगे धीरे-धीरे नीचे उतर रहे हैं... और आ गए मेरे सिर के ऊपर.. और मेरी छत्रछाया बन गए हैं... मुझसे कंबाइंड हैं.. उनसे निरंतर शक्तियों का प्रकाश मुझ आत्मा में समा रहा है.. मैं हर कर्म में बाबा को सदा कंबाइंड अनुभव करूँगा.. और सफलतामूर्त बनूँगा.. निरंतर शिवबाबा मेरे साथ हैं.. मेरे साथ जो भी होगा अच्छा होगा... अभी हम करेंगे पांच स्वरूपों का अभ्यास। स्थित करें अपने आप को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान.. ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट..अभी उड़ चलें आकाश की ओर.. आकाश को पार कर पहुँच गयी हूँ परमधाम में.. शान्तिधाम में.. मेरा असली घर.. परमपिता परमात्मा शिवबाबा के पास.. अभी मैं आत्मा उड़ चली अपने पहले सतयुगी जन्म में... देखेंगे सिर पे डबल ताज.. घर के आँगन में खड़े पुष्पक विमान... फूलों की एक नेचुरल खुशबू... एक नेचुरल संगीत.. एक नेचुरल अतीन्द्रिय सुख.. चारों तरफ सुख ही सुख है.... अभी मैं आत्मा उड़ चली अपने पूज्य स्वरूप में.. विघ्न विनाशक गणेश मन्दिर के मूर्ति में स्थित.. लाखों भक्त मेरी पूजा कर रहे हैं.. सुख की किरणें मुझ विघ्न विनाशक गणेश से निकल इन आत्माओं को मिल रहीं हैं... द्वापर कलियुग में मैंने इस संसार को सुख शांति की किरणें दी हैं... भक्तों की सर्व मनोकामनाएँ पूर्ण की हैं... कभी गणेश के रूप में, कभी दुर्गा के रूप में, कभी माता लक्ष्मी के रूप में... कभी हनुमान के रूप में... और कभी तिरुपति बालाजी के रूप में.... अभी मैं आत्मा उड़ चली अपने संगमयुगी ब्राह्मण जीवन, ब्राह्मण स्वरूप में.. मैं आत्मा कोटों में भी कोई, कोई में भी कोई..वह भाग्यवान आत्मा हूँ जिसको भगवान ने अपने सृष्टि परिवर्तन के कार्य में चुना है.. मैं एक महान ब्राह्मण आत्मा हूँ..! अभी उड़ चली मैं आत्मा अपने फरिश्ता स्वरूप में.. सूक्ष्म वतन में बापदादा मेरे सामने... मुझे दृष्टि दे रहे हैं...मुझे मस्तक पे तिलक लगा रहे हैं और मुझे वरदान दे रहें हैं - श्रेष्ठ योगी भव.. विजयी भव.. विश्व कल्याणकारी भव.. मुझ फरिश्ता से रंग-बिरंगी किरणें नीचे सारी संसार को मिल रहीं हैं... प्रकृति के पाँचों तत्त्व - जल, वायु, अग्नि, धरती व आकाश और संसार की सर्व आत्माएं इन किरणों से तृप्त हो रहीं हैं... उनको सुख शांति की अनुभूति हो रही है.....  

ओम शांति।


35. नाईट मेडिटेशन - सोने से पहले इस योग का प्रयोग कर सोयें - दिन भर के सारे तनाव से मुक्त हो जायेंगे।

ओम शांति।

सवेरे अमृतवेला शक्तिशाली और स्थिति योगयुक्त बनाने के लिए हमारी रात्रि सोने की पूर्व तैयारी अति महत्वपूर्ण है। कम से कम आधा घंटा हमें अच्छे अभ्यास करने हैं जिसमें 15 मिनट हम योग कर सकते और 15 मिनट हम मुरली पढ़ सकते हैं। हम इस अभ्यास को योगनिद्रा भी कह सकते हैं, सुख निद्रा भी कह सकते हैं। या मेडिटेशन भी कह सकते है। चलिए अनुभव करते हैं। देखेगे परमधाम में शिवबाबा ज्योति स्वरूप... शांत स्वरूप... उनकी शांति की किरणें सारे विश्व में फैल रहीं हैं.... फील करेंगे यह शांति की किरणें मुझ आत्मा में समा रहीं हैं... जैसे शिवबाबा शांति के सागर, वैसे मैं आत्मा मास्टर शांति का सागर.... देखेंगे ये किरणें मुझ आत्मा में समा कर मेरे सम्पूर्ण शरीर में फैल रहीं हैं.... अंग अंग में ये किरणें समा रहीं हैं... ऊपर मस्तक से नीचे पैरों तक इन शांति की किरणों का प्रवाह हो रहा है.... मैं सम्पूर्ण शांत, रिलेक्स और अशरीरी महसूस कर रहा हूँ.... मैंने हर परिस्थिति, हर बात परमात्मा को अर्पण कर दी है.... दिन भर में कोई भी बात हुई, कोई भी परिस्थिति हुई, उसका प्रभाव अब मुझ आत्मा पे नहीं है... कोई आत्मा ने मुझे दुख दिया हो तो मैं उन्हें क्षमा कर रहा हूँ.... माफ कर रहा हूँ... या किसी आत्मा को अगर मैनें दुख दिया हो, तो उनसे क्षमा मांग रहा हूँ... हमें माफ कर देना... और जिन आत्माओं ने हमें सहयोग दिया हो, उन्हें मैं दिल से शुक्रिया कर रहा हूँ...... इस अभ्यास से मैं बहुत ही रिलैक्स महसूस कर रहा हूँ..... देखेंगे शिवबाबा की किरणें आपमें समा कर सारे कमरे में, सारे घर में फैल रहीं हैं..... सारे घर का वायुमंडल शांत हो रहा है..... सारे घर का वायुमंडल सम्पूर्ण शांत हो चुका है..... मैं मेरा हर संकल्प, समय, कर्म, संबंध और देह शिवबाबा को अर्पण कर रहा हूँ..... भगवान मेरे साथ हैं। भगवान अपने बच्चों को सदा तन से, मन से और धन से सहज रखेगा - यह बाप की गारंटी है। मेरा शरीर सम्पूर्ण लाइट हो चुका है..... देखेंगे जैसे कि ये शरीर है ही नहीं... एक फरिश्ता रूपी शरीर, एक डबल लाइट एंजेल। अभी धीरे-धीरे मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश की ओर... पहुँच गया सूक्ष्म वतन में, सामने बापदादा.... फील करेंगे बापदादा की गोदी में मैं फरिश्ता... उन्होंने अपना हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है..... उनके हाथों से शांति की किरणें निकल मुझमें समा रहीं है... मैं बहुत ही लाइट और रिलैक्स फील कर रहा हूँ.. संसार की कोई भी परिस्थिति से अब मैं सम्पूर्ण डिटैच हूँ.... कोई भी संकल्प, कोई भी परिस्थिति मुझे नहीं खींच रही..... मैं सम्पूर्ण प्रभु अर्पण हूँ....!!

ओम शांति।


36. पवित्रता और खुशी का बहुत सुंदर अनुभव - मैं सदा होली और हैप्पी हूँ - मेडीटेशन कमेंटरी।

ओम शांति।

आज हम परमात्मा से विशेष वरदान लेंगे। यह वरदान है - होली और हैप्पी भव! अव्यक्त मुरली 13-1-1986 में बापदादा कहते हैं - "होली अर्थात पवित्रता की प्रत्यक्ष निशानी - हैप्पी अर्थात खुशी सदा प्रत्यक्ष रूप में दिखायी देगी। अगर खुशी नहीं, तो अवश्य कोई अपवित्रता अर्थात संकल्प व कर्म यथार्थ नहीं हैं, तब खुशी नहीं हैं। अपवित्रता सिर्फ 5 विकारों को नहीं कहा जाता, लेकिन संपूर्ण आत्माओं के लिए, देव आत्मा बनने वालों के लिए - अयथार्थ, व्यर्थ, साधारण संकल्प, बोल व कर्म भी संपूर्ण पवित्रता नहीं कहा जएगा।" इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम सूक्ष्म वतन में बापदादा से होली व हैप्पी भव का वरदान लेंगे। तो चलें शुरु करते हैं। एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं परम पवित्र आत्मा हूँ.... मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर पवित्रता है... शांति है... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से पवित्रता की किरणें निकल सम्पूर्ण शरीर में फैल रहीं हैं... ऊपर मस्तक से लेकर नीचे पैरों तक, पवित्रता की ये किरणें फैल चुकी हैं.... और मेरा शरीर सम्पूर्ण रिलैक्स व शिथिल हो चुका है... जैसे पवित्रता की किरणों से सम्पूर्ण शरीर जगमगा उठा है... और मेरा स्थूल शरीर सम्पूर्ण लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा, अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं पवित्रता का फरिश्ता हूँ... अनुभव करेंगे - मैं फरिश्ता इस स्थूल देह और दुनिया से दूर, उड़ चला सूक्ष्म वतन की ओर..... आकाश, चाँद, तारों को पार कर, पहुंच गया हूं सूक्ष्म वतन में... चारों ओर सफेद प्रकाश.... सामने मेरे परमात्मा शिवबाबा... ब्रह्मा बाबा के सूक्ष्म शरीर में... बाप और दादा दोनों मेरे सामने... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं.... बापदादा के सामने बैठ जाएं.... दृष्टि देते-देते इन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है..... इन हाथों से पवित्रता के प्रकंपन मुझ फरिश्ता में समाते जा रहे हैं.... इसी स्थिति में एकाग्र हो जाएंगे..... बस बाबा का हाथ मेरे सिर के ऊपर.. उनसे पवित्रता की किरणें निकल, निरंतर मुझ फरिश्ता में समाती जा रही हैं... और बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं - सदा होली और हैप्पी भव!! सदा होली और हैप्पी भव!! आज से मैं सदा खुश रहूँगा! खुशी का आधार सम्पूर्ण पवित्रता पर है। जितना-जितना हम पवित्र बनते जाएंगे, उतना ही हमारी खुशी निरंतर बनी रहेगी.... आज से मेरा हर संकल्प, बोल व कर्म श्रेष्ठ रहेगा... क्योंकि बाबा से मुझे सम्पूर्ण होली, सम्पूर्ण पवित्रता का वरदान मिला है!! और हर संकल्प, बोल व कर्म श्रेष्ठ बनने से सदा खुशनसीबी की फलक अनुभव होगी.... व सर्व आत्माओं को यह खुशनसीबी अनुभव कराएगी... मुझे आज से वरदान है - सदा होली और हैप्पी भव! आज से मैं सदा हैप्पी रहुंगा, खुश रहूँगा! परमात्मा की मुझे ब्लेसिंग है - मैं सदा हैप्पी हूँ! ! आज से मेरी खुशी कोई भी हद के प्राप्तियों पर आधारित नहीं है। कोई नाम शान पर आधारित नहीं है। कोई इच्छा पूर्ण होने पर आधारित नहीं है। कोई व्यक्ति पर आधारित नहीं है। मुझ आत्मा को सदा खुशनसीबी का वरदान मिला है! मैं सदा होली और हैप्पी हूँ ! आज से मेरा हर संकल्प, बोल व कर्म यथार्थ, पवित्र और श्रेष्ठ रहेगा.... और इस आधार पर मैं सदा खुशी में उड़ता रहूंगा...!!

ओम शांति।


37. श्रेष्ठ योगी भव! ब्राह्मण जीवन का सर्वश्रेष्ठ वरदान मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूँ। योग कमेंटरी।

ओम शांति।

इस ब्राह्मण जीवन में सर्वश्रेष्ठ वरदान योगी भव का वरदान है। जिसे ये वरदान प्राप्त होता है उसे बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त होते हैं। तो आज हम परमात्मा से श्रेष्ठ योगी भव का वरदान लेंगे। और उस स्थिति में एकाग्र होंगे। चलें शुरू करते हैं। सेट करें अपने आप को मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक चमकता सितारा... पॉइंट ऑफ लाइट... एकाग्र करेंगे अपने ज्योति स्वरूप पे... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक.... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से एक सफेद प्रकाश निकल मेरे सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है... ऊपर से लेकर नीचे पैरों तक मेरा सम्पूर्ण शरीर प्रकाशमय हो गया है.... और धीरे-धीरे सम्पूर्ण स्थूल शरीर लोप हो चुका है... बची मैं आत्मा अपने इस लाइट के शरीर में... सूक्ष्म शरीर में..... फरिश्ता स्वरूप में... एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.... मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूँ..... अभी एक सेकंड में पहुँच जाएं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... बापदादा मेरे सामने... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं.... अभी उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.... उनके हाथों से दिव्य प्रकाश निकल, मुझ आत्मा में समा कर सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रहा है.... एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में... अभी बापदादा मुझे वरदान दे रहें हैं - बच्चे श्रेष्ठ योगी भव... श्रेष्ठ योगी भव... श्रेष्ठ योगी भव.... एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.... भगवान का हाथ मेरे सिर के ऊपर... मुझे वरदान दे रहें हैं... श्रेष्ठ योगी भव! इस वरदान की प्राप्ति से मुझे निरंतर स्मृति रहेगी कि मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूँ.... स्वयं परमात्मा की संतान..... उन्होंने मुझे श्रेष्ठ योगी भव का वरदान दिया है.... इस वरदान से मैं जब चाहूं परमात्मा से योग लगा सकता हूँ... उनसे शक्तियां ले सकता हूँ.... उनसे रूह रिहान कर सकता हूँ... इस वरदान से हम निरंतर शक्तिशाली रहेंगे... हर कार्य में हमारी सफलता होगी.... इस ब्राह्मण जीवन में सर्वश्रेष्ठ वरदान श्रेष्ठ योगी भव का वरदान है... जिन्हें ये वरदान प्राप्त होता है, बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त होते हैं.... बाबा कहते हैं जो श्रेष्ठ योगी आत्माएं हैं, उन्हें एक के सिवाय और कुछ दिखाई न दे... इस वरदान को फलीभूत करने के लिए हमें दिन में 4 से 5 बार यह दोहराना है कि मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूँ... और इस स्थिति में स्थित होना है... और इस संसार में जो कुछ दिखाई देता है उसे देखते हुए नहीं देखो... सुनते हुए भी नहीं सुनो... हर एक आत्मा का अपना-अपना रोल है... मुझे किसी में भी उलझना नहीं है... जो हो रहा है वही सत्य है... इस प्रकार हम हर कर्म में यह स्मृति रखेंगे कि भगवान मेरे साथ.... मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूँ.. इससे हम हर कार्य में सफलतामूर्त रहेंगे... शक्तिशाली रहेंगे और भगवान का साथ होने से सर्व सिद्धियां साथ हैं।

ओम शांति।


38. 108 स्वमानों का अभ्यास - स्वमानों के अभ्यास से एकाग्रता की शक्तिशाली स्थिति का अनुभव करें - मेडिटेशन कमेंटरी।

ओम शांति। ज की मेडिटेशन कमेंटरी है 108 स्वमानों का अभ्यास। इस मेडिटेशन कमेंटरी में पहले एक मिनट हम अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित होंगे। चलिए शुरू करते हैं। एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... मुझ आत्मा से सफेद प्रकाश निकल, मेरे सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है... धीरे धीरे सम्पूर्ण शरीर लोप हो चुका है... बची मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में.......

  1.   मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ!

  2.   मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूँ!

  3.   मैं सम्पूर्ण पवित्र आत्मा हूँ!

  4.   मैं सफलतामूर्त हूँ!

  5.   मैं विघ्नविनाशक आत्मा हूँ!

  6.   मैं मास्टर सुखकर्ता दुखहर्ता आत्मा हूँ!

  7.   मैं एक अवतरित फरिश्ता हूँ!

  8.   मैं एक महान आत्मा हूँ!

  9.   मैं सतयुगी दिव्य आत्मा हूँ!

  10.   मैं सतयुगी प्रिंस हूँ!

  11.   मैं बाप समान सर्वशक्तिवान हूँ !

  12.   मैं विश्व कल्याणकारी हूँ!

  13.   मैं शांत स्वरूप हूँ !

  14.   मैं परमात्मा की संतान हूँ!  

  15.   मैं एक गुप्त पुरुषार्थी हूँ!  

  16.   मैं नष्टोमोहा स्मृतिस्वरूप हूँ!  

  17.   मैं प्रकृतिजीत हूँ!  

  18.   मैं मुक्तिदाता हूँ!  

  19.   मैं साक्षात्कार-मूर्त हूँ!  

  20.   मैं निरंतर सेवाधारी हूँ!  

  21.   मैं निरंतर योगयुक्त हूँ!  

  22.   मैं सर्वसिद्धि स्वरूप हूँ!  

  23.   मैं योगेश्वर हूँ!  

  24.   मैं बेफिक्र बादशाह हूँ!  

  25.   मैं एक धनवान आत्मा हूँ!  

  26.   मैं एक भाग्यवान आत्मा हूँ!

  27.   मैं वरदानी मूरत हूँ!  

  28.   मैं परचिन्तन, परमत, परदर्शन से मुक्त आत्मा हूँ!

  29.   मैं खुदाई खिदमतगार हूँ!  

  30.   मैं होलीएस्ट आत्मा हूँ!

  31.   मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ!

  32.   मैं शांतिदूत हूँ!

  33.   मैं स्वराज्य अधिकारी हूँ!

  34.   मैं संतुष्ट मणि हूँ!

  35.   मैं विजयी रत्न हूँ!

  36.   मैं लॉ मेकर हूँ!

  37.   मैं राजऋषि हूँ!

  38.   मैं मास्टर बीजरूप हूँ!

  39.   मैं माइट हाउस हूँ!

  40.   मैं यज्ञ रक्षक हूँ!

  41.   मैं मास्टर रचयिता हूँ!

  42.   मैं मन जीत हूँ!

  43.   मैं वफादार आत्मा हूँ!

  44.   मैं स्वचिन्तन, शुभचिन्तन और शुभचिंतक आत्मा हूँ!

  45.   मैं उम्मीदों का सितारा हूँ!

  46.   मैं प्रभु प्रिय आत्मा हूँ!

  47.   मैं सदा हर्षितमूर्त आत्मा हूँ!

  48.   मैं शिवशक्ति हूँ!

  49.   मैं स्वदर्शन चक्रधारी हूँ!

  50.   मैं सूक्ष्म वतनवासी हूँ!

  51.   मैं सर्वश्रेष्ठ आत्मा हूँ!

  52.   मैं सर्व प्राप्ति सम्पन्न आत्मा हूँ!

  53.   मैं लाइटहाउस हूँ!

  54.   मैं रूहे गुलाब हूँ!

  55.   मैं राजयोगी हूँ!

  56.   मैं इस संसार में एक मेहमान हूँ!

  57.   मैं मायाजीत जगतजीत हूँ!

  58.   मैं मास्टर क्षमा का सागर हूँ!

  59.   मैं मास्टर रहम का सागर हूँ!

  60.   मैं मधुबन वासी हूँ!

  61.   मैं मास्टर ब्रह्मा हूँ!

  62.   मैं बाप की छत्रछाया में रहने वाली आत्मा हूँ!

  63.   मैं एक बंधनमुक्त जीवनमुक्त आत्मा हूँ!

  64.   मैं एक पुण्यात्मा हूँ! मैं पूर्वज आत्मा हूँ!

  65.   मैं निश्चयबुद्धि हूँ!

  66.   मैं निवारण-स्वरूप हूँ!

  67.   मैं निर्भय हूँ!

  68.   मैं बाबा के नयनों का नूर हूँ!

  69.   मैं त्रिकालदर्शी हूँ!

  70.   मैं त्रिलोकीनाथ हूँ!

  71.   मैं तकदीरवान हूँ!

  72.   मैं त्रिनेत्री हूँ!

  73.   मैं डबल ताजधारी हूँ!

  74.   मैं ट्रस्टी हूँ!

  75.   मैं जहां का नूर हूँ!

  76.   मैं जगतजीत हूँ!

  77.   मैं गॉडली स्टूडेंट हूँ!

  78.   मैं एक अंतर्मुखी एकांतवासी आत्मा हूँ!

  79.   मैं एक कर्मयोगी हूँ!

  80.   मैं इच्छा मात्रम् अविद्या हूँ!

  81.   मैं आशाओं का दीपक हूँ!

  82.   मैं अष्टशक्तिधारी इष्टदेव हूँ!

  83.   मैं अथक सेवाधारी हूँ!

  84.   मैं अकाल तख्तनशीन हूँ!

  85.   मैं महादानी हूँ!

  86.   मैं मरजीवा हूँ!

  87.   मैं निमित्त हूँ,

  88.   करनकरावनहार बाबा है!

  89.   फरमानबरदार हूँ!

  90.   मैं पूज्य आत्मा हूँ!

  91.   मैं पद्मापदम भाग्यशाली आत्मा हूँ!

  92.   मैं निःस्वार्थ आत्मा हूँ!

  93.   मैं निर्विघ्न आत्मा हूँ!

  94.   मैं निराकारी, निर्विकारी और निरहंकारी हूँ!

  95.   मैं मास्टर नॉलेजफुल हूँ!

  96.   मैं बाबा के दिल तख्तनशीन हूँ!

  97.   मैं डबल लाइट हूँ!

  98.   मैं चतुर्भुज विष्णु हूँ!

  99.   मैं डबल अहिंसक हूँ!

  100.   मैं चरित्रवान हूँ!

  101.   मैं खुशनसीब हूँ!

  102.   मैं कर्मेन्द्रीयजीत हूँ!

  103.   मैं सदा परमात्मा से कंबाइंड हूँ!

  104.   मैं आधारमूर्त और उद्धारमूर्त हूँ!

  105.   मैं अशरीरी आत्मा हूँ!

  106.   मैं जगतमाता हूँ!

  107.   मैं खुदादोस्त हूँ!

  108.   मैं विश्वपरिवर्तक व विश्वरक्षक हूँ!

      ओम शांति।


39. कोई निराश व बिमार आत्मा को सकाश देने की विधि - योग कमेंटरी।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच.... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं आत्मा स्थित हूँ अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक अवतरित फरिश्ता हूँ... मैं मास्टर मुक्तिदाता हूँ.... अभी उड़ चलें फरिश्ता स्वरूप में उस आत्मा के पास, जो निराश है... दुखी है... कोई न कोई परिस्थिति से हताश है... बीमार है... या कोई न कोई रोग से वह आत्मा सम्पूर्ण निराश हो चुकी है... पहुँच जाएं एक सेकंड में... अभी हम परमात्मा शिवबाबा का आह्वान करेंगे... शिवबाबा सर्वशक्तिवान मेरी छत्रछाया बन चुके हैं... देखेंगे उनसे शक्तियों का प्रकाश मुझमें समाते जा रहा है... परमात्मा सर्वशक्तिवान, मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान.... परमात्मा मुझे वरदान दे रहें हैं - मुक्तिदाता फरिश्ता भव... अभी अनुभव करेंगे परमात्मा द्वारा दिव्य शक्तियों का प्रकाश मुझमें समाकर उस आत्मा को मिल रहा है.... देखेंगे वह आत्मा यह दिव्य शक्तियों का प्रकाश अनुभव कर रही है.... इन शक्तियों के प्रकाश से आत्मा शांत और शक्तिशाली बन रही है... अभी अपना हाथ उनके मस्तक पे रखें... देखेंगे मुझ फरिश्ता के हाथों से दिव्य प्रकाश इस आत्मा को मिल रहा है... वह सम्पूर्ण शांत हो रही है... और परमात्मा से हम उन्हें वरदान दे रहें हैं - सम्पूर्ण निरोगी भव... सदा सुखी भव.... जैसे-जैसे यह किरणें इस आत्मा को मिल रहीं हैं, उतना ही यह आत्मा शक्तिशाली बन रही है.... उन्हें जीवन में एक नया उमंग आ रहा है... उनकी आत्मा शांत और शक्तिशाली बनने से उनके शरीर की व्याधियां स्वतः समाप्त हो रहीं है... वह सम्पूर्ण निरोगी बन रहे हैं.... अनुभव करेंगे शक्तियों का लाल प्रकाश परमात्मा से मुझमें समाकर इस आत्मा को मिल रहा है... और धीरे-धीरे उनका सम्पूर्ण शरीर लाल प्रकाशमय हो चुका है.... परमात्मा मुझ द्वारा इन्हें शक्तियों की किरणें दे रहें हैं... मैं एक मुक्तिदाता फरिश्ता हूँ... जैसे कि परमात्मा लाल रंग का सुरक्षा कवच इनको वरदान में दे रहें हैं... इस सुरक्षा कवच में ये हमेशा सुरक्षित और शक्तिशाली रहेंगे.... इनके सर्व दुख, दर्द व रोग नष्ट हो जाएंगे।

ओम शांति।


40. कमर दर्द, साइटिका, अर्थराइटिस, स्लिप डिस्क - इस मेडिटेशन से ठीक करें - योग कमेंटरी।

ओम शांति।

कोई भी प्रकार का अर्थराइटिस, कमर दर्द, पीठ दर्द या रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कोई भी व्याधि, रोग या दर्द हो, इस प्रकार किसी भी जोड़ों के दर्द में यह मेडिटेशन का अभ्यास बहुत ही लाभकारी है। इस कमेंटरी में हम परमात्मा द्वारा लाल रंग की शक्तियों की किरणें लेकर एक एक जोड़ों और मांसपेशियों को देंगे। इस अभ्यास को करने से हम सम्पूर्ण अशरीरी महसूस करेंगे। दिन में 4 से 5 बार इस अभ्यास को करने से धीरे धीरे आप अनुभव करेंगे कि जो भी दर्द है, या जो भी मांसपेशियों या जोड़ों से जुड़ा रोग है, उसमें हमको राहत मिलने लगेगी, जो भी दर्द है वो समाप्त होने लगेगा। चलिए शुरू करते हैं। एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप... चमकता सितारा.... सम्पूर्ण साक्षी हो जाएं इस देह से... यह देह अलग है और मैं आत्मा इस देह में स्थित एक पॉइंट ऑफ लाइट हूँ... यह देह मेरा एक वस्त्र है। अभी बुद्धि रूपी नेत्र के सामने एकाग्र करेंगे परमधाम में शिवबाबा ज्योति स्वरूप... शिवबाबा सर्वशक्तिवान.... अनुभव करेंगे शिवबाबा ज्योति स्वरूप से शक्तियों का लाल प्रकाश नीचे फाउंटेन की तरह फ्लो होकर, मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... जैसे कि एक लाल प्रकाश का फाउंटेन, जैसे कि एक लेज़र बीम.. उस बिंदु से मुझ आत्मा बिंदु तक लाल प्रकाश..... परमात्मा सर्वशक्तिवान, मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ!! मुझ आत्मा में यह लाल प्रकाश निरंतर समा रहा है.... अभी अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह लाल प्रकाश मेरे सम्पूर्ण देह में फैल रहा है.... ऊपर मस्तक से लेकर.. हाथों से लेकर नीचे पैरों तक यह लाल प्रकाश फैल रहा है.... जैसे कि यह सम्पूर्ण शरीर लाल प्रकाशमय हो चुका है.... मेरा सम्पूर्ण शरीर लाल प्रकाश से जगमगा उठा है। गहराई से अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह लाल प्रकाश हर एक-एक मांसपेशियों में फैल चुका है... मेरे सम्पूर्ण हड्डीयों में फैल रहा है..... एकाग्र करेंगे अपने रीढ़ की हड्डी में, अपने मेरुदंड पर... वह सम्पूर्ण लाल प्रकाशमय हो चुकी है.... सम्पूर्ण शरीर लाइट, प्रकाशमय हो चुका है... जैसे कि ये शरीर दिखाई नहीं दे रहा है... बस एक लाल प्रकाश का शरीर है..... सम्पूर्ण शक्तिशाली... लाल प्रकाश शक्तियों का स्वरूप है। अभी एकाग्र करेंगे शरीर के उस अंग पे, जहां हमें ज़्यादा दर्द हो रहा है... देखेंगे उस अंग को, कि वह अंग सम्पूर्ण लाल प्रकाशमय हो चुका है... जो भी दर्द या रोग या नेगेटिविटी रूपी काले धब्बे हैं, वह सम्पूर्ण समाप्त होकर, परमात्मा का लाल प्रकाश फैल चुका है.... इस प्रकाश में यह दर्द, यह व्याधि सम्पूर्ण समाप्त हो चुकी है.... मैं सम्पूर्ण निरोगी हूँ.... सम्पूर्ण अशरीरी अवस्था है.... मैं सम्पूर्ण निरोगी आत्मा हूँ... मेरा शरीर निरोगी है... भगवान ने इन लाल शक्तियों की किरणें देकर मेरे शरीर में एक सुरक्षा कवच तैयार किया है... इस शरीर में कोई भी रोग, कोई भी दर्द या कोई भी वायरस टिक नहीं सकता... मैं सम्पूर्ण निरोगी आत्मा हूँ... परमात्मा की संतान... मास्टर सर्वशक्तिवान... एक शिव शक्ति आत्मा हूँ...!

ओम शांति।


41. सूक्ष्म वतन में फरिश्ता स्वरूप के 8 अभ्यास।

ओम शांति।

चारों ओर से सर्व संकल्पों को समेट कर एकाग्र करें मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. एक चमकता सितारा.. स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेंद्रियों की मालिक.. इस शरीर की मालिक.. यह देह अलग और मैं आत्मा इस देह को चलाने वाली एक ज्योति स्वरूप बिंदु हूं.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मुझ आत्मा का स्वभाव शांत है.. फील करें मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल सम्पूर्ण शरीर में फैल रही हैं.. ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह शांति का प्रकाश फैल चुका है.. मानो सम्पूर्ण देह लोप हो चुका है.. बस मैं आत्मा अपने प्रकाश के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं एक शांति का फरिश्ता हूं.. इस संसार में परमात्मा का भेजा एक फरिश्ता हूं... अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्मवतन में.. चारों तरफ सफेद प्रकाश.. फरिश्तों की दुनिया है ये.. देखें सामने मेरे परमपिता परमात्मा शिवबाबा.. ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त फरिश्ता स्वरूप में.... पहला अभ्यास - अनुभव करें बापदादा हमें प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं.. अनंत प्रेम भरा है इस दृष्टि में... अनुभव करें बाबा की दृष्टि से प्यार की किरणें निकल मुझ फरिश्ता के दृष्टि में समा रही हैं.. और मेरे सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रही हैं.. खो जाएं इस प्यार भरी मीठी दृष्टि में.. बाबा प्यार के सागर हैं.. इनके आंखों से अनंत प्यार की किरणें निकल मुझमें समा रही हैं.. मैं इस प्यार में सम्पूर्ण मग्न हो चुका हूं.... दूसरा अभ्यास - दृष्टि देते देते बाबा ने हमें गले लगा लिया है! समा जाएं बापदादा की बाहों में.. फील करें बाबा ने हमें अपनी बाहों में समा लिया है.. और उन्हें गले लगा कर हम सम्पूर्ण लाइट हो चुके हैं.. सम्पूर्ण बोझमुक्त अवस्था है ये.. सर्व बोझ दे दें बाबा को.. तन , मन, धन, जो भी कार्य व संबंध संपर्क सब बोझ बाबा को दे दें.. और उनकी बाहों में सम्पूर्ण निर्संकल्प स्थिति में स्थित हो जाएं.. और कोई संकल्प नहीं.. बस मैं बाबा का और बाबा मेरा! बाबा कहते हैं इस संगमयुग में यदि तुम परमात्म प्यार में मग्न हो जाओ, तो जन्म जन्म संबंधों में प्यार मिलता रहेगा... तीसरा अभ्यास - बैठ जाएं बापदादा के सामने.. अनुभव करें बाबा हमारे मस्तक पे तिलक लगा रहे हैं और हमें वरदान दे रहे हैं - विजयी भव.. सफलता मूर्त भव.. विजयी भव.. सफलता मूर्त भव..! इन वरदानों की प्राप्ति से आज से मैं हर कार्य में सफल रहूंगा.. स्वयं भगवान का मुझे वरदान है - विजयी भव! सफलता मूर्त भव! हर कार्य में परमात्मा सदैव मेरे साथ रहेंगे! और मैं सफलता मूर्त बनूंगा! जहां परमात्मा, उनके वरदान और शक्तियां साथ हैं, वहां विजय हुई पड़ी है! सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! चौथा अभ्यास - अनुभव करें, बाबा मस्तक मणि से अनंत दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझ फरिश्ता के मस्तक बिंदु में समाती जा रही हैं... अनंत शक्तियों की रंग बिरंगी किरणें, दिव्य ज्ञान, गुण शक्तियों से भरपूर मैं आत्मा बन चुकी हूं.. बापदादा हमें उनकी सर्व शक्तियां, गुण, ज्ञान मानो वरदान में दे रहे हैं.. सम्पूर्ण खो जाएं, मग्न हो जाएं इस स्थिति में! पांचवां अभ्यास - फील करें बापदादा ने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.. इन हाथों से अनंत शक्तियों का लाल प्रकाश निकल मुझ फरिश्ता में समा रहा है.. मानो मेरा सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर लाल प्रकाश से जगमगा उठा है.. निरंतर बाबा के हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समाते जा रहा है.. और बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं - मास्टर सर्वशक्तिवान भव.. सदा सुखी भव.. मास्टर सर्वशक्तिवान भव.. सदा सुखी भव.. इन वरदानों के माध्यम से परमात्मा ने सर्व शक्तियां हमें वरदान में दे दिए हैं... परमात्मा सर्वशक्तिवान हैं.. मैं आत्मा उनकी सन्तान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! सदा सुखी हूं! हेल्थ वेल्थ हैप्पीनेस से भरपूर हूं! मेरे सर्व संबंध सुखमय हैं, अच्छे हैं! छठा अभ्यास - सूक्ष्मवतन में बापदादा से सर्व संबंधों का अनुभव करें! बाप, मां, टीचर, सदगुरु, साजन, सखा, भाई और बच्चे के रूप में हम इन सर्व संबंधों का अनुभव करेंगे... बाप बनकर बाबा हमारी पालना कर रहे हैं.. मां बन हमें अनंत प्यार देते हैं - निस्वार्थ प्यार! टीचर बन हमें पढ़ाई पढ़ाते हैं.. सदगुरु बन मुक्ति, जीवन-मुक्ति का वरदान देते हैं.. साजन बन सदैव मेरे साथ रहते हैं.. हर कार्य में मुझे हेल्प करते हैं.. सखा बन मुझसे खेलते हैं.. मेरा साथ देते हैं.. मुझे हंसाते हैं.. मेरा सर्व कार्य सहज कर देते हैं.. भाई बन मेरी रक्षा करते हैं... मैं सदैव सेफ हूं.. सुरक्षित हूं.. और कभी-कभी हमारा बच्चा बन हमसे खेलते हैं.. हमें प्यार करते हैं.. हम उन्हें बच्चे रूप में खिलाते हैं! सातवां अभ्यास - बापदादा से रूह रिहान करें! परमात्मा कहते हैं कि जो बच्चे मुझे बहुत याद करते हैं, मैं उन्हें वतन में इमर्ज कर उनसे रूह रिहान करता हूं.. अनुभव करें हम बाबा से बातें कर रहे हैं.. उन्हें अपने दिल की हर बात बता रहे हैं.. सर्व संकल्प जो भी हमारे मन में हैं, हम उन्हें सब बता रहे हैं.. सम्पूर्ण समर्पण की अनुभूति करें.. और बाबा से बातें करें - बाबा मेरा समय, संकल्प, संपत्ति, सर्व संबंध, मेरा कर्म और यह शरीर मैं आपको समर्पण करता हूं.. मेरा कुछ नहीं.. मेरे गुण और विशेषताएं सब आपकी देन है! मेरा कुछ नहीं.. सब कुछ आपका है! सम्पूर्ण निर्संकलप हो जाएं.. सब कुछ तेरा! सब कुछ तेरा! सब कुछ तेरा! आठवां अभ्यास - बापदादा के साथ बैठ जाएं.. और सूक्ष्मवतन में हम इमर्ज करेंगे संसार की सर्व दुखी, अशांत, रोगी और तड़पती आत्माओं को.. फील करें सूक्ष्मवतन में बाबा से अनंत शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा कर, इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.. इन किरणों से ये सम्पूर्ण शांत हो रहे हैं.. इनके सर्व दुख, अशांति, बीमारियां सब समाप्त हो रहे हैं.. यह आत्माएं सम्पूर्ण तृप्त महसूस कर रही हैं.. इनके साथ हम इमर्ज करेंगे पृथ्वी के सम्पूर्ण ग्लोब को.. और देखें, बाबा से अनंत पवित्रता की किरणें निकल, मुझ फरिश्ता में समा कर इस सारे ग्लोब को यह किरणें मिल रही हैं.. संसार की सर्व आत्माओं को पवित्रता का दान मिल रहा है.. पवित्रता सुख शांति की जननी है.. इन पवित्रता की किरणों से संसार की सर्व आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं.. प्रकृति के पांचों ही तत्वों को यह पवित्रता का दान मिल रहा है.. अग्नि, वायु, जल, आकाश व पृथ्वी - पांचों ही तत्व सम्पूर्ण पवित्र बन चुके हैं... शांत.. स्थिर... कोई हलचल नहीं है..! प्रकृति हमें दिल से दुआएं दे रही है.. वरदान दे रही है - सदा निरोगी भव! प्रकृतिजीत भव! संसार की सर्व आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं.. संसार की सर्व आत्माएं हमें दिल से दुआएं दे रही हैं.. दो मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे.. कि जैसे मैं परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं, परमात्मा मुझ द्वारा इस संसार को, प्रकृति को सुख शांति का दान दे रहे हैं...

ओम शांति।


42. अमृतवेला मेडिटेशन - बहुत सुन्दर योग कमेंटरी।

ओम शांति।

सेट करेंगे अपने आप को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. सम्पूर्ण पवित्र.. अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक.. मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट.. अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से पवित्रता का प्रकाश निकल सारे शरीर में फैल रहा है.. अनुभव करेंगे धीरे-धीरे मेरा स्थूल शरीर लोप हो रहा है.. बची मैं आत्मा अपने प्रकाश रूपी शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. अभी एक सेकंड में पहुँच जाएँ सूक्ष्म वतन में.. चारों तरफ सफेद प्रकाश.. सामने बापदादा... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि देते हुए मुझे गले लगा रहें हैं.. अभी उन्होंने अपना हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.. उनसे शक्तियों की किरणें निकल मुझमें समा रहीं हैं.. बापदादा मुझे अब पहला वरदान दे रहे हैं - बच्चे सम्पूर्ण पवित्र भव.. सम्पूर्ण पवित्र भव... अनुभव करेंगे मैं आत्मा अपने प्रकाश के शरीर में सम्पूर्ण पावन, शुद्ध, एक बेदाग हीरा हूँ... मुझ आत्मा में कोई भी नेगेटिव दाग नहीं है.. मेरा हर संकल्प, हर कर्म, हर बोल सम्पूर्ण पवित्र है... अभी बापदादा मुझे दुसरा वरदान दे रहे हैं - बच्चे श्रेष्ठ योगी भव.. श्रेष्ठ योगी भव... ब्राह्मण जीवन में सर्वश्रेष्ठ वरदान श्रेष्ठ योगी भव का वरदान है.. जिसे यह वरदान प्राप्त होता है उसे बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त होते हैं! इस वरदान की प्राप्ति से मेरी बुद्धि सम्पूर्ण एकाग्र है.. मेरी स्थिति सम्पूर्ण योगयुक्त बनी है.. परमात्मा शिवबाबा हर कर्म में मेरे साथ हैं.. अभी बापदादा मुझे तीसरा वरदान दे रहें हैं - बच्चे सफलतामूर्त भव.. सफलतामूर्त भव.. इस वरदान की प्राप्ति से मेरा हर संकल्प, हर बोल सफल होगा.. मैं हर क्षेत्र में विजयी बनूँगा.. परमात्म वरदान है मुझे.. सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है.. परमात्मा हर कर्म में मेरे साथ हैं.. जिससे मेरा हर कर्म सहजता से सफल होगा.. यह परमात्मा की गारंटी है..! अभी बापदादा मुझे चौथा वरदान दे रहे हैं - बच्चे कर्मयोगी फरिश्ता भव.. कर्मयोगी फरिश्ता भव.. इस वरदान की प्राप्ति से मेरे हर कर्म में भगवन मेरे साथ रहेंगे.. मैं हर कर्म में परमात्मा से योगयुक्त रहूँगा.. इस योगयुक्त स्थिति से मैं हर कर्म में जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव करूँगा.. यह मेरा ब्राह्मण जीवन परमात्मा को अर्पण हैं.. मेरा हर कर्म भगवान की सेवा है.. हर कर्म में मैं अनुभव करूँगा भगवान मेरे साथ हैं, जो होगा अच्छा होगा..! अभी पांचवा वरदान बापदादा मुझे दे रहे हैं - बच्चे बाप समान भव.. बाप समान भव..! इस वरदान की प्राप्ति से मैं सम्पूर्ण परमात्मा बाप समान गुण मूर्त, शक्ति मूर्त हूँ.. मुझसे हर आत्मा को भगवान का साक्षात्कार होगा.. मैं भगवान का भेजा हुआ इस धरा पे एक अवतरित फरिश्ता हूँ.. मेरा हर संकल्प, हर बोल, हर कर्म बाप समान है... अभी अनुभव करेंगे परमात्मा के हाथों से शांति की किरणें निकल मुझ फरिश्ता में समा कर नीचे सारे संसार को मिल रहीं हैं.... प्रकृति के पाँचों तत्त्व - जल, वायु, अग्नि, धरती और आकाश इन किरणों से शान्त हो रहें हैं.. संसार की सर्व आत्माएं इन किरणों से शांति का अनुभव कर रही हैं.. इन किरणों से वे बहुत ही तृप्त महसूस कर रही हैं... अभी मैं आत्मा सम्पूर्ण मुक्त होकर, अपने इस फरिश्ता रूपी शरीर को समेट कर ऊपर उड़ चला परमधाम में... चारों ओर लाल प्रकाश.. लाखों करोड़ों आत्माएं अपने-अपने जगह स्थित हैं.. परमधाम.. शान्तिधाम.. मुक्तिधाम.. धीरे धीरे अनुभव करेंगे मैं शिवबाबा के पास बहुत ही नज़दीक आ चुका हूँ.. यह है मेरी बीजरूप अवस्था.. सम्पूर्ण निराकारी, सम्पूर्ण मुक्त अवस्था.. बीजरूप स्थिति.. अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से गुणों और शक्तियों का दिव्य प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समा रहा है.. एक फाउंटेन की तरह, एक शावर की तरह मुझ आत्मा में समा रहा है.. एक सम्पूर्ण परमानंद की स्थिति .. मुक्त अवस्था की स्थिति... इस अवस्था में मैं सम्पूर्ण एकाग्र हो चुका हूँ.. दिव्य प्रकाश मैं अपने आप में समाते जा रहा हूँ.. अनुभव करेंगे जैसे जैसे ये दिव्य प्रकाश मुझ आत्मा में समाता जा रहा है, वैसे वैसे मेरे जन्म जन्मान्तर के विकर्म विनाश हो रहें हैं.. आत्मा पे चढ़ी हुई मैल सम्पूर्ण साफ हो रही है.. सम्पूर्ण नेगेटिविटी क्लीन हो रही है.. द्वापर कलियुग में मुझसे जाने जाने हुए विकर्म सम्पूर्ण नष्ट हो रहें हैं.. धीरे धीरे अनुभव करेंगे मैं सितारा सम्पूर्ण क्लीन, सम्पूर्ण बेदाग हीरा बन चूका हूँ.. मेरे सम्पूर्ण विकर्म नष्ट हो चुके हैं.. मैं एक सम्पूर्ण पवित्र, गुणमूर्त, शक्तिशाली आत्मा हूँ.. मैं एक बाप समान आत्मा हूँ..! अभी अनुभव करेंगे शिवबाबा से ये दिव्य प्रकाश निकल, मुझमें समा कर नीचे सारे संसार को पहुँच रहा है.. मुझ बीजरूप आत्मा से ये सृष्टि रूपी झाड़ एक दिव्य प्रकाश का अनुभव कर रही है.. अनुभव करेंगे यह प्रकाश पांचो तत्वों को मिल रहा है - अग्नि, वायु, जल, धरती और आकाश - यह पाँचों ही तत्व इस प्रकाश से सम्पूर्ण तृप्त हो रहें हैं.. और प्रकृति मुझे शुक्रिया कह रही है.. अनुभव करेंगे यह प्रकाश संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहा है.. असंख्य 800 करोड़ आत्मायें इस सृष्टि पे है, एक एक आत्मा इस दिव्य प्रकाश की अनुभूति में परमानंद की अनुभूति कर रहे हैं... इस सृष्टि रूपी झाड़ के हर धर्म को, पत्ते पत्ते को यह प्रकाश मिल रहा है.. मैं इस सृष्टि का बीज हूँ.. मैं बाप समान विश्व कल्याणकारी हूँ.. विश्व रक्षक हूँ.. और विश्व परिवर्तक हूँ.. मुझे इस संसार को सर्व दुःखों से मुक्त करना है.. मुझ बीज रूप से यह प्रकाश निकल संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहा है, जिससे वे सर्व दुःखों से मुक्त हो रहीं हैं.. अनुभव करेंगे मुझ बीज से इस सृष्टि रूपी झाड़ को ये किरणें मिल रहीं हैं.. जितना जितना हम बीजरूप स्थिति में स्थित हो किरणें देंगे, उतना उतना ये आत्माएं व प्रकृति हमें दुआएं देंगी। बाबा ने कहा है कि अभी की तुम्हारी मनसा सेवा से सतयुग और त्रेता में रिटर्न में तुम्हारी प्रजा बनेगी और जो आत्मायें भिन्न भिन्न धर्मों में द्वापर कलियुग में आएँगी, रिटर्न में वे आपके भक्त बनेंगे। इस संगमयुग में हमारी किरणों से इनको सुख शांति का अनुभव हुआ है, रिटर्न में द्वापर में और कलियुग में हमारी मूर्तियों की वे पूजा करेंगी और हमारे मूर्तियों से उन्हें वही सुख शांति का अनुभव होगा! अभी मैं आत्मा धीरे धीरे नीचे उतर रही हूँ.. आ गयी सूक्ष्म वतन में.. अपने फरिश्ता रूपी शरीर में.. धीरे धीरे मैं फरिश्ता नीचे उतर रहा हूँ सृष्टि की ओर.. अपने स्थूल देह में आ जाएँ.. अपने मस्तक सिंहासन पे.. अभी शिवबाबा धीरे धीरे परमधाम छोड़ नीचे सृष्टि की ओर आ रहे हैं.. आ गए ज्योति स्वरूप परमात्मा मेरे मस्तक के ऊपर... सम्पूर्ण बीजरूप स्थिति का अनुभव करें.. मैं आत्मा.. परमात्मा शिवबाबा मेरी छत्रछाया बनकर मेरे सिर के ऊपर हैं.. उनसे दिव्य प्रकाश निकल, मुझमें समा कर चारों ओर सृष्टि को मिल रहा है.. अभी इसी बीजरूप अवस्था में हम शिवबाबा का शुक्रिया करेंगे - शुक्रिया बाबा शुक्रिया! इस कलियुग के अंत में आकर आपने हमें मुक्त कर दिया.. हमें जीवनमुक्ति का वर्सा आपके द्वारा मिल रहा है.. शुक्रिया बाबा शुक्रिया! हमें अपना इंस्ट्रूमेंट बनाने के लिए शुक्रिया! शुक्रिया! शुक्रिया! इस अनुभव को हमें चौबीसों घन्टे कर्म में यूज़ करना है.. जैसा बाबा ने कहा है - 12 बारी निराकारी और 12 बारी फरिश्ता स्वरूप का दिन में अभ्यास हमें करना है.. तो जैसे जैसे ये अभ्यास हर घन्टे, एक मिनट, दो मिनट, पांच मिनट करेंगे तो ये अभ्यास हमारा नेचुरल हो जाएगा। हम जब चाहें अपने बीजरूप अवस्था में स्थित हो सकेंगे, हम जब चाहें अपने फरिश्ता स्वरूप में स्थित होंगे.. और जितना जितना हम कर्म में इस अव्यक्त स्थिति को महसूस करेंगे, बापदादा को अपने साथ रखेंगे, उतना ही हमारी हर कर्म में विजयी होगी! हम सफलतामूर्त बनेंगे! हम एक वरदानी आत्मा बनेंगे! इसी प्रैक्टिस से असंख्य आत्माओं को मुझ द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार होगा!

ओम शांति।


43. यह 3 संकल्प करने से मन शांत होगा - धन में वृद्धि होगी - 3 Thoughts to Earn Money, Wealth & Prosperity!

ओम शांति।

मस्तक के बीच मैं आत्मा... एक ज्योति स्वरूप.... एक पॉइंट ऑफ लाइट... अनुभव करेंगे मैं आत्मा एक चमकता सितारा... अपने भृकुटी के मध्य में स्थित.... मैं आत्मा परमात्मा की संतान हूँ.... अभी हम यह संकल्प करेंगे मैं एक महान आत्मा हूँ.... मैं एक धनवान आत्मा हूँ... मैं एक भाग्यवान आत्मा हूँ..... मैं महान हूँ... मैं धनवान हूँ... मैं भाग्यवान हूँ.... मैं महान हूँ... मैं धनवान हूँ... मैं भाग्यवान हूँ.... कोटों में कोई, कोई में भी कोई मैं आत्मा इस संसार में एक महान आत्मा हूँ..... स्वयं भगवान की संतान मैं एक महान आत्मा हूँ... मैं एक धनवान आत्मा हूँ... परमात्मा ने मुझे ज्ञान धन से भरपूर किया है... और जहां ज्ञान धन भरपूर है, वहां स्थूल धन स्वतः आता है... स्वतः भंडारे और भंडारी भरपूर होती हैं..... मैं परमात्मा की संतान हूँ.... एक धनवान आत्मा हूँ... स्थूल-सूक्ष्म सभी रूपों से मैं धनवान हूँ.... मेरा घर परमात्मा का घर है.... यहां के भंडारे और भंडारी सदा भरपूर हैं... मैं भाग्यवान आत्मा हूँ... परमात्मा की संतान..... इस कलियुग में अंत में भगवान ने मुझे अपने सृष्टि परिवर्तन के कार्य के लिए चुना है! मैं एक भाग्यवान आत्मा हूँ! संसार की आत्माएं भगवान को ढूंढ रही हैं... उनको पाने के लिए तड़प रहीं हैं... और भगवान ने मुझे अपना बना लिया! मैं परमात्मा शिवबाबा की संतान हूँ! मैं एक भाग्यवान आत्मा हूँ! मैं महान आत्मा हूँ! मैं धनवान आत्मा हूँ! मैं भाग्यवान आत्मा हूँ! मैं महान हूँ! धनवान हूँ! भाग्यवान हूँ! मैं महान हूँ! धनवान हूँ! भाग्यवान हूँ!

ओम शांति।


44. सात गुणों का अभ्यास - राजयोग मेडिटेशन कमेंटरी।

ओम शांति।

आज हम सात गुणों का अभ्यास करेंगे। हर गुण का हम 3 मिनट तक अभ्यास करेंगे। इस अभ्यास में हम परमात्मा द्वारा किरणें लेकर, उस गुण में स्थित हो चारों तरफ किरणें फैलाएंगे। चलिए शुरू करते हैं। स्थित करेंगे अपने आप को मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ... अभी देखेंगे परमधाम में परमात्मा शिवबाबा ज्ञान सूर्य.. उनसे ज्ञान का दिव्य प्रकाश निकल मुझ आत्मा में सामते जा रहा है.. देखेंगे ज्ञान की किरणें निरंतर मुझ आत्मा में समाती जा रहीं हैं.. मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ.. परमात्मा शिवबाबा की संतान.. अनुभव करेंगे ज्ञान की नीले रंग की किरणें परमात्मा शिवबाबा से निकल, मुझमें समाकर चारों ओर फैल रहीं हैं.. यह ज्ञान की किरणें संसार की सर्व आत्माओं को प्राप्त हो रहीं हैं.. लाखों-करोड़ो आत्माओं को परमात्मा का ज्ञान प्राप्त हो रहा है.. मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ.. मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ.. शिवबाबा से ज्ञान की किरणें निकल, निरंतर मुझमें समा कर सर्व आत्माओं को मिल रही हैं! अभी मैं आत्मा स्थित हूँ भृकुटि के मध्य में। मैं परम पवित्र आत्मा हूँ.. मैं परम पवित्र आत्मा हूँ.. मैं परम पवित्र आत्मा हूँ.. मैं एक पवित्रता का फरिश्ता हूँ.. देखेंगे शिवबाबा ज्योति स्वरूप.. उनसे पवित्रता की दिव्य नारंगी रंग की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रहीं हैं.. मैं एक परम पवित्र आत्मा हूँ.. मैं एक परम पवित्र आत्मा हूँ.. परमात्मा की संतान! अनुभव करेंगे निरंतर शिवबाबा से यह पवित्रता की किरणें निकल मुझमें समा रहीं हैं और मुझसे सारे संसार में फैल रहीं हैं.. प्रकृति के पांचो तत्व और संसार की सर्व आत्माओं को यह पवित्रता की किरणें मिल रहीं हैं.. संसार की सर्व आत्माएं इन किरणों से तृप्त हो रहीं हैं.. संसार की सर्व आत्माओं की अपवित्रता नष्ट हो रही है.. पांचो ही तत्व पवित्र बन रहे हैं.. अनुभव करेंगे शिवबाबा से निरंतर ये किरणें निकल, मुझमें समा कर सारे संसार को मिल रहीं हैं.... अभी मैं आत्मा स्थित हूँ अपने मस्तक के बीच.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ.. अनुभव करेंगे परमधाम में शिवबाबा ज्योति स्वरूप... उनसे शांति की आसमानी रंग की किरणें निकल मुझ आत्मा में निरंतर समाती जा रहीं हैं ... मैं सम्पूर्ण एकाग्र हूँ इस स्थिति में.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ.. परमात्मा की संतान.. अभी अनुभव करेंगे यह किरणें मुझ आत्मा से निकल सारे संसार में फैल रहीं हैं.. संसार की सर्व आत्माएं शांति का अनुभव कर रहीं हैं.. प्रकृति के पांचो तत्वों में ये किरणें समा रहीं हैं.. और वे शांत हो रहें हैं! संसार की सर्व आत्माएं इन शांति की किरणों से सम्पूर्ण तृप्त हो रहीं हैं.. एकाग्र हो जाएं इस अनुभव में - शिवबाबा से निरंतर यह किरणें स्वयं में समाकर संसार की सर्व आत्माओं को मैं यह शांति का दान दे रहा हूँ.. जैसे कि मैं परमात्मा का एक इंस्ट्रूमेंट हूँ! अभी मैं आत्मा ज्योति स्वरूप स्थित हूँ अपने मस्तक में बीच में.. मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूँ.. मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूँ... मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूँ.. देखेंगे परमधाम में परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप.. उनसे प्रेम की हरे रंग की किरणें मुझ आत्मा में एक फाउंटेन की तरह फ्लो होकर मुझमें समाती जा रहीं हैं.. मैं एक प्रेम स्वरूप आत्मा हूँ.. परमात्मा की संतान मैं एक प्रेम स्वरूप आत्मा हूँ.. अभी अनुभव करेंगे यह प्रेम की किरणें मुझ आत्मा से निकल सम्पूर्ण संसार में फैल रहीं हैं.. संसार की सर्व आत्माएं इन प्रेम की किरणों का अनुभव कर रहीं हैं.. वे सम्पूर्ण तृप्त हो रहीं हैं! एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में - परमात्मा शिवबाबा से हरे रंग की किरणें निकल निरंतर मुझमें समाती जा रही हैं और मुझसे सारे विश्व को मिल रहीं हैं.. संसार की हर एक आत्मा को मिल रहीं हैं.. मैं एक प्रेम स्वरूप आत्मा हूँ... मुझे संसार की हर आत्मा को परमात्मा द्वारा प्रेम की किरणें देनी है.. जैसे कि मैं एक परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूँ! अभी मैं एक सुख स्वरूप आत्मा हूँ.. मैं एक सुख स्वरूप आत्मा हूँ.. मैं सम्पूर्ण सुखी हूँ.. मैं सम्पूर्ण सुखी हूँ.. अभी देखेंगे परमधाम में शिवबाबा ज्योति स्वरूप.. उनसे सुख की पीले रंग की किरणें निकल मुझ आत्मा में एक फाउंटेन की तरह फ्लो हो रही है... ये किरणें निरंतर मुझमें समाती जा रहीं हैं.. मैं सुख स्वरूप आत्मा हूँ.. मैं सम्पूर्ण सुखी हूँ.. परमात्मा की संतान.. अभी अनुभव करेंगे यह सुख की किरणें निकल संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहीं हैं.. इन किरणों से संसार की सर्व आत्माओं के दुख, दर्द, पीड़ाएं नष्ट हो चुकी हैं.. और वे सम्पूर्ण सुखी बन चुके हैं... मैं सुख स्वरूप आत्मा हूँ.. मैं सम्पूर्ण सुखी हूँ.. मैं सम्पूर्ण सुखी हूँ.. एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में - परमात्मा से सुख की किरणें निकल, मुझमें निरंतर समाकर संसार की सर्व आत्माओं को प्राप्त हो रहीं हैं.. इन किरणों से वे सम्पूर्ण सुखी बन चुके हैं... अभी मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूँ.. मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूँ.. अभी अनुभव करेंगे शिवबाबा से आनंद की बैंगनी रंग की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रहीं हैं.. निरंतर मुझमें समाती जा रही हैं.. मैं एक आनंद स्वरूप आत्मा हूँ.. परमात्मा की संतान.. अनुभव करेंगे यह आनंद की किरणें मुझसे निकल संसार में फैल रहीं हैं.. संसार की सर्व आत्माओं को यह आनंद की किरणें प्राप्त हो रहीं हैं.. इन किरणों से वे सम्पूर्ण आंनदित अनुभव कर रहें है.. वे सम्पूर्ण प्रसन्न हो रहें हैं.. एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में - शिवबाबा ज्योति स्वरूप से निरंतर आनंद की किरणें निकल संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहीं हैं.. जैसे कि मैं परमात्मा का एक इंस्ट्रुमेंट हूँ.. परमात्मा मुझ द्वारा संसार की सर्व आत्माओं को यह आनंद की किरणों का दान दे रहें हैं.. मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूँ .. मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूँ.. अभी मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ.. देखेंगे परमधाम में शिवबाबा सर्वशक्तिवान.. उनसे शक्तियों का दिव्य प्रकाश निकल मुझमें समाता जा रहा है... शक्तियों का लाल प्रकाश मुझमें समा रहा है.. मैं परमात्मा की संतान.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ.. अभी अनुभव करेंगे मुझसे यह शक्तियों की किरणें निकल सारे संसार मे फैल रहीं हैं.. संसार की हर आत्मा को यह शक्ति का दान परमात्मा मुझ द्वारा दे रहें हैं.. देखेंगे लाल रंग का प्रकाश चारों ओर फैल रहा है.. संसार की सर्व आत्माएं शक्तिशाली बन रहीं हैं.. एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में - शिवबाबा ज्योति स्वरूप से शक्तियों का प्रकाश निरंतर मुझमें समा रहा है और संसार की सर्व आत्माओं को प्राप्त हो रहा है.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ.. परमात्मा की संतान.. मुझसे निरंतर शक्तियों का दिव्य प्रकाश निकल चारों ओर फैल रहा है......

ओम शांति।


45. 3 मिनट एकाग्रता का अभ्यास - इस अभ्यास से मन का भटकना बंद हो जायेगा - पावरफुल मेडिटेशन कमेंटरी।

ओम शांति।

मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. स्थित हूँ अपने मस्तक के बीच में.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ.. परमात्मा की संतान.. अभी अनुभव करेंगे मेरा सम्पूर्ण शरीर लाइट है.. सम्पूर्ण सफेद व प्रकाशमय... मैं आत्मा लाइट.. मेरा शरीर लाइट.. अनुभव करेंगे संसार की सर्व आत्माएं लाइट हो चुके हैं.. सब प्रकाशमय ज्योति स्वरूप हैं.. मैं आत्मा लाइट.. संसार की सर्व आत्माएं लाइट हैं.. अभी एक मिनट तक एकाग्र करेंगे बुद्धि को परमधाम में.. शिवबाबा ज्योति स्वरूप.. परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, सर्वशक्तिवान हैं.. उनका प्रकाश परमधाम में फैल रहा है... सम्पूर्ण ज्योति स्वरूप.. उनपे बुद्धि एकाग्र करने से मैं बाप समान ज्ञानमूर्त, गुण मूर्त , सर्वशक्तिवान स्वतः ही बन रहा हूँ... अभी एक मिनट एकाग्र करेंगे हम बुद्धि को अपने आत्मिक स्वरूप पे.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. परमात्मा की संतान.. मैं मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ.. मैं एक मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ.. जितना जितना हम इस आत्मिक स्वरूप पे एकाग्र होंगे, उतना उतना यह स्थिति नेचुरल बन जाएगी.. अभी फिर से एक मिनट हम बुद्धि को एकाग्र करेंगे परमधाम में.. शिवबाबा ज्योति स्वरूप.. देखेंगे परमधाम में महाज्योति शिवबाबा.. उनका प्रकाश सम्पूर्ण परमधाम में फैल रहा है.. ज्ञान के सागर, पवित्रता के सागर, शांति के सागर, प्रेम के सागर, सर्वशक्तिवान, शिवबाबा ज्योति स्वरूप.. हम जितना जितना अपने सम्पूर्ण शुद्ध, आत्मिक स्वरूप पे एकाग्र होंगे और परमात्मा शिवबाबा पे बुद्धि को एकाग्र करेंगे, हम स्वतः शक्तिशाली बनेंगे.. हमारी एकाग्रता बढ़ेगी.. हमारी सर्व समस्याएं नष्ट होंगी.. हम निर्विघ्न बनेंगे और हमारा हर कार्य सफल होगा।

ओम शांति।


46. प्रकृति के पांच तत्वों को सकाश - निरोगी बनने के लिए प्रकृति को दुआ दें और दुआ लें - योग कमेंटरी।

ओम शांति।

स्थित हो जाएं अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. स्थित हूँ अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं एक अवतरित फरिश्ता हूँ.. अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता इस ग्लोब पे स्थित हूँ.. मैं एक विश्व कल्याणकारी फरिश्ता हूँ... मैं एक प्रकृतिजीत आत्मा हूँ! अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश में.. अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा मेरी छत्रछाया बन गए हैं... उनसे दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है.. मैं परमात्मा की संतान... विश्व कल्याणकारी फरिश्ता.. अभी मैं फरिश्ता परमात्मा की इन किरणों को नीचे धरती को दे रहा हूँ... मुझ आत्मा से सुख शांति और शक्तियों की किरणें निकल पृथ्वी तत्व में समाती जा रहीं हैं..... सम्पूर्ण पृथ्वी तत्व पावन हो रहा है.. धरती माँ मुझे दिल से दुआएं दे रही हैं... " हे धरती माँ, 5000 वर्ष हमें आपने सुख दिया है! हमारी पालना की है! हम आपको दिल से शुक्रिया कहते हैं!" इन पवित्रता की किरणों से धरती माँ सम्पूर्ण पावन हो चुकी हैं.. और शांत ही चुकी हैं.. सम्पूर्ण प्रसन्न अवस्था में हमें आशीर्वाद दे रहीं हैं.. और हमें वरदान दे रहीं हैं - सम्पूर्ण निरोगी भव.. प्रकृतिजीत भव.. सदा सुखी भव.. अभी मैं फरिश्ता स्थित हूँ आकाश में.. परमात्मा से दिव्य शक्तियों की किरणें निरंतर मुझमें समाती जा रहीं हैं.. और मुझसे निकल नीचे सम्पूर्ण जल तत्व को मिल रहीं हैं... इस विश्व में जहां जहां जो भी जल तत्व है, वो यह किरणें ग्रहण कर रहा है और पावन हो रहा है.. इस पृथ्वी पर स्थित सर्व नदियां, तालाब व सागर इन किरणों से सम्पूर्ण पावन बन रहें हैं.. और प्रसन्न होकर मुझे दिल से दुआएं दे रहें हैं.. "हे जल देव, आपने सारा कल्प, 5000 वर्ष मेरी पालना की हैं! आपने मुझे सुख दिया है! मैं आपको दिल से शुक्रिया कह रहा हूँ!" जल देव मुझ द्वारा पवित्रता, सुख, शांति और शक्तियों की दिव्य किरणें अनुभव कर सम्पूर्ण प्रसन्न हो चुके हैं... और मुझे आशीर्वाद दे रहें हैं.... और मुझे वरदान दे रहें हैं - सदा प्रसन्नचित्त भव.. सदा शीतल भव..! इसी प्रकार से मैं फरिश्ता स्थित हूँ आकाश में.. परमात्मा से निरंतर दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें सामते जा रहा है और अभी मैं ये प्रकाश सम्पूर्ण वायु तत्व को दे रहा हूँ.. अनुभव करेंगे परमात्मा का ये दिव्य प्रकाश मुझमें समा कर सम्पूर्ण वायु तत्व में सामते जा रहा है.. इन किरणों से वायु देव सम्पूर्ण पवित्र और शांत हो रहे हैं.. और मुझे दिल से दुआएं दे रहें हैं। "हे वायु देव, सारा कल्प, 5000 वर्ष अपने हमारी सेवा की, आपने हमें सुख दिया, हमारी पालना की, हम आपको दिल से शुक्रिया कह रहे हैं!" अनुभव करेंगे मुझसे यह दिव्य किरणें वायु तत्व में समा कर वायु तत्व बिल्कुल शुद्ध और शांत हो चुका है.. और सम्पूर्ण प्रसन्न है.. मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं... मुझे वरदान दे रहें हैं - सदा खुशनसीब भव.. सदा हल्के और सहजयोगी भव..!! अभी मैं फरिश्ता स्थित हूँ आकाश तत्व में। परमात्मा का दिव्य प्रकाश मुझमें समाकर सम्पूर्ण आकाश तत्व को मिल रहा है। सम्पूर्ण आकाश तत्व शांत और पवित्र बन रहा है... आकाश में स्थित सर्व तारें और 8 ग्रह भी इन किरणों से पावन बन रहें हैं... सम्पूर्ण आकाश तत्व इन किरणों से प्रसन्न हो रहा है... "हे आकाश देव, आपने सारा कल्प, 5000 वर्ष मेरी सेवा की, हमारी पालना की, हमें सुख दिया, मैं आपको दिल से शुक्रिया कह रहा हूँ!" मुझसे निरंतर यह दिव्य प्रकाश आकाश में सामते जा रहा है... अनुभव करेंगे आकाश तत्व सम्पूर्ण पावन व शुद्ध हो चुका है! प्रसन्न होकर मुझे आशीर्वाद दे रहें है.. मुझे वरदान दे रहें है - सदा आकाश समान विशाल बुद्धि भव.. सदा विजयी भव..! अभी मैं फरिश्ता परमात्मा द्वारा यह दिव्य शक्तियों का प्रकाश लेकर अग्नि तत्व को दे रहा हूँ.. इस विश्व में जहां जहां अग्नि है, उनको हम परमात्मा द्वारा पवित्रता और शांति की किरणें दे रहें हैं... यह किरणें अग्नि देव अनुभव कर सम्पूर्ण प्रसन्न हो रहें हैं.. सम्पूर्ण पवित्र बन रहे हैं... "हे अग्नि देव, सारा कल्प आपने हमें रोशनी दी, हमें सुख दिया, मैं आपको दिल से शुक्रिया कह रहा हूँ!" अनुभव करेंगे निरंतर यह दिव्य प्रकाश अग्नि तत्व में सामते जा रहा है और अग्नि तत्व सम्पूर्ण पवित्र बन गया है! अग्नि देव सम्पूर्ण प्रसन्न होकर हमें दुआएं दे रहें है.. आशीर्वाद दे रहें है, मुझे वरदान दे रहें है - सम्पूर्ण पवित्र भव.. मायाजीत भव... इसी प्रकार मैं फरिश्ता स्थित हूँ ग्लोब पे। परमात्मा का दिव्य प्रकाश मुझमें निरंतर समा रहा है..! अभी हम प्रकृति के पांचों तत्वों को इकठ्ठा सकाश देंगे! स्थित हो जाएं ग्लोब पे, परमात्मा का दिव्य प्रकाश मुझमें समाकर पांचों ही तात्वों में सामते जा रहा है। पांचों ही तत्व शुद्ध, पवित्र और शांत हो चुके हैं। अग्नि देव, वायु देव, आकाश देव, जल देव और धरती माँ हमें दिल से दुआएं दे रहीं हैं.. हमें आशीर्वाद दे रहीं हैं.. सदा विश्व कल्याणकारी भव, प्रकृतिजीत भव! "हे प्रकृति, हम आपको वचन देते है - सारा ही संगमयुग हम आपकी सकाश द्वारा सेवा करेंगे!" जितना जितना हम इन प्रकृति के पांचो तत्वों को सकाश देंगे, उतना हमारा शरीर निरोगी बनेगा। यह शरीर पांचों तत्वों से बना है, प्रकृति को सकाश देने से हमारे सर्व व्याधि व रोग दूर हो जाएंगे। और अभी की हमारी की हुई मनसा सेवा से विनाश काल में प्रकृति हमें सहयोग देगी; कोई भी प्राकृतिक आपदा के समय हम स्वतः ही सेफ स्थान पर पहुंच जाएंगे! हमें निरंतर यह वरदान स्मृति में रखना है कि हम विश्व कल्याणकारी आत्माएं हैं, हम प्रकृतिजीत हैं!

ओम शांति।


47. 21 वरदानों का अभ्यास - अमृतवेला परमात्मा से वरदानों का बहुत शक्तिशाली अनुभव करें - 21 वरदानों की माला।

ओम शांति।

आज हम 21 वरदानों का अभ्यास करेंगे। बाबा ने मुरलियों में कहा है कि वरदानों से आपका जन्म होता है, वरदानों से आपकी पालना होती है और जितना जितना हम इन वरदानों का अभ्यास करेंगे, उतना उतना हम वरदानी मूर्त बनेंगे। हमारी स्थिति शक्तिशाली बनेगी। हमें कम से कम 10 वरदान अपने लिए नोट करके रखना है, जिससे कि हमारी स्थिति पावरफुल बनें। दिन में कम से कम 2 से 3 बार हमें ये वरदान दोहराना है और इनका अनुभव करना है। तो चलिए शुरू करते हैं । एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट.. चमकता सितारा.. मैं आत्मा स्थित हूँ अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं एक फरिश्ता हूँ.. धीरे धीरे मेरा स्थूल शरीर सम्पूर्ण लोप हो चुका है.. सम्पूर्ण डिटैच हो चुका हूँ मैं इस शरीर से.. अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश की ओर.. आकाश, चाँद, तारों को पार कर पहुँच गया हूँ सूक्ष्मवतन में.. चारों ओर सफेद प्रकाश.. फरिश्तों की दुनिया है ये.. देखेंगे बापदादा मेरे सामने.. मुझे प्यार भरी दृष्टि दे रहें हैं.. और मुझे गले लगा रहें हैं.. बापदादा को गले लगा के सम्पूर्ण हल्के हो जाएं.. सम्पूर्ण संकल्प समर्पण कर दें.. मेरा कुछ नहीं.. मैं एक फरिश्ता हूँ.. अभी बापदादा के सामने बैठ जाएं और अनुभव करेंगे कि उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.. और मुझे वरदान दे रहें हैं - श्रेष्ठ योगी भव.. सम्पूर्ण पवित्र भव.. विजयी भव.. विघ्नविनाशक आत्मा भव.. सुखकर्ता दुखहर्ता भव.. कर्मयोगी फरिश्ता भव.. बेफिक्र बादशाह भव.. विश्व कल्याणकारी भव.. सतयुगी दिव्य आत्मा भव.. प्रकृतिजीत भव.. मुक्तिदाता भव... साक्षात्कारमूर्त भव.. निरंतर सेवाधारी भव.. निरंतर योगी भव.. आत्मिक दृष्टि भव.. सर्व सिद्धि स्वरूप भव.. योगेश्वर भव.. नष्टोमोहा स्मृतिस्वरूप भव.. मास्टर सर्वशक्तिवान भव.. शिवशक्ति भव.. बाप समान भव.. हम इस अभ्यास को फिर से एक बार रिपीट करेंगें.. श्रेष्ठ योगी भव.. सम्पूर्ण पवित्र भव.. विजयी भव.. विघ्नविनाशक आत्मा भव.. सुखकर्ता दुखहर्ता भव.. कर्मयोगी फरिश्ता भव.. बेफिक्र बादशाह भव.. विश्व कल्याणकारी भव.. सतयुगी दिव्य आत्मा भव.. प्रकृतिजीत भव.. मुक्तिदाता भव... साक्षात्कारमूर्त भव.. निरंतर सेवाधारी भव.. निरंतर योगी भव.. आत्मिक दृष्टि भव.. सर्व सिद्धि स्वरूप भव.. योगेश्वर भव.. नष्टोमोहा स्मृतिस्वरूप भव.. मास्टर सर्वशक्तिवान भव.. शिवशक्ति भव.. बाप समान भव..

ओम शांति।


48. 20 मिनट परमधाम मेडिटेशन - अमृतवेला शक्तिशाली अनुभव करें।

ओम शांति।

चारों तरफ से अपने संकल्पों को समेट कर, एकाग्र करें अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट.. अनुभव करेंगे मैं स्थित हूँ अपने मस्तक के बीच में, एक सफेद चमकता सितारा.. मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक हूँ.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ.. देखेंगे मुझ आत्मा से सफेद शांति का एक प्रकाश निकल मेरे सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है.. ऊपर मस्तक से लेकर नीचे पैरों तक यह प्रकाश फैल रहा है.. मेरा सम्पूर्ण शरीर सफेद प्रकाशमय बन चुका है... मेरे शरीर का एक एक अंग प्रकाशमय बन चुका है... इन किरणों से मैं बहुत ही रिलैक्स महसूस कर रहा हूँ... अभी धीरे धीरे मेरा सम्पूर्ण लाइट का शरीर लोप हो रहा है... बची सिर्फ मैं आत्मा.. एक चमकता सितारा.. चली आकाश की ओर... आकाश, चाँद, तारों को पार कर पहुँच गयी हूँ परमधाम में... परमधाम... शान्तिधाम... मुक्तिधाम... चारों ओर लाल प्रकाश... असंख्य आत्माएं अपने ज्योति स्वरूप में स्थित हैं, अपने अपने स्थान पर... जैसे कि ये एक आत्माओं का झाड़ है इस लाल प्रकाश की दुनिया में... अभी मैं आत्मा पहुँच गयी हूँ परमात्मा शिवबाबा के एकदम पास..... अनुभव करेंगे परमपिता परमात्मा शिवबाबा मेरे समीप... उनसे दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है... मैं आत्मा स्थित हूँ अपने निराकारी स्वरूप में... परमात्मा शिवबाबा से निरंतर दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समाता जा रहा है... जैसे जैसे ये किरणें मुझमें समा रहीं हैं, मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म नष्ट हो रहें हैं... और मैं आत्मा सम्पूर्ण स्वच्छ, पवित्र बन रही हूँ... 2 मिनट तक हम अनुभव करेंगे परमात्मा से पवित्रता की किरणें निकल मुझमें समाती जा रहीं हैं... सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.... अनुभव करेंगे मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र बन चुकी हूं... मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म, नेगेटिविटी नष्ट हो चुकी है... जैसे कि मैं एक बेदाग हीरा हूँ... बाप समान सम्पूर्ण पवित्र..... अभी अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह पवित्रता का प्रकाश निकल नीचे सारे संसार को मिल रहा है... प्रकृति के पांच तत्व - जल, वायु, अग्नि, धरती व आकाश सब सम्पूर्ण पवित्र बन रहे हैं... संसार की सर्व आत्माओं को यह पवित्रता की किरणें मिल रहीं हैं.... पवित्रता सुख शांति की जननी है। इन पवित्रता की किरणों से संसार की हर आत्मा सुख शांति का अनुभव कर रहीं हैं... उनके आत्मा पे चढ़ी हुई अपवित्रता की मैल सम्पूर्ण स्वच्छ हो रही है.... 2 मिनट तक हम पवित्रता का दान सारे संसार को देंगे... अनुभव करेंगे जैसे कि मैं आत्मा परमात्मा का इंस्ट्रुमेंट हूँ... मैं बस निमित्त हूँ... परमधाम में परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निरंतर मुझमें समाकर, निरंतर सारे संसार को मिल रही है...... अभी मैं आत्मा चली नीचे सृष्टि की ओर... पहुँच गयी अपने स्थूल शरीर में... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूँ अपने लाइट के शरीर में.. एकाग्र करेंगे बुद्धि को परमधाम में.. शिव ज्योति स्वरूप पर... शिवबाबा ज्ञान के सागर , गुणों के सागर, शांति के सागर, सर्वशक्तिवान हैं... अनुभव करेंगे शिवबाबा से रंग बिरंगी किरणें निकल नीचे फाउंटेन की तरह फ्लो हो रही है और मुझ आत्मा में समाती जा रही है... जैसे जैसे ये किरणें मुझ आत्मा में समा रहीं हैं, परमात्मा के सर्व गुण, शक्तियां मुझमें समा रहें हैं... जैसे परमात्मा ज्ञान के सागर हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर ज्ञान का सागर हूँ... जैसे शिवबाबा प्रेम के सागर हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर प्रेम का सागर हूँ... परमपिता परमात्मा सर्वशक्तिवान हैं, मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... यह किरणें मुझमें समाते-समाते मैं सम्पूर्ण बाप समान बन चुकी हूँ... मैं आत्मा सम्पूर्ण, दिव्य, बाप समान चमक रही हूँ... बाप कहते हैं - जैसे मैं चमकता हूँ उस दुनिया में, वैसे आप चमको इस संसार में..! अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह रंग बिरंगा प्रकाश सारे संसार में फैल रहा है..... संसार की लाखों करोड़ों आत्माओं में यह रंग बिरंगा प्रकाश समाते जा रहा है... जैसे एक फाउंटेन की तरह मुझसे यह रंग बिरंगे किरणों का दान सारे संसार को मिल रहा है... 3 मिनट तक संसार को हम यह किरणें देंगे......

ओम शांति।


49. जब भी मन दुःखी या उदास हो तब इस योग कमेंट्री का अभ्यास करें - 5 मिनट मेडिटेशन।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा... एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल मेरे संपूर्ण शरीर में फैल रहीं हैं.... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक ये शांति की किरणें फैल रहीं हैं... और मुझे संपूर्ण रिलेक्स कर रहीं हैं... धीरे धीरे ये किरणें फैल कर मेरा संपूर्ण शरीर लाइट का बन चुका है.... जैसे कि ये शरीर है ही नहीं... मैं आत्मा स्थित हूं अपने डबल लाइट शरीर में.... संपूर्ण स्थिर.. संपूर्ण एकाग्र.. शांत स्थिति में स्थित हूं... अभी हम परमधाम से, शिवबाबा सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा का आह्वान करेंगे... बाबा आ जाओ... धीरे-धीरे परमधाम से बाबा सृष्टि की ओर आ रहे हैं... और आ चुके हैं मेरे सिर के ऊपर... मेरी छत्रछाया बन चुके हैं.... शिवबाबा से दिव्य शक्तियों की रंग बिरंगी किरणें मुझ आत्मा में समाती जा रहीं हैं.... परमात्मा से रंग बिरंगी किरणें; पवित्रता, शांति, प्रेम, आनंद और शक्तियों की किरणें निरंतर मुझमें समाती जा रहीं हैं... मैं परमात्मा की संतान हूं.... अभी बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं - विघ्न विनाशक भव... सफलता मूर्त भव... इन वरदानों की प्राप्ति से, मेरा हर कार्य निर्विघ्न बनेगा..!! और हर कार्य में मैं सफलता मूर्त बनूंगा..!! मैं परमात्मा से निरंतर कंबाइंड हूं.... उनकी शक्तियां निरंतर मेरे साथ हैं... मैं सफलता मूर्त आत्मा हूं... सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है.... जहां परमात्मा बाप कंबाइंड हैं, वहां सर्व शक्तियां साथ हैं..!! चाहे हम घर से बाहर कोई कार्य के लिए जा रहे हैं, कोई सफर के लिए जा रहे हैं, हम विजय.. निर्विघ्न.. व सफलता मूर्त बनेंगे..!! भगवान मेरे साथ हैं... जो होगा अच्छा होगा...!!

ओम शांति।


50. मैं निर्भय आत्मा हूं। विनाश ज्वाला से बचने का साधन - निर्भयता की शक्ति है।

ओम शांति।

अव्यक्त मुरली 21 फरवरी 1985 में बापदादा कहते हैं- "विनाश ज्वाला की अग्नि से बचने का साधन है निर्भयता की शक्ति। निर्भयता विनाश ज्वाला के प्रभाव से डगमग नहीं करेगी। हलचल में नहीं लाएगी। निर्भयता के आधार से विनाश ज्वाला में भयभीत आत्माओं को शीतलता की शक्ति देंगे। आत्मा भय की अग्नि में शीतलता के कारण खुशी में नाचेगी। विनाश देखते भी स्थापना के नजारे देखेंगे। उनके नैनों में, एक आंख में मुक्ति स्वीट होम और दूसरी आंख में जीवन मुक्ति अर्थात स्वर्ग समाया होगा। लोग चिल्लाएंगे - हाय गया, हाय मरा.. और आप कहेंगे अपने मीठे घर में, अपने मीठे राज्य में गया... नथिंग न्यू.. इस खुशी में नाचते गाते साथ चलेंगे... और आप साथ चलेंगे... सुनने में ही सबको खुशी हो रही है तो उस समय कितनी खुशी में होंगे.... तो चारों ही आग से शीतल हो गये। सुनाया ना विनाश ज्वाला से बचने का साधन है निर्भयता.." तो आज हम अभ्यास करेंगे - मैं एक निर्भय आत्मा हूं... एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को, मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... एक चमकता सितारा.. मैं आत्मा अलग हूं... और यह मेरा शरीर एक वस्त्र है... इस शरीर को चलाने वाली मैं एक चेतना हूं... एक शक्ति हूं... संपूर्ण अलग हो जाएं इस शरीर से... एकाग्र हो जाएं अपने आत्मिक स्वरूप पर... अपने निराकारी स्वरूप में... जितना हम इस निराकारी स्थिति में स्थित होंगे, उतना मन से सर्व नेगेटिव संकल्प स्वतः समाप्त हो जाएंगे.. अभी संकल्प करेंगे- मैं एक निर्भय आत्मा हूं... परमात्मा शिव बाबा का मुझे वरदान है- बच्चे सदा निर्भय भव... परमात्मा शिव बाबा का हाथ सदैव मेरे सिर के ऊपर है... इस संसार में चाहे कुछ भी हलचल हो, कोई भी प्राकृतिक आपदाएं हो, कोई भी पेपर आये, चाहे वह व्यक्ति से हो या किसी संसार के साधनों से हो.. या प्रकृति के पांचों तत्वों से हो, मैं एक निर्भय आत्मा हूं... परमात्मा की संतान... शिव बाबा सदैव मुझसे कंबाइंड हैं... और जहाँ भगवान साथ है, वहां कोई कुछ कर नहीं सकता... मैं सदा सुरक्षित हूं... मैं सदा निश्चिन्त हूं... मैं एक बेफिक्र बादशाह हूं... मैं निर्भय हूं... भगवान मेरे साथ हैं... जो होगा अच्छा होगा... अभी 1 मिनट तक हम अपने निराकारी स्वरूप पे एकाग्र करेंगे... अनुभव करेंगे मैं एक निर्भय आत्मा हूं... मैं एक निर्भय आत्मा हूं...

ओम शांति।


51. चिंता से मुक्ति पायें – गाइडेड मेडिटेशन (Anxiety, OCD, Depression, Bipolar Disorder)

ओम शांति।

सर्व संकल्पों को समेट कर, स्थित हो जाएं... अपने आत्मिक स्थिति में... अपने सोल कॉन्शियस स्थिति में... मैं आत्मा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट... स्थित हूं अपने मस्तक के बीच में... मैं आत्मा... ज्योति स्वरूप... चमकता सितारा.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. शांति मेरा ओरिजिनल नेचर है... मेरा स्वभाव शांत है... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह शांति की किरणें निकल संपूर्ण ब्रेन में फैल रहीं हैं... ये रिलेक्स हो चुका है.. धीरे धीरे यह शांति की किरणें नीचे सारे शरीर में फैल रहीं हैं... गला.. कंधों.. हाथ.. छाती.. पेट.. नीचे पैरों तक यह शांति की किरणें फैल चुकी हैं... और मैं संपूर्ण रिलेक्स महसूस कर रहा हूं... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. अनुभव करेंगे, परमात्मा शिवबाबा एक पॉइंट ऑफ लाइट... मेरे सिर के ऊपर हैं... मेरी छत्रछाया बन चुके हैं.. बुद्धि को एकाग्र करेंगे परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर... उनकी छत्रछाया का, उनके साथ का अनुभव करेंगे... शिवबाबा मेरे साथ हैं... अभी महसूस करेंगे, परमात्मा शिवबाबा से लाल रंग का प्रकाश निकल, मुझे आत्मा में समा रहा है... परमात्मा सर्वशक्तिमान, मैं उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिमान..... फील करेंगे इन दिव्य शक्तियों की किरणों को... अभी यह किरणें मुझ आत्मा से निकल कर संपूर्ण ब्रेन में फैल रहीं हैं..... इन किरणों से मेरा ब्रेन, मेरा मस्तिष्क, संपूर्ण शक्तिशाली बन चुका है... धीरे-धीरे अनुभव करेंगे लाल प्रकाश की किरणें, शक्तियों की किरणें सम्पूर्ण शरीर में फैल रहीं हैं... 2 मिनट तक इसी स्थिति में स्थित हो जाएंगे... परमात्मा शिवबाबा मेरी छत्रछाया... उनसे दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल, मुझ आत्मा में समा कर, मेरे संपूर्ण शरीर में फैल रहा है... अनुभव करेंगे मेरा संपूर्ण शरीर लाल प्रकाश से जगमगा उठा है... परमात्मा शिवबाबा मेरी छत्रछाया... मेरे साथ है.... मैं उनकी संतान, मास्टर सर्वशक्तिमान.... मैं उनकी छाया में सदा सुरक्षित हूं... जहा परमात्मा बाप साथ है, वहाँ कोई कुछ कर नहीं सकता... भगवान मेरे साथ हैं... आज से मेरे साथ जो होगा, अच्छा होगा.. भगवान मेरे साथ हैं... आज से मेरे साथ जो होगा, अच्छा होगा.... इनके साथ के अनुभव से मैं बहुत ही निश्चिंत हूं... सुरक्षित हूं... निर्भय हूं... भगवान मेरे साथ हैं... मेरे साथ जो होगा, अच्छा होगा...

ओम शांति।


52. कोई भी नेगेटिव वायुमण्डल या परिस्थिति के प्रभाव से बचने के लिए यह अंतर्मुखता का अभ्यास सीख लें।

ओम शांति।

आज की मेडिटेशन कमेंट्री है अन्तर्मुखता पे। अव्यक्त मुरली 24 जून 1971 में बाबा ने अंतर्मुखी बनने के फायदे बताएं हैं। इसी मुरली के आधार पर हम यह मेडिटेशन कमेंट्री करेंगे। तो चलिए स्टार्ट करते हैं... मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा... अनुभव करेंगे, मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्मेंद्रियों की मालिक... देखेंगे मैं आत्मा अपने डबल लाइट स्वरूप में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... संपूर्ण सफेद प्रकाश का शरीर... अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश की ओर... आकाश, चांद, तारों को पार कर, पहुंच गया सुक्ष्म वतन में... चारों ओर सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा.. मुझे दृष्टि दे रहे हैं... अभी बाबा के सामने बैठ जाएं... अनुभव करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया... और मुझे वरदान दे रहे हैं- बच्चे अंतर्मुखी भव... सदा निर्विघ्न भव... सफलता मूर्त भव... इन वरदानों की प्राप्ति से मैं एक अन्तर्मुखी आत्मा हूं... इस अन्तर्मुखता के गुण के कारण, अन्तर्मुखी रहने से, मैं सदा निर्विघ्न रहूंगा... हर कर्म में निर्विघ्न बनने से, मेरा हर कर्म सफल होगा... मैं सफलता मूर्त आत्मा हूं.. मैं हर कर्म में सदा विजयी हूं... मैं एक अंतर्मुखी आत्मा हूं... स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिया है- अंतर्मुखी भव... अंतर्मुखता की स्थति में स्थित होने के कारण मेरा हर विघ्नों से बचाव होगा.... मेरा समय बचेगा... मेरे संकल्पों की बचत होगी... आज से मैं एक अंतर्मुखी आत्मा हूं... इसी अंतर्मुखता के गुण से स्वतः ही हर कर्म में मैं हर्षितमुख रहूंगा... आकर्षण मूर्त भी रहूंगा... एकाग्र हो जाएं इसी स्थिति में... मैं एक अंतर्मुखी आत्मा हूं... भगवान ने मुझे वरदान दिया है- अंतर्मुखी भव... निर्विघ्न भव... सफलता मूर्त भव... इसी अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर हम बापदादा के महावाक्य सुनेंगे... अव्यक्त मुरली 1971 - अंतर्मुखी बनने से फायदे - कोई भी नई इन्वेंशन जब निकालते हैं तो जितनी पावरफुल इन्वेंशन होती है, उतना ही अंडरग्राउंड इन्वेंशन करते हैं..... आप लोगों की भी दिन-प्रतिदिन इन्वेंशन पावरफुल होगी... जैसे अंडरग्राउंड करते हैं, वैसे ही आप भी जितना अंडरग्राउंड अर्थात अंतर्मुखी रहेंगे, उतना ही नई-नई इन्वेंशन, योजनाएं निकाल सकेंगे... अंडरग्राउंड रहने से एक तो वायुमंडल से बचाव हो जाएगा.. दूसरा एकांत प्राप्त होने के कारण मनन शक्ति भी बढ़ती है... तीसरा कोई भी माया के विघ्नों से सदा ही सेफ्टी का साधन बन जाते हैं... अपने को सदैव अंडरग्राउंड अर्थात अंतर्मुखी बनाने की कोशिश करनी चाहिए... अंतर्मुखी हो करके कार्य करने से एक तो विघ्नों से बचाव, दूसरा समय का बचाव, तीसरा संकल्पों का बचाव व बचत हो जाएगा... अमृतवेले अपनी बुद्धि के कारोबार का प्रोग्राम भी पहले से ही सेट कर देना है... जैसे स्थूल कारोबार का प्रोग्राम बनाते हो, वैसे अपनी बुद्धि का क्या-क्या कारोबार हुआ व क्या कार्य बुद्धि से करना है, तो जब प्रोग्राम सेट करेंगे तब ही समय की बचत और सफलता अधिक हो सकेगी....

ओम शांति।


53. Meditation for Students - Best way to improve Concentration, Memory Power! एकाग्रता के लिए मेडिटेशन।

ओम शांति।

आज की मेडिटेशन कमेंट्री है स्टूडेंट्स के लिए। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम आत्मिक स्थिति में स्थित होंगे और परमात्मा से कंबाइंड स्वरूप का अभ्यास करेंगे। इस मेडिटेशन कमेंट्री से हमारी एकाग्रता बढ़ती है, जिससे कि हम जो भी क्षेत्र में जो पढ़ाई पढ़ते हैं, आसानी से ग्रहण कर सकते हैं, हमें याद भी रहने लगता है। तो चलिए स्टार्ट करते हैं... एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को, मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाईट... चमकता सितारा.... फील करेंगे I am soul … अपने मस्तक के बीच में... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं... अभी बुद्धि को एकाग्र करेंगे.. अपने सिर के ऊपर.. देखेंगे परमात्मा शिवबाबा... एक पॉइंट ऑफ लाइट.. मेरे साथ हैं... मुझसे कंबाइंड हैं... फील करें उनके साथ का अनुभव.. मैं परमात्मा की संतान.. मास्टर ज्ञान सूर्य.. मास्टर सर्वशक्तिमान.... अभी संकल्प करेंगे - मैं मास्टर ज्ञान सूर्य हूं... परमात्मा की संतान... सर्वशक्तिमान हूं... भगवान मेरे साथ हैं.. मेरे साथ जो होगा, अच्छा होगा.... भगवान का साथ होने से मैं हर एक्जाम में सफल बनूंगा.. अच्छे मार्क्स से सफलता प्राप्त होगी.... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... परमात्मा की संतान... अभी 1 मिनट हम एकाग्र करेंगे परमात्मा ज्योति पर..... मेरे सिर के ऊपर..... देखेंगे उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें निकल, जैसे एक लेज़र बीम लाइट निकल, मुझ आत्मा में समा रही है..... भगवान हमें अपनी सर्व शक्तियां गिफ्ट में दे रहे हैं... मैं आत्मा परमात्मा की संतान हूं... उनसे शक्तियों की किरणें मुझमें समा रहीं हैं... और मैं भरपूर बन रही हूं... मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... परमात्मा का साथ होने से, परमात्मा की शक्तियां साथ होने से मैं हर कार्य में निर्विघ्न, सफल बनूंगी.... हर एग्जाम में अच्छे मार्क्स से सफलता प्राप्त करूंगी.... इस अभ्यास को, दिन में कम से कम 3 से 4 बार करें या पढ़ाई स्टार्ट करते हैं, 3 से 5 मिनट करके पढ़ाई स्टार्ट करें... इसी प्रकार से हम एग्ज़ाम में भी जब जाते हैं, तो यह अभ्यास करें। इससे हमारी एकाग्रता की शक्ति बढ़ेगी... जो भी हमने पढ़ा है, इस एकाग्रता की शक्ति से हमें एग्ज़ाम में याद आते रहेगा। और हम एंजॉय करते करते पढ़ाई करेंगे, एग्ज़ाम देंगे और पास आउट बनेंगे। यह स्वमान हमेशा याद रखें - भगवान मेरे साथ है! मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं...

ओम शांति।


54. कोई कार्य करते बीच बीच में यह 5 मिनट शांति का अनुभव करें - मन होगा शांत - बुद्धि होगी एकाग्र।

ओम शांति।

मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.. अनुभव करेंगे, मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... स्थित हूं अपने मस्तक के बीच में... एकाग्र करेंगे बुद्धि अपने आत्मिक स्वरूप पर.. मैं आत्मा अपने कर्मेंद्रियों की मालिक ... स्वराज्य अधिकारी... मैं एक शान्त स्वरूप आत्मा हूँ... शान्ति मेरी शक्ति है... शान्ति मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर है... संपूर्ण डिटैच हो जाएं अपने शरीर से... अनुभव करेंगे, मेरा संपूर्ण शरीर लोप हो चुका है.... बची मैं आत्मा, अपने लाइट के शरीर में... अभी फील करेंगे, परमात्मा शिव बाबा मेरे सिर के ऊपर हैं... जैसे कि मेरी छत्रछाया बन चुके हैं... फील करेंगे परमात्मा का साथ ... परमात्मा शिव बाबा मेरे सिर के ऊपर... परमात्मा शिवबाबा शांति के सागर... गुणों के सागर.... सर्वशक्तिमान हैं...। अनुभव करेंगे, उनसे शांति की दिव्य किरणें निकल, मुझ आत्मा में फ्लो हो रहीं हैं... जैसे लेज़र बीम की तरह शिव बाबा से शांति की किरणें निकल, मुझमें समा रहीं हैं... संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इसी स्थिति में... गहराई से अनुभव करें परमात्मा शिव बाबा से शान्ति की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... मैं आत्मा यह शान्ति की किरणें खींच रही हूं... सर्व संकल्प समाप्त हो चुके हैं... सिर्फ शान्ति का फ्लो मुझ आत्मा में हो रहा है... गहराई से अनुभव करेंगे, सम्पूर्ण एकाग्र, मैं एक शान्त स्वरूप आत्मा हूं... मेरा ओरीजनल नेचर शान्ति है... शान्ति मेरी एक शक्ति है... परमात्मा शिवबाबा सदैव मेरे साथ हैं... उनके साथ से मैं हर कार्य सहज अनुभव करता हूं... उनके साथ से हर कार्य में मैं निर्विघ्नं हूं... सफलता मूर्त हूं... शांति की स्थिति में स्थित होकर हर कार्य करता हूं... परमात्मा शांति के सागर, मैं आत्मा मास्टर शांति का सागर हूं... इस अभ्यास को बीच बीच में, कोई भी कार्य करते, एक ट्रैफिक कंट्रोल के रूप में हम कर सकते हैं... बीच-बीच में शांति का अनुभव करने से, परमात्मा से कंबाइंड अनुभव करने से हमारी कार्य क्षमता बढ़ती है.. हमारी एकाग्रता बढ़ती है... जो भी हम कार्य करते हैं, वह कार्य की क्वालिटी बढ़ती है.. और हमारा समय वेस्ट नहीं होता। और सहज ही हम सफलता प्राप्त करते हैं!

ओम शांति।


55. रात सोने से पहले सभी की गलतियों को माफ कर दो और सब कुछ परमात्मा को अर्पण कर दो.. रात्रि मेडिटेशन।

ओम शांति।

अनुभव करेंगे, मैं आत्मा.. अपने लाइट के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. एकाग्र हो जाएं अपने डबल लाइट शरीर में... जैसे कि संपूर्ण स्थूल शरीर लोप हो चुका है... सिर्फ मैं आत्मा अपने सूक्ष्म शरीर में... अभी एक सेकंड में पहुंच जाएं सूक्ष्म वतन में... बापदादा हमारे सामने... हमें दृष्टि दे रहे हैं... अभी बापदादा ने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... और मुझे वरदान दे रहे हैं- बच्चे शांति के फरिश्ता भव... बच्चे अशरीरी भव... बच्चे सदा निश्चिंत भव.. इन वरदानों से भरपूर होकर, सूक्ष्म वतन में इमर्ज करेंगे उन आत्माओं को जो दिन भर हमारे संबंध संपर्क में आए... देखेंगे, अनुभव करेंगे हम बापदादा के साथ बैठे हैं... और सामने इमर्ज हैं यह आत्माएं जो दिन भर में हमारे संबंध संपर्क में आएं... बाबा से प्रेम की किरणें लेकर, इन्हें मुझमें समा कर, इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.... संपूर्ण भरपूर करें आत्माओं को प्यार की किरणों से... यदि दिन भर में हमसे कोई गलती हुई हो तो इन आत्माओं से क्षमा मांग ले... हमें माफ कर दें! यदि कोई आत्मा से हमें दुख मिला हो, उनसे प्रकृतिवश ना चाहते हुए भी गलती हुई हो, तो हम उन्हें दिल से माफ कर दें... क्षमा कर दें... अनकंडीशनली माफ कर दें... और इसी प्रकार, दिन भर में जिन जिन आत्माओं ने हमें सहयोग दिया हो, उन आत्माओं को शुक्रिया करेंगे... निरंतर इन आत्माओं को मुझसे प्यार की किरणों का दान मिल रहा है... और यह संपूर्ण तृप्त हो चुके हैं... और मुझे दिल से दुआएं दे रहे हैं.. इस अभ्यास से मैं संपूर्ण निश्चिंत हूं... संपूर्ण एकाग्र... सम्पूर्ण हल्का हो चुका हूं...  अभी हम बापदादा को गले लगा लें... उनकी गोद में समा जाएं... संपूर्ण बोझ बाप के हवाले कर दें... बाबा मैं आज के दिन का सब कार्य आपको समर्पण करता हूं... मेरे इस ब्राह्मण जीवन का हर समय, संकल्प, संपत्ति, संबंध, कर्म और यह मेरा शरीर आपको अर्पण है.... मेरा कुछ नहीं... सब आपका है... मैं निश्चिंत हूं... बापदादा की गोद में समा जाएं... फील करें उनकी शांति की किरणों का... उनके साथ का... और निश्चिंत होकर निर्संकल्प हो जाएं....

ओम शांति।


56. Tension free, Peaceful रिलैक्सिंग मेडिटेशन कमेंट्री।

ओम शांति।

चारों ओर के सर्व संकल्पों को समेट कर, एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.... एक पॉइंट ऑफ लाइट... स्थित हूं अपने मस्तक के बीच में... मैं आत्मा अपने शरीर की मालिक... यह शरीर अलग है... और शरीर को चलाने वाली मैं आत्मा, एक पॉइंट ऑफ लाइट... एक शान्त स्वरूप आत्मा हूं... शान्ति मेरी एक शक्ति है.... अभी मैं आत्मा यह शरीर से संपूर्ण डिटैच हो, चली ऊपर.. अपने घर परमधाम में.... अनुभव करेंगे चांद, तारों, आकाश को पार कर अपने घर पहुंच गई... परमधाम में... यह मेरा असली घर है... परमधाम... शांतिधाम... चारों ओर गोल्डन लाल प्रकाश अपने घर में.... मैं पहुंच गई हूं हमारे परमपिता परमात्मा शिव बाबा के पास... अनुभव करेंगे, शिव बाबा ज्योति स्वरूप से शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा रही हैं... मैं सम्पूर्ण शान्त स्वरूप आत्मा हूं... यह शान्ति मेरा स्वधर्म है... शांति मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर है.... यह शांति मेरी एक शक्ति है... मेरा स्वभाव शांत है... मैं आत्मा सम्पूर्ण रिलैक्स हूं... मैं आत्मा अपने घर में, परमपिता परमात्मा शिव बाबा के साथ... इन किरणों में मैं बहुत ही सुख अनुभव कर रहीं हूं... साक्षी होकर अपने संकल्पों को चेक करें... यह संकल्प मेरी रचना है... मुझ आत्मा को कोई hurt नहीं करता... यह hurt मेरे ही संकल्पों की रचना है... आज तक मैं खुशी का और शांति का अनुभव बाहर व्यक्ति, वस्तु, वैभव या परिस्थितियों में ढूंढ रही थी... यह बाहर की परिस्थितियों से प्राप्त की गई खुशी टेंपरेरी है, अस्थाई है... अनुभव करेंगे परमात्मा से शांति की किरणें मिल रही हैं... मेरे पास्ट के जो भी मन में स्मृतियां हैं, व्यक्तियों के लिए, दुख की.. सब डिलीट हो चुकी है... परमात्मा कहते हैं- श्रेष्ठ स्मृतियों से पास्ट की स्मृतियां विस्मृत हो जाती हैं... जितना ही हम अपने ओरिजिनल नेचर में स्थित होंगे, उतना ही हमारे मन में जो पास्ट की बातें हैं... दुख की बातें हैं... वह स्वतः ही समाप्त हो जाएंगी... मैं एक खुशनसीब आत्मा हूं... मैं बहुत खुश हूं... आज से मेरी खुशी किसी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति पर आधारित नहीं है.. मैं अपने मन की मालिक हूं... मैं सदा शांत हूं... मैं सदा खुश हूं... परमात्मा कहते हैं- न व्यक्ति बदलेगी.. न स्थान बदलेगा.. न परिस्थितियां बदलेगी... तुम्हें स्वयं को बदलना होगा! आज से मेरी स्थिति इन बाह्य परिस्थितियों पर आधारित नहीं है... मैं सदा अचल अडोल आत्मा हूं... मैं एक खुशनसीब आत्मा हूं... मैं सदा शांत हूं... मैं सदा खुश हूं...

ओम शांति।


57. रोज़ अमृतवेले परमात्मा से वरदान कैसे लें? इस विधि से अमृतवेला करेंगे तो बाबा हर अर्जी पूरी कर देंगे।

ओम शांति।

अमृतवेला वरदानी वेला है। इस वेला में हम जो चाहें, परमात्मा से वरदान ले सकते हैं। इस वेला में परमात्मा से योग लगाकर हम जो भी संकल्प करेंगे, विजुलाइज करेंगे, वह सिद्ध होगा। हमें कम से कम 5 से 10 वरदान रोज़ अमृतवेले बाबा से लेने हैं... हर दिन हम वह वरदान रिपीट करेंगे... अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से वरदानों की प्राप्ति से हमारा जीवन निर्विघ्न व सफलता मूर्त बनेगा... हम नेचुरल पवित्र, गुण मूर्त, शक्तिशाली बनेंगे... हमारे कोई भी पुराने संस्कार हैं, नेगेटिव संस्कार हैं, वह इन वरदानों की प्राप्ति से, इन वरदानों की रिलाइजेशन से, पुराने संस्कार स्वत: ही परिवर्तन हो जाते हैं... तो चलिए हम स्टार्ट करते हैं.. अमृतवेले परमात्मा से वरदान लेने की विधि।  एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को अपने आत्मिक स्वरूप, मस्तक के बीच... ज्योति स्वरूप... पॉइंट ऑफ लाइट... मैं आत्मा अपने शरीर की मालिक... स्वराज्य अधिकारी... फील करें मुझ आत्मा से निकालता हुआ सफेद प्रकाश संपूर्ण शरीर में फैल रहा है... संपूर्ण शरीर में यह प्रकाश फैल चुका है... जैसे ये शरीर लोप हो चुका है... मैं आत्मा लाइट के शरीर में, अपने फरिश्ता स्वरूप में... अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश की ओर..... आकाश, चांद, तारों को पार कर पहुंच गया सूक्ष्म वतन में... चारों और सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं... मुझे गले लगा रहे हैं.. संपूर्ण बोझ मुक्त हो जाएं... बाबा की बाहों में कोई संकल्प नहीं... संपूर्ण रिलैक्स... संपूर्ण एकाग्र...। अभी बाबा के सामने बैठ जाएं... अनुभव करेंगे, उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... उनके हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल, मेरे संपूर्ण शरीर में समा रहा है... संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में...  अभी बापदादा मुझे वरदान दे रहे हैं - बच्चे श्रेष्ठ योगी भव... बच्चे सफलता मूर्त भव... बच्चे विघ्न विनाशक भव... बच्चे मास्टर सर्वशक्तिमान भव... बच्चे बाप समान भव..!! हम यह वरदान रिपीट करेंगे.... श्रेष्ठ योगी भव... सफलता मूर्त भव... विघ्न विनाशक भव... मास्टर सर्वशक्तिमान भव... बाप समान भव..!! डीप रिअ्लाइजेशन में जाएं, फील करेंगे... मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूं.... मैं सफलता मूर्त आत्मा हूं.... मैं विघ्न विनाशक आत्मा हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं... मैं बाप समान आत्मा हूं... इन वरदानों की प्राप्ति से हमारा जीवन निर्विघ्नं रहेगा... हमें हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी... हर कार्य में मास्टर सर्वशक्तिमान की स्मृति से, परमात्मा की सर्वोच्च शक्तियां मेरे साथ कार्य करेंगी... मैं बाप समान सर्वशक्तिमान आत्मा हूं... हमें सवेरे अमृतवेले और नुमाशाम योग में यह अभ्यास करना है... और इसी के साथ दिन में काम करते, यह ट्रैफिक कंट्रोल में हमें यह वरदान रिवाइज करने हैं.. जितना जितना हम यह वरदान का अभ्यास करेंगे, उतना हमारा जीवन स्वतंत्र व निर्विघ्न बनेगा... हम शक्तिशाली बनेंगे.... और जो भी नेगेटिव भावनाएं हैं, जो भी नेगेटिव संकल्प हैं या कोई पुराने संस्कार हैं, जो चेंज नहीं हो रहे हैं, वे इन वरदानों के निरंतर अभ्यास से स्वतः ही परिवर्तन हो जाएंगे... इन वरदानों की श्रेष्ठ स्मृतियों से पास्ट की स्मृतियाँ विस्मृत हो जायेंगी...

ओम शांति।


58. बहुत सुंदर सूक्ष्म वतन, फरिश्ता स्वरूप और मनसा सेवा का अनुभव। नुमाशाम योग कमेंट्री।

ओम शांति।

चारों ओर के सर्व संकल्पों को समेट कर, अनुभव करेंगे, मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... फील करेंगे.. अपने मस्तक के बीच में एक चमकता सितारा... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... शांति मेरी ओरिजिनल नेचर है... शांति मेरी शक्ति है... फील करेंगे- मुझ आत्मा से यह शांति का प्रकाश निकल, मेरे संपूर्ण शरीर में फैल रहा है... देखेंगे यह सफेद किरणें मुझ आत्मा से निकल, ऊपर ब्रेन में फैल रही हैं... धीरे-धीरे नीचे संपूर्ण शरीर में फैल रही हैं... नीचे पैरों तक यह शक्तियां फैल चुकी हैं... संपूर्ण रिलेक्स और पीसफुल महसूस कर रहा हूं... मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में स्थित हूं... जैसे कि स्थूल शरीर संपूर्ण लोप हो चुका है.... मैं आत्मा अपने फरिश्ता स्वरूप में... अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश की ओर... आकाश, चांद, तारों को पार कर पहुंच गया सूक्ष्म वतन..... चारों ओर सफेद प्रकाश..... सामने मेरे बापदादा... मुझे दृष्टि दे रहे हैं... मुझे गले लगा रहे हैं... अभी बापदादा के सामने बैठ जाएं... अनुभव करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... और उन हाथों से दिव्य प्रकाश मुझ में समा रहा है... मुझे बापदादा अभी वरदान दे रहे हैं- बच्चे, श्रेष्ठ योगी भव.. बच्चे, विजयी भव... बाप समान भव... बापदादा ने मुझे बाप समान भव का वरदान देकर मुझे भरपूर कर दिया है.... मुझे संपूर्ण बाप समान का वरदान देकर संपूर्ण पवित्र, संपूर्ण शांत और शक्तिशाली बना दिया है.... मेरा सूक्ष्म शरीर बाप समान प्रकाश से संपूर्ण जगमगा उठा है... मैं संपूर्ण रीति से बाप समान बन चुका हूं.... संपूर्ण बाप समान फरिश्ता... कोई दाग नहीं.. संपूर्ण शुद्ध... और पवित्र बन चुका हूं... मेरे सर्व जन्म जन्मांतर के विकर्म इस लाइट से, इस वरदान से नष्ट हो चुके हैं... मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूं... मैं विजयी हूं... मैं बाप समान हूं... बापदादा के साथ बैठ जाएं... और अपने दृष्टि के सामने हम इमर्ज करेंगे प्रकृति के पांचों तत्वों को... देखेंगे पांचों तत्व बिंदु रूप में, सूक्ष्म वतन में... अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी... पांचों इकट्ठे.... बाबा और मेरी दृष्टि से इन प्रकृति के पांचों तत्वों को शांति का दान मिल रहा है.... प्रकृति संपूर्ण शांत हो रही है... इन किरणों से संपूर्ण तृप्त हो रही है... इन तत्वों की हलचल समाप्त हो रही है... इनके साथ अब हम इमर्ज करेंगे सतयुग और त्रेतायुग की 33 करोड़ आत्माओं को.... फील करेंगे यह आत्माएं अपने लाइट के शरीर में, सूक्ष्म वतन में हमारे सामने इमर्ज हो चुकी हैं... बाबा से और मुझसे इनको शांति की किरणें मिल रहीं हैं... अनुभव करेंगे बाबा से प्यार की किरणें, हरें रंग की किरणें मुझमें समा कर और हम से यह किरणें 33 करोड़ आत्माओं को और प्रकृति के पांचों तत्वों को मिल रहीं हैं.... 33 करोड़ देवी देवतागण संपूर्ण स्नेह का अनुभव कर रहे हैं... हमसे इनको प्यार की किरणें मिल रही हैं... इनके साथ हमने कल्प का पूरा चक्कर लगाया है... यह वही देवी देवता हैं, जिनके मंदिर हैं... भक्त इनको पूजते हैं... यह वही आत्माएं हैं, जिन्होंने संगम युग में भगवान को पहचाना... भगवान के सृष्टि परिवर्तन के कार्य को इन्होंने अनुभव किया है... देखा है... और इनमें यह सहयोगी बने हैं... हम संसार की सर्व 800 करोड़ आत्माओं को इमर्ज करेंगे और इन्हें भी प्यार की किरणों का दान बाबा से और मुझसे मिल रहा है.... सूक्ष्म वतन में संपूर्ण 800 करोड़ आत्माएं और प्रकृति के पांचों तत्वों को हमसे यह किरणों का दान मिल रहा है..... 3 मिनट तक हम इसी स्थिति में स्थित रहेंगे.... हमारी दृष्टि से, नैनों से इनको प्यार की किरणों का दान मिल रहा है... हरें रंग की किरणों का दान मिल रहा है...... अभी हम देखेंगे यह सर्व आत्माएं संपूर्ण शक्तिशाली बन चुके हैं... संपूर्ण अचल अडोल... प्रकृति स्थिर हो चुकी है... कोई हलचल नहीं... अभी हम बापदादा के हाथों में हाथ डाल, फरिश्ता रूप में, पूरे सूक्ष्म वतन का चक्कर लगाएंगे... उड़ चलें बापदादा के हाथों में हाथ डालकर.... करें सैर सूक्ष्म वतन का! देखेंगे फरिश्तों की दुनिया... बाबा के साथ असंख्य फरिश्तें धीरे-धीरे उड़कर चलें नीचे सृष्टि की ओर.... देखेंगे बापदादा और मैं फरिश्ता रूप में आकाश में उड़ रहे हैं... पंख लगा के उड़ रहे हैं... एक संपूर्ण फरिश्ता.. जीवनमुक्ति का अनुभव करें.... कोई संकल्प नहीं... बस मैं फरिश्ता उड़ रहा हूं... आकाश में बाबा के साथ उड़ते उड़ते आ जाएं, बैठ जाएं ग्लोब के ऊपर... फरिश्ता रूप में... अभी हम अपनी बुद्धि रूपी नेत्र को एकाग्र करेंगे परमधाम में... शिव बाबा ज्योति स्वरूप पर... बाबा ज्ञान के सागर... गुणों के सागर... सर्वशक्तिमान... फील करेंगे उनसे रंग बिरंगी किरणें निकल, नीचे फाउंटेन की तरफ फ्लो होकर, मुझ आत्मा बिंदु में समा कर, संपूर्ण फरिश्ता रूप में समा रहीं हैं.... यह किरणें सर्व गुणों, सर्व शक्तियों से संपन्न हैं... अनुभव करेंगे, यह फाउंटेन शिव बाबा से निकल मुझ आत्मा में समा रहा है.... 1 मिनट इसी स्थिति में स्थित होंगे..... संपूर्ण किरणों से भरपूर हो, फील करेंगे.. यह रंग बिरंगी किरणें मुझ फरिश्ता से निकल सारे संसार को मिल रहीं हैं... सारे ग्लोब को मिल रहीं हैं... प्रकृति के पांचों तत्वों को मिल रहीं हैं... संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहीं हैं... 5 मिनट तक हम इसी स्थिति में स्थित रहेंगे... शिवबाबा से रंग बिरंगी किरणें निकल, मुझ फरिश्ता में समा कर नीचे ग्लोब को मिल रहीं हैं.. संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहीं हैं........

ओम शांति।


59. रोज़ अमृतवेले प्रभु पिता को कैसे याद करें? उनसे बातें कैसे करें? उनसे मदद कैसे लें? मेडिटेशन।

ओम शांति।

परमात्मा शिव बाबा को कैसे याद करें? यह एक लॉ ऑफ नेचर है, कि हम जिसको याद करते हैं, हम उनके समान बनते जाते हैं... इसी प्रकार जितना हम सर्वशक्तिमान परमात्मा को याद करेंगे, हम उनके समान शक्तिशाली बन जाएंगे... उनको याद करने से हमारी स्थिति अचल अडोल बनेगी, निर्विघ्न बनेगी, हर परिस्थिति में हम स्थिर रहेंगे... परमपिता परमात्मा शिव बाबा को याद करना अति सहज है.. हमें उनको याद करने के लिए इस शरीर से डिटैच होना है... परमपिता परमात्मा निरंतर अशरीरी हैं... जैसे ही हम अपने शरीर से डिटैच होते हैं, स्वतः ही हमारा कनेक्शन उनसे जुड़ता है... उनसे करंट हमें मिलती जाती है.... हमारी सर्व समस्याओं का समाधान परमपिता परमात्मा शिवबाबा करते हैं... परमात्मा कहते हैं- जो बच्चे मेरी याद में मग्न रहते हैं, उनके सोचने का कार्य भी मैं करता हूं! तो इस अभ्यास को एक मेडिटेशन के रूप में हम करेंगे। तो चलिए स्टार्ट करते हैं। संपूर्ण डिटैच हो जाएं अपने शरीर से, अनुभव करेंगे, मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.. एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. फील करेंगे कि मैं संपूर्ण शरीर से डिटैच... जैसे शरीर मुझे दिखाई नहीं दे रहा है.... संपूर्ण हल्के हो चुके हैं... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... अभी हम विजुलाइज करेंगे, परमपिता परमात्मा शिव बाबा... परमधाम में... परमधाम हमारा असली घर... सर्व आत्माओं का घर... देखेंगे परमधाम में परमपिता परमात्मा शिव बाबा एक पॉइंट ऑफ लाइट.... जैसे मैं पॉइंट ऑफ लाइट हूं, हमारे पिता शिव बाबा भी पॉइंट ऑफ लाइट हैं... वे सम्पूर्ण शांति के सागर हैं... गुणों के सागर हैं.. सर्व शक्तिमान हैं... परमात्मा शिव बाबा से सफेद प्रकाश नीचे फ्लो हो रहा है.. और मुझ आत्मा में समा रहा है... उनकी किरणें मुझे मिल रहीं हैं... इस प्रकाश से मैं सम्पूर्ण शक्तिशाली बन रहा हूँ... एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में... सम्पूर्ण मग्न हो जाएं परमात्मा मिलन की अनुभूति में.... हम इस स्थिति में परमात्मा से बातें भी कर सकते हैं.. हमारे मन की हर बातें उन्हें शेयर कर सकते हैं - जो भी उलझन हो, जो भी समस्या हो, हम उन्हें बता सकते हैं.. उन्हें समर्पण कर सकते हैं... वह हमारे पिता हैं! वे 100% हमें मार्गदर्शन देंगे... हमें हर समस्याओं से बचाएंगे... उनकी किरणें निरंतर मुझमें फ्लो हो रही हैं....मेरे साथ हैं... आज से मैं अकेला नहीं हूँ... मेरे पिता, मेरे साथी मेरे साथ हैं... उनको याद करने से उनकी शक्तियां हमेशा मेरे साथ हैं.... जहाँ बाप साथ है, वहां कोई कुछ कर नहीं सकता... परमात्मा कहते हैं जो बच्चे मेरी याद में मग्न रहते हैं, उनके सोचने का भी कार्य मैं करता हूँ... बाबा कहते हैं जब भी मुश्किल आवे, दिल से कहना - बाबा, मेरे बाबा, मेरे साथी आ जाओ, मदद करो.., तो परमपिता परमात्मा बाप बंधा हुआ है... वह हमें 100% मदद करेंगे।  

ओम शांति।


60. आओ फैलाएं पवित्रता का गोल्डन प्रकाश - मैं परम पवित्र आत्मा हूँ - मेडिटेशन कमेंट्री।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... मस्तक के बीच में... मैं आत्मा संपूर्ण शुद्ध... संपूर्ण पवित्र... मैं एक परम पवित्र आत्मा हूं... फील करेंगे मुझ से पवित्रता का गोल्डन प्रकाश निकल सारे शरीर में फैल रहा है... देखेंगे यह प्रकाश मुझ आत्मा से ब्रेन में फैल रहा है... धीरे धीरे यह प्रकाश संपूर्ण शरीर में फैल चुका है... मैं परम पवित्र आत्मा हूं... अनुभव करेंगे, मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक पवित्रता का फरिश्ता हूं... परमधाम में शिव बाबा से पवित्रता की गोल्डन किरणें नीचे फ्लो हो रहीं हैं... और मुझ आत्मा में समा कर, सारे विश्व को मिल रहीं हैं... अनुभव करेंगे, मैं पवित्रता का फरिश्ता.. स्थित हूं ग्लोब पर... बाबा से पवित्रता की गोल्डन किरणें निकल, मुझ में समा कर, सारे ग्लोब को मिल रहीं हैं.... सारे संसार को मिल रहीं हैं... प्रकृति के पांचों तत्वों को यह प्रकाश मिल रहा है... अनुभव करेंगे यह गोल्डन पवित्रता की किरणें संसार की हर आत्मा को मिल रहीं हैं... मैं परम पवित्र आत्मा हूं... मैं पवित्रता का फरिश्ता हूं... मैं पवित्रता का सूर्य हूं... मुझसे पवित्रता की किरणें निकल सारे संसार को मिल रहीं हैं... प्रकृति के पांचों तत्वों को मिल रहीं हैं... अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी.. पांचों ही तत्व संपूर्ण पवित्र बन चुके हैं... संसार की सर्व आत्मायें यह पवित्रता की किरणों का अनुभव कर रहीं हैं... पवित्रता सुख शांति की जननी है। इन किरणों से संसार की सर्व आत्मायें सुख शांति का अनुभव कर रहीं हैं... अनुभव करेंगे, मुझसे गोल्डन किरणें निकल, संपूर्ण ग्लोब में समा रहीं हैं... संपूर्ण ग्लोब गोल्डन कलर का बन चुका है... मैं परम पवित्र आत्मा हूं... पवित्रता का फरिश्ता हूं... मैं पवित्रता का सूर्य हूं... मुझसे पवित्रता की किरणें चारों ओर फैल रहीं हैं... 2 मिनट तक इसी स्थिति में एकाग्र हो जाएं... संपूर्ण गोल्डन किरणें शिवबाबा से निकल, मुझमें समा कर पूरे संसार में फैल रहीं हैं... यह संसार संपूर्ण पवित्र बन चुका है... संपूर्ण गोल्डन कलर की किरणों से यह भर गया है... मैं परम पवित्र आत्मा हूं... मैं पवित्रता का फरिश्ता हूं... मैं पवित्रता का सूर्य हूं... मैं संसार में अवतरित फरिश्ता हूं... मैं परम पवित्र आत्मा हूं... मैं पवित्रता का फरिश्ता हूं.. मैं पवित्रता का सूर्य हूं... मैं संसार में अवतरित फरिश्ता हूं....

ओम शांति।


61. "मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा!" यह एक जादुई संकल्प आपकी ज़िंदगी बदल देगा।

ओम शांति।

हमारी संकल्पों में क्रिएटिव एनर्जी है, जो संकल्प हम बार-बार करते हैं, उसका हम निर्माण करते हैं। परमात्मा कहते हैं - "सदैव कहो मेरे साथ अच्छा होगा.. तो यदि बुरा होने वाला भी होगा, तो वह भी अच्छा हो जाएगा!" यदि हम सदैव स्मृति में रखते हैं कि मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा, तो हमारे जीवन में सदैव अच्छा ही होता रहेगा। आज हम इस पॉज़िटिव संकल्प के साथ मेडिटेशन करेंगे। इस अभ्यास को 3 मिनट करना है। इसको करते ही आपका माइंड फ्रेश हो जाएगा.. जो हमारे नेगेटिव संकल्प थे, वह संकल्प पॉज़िटिव हो जाएंगे। तो चलिए स्टार्ट करते हैं.. अनुभव करेंगे, मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.. अपने मस्तक के बीच में.. स्थित हो जाएं अपने आत्मिक स्थिति में.. अभी तीन बार संकल्प करेंगे - मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा.. मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा.. मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा.. अभी अनुभव करेंगे मेरे सिर के ऊपर परमात्मा शिव बाबा.. मेरे साथ हैं.. वह मेरे पिता हैं.. उनके साथ का अनुभव करेंगे.. उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में फ्लो हो रहीं हैं.. समा रहीं हैं.. मग्न हो जाएँ इस अवस्था में.. शिव बाबा मेरे सिर के ऊपर.. उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझ में समा रहीं हैं... भगवान मेरे साथ हैं.. मेरे साथ जो भी होगा, अच्छा होगा.. भगवान मेरे साथ हैं.. मेरे साथ जो भी होगा, अच्छा होगा.. भगवान मेरे साथ हैं, मेरे साथ जो भी होगा अच्छा होगा.. जब भगवान साथ हैं, तो कोई कुछ कर नहीं सकता। जहां भगवान साथ हैं, उनके साथ सर्व शक्तियां साथ हैं। मेरे साथ आज जो भी होगा, अच्छा होगा। क्योंकि मैं भगवान की संतान हूं! मैं एक भाग्यवान आत्मा हूं!

ओम शांति।


62. Walking Meditation | चलते फिरते या कर्म करते योग कैसे करें?

ओम शांति।

परमपिता परमात्मा शिव बाबा कहते हैं - चलते फिरते अपने को निराकारी आत्मा समझो। और कर्म करते अपने को अव्यक्त फरिश्ता समझने से, सदा खुशी में ऊपर उड़ते रहेंगे... आज हम अभ्यास करेंगे - चलते फिरते कैसे योग करें। सवेरे या शाम वॉकिंग करते समय हमें कौन से अभ्यास करने हैं, या घर में, ऑफिस में कर्म करते हम अभ्यास कैसे करें... हम चलते फिरते या कर्म में बहुत ही वैराइटी के अभ्यास कर सकते हैं... कुछ अभ्यास हम आपको इस कमेंट्री द्वारा कराएंगे। यह कमेंट्री आप वाकिंग करते, चलते फिरते सुनकर योग सकते हैं.. चलिए स्टार्ट करते हैं... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... अपने मस्तक के बीच में.. चमकता सितारा.. मैं एक निराकारी आत्मा हूं... मैं अशरीरी आत्मा हूं... मैं संपूर्ण शांत स्वरूप आत्मा हूं.. फील करेंगे मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल मेरे संपूर्ण शरीर में फैल रहीं हैं... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे संपूर्ण शरीर में फैलकर पैरों तक यह प्रकाश फैल चुका है... संपूर्ण रिलैक्स.. अशरीरी महसूस कर रहा हूं... अनुभव करेंगे जैसे कि स्थूल शरीर दिखाई नहीं दे रहा है... सिर्फ मैं आत्मा अपने डबल लाइट शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... कर्म करते-करते, चलते-फिरते मैं स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक अवतरित फरिश्ता हूं.. मेरा हर कर्म परमात्मा शिव बाबा को अर्पण है... मैं एक शांति का फरिश्ता हूं... अनुभव करेंगे, जैसे कि यह शरीर है ही नहीं... अनुभव करेंगे मैं संपूर्ण पवित्र, संपूर्ण शांत, एक अव्यक्त फरिश्ता हूं... अभी हम फील करेंगे मुझ फरिश्ता के ऊपर परमात्मा शिव बाबा.. ज्योति स्वरूप.. मेरी छत्रछाया बन चुके हैं.. एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को... परमात्मा शिव बाबा एक पॉइंट ऑफ लाइट... हे मेरे परमपिता परमात्मा, मेरे साथी, मैं आपको दिल से शुक्रिया करता हूं! मैं भाग्यवान हूं कि आप मुझे टीचर बनकर पढ़ाते हो! सदगुरु बनके आपने मुझे मुक्ति व जीवनमुक्ति का वर्सा दिया है! मुझे वरदानों से भरपूर किया है! और बाप बन मेरी आप निरंतर पालना करते हो। एक साथी की तरह, एक फ्रेंड की तरह, एक साजन की तरह आप मेरा साथ देते हो... मुझे समझते हो... मेरी हर बात आप सुनते हो... मेरे मन का हर संकल्प आप पूरा करते हो... मैं आपको दिल से, कोटि-कोटि... पदमा पदम धन्यवाद करती हूं! थैंक्यू बाबा! अनुभव करेंगे, परमात्मा शिव बाबा से शक्तियों का लाल प्रकाश निकल, मुझ आत्मा में समा रहा है... शक्तियों का लाल प्रकाश निरंतर मुझ आत्मा में फ्लो हो रहा है... शिव बाबा सर्वशक्तिमान हैं... मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... मेरा संपूर्ण सूक्ष्म शरीर लाल प्रकाश से भर चुका है... मैं आत्मा संपूर्ण शक्तिशाली बन चुकी हूं... फील करेंगे यह शक्तियों का दिव्य प्रकाश मुझसे निकल कर नीचे सारी पृथ्वी के ग्लोब को मिल रहा है... एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में... कर्म करते करते, चलते फिरते संपूर्ण मग्न हो जाएं इस अवस्था में... शिव बाबा से शक्तियों का प्रकाश निकल, मुझमें समा कर, संपूर्ण ग्लोब को मिल रहा है.... प्रकृति के पांचों तत्वों को मिल रहा है... संसार की सर्व आत्माओं को यह शक्तियों का दान मिल रहा है.... हम फील करेंगे, कर्म करते करते स्थित हों अपने फरिश्ता स्वरूप में, और मेरे साथ बेठे हैं बापदादा... शिवबाबा ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त शरीर में... हम चलते फिरते या कर्म करते इनसे बातें कर रहे हैं.... बाबा मेरा सब कुछ आपका है! मेरा कर्म आपका है... मेरा समय, संकल्प, संबंध, संपत्ति, कर्म और यह तन मैं आपको समर्पण करती हूं... यह सब आपका है! यह घर भी आपका है! इस विधि से यह घर सदा भरपूर रहेगा... बाबा, मेरे साथी... आप निरंतर मेरे साथ हो... फिल करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... और मुझे वरदान दे रहे हैं - विघ्न विनाशक भव... सदा सुखी भव... मास्टर सर्वशक्तिवान भव... बाबा ने मुझे इन वरदानों से भरपूर कर दिया है... धीरे धीरे फील करेंगे बाबा के साथ मैं ऊपर उड़ रहा हूं... धीरे धीरे ऊपर हम उड़ते उड़ते सूक्ष्म वतन में पहुंच गए हैं... सूक्ष्म वतन में, बाबा को गले लगा रहे हैं... एकाग्र हो जाएंगे इस स्थिति में... संपूर्ण बोझमुक्त, हल्की अवस्था है ये... बाबा को गले लगा लें.. बाबा ने मुझे अपनी बाहों में समा लिया है... और उनके मस्तक से दिव्य प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समा रहा है.... इस स्थिति में हम 2 मिनट एकाग्र हो जाएंगे.... बस एक ही संकल्प - बापदादा की बाहों में हम समा चुके हैं! और उनके मस्तक से दिव्य प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है.... धीरे धीरे फील करेंगे, मैं आत्मा अपना फरिश्ता रूपी शरीर समेटकर पहुंच गई हूं परमधाम में.... शांतिधाम में... पहुंच जाएं शिव बाबा के एकदम नज़दीक... उनसे शांति का प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है..... संपूर्ण शांति का अनुभव कर रही हूं.... एकाग्र हो जाएंगे इस शांति की स्थिति में... बाबा शांति का सागर है, मैं आत्मा मास्टर शांति का सागर हूं.. मैं संपूर्ण शांत हूं... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... मुझसे शांति का प्रकाश निकल नीचे सारे संसार को मिल रहा है... फाउंटेन की तरह मुझसे यह शांति की किरणें फ्लो हो रहीं हैं... 2 मिनट तक एकाग्र हो जाएंगे परमधाम में... शिव बाबा से शांति की किरणें निकल, मुझमें समा कर, नीचे सारे संसार को मिल रहीं हैं... संसार की हर आत्मा यह शांति का अनुभव कर रहीं हैं.... इसी प्रकार हम योग के वैरायटी अभ्यास कर सकते हैं। साकार वतन में, सूक्ष्म वतन में या परमधाम में, तीनों ही स्थिति में हम कर्म में या चलते-फिरते सहज योग अनुभव कर सकते हैं। बाबा ने कहा है- चलते फिरते मुझे याद करो तो तुम पतित से पावन बन जाओगे। तुम्हारे सारे विकर्म नष्ट हो जाएंगे..... इस अभ्यास में हम अलग-अलग गुणों का अभ्यास कर सकते हैं... जैसे पवित्रता का अभ्यास... शांति का, सुख की किरणों का, प्रेम की किरणों का, खुशी की किरणों का, आनंद की किरणों का और शक्तियों की किरणों का अलग-अलग वैरायटी अभ्यास करते-करते हमारा योग रमणीक बन जाएगा... हम योग में बोर नहीं होंगे... ये वैरायटी अभ्यास करने से हमें योग में रस आने लगेगा... हम योग के शौकीन बनेंगे... सहज ही धीरे-धीरे प्रैक्टिस करते-करते हमारा योग निरंतर बन जाएगा... शिव भगवानुवाच:- सवेरे में स्नान आदि कर बाहर घूमने फिरने में बड़ा मज़ा आता है, अन्दर में यही याद रहे हम सब एक्टर्स हैं। यह भी अभी स्मृति आई है। बाबा ने हमको 84 के चक्र का राज़ बताया है। हम सतोप्रधान थे, यह बड़ी खुशी की बात है। मनुष्य घूमते-फिरते हैं, उनकी कुछ भी कमाई नहीं। तुम तो बहुत कमाई करते हो। बुद्धि में चक्र भी याद रहे फिर बाप को भी याद करते रहो। कमाई करने की युक्तियां बाबा बहुत अच्छी-अच्छी बताते हैं। बाबा ने कहा है - मुझे याद करो तो सतोप्रधान बन जायेंगे। चलते-फिरते बुद्धि में याद रहे तो माया की खिट-खिट समाप्त हो जायेगी। तुम्हारा बहुत-बहुत फायदा होगा। भल स्त्री-पुरुष साथ जाते हो। हर एक को अपनेसिर मेहनत करनी है, अपना ऊंच पद पाने। अकेले में जाने से तो बहुत ही मज़ा है। अपनी ही धुन में रहेंगे। दूसरा साथ में होगा तो भी बुद्धि इधर-उधर जायेगी। है बहुत सहज, बगीचे आदि तो सब जगह हैं। बाबा बच्चों को उन्नति के लिए युक्ति बताते हैं – बच्चे, अपनी उन्नति करनी है तो सवेरे-सवेरे स्नान आदि कर एकान्त में जाकर चक्र लगाओ वा बैठ जाओ। तन्दुरुस्ती के लिए पैदल करना भी अच्छा है। बाबा भी याद पड़ेगा और ड्रामा का राज़ भी बुद्धि में रहेगा, कितनी कमाई है। साकार मुरली – 28-07-2020 ( Revised )

ओम शांति।


63. जहाँ भी मुश्किल आवे ना बस दिल से कहना - बाबा, मेरा बाबा, मेरे साथी आ जाओ, मदद करो।

ओम शांति।

परमात्मा कहते हैं - जहां भी मुश्किल आवे, बस दिल से कहना - "बाबा, मेरा बाबा, मेरे साथी, आ जाओ, मदद करो.. तो बाबा भी बंधा हुआ है। सिर्फ दिल से कहना!" परमात्मा शिव बाबा हमारे पिता हैं। हमारा उन पर अधिकार है! जब भी कोई मुश्किल परिस्थिति आवे, विघ्न आवे, कोई ऐसी सिचुएशन आ जाए कि हम कुछ नहीं कर सकते या कोई पेपर - चाहे व्यक्ति से हो सकता है, धन का हो सकता है, किसी परिस्थितियों का हो सकता है, तो उस समय यह प्रैक्टिस करें। इस महावाक्य को एक मंत्र की तरह by heart कर लें। जैसे ही हम दिल से बाबा को याद कर उनसे मदद मांगेंगे, तो वह हमारे पिता हैं, वह हमें किसी न किसी रीति से मदद करेंगे! वह सिचुएशन को आसानी से हैंडल करेंगे.. साल्व करेंगे। यह गारंटी है! बस यह अभ्यास दिल से करना है... तो इस महावाक्य को हम कैसे प्रैक्टिस करेंगे, चलिए स्टार्ट करते हैं... बुद्धि रूपी नेत्र के सामने देखेंगे.. परमपिता शिवबाबा ज्योतिस्वरूप... एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को उनपर... फील करेंगे एक लाइट की तार शिवबाबा से मुझ आत्मा तक कनेक्ट हो चुकी है... मैं आत्मा पॉइंट ऑफ लाइट... शिवबाबा भी पॉइंट ऑफ लाइट... जैसे पतंग की डोर जुड़ी होती है, वैसे ही जुड़ जाएं शिव बाबा से..... अभी शिव बाबा को देखते हुए दिल से कहेंगे - बाबा! मेरा बाबा! मेरे साथी! आ जाओ! मदद करो! बाबा! मेरा बाबा! मेरे साथी! आ जाओ! मदद करो! मैं इस समस्या में कंफ्यूज हो चुका हूं.. इस परिस्थिति में निर्णय नहीं ले सकता हूं... मैं आपकी संतान हूं बाबा... मेरा बाबा! मेरे साथी! आ जाओ! मदद करो! मुझे आपकी ज़रूरत है... मुझे हेल्प करें... मैं आपकी संतान अधिकारी हूं... एक पिता को अधिकार रूप से मैं कह रहा हूं - बाबा! मेरा बाबा! मेरे साथी! आ जाओ! मदद करो!!! इस अभ्यास को बार-बार दिन में रिपीट करना है...  दिन में कम से कम 4-5 बार यह अभ्यास करें! इस अभ्यास को करने से कुछ ही समय में आप चमत्कार देखेंगे। परमात्मा सर्वशक्तिमान है, वह 100% किसी परिस्थिति में हेल्प करेंगे! आप अनुभव करेंगे जैसे कोई जादू हो गया! एक अद्भुत शक्ति हेल्प कर गई.. और इन मुश्किलात से हम बाहर आ गए! बस यह अभ्यास दिल से करना है...

ओम शांति।


64. Healing Diabetes With Rajyoga Meditation | डायबिटीज़ को ठीक करें - मेडिटेशन।

ओम शांति।

स्थित हो जाएं मस्तक के बीच.... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... अपने शरीर की मालिक हूं... अनुभव करेंगे, परमात्मा शिव बाबा ज्योति स्वरूप... मेरे सिर के ऊपर... मेरी छत्रछाया बन चुके हैं... मैं आत्मा परमात्मा की संतान हूं... अनुभव करेंगे, परमात्मा शिवबाबा से पीले रंग की किरणें मुझ आत्मा में समाती जा रहीं हैं... पीला रंग खुशी का रंग होता है... इनमें हैप्पीनेस की किरणें होती है.. यह किरणें मुझ में समाती जा रहीं हैं... इन किरणों से मैं खुशी का अनुभव कर रहा हूं... अनुभव करेंगे, यह पीले रंग की किरणें मुझ आत्मा से निकल, मेरे संपूर्ण शरीर में फैल रहीं हैं.. देखेंगे ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पूरे शरीर में फ्लो हो रही हैं... हाथों से लेकर हृदय.. अग्न्याशय (Pancreas).. फेफड़ों.. नीचे पैरों तक पीले रंग की किरणों का प्रवाह हो रहा है... पीला रंग संपूर्ण शरीर में फैल चुका है... परमात्मा की किरणों से मैं संपूर्ण रिलैक्स महसूस कर रहा हूं... ये खुशी का प्रवाह मुझ आत्मा में हो रहा है... अभी एकाग्र करेंगे.. अपने शरीर के अग्न्याशय को देखेंगे... वह संपूर्ण पीला हो चुका हैं... मेरा अग्न्याशय पीले रंग से पूरी तरह चमक रहा है... परमात्मा के इन किरणों से यह संपूर्ण नॉर्मल काम कर रहा है... मेरा अग्न्याशय संपूर्ण स्वस्थ है... संपूर्ण नॉर्मल है... अभी देखेंगे मेरा संपूर्ण शरीर पीले रंग से जगमगा उठा है.. जैसे प्रकाशमय गोल्डन पीला! मैं संपूर्ण स्वस्थ हूं... संपूर्ण निरोगी हूं... मेरा शरीर परफेक्ट है.. नॉर्मल काम कर रहा है... मेरे अग्न्याशय हेल्दी है... परमात्मा मेरी छत्रछाया हैं... मुझसे कंबाइंड हैं... उनके साथ के अनुभव से मैं सदा सुरक्षित हूं... परमात्मा का मुझे वरदान है - एवर हेल्दी, वेल्दी और हैप्पी भव... भगवान मेरे साथ हैं! जो होगा अच्छा होगा... भगवान अपने बच्चों को सदा तन से, मन से और धन से सहज रखेगा, यह परमात्मा बाप की गारंटी है!

ओम शांति।


65. Guided Meditation to Heal our Friends & Family | कोई बीमार या उदासीन आत्मा की मनसा सेवा कैसे करें।

ओम शांति।

आज की मेडिटेशन कमेंट्री है किसी बीमार या रोगी आत्मा को सकाश देने की विधि। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम सूक्ष्म वतन में उस बीमार आत्मा को इमर्ज कर, परमात्मा द्वारा दिव्य शक्तियों की किरणें, एक हीलिंग एनर्जी उस आत्मा को देंगे। इस मनसा सेवा द्वारा जो भी रोगी या बीमार आत्मा है, उनको उस रोग से, उस बीमारी से लड़ने के लिए एक मानसिक शक्ति मिलेगी। और इन शक्तियों से उनकी शारीरिक पीड़ा, दुख या दर्द स्वतः ही कम होता जाएगा.. उस आत्मा की रोग प्रतिकारक क्षमता बढ़ेगी, जिससे उनका रोग जल्द ही ठीक हो जाएगा। तो चलें शुरू करते हैं.. ओम शांति। एकाग्र करें अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. मैं आत्मा अपने कर्मेंद्रियों की मालिक.. स्वराज्य अधिकारी... संपूर्ण एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप में.. अनुभव करें मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक मुक्तिदाता फरिश्ता हूं.. मैं मास्टर रूहानी सर्जन हूं... अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश की ओर... आकाश को पार कर पहुंच गया हूं सूक्ष्म वतन में.. बापदादा मेरे सामने.. वे मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं... अभी दृष्टि देते देते उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख दिया है... उन हाथों से एक दिव्य प्रकाश निकल मुझमें समाता जा रहा है... और अब वे मुझे वरदान दे रहे हैं - मुक्तिदाता भव.. मुक्तिदाता भव.. मास्टर रूहानी सर्जन भव... मास्टर रूहानी सर्जन भव.... इन वरदानों की प्राप्ति से मैं फरिश्ता संपूर्ण शक्तिशाली महसूस कर रहा हूं... अभी बापदादा के साथ बैठ जाएं सूक्ष्म वतन में... और इमर्ज करें उस आत्मा को जो रोगी है, जो किसी शारीरिक बीमारी से दुखी है.. निराश हो चुकी है... देखें उन्हें अपने आंखों के सामने... और अनुभव करें - बापदादा से एक दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल, मुझ आत्मा में समा रहा है.. और मेरे मस्तक और दृष्टि से ये प्रकाश मेरे सामने बैठी उस आत्मा को मिल रहा है... देखें यह किरणें मुझ आत्मा से निकल उस आत्मा में समाती जा रही हैं... अभी अपना हाथ उस आत्मा के सिर के ऊपर रख दें... अनुभव करें मेरे हाथों से लाल दिव्य किरणें निकल उस आत्मा को मिल रही हैं.. उनके संपूर्ण सूक्ष्म शरीर को मिल रही हैं... उनका संपूर्ण सूक्ष्म शरीर लाल प्रकाशमय हो चुका है.... देखें परमात्मा द्वारा लाल रंग की शक्तिशाली किरणें मुझमें समाकर, मैं उस आत्मा को अपने हाथों से देता जा रहा हूं..... अभी हम इस आत्मा को परमात्मा द्वारा वरदान देंगे - संपूर्ण निरोगी भव.... संपूर्ण निरोगी भव... संपूर्ण सुखी भव.. संपूर्ण सुखी भव... संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में... मेरे हाथों से यह किरणों का जैसे कि एक फाउंटेन फ्लो हो रहा है इस आत्मा में... 2 मिनट तक हम इसी स्थिति में एकाग्र हो जाएंगे - बाबा से दिव्य शक्तियों की लाल किरणें निकल, मुझमें समा कर, मैं इस आत्मा को दान दे रहा हूं.... यह आत्मा इन किरणों को अपने में समा कर, इन्हें अनुभव कर शक्तिशाली महसूस कर रही है... उनका शारीरिक दर्द, पेन अब कम हो चुका है... इन किरणों से शारीरिक बीमारी का सामना करने के लिए उनका मनोबल बढ़ चुका है..... वह दिल से मुझ फरिश्ता को और परमात्मा शिवबाबा को दुआएं दे रही है... हमें यह अभ्यास दिन में उस आत्मा के लिए तीन से चार बार करना है। हम इस अभ्यास में एक साथ अनेक आत्माओं को भी इमर्ज कर सकते हैं। इस प्रैक्टिस से वह आत्मा जल्द से जल्द अपने शारीरिक या कोई भी मानसिक बीमारी से रिकवर होगी... ठीक होगी...

ओम शांति।


66. सोने से पहले इस योग कमेंटरी को सुनकर सोएं - दिन भर के सारे तनाव से मुक्त हो जायेंगे। योग निद्रा।

ओम शांति।

अमृतवेला शक्तिशाली बनाने के लिए हमारी रात्रि सोने की पूर्व तैयारी अति महत्वपूर्ण है। कम से कम 15 मिनट अच्छे योगाभ्यास, योगनिद्रा या सुखनिद्रा की प्रैक्टिस से बुद्धि अमृतवेला सहज ही एकाग्र होगी और रात्रि की नींद बहुत ही सुखद होगी। इस अभ्यास को बैठ कर या लेटकर कर सकते हैं। चलें शुरू करें.. एकाग्र करें बुद्धि को परमधाम में.. शिवबाबा परम ज्योति पर... शिवबाबा ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान। मैं दिल से उनका आह्वान कर रहा हूं.. देखें बाबा धीरे धीरे नीचे उतर रहे हैं.. आ गए सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा बाबा के शरीर में.. बापदादा दोनों नीचे आ रहे हैं और आ गए मेरे पास.. देखें वे हमारे पास आ बैठे हैं.. उन्होंने अपना हाथ मेरे सिर पर रख दिया है.. उन हाथों से सफेद प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समा रहा है.. मेरे संपूर्ण ब्रेन में समा रहा है और रिलैक्स कर रहा है.. मैं निर्संकल्प हो चुका हूं.. धीरे-धीरे यह प्रकाश संपूर्ण शरीर में फैल रहा है - चेहरे, हाथों, हृदय, पेट, रीढ़ की हड्डियां, नीचे पैरों तक फैल चुका है.... संपूर्ण शरीर प्रकाशमय हो चुका है.. मैं अशरीरी, रिलैक्स हो चुका हूं.. मैं दिनभर के सर्व कार्य बाबा को अर्पण करता हूं - बाबा मेरा समय, संकल्प, संपत्ति, कर्म, संबंध, यह तन मैं आपको अर्पण करता हूं.. दिन भर में मुझसे यदि कोई गलती हुई, वह भी आपको अर्पण करता हूं.. और माफी मांगता हूं कि यह गलती अब फिर नहीं होगी। अभी आंखों के सामने इमर्ज करें उन आत्माओं को जो दिन भर हमारे संपर्क में आयीं। उनको इन लाइट की किरणों का दान दें व मन ही मन उनसे बातें करें - हे आत्माओं, जाने अनजाने यदि हमसे कोई गलती हुई तो हम आपसे क्षमा मांगते हैं - हमें माफ कर देना। और यदि जाने अनजाने हमें किसी ने दुख दिया हो तो हम भी उन्हें क्षमा कर दें। सम्पूर्ण लाइट अवस्था है ये.. बाबा लाइट, मैं आत्मा लाइट.. संसार की सर्व आत्माएं लाइट.. बाबा कहते हैं जितना लाइट रहेंगे, उतना माइट मिलेगा व जितना माइट मिलेगा उतना हर कार्य राइट होगा! तो संपूर्ण हलके हो जाएं.. देखें बाबा का हाथ मेरे सिर पर और मैं अशरीरी लाइट, संपूर्ण निर्संकल्प हो चुका हूं!

ओम शांति।


67. इस अभ्यास से मन को हर बोझ से हल्का और टेंशन फ्री रखें। योग कमेंट्री।

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे बुद्धि को परमधाम में... शिवबाबा ज्योति स्वरूप... परमपिता परमात्मा... ज्ञान के सागर.... गुणों के सागर..... सर्वशक्तिवान..... हम दिल से परमात्मा शिवबाबा का आह्वान करेंगे - बाबा मुझे आपकी जरूरत है... आप आ जाओ... बाबा मेरे साथी आ जाओ...... देखेंगे शिबबाबा धीरे धीरे नीचे उतर रहे हैं... आ गए सूक्ष्म वतन में, ब्रह्मा बाबा के सूक्ष्म शरीर में.... अब धीरे धीरे बापदादा नीचे इस सृष्टि की ओर आ रहे हैं... और आ गए मेरे बिल्कुल सामने... मुझे दृष्टि दे रहे हैं... इस दृष्टि से मैं संपूर्ण हल्का महसूस कर रहा हूं... आज संसार में आत्माएं किसी ना किसी बोझ से परेशान हैं। कोई संबंधों से परेशान है, कोई अपने संस्कारों से, कोई अपने तन की बीमारियों से व कोई अपने ही मन के संकल्पों की स्पीड से परेशान है। बाबा मुरली में कहते हैं, बच्चे जब भी मुश्किल आए, तो मुझे दिल से याद करना - बाबा, मेरे साथी, आ जाओ, मदद करो... तो बाबा भी बंधा हुआ है!! अभी बाबा का हाथ अपने हाथो में लेंगे और अपने मन का एक-एक बोझ उन्हें अर्पण करेंगे... देखेंगे उनके हाथों में एक-एक करके मैं अपनी सर्व परेशानियां, सर्व बोझ अर्पण कर रहा हूं... बाबा मेरा समय, संकल्प, संबंध, संपत्ति, मेरा हर कर्म और देह मैं आपके हाथों में दे रहा हूं... यह सब मैं आपको अर्पण कर रहा हूं.... अभी देखेंगे बाबा ने ये सारे बोझ व परेशानियां अपने हाथो से अपने जेब में रख दी हैं..... बाबा कहते हैं बच्चे मैं हूं ना, तुम चिंता नहीं करो!! अब मैं सम्पूर्ण हल्का हो चुका हूं.... बाबा की दृष्टि से और अपने सर्व संकल्प समर्पण करने से मैं बहुत ही लाइट और अशरीरी महसूस कर रहा हूं.... अभी अनुभव करें बाबा की दृष्टि से किरणें निकल मेरे मस्तिष्क पर पड़ रही हैं... इन किरणों द्वारा बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं - बच्चे अशरीरी भव... बच्चे सदा निश्चिंत भव... बच्चे अशरीरी भव... बच्चे सदा निश्चिंत भव... इन वरदानों से मैं संपूर्ण एकाग्र हो चुका हूं और इस अशरीरी अवस्था में, इस सम्पूर्ण लाइट फीलिंग में मैं अतीन्द्रिय सुख का अनुभव कर रहा हूं.... इसी खुशी की फीलिंग में बाबा को गले लगा लें!! अनुभव करेंगे, आपने बाबा को गले लगा लिया है.... और बाबा ने आपको अपनी बाहों में समा लिया है... अनुभव करें उनके मस्तक बिंदु से निरंतर किरणें मुझ आत्मा बिंदु में समा रही हैं.... और मुझे सम्पूर्ण हल्का, बोझमुक्त और निश्चिंत कर रही हैं... सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में... यह ब्राह्मण जीवन की सर्वश्रेष्ठ स्थिति है... यह इस संगमयुग की सर्वश्रेष्ठ अवस्था है.... यह परमात्म मिलन का अनुभव 5000 वर्ष के बाद हुआ है... बाबा कह रहे हैं बच्चे तुम चिंता नहीं करो, मैं हूं ना!! आपके सर्व संबंध, कर्म सब मेरी ज़िम्मेदारी है। आप फ्री हो। आप निश्चिंत हो। जहां बाप है वहां कोई कुछ कर नहीं सकता। जहां बाप साथ है, वहां प्रकृति सदा मदद करती है..... इस तरह इस अभ्यास को हमें दिन में दो से तीन बार करना है। जितना जितना हम हर दिन यह अभ्यास करेंगे, उतना उतना हमारी खुशी बढ़ती जाएगी... हम संपूर्ण निश्चिंत एवं रिलैक्स अनुभव करेंगे!! हम अनुभव करेंगे कि हमारी हर समस्या, परेशानी या बोझ सहज ही समाप्त हो रही हैं... इस अभ्यास से हमारी स्थिति निर्विघ्न बनेगी, हम संपूर्ण विघ्न-विनाशक बनेंगे।

ओम शांति।


68. सुबह सुबह पहले 10 मिनट ये 5 शक्तिशाली संकल्प करें और अपने सोये भाग्य को जगाएं।

ओम शांति।

सारा दिन स्थिति शक्तिशाली, अचल अडोल और निर्विघ्न बनाने के लिये सवेरे उठते ही पहले 10 मिनट अति महत्वपूर्ण हैं। जैसे कि यह 10 मिनट हमारे सारे दिन का आधार है! उठते ही पहले 10 मिनट तक हमारा अवचेतन मन जागृत होता है। हम जो भी संकल्प देंगे, उसे हमारा मन तुरंत स्वीकार कर लेगा। और उन पॉजिटिव संकल्पों का असर सारा दिन रहेगा। तो सवेरे पहले 10 मिनट हमें अपने अवचेतन मन को कौन से संकल्प देने हैं, चलें शुरू करते हैं।  अनुभव करेंगे... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... अपने प्रकाश के शरीर में... देखेंगे बापदादा मेरे सामने, मेरे घर में आ चुके हैं... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं... और मुझे गुड मॉर्निंग कह रहे हैं... रिटर्न में हम बापदादा को गुड मॉर्निंग करेंगे - बाबा! गुड मॉर्निंग!! प्यार भरी दृष्टि देते हुए बाबा ने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... और मुझे पहला वरदान दे रहे हैं - बच्चे विघ्न विनाशक भव... विघ्न विनाशक भव... इस वरदान की प्राप्ति से मेरा जीवन निर्विघ्न बन चुका है... सारे दिन में मुझे कोई भी विघ्न नहीं आएगा... यदि कोई समस्या आ भी जाएगी तो वह सहज ही सूली से कांटा बन जाएगी..... और आसानी से वह परिस्थिति पार हो जाएगी.... क्योंकि मैं एक विघ्न विनाशक आत्मा हूं!! स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिया है - विघ्न विनाशक भव... अभी बापदादा मुझे दूसरा वरदान दे रहे हैं - सदा सुखी, धनवान, निरोगी भव... इस वरदान की प्राप्ति से मैं सदा सुखी हूं... मेरा जीवन सर्व सुखों से भरा है... मेरा मन सुखी, तन निरोगी और मैं धन से भरपूर हूं.. मैं संपूर्ण सुखी आत्मा हूं... एक धनवान आत्मा हूं... मैं एक निरोगी आत्मा हूं.. मैं संपूर्ण सुखी आत्मा हूं.. मैं धनवान हूं... मैं निरोगी हूं... मेरा शरीर स्वस्थ है... भगवान अपने बच्चों को सदा तन से, मन से और धन से सहज रखेगा - यह बाप की गारंटी है!! हमारा ज़िम्मेदार बाबा है! मैं फ्री हूं... अभी बापदादा मुझे तीसरा वरदान दे रहे हैं - बच्चे मास्टर सर्वशक्तिवान, सफलता मूर्त भव.... इस वरदान की प्राप्ति से मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मैं सफलता मूर्त आत्मा हूं... मेरे हर कार्य में बाबा साथ हैं... मेरा हर कार्य सफल होगा... मेरा हर संकल्प सिद्ध होगा... जो भी कर्म मैं करूंगा, उसमें सफलता हुई ही पड़ी है! आज से मेरे साथ जो होगा, अच्छा होगा!! मैं स्वयं भगवान की संतान हूं!! मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.... स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिया है - सफलता मूर्त भव! अभी बापदादा मुझे चौथा वरदान दे रहे हैं - बच्चे भाग्यवान आत्मा भव..... इस वरदान की प्राप्ति से मेरे जैसा भाग्यवान इस पूरे संसार में कोई नहीं है... स्वयं भगवान का वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर है... मैं भाग्यवान आत्मा, स्वयं भगवान की संतान..... सारा संसार भगवान को प्राप्त करने के लिए, उनको पाने के लिए तड़प रहा है... भक्ति कर रहा है... लेकिन भगवान ने स्वयं मुझे अपना बच्चा बना लिया.... घर बैठे मुझे भगवान मिल गया!! मेरे जैसी भाग्यवान आत्मा इस पूरे संसार में कोई नहीं है!! मैं एक महान आत्मा हूं!! मैं एक भाग्यवान आत्मा हूं!! मैं एक महान आत्मा हूं!! मैं एक भाग्यवान आत्मा हूं!! पांचवा वरदान बापदादा मुझे दे रहे हैं - बाप समान फरिश्ता भव... बाप समान फरिश्ता भव.... इन वरदानों की प्राप्ति से, बाबा ने अपनी सर्व शक्तियां, ज्ञान, गुण, पवित्रता और सर्व दिव्य शक्तियां मुझे वरदान के रूप में गिफ्ट दे दी हैं! मैं बाप समान आत्मा बन चुका हूं! इस संसार में मैं बाप समान एक फरिश्ता हूं... अनुभव करें बाबा से दिव्य शक्तियों की किरणें निकल, मुझमें समाकर सारे संसार को मिल रही हैं... मैं बाप समान अवतरित एक फरिश्ता हूं... मैं एक बाप समान आत्मा हूं... मैं एक अवतरित फरिश्ता हूं... मुझसे दिव्य प्रकाश सारे संसार को दान मिल रहा है.......

ओम शांति।


69. फरिश्ता स्थिति, मनसा सेवा और पांच स्वरूप का अभ्यास। नुमाशाम योग कमेंट्री।

ओम शांति।

सेट करेंगे अपने आपको मस्तक के बीच... मैं आत्मा... एक पॉइंट ऑफ लाइट.. सम्पूर्ण पवित्र.. एक ज्योति स्वरूप... अभी अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से पवित्रता का प्रकाश निकल मेरे सारे शरीर में फैल रहा है... देखेंगे ये प्रकाश ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक फैल चुका है... धीरे धीरे मेरा ये स्थूल शरीर सम्पूर्ण लोप हो रहा है... बची मैं आत्मा अपने प्रकाश के शरीर में.. अपने सूक्ष्म शरीर में, फरिश्ता स्वरूप में... मैं इस धरा पे एक अवतरित फरिश्ता हूं... मैं एक सम्पूर्ण पवित्र फरिश्ता हूं... अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश के ऊपर.... अनुभव करेंगे - चांद, तारों व आकाश को पार कर मैं ऊपर उड़ते जा रहा हूं... पहुंच गया अब मैं सूक्ष्म वतन में..... चारों ओर सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं... और मुझे गले लगा रहे हैं.... बापदादा ने अपना हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... और मुझे वरदान दे रहे हैं - सम्पूर्ण पवित्र भव... सदा सुखी भव.... अनुभव करेंगे, उनके हाथों से पवित्रता का प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है... मैं एक सम्पूर्ण पवित्र फरिश्ता हूं... भगवान ने मुझे इस सृष्टि परिवर्तन के कार्य में अपना राइट हैण्ड बनाया है... मैं एक भाग्यवान आत्मा हूं... कोटों में कोई, कोई में भी कोई.....  अभी अपने सामने हम इमर्ज करेंगे संसार की सर्व आत्माओं को... उन्हें दृष्टि देते हुए अनुभव करें, बापदादा से पवित्रता का प्रकाश निकल, मुझमें समाकर, इन सर्व आत्माओं को मिल रहा है.... पवित्रता सुख शान्ति की जननी है। पवित्रता की किरणें प्राप्त कर संसार की सर्व आत्माएं सुख, शान्ति और खुशी का अनुभव कर रही हैं... संसार की सर्व आत्माएं सर्व दुखों से मुक्त हो रही हैं... किरणें देते देते मैं फरिश्ता उड़ चला नीचे सृष्टि की ओर... मुझ फरिश्ता से पवित्रता का प्रकाश पूरे संसार में फैल रहा है... अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता पृथ्वी के ऊपर आ विराजमान हूं... मुझसे पवित्रता का प्रकाश निकल प्रकृति के पांचो तत्वों को प्राप्त हो रहा है.. अग्नि, वायु, आकाश, जल और पृथ्वी... ये पांचो ही तत्व और संसार की सर्व आत्माएं पावन हो रही हैं.... और संसार की सर्व आत्माएं सुख और शान्ति का अनुभव कर रही हैं.... मैं भगवान का भेजा हुआ एक फरिश्ता हूं..... अभी उड़ चली मैं आत्मा ऊपर.. पहुंच गयी परमधाम में... शान्तिधाम में... मेरा असली घर... परमपिता परमात्मा के पास.... अभी मैं आत्मा उड़ चली अपने पहले सतयुगी जन्म में... सिर पर डबल ताज... घर के आंगन में खड़े पुष्पक विमान.... फूलों की एक नेचुरल खुशबू... एक नेचुरल संगीत.... एक नेचुरल अतीन्द्रिय सुख... चारों तरफ सुख ही सुख है..... अभी मैं आत्मा उड़ चली अपने पूज्य स्वरूप, विघ्न विनाशक गणेश.... मन्दिर की मूर्ति में स्थित... लाखों भक्त मेरी पूजा कर रहे हैं... सुख की किरणें मुझ विघ्न विनाशक गणेश से निकल इन आत्माओं को मिल रही हैं.... द्वापर कलयुग में मैंने इन भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण की हैं... कभी गणेश के रूप में, कभी दुर्गा के रूप में, कभी माता लक्ष्मी के रूप में, कभी हनुमान के रूप में... अभी मैं आत्मा उड़ चली संगमयुगी ब्राह्मण जीवन, ब्राह्मण स्वरूप में.... मैं आत्मा कोटों में कोई, कोई में भी कोई वह भाग्यवान आत्मा हूं जिसको भगवान ने इस सृष्टि परिवर्तन के कार्य के लिए चुना है... मैं एक भाग्यवान आत्मा हूं.... अभी उड़ चली मैं आत्मा फरिश्ता स्वरूप सूक्ष्म वतन में... बापदादा मेरे सामने, मुझे दृष्टि दे रहे हैं... मुझे मस्तक पर तिलक लगा रहे हैं... मुझे वरदान दे रहे हैं - श्रेष्ठ योगी भव... विजयी भव... विश्व कल्याणकारी भव.... मुझ फरिश्ता से रंग बिरंगी किरणें नीचे सारे संसार को मिल रही हैं..... प्रकृति के पांचों तत्व - अग्नि, वायु, जल, आकाश और पृथ्वी.. और संसार की सर्व आत्माएं इन किरणों से तृप्त हो रही हैं... उनको सुख शान्ति की अनुभूति हो रही है.....!

ओम शांति।


70. घर में किसी डिफिकल्ट या ज़िद्दी स्वभाव वाले को कैसे चेंज करें - मेडिटेशन कमेंट्री।

ओम शांति।

परमपिता परमात्मा शिवबाबा कहते हैं - रहम की दृष्टि से अवगुणों की दृष्टि परिवर्तित हो जाती है। यदि हमारे मन में किसी आत्मा के लिए घृणा है या नफरत है, तो उसको परिवर्तन करने की विधि है- हमारे मन में उस आत्मा के लिए रहम की दृष्टि बनाना... इसके लिए बहुत सुंदर ज्ञान बाबा ने हमें बताया है कि कोई क्रोधी आत्मा है, या कोई आत्मा विरोध कर रही है या हमारे प्रति विघ्न बन रही है तो वह आत्मा कमज़ोर है, बीमार है.. वह आत्मा प्रकृतिवश है। इन संकल्पों से उस आत्मा के लिए हमारे मन में रहम की दृष्टि बनेगी... बाबा हमें मुरलियों में एक बहुत सुंदर रहस्य भी बताते हैं कि आपकी शुभ भावना से कोई क्रोधी व विरोधी आत्मा भी परिवर्तित हो जाएगी! यदि कोई आत्मा हमारे कर्म व्यवहार में या संबंधों में विघ्न बन रही हो, क्रोध कर रही हो या मन ही मन एक नफरत का भाव हो, तो उनके उस भाव को हम इस मेडिटेशन के प्रयोग से सम्पूर्ण चेंज कर सकते हैं। इस प्रयोग से उनके मन में हमारे लिए पॉजिटिव संकल्प उत्पन्न होंगे व हमारे लिए स्नेह की दृष्टि बनेगी.. यह एक प्रकृति का नियम है कि जो हम देते हैं, वही हमें रिटर्न में आता है। शायद हमने पिछले किसी जन्मों में उन पर क्रोध किया हो, विरोध किया हो, उनके लिए विघ्न रूप बने हों... तो अब इन कर्मों के खातों को समाप्त करने के लिए हम उस आत्मा की मनसा सेवा करेंगे... तो चलें शुरू करते हैं। ओम शांति। एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को.. मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक प्वाइंट ऑफ लाइट... चमकता सितारा... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से एक सफेद शांति का प्रकाश निकल मेरे सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है.... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक.. संपूर्ण शरीर में यह शांति का प्रकाश फैल चुका है... मैं बहुत ही शांत, रिलैक्स महसूस कर रहा हूं... देखेंगे इस प्रकाश से मेरा संपूर्ण स्थूल शरीर लोप हो चुका है... बची मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में, अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं शांति का फरिश्ता हूं.. शिवबाबा की संतान.. अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता उड़ चला ऊपर आकाश की ओर..... उड़ते उड़ते पहुंच गया सूक्ष्म वतन में.... बापदादा मेरे सामने.... मुझे प्यार भरी दृष्टि दे रहे हैं और गले लगा रहे हैं... अभी बापदादा के सामने बैठ जाएं... अनुभव करें, बापदादा ने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... उनके हाथों से एक दिव्य प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समा रहा है.. वो मुझे वरदान दे रहे हैं - बच्चे विघ्न विनाशक भव... बच्चे संपूर्ण सुखी भव... इन वरदानों की प्राप्ति से मेरे सब विघ्न समाप्त हो जाएंगे... मेरा जीवन सुखी है.. मैं सुखी हूं.. मैं स्वस्थ हूं.. निरोगी हूं... अभी सूक्ष्म वतन में हम इमर्ज करेंगे उस आत्मा को जिनका हमारे प्रति मन में नेगेटिव भाव है.. वह हम पर क्रोध करते हो या हमारे किसी कार्य में विघ्न रूप बन रहे हो, या हमारे प्रति उनके मन में नफरत है.. देखेंगे उस आत्मा को.. उनको प्यार भरी मीठी दृष्टि देंगे... अनुभव करें बापदादा से मुझमें प्यार की हरे रंग की किरणें समा रही हैं.. और उस आत्मा को मिल रही हैं..... देखेंगे मैं बापदादा के साथ बैठा हूं.... उनसे प्यार की किरणें निकल मुझमें समा रही हैं... और उस आत्मा को मिल रही हैं.... हम प्यार से उन्हें दृष्टि दे रहे हैं.... प्यार भरे वाइब्रेशन उस आत्मा को मिल रहे हैं.... सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में... इसी एकाग्रचित्त स्थिति में हम उनसे बातें करेंगे- हे आत्मा, जाने अंजाने हमने आपको दुख दिया हो.. शायद इस जन्म में या किसी और जन्म में... हम उसके लिए आपसे क्षमा मांगते हैं... हमें माफ कर दीजिए... अनुभव करें वह आत्मा प्यार की किरणों को महसूस कर रही है और हमें माफ कर रही है... मुस्कुरा रही है.. तृप्त हो रही है... और यदि उनके किसी कर्म से हमें कभी दुख मिला है तो हम भी उनको अनकंडीशनली माफ कर रहे हैं... हे आत्मा, आपने प्रकृतिवश या कोई कमजोरी वश हमपे क्रोध किया हो, विघ्न बने हो या आपके मन में हमारे प्रति नफरत है, तो हम भी आपको माफ करते हैं, क्षमा करते हैं... 2 मिनट तक हम प्यार की किरणें इस आत्मा को देंगे..... सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में... देखें हमारा संबंध बहुत ही प्यारा संबंध है... अभी उस आत्मा को सूक्ष्म वतन में ही गले लगाएं, अनुभव करें हमारा संबंध बहुत ही प्यारा संबंध है! हमारे मन में इनके प्रति कोई भी घृणा नहीं है.. बस प्रेम ही प्रेम है... और उनके मन में भी हमारे प्रति स्नेह ही स्नेह है... आज के बाद यह संबंध संपूर्ण स्वस्थ है! मेरे सर्व संबंध स्वस्थ हैं! सब आत्माएं हमारे परिवार में, हमारे संपर्क में, जो भी हमारे व्यवहार में आते हैं, वह सब अच्छे हैं! और सब परमात्मा की संतान हैं! ओम शांति। इस अभ्यास का 21 दिन प्रयोग करने से हमें बहुत ही सुंदर परिणाम मिलेंगे। इसके साथ-साथ हम यह भी प्रैक्टिस कर सकते हैं कि जब भी हम उस आत्मा के साथ व्यवहार में आएं, तो हमें उनकी विशेषताओं का ही वर्णन करना है व चिंतन करना है... ना कि किसी बात में उनकी आलोचना करनी है या ताने देना है। जैसे जैसे हम ये अभ्यास करेंगे, हम अनुभव करेंगे कि सामने वाली आत्मा शांत हो रही है.. उनका स्वभाव हमारे प्रति शांत हो रहा है.. वह परिवर्तन हो रहे हैं... हमें बस यह ध्यान रखना है कि निरंतर सर्व आत्माओं के प्रति, सर्व संबंधों के प्रति हमें शुभ भावना, शुभकामना ही रखनी है। इसी वृत्ति से हमारे सर्व संबंध स्नेह पूर्वक बने रहेंगे।

ओम शांति।


71. अपने घर में बापदादा का आह्वान करने की विधि - मन के बोझ बाबा को दे दो।

ओम शांति।

एकाग्र करें बुद्धि को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा.. अपने फरिश्ता रूपी शरीर में सम्पूर्ण लाइट.. अभी बुद्धि ले जाएं परमधाम में.. शिवबाबा ज्ञान के सागर... गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान... बाबा हम आपका शुक्रिया करते हैं! इस कलयुग के अंत में आप मिलें, जन्म जन्मांतर के दुखों से हमें मुक्त कर दिया! दिल से आह्वान करें उनका - बाबा आ जाओ हमारे घर में! अनुभव करें धीरे धीरे वे नीचे उतर रहे हैं.. सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा बाबा से कम्बाइंड हो नीचे आ रहे हैं.. आ गए हमारे पास घर में... अनुभव करें बापदादा मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं, गले लगा रहे हैं.. उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पे रख दिया है और मुझे वरदान दे रहे हैं - बच्चे श्रेष्ठ योगी भव.. विजयी भव.. सफलतामूर्त भव... अनुभव करें वे हमारे पास बैठे हैं.. हम इस अनुभव में बापदादा के लिए एक अलग सा स्थान बना सकते हैं, जैसे एक अलग कुर्सी रख सकते हैं या फील करें एक सूक्ष्म लाइट की कुर्सी है जो हमने खास बापदादा के लिए बनाई है, जिसपे हम उन्हें रोज़ आह्वान कर प्यार से बिठाएंगे। अभी उनसे रूह रिहान करें - बाबा ये घर आपका है! मैं संपूर्ण आपको समर्पित हूं! मेरा सबकुछ आपका है!! बाबा ने मुरलियों में कहा है कि जितना हम ये ट्रस्टी भाव अनुभव करेंगे कि यह संबंध, संकल्प, देह, स्थान सब बाबा का है, मेरा नहीं, तो जब यह घर बाबा का हो गया तो शिवबाबा के भंडारे व भंडारी सदा भरपूर रहेंगे। हमें अनुभव करना है कि बापदादा हमारे घर के एक मेंबर हैं। दिन में कम से कम 8 बार हमें बापदादा का आह्वान कर उनसे बातें करनी हैं। उनके साथ का अनुभव फील करना है। इससे घर का वायुमंडल अलौकिक व शक्तिशाली बनेगा। असंख्य आत्माएं जिन्होंने ट्रस्टी भाव से सबकुछ बाबा का समझा है, उनके भंडारे व भंडारी अनगिनत रूप से भरपूर हुए हैं। बाबा ने मुरली में वादा किया है - बाप अपने बच्चों को सदा तन से, मन से, धन से सहज रखेगा - यह बाप की गारंटी है!

ओम शांति।


72. मैं संपूर्ण सुखी हूं। Feel the Divine Happiness - मेडिटेशन कमेंट्री।

ओम शांति।

अनुभव करें मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. अपने कर्मेंद्रियों की मालिक.. स्थित हूं अपने मस्तक के बीच भृकुटी सिंहासन पर... मैं आत्मा इस शरीर को चलाने वाली एक चेतना हूं.. एक शक्ति हूं... यह शरीर अलग है और मैं अलग हूं... यह मेरा एक कॉस्ट्यूम है, वस्त्र है... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... मैं एक सुख स्वरूप आत्मा हूं... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... मैं एक सुख स्वरूप आत्मा हूं... अभी अनुभव करें, शिवबाबा ज्योति स्वरूप मेरे सिर के ऊपर हैं... एक पॉइंट ऑफ लाइट... जैसे कि परमपिता परमात्मा शिवबाबा मेरी छत्रछाया बन चुके हैं... एकाग्र करें शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर... शिवबाबा सर्व सुखों के सागर... परम ज्योति परमपिता परमात्मा... मैं उनकी संतान हूं... अभी अनुभव करें, शिवबाबा से सुख की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... जैसे कि एक फाउंटेन की तरह बाबा से ये सुख की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.. सम्पूर्ण सुख की अनुभूति करें इन किरणों से.... इन किरणों को प्राप्त कर मैं संपूर्ण सुखी हूं... इन किरणों को महसूस करें.... इन किरणों से परमानन्द की अनुभूति हो रही है... मैं सम्पूर्ण लीन हूं इन किरणों में... परमात्मा मुझे सम्पूर्ण घेरे हुए हैं.. उनकी छत्रछाया में मैं सम्पूर्ण सुरक्षित हूं.. सम्पूर्ण सुखी हूं.. अनुभव करें ये सुख की किरणें मुझ आत्मा से निकल चारों तरफ फैल रही हैं और संसार की सर्व आत्माओं को मिल रही हैं... जैसे कि मैं परमात्मा का एक इंस्ट्रूमेंट हूं, और कोई संकल्प नहीं.... बस यह सुख की किरणें परमात्मा शिवबाबा से निकल, मुझमें समा कर, संसार की सर्व आत्माओं को मिल रही हैं... संसार की सर्व आत्माओं को जैसे जैसे यह किरणें मिल रही हैं, वे सर्व दुखों से मुक्त हो रही हैं... वे सम्पूर्ण सुखी बन रही हैं! अनुभव करें यह किरणें सम्पूर्ण संसार में फैल चुकी हैं.. संसार की सर्व आत्माएं व पांचों तत्व सम्पूर्ण सुखी बन चुके हैं... परमात्मा शिवबाबा सुख के सागर, मैं आत्मा मास्टर सुख का सागर हूं.. मास्टर दुखहर्ता सुखकर्ता हूं! मैं आत्मा सम्पूर्ण सुखी हूं!!

ओम शांति।


73. यह चार संकल्प करें - जो चाहोगे वही पाओगे - नौकरी, घर, सफलता जो चाहिए, अपनी हर मनोकामना पूर्ण कीजिए।

ओम शांति।

यदि किसी कार्य में असफलता मिल रही है या बहुत विघ्न आ रहे हैं, शायद किसी परिस्थिति, व्यक्ति या अपने ही कमज़ोर संकल्पों की वजह से वह कार्य नहीं हो रहा है, तो यह अभ्यास इक्कीस दिन करें। बहुत आत्माओं ने यह अभ्यास किया है और बहुत ही सुन्दर रिज़ल्ट मिले हैं। किसी किसी आत्माओं का बहुत साल से कोई कार्य रुका हुआ था, विघ्न पड़ रहा था, 21 दिन के अभ्यास से वह कार्य बहुत ही सहज पूर्वक होने लगा। सवेरे उठते ही पहले 5 मिनट हमारा अवचेतन मन जागृत होता है, उस समय यह योग अभ्यास हम कर सकते हैं। शुरू करेंगे.. ओम शांति। अनुभव करें मैं आत्मा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. बुद्धि रूपी नेत्र से देखें सामने शिवबाबा ज्योति स्वरूप... बाबा गुड मॉर्निंग! रिटर्न में बाबा भी हमें गुड मॉर्निंग कर रहे हैं! अभी पहला संकल्प करें - भगवान मेरे साथ हैं! जो होगा अच्छा होगा! मेरा आज का दिन बहुत अच्छा होगा.. मेरा समय, संकल्प और सर्व सम्बंध सब अच्छे ते अच्छे हैं.. क्योंकि भगवान मेरे साथ हैं! मेरे साथ आज से जो भी होगा अच्छा होगा! अभी दूसरा संकल्प करें - मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं! फील करें मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं! जहां बाप साथ हैं, वहां कोई कुछ कर नहीं सकता! परमात्मा बाप साथ होने से सब विघ्न समाप्त हो जाएंगे.. मैं निर्विघ्न हूं! स्वयं परमात्मा मेरी छत्रछाया हैं! मैं उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं! अभी तीसरा संकल्प करें - मैं विजयी आत्मा हूं! गहराई से अनुभव करें मैं विजयी हूं! मेरी हर कार्य में सफलता हुई पड़ी है.. स्वयं भगवान मेरे साथ हैं! जहां भगवान साथ हैं, वहां हर कार्य में उनकी शक्तियां कार्य करेंगी! परमात्म शक्तियों से हर कार्य निर्विघ्न सफल होगा। मैं सफलतामूर्त हूं.. निर्विघ्न हूं.. अभी चौथा संकल्प करें - मैं बेफिक्र बादशाह हूं! मेरे सर्व कार्यो का बोझ, तन मन धन सब बाबा का है, मैं सदा निश्चिंत व बेफिक्र हूं! हर कार्य में सफलतामूर्त हूं.. निर्विघ्न हूं.. मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... मेरे साथ जो होगा, अच्छा होगा.. मैं बेफिक्र बादशाह हूं!

ओम शांति।


74. शक्तिशाली अमृतवेला - परमधाम, सूक्ष्म वतन व परमात्म मिलन की विधि और मनसा सेवा।

ओम शांति।

सर्व संकल्पों को समेटकर, एकाग्र करें अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच... मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेंद्रियों की मालिक... अनुभव करें मुझ आत्मा से एक दिव्य प्रकाश निकल मेरे संपूर्ण शरीर में फैल रहा है.... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे तक यह प्रकाश फैल चुका है... और धीरे-धीरे अनुभव करें मेरा संपूर्ण स्थूल शरीर लोप हो चुका है... बस बची मैं आत्मा अपने लाइट के सूक्ष्म शरीर में... यह मेरा फरिश्ता स्वरूप है... मैं एक शांति का फरिश्ता हूं... मैं एक संपूर्ण पवित्र फरिश्ता हूं... इस संसार को पावन बनाने के लिए मैं परमात्मा का भेजा हुआ एक अवतरित फरिश्ता हूं... अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश की ओर... आकाश, चांद, तारों को पार कर पहुंच गया सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... बापदादा मेरे सामने... मुझे दृष्टि दे रहे हैं.. और मुझे गले लगा रहे हैं... अभी अनुभव करें, बापदादा ने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... उन हाथों से दिव्य प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है... मैं सम्पूर्ण समर्पण हूं.... परमात्मा का हाथ मेरे सिर के ऊपर है, बस और कोई संकल्प नहीं... संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.. मेरा समय, संकल्प, संपत्ति, सर्व संबंध, कर्म और स्थूल देह बाबा को संपूर्ण समर्पण है... मैं एक फरिश्ता हूं... अभी बापदादा मुझे वरदान दे रहे हैं - अशरीरी भव... संपूर्ण पवित्र फरिश्ता भव... बाप समान विश्व कल्याणकारी भव... इन वरदानों की प्राप्ति से मैं एक संपूर्ण पवित्र फरिश्ता हूं... और बाप समान विश्व कल्याणकारी हूं... अनुभव करें मैं फरिश्ता बाप समान संपूर्ण शक्तिशाली बन चुका हूं... अभी मैं आत्मा, ज्योति स्वरूप.. अपनी फरिश्ता रूपी ड्रेस समेट कर, उड़ चला परमधाम में.... चारों ओर लाल प्रकाश.... असंख्य आत्माएं अपनी अपनी जगह पर स्थित हैं... पहुंच जाएं शिवबाबा सर्वशक्तिवान के एकदम समीप... बुद्धि को एकाग्र करें शिव ज्योति स्वरूप पर... उनसे अनंत प्रकाश निकल संपूर्ण परमधाम में फैल रहा है... अभी देखें परमात्मा से रंग बिरंगी किरणों का जैसे एक फाउंटेन निकल मुझ आत्मा में समाता जा रहा है... इनसे अनंत दिव्य शक्तियां मुझमें समाती जा रही हैं... जैसे जैसे यह किरणें मुझ पर पड़ रही हैं, वैसे वैसे मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म भस्म हो रहे हैं... मैं संपूर्ण क्लीन बन रहा हूं.. शुद्ध बन रहा हूं... यह दिव्य रंग बिरंगी किरणें जिनमें ज्ञान, पवित्रता, प्रेम, आनंद, सर्व गुण और शक्तियां समायी हुई हैं, इनसे बाबा मुझे भरपूर कर रहे हैं... मैं आत्मा संपूर्ण पवित्र बन गुण मूर्त बन रहा हूं... जेसे शिवबाबा शान्ति के सागर हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर शांति का सागर हूं... जैसे शिवबाबा सर्वशक्तिवान हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... इन किरणों से मैं सम्पूर्ण बाप समान बन चमक रहा हूं... बाबा ने मुझे भरपूर कर दिया है... गहराई से अनुभव करें, मैं बाप समान बन चुका हूं... धीरे धीरे यह किरणें शिवबाबा से निकल, मुझमें समा कर, नीचे सारे संसार में फ्लो हो रही हैं.... प्रकृति के पांचों तत्व - अग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी, इन सबको यह किरणें मिल रही हैं... इस पृथ्वी पर स्थित 800 करोड़ आत्माओं में यह किरणें समाती जा रही हैं... और वह सुख शांति का अनुभव कर रही हैं... रंग बिरंगा प्रकाश मुझसे निकल सर्व आत्माओं को मिल रहा है... प्रकृति के पांचों तत्वों को मिल रहा है... मेरा और कोई संकल्प नहीं है... जैसे कि मैं परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं.. परमात्मा मेरे द्वारा यह दिव्य रंग बिरंगा प्रकाश पूरे संसार में फैला रहे हैं... जैसे एक फाउंटेन फ्लो होता है, वैसे मुझसे यह किरणें नीचे पूरे संसार में फ्लो हो रही हैं... 2 मिनट तक एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.... अभी मैं आत्मा, परमधाम से चला नीचे इस सृष्टि की ओर... पहुंच जाएं अपने स्थूल शरीर में.... अनुभव करें, मैं फरिश्ता स्थित हूं ग्लोब पे... मैं एक अवतरित फरिश्ता हूं... देखें परमधाम में शिवबाबा ज्योति स्वरूप से पवित्रता की दिव्य गोल्डन किरणें नीचे फ्लो होकर, मुझ आत्मा में समा रही हैं... मैं संपूर्ण पवित्र आत्मा हूं... परमात्मा की संतान प्रकृतिजीत हूं... अनुभव करें यह पवित्रता की किरणें, गोल्डन रंग की किरणें परमधाम से, शिवबाबा से निकल मुझमें समा कर सारे संसार को मिल रही हैं.... संपूर्ण पृथ्वी, पांचों तत्व, संसार की सर्व आत्माओं को यह पवित्रता की किरणें मिल रही हैं... पवित्रता सुख शांति की जननी है। इन पवित्रता की किरणों से संसार की सर्व आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं... यह सर्व आत्माएं मुझे दिल से दुआएं दे रही हैं... 2 मिनट तक हम यह किरणें सारे संसार में फैलाएंगे.... अभी अनुभव करें परमात्मा शिवबाबा से हरा रंग का प्रकाश; हरा रंग स्नेह का रंग है, यह प्रकाश शिवबाबा से निकल मुझमें समा रहा है... शिवबाबा प्यार के सागर हैं... और मैं आत्मा मास्टर प्यार का सागर हूं... मुझ आत्मा को संसार की सर्व आत्माओं को यह किरणें देनी है... अनुभव करें यह किरणें मुझ से निकल सारे संसार को मिल रही हैं... हरे रंग की किरणों का फाउंटेन मुझ फरिश्ता रूप से निकल सारे संसार को मिल रहा है... प्रकृति के पांचों तत्व, संसार की सर्व आत्माएं प्यार का अनुभव कर रही हैं... आज संसार की आत्माएं सच्चे प्यार के लिए तड़प रही हैं... मुझ आत्मा को संसार की इन सर्व आत्माओं को परमात्म प्रेम की अनुभूति करानी है... देखें यह किरणें इन आत्माओं में समाती जा रही हैं... ये आत्माएं स्नेह से भरपूर हो रही हैं... संपूर्ण तृप्त हो रही हैं... वे मुझ फरिश्ता व परमात्मा को दिल से दुआएं दे रही हैं... मैं फरिश्ता परमात्मा की संतान, मुझे संसार की सर्व आत्माओं को प्यार देना है... 2 मिनट तक हम यह प्रेम के हरे रंग की किरणें सारे संसार को देंगे........ अभी अनुभव करें, शिवबाबा ज्योति स्वरूप से लाल रंग का प्रकाश, शक्तियों का प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समाता जा रहा है... मैं स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में, इस ग्लोब पर... अनुभव करें, यह किरणें बाबा से निकल मुझमें समा कर, सारे संसार को मिल रही हैं... सारे संसार को, हर आत्मा को मैं शक्तियों का दान दे रहा हूं... परमात्मा सर्वशक्तिवान हैं, मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूं..... संसार की सर्व आत्माओं को मैं शक्तियों के किरणों का दान दे रहा हूं... इन आत्माओं को हर परिस्थिति का सामना करने के लिए मैं शक्ति दे रहा हूं... इस संसार में कोई न कोई आत्मा किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है, कोई डिप्रेशन में है, कोई संबंधों से दुखी है, किसी आत्मा को धन की कमी है, कोई आत्मा को नींद नहीं आती, इन सर्व आत्माओं को मैं इन किरणों का दान दे शक्तिशाली बना रहा हूं... इन किरणों से वे सब दुखों से मुक्त हो रहे हैं... 3 मिनट तक हम यह लाल प्रकाश संसार की सर्व आत्माओं को दान देंगे..... इन शक्तियों के दान से सर्व आत्माएं शक्तिशाली बन चुकी हैं... वे मुझ फरिश्ता को दिल से दुआएं दे रही हैं... अभी हम एकाग्र करेंगे बुद्धि को, शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर... हम उन्हें दिल से शुक्रिया कहेंगे - बाबा आपने हमें अपना बना लिया!! आपने हमें अपनी सृष्टि परिवर्तन के कार्य में अपना राइट हैंड बना लिया! मैं आपका दिल से शुक्रिया करता हूं! वाह बाबा वाह! शुक्रिया बाबा शुक्रिया! वाह बाबा वाह! शुक्रिया बाबा शुक्रिया!

ओम शांति।


75. किसी भी शरीर की बीमारी से बचने के लिए परमात्म शक्तियों का सुरक्षा कवच मेडिटेशन।

ओम शांति।

एकाग्र करें बुद्धि को परमधाम में.. शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर... परमपिता परमात्मा शिवबाबा, ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान... अभी हम दिल से शिवबाबा का आह्वान करेंगे.. देखेंगे हमारा आह्वान स्वीकार कर शिवबाबा धीरे धीरे नीचे उतर रहे हैं... आ गए सूक्ष्म वतन में, ब्रह्मा बाबा के सूक्ष्म शरीर में.. अभी बापदादा दोनों धीरे धीरे नीचे आ रहे हैं.. आ गए मेरे सामने... अनुभव करें बाबा मुझे दृष्टि दे रहे हैं... अभी उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर पर रख दिया है... मुझे वरदान दे रहे हैं - बच्चे मास्टर सर्वशक्तिवान भव... बच्चे विघ्न विनाशक भव... अभी अनुभव करें, बाबा के हाथों से लाल प्रकाश निकल मेरे संपूर्ण ब्रेन में फैल रहा है... धीरे धीरे यह मेरे संपूर्ण शरीर में फैल रहा है... यह दिव्य शक्तियों का प्रकाश अब पूरे शरीर में फैल चुका है... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे हाथों और पैरों तक यह लाल प्रकाश फैल चुका है और संपूर्ण शरीर इन लाल रंग की किरणों से जगमगा उठा है... यह लाल रंग परमात्म शक्तियों का रंग है... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. परमात्मा शिवबाबा की संतान! अभी देखें इन शक्तियों की लाल किरणों से, मेरे स्थूल देह के बाहर एक फुट का एक लाल रंग का शक्तिशाली आभामंडल (aura) तैयार हो चुका है.. ये मेरे संपूर्ण शरीर को घेरे हुए है... परमात्मा ने मुझे ये एक सुरक्षा कवच बना कर दिया है. इसमें मैं सदा सुरक्षित हूं.. कोई भी विघ्न मुझे टच नहीं कर सकता.. कोई भी वायरस, नेगेटिविटी इस ऑरा के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता... स्वयं सुप्रीम डॉक्टर परमात्मा शिवबाबा ने मुझे वरदान दिया है - बच्चे मास्टर सर्वशक्तिवान भव! विघ्न विनाशक भव! इन वरदानों की प्राप्ति से परमात्मा की शक्तियां सदैव मेरे साथ रहेंगी.. कोई भी विघ्न, वायरस या नेगेटिविटी मुझे टच नहीं कर सकती! अव्यक्त महावाक्य - जहां बाप साथ है वहां कोई कुछ कर नहीं सकता! भगवान अपने बच्चों को सदा तन से, मन से और धन से सहज रखेगा - यह बाप की गारंटी है! जहां बाप साथ है, वहां प्रकृति के पांचों तत्व सदा मदद करते हैं! 2 मिनट तक हम बापदादा का वरदानी हाथ अपने सिर के ऊपर अनुभव करेंगे.. उनसे दिव्य शक्तियों का लाल प्रकाश मुझमें समा कर संपूर्ण शरीर में फैल, उनसे एक आभामंडल तैयार हो चुका है... ओम शांति।


76. पारिवारिक सुख शांति के लिए योग कमेंट्री - परमात्म किरणों से अपने घर को मंदिर बनाएं।

ओम शांति।

अनुभव करें मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा... स्थित हूं अपने मस्तक के बीच में... अपनी सीट पर सेट हूं... मैं आत्मा अपने कर्मेंद्रियों की मालिक... मैं एक शान्त स्वरूप आत्मा हूं... अनुभव करें, मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल मेरे संपूर्ण शरीर में फैल रही हैं... ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह शांति की किरणें फैल चुकी हैं और मैं संपूर्ण रिलैक्स, एकाग्रचित्त हो चुका हूं... अनुभव करें मेरा यह स्थूल शरीर संपूर्ण लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश की ओर... आकाश, चांद, तारों को पार कर पहुंच गया सूक्ष्म वतन में... चारों ओर सफेद प्रकाश... बापदादा मेरे सामने... मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं... अभी बापदादा के सामने बैठ जाएं... देखें उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... उन हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... बापदादा मुझे वरदान दे रहे हैं - बच्चे विघ्न विनाशक भव... बच्चे सम्पूर्ण फरिश्ता भव... इन वरदानों की प्राप्ति से मेरे जीवन के सारे विघ्न, समस्याएं सब समाप्त हो जाएंगे... और मैं निर्विघ्न बनूंगा... मैं सम्पूर्ण सुखी आत्मा हूं... अभी सूक्ष्म वतन में इमर्ज करें हमारे घर के सर्व सदस्यों को, सर्व संबंधों को.. जो भी हमारे घर में रहते हैं उनको सूक्ष्म वतन में इमर्ज करें.. देखें मैं बापदादा के साथ बैठा हूं... अनुभव करें बापदादा से प्यार की किरणें निकल मुझमें समा रही हैं... और मेरे सामने बैठी इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं... यह आत्माएं प्यार की अनुभूति कर रही हैं... हमारे घर में जो हमारे साथ रहते हैं, यदि प्रकृतिवश या कोई पुराने स्वभाव संस्कार वश इनसे कोई गलती भी होती है, तो इसमें इनका दोष नहीं है... यह भी परमात्मा की संतान हैं... मेरे भाई बहन हैं... इन सर्व आत्माओं को प्यार की किरणें निरंतर मुझसे मिल रही हैं... अनुभव करें, इन किरणों से इनके सर्व दुख दर्द नष्ट हो रहे हैं... सभी के विघ्न समाप्त हो रहे हैं... इन परमात्म प्यार की किरणों से ये आत्माएं संपूर्ण तृप्त, भरपूर और संतुष्ट हो चुकी हैं..... 2 मिनट तक इसी स्थति में एकाग्र हो जाएंगे... बापदादा से प्यार की किरणें निकल, मुझमें समा कर, इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.... अभी अनुभव करें, बापदादा के हाथों में हाथ ले हम उड़ चले हैं नीचे सृष्टि की ओर... धीरे धीरे नीचे सृष्टि में स्थित अपने स्थूल घर में पहुंच जाएं... हाथों में हाथ ले बाबा को घर के कोने कोने में ले जाएं... देखें बापदादा से पवित्रता और शान्ति की किरणें निकल घर के कोने कोने में फैल रही हैं.. हर एक कमरे में... धीरे धीरे बापदादा मेरे साथ चल रहे हैं... हर एक कमरे को दृष्टि दे रहे हैं... अनुभव करें, बापदादा हमारे किचन में आ चुके हैं... बाहर डाइनिंग हॉल में चलें.... एक एक कमरे में बापदादा के हाथों में हाथ ले चक्कर लगाएं... बाबा यह घर आपका है.. मैं ट्रस्टी हूं.. इस घर में सब आत्माएं आपकी संतान हैं.. ये सभी आत्माएं मेरे भाई बहन हैं... अभी बापदादा को एक कमल आसन पर अपने घर के बीच बिठा दें और बापदादा के सामने बैठ जाएं... देखें बाबा से पवित्रता और शांति की किरणें निकल घर के कोने कोने में निरंतर फैल रही हैं.... घर का वायुमंडल संपूर्ण पवित्र, शुद्ध बन रहा है... पवित्रता सुख शांति की जननी है। परमात्मा के इन पवित्र किरणों से इस घर में संपूर्ण सुख शांति का वायुमंडल बन गया है.. और घर की सर्व आत्माएं भी यह सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं... ओहो! क्या अनुभूति है यह! संपूर्ण परमानंद की अनुभूति! यह घर परमात्मा का घर है... यहां के भंडारे और भंडारी सदा भरपूर रहेंगे... जहां परमात्मा बाप साथ है, वहां कोई कुछ कर नहीं सकता... कोई भी विघ्न हमारे घर परिवार को टच नहीं कर सकता... हम बापदादा की किरणों में सदा सेफ हैं.. सुरक्षित हैं.. निश्चिंत हैं... 2 मिनट तक इस स्थिति में एकाग्र रहेंगे... बापदादा से सुख शांति की किरणें चारों तरफ फैल रही हैं... हमारे घर परिवार के सर्व सदस्य, सर्व संबंध सुख और शांति की स्थिति में स्थित हैं....

ओम शांति।


77. अमृतवेला परमधाम मेडिटेशन।

ओम शांति।

एकाग्र करें बुद्धि को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट.. चमकता सितारा... संपूर्ण पवित्र... स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेंद्रियों की मालिक... अभी मैं आत्मा एक सेकंड में उड़कर पहुंच गया ऊपर परमधाम में.. चारों ओर लाल प्रकाश... लाखों-करोड़ों आत्माएं अपने अपने जगह पर स्थित हैं.. परमधाम, शांतिधाम, मुक्तिधाम में... धीरे धीरे अनुभव करें मैं शिवबाबा के पास, बहुत नज़दीक आ चुका हूं.. ये है मेरी बीजरूप अवस्था... संपूर्ण निराकारी, सम्पूर्ण मुक्त अवस्था..! अभी अनुभव करें, परमात्मा शिवबाबा से गुणों और शक्तियों का दिव्य प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समा रहा है... एक फाउंटेन की तरह, एक शॉवर की तरह मुझ आत्मा में समाता जा रहा है.. संपूर्ण परमानंद, मुक्त अवस्था की स्थिति है ये.. इस अवस्था में मैं संपूर्ण एकाग्र हो चुका हूं... दिव्य प्रकाश मैं अपने आप में समाता जा रहा हूं... अनुभव करें, जैसे-जैसे यह प्रकाश मुझ आत्मा में समाते जा रहा है, वैसे-वैसे मुझ आत्मा के जन्म-जन्मांतर के विकर्म विनाश हो रहे हैं... मुझ आत्मा पर चढ़ी हुई मैल संपूर्ण साफ हो रही है.. संपूर्ण नेगेटिविटी क्लीन हो रही है... द्वापर कलयुग में मुझसे जाने-अनजाने हुए विकर्म संपूर्ण नष्ट हो रहे हैं... धीरे-धीरे अनुभव करें मैं सितारा सम्पूर्ण क्लीन, बेदाग हीरा बन चुका हूं... मेरे संपूर्ण विकर्म नष्ट हो चुके हैं... मैं एक संपूर्ण पवित्र, गुण मूर्त, शक्तिशाली आत्मा हूं.. मैं बाप समान आत्मा हूं..... अभी अनुभव करें शिवबाबा से दिव्य प्रकाश निकल, मुझमें समाकर नीचे सारे संसार को मिल रहा है... मुझ बीजरूप आत्मा से यह सृष्टि रूपी झाड़ दिव्य प्रकाश का अनुभव कर रहा है... अनुभव करें यह प्रकाश पांचों तत्वों को मिल रहा है... अग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी, यह पांचो ही तत्व इस प्रकाश से संपूर्ण तृप्त हो रहे हैं.... और प्रकृति मुझे शुक्रिया कह रही है... अनुभव करें यह प्रकाश संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहा है.... असंख्य 800 करोड़ आत्माएं इस सृष्टि पर हैं... एक-एक आत्मा इस दिव्य प्रकाश के अनुभव में परमानंद की अनुभूति कर रही है... इस सृष्टि रूपी झाड़ के हर धर्म को, पत्ते पत्ते को यह प्रकाश मिल रहा है... मैं सृष्टि का बीज हूं.. मैं बाप समान हूं.. विश्व कल्याणकारी हूं.. विश्व रक्षक हूं.. विश्व परिवर्तक हूं... मुझे इस संसार को सर्व दुखों से मुक्त करना है... मुझ बीजरूप से यह प्रकाश निकल संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहा है, जिससे वे सर्व दुखों से मुक्त हो रही हैं.....

ओम शांति।


78. सवेरे उठते ही और सोने से पूर्व यह 3 संकल्प करें। जैसा सोचेंगे, वैसा बनेंगे।

ओम शांति।

जो संकल्प हम बार-बार करते हैं, वैसी परिस्थिति या घटना का हम निर्माण करते हैं। What we think, we become! हमारे संकल्पों में एक रचनात्मक शक्ति है। जो संकल्प हम बार-बार करते हैं, वैसी परिस्थितियां, वैसी घटनाओं का हमारे जीवन में स्वतः ही निर्माण होता है। तो सवेरे के पहले 5 मिनट जब हमारा अवचेतन मन जागृत होता है, उस समय जो भी संकल्प हम करेंगे, उसका प्रभाव सारा दिन रहेगा और वैसी परिस्थिति का हम अपने संकल्पों से निर्माण करेंगे। तो सवेरे उठते ही पहले हम अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित होंगे और अनुभव करेंगे कि मैं आत्मा हूं, शांत स्वरूप हूं, अपने मस्तक के बीच में स्थित हूं। जैसे ही हम अपने आत्मिक स्थिति में स्थित होंगे, हम दिल से मुस्कुरा के परमात्मा को गुड मॉर्निंग करेंगे और पहला संकल्प करेंगे - मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! परमात्मा कहते हैं- जो आत्माएं मास्टर सर्वशक्तिवान की स्मृति में रहते हैं, वह असंभव कार्य को भी संभव कर सकते हैं। हमें इस फीलिंग में स्थित होना है कि हां मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं, परमात्मा की संतान हूं। इस संकल्प के बाद हम दूसरा संकल्प करेंगे - मैं सफलता मूर्त, विजयी हूं। और सफलता स्वरूप की स्मृति में सेट हो हम कल्पना करेंगे कि हम हमारे जीवन में हम क्या चाहते हैं, हमारा जीवन का लक्ष्य क्या है। और फिर हमें वैसा ही दृश्य मन में बनाना है। उदहारण के लिए किसी को अच्छी जॉब चाहिए, तो कल्पना करें कि हां मुझे बहुत अच्छी जॉब मिल गयी है। और जैसे अगर किसी आत्मा को क्रोध आता है, तो संकल्प करना है मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं, मैं बहुत शांत हूं। हां मैं कर्म में बहुत ही शांत हूं। तो जैसा हम चाहते हैं, वैसे ही घटना का हमें दृश्य बनाना है, उसके सत्य होने की कल्पना करनी है। संकल्प करें हां मैं सफलता मूर्त हूं! मैं संपूर्ण सुखी हूं! मैं तन से स्वस्थ व संपूर्ण निरोगी हूं! मन से शक्तिशाली और धन से भरपूर हूं! तो इन घटनाओं की हमें इच्छा करनी है। 7 दिन के ही प्रयोग से हमें इसके परिणाम मिलना शुरू हो जाएंगे। हम इस प्रैक्टिस को एक मिशन के रूप में करेंगे। तो चलें शुरू करें.. ओम शांति। सवेरे उठते ही एकाग्र हो जाएं अपने आत्मिक स्वरूप में... अनुभव करें मैं आत्मा.. एक चमकता सितारा.. स्थित हूं अपने भृकुटी के मध्य में... दिल से परमात्मा शिवबाबा को हम गुड मॉर्निंग करें...

अभी पहला संकल्प करेंगे - मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं.... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. परमात्मा की संतान हूं ... परमात्मा सर्वशक्तिवान, मैं उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... जहां परमात्म शक्तियां साथ होते हैं, वहां हर कार्य निर्विघ्न सफल होता है...

अभी हम दूसरा संकल्प करेंगे - मैं सफलता मूर्त हूं.... मैं विजयी हूं... मैं सफलता मूर्त हूं... विजयी हूं... पूरे फीलिंग के साथ इस अनुभूति में स्थित हो जाएं, कि हां मैं सफलता मूर्त हूं! अपनी सफलता को विजुअलाईज करें... सम्पूर्ण 100% सक्सेसफुल हुआ देखें उस घटना को, जो हम अपने जीवन में चाहते हैं.. इस अनुभूति में स्थित हो जाएं...

इसी से जुड़ा हम तीसरा संकल्प करेंगे - मैं संपूर्ण सुखी हूं... मैं संपूर्ण सुखी हूं... मैं जीवन में सफलता पा चुका हूं... मेरा जीवन संपूर्ण सुखी है... कल्पना करें मैं संपूर्ण सुखी हूं... मैं तन से स्वस्थ हूं... मैं संपूर्ण निरोगी हूं... मन से शक्तिशाली हूं... और धन से भरपूर हूं.... इन संकल्पों को अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित हो 5 बार हम रिपीट करेंगे

मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मैं सफलता मूर्त हूं... मैं संपूर्ण सुखी हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मैं सफलता मूर्त हूं... मैं संपूर्ण सुखी हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मैं सफलता मूर्त हूं... मैं संपूर्ण सुखी हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मैं सफलता मूर्त हूं... मैं संपूर्ण सुखी हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मैं सफलता मूर्त हूं... मैं संपूर्ण सुखी हूं...

इसी प्रकार रात को सोने से 10 मिनट पूर्व भी हमें ये अभ्यास करना है। हम इस अभ्यास को कमेंट्री द्वारा भी कर सकते हैं, या मन ही मन स्वयं संकल्प भी कर सकते हैं। रात को सोने से पूर्व जो हम यह संकल्प करेंगे, तो उसका प्रभाव रातभर नींद में रहेगा। और सवेरे उठते ही हमारा मन इन संकल्पों में स्वतः ही एकाग्र होगा। जैसे जैसे हम इस अभ्यास को प्रतिदिन करते जाएंगे, हम अनुभव करेंगे कि हां, हम इन संकल्पों का निर्माण कर रहे हैं! सफलता हमें अपने जीवन में मिलती जा रही है। इस प्रैक्टिस को 21 दिन तक करने से यह नेचुरल बन जाएगा। और धीरे-धीरे हम इसके अद्भुत परिणाम देखेंगे।

ओम शांति।


79. पूज्य स्वरूप मैं विघ्न विनाशक गणेश हूं - सुखकर्ता दुखहर्ता गणेश बन संसार को सुखी बनाना।

ओम शांति।

आज हम अपने पूज्य स्वरूप विघ्न विनाशक गणेश का अभ्यास करेंगे। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम सूक्ष्म वतन में बापदादा से विघ्न विनाशक गणेश का वरदान लेंगे और विघ्न विनाशक गणेश रूप में ही, सूक्ष्म वतन में सम्पूर्ण पृथ्वी के ग्लोब को इमर्ज कर, संसार की सर्व आत्माओं को हम सुख की किरणों का दान देंगे। लाखों करोड़ों भक्त आत्माएं हमें पुकार रहे हैं, हमारी भक्ति कर रहे हैं। वे घर घर में हमारे मूर्ति की स्थापना करते हैं, तो हम इन आत्माओं को सुख की किरणों का दान देकर उनके सर्व दुख, विघ्न नष्ट करेंगे। चलें शुरू करते हैं.. एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. एक चमकता सितारा.. पॉइंट ऑफ लाइट.. सम्पूर्ण पवित्र.. सम्पूर्ण शुद्ध मैं आत्मा, स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में... अपने सूक्ष्म शरीर में... अभी एक सेकंड में पहुंच जाएं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा... मुझे दृष्टि दे रहे हैं... बैठ जाएं उनके सामने... देखें दृष्टि देते-देते उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... और मुझे वरदान दे रहे हैं - बच्चे विघ्न विनाशक गणेश भव... सुखकर्ता दुखहर्ता भव... इन वरदानों की प्राप्ति से बाबा ने मुझे विघ्न विनाशक गणेश का वरदान दिया है और मैं स्थित हो चुका हूं अपने विघ्न विनाशक गणेश स्वरूप में... मैं वही सुखकर्ता दुखहर्ता विघ्न विनाशक गणेश हूं, जिसकी मन्दिरों में और घर-घर में पूजा हो रही है... यह सर्व गणेश भक्त आत्माएं मेरी भक्ति कर रहे हैं... मुझे पुकार रहे हैं - हे विघ्न विनाशक गणेश, हमारे सर्व विघ्न.. दुख.. संकट.. बीमारियां नष्ट करो! मैं वही विघ्न विनाशक गणेश हूं जिसको परमात्मा ने नॉलेजफुल, बुद्धिवान, दुखहर्ता सुखकर्ता का वरदान दिया है। मुझे इन सर्व भक्तों को सुखी बनाना है.. इनके सर्व शुद्ध मनोकामनाएं पूर्ण करने हैं... अभी सूक्ष्म वतन में हम इमर्ज करें पृथ्वी के ग्लोब को... देखें पृथ्वी पर हर मन्दिर में, हर घर में मुझ विघ्न विनाशक गणेश की स्थापना हो चुकी है... बहुत दिल से ये आत्माएं मेरी पूजा करते हैं, आरती करते हैं... अनुभव करें इन आत्माओं को मुझ द्वारा, मेरी हर मूर्ति द्वारा सुख की किरणें मिल रही हैं... मैं इन आत्माओं को सम्पूर्ण सुखी भव का वरदान दे रहा हूं... फील करें शिवबाबा से मुझमें सुख की किरणें समा रही हैं और पृथ्वी पर स्थित सर्व आत्माओं को मिल रही हैं... इन सुख की किरणों से इन आत्माओं के सारे दुख, संकट, विघ्न सब नष्ट हो रहे हैं... वे सम्पूर्ण सुखी बन रहे हैं... इनके सर्व शुद्ध मनोकामनाएं मैं पूर्ण कर रहा हूं... बहुत दिल से यह मेरी आराधना कर रहे हैं.. भक्ति कर रहे हैं.. अभी अनुभव करेंगे एक मिनट तक विघ्न विनाशक गणेश की आरती चल रही है और इस आरती में हम देखेंगे - संसार की सर्व गणेश भक्त आत्माएं मेरी पूजा कर रहे हैं, आरती कर रहे हैं और मुझ द्वारा इनको सुख की किरणें मिल रही हैं... अभी अनुभव करें संसार की सर्व आत्माएं सम्पूर्ण सुखी बन चुके हैं... बहुत दिल से मुझे और परमात्मा को ये दुआएं दे रहे हैं..... इनकी सर्व शुद्ध मनोकामनाएं पूर्ण हो चुकी हैं... बहुत दिल से मुझे ये शुक्रिया कह रहे हैं - हे विघ्न विनाशक, दुखहर्ता सुखकर्ता गणेश! आपका कोटि कोटि शुक्रिया!

ओम शांति।


80. क्षमा - सदा सुखी, निरोगी बनने के लिए माफ करना और माफी मांगना।

ओम शांति।

आज की मेडिटेशन कमेंट्री है क्षमा पर। माफ कर देना और माफी मांगना। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम सूक्ष्म वतन में आत्माओं को इमर्ज कर, परमात्मा से प्यार की किरणें लेकर देंगे और उनसे क्षमा याचना करेंगे। जितना हम इन आत्माओं को प्यार की किरणें देंगे, उतना उनके मन में हमारे लिए जो भी नेगेटिव भाव है, वह पॉज़िटिव में परिवर्तित हो जाएगा। जिसको बाबा कहते हैं - वृत्ति से वृत्ति को परिवर्तन करना। हमारी शुभ भावना से इनके मन का भाव स्वतः ही बदल जाएगा। बाबा ने हमें मुरलियों में ज्ञान दिया है कि कोई कुछ भी दे, आपको दुआएं ही देनी हैं। तो जितना जितना हम इस मेडिटेशन को प्रैक्टिस करेंगे, उतना हमारा कार्मिक अकाउंट दबता जाएगा। हमारा मन स्वतः हल्का और खुश रहने लगेगा। इस जीवन में हमें कोई भी पेपर है, वह चाहे व्यक्तियों से हो, शरीर से हो या धन का हो, यह हमारे जो भी परिस्थितियां हैं, मुश्किलात हैं, वह हमारे पिछले जन्मों के कारण हैं। तो इस मेडिटेशन प्रैक्टिस से हमारे कर्मों का खाता स्वतः ही हल्का होगा और ये हम खुद भी महसूस करेंगे। तो चलें शुरू करते हैं.. चारों तरफ से अपना ध्यान समेट कर, एकाग्र करें मस्तक के बीच.. मैं आत्मा... एक ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मेरा स्वभाव बहुत शांत है... शांति मेरी ओरिजनल नेचर है... महसूस करें मुझ आत्मा से शांति का प्रकाश निकल सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह प्रकाश फैल चुका है.. मैं सम्पूर्ण रिलैक्स हूं... मेरा सम्पूर्ण शरीर लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा, स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में..... अभी एक सेकंड में पहुंच जाएं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा.. मुझे दृष्टि दे रहे हैं... उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... उन हाथों से प्रेम का प्रकाश निकल मुझमें निरंतर समाते जा रहा है... वे मुझे वरदान दे रहे हैं अशरीरी भव... सदा सुखी भव... महसूस करेंगे मैं प्रेम की किरणों से सम्पूर्ण भरपूर हो चुका हूं... अभी बापदादा के साथ बैठ जाएं और सूक्ष्म वतन में ही सामने इमर्ज करें उन आत्माओं को जिन्होंने हमें दुख दिया हो... वह चाहे हमारे परिवार के सदस्य हों या कर्मक्षेत्र में हमारे दोस्त हो या कोई भी हो... इमर्ज करें सामने उन सभी आत्माओं को.. इसी के साथ हम इमर्ज करेंगे उन आत्माओं को भी, जिन्होंने पिछले जन्मों में हमें कोई दुख दिया हो... फील करें बापदादा से प्यार की किरणें निकल, मुझमें समा कर इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं... यह सर्व आत्माएं प्यार की किरणों से भरपूर हो रही हैं... इन आत्माओं ने जाने-अनजाने स्वभाव-संस्कार वश या परिस्थिति वश मुझे दुख दिया हो, इनमें इनकी कोई गलती नहीं है... मैं इन्हें सम्पूर्ण रूप से माफ करता हूं... क्षमा करता हूं... एक मिनट तक हम यह प्यार की किरणें इनको देते रहेंगे.... अभी देखें यह आत्माएं प्यार की किरणों से भरपूर हो मुझे दिल से दुआएं दे रही हैं... इनके साथ हमारा सारा कर्मों का खाता समाप्त हो चुका है... अभी हम सूक्ष्म वतन में इमर्ज करेंगे उन आत्माओं को, जिनको जाने-अनजाने में हमने दुख दिया हो। वह चाहे इस जन्म में दिया हो या पिछले किन्हीं जन्मों में दिया हो... देखेंगे इन आत्माओं को अपने सामने... फील करें परमात्मा से प्यार की किरणें निकल, मुझमें समा कर इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.... अभी हम दिल से इनसे माफी मांगते हैं... हे आत्माओं, जाने अनजाने हमने आपको दुःख दिया है, हमें माफ कर दीजिए.. हम आपसे दिल से क्षमा याचना करते हैं... एक मिनट तक हम यह प्यार की किरणें इन आत्माओं को देंगे.... प्यार की किरणों से भरपूर हो यह आत्माएं मुझे दिल से दुआएं दे रही हैं... इनके साथ भी मेरा सम्पूर्ण कर्मों का खाता समाप्त हो चुका है... मैं सर्व बन्धनों से मुक्त हो चुका हूं... मेरे सर्व हिसाब किताब समाप्त हो चुके हैं।

ओम शांति।


81.  रोज सुबह और रात सोने से पहले यह 5 संकल्प करें - Law of Attraction - Attract What You Think!

ओम शांति।

यह प्रकृति का नियम है कि जो संकल्प हम बार-बार करते हैं, हम उनका निर्माण करते हैं। भले ही आज हमारे जीवन में कोई विघ्न या कोई नेगेटिव परिस्थिति हो, तो भी हमें उन्हें ना सोच, ना ही किसी से वर्णन कर, पॉज़िटिव संकल्पों में ही स्थित होना है। जो हम अपने जीवन में चाहते हैं, जैसी सफलता चाहते हैं - हेल्थ, वेल्थ या हैप्पीनेस, वही हमें बार-बार सोचना है। उसकी ही कल्पना करनी है। तो सवेरे उठते ही पहले 5 मिनट, जिसमें हमारा अवचेतन मन जागृत होता है, उस समय जो संकल्प हम करेंगे उसका प्रभाव दिन भर रहेगा। हम दिन भर पॉज़िटिव रहेंगे। तो सवेरे उठते ही पहले हम परमात्मा को दिल से मुस्कुराकर गुड मॉर्निंग कहेंगे। इस जीवन के लिए हम उन्हें शुक्रिया कहेंगे। और फिर पहला संकल्प करेंगे कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं। इस संकल्प में एक अद्भुत शक्ति है। हम परमात्मा की सन्तान मास्टर सर्वशक्तिवान हैं - यह संकल्प करने से उनकी सारी शक्तियां हमारे साथ कार्य करेंगी। हमें इस संकल्प के साथ फील करना है कि हमारे चारों तरफ पॉज़िटिव शक्तियों का एक आभामंडल तैयार हो चुका है। और फील करना है मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं, परमात्मा की सन्तान हूं! इसी संकल्प के साथ हम ये भी संकल्प करेंगे कि मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा। कल्पना करेंगे जो भी हमारे जीवन में होगा, अच्छा होगा। भले ही आज परिस्थिति अच्छी नहीं हो, नेगेटिव हो, पर हमें उन्हें न सोच यही पॉज़िटिव संकल्प करना है कि मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा। परमात्मा कहते हैं कि अपनी समस्याएं या कमज़ोरियों का वर्णन करने से या सोचने से वह बढ़ती हैं। इसलिए हमें हमारे किसी भी नेगेटिव परिस्थिति का चिंतन नहीं करना है। सदैव यही सोचना है कि मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा। इसी संकल्प के साथ हम तीसरा संकल्प करेंगे - मैं बहुत धनवान हूं! फील करेंगे कि मैं धन से भरपूर हूं। कल्पना करेंगे बैंक अकाउंट में जितनी हम रकम चाहते हैं और उसको देखते हुए बहुत खुश होना है! फील करना है मैं बहुत धनवान हूं। मेरा घर, भण्डारे और भंडारी भरपूर हैं। फिर हम चौथा संकल्प करेंगे - मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ व निरोगी है। कल्पना करेंगे जो भी हम अपने हेल्थ से जुड़ा चाहते हैं - बीमारी मुक्त, सम्पूर्ण निरोगी, सम्पूर्ण स्वस्थ शरीर! और पांचवा संकल्प हम करेंगे - मेरे सर्व संबंध बहुत अच्छे हैं। हम परिवार में सभी एकजुट हैं, बहुत खुश हैं, बहुत सुखी हैं! यह पांचो ही संकल्प एक दुसरे से जुड़े हुए हैं। सवेरे उठते ही और सोने से पूर्व 5 मिनट यह पांच संकल्प करने से हमारा जीवन सम्पूर्ण हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस से भरपूर होगा। हमारे जीवन में कोई विघ्न नहीं होगा। हम सम्पूर्ण सुखी बनेंगे। तो इस मेडिटेशन को पांच मिनट हमें कैसे करना है, चलें शुरू करते हैं। ओम शांति। दिल से गुड मॉर्निंग करें शिवबाबा को... और पहला संकल्प करें - मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... परमात्मा की सन्तान हूं... आंखों के सामने फील करें परमात्मा शिवबाबा से शक्तियों का दान हमें मिल रहा है और मेरे शरीर से जुड़ा एक शक्तिशाली आभामंडल तैयार हो चुका है.. दिल से शुक्रिया करें परमात्मा का इन शक्तियों के लिए... दूसरा संकल्प करें - मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा... मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा.. परमात्मा की सर्व शक्तियां मेरे साथ हैं... मैं सदा निश्चिंत हूं, निर्भय हूं.. आज से मेरे जीवन में सबकुछ बहुत अच्छा होगा... तीसरा संकल्प करें - मैं बहुत धनवान हूं... परमात्मा ने मुझे ज्ञान धन और स्थूल धन से भरपूर किया है... मैं बहुत धनवान हूं... मेरे घर के भण्डारे और भण्डारी भरपूर हैं... कल्पना करें बैंक में जो अमाउंट हम चाहते हैं... खुशी से फील करें मैं बहुत धनवान हूं... चौथा संकल्प करें - मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ है.. मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ है.... कल्पना करें अपने सम्पूर्ण स्वस्थ शरीर का जो हम चाहते हैं... मैं सम्पूर्ण निरोगी हूं, सम्पूर्ण स्वस्थ हूं.. सर्व बीमारियों से मुक्त हूं.. मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ है... पांचवा संकल्प करें - मेरे सर्व संबंध बहुत अच्छे हैं... हम परिवार में सभी एकजुट हैं.. बहुत खुश हैं.. बहुत सुखी हैं... मेरा सर्व आत्माओं के साथ संबंध बहुत अच्छा है.. यह सर्व आत्माएं बहुत अच्छी हैं.. मेरे मन में किसी आत्मा के लिए नेगेटिव भाव नहीं है.. सब आत्माएं अपना-अपना रोल प्ले कर रही हैं... परिस्थिति वश यदि इनसे कोई गलती भी होती है तो इसमें इनका दोष नहीं है.. जो हो रहा है वही सत्य है... आज से मेरे सर्व संबंध बहुत अच्छे हैं.. हेल्दी हैं... मैं बहुत खुश हूं.. सुखी हूं...

ओम शांति।


82. टेलीपैथी - संकल्पों से कैसे पहुंचाए अपनी मन की बात - मनसा सेवा से कोई आत्मा को परिवर्तन कैसे करें।

ओम शांति।

आज का विषय है टेलीपैथी। हम इसे मनसा सेवा या हमारे मन के संकल्पों से किसी और के मन की सेवा भी कह सकते हैं। कई बार मुरलियों में परमात्मा कहते हैं - अंतर्मुखता का अभ्यास बढ़ाओ। साइलेंस की शक्ति का प्रयोग करो। एकाग्रता की शक्ति से आत्माओं का आह्वान करो। आत्माओं से रूह रिहान करो। उनके वृत्तियों का परिवर्तन करो। उन्हें श्रेष्ठ बनने की प्रेरणा दो। अव्यक्त मुरली 15-4-1981 में बाबा कहते हैं - पहले ज़माने में पंछियों द्वारा सन्देश भेजते थे, जो सन्देश देकर फिर वापस आ जाते थे। आपकी सेवा कौन सी है? वह पंछियों द्वारा सन्देश भेजते थे, आप संकल्प शक्ति द्वारा किसी भी आत्मा के प्रति सेवा कर सकते हो। संकल्प का बटन दबाया और वहां सन्देश पहुंचा। जैसे अंतकवाहक शरीर द्वारा सहयोग दे सकते हैं, वैसे संकल्प की शक्ति द्वारा अनेक आत्माओं की समस्याओं का हल कर सकते हैं... अपने श्रेष्ठ संकल्प के आधार से उन्हों के व्यर्थ व कमज़ोर संकल्प परिवर्तन कर सकते हैं। और अव्यक्त मुरली 5-12-1999 में बाबा कहते हैं - यह वायरलेस, यह टेलीफोन, जैसे यह साइंस का साधन कार्य करता है, वैसे यह शुद्ध संकल्प का खज़ाना ऐसे ही कार्य करेगा जो लंदन में बैठे हुए किसी भी आत्मा का वाइब्रेशन आप को ऐसे ही स्पष्ट टच होगा जैसे यह वायरलेस, यह टीवी। या जो भी साधन हैं, कितने साधन निकल गए हैं, इससे भी ज़्यादा आपकी कैचिंग पावर एकाग्रता की शक्ति से बढ़ेगी! तो इन वाक्यों से सिद्ध होता है कि हम अपने मन के संकल्प से किसी भी आत्मा को कोई भी सन्देश दे सकते हैं, या परमात्म अवतरण का सन्देश दे सकते हैं, उनके वृत्तियों को चेंज कर सकते हैं, उनके किसी समस्या में हम उनको पॉज़िटिव संकल्प की टचिंग दे सकते हैं। कई बार हमारे जीवन में कुछ ऐसे व्यक्तियों के साथ कनेक्शन होता है, जिसमें हम कोई समस्या का वाणी द्वारा समाधान नहीं कर सकते हैं। कुछ गलतफहमी ऐसे हो जाते हैं कि हम उन्हें वाणी द्वारा नहीं समझा सकते। ऐसी परिस्थितियों में हम उनके मन की मनसा सेवा कर उनके मन के भाव को चेंज कर सकते हैं। यदि कोई हमारे प्रति नेगेटिव भी सोचता हो, तो हम उसे पॉज़िटिव में चेंज कर सकते हैं। आप फील करेंगे कुछ ही दिनों के अभ्यास से उस आत्मा की आपके प्रति, बिना कहे ही, शुभ भावना क्रिएट होगी। आपके प्रति उनका व्यवहार चेंज होगा। वह आपके प्रति स्वतः ही अच्छा सोचेंगे। कई बार ऐसा भी होता है कि कार्य व्यवहार में हमसे न चाहते हुए भी गलती हो जाती है। उस कार्य के वजह से कई आत्माओं के नेगेटिव संकल्प चलते हैं। यह जो आत्माओं के नेगेटिव संकल्प चलते हैं, उसे भी हम मनसा सेवा से क्लियर कर सकते हैं। तो आज हम ये टेलीपैथी का प्रयोग करेंगे। उदाहरण के लिए किन्हीं आत्माओं के हमारे प्रति कोई नेगेटिव संकल्प चले हों, वह चाहे आज चले हों या कई समय पहले चले हों, तो हम इस तीन मिनट के प्रयोग से उनके वृत्ति को चेंज करेंगे। उनके मन में हमारे प्रति स्वतः ही शुभ भावना क्रिएट होगी। स्वतः ही वे दुआएं देंगे। तो चलें शुरू करते हैं... एकाग्र करेंगे मैं आत्मा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट... ज्योति स्वरूप... एक चमकता सितारा... शुद्ध संकल्प करें मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... फील करें परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप, परमधाम में... उनसे दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है... सम्पूर्ण शक्तिशाली अवस्था में स्थित हो जाएं... देखें निरंतर परमात्मा की किरणें मुझमें समाती जा रही हैं... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... अभी आंखों के सामने हम इमर्ज करेंगे, देखेंगे उस आत्मा को, जिनसे हमें कोई बात करनी हो... कोई गलतफहमी क्लियर करनी हो... या उनके मन के किसी भाव को चेंज करना हो.... फील करें मुझ आत्मा से दिव्य प्रकाश निकल उस आत्मा में समाता जा रहा है... दिव्य शक्तियों का, प्रेम का प्रकाश मुझसे निकल उस आत्मा को मिल रहा है... सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में..... अनुभव करें सम्पूर्ण शुभ भावना से मैं इस आत्मा को किरणें दे रहा हूं.... इन किरणों से इनके मन का भाव स्वतः चेंज हो रहा है... इनके मन में हमारे प्रति सम्पूर्ण शुभ भावना क्रिएट हो रही है... यह दिल से हमें दुआएं दे रहे हैं... इस अनुभव में हम इस आत्मा से बातें भी कर सकते हैं... जो भी मन का भाव हो हम शेयर कर सकते हैं.... तो इस अभ्यास से हम फील करेंगे कि जब हम उस आत्मा के साथ कर्म में आयेंगे तब स्वतः ही सब चेंज हुआ होगा... स्वतः ही वह हमारे प्रति पॉज़िटिव व्यवहार करेंगे, पॉज़िटिव ही सोचेंगे... इसी प्रकार हम अनेक आत्माओं को एक साथ इमर्ज कर उन्हें कोई मेसेज दे सकते हैं.. उनके वृत्तियों को चेंज कर सकते हैं... या उन्हें परमात्म अवतरण का सन्देश भी दे सकते हैं...!

ओम शांति।


83. ज्वालामुखी योग द्वारा विकर्म विनाश।

ओम शांति।

चारों ओर के सर्व संकल्पों से अपना ध्यान समेट कर, बुद्धि को एकाग्र करें अपने मस्तक के बीच... मैं आत्मा... एक चमकता सितारा... ज्योति स्वरूप... मैं आत्मा अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक... स्वराज्य अधिकारी ... सम्पूर्ण एकाग्रचित्त... अनुभव करें मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... अभी एकाग्र करें बुद्धि को परमधाम में... परमपिता परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर... शिवबाबा ज्ञान के सागर... गुणों के सागर... सर्वशक्तिवान... मैं उनका दिल से आह्वान कर रही हूं... देखेंगे शिवबाबा हमारा आह्वान स्वीकार कर, धीरे धीरे नीचे उतर रहे हैं.... और आ गए मेरे सिर के ऊपर... मैं आत्मा स्थित हूं अपने मस्तक के बीच... शिवबाबा मेरे सिर के ऊपर मेरी छत्रछाया बन चुके हैं... इसी स्वरूप को कंबाइंड स्वरूप कहते हैं... अभी अनुभव करें, देखें शिवबाबा ज्योति स्वरूप से गोल्डन रंग की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रही हैं.... जैसे एक गोल्डन रंग की ज्वाला मुझमें समा रही हैं.... एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.... अनुभव करें जैसे मैं आत्मा इन ज्वाला स्वरूप किरणों को खिंच रही हूं.... अंदर ही अंदर इन किरणों को समाती जा रही हूं... एक ज्वाला की तरह शिवबाबा से यह किरणें निकल रही हैं और मुझ आत्मा में समा रही हैं... जैसे जैसे ये किरणें मुझ आत्मा में समा रही हैं, मुझ आत्मा पे चढ़ी हुई जन्म जन्मान्तर की मैल साफ हो रही है.. मेरे सर्व विकर्म नष्ट हो रहे हैं... परमात्मा की किरणें मुझमें समाती जा रही हैं... और मैं सम्पूर्ण स्वच्छ, पवित्र बन रही हूं... अभी अनुभव करें मैं आत्मा सम्पूर्ण स्वच्छ, गोल्डन बन चुकी हूं.. मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र, सम्पूर्ण सुनहरी किरणों से चमक रही हूं... मैं आत्मा गोल्डन बन चुकी हूं... सम्पूर्ण पवित्र.... अभी मैं आत्मा इसी कंबाइंड स्वरूप में यह देह छोड़ चली ऊपर की ओर.... देखें मैं आत्मा और शिवबाबा दोनों ही धीरे धीरे इस सृष्टि को छोड़ ऊपर की ओर जा रहे हैं.... आकाश, चाँद, तारों को पार कर पहुंच गए हैं परमधाम में... चारों ओर लाल प्रकाश... मैं आत्मा शिवबाबा के साथ हूं, उनके पास हूं.... निरंतर उनसे गोल्डन रंग की किरणें निकल मुझमें समाती जा रही हैं... एक ज्वालामुखी की तरह यह किरणें मुझमें समा रही हैं... सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं इस निराकारी स्थिति में... अपने अनादि स्थिति में... अभी अनुभव करें शिवबाबा से ये गोल्डन पवित्रता की किरणें मुझमें समा कर, अब नीचे सारे संसार को मिल रही हैं... पांचों ही तत्व - अग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी.. और संसार की सर्व आत्माओं को यह गोल्डन रंग की सुनहरी किरणें मिल रही हैं... यह सम्पूर्ण सृष्टि गोल्डन रंग की किरणों को ग्रहण कर रही है... प्रकृति के पांचों तत्व और संसार की सर्व आत्माएं तृप्त हो रही हैं... देखें यह सर्व आत्माएं गोल्डन रंग की किरणों में चमक रही हैं... वे सम्पूर्ण गोल्डन हो चुकी हैं... सुनहरी हो चुकी हैं... जैसे परमधाम से एक सुनहरी किरणों का ज्वालामुखी सारे संसार में फैल रहा है..... यह सर्व आत्माएं मुझे और बाबा को दिल से दुआएं दे रही हैं... अनुभव करें यह सारा संसार सम्पूर्ण पवित्र बन चुका है... और सतयुग में परिवर्तित हो चुका है... चारों ओर सुख शांति... प्रकृति के पांचों ही तत्व सम्पूर्ण सतोप्रधान बन गए हैं.. संसार की सर्व आत्माएं सुखी बन चुकी हैं... सम्पूर्ण पवित्र सतोप्रधान बन चुकी हैं...।

ओम शांति।


84. विकारों का अंश समाप्त करने के लिए - कर्म करते बीच बीच में यह 5 मिनट का योग करें।

ओम शांति।

आज की मेडिटेशन कमेंट्री है विकारों के अंश को समाप्त करने के लिए। इस योगाभ्यास से हमारा चित्त शान्त होगा। विकारों का अंश व मन में जो व्यर्थ या नेगेटिव संकल्प चलते हैं वो समाप्त होगा। अव्यक्त मुरली 28.4.1982 से बाबा के महावाक्य - विकारों की आग के अंश मात्र से बचने का साधन है - अपने आदि अनादि वंश को याद करो। अनादि बाप के वंश संपूर्ण सतोप्रधान आत्मा हूं। आदि वंश देवात्मा हूं। देव आत्मा, 16 कला संपन्न, संपूर्ण निर्विकारी, अनादि और आदि वंश को याद करो तो विकारों का अंश भी समाप्त हो जाएगा। साकार मुरली 26.08.2020 में बाबा बोले - निरंतर अंतर्मुखी रहने का पुरुषार्थ करो। अंतर्मुख अर्थात सेकंड में शरीर से डिटैच। इस दुनिया की सुध-बुध बिलकुल भूल जाए। एक सेकंड में ऊपर जाना और आना। इस अभ्यास से विकारों का अंश समाप्त हो जाएगा। कर्म करते-करते बीच-बीच में अंतर्मुखी हो जाओ। ऐसे लगे जैसे बिल्कुल सन्नाटा है। कोई भी चुरपुर नहीं। यह सृष्टि तो जैसे है ही नहीं। तो इन महावाक्यों पर आधारित कर्म करते बीच-बीच में यह प्रैक्टिस करें। तो चलें शुरू करें.. ओम शांति। एक सेकंड में पहुंच जाएं परमधाम में.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. संपूर्ण सतोप्रधान.. चारों ओर लाल प्रकाश.. सम्पूर्ण आत्माओं की दुनिया है ये.. पहुंच जाएं शिवबाबा के एकदम पास.. फील करें मैं आत्मा संपूर्ण सतोप्रधान, परमात्मा की संतान.. एक लाइट की तार शिवबाबा से निकल मुझ आत्मा में कनेक्ट हो चुकी है... मैं आत्मा परमात्मा से कंबाइंड.. शिवबाबा सर्वशक्तिवान, मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान... अभी एक सेकंड में पहुंच जाएं अपने पहले सतयुगी जन्म में... देखें मैं देव कुल की एक महान आत्मा हूं! सिर पर डबल ताज, संपूर्ण सतोप्रधान, 16 कला संपन्न, संपूर्ण निर्विकारी देवता हूं! देखें सतयुग के नज़ारे.. चारों तरफ सोने के महल.. आंगन में पुष्पक विमान.. पक्षियों की बहुत सुंदर आवाज़.. मैं देव कुल की एक रॉयल आत्मा हूं! सामने देखें लक्ष्मी नारायण का कैसा दिव्य तेज है! 16 कला संपन्न, संपूर्ण निर्विकारी मैं एक दिव्य आत्मा हूं! मेरे संस्कार रॉयल हैं! मेरे कर्म, बोल, मनसा दिव्य हैं!

ओम शांति।


85. यह 7 नियम बना लें और अपने जीवन में चमत्कार देखें, जो चाहोगे वही होगा, हर कार्य में सफलता होगी।

ओम शांति।

आज का टॉपिक है कौन से ऐसे 7 नियम हैं, जिसे बनाने से हमारी सर्व समस्याएं, प्रश्न समाप्त हो जाएंगे। कई बार आत्माओं के मैसेजेस आते हैं, कमेंट्स आते हैं, ईमेल आते हैं, अलग-अलग समस्याएं, अलग-अलग परिस्थितियों पर आधारित प्रश्न आते हैं, कोई को धन का पेपर है.. कई आत्माओं को संबंधों का पेपर है.. कई आत्माएं अपने ही संस्कारों वश दुखी है, उदास है! ऐसे ही अनेक सवालों का जवाब हम आपको देंगे एक लाइन में - करो तपस्या मिटे समस्या! बाबा का एक महावाक्य है, एक लाइन में, जिसमें पूरा ज्ञान समाया है.. वह लाइन है - तुम सिर्फ अव्यक्त वायुमंडल बनाने में बिजी रहो, बाकी सब स्वतः होगा। स्थिति श्रेष्ठ तो परिस्थितियां स्वतः बदल जाएंगी। और श्रेष्ठ स्थिति का आधार है श्रेष्ठ स्वमान। तो ऐसी श्रेष्ठ स्थिति बनाने के लिए हमें सात ऐसे नियम बनाने हैं, जिनको धारण करने से कुछ ही दिनों में, कुछ ही समय में हमारी सर्व समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी। हम संपूर्ण निर्विघ्न बन जाएंगे। एक पॉज़िटिव एनर्जी हमारे में फ्लो होगी। तो  

पहला नियम हम बनाएंगे - अमृतवेला। अमृतवेला बापदादा बच्चों प्रति ब्लेसिंग की झोली खोलते हैं। यह अमृतवेला वरदानी वेला है। एक मुरली में बाबा ने कहा था कि अमृतवेला ठीक करने से सब स्वतः ठीक हो जायेगा। बच्चे तुम सिर्फ अपना अमृतवेला ठीक करो, मैं तुम्हारा सब कुछ ठीक कर दूंगा! अगर हम अमृतवेला अच्छा योग करते हैं, एकाग्रचित्त होकर अच्छी स्थिति बनाते हैं तो वह स्थिति दिन भर रहती है। और परमात्मा शिवबाबा की ब्लेसिंग मिलने से हम स्वतः ही निर्विघ्न बन जाते हैं। हमारी सर्व समस्याएं, सर्व नेगेटिव परिस्थितियां स्वतः समाप्त हो जाती हैं।

इसी प्रकार हम दूसरा नियम बनाएंगे - ज्ञान मुरली सुनना या पढ़ना। अमृतवेले के बाद सुबह जब भी समय मिले 6:00 बजे, 7:00 या 8:00 बजे तक, हमें बैठकर, अच्छी योगयुक्त स्थिति बनाकर मुरली सुननी है या पढ़नी है। हमें दिन में बीच-बीच में मुरली के पॉइंट रिवाइज़ करने हैं। जो भी मुरली की अच्छी पॉइंट मिले, 2 या 3 पॉइंट आप नोट कर के रख दें। और बीच-बीच में वह रिवाइज़ करें। यह ज्ञान एक शक्ति है। यह मुरली एक संजीवनी है। जितना हम इस ज्ञान मुरली का मनन करेंगे, हम स्वतः ही शक्तिशाली बनेंगे।

इसी प्रकार हम तीसरा नियम बनाएंगे - सारे दिन में जो भी आत्माएं हमारे संबंध-संपर्क में आती हैं, हमें उनके प्रति शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना रखनी है। जिसे हम कह सकते हैं सर्व प्रति आत्मिक दृष्टि बनाए रखनी है। सर्व आत्माओं का अपना अपना रोल है.. तो कोई आत्मा हमारे प्रति नेगेटिव भाव भी रखें, तो भी हमें उनके प्रति शुभ भावना ही रखनी है। हमें बस दुआएं ही देनी है। एक मुरली में बाबा ने कहा था - और कुछ नहीं करो, दिनभर दुआएं दो और दुआएं लो। इससे हम स्वतः ही निर्विघ्न बन जाएंगे।

इसी प्रकार चौथा नियम हम बनाएंगे - कर्म करते बीच-बीच में हमें अशरीरी बनने की प्रैक्टिस करनी है। अशरीरी प्रैक्टिस बीच-बीच में करने से हमारे संकल्पों की स्पीड स्वतः ही कम होती जाएगी। जिससे हमारे संकल्पों की बचत होगी और हमारी स्थिति शक्तिशाली बनेगी। हम यह अभ्यास अपने समय अनुसार कर सकते हैं। या जो ट्रैफिक कंट्रोल के टाइमिंग है, उस समय भी कर सकते हैं।

इसी प्रकार हम पांचवां नियम बनाएंगे - भोजन और पानी योगयुक्त होकर स्वीकार करना। एक मुरली में बाबा ने कहा है - भोजन योगयुक्त हो बनाना और योगयुक्त होकर स्वीकार करना, इसी में ही आपकी 50% प्योरिटी बन जाएगी। यानी 50% पुरुषार्थ हमारा यहां ही कंप्लीट हो जाएगा। आज के समय में प्रकृति के पांचों ही तत्व संपूर्ण नेगेटिव बन चुके हैं। इसीलिए जो भोजन हम स्वीकार करते हैं, हमें संपूर्ण परमात्म याद में स्वीकार करना है, जिससे हमें शक्ति मिलेगी और हमारी स्थिति योगयुक्त बनेगी।

छठा नियम हम बनाएंगे - नुमाशाम योग। हमें कम से कम आधा घंटा अच्छा योग करना है, 6 और 8 के बीच में। एक संदेश में बाबा ने कहा था - यदि कोई स्थान में विघ्न आते हैं और उस स्थान को निर्विघ्न बनाना है तो शाम का 7:00 से 7:30 का योग करो। इस समय योग करने से सर्व विघ्न, सर्व समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाएंगे। और

सातवां नियम हम बनाएंगे - रात्रि सोने से पूर्व आधा घंटा हमें अच्छे अभ्यास करने हैं। जिसमें हम 15 मिनट बाबा के महावाक्य पढ़ सकते हैं और 15 मिनट अच्छा योग कर सकते हैं। इस योग में हमें बाबा को पूरी दिनचर्या का पोतामेल बताकर उन्हें सबकुछ समर्पण करना है। सब कुछ अर्पण कर संपूर्ण निश्चिंत अवस्था बनानी है। इस रात्रि के सोने पूर्व योग की धारणा बनाने से हमारा अमृतवेला स्वतः ही शक्तिशाली बनेगा। अमृतवेला हमें योग लगाने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। अमृतवेला योग स्वतः ही अच्छा हो जाएगा.. जिससे हमारा जीवन निर्विघ्न और अचल अडोल बनेगा। हमें हर कर्म में सफलता प्राप्त होगी।

ओम शांति।


86. रिलैक्सिंग योग निद्रा - गाइडेड मेडिटेशन।

ओम शांति।

चारों ओर से सर्व संकल्प समेट कर एकाग्र करें मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. मस्तक के बीच एक चमकता सितारा.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. शांति मेरी शक्ति है.. अनुभव करें मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल सम्पूर्ण शरीर में फैल रही हैं.. ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक.. एक-एक अंग में यह शांति की किरणें समाती जा रही हैं.. हरेक अंग व मांसपेशियां रिलैक्स हो रही है... फील करें पूरे शरीर में इन किरणों का प्रवाह हो चुका है.. मैं सम्पूर्ण रिलैक्स हूं.. इस शरीर से डिटैच हूं.. देखें ये शरीर लाइट का बन चुका है.. एक-एक अंग व मांसपेशियां लाइट व रिलैक्स हो चुके हैं, कोई हलचल नहीं। फील करें इस शांति को.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मैं परमात्मा का फरिश्ता हूं.. बुद्धि रूपी नेत्र से सामने देखें - परमात्मा शिवबाबा.. ज्योति स्वरूप.. उनकी संतान मैं आत्मा भी ज्योति स्वरूप.. बाबा से हम बातें करें.. उनको दिल से शुक्रिया करें.. वे हमारे पिता हैं! हम दिल से उन्हें बाबा कहें.. आज के दिन के लिए शुक्रिया बाबा! आज दिन भर में जो भी हुआ, पॉज़िटिव या नेगेटिव, मैं आपको सम्पूर्ण समर्पण करता हूं.. यह सर्व कार्य, संबंध, संकल्प, कर्म, संपत्ति, यह शरीर आपका है.. मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा.. परमात्मा शिवबाबा सदैव मेरे साथ हैं.. मैं परमात्मा का फरिश्ता हूं.. मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ है.. मेरे सर्व सम्बन्ध अच्छे हैं.. घर में सभी एकजुट हैं.. मैं सभी आत्माओं को दिल से दुआएं देता हूं... जितना हम सर्व आत्माओं को दुआएं देंगे, उतना ही 100 गुणा रिटर्न में ये आत्माएं हमें दुआएं देंगी.. और दुआओं के बल से हम सदैव निर्विघ्न, सफलतामूर्त व हर परिस्थिति में सेफ रहेंगे! जहां परमात्मा साथ हैं, दुआएं साथ हैं, वहां कोई कुछ नहीं कर सकता! मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा! 3 बार इन पांचों संकल्पों को दोहराएं - मैं परमात्मा का फरिश्ता हूं! मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ है! मेरे सर्व सम्बन्ध अच्छे हैं! हम सभी परिवार में एकजुट हैं! आज से मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा!

ओम शांति।


87. रोज अमृतवेला 10 मिनट इस विधि से मनसा सेवा करें।

ओम शांति।

स्थिर करें बुद्धि को परमधाम में.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. कंबाइंड हूं परमात्मा शिवबाबा से... जैसे एक लाइट की तार बाबा से निकल मुझमें कनेक्ट हो चुकी है.. मैं सम्पूर्ण पवित्र, शान्त स्वरूप आत्मा हूं.. सम्पूर्ण बाप समान हूं... अनुभव करें शान्ति की किरणें बाबा से निकल मुझमें समा रही हैं... ये किरणें अब मुझसे निकल संसार में फैल रही हैं... प्रकृति के पांचों तत्व - जल, वायु, अग्नि, आकाश व पृथ्वी को यह किरणें मिल रही हैं.. और वे संपूर्ण शांत हो रहे हैं... अनुभव करें मुझ आत्मा से शांति का एक फाउंटेन फ्लो हो रहा है और संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहा है.. आकाश में स्थित चांद, तारे, सूरज, ग्रहों को भी यह किरणें मिल रही हैं.. शिवबाबा शांति के सागर, मैं आत्मा मास्टर शांति का सागर हूं... परमधाम में जैसे कि मैं परमात्मा का एक इंट्रूमेंट हूं.. मुझसे निरंतर बाबा शांति का दान इस सारे विश्व को दे रहे हैं.. इन किरणों से संसार की सर्व आत्माएं, प्रकृति के पांचों तत्व, संपूर्ण ब्रह्मांड शांत व शीतल हो चुका है.. अभी मैं आत्मा चली नीचे सृष्टि की ओर.. मुझ आत्मा से निरंतर शांति की किरणें फैल रही हैं.. आकाश तत्व को पार कर मैं पहुंच गई अपने देह में मस्तक के बीच.. मैं एक अवतरित फरिश्ता हूं! अनुभव करें परमधाम में बाबा से शक्तियों की किरणों का फाउंटेन नीचे फ्लो हो रहा है और मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान, मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... अनुभव करें यह शक्तियों का दिव्य प्रकाश मुझसे निकल अब सारे ग्लोब को मिल रहा है.. सर्व आत्माओं को शक्तियों का दान मिल रहा है... हर परिस्थिति में उनको यह शक्तियां मदद करेंगी.. मैं परमात्मा का भेजा एक एंजल हूं, मेरा मुख्य कार्य संसार की सर्व आत्माओं को शक्तियों का दान देना है। मेरी हर आत्मा के प्रति शुभ भावना व शुभकामना है। मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए। मुझे सिर्फ देना है! फील करें सर्व आत्माएं दुख अशांति से मुक्त हो संपूर्ण शांत, पवित्र और शक्तिशाली बन चुकी हैं। वे दिल से मुझ आत्मा को और परमात्मा को शुक्रिया कह रहे हैं।

ओम शांति।


88. सुबह उठकर और रात को सोने से पहले ये 5 चमत्कारिक संकल्प ज़रूर कीजिए।

ओम शांति।

आज हम 21 बार 5 संकल्पों का अभ्यास करेंगे। यह पांच संकल्प सबसे पावरफुल संकल्प हैं। जितना जितना यह पांच संकल्प हम अपने जीवन में और अपने कर्म में प्रयोग करेंगे, उतना उतना हमारी स्थिति शक्तिशाली, निर्विघ्न और सफलता मूर्त बनेगी। इन 5 संकल्पों के प्रयोग से हमारे जीवन में स्वतः ही हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस आएगा। हमारे सर्व संबंध बहुत अच्छे बनेंगे। हमारे जीवन में, कर्म में एक पॉज़िटिव एनर्जी साथ काम करेगी। हमें इन संकल्पों का सुबह और शाम 21 बार अभ्यास करना है। हम इन संकल्पों को लिख भी सकते हैं और दिन में कर्म करते बीच-बीच में 10 सेकंड.. 20 सेकंड.. या 1 मिनट हम इन संकल्पों को दोहराएं.. इन्हें फील करें। बस जब भी हम यह संकल्प करें, हमें पूर्ण निश्चय के साथ करना है! फुल कॉन्फिडेंस के साथ करना है! तो 21 बार इन 5 संकल्पों का अभ्यास करने से पहले स्थित हो जाएं अपने आत्मिक स्वरूप में... और अब संकल्प करें -  

• मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं....

• आज से मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा...

• मैं बहुत धनवान हूं.....

• मेरा शरीर संपूर्ण स्वस्थ है....

• मेरे सर्व संबंध बहुत अच्छे हैं...

- 21 बार दोहराएं। ओम शांति।


89. अपने परिवार और सम्बन्ध संपर्क वालों को सकाश दें।

ओम शांति।

आज हम जो हमारे संबंध हैं, वह चाहे परिवार में हो या फ्रेंड सर्किल में हो, उन सभी आत्माओं को सकाश देंगे। उनकी मनसा सेवा करेंगे। इस मेडिटेशन को करने से सभी आत्माएं जो हमारे संबंध संपर्क में आती हैं, उनके साथ हमारे रिश्ते स्वतः ही अच्छे होंगे। वे सब आत्माएं हमें दिल से दुआएं देंगी। उनके मन में हमारे प्रति शुभ भावना रहेगी, जिससे हमारे सर्व रिश्ते स्वतः ही हेल्दी होंगे, स्वस्थ होंगे। हमारा कार्य व्यवहार निर्विघ्न रूप से सफल होगा। हमारे जो भी घर परिवार में लोग हैं, उनके साथ हमारा रिलेशनशिप बहुत अच्छा होगा। और परिवार में स्वतः ही सुख शांति बनी रहेगी। तो चलें शुरू करते हैं.. मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा.. मैं संपूर्ण शांत हूं.. मुझ आत्मा का स्वभाव शांत है.. अनुभव करें मेरा संपूर्ण शरीर लोप हो चुका है.. बची मैं आत्मा अपने फरिश्ता स्वरूप में.. अपने डबल लाइट स्वरूप में.. मैं एक अवतरित फरिश्ता हूं.. मैं संपूर्ण सुखी हूं.. मेरे सर्व संबंध बहुत अच्छे हैं.. मेरा जीवन हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस से भरपूर है.. अभी मैं आत्मा अपने फरिश्ता स्वरूप में उड़ चली आकाश की ओर.. आकाश, चांद, तारों को पार कर पहुंच गई सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ दिव्य सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा.. मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं... बैठ जाएं बाबा के सामने.. देखें, दृष्टि देते देते उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.. और मुझे वरदान दे रहे हैं - बच्चे सदा सुखी भव... सदा सुखी भव... भगवान ने मुझे संपूर्ण सुखी बना दिया है!! आज से मैं संपूर्ण सुखी हूं! भगवान का मुझे वरदान है - संपूर्ण सुखी भव! इस वरदान की प्राप्ति से मैं हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस से स्वतः ही भरपूर रहूंगा! मेरे सर्व संबंध अच्छे रहेंगे! अभी सूक्ष्म वतन में ही बापदादा के साथ बैठ जाएं.. और सामने इमर्ज करें हम उन सभी आत्माओं को, जो हमारे परिवार में हैं.. हमारे भाई बहन, माता पिता, जो भी आत्माएं हैं उन्हें इमर्ज करें.. उनके साथ इमर्ज करें हमारे सर्व संबंध, हमारे सर्व रिलेशनशिप्स.. जो भी आत्माएं हमारे संबंध संपर्क में आती हैं.. वह हमारे फ्रेंड सर्कल से हो, या हमारे कोई कर्म क्षेत्र से साथी हो.. सर्व आत्माओं को एक साथ इमर्ज करें.. और अब फील करें परमात्मा शिवबाबा से मुझ में प्यार की हरे रंग की किरणें समा रही हैं और इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.. इन सभी को बापदादा मेरे द्वारा प्यार की किरणों का दान दे रहे हैं.. यह आत्माएं इन प्यार की किरणों से भरपूर हो रही हैं.. संपूर्ण तृप्त हो रही हैं.. जगत में परमात्म प्रेम ही निस्वार्थ प्रेम है.. सच्चा प्रेम है.. यह सब आत्माएं मुझे और परमात्मा शिवबाबा को दिल से दुआएं दे रही हैं.. यह सब आत्माएं वही आत्माएं हैं जिनका कुछ ना कुछ कर्म का खाता हमारे साथ जुड़ा हुआ है.. वह चाहे सुख का हो या दुख का हो.. यह सब आत्माएं मेरे भाई बहन हैं.. यह बहुत अच्छे हैं.. यह हमेशा हमें मदद करते हैं.. दिल से इनका धन्यवाद करें.. इनके मन में हमारे प्रति शुभ भावना है.. यह हमें दिल से अपना समझते हैं.. दो मिनट तक हम इन आत्माओं को इसी रूप में सकाश देंगे.. अनुभव करें बापदादा से प्यार की किरणें निकल, मुझ में समा कर, इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं....

ओम शांति।


90.  परमात्म प्रेम की अनुभूति।

ओम शांति।

आज की मेडिटेशन कमेंट्री है - परमात्म प्यार में लवलीन स्थिति। बाबा कहते हैं - एक परमात्म प्यार में लवलीन होना ही संपूर्ण ज्ञान है। एक मुरली में बाबा ने कहा है - यह याद की यात्रा ही प्रीत की यात्रा है.. और यदि तुम परमात्म प्यार में मग्न रहने लगो, तो जन्म जन्म संबंधों में प्यार मिलता रहेगा। जितना हम इस परमात्म प्यार के लवलीन अवस्था में मग्न और एकाग्र रहेंगे, हम महसूस करेंगे सर्व संबंधों में हमें स्वतः प्यार मिलेगा। हमारी स्थिति निर्विघ्न बनेगी। हमें हर कार्य में सफलता मिलेगी। हमारे ज्ञान का बल, योग का बल, पवित्रता का बल स्वतः ही बढ़ता जाएगा। तो इस परमात्म प्रेम में लवलीन स्थिति का अनुभव करने के लिए चलें शुरू करते हैं..... एकाग्र करें मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा... स्थित हूं अपने मस्तक के बीच.. मैं परम पवित्र आत्मा हूं.. संपूर्ण शुद्ध.. संपूर्ण निर्विकारी.. मैं आत्मा शांत स्वरूप हूं.. संपूर्ण डिटैच हो जाएं अपने देह से.. मैं ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.. मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूं.. प्रेम मुझ आत्मा का नैचुरल गुण है.. मुझसे चारों ओर प्रेम की किरणें निरंतर फ्लो हो रही हैं.. अभी मैं आत्मा उड़ चली ऊपर... आकाश तत्व को पार कर पहुंच गई परमधाम में.. चारों ओर सुनहरा लाल प्रकाश.. मैं आत्मा पहुंच गई अपने प्यारे परमपिता परमात्मा शिवबाबा के बिल्कुल समीप.. फील करें उनके साथ का अनुभव.. परमधाम में मैं आत्मा स्थित हूं अपने निराकारी स्वरूप में.. अभी अनुभव करें परमात्मा शिवबाबा से प्रेम की किरणें निकल मुझमें समाती जा रही हैं.. परमात्म प्रेम की किरणें मुझ आत्मा में निरंतर फ्लो हो रही हैं.. जैसे एक फाउंटेन की तरह शिवबाबा ज्योति स्वरूप से यह किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.. संपूर्ण खो जाएं इस परमात्म प्रेम की अनुभूति में.. हम इन किरणों को हरा या सफेद, किसी भी एक रंग में देख सकते हैं.. संपूर्ण मग्न हो जाएं इन परमात्म प्यार की किरणों में.. जन्म जन्म आत्मा इस सच्चे प्रेम के लिए भटकी है.. इस संसार में परमात्म प्रेम ही सच्चा और पवित्र प्रेम है.. निस्वार्थ प्रेम है! बाबा हमारे पिता हैं.. हमारे सखा हैं.. हमारे साजन हैं.. उनके प्यार में मैं आत्मा मग्न हो चुकी हूं... इस संसार की सर्वश्रेष्ठ स्थिति यह परमात्म प्रेम की लवलीन स्थिति है.. इस अनुभूति में मुझ आत्मा के जन्म जन्मांतर के विकर्म भस्म हो रहे हैं.. मैं संपूर्ण शुद्ध बन रही हूं.. संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इस लवलीन अवस्था में.... अभी मैं आत्मा चली नीचे सृष्टि की ओर.. पहुंच गई अपने देह में.. अपने मस्तक के बीच में.. मैं आत्मा एक फरिश्ता हूं.. मुझे संसार की सर्व आत्माओं को यह परमात्म प्रेम की किरणों का दान देना है.. यही प्यार सच्चा प्यार है.. अनुभव करेंगे परमधाम से, शिवबाबा से प्यार की किरणें निकल नीचे फ्लो हो रही हैं.. और मुझमें समाती जा रही हैं.. जैसे कि परमात्म प्रेम की किरणों की बारिश हो रही है! और मुझ आत्मा से यह किरणें अब सारे ग्लोब को मिल रही हैं.. संसार की सर्व आत्माएं इन प्यार की किरणों को महसूस कर रही हैं.. मैं परमात्म प्यार में लवलीन एक एंजेल हूं.. फरिश्ता हूं.. मुझ द्वारा संसार की सर्व आत्माओं को प्यार मिल रहा है.. संसार की सर्व आत्माएं तृप्त हो रही हैं.. आज से मुझे हर आत्मा को प्यार देना है.. जो हम देते हैं, वह कई गुना रिटर्न होकर हमें मिलता है। यह देना ही लेना है। संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इस अवस्था में.. मैं फरिश्ता स्थित हूं ग्लोब पर.. और संसार की सर्व आत्माओं को परमात्मा मुझ द्वारा यह प्यार की किरणों का दान दे रहे हैं.......

ओम शांति।


91. परमात्मा से शक्तियों और वरदानों की पुष्प वर्षा।

ओम शांति।

आज हम एक नया अभ्यास करेंगे। मुरलियों में कई बार आता है कि बापदादा हम बच्चों पर पुष्पों की वर्षा करते हैं। किसी मुरली में बाबा ने कहा है कि बापदादा स्नेह के सुनहरी पुष्पों की वर्षा करते हैं। एक मुरली में है - बापदादा संतुष्टता के गोल्डन पुष्पों की वर्षा करते हैं। इसी प्रकार शक्तियों के पुष्पों की वर्षा.. वरदानों के पुष्पों की वर्षा.. महिमा के पुष्पों की वर्षा बापदादा हम पर करते हैं। तो आज हम अभ्यास करेंगे कि बाबा हम पर भिन्न-भिन्न रंगों के पुष्पों की वर्षा कर रहे हैं। तो चलें शुरू करते हैं.. एकाग्र करें मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मेरा स्वभाव शांत है.. मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं एक शांति का फरिश्ता हूं.. इस संसार में अवतरित, परमात्मा का भेजा हुआ एक फरिश्ता हूं.. अभी एकाग्र करें बुद्धि को परमधाम में.. शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर.. परमपिता परमात्मा शिवबाबा.. शांति के सागर.. सर्व गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान.. अनुभव करें शिवबाबा से गोल्डन पुष्पों की वर्षा नीचे हो रही है.. और मुझ आत्मा में समाती जा रही है.. देखें गोल्डन पुष्पों की बारिश हो रही है.. और बाबा मुझ आत्मा में दिल से, प्यार से ये पुष्प बरसा रहे हैं.. वे हमारे पिता हैं.. वे हमसे बहुत प्यार करते हैं! यह गोल्डन पुष्प स्नेह के पुष्प हैं! अनुभव करें इस परमात्म प्रेम को.. निरंतर मुझमें यह पुष्प समाते जा रहे हैं.. संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.. यह पुष्पों की वर्षा मुझ आत्मा को संपूर्ण तृप्त बना रहे हैं.. मैं संपूर्ण तृप्त और संतुष्ट बन चुकी हूं.. अनुभव करेंगे इस भरपूरता को.. बाबा इन पुष्पों से हम में सर्व गुण भर रहे हैं - सुख, शांति, प्रेम, आनंद.... इन पुष्पों की वर्षा से संपूर्ण परमानंद की स्थिति में स्थित हो जाएं.. संपूर्ण भरपूर हो जाएं सर्व गुणों से.. जैसे बाबा गुणों के सागर, वैसे मैं आत्मा मास्टर गुणों का सागर हूं.. स्वयं परमात्मा हमारी महिमा करते हैं.. मुबारक देते हैं! बाप समान बनाते हैं.. मैं बहुत भाग्यवान हूं! संपूर्ण सुखी.. संपूर्ण खुश हूं... अभी अनुभव करें बाबा हम पर लाल पुष्पों की वर्षा कर रहे हैं... इन लाल पुष्पों से बाबा हमें शक्तियां दे रहे हैं.. वरदान दे रहे हैं.. अनुभव करेंगे इन परमात्म शक्तियों को.. देखें यह लाल पुष्पों की वर्षा मुझ में समाती जा रही हैं.. संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.. इन पुष्पों से बाबा हमें वरदान दे रहे हैं - बच्चे मास्टर सर्वशक्तिवान भव.. संपूर्ण शक्तिशाली महसूस करें.. भगवान का मुझे वरदान है.. जैसे बाबा सर्वशक्तिवान हैं, वैसे मैं उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. अनुभव करें निरंतर बाबा से इन शक्तियों और वरदानों के पुष्पों की वर्षा हो रही है.. वरदानों को फील करें... मास्टर सर्वशक्तिवान भव!! संपूर्ण फरिश्ता भव!! सफलता मूर्त भव!! प्रकृतिजीत भव!! बाप समान भव!! निरंतर फील करें इन पुष्पों की वर्षा को.. सर्व शक्तियों और वरदानों के पुष्पों की वर्षा है ये.. मैं संपूर्ण बाप समान हूं.... इस संगमयुग में बाबा हम पर स्नेह के, शक्तियों के, वरदानों के पुष्पों की वर्षा करते हैं.. और द्वापर-कलयुग में भक्त हमारे मूर्तियों पर कभी हनुमान, कभी गणेश, कभी दुर्गा माता, माता लक्ष्मी.. हमारे इन मूर्तियों पर पुष्पों की वर्षा करेंगे.. भक्त महिमा के पुष्पों की वर्षा करेंगे.. ऐसे भाग्यवान आत्मा है हम!! दो मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र होंगे.. महसूस करें शिवबाबा से शक्तियों और वरदानों के पुष्पों की वर्षा मुझ आत्मा में निरंतर समाती जा रही हैं.......

ओम शांति।


92. जो बच्चे मेरी याद में मग्न रहते हैं, उनके सोचने का कार्य भी मैं करता हूं।

ओम शांति।

आज का मेडिटेशन टॉपिक है - बाबा कहते हैं, "जो बच्चे मेरी याद में मग्न रहते हैं, उनके सोचने का कार्य भी मैं करता हूं!" यदि हमारे जीवन में कोई समस्या है, कोई ऐसी परिस्थिति है जो हम से हल नहीं हो पा रही है, और जिनमें हमारे संकल्पों की स्पीड बहुत बढ़ चुकी है, हम बहुत कंफ्यूज हो चुके हैं.. हमें कहीं से भी रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है, तो उस समय हम बाबा के इस महावाक्य को यूज़ करें - "जो बच्चे मेरी याद में मग्न रहते हैं, उनके सोचने का कार्य भी मैं करता हूं।" जब हम बाबा की याद में मग्न होंगे, तब परमपिता परमात्मा शिवबाबा हमें टचिंग देंगे कि इस परिस्थिति में हमें क्या करना चाहिए। किसी परिस्थिति में अगर हमें स्थूल हेल्प भी चाहिए, तो किसी न किसी व्यक्ति द्वारा हमें स्वतः हेल्प मिल जाएगी। हम फील करेंगे कि जैसे परमात्मा ने उनको भेजा है और उस परिस्थिति से हम बहुत ही आसानी से बाहर आ जाएंगे। हमारा कार्य सफल होगा और हम फील करेंगे जो हुआ 100% राइट हुआ। एक मुरली में बाबा ने कहा है - "जो परमात्म याद में सदा योगयुक्त हैं, उनको सबका सहयोग स्वतः प्राप्त होता है!" तो यह एक गहरा राज़ है कि क्योंकि परमपिता परमात्मा शिवबाबा इस सृष्टि के बीज हैं, तो जब हम उनकी याद में मग्न होते हैं, अशरीरी होते हैं, तब हमारे से स्वतः संसार की सर्व आत्माओं को शांति का दान मिलता है। उसके फलस्वरूप उन आत्माओं का सहयोग हमको स्वतः मिलता है। एक अव्यक्त वाणी में बाबा ने कहा है - "जो मुझे बहुत याद करते हैं, मैं उन्हें वतन में इमर्ज कर उनके साथ रूह रिहान करता हूं।" यानी जब हम बाबा की याद में मग्न होते हैं तब बाबा हमसे बातें करते हैं। वे हमारे मन ही मन में हमें संकल्प देंगे कि उस परिस्थिति में हमें क्या करना है। तो इन महावाक्यों से सिद्ध होता है कि कोई भी परिस्थिति आए, हमें ज़्यादा संकल्पों में ना जाकर, उन संकल्पों को बिंदु लगाकर, बस परमात्म याद में मग्न होना है। जितना हम बाबा की याद में मग्न होंगे उतना स्वतः ही हमारे सर्व कार्य पूरे हो जाएंगे। तो ऐसी परिस्थिति में हम बाबा को कैसे याद करें, एक छोटी सी कमेंट्री के रूप में चलें शुरू करते हैं... स्थित हो जाएं अपने आत्मिक स्वरूप में... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... अपने मस्तक के बीच एक चमकता सितारा.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... मेरे संकल्प इस निराकारी स्थिति में संपूर्ण शांत हैं... मैं परमपिता परमात्मा शिवबाबा की संतान.. संपूर्ण शांत हूं... शांति मेरी एक शक्ति है... अभी बुद्धि एकाग्र करेंगे हम परमधाम में.. शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर... परमपिता परमात्मा शिवबाबा.. सर्वशक्तिवान.. गुणों के सागर.. शांति के सागर.. उनकी किरणें इस संसार में निरंतर फैल रही हैं... वे इस सृष्टि के बीज हैं... जितना हम उनको याद करेंगे, उनकी शक्तियां हम में स्वतः ही प्रवेश करती रहेंगी.. जितना हम उनपर एकाग्रचित होंगे, हमारे सर्व कार्य स्वतः होंगे। शिवबाबा हमारे पिता हैं.. परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान हैं.. हम उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हैं... अभी फील करें मुझ आत्मा से याद की एक तार निकल कर परमात्मा शिवबाबा से कनेक्ट हो चुकी है.. जैसे एक पतंग की डोर नीचे से ऊपर कनेक्ट होती है, वैसे ही मैं आत्मा कनेक्टेड हूं शिवबाबा ज्योति स्वरूप से.... इसी कनेक्शन में स्थित हो बाबा को देखते रहें.. बहुत प्यार से उन्हें निहारें.. हमारे प्यारे शिवबाबा!! इनपर एकाग्र करते ही मेरी बुद्धि शांत होती है.. मेरे संकल्प शांत होते हैं.. मैं बहुत शक्तिशाली महसूस कर रहा हूं... बाबा कहते हैं - तुम सिर्फ अव्यक्त वायुमंडल बनाने में बिज़ी रहो, बाकी सब स्वतः होगा। "जो बच्चे मेरी याद में मग्न रहते हैं, उनके सोचने का कार्य भी मैं करता हूं..!" अनुभव करें इस तार से शक्तियों की किरणें शिवबाबा से निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.. जैसे एक फाउंटेन की तरह ये किरणें फ्लो हो रही हैं, परमात्मा बिंदु से मुझ आत्मा बिंदु में.... संपूर्ण मग्न हो जाएं इस परमात्म मिलन की अनुभूति में.. ऐसे याद में खो जाएं जैसे कि यह दुनिया है ही नहीं... बस मैं आत्मा कनेक्टेड हूं परमात्मा शिवबाबा से... जितना हम बाबा की याद में मग्न रहेंगे, उतना ही हमारी स्थिति शांत, शक्तिशाली, और अचल अडोल बनी रहेगी.. हमसे स्वतः ही सारे विश्व को शांति के वाइब्रेशन मिलेंगे... बाबा कहते हैं - सवेरे जब तुम अशरीरी बनते हो तो सारे संसार को शांति का दान मिलता है... इस शांति के दान से समय आने पर यह प्रकृति हमें हेल्प करेगी... संसार की आत्माएं हमें परिस्थितियों में हेल्प करेंगे.. कोई ना कोई आत्मा आकर हमें हेल्प करेगी.. हम फील करेंगे जैसे कि इन्हें भगवान ने भेजा है.. 2 मिनट तक हम ऐसे ही इस स्थिति में एकाग्र रहेंगे - परमात्मा शिवबाबा से शक्तियों की किरणें निकल, मुझमें समाती जा रही हैं और मुझसे चारों तरफ फैल रही है......

ओम शांति।


93. सुबह आंखें खुलते ही ये संकल्प करें।

ओम शांति।

गुड मॉर्निंग बाबा! मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! मैं विजयी हूं! मैं भाग्यवान आत्मा हूं! इस संगमयुग में स्वयं परमात्मा मुझे अमृतवेले जगाते हैं! मैं बहुत भाग्यवान हूं! मैं महान आत्मा हूं! स्वयं परमात्मा ने मुझे इस सृष्टि परिवर्तन के कार्य में चुना है! मैं कोटों में कोई और कोई में भी कोई वह महान आत्मा हूं, जिसे स्वयं परमात्मा ने इस सृष्टि परिवर्तन के कार्य में निमित्त बनाया है! मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेंद्रियों की मालिक.. मैं परमात्म शक्तियों से भरपूर हूं.. मैं बहुत धनवान हूं! मेरा शरीर संपूर्ण स्वस्थ है.. संपूर्ण निरोगी है.. कंचन काया है.. मैं परमात्मा की संतान बहुत खुश हूं! बहुत सुखी हूं! बहुत भाग्यवान हूं! इस संसार की सर्व आत्माएं बहुत अच्छे हैं। हर आत्मा का अपना-अपना रोल है। सर्व आत्माएं परमात्मा की संतान बहुत अच्छे हैं.. मेरे भाई बहन हैं.. वह मुझे परमात्मा का एक फरिश्ता अनुभव करेंगे.. वह मुझसे भरपूर होंगे.. मैं परमात्मा की संतान, मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! इस संसार में एक अवतरित फरिश्ता हूं...

• मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं!

• आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा!

• मैं बहुत धनवान हूं!

• मेरा शरीर संपूर्ण स्वस्थ है!

• मेरे सर्व संबंध, रिलेशनशिप्स बहुत अच्छे हैं!

ये पांचों संकल्प 2 बार दोहराएं।

ओम शांति।


94. विद्यार्थियों के लिए 5 दृढ़ संकल्प।

ओम शांति।

आज हम 5 संकल्पों का प्रयोग 21 बार करेंगे। जो विद्यार्थी हैं या जो किसी प्रोफेशन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, वे इन पांच संकल्पों का सुबह उठकर 21 बार गहराई से अभ्यास करें। इस अभ्यास से सभी क्षेत्र में हम सहज ही शक्तिशाली बने रहेंगे, निर्विघ्न रहेंगे। जो भी एग्ज़ाम देंगे उसमें हम सफलता प्राप्त करेंगे। हमें अच्छे मार्क्स मिलेंगे। जो रिज़ल्ट होगा, बहुत अच्छा होगा। तो सुबह उठते ही

पहला संकल्प हमें करना है - मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं! हमें फील करना है - हम परमात्मा की संतान, मास्टर ऑलमाइटी, मास्टर सर्वशक्तिवान हैं! हम शक्तिशाली हैं! भगवान हमारे साथ हैं! भगवान के हमारे साथ होने से उनकी शक्तियां स्वतः कार्य करेंगी! इससे जुड़ा हम

दूसरा संकल्प करें - मैं बहुत बुद्धिमान हूं! इस संकल्प से हमारे ब्रेन की पावर बढ़ेगी। हमारी बुद्धि की शक्ति, ग्रहण करने की शक्ति बढ़ेगी। फिर

तीसरा संकल्प करें - मैं एकाग्रचित्त आत्मा हूं! इस संकल्प के अभ्यास से हमारी एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है.. जिससे हमारी परखने की शक्ति व निर्णय करने की शक्ति बढ़ती है।

फिर हम चौथा संकल्प करें - मैं बहुत सफल हूं! इस संकल्प के करने से एग्जाम में, पढ़ाई में, हर क्षेत्र में पॉज़िटिव संकल्पों से स्वतः ही हम सफल बनेंगे। हमारा माइंड पॉज़िटिव रहेगा। हमारे अवचेतन मन में यही स्मृति रहेगी कि हम निश्चित रूप से बहुत सफल होंगे। और

इन चारों संकल्पों से जुड़ा पांचवां संकल्प करें - मैं विघ्न विनाशक आत्मा हूं! इस संकल्प के अभ्यास से जो भी रुकावटें हमारे रास्ते या जॉब में आते हैं, उन सबको हम स्वतः ही पार करेंगे। निश्चित रूप से हम विघ्न विनाशक बनेंगे, निर्विघ्न बनेंगे। कोई समस्या ठहर नहीं सकती! तो इन 5 संकल्पों का अभ्यास चलें शुरू करें।

एकाग्र हो जाएं अपने आत्मिक स्वरूप में.... और अब संकल्प करें –

मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं...

मैं बहुत बुद्धिमान हूं...

मैं एकाग्रचित्त हूं...

मैं बहुत सफल हूं...

मैं विघ्नविनाशक आत्मा हूं...

- 21 बार दोहराएं।

ओम शांति।


95. सात रंगों के हीरों का योग अभ्यास।

ओम शांति।

आज हम बहुत ही सुंदर व रमणीक अभ्यास करेंगे। ये अतीइंद्रिय सुख का अनुभव कराएगा। इससे मानो हम खुशी में झूमने लगेंगे। यह अभ्यास है सात रंगों के हीरो का अभ्यास। अव्यक्त वाणी 9.3.2009 में बाबा ने यह अभ्यास बताया है। इसमें सूक्ष्म वतन में बाबा सात रंगों के हीरों का पाउडर बनाकर हम पर डालते हैं। यह सात रंग ज्ञान, गुण और शक्तियों के रंग हैं। तो चले शुरू करें। मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. स्थित हूं मस्तक के बीच... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... यह शरीर मेरा वस्त्र है, मैं अलग हूं... अभी फरिश्ता स्वरूप की ड्रेस इमर्ज करें... मैं आत्मा स्थित हूं इस फरिश्ता ड्रेस में... एक सेकंड में पहुंच जाएं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश.. सामने बापदादा.. मुझे दृष्टि दे रहे हैं... प्यार भरी दृष्टि देते-देते बाबा ने अपने हाथों में सात रंग के हीरें इमर्ज किए... अभी बाबा इनका पाउडर बनाकर मुझ फरिश्ता पर डाल रहे हैं... फील करें यह जैसे रंग-बिरंगे कलर मुझ फरिश्ता में फैल रहे हैं... मैं रंग बिरंगी किरणों में समा चुका हूं... ये ज्ञान, गुण और शक्तियों के रंग हैं.. बाबा हमें इन रंगों से भरपूर कर रहे हैं.. यह संपूर्ण ज्ञान स्वरूप, गुण स्वरूप, शक्तिशाली अनुभव है.. अभी सात रंगों से सम्पूर्ण भरपूर हम बाबा के हाथों में हाथ डाल झूम रहे हैं, खुशी में डांस कर रहे हैं.. कितना सुंदर अनुभव है ये.. संपूर्ण अतीइंद्रिय सुख है इस अनुभव में.. देखें, बाबा ने असंख्य फरिश्ते सूक्ष्म वतन में इमर्ज किए और रंग-बिरंगे हीरों का पाउडर बाबा ने इन सर्व फरिश्तों के ऊपर डाल दिया है... सभी फरिश्ते रंग बिरंगी फरिश्ता ड्रेस में खुशी से झूम रहे हैं.. ओहो! कितना सुंदर अनुभव, कितना सुंदर नज़ारा है ये! सब सात रंगों के हीरों की होली खेल रहे हैं! ज्ञान, गुण, शक्तियों से भरपूर हो डांस कर रहे हैं!!

ओम शांति।


96. अष्ट शक्तियों का अनुभव। बहुत ही पावरफुल मेडिटेशन।

ओम शांति।

आज हम अष्ट शक्तियों का अभ्यास करेंगे। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम परमात्मा शिवबाबा से अष्ट शक्तियों की किरणें ले, एक-एक शक्ति का गहराई से अभ्यास करेंगे। और फिर सर्व शक्ति संपन्न बन, सारे विश्व में हम इन शक्तियों के किरणों का दान देंगे। तो चलें शुरू करते हैं... एकाग्र करें... मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा.. अपने मस्तक के बीच स्थित.. मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेंद्रियों की मालिक... मैं इस शरीर को चलाने वाली एक चेतना हूं.. बुद्धि रूपी नेत्र के सामने देखें परमपिता परमात्मा शिवबाबा... ज्योति स्वरूप.. ज्ञान के सागर... सर्व गुणों के सागर... सर्वशक्तिवान.... अनुभव करें उनसे अष्ट शक्तियों की रंग बिरंगी किरणें फ्लो हो रही हैं.. और मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... संपूर्ण एकाग्र हो जाएं... बाबा हम में सर्व आठों शक्तियां भर रहे हैं... और मैं आत्मा सर्व शक्ति संपन्न बन रही हूं.... अभी एक-एक शक्ति का गहराई से अभ्यास करेंगे...

अनुभव करें बाबा हम में पहली शक्ति भर रहे हैं - समाने की शक्ति (power to accept)… देखें इस शक्ति से बाबा हमें भरपूर कर रहे हैं... समाने की शक्ति दूसरों की मौजूदगी, विचार और इच्छाओं को विस्तार रूप से स्वीकार करने की शक्ति है! यह शक्ति हमें जीवन की हर परिस्थिति में, सभी के साथ मिलजुल कर रहने की शिक्षा देता है। जो जैसा है, उसको वैसे ही ग्रहण करने की शक्ति देता है। सर्व आत्माएं अच्छी हैं। संसार की सर्व आत्माओं को हम एक्सेप्ट करते हैं.. स्वीकार करते हैं...

अभी बाबा हमें दूसरी शक्ति दे रहे हैं - सहन करने की शक्ति (power to tolerate)… इस शक्ति से बाबा हमें भरपूर कर रहे हैं... इस शक्ति से जो भी बाहरी व आंतरिक परिस्थितियां हैं, उससे हम प्रभावित ना हो, हमेशा पॉज़िटिव रहेंगे.. शक्तिशाली रहेंगे। कोई भी परिस्थिति हमारे मन को हिला नहीं सकती। हम हमेशा अचल-अडोल रहेंगे! सर्व संबंधों में हम खुश रहेंगे....

सहन शक्ति से भरपूर कर बाबा हमें तीसरी शक्ति दे रहे हैं - सामना करने की शक्ति (power to face)… इस शक्ति से बाबा हमें भरपूर कर रहे हैं.. यह किरणें मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... सामना करने की शक्ति बाह्य व आंतरिक बाधाओं, परीक्षाओं और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता है! इस शक्ति से हम हमेशा निर्भय रहेंगे.. बहादुर बनेंगे! जीवन के हर चैलेंज का, हर परिस्थिति का हम सामना कर सकेंगे...

अब बाबा हमें चौथी शक्ति दे रहे हैं - समेटने की शक्ति (power to let go)… अनुभव करें यह किरणें मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... समेटने की शक्ति व्यर्थ चीज़ों व व्यर्थ संकल्पों को समाप्त करने की शक्ति है। जीवन में हमारे साथ जो भी घटनाएं होती हैं, जो समस्याएं आती हैं, इन सबको समेटकर, जीवन में आगे बढ़ने की शक्ति है! बाबा हमें इस शक्ति से भरपूर कर रहे हैं... समेटने की शक्ति से भरपूर कर

बाबा हमें पांचवी शक्ति दे रहे हैं - परखने की शक्ति (power to discriminate)… अनुभव करें ये शक्तियों की किरणें बाबा से निकल मुझमें समाती जा रही हैं... परखने की शक्ति सूक्ष्म को पहचानने.. और क्या सही है, क्या गलत है, उनको समझने की शक्ति है! जीवन के हर परिस्थिति में निर्णय लेने से पहले यह परखने की शक्ति हमारे साथ कार्य करेगी। बाबा ने हमें इन शक्तियों की किरणों से भरपूर कर दिया है...

अब बाबा हमें छठी शक्ति दे रहे हैं - निर्णय लेने की शक्ति (power to decide/judge)… देखें यह शक्ति की किरणें मुझमें समाती जा रही हैं.. यह शक्ति परखने की शक्ति से जुड़ा हुआ है। जितना हम हर परिस्थिति को परख पाएंगे, उतना ही हम सही निर्णय ले पाएंगे! जीवन में सही और गलत को स्पष्ट कर के, परख कर के हम सही निर्णय लेंगे। निर्णय करने की शक्ति से हमारा हर कार्य सफल होगा! हम जीवन में सदा निर्विघ्न रहेंगे.. शक्तिशाली रहेंगे.. सफल बनेंगे....

अभी बाबा हमें सातवीं शक्ति दे रहे हैं - सहयोग करने की शक्ति (power to co-operate)… अनुभव करें यह किरणें हम में समाती जा रही हैं... सहयोग करने की शक्ति दूसरों के प्रति ध्यान व समय देना, अपने अनुभव व ज्ञान की सेवा देना और उनके साथ मिलकर काम करने की शक्ति है! इस शक्ति से भरपूर होकर, हम निर्मान बन, निरहंकारी बन, निमित्त भाव से सर्व आत्माओं को सहयोग देंगे....

और अब बाबा हमें आठवीं शक्ति दे रहे हैं - विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति (power to withdraw/detach)… यह साक्षी होने की शक्ति है! हर परिस्थिति में हम साक्षी होकर इस ड्रामा के खेल को देखेंगे। साक्षी अवस्था में हम आत्मा हैं और परमात्मा हमारे साथ हैं, यह स्मृति स्वतः ही कार्य करेगी! इस साक्षी अवस्था में हमारी स्थिति स्वतः ही शक्तिशाली रहेगी। हमें परमात्मा बाप का साथ निरंतर अनुभव होगा..! हम जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव करेंगे..! और जीवन की हर परिस्थिति में सफल रहेंगे.. जो भी परिस्थितियां आती हैं, वे सहज ही पार होंगी.. जो भी आत्माएं हमारे संपर्क में आती हैं, वे भी हम से संतुष्ट रहेंगे...

इन आठों ही शक्तियों को फील करें... अनुभव करें जैसे कि रंग बिरंगी किरणें बाबा से निकल मुझ आत्मा में समा रही हैं... और मैं आत्मा अब सर्व शक्ति संपन्न बन चुकी हूं... मैं संपूर्ण शिव शक्ति हूं..! मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूं..! अचल अडोल.. निर्विघ्न.. सफल.. बाप समान.. सर्वशक्तिवान हूं मैं... अभी अनुभव करें मुझ आत्मा से यह रंग बिरंगी अष्ट शक्तियों की किरणें निकल, संसार की सर्व आत्माओं को मिल रही हैं... और संसार की सर्व आत्माएं भी शक्ति संपन्न बन रही हैं... जैसे कि हम बस निमित्त हैं, बाबा हमें विश्व कल्याण के कार्य में यूज़ कर रहे हैं... और हमारे द्वारा यह सर्व शक्तियों का दान सारे संसार में फैल रहा है... संसार की सर्व आत्माओं को मिल रहा है... इन किरणों से संसार के सर्व आत्माओं के दुख, दर्द, विघ्न, रोग सब नष्ट हो रहे हैं... और वे संपूर्ण शक्तिशाली, निर्विघ्न और सफल बन रहे हैं... और हमें और बाबा को शुक्रिया कर रहे हैं.......

ओम शांति।


97.  मैं शिवशक्ति हूँ, अष्ट भुजाधारी हूँ।

ओम शांति।

चारों ओर के सर्व संकल्पों को समेटकर, एकाग्र करें मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा.. मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने इस शरीर रूपी वस्त्र की मालिक.. मैं आत्मा परमात्मा शिवबाबा की संतान.. मास्टर सर्वशक्तिवान.. मैं आत्मा सर्वशक्ति संपन्न, मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं! मैं शिवशक्ति हूं! बुद्धि रूपी नेत्र के सामने देखें - हमारे सिर के ऊपर परमात्मा शिवबाबा... ज्योति स्वरूप.. परमात्मा शिवबाबा हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... वह मेरे साथ हैं... मुझसे कंबाइंड हैं.... फील करें उनके साथ का अनुभव... मैं आत्मा परमात्मा शिवबाबा से कंबाइंड शिवशक्ति हूं.... अनुभव करें यह संपूर्ण देह जैसे लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा... और मैं आत्मा कंबाइंड हूं परमपिता परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप से.. मैं शिवशक्ति हूं! शिवबाबा से जैसे कि एक लाइट की तार निकल मुझसे कनेक्ट हो चुकी है.. उनके साथ होने से उनकी सर्व शक्तियां मुझ आत्मा में प्रवेश कर रही हैं... जैसे शिवबाबा सर्वशक्तिवान हैं, वैसे मैं आत्मा उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. शिवशक्ति हूं... शिवशक्ति की स्मृति में रहने से हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है! हमारे सर्व संकल्प, बोल सिद्ध होते हैं.. हम सदा निर्विघ्न रहते हैं.. हमें हर कार्य में सफलता मिलती है.... सर्व आत्माओं को हमसे एक अलौकिक, रूहानी प्रेम का अनुभव होता रहेगा... जो आत्माएं मास्टर सर्वशक्तिवान और मैं शिवशक्ति हूं - इस स्मृति में रहते हैं, उन्हें स्थूल साधन भी स्वतः प्राप्त होते रहते हैं! जो सदैव ईश्वरीय नशे में मस्त रहते हैं, वे सर्व प्राप्ति संपन्न बनते हैं! मैं आत्मा शिवशक्ति.. ज्ञान से भरपूर... गुणों से भरपूर.. सर्वशक्ति संपन्न हूं! मैं अष्ट भुजाधारी अर्थात अष्ट शक्तियों से भरपूर.. अष्ट शक्तिवान हूं! हम जितना अपनी इस शिवशक्ति और अष्ट भुजाधारी की स्मृति में रहेंगे, उतना सहज ही हमें साक्षीपन का अनुभव होगा.. और परमात्मा शिवबाबा के साथ का अनुभव स्वतः होता रहेगा... मैं शिवशक्ति सदा कंबाइंड हूं.. अष्ट भुजाधारी हूं.. परमात्मा शिवबाबा सदैव मेरे साथ हैं.....

ओम शांति।


98.  अव्यक्त बापदादा होमवर्क - मनसा सेवा।

ओम शांति।

एकाग्र करें बुद्धि को परमधाम में.. शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर.. परमपिता परमात्मा.. ज्ञान के सागर.. सर्व गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान.... उनसे अनंत किरणें सारे संसार में फैल रही हैं... अनुभव करें उनसे सुख और शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा बिंदु में समाती जा रही हैं... शिवबाबा शांति के सागर... मैं उनकी संतान मास्टर शांति का सागर.. मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... बाप समान विश्व सेवक हूं... उनसे सुख शांति की किरणें निकल मुझमें निरंतर समाती जा रही हैं और मुझसे चारों ओर फैल रही हैं... अभी बुद्धि रूपी नेत्र के सामने इमर्ज करें संसार की सर्व आत्माओं को, पृथ्वी के पूरे ग्लोब को.. देखें निरंतर शिवबाबा से सुख शांति की किरणें आत्मा में समाकर, इस सारे ग्लोब को मिल रही हैं, सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.. संसार में अनेक दुखी और अशांत आत्माएं बाबा को और हम फरिश्तों को पुकार रही हैं, चिल्ला रही हैं.. वे हम पूर्वज आत्माओं को आवाज दे रहे हैं - शांति दे दो.. ज़रा सा सुख की अंजली दे दो.. बचाओ! इन सर्व आत्माओं को सुख और शांति की अंजली मिल रही है.. और इनके मन के सर्व दुख, अशांति,  रोग सब समाप्त हो रहे हैं! मानसिक व शारीरिक बीमारियों से तड़पती आत्माएं शांत हो रही हैं! वे बहुत राहत महसूस कर रही हैं! अनुभव करें यह सर्व आत्माएं शांत व सुखी हो चुकी हैं.. प्रकृति के पांचों तत्व शांत हो चुके हैं! हम पूर्वज आत्माओं की शुभ भावना से सभी शांत हो चुके हैं! वे दिल से हमें और बाबा को शुक्रिया कह रहे हैं.. मुझ आत्मा से सुख-शांति की ये शुभ भावना की किरणें अनेक ब्राह्मण आत्माओं को भी सहयोग देंगी। बाबा कहते हैं - बाप के साथ आप बच्चे भी विश्व सेवक हो! सारा दिन वाणी द्वारा जैसे सेवा के निमित्त बनते हो, ऐसे ही बीच-बीच में मनसा सेवा का अभ्यास करते चलो। इससे आपका अपना भी फायदा है, क्योंकि अगर आपका मन सदा सेवा में बिजी रहेगा तो जो बीच-बीच में माया व्यर्थ संकल्प लाती है, उससे बच जाएंगे। हम 2 मिनट एकाग्र हो जाएं - निरंतर शिवबाबा से सुख शांति की किरणें मुझमें समाकर संसार की सर्व आत्माओं को मिल रही हैं और सर्व दुखी, अशांत, तड़पती आत्माएं शांत और सुखी बन रही हैं...

ओम शांति।


99. विदेही अवस्था - अमृतवेला के लिए योग कमेंटरी।

ओम शांति।

चारों ओर से अपने सर्व संकल्प समेट कर.. एकाग्र करें मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा.. स्वराज्य अधिकारी.. अपने इस शरीर की मालिक... यह शरीर मेरा एक वस्त्र है.. मैं आत्मा इससे संपूर्ण अलग हूं.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूं.. मैं सुख स्वरूप आत्मा हूं.. अभी अनुभव करें, मुझ आत्मा से चारों तरफ शांति का प्रकाश फैल रहा है.. यह प्रकाश धीरे धीरे मेरे संपूर्ण शरीर में फैल रहा है.. एक एक अंग को देखें.. ऊपर ब्रेन में.. नीचे गर्दन.. कंधों.. दोनों हाथ.. ह्रदय.. फेफड़ो.. आंतों.. पेट.. पीछे पूरे रीढ़ की हड्डी में यह शांति का प्रकाश फैल चुका है! शांति की इन किरणों से मेरा सम्पूर्ण शरीर रिलैक्स हो चुका है... सम्पूर्ण डिटैच हूं मैं अपने इस शरीर से.. संपूर्ण विदेही अवस्था में स्थित हूं.. धीरे धीरे अनुभव करें मैं आत्मा इस देह को छोड़ चली ऊपर की ओर.. इस देह से डिटैच होकर, संपूर्ण साक्षी होकर देखें अपने देह को, इस संसार को.. धीरे धीरे मैं आत्मा ऊपर जा रही हूं.. आकाश, चांद, तारों को पार कर पहुंच गयी परमधाम में.. परमधाम! शांतिधाम! मेरा असली घर! एक असीम शांति है यहां.. मैं आत्मा पहुंच गयी शिवबाबा के एकदम पास.. जैसे उनके साथ मैं जुड़ चुकी हूं.. शिवबाबा एक पॉइंट ऑफ लाइट.. मैं उनकी संतान भी एक पॉइंट ऑफ लाइट.. उनके साथ जैसे कंबाइंड हूं.. उनसे पवित्रता का दिव्य प्रकाश मुझमें निरंतर समाते जा रहा है.. अनुभव करें इन पवित्रता के किरणों से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूं.. जैसे पवित्रता का एक करंट मुझमें फ्लो होकर निरंतर समाते जा रहा है.. पवित्रता की इन किरणों से मुझ आत्मा पर चढ़ी हुई मैल, नेगेटिविटी संपूर्ण क्लीन हो रही है.. मैं संपूर्ण स्वच्छ बन रही हूं... मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म नष्ट हो चुके हैं... अनुभव करें मैं संपूर्ण पवित्र बन चुकी हूं.. जैसे कि एक बेदाग हीरा चमक रहा है.. पवित्रता सुख शांति की जननी है! इन किरणों से बाबा ने पवित्रता, सुख, शांति, प्रेम जैसे गुणों से मुझ आत्मा को भरपूर कर दिया है! बाबा कहते हैं - कोई एक गुण गहराई से अभ्यास करो, तो सर्वगुण उसमें समा जाते हैं! एकाग्र हो जाएं, निरंतर बाबा से पवित्रता की किरणें मुझमें फ्लो हो रही हैं.... अभी अनुभव करें, यह पवित्रता की किरणें मुझ आत्मा से नीचे सारे संसार में, संपूर्ण ब्रह्मांड में फैल रही हैं.. देखें प्रकृति के पांचों तत्व- अग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी इन किरणों को ग्रहण कर रहे हैं... ये संपूर्ण पवित्र बन रहे हैं.. इस आकाश में स्थित लाखों-करोड़ों सितारें, सर्व ग्रह इन किरणों से संपूर्ण पावन बन रहे हैं.. पृथ्वी पर स्थित संसार की सर्व आत्माएं भी इन किरणों को महसूस कर रही हैं.. जैसे कि पवित्रता का एक करंट इन सबमें समाता जा रहा है... अनुभव करें इन पवित्रता की किरणों से संसार की सर्व आत्माएं सुख शांति का अनुभव कर रही हैं.. हमसे इन किरणों का दान मिलने से, रिटर्न में हजार गुना हमें ये आत्माएं दुआएं दे रही हैं.. शुक्रिया कह रही हैं.. सम्पूर्ण तृप्त हो चुकी हैं ये आत्माएं, संपूर्ण पावन बन चुकी हैं.. अभी अनुभव करें प्रकृति के पांचों तत्व भी संपूर्ण पावन बन चुके हैं.. ये संपूर्ण सतोप्रधान अवस्था में स्थित हो चुके हैं.. ये भी हमें दिल से दुआएं दे रहे हैं.. वरदान दे रहे हैं - सदा सुखी भव! प्रकृतिजीत भव! सदा योगी भव! संपूर्ण भरपूर हो चुकी हूं मैं आत्मा बाबा की किरणों से! इन पवित्रता, सुख, शांति, प्रेम, आनंद की किरणों से भरपूर हो, मैं संपूर्ण बाप समान बन चुकी हूं... अभी धीरे धीरे मैं आत्मा चली नीचे संसार की ओर.. आकाश तत्व को पार कर पहुंच गई अपने देह में, मस्तक के बीच.. देखें मैं चमकता सितारा.. संपूर्ण बाप समान... अनुभव करें मैं आत्मा इस शरीर से डिटैच, स्थित हूं अपने लाइट के फरिश्ता शरीर में... मैं इस संसार में अवतरित फरिश्ता हूं... मैं विश्व कल्याण के लिए अवतरित हुआ हूं! अनुभव करें, परमधाम में शिवबाबा ज्योति स्वरूप से शक्तियों का दिव्य प्रकाश नीचे फ्लो होते जा रहा है और मुझ आत्मा में समा रहा है.. शक्तियों का दिव्य लाल करंट अनुभव करें.. शिवबाबा सर्वशक्तिवान.. मैं उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान.. बाप समान..!! अभी धीरे धीरे इस पृथ्वी से मैं फरिश्ता थोड़ा ऊपर उड़ चुका हूं.. अनुभव करें आकाश तत्व में मैं फरिश्ता स्थित हूं.. और मुझमें परमधाम से शक्तियों का लाल प्रकाश फ्लो हो रहा है, इन किरणों को नीचे इस संसार को दान दे रहा हूं.. यह दिव्य शक्तियां पांचों ही तत्वों को, संसार की सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.. यह शक्तियां इनमें बल भर रही हैं.. ये सभी संपूर्ण शक्तिशाली बन रहे हैं.. देखें, सर्व दुखी, प्यासी, अतृप्त आत्माएं संपूर्ण शक्तिशाली अवस्था में स्थित हो चुकी हैं.. हर परिस्थिति में यह शक्तियां इनके काम आएंगी.. वे मुझ फरिश्ता को और शिवबाबा को दिल से शुक्रिया कह रहे हैं... तीन मिनट तक हम इसी स्थिति में स्थित रहेंगे - परमधाम से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल, मुझ फरिश्ता में समा कर, संसार में फैल रहा है......

ओम शांति।


100. Attitude of Gratitude - Miracles of Grateful Heart! शुक्रिया भाव भाग्य बदल देगा!

ओम शांति।

महात्मा गांधी ने अपने बुक में लिखा है, "I was sad because I didn’t have any shoes.. and then I saw a man with no feet!" यानी मैं अपने जीवन में दुखी था कि मेरे पास अच्छे जूते नहीं है, और उस पल मैंने ऐसे व्यक्ति को देखा जिसके पास पैर ही नहीं थे! तो जीवन में हमें हमेशा परमात्मा का शुक्रिया करना है.. उन्होंने हमें जीवन दिया, हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस यानी खुशी दिया! हमें शुक्रिया करना है हमारे परिवार के सदस्यों का! हमें शुक्रिया करना है उन लोगों का जो हमारे संबंध संपर्क में आते हैं, वो चाहें कर्मक्षेत्र में हो या कोई भी कार्य व्यवहार में.. हमें शुक्रिया करना है इस प्रकृति का, इन पांचों ही तत्वों का जो हर पल हमारा साथ देते हैं! हमें शुक्रिया करना है उन लोगों का जो कभी हमारे जीवन में विघ्न बने हो, जो हमारे प्रति नेगेटिव सोचते हो, या हमारी कुछ भी निंदा करते हो, क्योंकि वे ना होते तो हमें हमारी कमज़ोरियों का पता नहीं चलता.. हम उन कमज़ोरियों पर काम करके उन्हें परिवर्तित ना करते! इन सभी विघ्नों में हमारी शक्ति बढ़ी, इसलिए हमें इनका शुक्रिया करना है! जितना जितना हम इस thankfulness/gratitude या शुक्रिया भाव का मन ही मन अभ्यास करेंगे, उतना उतना हमारी सोच अच्छी बनती जाएगी। हमारे विचार ऊंच बनते जाएंगे, हमारे मन की शक्ति बढ़ेगी। हमारा मन स्वतः ही शांत, संतुष्ट और खुश रहने लगेगा। हमारे संबंध अच्छे होते जाएंगे। हमारे शुक्रिया भाव के संकल्प एक मैगनेट की तरह काम करेंगे। विदेश के एक दार्शनिक ने कहा है, "A grateful heart is a magnet for miracles." यानी शुक्रिया भाव से हमारे जीवन में चमत्कार होते जाएंगे! तो हम कुछ मिनट इस शुक्रिया भाव का अभ्यास हर रोज़ करेंगे। यह अभ्यास हमें कैसे करना हैं, चलें शुरू करते हैं.. चारों तरफ से अपना ध्यान समेट कर, हम सामने देखें, इमर्ज करें परमात्मा शिवबाबा को... अब हम उन्हें इस जीवन के लिए शुक्रिया कहेंगे - हे परमात्मा, ईश्वर, भगवान.. हम आपका इस जीवन के लिए शुक्रिया करते हैं! आपने हमें स्वस्थ मन दिया, स्वस्थ तन दिया! हम आपका दिल से शुक्रिया करते हैं... अभी हम इमर्ज करेंगे अपनी फैमिली मेंबर्स को, जो हमारे साथ रहते हैं.. हम उनको भी दिल से शुक्रिया कहेंगे.. भले ही परिस्थितियां जैसी भी हों..ऊपर नीचे हों.. इसमें आपका दोष नहीं है.. हम आपका दिल से शुक्रिया करते हैं.. हम आपको दिल से दुआएं देते हैं.. उनके साथ हम इमर्ज करेंगे उन सर्व आत्माओं को, जो हमारे संबंध संपर्क में आते हैं, हमारे कर्मक्षेत्र में या कोई भी कार्य व्यवहार में, जिन्होंने हमें कभी हेल्प किया हो.. हम उन्हें दिल से उसके लिए शुक्रिया करेंगे! उनके साथ अब हम उन आत्माओं को भी इमर्ज करेंगे, जो हमारे जीवन में कभी न कभी विघ्न बने हो.. या हमारे प्रति नेगेटिव सोचते हो.. हम उन्हें भी दिल से शुक्रिया कहेंगे - आप न होते तो हमें हमारी कमी कमज़ोरी का पता ना चलता.. हम उन्हें परिवर्तन न करते.. इन परिस्थितियों में हमारी शक्ति बढ़ी, हमारी आत्मिक पावर बढ़ी! उसके लिए हम आपका शुक्रिया करते हैं! हम अभी इमर्ज करेंगे नेचर को, प्रकृति के पांचों तत्वों को - अग्नि, वायु, आकाश, जल और पृथ्वी.. इन प्रकृति के पांच तत्वों को भी हम दिल से शुक्रिया कहेंगे - हे प्रकृति, हम आपका दिल से शुक्रिया करते हैं....

ओम शांति।


101. हीलिंग मेडिटेशन - बहुत पावरफुल योग जिससे सभी विघ्न, समस्या समाप्त हो जाएंगे।

ओम शांति।

आज हम विशेष योग करेंगे। यह योग है पवित्रता और शक्ति का। इस योगाभ्यास को करने से हमारे जीवन के सभी विघ्न, समस्याएं व बीमारियां समाप्त हो जाएंगी। और आत्मा को शक्तियों से भरपूर कर, सारे विश्व में ये किरणें फैलाने से हमें संसार की सर्व आत्माओं की दुआएं प्राप्त होती हैं। इस अभ्यास से हमारा योग बल बढ़ता है। हमारा दुआओं का खाता और पुण्य का खाता बढ़ता है। हमें परमात्मा से भी दुआएं, ब्लेसिंग्स मिलती हैं। इन ब्लेसिंग्स से हमारा जीवन निर्विघ्न बनता है। हम संपूर्ण सुखी बनते हैं। हर कार्य में हमें सफलता प्राप्त होती है। और प्रतिदिन इस अभ्यास को करने से हमें बहुत ही अद्भुत परिणाम मिलते हैं। तो चलें शुरू करते हैं.. देखें मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक चमकता सितारा... पॉइंट ऑफ लाइट... अभी संकल्प करेंगे - मैं परम पवित्र आत्मा हूं.. पवित्रता मेरी ओरिजिनल नेचर है.. बुद्धि रूपी नेत्र के सामने देखेंगे, फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप... हमारे सम्मुख.. परमपिता परमात्मा ज्ञान के सागर, परम पवित्र.. सर्वशक्तिवान... अनुभव करेंगे उनसे पवित्रता की गोल्डन किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा रही हैं। जैसे एक गोल्डन रंग की तार कनेक्ट हो चुकी है, परमात्मा ज्योति स्वरूप से, मुझ आत्मा ज्योति स्वरूप में... परमात्मा शिवबाबा से गोल्डन किरणों का प्रवाह मुझ आत्मा में हो रहा है... जैसे एक फाउंटेन की तरह किरणें फ्लो होकर मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... इन किरणों से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूं... परमात्मा की संतान, मैं मास्टर पवित्रता का सूर्य हूं... अभी अनुभव करेंगे - मुझ आत्मा से यह पवित्रता का गोल्डन प्रकाश निकल, संपूर्ण शरीर में फैल रहा है.. ऊपर मस्तिष्क से लेकर नीचे पैरों तक इन किरणों का प्रवाह हो रहा है.. मुझ आत्मा के इस शरीर के रोम रोम में यह किरणें फैल चुकी हैं... जैसे कि यह संपूर्ण शरीर इन किरणों से जगमगा उठा है... संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में - मुझ आत्मा से पवित्रता की किरणें सारे शरीर में फैल चुकी हैं.... मैं इस शरीर को पवित्रता की किरणों का दान दे रही हूं, सकाश दे रही हूं... जितना जितना हम शरीर को पवित्रता की किरणों का दान देंगे, उतना हमारा चित्त शांत होगा, कर्मेंद्रियां शीतल होंगी.. शरीर की बीमारियां नष्ट होती जाएंगी... अभी अनुभव करें - परमात्मा से दिव्य लाल प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समाते जा रहा है… यह लाल प्रकाश, शक्तियों का प्रकाश, मुझ आत्मा में समाते जा रहा है… मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान, मास्टर ऑलमाइटी… परमात्मा के हमारे साथ कंबाइंड होने से उनकी शक्तियां हमें स्वतः मिलती रहेंगी… हम निर्विघ्न बनेंगे.. हमारी स्थिति शक्तिशाली बनी रहेगी.. हर कार्य में हमें सफलता मिलेगी… जहां बाप साथ है, वहां कोई भी नेगेटिविटी कुछ कर नहीं सकती! अनुभव करें - मैं आत्मा संपूर्ण बाप समान, शक्तिशाली बन चुकी हूं… और मुझ आत्मा से यह शक्तियों की किरणें इस सारे शरीर में फैल रही हैं… ऊपर मस्तिष्क से लेकर नीचे पैरों तक, यह लाल किरणों का प्रवाह फैल चुका है… शरीर के रोम रोम में यह लाल किरणें समा चुकी हैं… मेरा सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर शक्तिशाली बन चुका है… शरीर की सब बीमारियां नष्ट हो चुकी हैं… अनुभव करेंगे - यह किरणें मेरे सूक्ष्म शरीर को घेरे हुए, बाहर एक आभामंडल बना चुकी है... इसमें मैं सदा निर्विघ्न हूं…. परमात्मा का यह सुरक्षा कवच हमारे साथ हमेशा रहेगा… कोई भी नेगेटिविटी हमें टच नहीं कर सकती, छू नहीं सकती… मैं परमात्मा की संतान, मास्टर सर्वशक्तिवान… मास्टर ऑलमाइटी… अनुभव करेंगे यह आभामंडल बड़ा होते-होते, सारे विश्व में फैल चुका है… मुझ आत्मा से शक्तियों की किरणें सारे संसार में फैल रही हैं.. संसार की सर्व आत्माओं को यह शक्तियों का दान मिल रहा है… जैसे कि मैं बस निमित्त हूं, परमात्मा शिवबाबा हमसे यह शक्तियों की किरणें सारे संसार में फैला रहे हैं… संसार की सर्व आत्माओं को यह शक्तियों की किरणें मिल रही हैं… इन किरणों से उनके सर्व विघ्न, दुख, दर्द, बीमारियां नष्ट हो रही हैं… यह शक्तियों का प्रवाह संपूर्ण विश्व में, पांचों ही तत्वों में फैल रहा है… जैसे कि मैं एक लाइट हाउस हूं... परमात्मा का भेजा हुआ एक एंजल हूं, फरिश्ता हूं..! मुझसे शक्तियों की किरणें सारे संसार में निरंतर प्रवाहित हो रही हैं… प्रकृति के कण-कण में यह किरणें समा रही हैं… संसार की सर्व आत्माओं को यह किरणें मिल रही हैं… उनके सारे दुख, दर्द, विघ्न, बीमारियां नष्ट हो चुकी हैं… और वह हमें दिल से दुआएं दे रही हैं…… यह अभ्यास हमें दिन में कम से कम 3 बार करना है, जिससे हमारा योग बल बढ़ेगा, परमात्मा से दुआएं प्राप्त होंगी, और शक्तियों का दान देने से संसार की सर्व आत्माओं की दुआएं भी प्राप्त होंगी।

ओम शांति।


102. सब कुछ तेरा - यह संकल्प करें और अपने जीवन में चमत्कार देखें - भंडारी और भंडारे भरपूर हो जाएंगे।

ओम शांति।

परमात्मा शिवबाबा कहते हैं - जो अपने घर को परमात्मा शिवबाबा का घर समझते हैं, वे मानों ब्रह्मा भोजन ही खाते हैं! उनके भंडारे और भंडारी सदा भरपूर रहते हैं! जितना जितना हम मन से, हमारे पास जो कुछ भी है, वह मेरे को तेरे में परिवर्तन करते हैं, उतना ही हमारा मन शांत और शक्तिशाली बनता है। हमारी स्थिति निर्विघ्न बनती है। हमें हर कार्य में, संबंधों में सफलता मिलती है। घर में कोई भी वस्तु, पदार्थ या धन की कभी कमी नहीं होती। हमारे भंडारे और भंडारी सदा भरपूर रहते हैं। अव्यक्त मुरली 17.10.1987 में बापदादा कहते हैं - "सब कुछ तेरा करने से.. मेरा कुछ नहीं, सब तेरा है! जब तेरा है तो फिक्र किस बात का? जिन्होंने सब कुछ तेरा किया, वही बेफिक्र बादशाह बनते हैं!" और उसी मुरली में बाबा कहते हैं - "तेरा और मेरा शब्द में थोड़ा सा अंतर है। तेरा कहना माना सब प्राप्त होना, और मेरा कहना माना सब गंवाना। द्वापर से मेरा-मेरा कहा, तो क्या हुआ? सब गंवा दिया! तंदुरुस्ती भी चली गई, मन की शांति भी चली गई और धन भी चला गया.. कहां विश्व के राजन और कहां छोटे-मोटे दफ्तर में क्लर्क बन गए! बिजनेसमैन हो गए! जो विश्व के महाराजा के आगे कुछ नहीं है!" और अव्यक्त मुरली 12.12.1984 में बापदादा ने कहा - "मेरा कहना अर्थात मूंझना, तेरा कहना अर्थात मौज में रहना।" अव्यक्त मुरली 10.01.1994 - "कुछ भी मेरा है तो बोझ है, इसीलिए तेरा-तेरा कहते फरिश्ता बनो।" अव्यक्त मुरली 01.12.1989 - "सब कुछ तेरा और तेरा कहने से ही फायदा है। इसमें बाप का फायदा नहीं है, आपका फायदा है! क्योंकि मेरा कहने से फंसते हो, तेरा कहने से न्यारे बन जाते हो। मेरा कहने से बोझ वाले बन जाते हो और तेरा कहने से डबल लाइट, ट्रस्टी बन जाते हो।" तो जितना जितना हम मन ही मन यह अभ्यास करेंगे कि सब कुछ तेरा.. सब कुछ तेरा.. सब कुछ तेरा.. यह तन, मन, धन, संबंध, संपर्क, सब कुछ तेरा..., तो उतना हमारी स्थिति हल्की रहेगी, हम बेफिक्र रहेंगे! निश्चिंत रहेंगे! निर्भय रहेंगे! शक्तिशाली बनेंगे! हमें दिन में कई बार योग करते समय 'सब कुछ तेरा' का अभ्यास करना है। गहराई से अनुभव करना है। तो यह अभ्यास कैसे करें, चलें शुरू करते हैं.. चारों तरफ से अपना ध्यान समेट कर.. एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मेरा स्वभाव शांत है... शांति मुझ आत्मा की शक्ति है... बुद्धि रूपी नेत्र के सामने देखें - परमात्मा शिवबाबा.. ज्योति स्वरूप.. परमपिता परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर.... गुणों के सागर... सर्वशक्तिवान... हम उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान... अनुभव करें, परमात्मा शिवबाबा से एक लाइट की तार निकल मुझ आत्मा में कनेक्ट हो चुकी है... हम बाबा से कंबाइंड हैं... कंबाइंड होने से उनकी सर्व शक्तियां हमें मिलती रहेंगी... हमारा मन शक्तिशाली रहेगा.. हमें हर कार्य में सफलता मिलेगी... अभी शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर बुद्धि को एकाग्र कर हम उनसे दिल से बातें करेंगे - बाबा! आपने मुझे स्वस्थ मन दिया.. स्वस्थ तन दिया.. धन से भरपूर किया.. हम आपका दिल से शुक्रिया करते हैं!! यह सब आपका है, मेरा कुछ नहीं.. सब कुछ तेरा... सब कुछ तेरा... सब कुछ तेरा... मैं आपको तन-मन-धन से समर्पित हूं.. मेरे इस जीवन का हर समय, संकल्प, संपत्ति, मेरा हर कर्म, सर्व संबंध, यह तन और यह घर सब आपका है! हम इसे संभालने वाले केवल ट्रस्टी हैं, सदा निश्चिंत हैं, बेफिक्र हैं... इस परिवार में रहने वाले हर सदस्य आपके हैं... इस परिवार में सदा सुख शांति है.. सभी आत्माएं हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस से भरपूर हैं... इस घर की भंडारी और भंडारे सदा भरपूर हैं... सब कुछ तेरा... सब कुछ तेरा... सब कुछ तेरा... करनकरावनहार करा रहे हैं, मैं ट्रस्टी हूं.. मैं निमित्त हूं... मैं परमात्मा का एक इंस्ट्रूमेंट हूं... इस अभ्यास को हम जितना जितना बढ़ाते जाएंगे, उतना ही हमारे अवचेतन मन में जैसे एक रिकॉर्डिंग हो जाएगा, कि सब कुछ तेरा.. सब कुछ तेरा.. सब कुछ तेरा.. और जब भी कोई इमरजेंसी हो, कोई विघ्न आ जाए या कोई समस्या आ जाए; वह चाहे धन की हो, या शरीर की हो, या चाहे संबंधों में कुछ ऊपर-नीचे हो जाए, तो इन परिस्थितियों में हम हल्के रहेंगे.. हम निश्चिंत रहेंगे... हमारा मन शांत और शक्तिशाली रहेगा... क्योंकि मेरा कुछ भी नहीं.. बाबा! सब कुछ तेरा..! सब कुछ तेरा..! सब कुछ तेरा...!!

ओम शांति।


103. मैं सफलता का सितारा हूं! यह अभ्यास हर दिन 2 से 3 बार करें तो आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी।

ओम शांति।

आज हम विशेष अभ्यास करेंगे। यह अभ्यास है - मैं सफलता का सितारा हूं! सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है! इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम परमात्मा शिवबाबा से 'मैं सफलता का सितारा हूं' - यह वरदान लेंगे। इस अभ्यास को प्रतिदिन करने से हमारे मन की शक्ति बढ़ती है। हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है! हम हर कार्य में निर्भय बनते हैं। कार्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति के संबंध-संपर्क में हमारा कॉन्फिडेंस बढ़ता है। यदि किसी में खुद को लेकर हीन भावना है, तो वह भी समाप्त हो वह अपने स्वमान में स्थित होते हैं.. और सर्व को सम्मान देते हैं। तो चलें शुरू करते हैं.. चारों तरफ से अपना ध्यान समेट कर.. एकाग्र करें.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... स्थित हूं अपने मस्तक के बीच... संपूर्ण डिटैच हो जाएं अपने स्थूल शरीर से.. जैसे कि यह शरीर संपूर्ण लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा... ज्योति स्वरूप... स्वराज्य अधिकारी... मैं एक महान आत्मा हूं... मैं इस संसार की सर्वश्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूं... एकाग्र करें अपनी बुद्धि को परमधाम में... शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर... परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर.... गुणों के सागर... सर्वशक्तिवान... हम उनका दिल से आह्वान करते हैं.. अनुभव करें शिवबाबा धीरे-धीरे परमधाम से नीचे उतर रहे हैं... आकाश, चांद, तारों को पार कर आ पहुंचे हमारे सिर के ऊपर... वे हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... महसूस करेंगे उनके साथ का अनुभव... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप, परमात्मा शिवबाबा से कंबाइंड... वे हमारे सिर के ऊपर.. हमारी छत्रछाया के रूप में... शिवबाबा हमारे साथ हैं... अनुभव करें - उनसे शक्तियों की दिव्य किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... अनुभव करें यह दिव्य शक्तियों की किरणों से मैं आत्मा शक्तियों से भरपूर, संपन्न बन चुकी हूं... परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान, मैं आत्मा उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. मास्टर ऑलमाइटी हूं... इन किरणों द्वारा बाबा मुझे एक दिव्य वरदान दे रहे हैं - सफलता का सितारा भव!! सफलता का सितारा भव!! सफलता का सितारा भव!! बाबा ने मुझे इस वरदान से भरपूर कर दिया है... आज से मैं परमात्म शक्तियों से संपन्न हूं! मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... सफलता का सितारा हूं....सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है! हर कार्य में मुझे सफलता सहज प्राप्त होगी! इसी स्थिति में हम एकाग्र रहेंगे - परमात्मा शिवबाबा से निरंतर दिव्य शक्तियों की किरणें, वरदानों की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.... मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान... मैं सफलता का सितारा हूं...! सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है! मैं अपने स्व-पुरुषार्थ में सदा सफल हूं... परमात्मा का मुझे वरदान है - मैं सफलता का सितारा हूं!! कार्य व्यवहार में, संबंध संपर्क में, कभी आते मुश्किल परिस्थितियों में भी मुझे सफलता प्राप्त होगी..... कभी समय लग सकता है, लेकिन सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है..!! कहां-कहां परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ेगा, व्यक्तियों द्वारा सहन भी करना पड़ेगा, लेकिन वह सहन करना उन्नति का साधन बन जाएगा! परिस्थिति का सामना करते-करते वह परिस्थिति स्व-स्थिति के उड़ती कला का साधन बन जाएगी... अर्थात हर बात में सफलता स्वतः, सहज और अवश्य प्राप्त होगी...!

ओम शांति।


104.  अपने सारे पाप कर्म भस्म करने वाला ज्वालामुखी अमृतवेला योग कमेंट्री।

ओम शांति।

परमात्मा कहते हैं - पवित्रता सुख शांति की जननी है। तो आज हम विशेष पवित्रता का अभ्यास करेंगे। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम परमात्मा शिवबाबा से दो वरदान लेंगे। पहला वरदान - परम पवित्र आत्मा भव, दूसरा वरदान हम लेंगे - पवित्रता का सूर्य भव। इन वरदानों से संपन्न बन, अपने संपूर्ण प्योरिटी की स्टेज में स्थित हो, सारे संसार को हम पवित्रता का दान देंगे। जितना हम पवित्रता का अभ्यास करेंगे, उतना हमारे विकर्म, पाप सभी नष्ट हो जाएंगे। हमारा पवित्रता का बल बढ़ेगा। हमारा योग बल बढ़ेगा। हमारी स्थिति शक्तिशाली बनेगी। जीवन में जो भी कार्य हम करते हैं, सभी सफल होंगे। और जितना हम अपने पवित्रता की स्टेज में स्थित रहेंगे, उतना हमें परमात्मा का साथ निरंतर और सहज अनुभव होता रहेगा। तो चलें शुरू करते हैं.. चारों ओर से अपना ध्यान समेट कर, एकाग्र करें अपने आत्मिक स्वरूप पर.. मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.. यह शरीर मेरा वस्त्र है.. मैं आत्मा संपूर्ण डिटैच, अशरीरी हूं.. मैं एक परम पवित्र आत्मा हूं.. पवित्रता मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर है.. अनुभव करें - मुझ आत्मा से पवित्रता की किरणें निकल, मेरे संपूर्ण शरीर में फैल चुकी हैं... ऊपर मस्तिष्क से लेकर नीचे पैरों तक ये किरणें फैल चुकी हैं... संपूर्ण शरीर इन पवित्रता की किरणों से जगमगा उठा है... यह सम्पूर्ण स्थूल शरीर लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में, अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक पवित्रता का फरिश्ता हूं! अभी मैं फरिश्ता उड़ चला ऊपर आकाश की ओर... आकाश, चांद, तारों को पार कर पहुंच गया सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा... मुझे प्यार भरी दृष्टि दे रहे हैं... मुझे गले लगा रहे हैं.. अभी बापदादा के सामने बैठ जाएं.. अनुभव करें - उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... इन हाथों से पवित्रता का दिव्य प्रकाश निकल, मुझ आत्मा में समा रहा है.. और मेरे संपूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रहा है... एकाग्र हो जाएंगे इस स्थिति में... अभी बापदादा मुझे वरदान दे रहे हैं - परम पवित्र भव!! परम पवित्र भव!! पवित्रता का सूर्य भव!! पवित्रता का सूर्य भव!! मैं परम पवित्र आत्मा हूं... बापदादा ने मुझे इन दोनों वरदानों से संपन्न कर दिया है, भरपूर कर दिया है! आज से यह पवित्रता का वरदान मुझमें नैचुरली काम करेगा। मैं परम पवित्र आत्मा हूं! मैं पवित्रता का सूर्य हूं! मैं संपूर्ण शुद्ध व पवित्र आत्मा हूं... अभी मैं आत्मा अपना सूक्ष्म शरीर समेटकर, चली परमधाम में... परमधाम.. शांतिधाम.. पहुंच जाएं परमात्मा शिवबाबा के पास.. अनुभव करें परमात्मा शिवबाबा का साथ.. देखें उनसे पवित्रता का दिव्य प्रकाश निकल, मुझ आत्मा में समाता जा रहा है... संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.. परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें मुझमें समाती जा रही हैं... इन किरणों से मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म, पाप सब भस्म हो चुके हैं... मैं संपूर्ण शुद्ध, पवित्र, सतोप्रधान अवस्था में स्थित हूं... परमात्मा का मुझ आत्मा को वरदान है - परम पवित्र आत्मा भव!! पवित्रता का सूर्य भव!! अनुभव करें मुझ आत्मा से यह पवित्रता का प्रकाश निकल अब नीचे सारे संसार को मिल रहा है... जैसे पवित्रता की किरणों का फाउंटेन मुझ आत्मा से नीचे सारे संसार में फ्लो हो रहा है.... संसार की सर्व आत्माओं को इन किरणों का दान मिल रहा है... उनके सर्व विघ्न समाप्त हो रहे हैं... पवित्रता सुख और शांति की जननी है! संसार की सर्व आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं... यह किरणें प्रकृति के पांचों तत्वों को भी मिल रही हैं - अग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी.. पांचों ही तत्व शुद्ध बन रहे हैं, स्वच्छ बन रहे हैं... उनकी हलचल शांत हो रही है... धरती मां हमें दिल से वरदान दे रही है - सदा निरोगी भव! सदा सफल भव! संसार की सर्व आत्माएं इन पवित्रता की किरणों से सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं... वे भी दिल से हमें दुआएं दे रही है... अभी मैं आत्मा चली नीचे अपने स्थूल देह में, पहुंच जाएं अपने मस्तक के बीच में.. अनुभव करें मैं फरिश्ता स्थित हूं ग्लोब पर.. मैं परम पवित्र आत्मा हूं.. मैं पवित्रता का फरिश्ता हूं... मैं पवित्रता का सूर्य हूं... मुझ आत्मा से पवित्रता की किरणें संसार में निरंतर फैल रही हैं..... अनुभव करें - परमधाम में शिवबाबा से पवित्रता की किरणें नीचे फ्लो होकर, मुझमें समा कर, चारों ओर संसार में फैल रही हैं... परमात्मा कहते हैं - जैसे मैं चमकता हूं उस जहान में, वैसे तुम चमको इस जहान में!! तुम इस संसार के नूर हो! तुम इस संसार में ना होते, तो यह संसार वीरान हो जाता... अनुभव करें पवित्रता के सूर्य समान मैं आत्मा चमक रही हूं.. और मुझसे सारे संसार को पवित्रता की किरणों का दान मिल रहा है.. पवित्रता सुख शांति की जननी है... अनुभव करें इन पवित्रता की किरणों से संसार की सर्व आत्माएं शांत व सुखी बन चुकी हैं... शिवबाबा मुझ द्वारा इन सर्व आत्माओं और प्रकृति को पवित्रता का दान दे रहे हैं.. शांत व सुखी बना रहे हैं....

ओम शांति।


105. रोज़ सुबह 5 मिनट यह संकल्प करें और जो चाहें वो पाएं। Heal Your Mind, Body, Soul. What we Think we Create!

ओम शांति।

जो संकल्प हम बार-बार करते हैं, मानो हम उनका निर्माण करते हैं। What we think we create! हमारे संकल्पों में एक रचनात्मक शक्ति है। जितना हम पॉज़िटिव सोचेंगे, उतना ही पॉज़िटिव परिस्थितियों का हम निर्माण करेंगे। सुबह पहले 5 मिनट और रात को सोने से पहले 5 मिनट हमारा अवचेतन मन जागृत होता है। उस समय हम जो भी संकल्प करेंगे, उन संकल्पों का प्रभाव दिन भर रहेगा। वह पॉज़िटिव स्थिति दिन भर काम करेगी। तो उस समय हम ऐसे 5 संकल्पों का प्रयोग करेंगे जिससे हमारी स्थिति शक्तिशाली बनेगी, मन पॉज़िटिव रहेगा, जीवन निर्विघ्न बनेगा, हम हर कार्य में सफलता मूर्त बनेंगे, हमारे सारे संबंध भी अच्छे बनेंगे। 21 दिन यह प्रयोग करने से हमें बहुत ही सुंदर परिणाम मिलते हैं। तो सुबह उठते ही पहले परमात्मा को गुड मॉर्निंग कह हम उनका शुक्रिया करेंगे और उनको सामने देखते हुए पहला संकल्प करेंगे - मैं फरिश्ता हूं। यह संकल्प करते हुए हमें फील करना है कि मैं परमात्मा का भेजा हुआ एक फरिश्ता हूं। मुझे सिर्फ देना है। इस संकल्प से हम दिन भर लाइट रहेंगे और लाइट रहने से स्वतः ही हमें परमात्मा की माइट मिलेगी और हमारा हर कार्य राइट होगा! इसी से जुड़ा दूसरा संकल्प करेंगे - मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए। इस संकल्प को करते हुए भी हमें फील करना है कि मैं परमात्मा का फरिश्ता हूं, मुझे सिर्फ देना है, मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए। जितना हम इस संकल्प को दोहराएंगे, उतना हमारी स्थिति कामनाओं से परे, इच्छाओं से परे बनती जाएगी। यह प्रकृति का एक नियम है कि जब हम कामनाओं से परे हो जाएंगे, तब हमें जीवन में जो चाहिए वह स्वतः ही मिलता रहेगा। और कामनाओं से मुक्त रहने से हम शांत और संतुष्ट रहेंगे। दूसरे भी हमसे संतुष्ट होंगे और उनका सहयोग हमें स्वतः प्राप्त होगा। इसी से जुड़ा तीसरा संकल्प करेंगे - मेरा यह शरीर संपूर्ण स्वस्थ है। इस संकल्प को करते समय हमें कल्पना करना है हमारा शरीर संपूर्ण स्वस्थ, निरोगी है.. मैं बहुत फिट हूं। फिर चौथा संकल्प करेंगे - हमारा यह घर परमात्मा का घर है। इस संकल्प को करने से नैचुरली जब यह घर परमात्मा का घर बनेगा, तो यहां के भंडारे और भंडारी स्वतः ही भरपूर बनेंगे। हमें कभी कोई कमी नहीं होगी। और इन संकल्पों से जुड़ा हम पांचवा संकल्प करेंगे - इस घर में रहने वाले सभी सदस्य सुखी हैं, एकमत हैं। तो यह पांच संकल्प एक साथ हमें सुबह कैसे करना है, चलें शुरू करते हैं.. आंखों के सामने देखें - परमात्मा शिवबाबा.. पॉइंट ऑफ लाइट.. हम उनको दिल से मुस्कुरा के गुड मॉर्निंग कहेंगे.. शुक्रिया करेंगे.. अब अपने आत्मिक स्वरूप पर एकाग्र हो हम पहला संकल्प करेंगे - मैं फरिश्ता हूं... इस संसार में परमात्मा का भेजा हुआ एक फरिश्ता हूं! मुझे सबको देना है! मुझसे सबको सुख-शांति का अनुभव निरंतर होता रहेगा.. मैं फरिश्ता हूं! दूसरा संकल्प हम करें - मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए.. मुझे सिर्फ देना है.. मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए.. मैं संतुष्ट हूं.. परमात्मा ने मुझे भरपूर किया है.. मुझे सिर्फ देना है.. तीसरा संकल्प करें - मेरा शरीर संपूर्ण स्वस्थ है.. मैं संपूर्ण निरोगी हूं.. हेल्दी हूं.. कल्पना करें अपने संपूर्ण फिट, स्वस्थ शरीर का.. यह परमात्मा की दी हुई गिफ्ट है.. मैं संपूर्ण स्वस्थ हूं.. निरोगी हूं.. हेल्दी हूं.. फिट हूं.. हम चौथा संकल्प करें - हमारा यह घर परमात्मा का घर है.. हमारा यह घर परमात्मा का घर है.. और परमात्मा का घर बनने से यहां के भंडारे और भंडारी सदा भरपूर हैं... यहां कोई भी कमी नहीं है... सुख-समृद्धि से यह घर भरपूर है.. यह घर परमात्मा का घर है... और अब पांचवा संकल्प करें - इस घर में सभी आत्माएं सुखी हैं.. सभी युनाइटेड हैं, एकजुट हैं.. सुखी हैं.. यह परिवार सुखी है.. सबकी एक मत है.. सभी सुख-समृद्धि से भरपूर हैं.. मेरे सर्व संबंध अच्छे हैं.. संसार की सर्व आत्माएं अच्छे हैं.. सभी परमात्मा की संतान हैं.. मेरा सभी के साथ संबंध बहुत अच्छा है... इस प्रकार इन संकल्पों को हमें रात को सोते समय भी करना है। उस समय इन संकल्पों का अभ्यास करने से रातभर हमारे अवचेतन मन में यह संकल्प कार्य करते रहेंगे और इनका निर्माण होगा! दिनभर में भी बीच-बीच में 5 सेकेंड, 10 सेकेंड या 1 मिनट हम इन संकल्पों को दोहराएं..

ओम शांति।


106. आज तक के पुराने खाते समाप्त करना – पावरफुल विकर्म विनाश योग कमेंट्री।

ओम शांति।

परमात्मा शिवबाबा कहते हैं – आज तक जो कमज़ोरी, कमियां, निर्बलता या कोमलता रही हुई है, वह सभी पुराने खाते आज से समाप्त करना – यही दीपमाला मनाना है। अल्पकाल के लिए नहीं, लेकिन सदाकाल के लिए सर्व रूपों से समाप्त करना, यह है दीपावली मनाना। इस योग कमेंट्री में हम परमात्मा द्वारा पवित्रता की किरणें ले आत्मा को स्वच्छ करेंगे। आत्मा के पुराने संस्कार, स्वभाव, कमज़ोरियां व निर्बलता को इन पवित्रता की किरणों से समाप्त करेंगे। और परमात्मा से हम सर्व गुणों और शक्तियों की किरणें लेंगे। तो चलें शुरू करते हैं.. चारों तरफ से अपना ध्यान समेट कर, एकाग्र करें मस्तक के बीच... मैं आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.. पॉइंट ऑफ लाइट... मैं आत्मा दीपक समान चमक रही हूं... मैं परम पवित्र आत्मा हूं... यह देह अलग, मैं आत्मा इस देह को चलाने वाली मालिक हूं... अपने सर्व कर्मेन्द्रियों की मालिक... अभी मैं आत्मा यह देह छोड़, उड़ चली आकाश की ओर... आकाश, चांद, तारों को पार कर, पहुंच गयी परमधाम में... चारों तरफ गोल्डन प्रकाश... सितारों की दुनिया है ये... मैं आत्मा पहुंच गई परमपिता परमात्मा शिवबाबा के पास.. उनके समीप..... फील करेंगे परमात्म साथ का अनुभव... अनुभव करें परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... मैं आत्मा सम्पूर्ण स्वच्छ बन रही हूं... मुझ आत्मा की पुरानी कमियां, कमज़ोरियां, निर्बलता, कोमलता समाप्त हो रही हैं... मैं संपूर्ण स्वच्छ बन रही हूं... मुझ आत्मा की सफाई हो रही है... इन किरणों से मेरे जन्म-जन्मांतर के विकर्म नष्ट हो रहे हैं... ये किरणें मुझमें निरंतर समाते जा रही हैं... मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र बन चुकी हूं.. सम्पूर्ण स्वच्छ.... सभी पुराने संस्कार, कमियां, कमज़ोरियां सब नष्ट हो चुकी हैं... मैं सम्पूर्ण पवित्र बन चुकी हूं... मैं परम पवित्र आत्मा हूं... पवित्रता के सागर की संतान... सम्पूर्ण स्वच्छ आत्मा... मुझमें परमात्मा से दिव्य गुणों और शक्तियों की किरणें समाती जा रही हैं... अनुभव करें यह रंग-बिरंगी किरणें सर्व गुण और शक्तियों की किरणें हैं.... इन दिव्य गुणों और शक्तियों की किरणों से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूं.... जैसे परमात्मा शिवबाबा मुझे उनके सर्व गुण और शक्तियां वरदान में दे रहे हैं... जैसे शिवबाबा गुणों के सागर, वैसे मैं आत्मा मास्टर गुणों का सागर बन चुकी हूं... ज्ञान, प्रेम, आनंद, सुख व खुशी से भरपूर हो चुकी हूं... निरंतर परमात्मा से यह दिव्य किरणें मुझमें समाती जा रही हैं... जैसे शिवबाबा सर्वशक्तिवान हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान बन चुकी हूं... मुझ आत्मा का दीपक सम्पूर्ण जगमगा उठा है.. जैसे कोई दाग नहीं है.... सम्पूर्ण सतोप्रधान, सम्पूर्ण स्वच्छ.. परम पवित्र... सर्व गुण और सर्व शक्तियों से भरपूर.... अभी फील करें मुझ आत्मा से यह दिव्य शक्तियों की किरणें निकल, नीचे सारे संसार में फैल रही हैं... प्रकृति के पांचों तत्वों को मिल रही हैं... संसार के सर्व आत्माओं को मिल रही हैं... इन किरणों से उनके सर्व दुःख व दर्द समाप्त हो रहे हैं... मानो उनके आत्मा रूपी दीपक जगमगा उठे हैं... परमात्मा शिवबाबा से जैसे मुझमें लाइट समा कर, सम्पूर्ण विश्व में यह लाइट फैल चुकी है... सारे विश्व में यह रौशनी फैल चुकी है... सारे विश्व का अंधियारा समाप्त हो, मानो सारे विश्व में दीपावली हो रही है... सभी आत्माओं के दीपक जगमगा रहे हैं... सर्व आत्माएं पवित्रता, ज्ञान, शांति, प्रेम, आनंद और शक्तियों से भरपूर हो चुकी हैं... सारे विश्व में दीपावली मनाई जा रही है... चारों तरफ सभी आत्माएं खुशियां मना रहे हैं... प्रकृति अपने सतोप्रधान अवस्था में है.. शांत.. शीतल.. अचल अडोल.. संसार की सर्व आत्माएं खुशी में झूम रही हैं... और परमात्मा शिवबाबा को और मुझ आत्मा को शुक्रिया कह रही हैं.....

ओम शांति।


107. सवेरे उठते ही और सोने से पूर्व करें यह 10 संकल्प। Power of Subconscious Mind!

ओम शांति।

जितना हम पॉज़िटिव सोचेंगे, उतना ही हमारे जीवन में पॉज़िटिव होता रहेगा। परमात्मा कहते हैं – सदैव कहो मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा.. तो यदि बुरा होने वाला भी होगा तो वो भी अच्छा हो जाएगा। जितना हम पॉज़िटिव सोचेंगे, उतना स्वतः हर कार्य हमारे जीवन में पॉज़िटिव होगा। पॉज़िटिव संकल्प नेगेटिव को भी पॉज़िटिव में परिवर्तन कर देंगे। तो आज हम ऐसे दस संकल्पों के साथ योग करेंगे। इसे हमें सुबह और रात सोने से पहले करना है। और बीच-बीच में भोजन करते, पानी पीते समय, आधा-एक मिनट इन संकल्पों को दोहराना है। जितना हम इनको दोहराएंगे, उतना ये हमारे अवचेतन मन में समा जाएंगे। धीरे-धीरे ये संकल्प नैचुरल बन जाएंगे। हम स्वतः ही हर परिस्थिति में पॉज़िटिव और अचल-अडोल रहेंगे। हर कार्य में हमें सफलता मिलेगी। हर विघ्न को हम शक्तिशाली स्थिति में रह सहज पार करेंगे। तो सुबह उठते ही और रात सोने से पहले इन संकल्पों का अभ्यास कैसे करना है, चलें शुरू करते हैं.. देखें मैं आत्मा.. एक ज्योति बिंदु.. स्थित हूं अपने मस्तक के बीच.. फील करें मैं आत्मा इस शरीर से अलग हूं... आंखों के सामने देखें परमपिता परमात्मा शिवबाबा.. फील करें उनके साथ का अनुभव.. दिल से हम उनका इस जीवन के लिए शुक्रिया करें! और

पहला संकल्प करें – मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. परमात्मा मेरे साथ हैं! मैं उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. परमात्म साथ होने से उनकी शक्तियां सदैव मेरे साथ हैं.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं..

दूसरा संकल्प करें – आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा.. आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा.. परमात्मा सदैव मेरे साथ हैं! उनकी शक्तियां मेरे साथ कार्य करती हैं.. इसलिए मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा...

तीसरा संकल्प हम करें – मेरा स्वभाव शांत है.. मेरा स्वभाव शांत है... शांति मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर है... मुझ आत्मा से सर्व आत्माओं को शांति के वाइब्रेशन स्वतः ही मिलते हैं.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं...

चौथा संकल्प करें – मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ है.. मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ है... देखें अपने सम्पूर्ण स्वस्थ, निरोगी शरीर को.. फील करें मैं बहुत हेल्दी, फिट, निरोगी हूं.. मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ है....

अभी हम पांचवां संकल्प करें – मैं विजयी हूं... मैं विजयी हूं... जीवन के हर कार्य में, हर क्षेत्र में, चाहे वो पढ़ाई, ऑफिस या कोई बिज़नेस हो, हर कार्य में मैं विजयी हूं.. सफलता मूर्त हूं.. परमात्मा सदैव मेरे साथ हैं! जहां परमात्मा साथ हैं, वहां सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है!

फिर छठा संकल्प करें – मैं बहुत धनवान हूं.. मैं बहुत धनवान हूं... देखें मैं बहुत धनवान, सुखी हूं... हम उस अमाउंट को भी चुन सकते हैं, जो हम हमारे बैंक में चाहते हैं.. देखें उस अंक को.. मैं बहुत धनवान हूं.. संपन्न हूं...

सातवां संकल्प करें – मैं सम्पूर्ण सुखी हूं.. हेल्थ वेल्थ हैप्पीनेस से भरपूर हूं.. मैं सम्पूर्ण सुखी हूं... सम्पूर्ण सुखी हूं!

आठवां संकल्प करें – मेरे सर्व सम्बन्ध बहुत अच्छे हैं.. मेरा सर्व आत्माओं के साथ संबंध अच्छा है... मुझमें सर्व आत्माओं के लिए शुभ भावना है... सबका कल्याण हो... सब सुखी हों.. इस शुभ भावना से स्वतः ही इन आत्माओं के मन में हमारे प्रति शुभ भावना होगी! मेरे सर्व संबंध अच्छे हैं...

नौवां संकल्प करें – देखें परमात्मा का एक सुरक्षा कवच सदैव मेरे साथ है.. जैसे एक घेरा मुझ आत्मा को व मेरे शरीर को सम्पूर्ण घेरे हुए है.. इस सुरक्षा कवच में मैं सदैव सुरक्षित हूं! मेरा घर-परिवार सुरक्षित है.. मेरा हर कार्य, ऑफिस इस सुरक्षा कवच में सेफ है.. कोई भी नेगेटिविटी मुझे, मेरे घर, ऑफिस या परिवार के सदस्य को टच नहीं कर सकती... हम सदैव सेफ हैं!

दसवां संकल्प करें – देखें अभी यह सुरक्षा कवच सारे पृथ्वी को घेरे हुए है.. परमात्मा द्वारा हम इन सर्व आत्माओं को शक्तियों के वाइब्रेशन दे रहे हैं.. इस सुरक्षा कवच में संसार की सर्व आत्माओं के विघ्न, समस्याएं, बीमारियां सब नष्ट हो रहे हैं.. सब सेफ हो रहे हैं.. हम दिल से परमात्म ब्लेसिंग्स इन आत्माओं को दे रहे हैं....

ओम शांति।


108. 10 वरदानों का अभ्यास। इन शक्तिशाली वरदानों के अनुभव से एकाग्रता बढ़ेगी, योग हो जायेगा सहज।

ओम शांति।

आज हम विशेष दस वरदानों का अभ्यास करेंगे। हमें अपने लिए कम से कम पांच से दस वरदान ऐसे चुनने हैं, जो हम प्रतिदिन अनुभव करें, जिनके स्वरूप में हम स्थित हों। परमात्मा शिवबाबा कहते हैं - वरदानों से तुम्हारा जन्म होता है.. वरदानों से तुम्हारी पालना होती है! और जितना जितना हम इन वरदानों का अभ्यास करेंगे, उतना हम वरदानी मूर्त बनेंगे। तो प्रतिदिन इन वरदानों का अभ्यास कैसे करना है, चलें शुरू करते हैं... एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच.. मैं आत्मा... ज्योति स्वरूप... एक चमकता सितारा... पॉइंट ऑफ लाइट... मैं आत्मा अपने इस शरीर की मालिक... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... अनुभव करेंगे - मुझ आत्मा से शांति का प्रकाश निकल सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है... ऊपर मस्तिष्क से लेकर नीचे पैरों तक यह शांति का प्रकाश फैल चुका है... और मैं आत्मा सम्पूर्ण रिलैक्स.. इस शरीर से अलग हो चुकी हूं... जैसे कि ये शरीर सम्पूर्ण लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं परमात्मा का फरिश्ता हूं... अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा.. मुझे प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं... और मुझे गले लगा रहे हैं... सामने बैठ जाएं और बापदादा को फील करें... देखें अभी उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... इन हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझ फरिश्ता में समाता जा रहा है... बा

पदादा अब मुझे पहला वरदान दे रहे हैं - श्रेष्ठ योगी भव... श्रेष्ठ योगी भव... इस वरदान की प्राप्ति से आज से मेरा योग सहज हो जाएगा! योग में मुझे मेहनत नहीं होगी... मुझे सदैव स्मृति है कि मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूं! इस ब्राह्मण जीवन में सर्वश्रेष्ठ वरदान योगी भव का वरदान है... जिसे ये वरदान प्राप्त होता है, उसे बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त होते हैं...

बापदादा मुझे दूसरा वरदान दे रहे हैं - मास्टर सर्वशक्तिवान भव... मास्टर सर्वशक्तिवान भव... इस वरदान की प्राप्ति से बाबा ने मुझे अपनी सर्व शक्तियां वरदान में दी हैं... मैं परमात्मा की सन्तान, मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मास्टर सर्वशक्तिवान की स्मृति में हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है... इस वरदान से हर कार्य में मुझे सफलता मिलेगी... सभी कार्य सहज होते रहेंगे... जहां बाप साथ हैं, जहां परमात्म शक्तियां साथ हैं, वहां कोई कुछ कर नहीं सकता... इस दुनिया की कोई भी नेगेटिविटी मुझ आत्मा को टच नहीं कर सकती... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं...

बापदादा मुझे तीसरा वरदान दे रहे हैं - सम्पूर्ण पवित्र भव... सम्पूर्ण पवित्र भव... इस वरदान की प्राप्ति से मेरी प्यूरिटी नैचुरल रहेगी... मनसा-वाचा-कर्मणा मैं सम्पूर्ण पवित्र हूं... परमात्मा से मुझे वरदान मिला है - सम्पूर्ण पवित्र भव!!

बापदादा मुझे चौथा वरदान दे रहे हैं - सफलता मूर्त भव... सफलता मूर्त भव... इस वरदान की प्राप्ति से जीवन के हर कार्य में, वो चाहे ऑफिस हो, बिज़नेस हो, पढ़ाई हो, कोई सेवा हो, हर कार्य में मैं सफल बनूंगा... परमात्मा का मुझे वरदान है - सफलता मूर्त भव! मैं आज से हर कार्य में विजयी हूं... सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है... परमात्मा सदैव मेरे साथ हैं... परमात्म साथ होने से हर कार्य में सफलता हुई पड़ी है!

बापदादा मुझे पांचवा वरदान दे रहे हैं - विघ्न विनाशक आत्मा भव... विघ्न विनाशक आत्मा भव... इस वरदान की प्राप्ति से जीवन की हर समस्या या विघ्न नष्ट हो जाएंगे... यदि कोई कार्य में विघ्न आते भी हों, तो वह भी सहज ही पार हो जाएंगे... जैसे हर विघ्न या पेपर सूली से कांटा बन जाएगा... क्योंकि स्वयं भगवान का मुझे वरदान है - विघ्न विनाशक भव!

अभी बापदादा मुझे छठा वरदान दे रहे हैं - सदा सुखी भव... सदा सुखी भव... इस वरदान की प्राप्ति से आज से मेरा जीवन संपूर्ण सुखमय बनेगा... मैं सुखी हूं... तन मन धन से भरपूर हूं... संपन्न हूं... परमात्मा का मुझे वरदान है - सदा सुखी भव! मैं सम्पूर्ण सुखी हूं...

बापदादा मुझे सातवां वरदान दे रहे हैं - सदा निरोगी भव... सदा निरोगी भव... इस वरदान के द्वारा भगवान ने मुझे सदा निरोगी भव का वरदान दिया है.... मैं सम्पूर्ण निरोगी हूं.. फिट हूं... मेरा तन स्वस्थ है... सम्पूर्ण निरोगी है... मैं सम्पूर्ण फिट हूं.. हेल्दी हूं.. खुशी में नाच रहा हूं... मेरा मन स्वस्थ है... हमेशा पॉज़िटिव है... मैं सदा निरोगी हूं! स्वस्थ हूं!

बापदादा मुझे आठवां वरदान दे रहे हैं - शांति का फरिश्ता भव... शांति का फरिश्ता भव... इस वरदान की प्राप्ति से, मुझ फरिश्ता से सर्व आत्माओं को शांति का दान स्वतः मिलता रहेगा... मुझसे सबको शांति का अनुभव होता रहेगा... मेरे हर बोल, कर्म, संकल्प व दृष्टि से आत्माओं को शांति की अनुभूति होगी... स्वयं परमात्मा ने मुझे वरदान दिया है - शांति का फरिश्ता भव! इस संसार में मैं एक अवतरित फरिश्ता हूं... मुझे सर्व आत्माओं को शांति का दान देना है... मैं इस संसार में परमात्मा का भेजा हुआ एक फरिश्ता हूं!

अभी बापदादा मुझे नौवां वरदान दे रहे हैं - सतयुगी दिव्य आत्मा भव... सतयुगी दिव्य आत्मा भव... इस वरदान के माध्यम से बाबा ने मुझे सतयुगी दिव्य आत्माओं के गुण से भरपूर कर दिया है... मैं सोलह कला संपन्न हूं... सम्पूर्ण सतोप्रधान हूं... इस वरदान से जैसे स्वयं परमात्मा ने मुझे सतयुग का श्रेष्ठ पद - राजाई पद का वरदान दिया है! आज से सर्व आत्माओं को मुझसे दिव्य गुणों का अनुभव होगा... शक्तियों का अनुभव होगा... मैं सतयुगी दिव्य आत्मा हूं!

अभी बापदादा मुझे दसवां वरदान दे रहे हैं - बाप समान भव... बाप समान भव... इस वरदान की प्राप्ति से बाबा ने मुझे अपनी सर्व शक्तियां, गुण, वरदान, खज़ाने व ज्ञान जैसे गिफ्ट में दे दी हैं.. ब्लेसिंग में दे दी हैं... आज से मैं एक बाप समान आत्मा हूं... मुझे बाप समान विश्व का कल्याण करना है... संसार की सर्व आत्माओं का कल्याण करना है... सर्व को परमात्म संदेश देना है... मैं बाप समान आत्मा हूं!

हम इन दस वरदानों को दिल से रिपीट करेंगे... इनका गहराई से अनुभव करेंगे - श्रेष्ठ योगी भव! मास्टर सर्वशक्तिवान भव! सम्पूर्ण पवित्र भव! सफलता मूर्त भव! विघ्न विनाशक आत्मा भव! सदा सुखी भव! सदा निरोगी भव! शांति का फरिश्ता भव! सतयुगी दिव्य आत्मा भव! बाप समान भव!

ओम शांति।