108 Yoga Ke Prayog dvara Vibhinna Samasyaon Ka Samadhan

108 Meditation Commentaries - Part-2

BK Rahul


अमृत - सूची

01. परमात्मा की शक्तियों की किरणें अपने शरीर को दें, बड़ी से बड़ी बीमारी भी ठीक हो जायेगी - पेनकिलर मेडिटेशन।

02. पूरे विश्व की आत्माओं को दुख, दर्द व बीमारियों से मुक्त करने के लिए पावरफुल मेडिटेशन।

03. सवेरे उठते ही परमात्मा से लेने हैं ये तीन वरदान, जीवन बनेगा निर्विघ्न - मनचाही सफलता प्राप्त होगी। 04. रोज़ सुबह यह चार बोझ परमात्मा को अर्पण करें.. बहुत हल्का और शक्तिशाली अनुभव करेंगे।

105. मन के संकल्पों से रिश्तें ठीक कैसे करें, मन ही मन करें उनसे बातें.. मनसा सकाश मेडिटेशन।

06. अपने घर के वातावरण को शक्तिशाली बनायें, घर में परमात्मा की शक्तियां फैलायें और घर को मंदिर बनायें।

07. मैं विश्व के ग्लोब पे स्थित लाइट हाउस, माइट हाउस फरिश्ता हूं - मनसा सेवा मेडीटेशन।

08. बीमारी से मुक्त होने के लिए यह मेडिटेशन करें।

09. भोजन बनाते समय परमात्मा को याद कैसे करें.. भोजन को शक्तिशाली बनाएं।

10. परमात्मा को गले लगाकर उनसे दिल की बातें करें।

11. परमात्म सुरक्षा कवच से सर्व समस्याओं, बिमारियों और विघ्नों से स्वयं को और अपने परिवार को सुरक्षित करें।

12. बापदादा और दादियों से शक्तियों, वरदानों का अनुभव - बहुत हल्का और शक्तिशाली अनुभव करेंगे।

13. केवल 21 बार अभी बोलें यह जादुई शब्द, और जीवन में चमत्कार देखें : आपका जीवन सरल बन जाएगा।

14. मास्टर ज्ञान सूर्य स्थिति।

15. बिन्दु रूप स्थिति।

16. अंतिम समय का पुरुषार्थ - मैं प्रकृति की हलचल को साक्षी हो देखने वाली प्रकृतिजीत आत्मा हूं।

17. मैं पुण्य आत्मा हूं - मेडिटेशन कमेंटरी।

18. मैं नम्बरवन आज्ञाकारी आत्मा हूं - मेडिटेशन कमेंटरी।

19. मैं आत्मा सहनशील हूं! सहनशील आत्मा की विशेषताएं, सहनशीलता की शक्ति - मेडिटेशन कमेंटरी।

20. मैं नम्बरवन पूज्य आत्मा हूं - संगमयुग पर पूज्य, तो भविष्य के पूज्य।

21. मैं महान तपस्वी आत्मा हूं - करो तपस्या, मिटे समस्या।

22. मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूं - इस स्वमान से कंट्रोलिंग पावर बढ़ेगी, मन बुद्धि एकाग्र होगी।

23. मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं, मैं सफलता मूर्त हूं, मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा - तीन शक्तिशाली स्वमान अभ्यास।

24. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान, महावीर हनुमान हूं - पूज्य स्वरूप योग कमेंटरी।

25. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं - परमधाम में शक्तिशाली स्थिति।

26. 45 मिनट अमृतवेला योग की सहज विधि।

27. मन की शांति हेतु मेडीटेशन - नए भाई-बहनों के लिए।

28. रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला मेडिटेशन - किसी भी रोग से स्वयं को सुरक्षित रखें।

29. खुशी व सफलता के लिए सुबह की शुरुआत इन प्रेरणादायी वाक्यों से करें.. (मुरली से लिए गए कुछ महावाक्य)।

30. अंगद समान स्थिति।

31. क्या जन्मपत्री में लिखा बदला जा सकता है? अपना भाग्य बदलें - जो चाहें, वह पाएं।

32. अपने पापकर्म भस्म करनेवाला बीस मिनट पावरफुल ज्वालामुखी - राजयोग मेडिटेशन।

33. अमृतवेला योग - 30 मिनट परमधाम में एकाग्र होने की सहज विधि।

34. जब भी मन उदास हो, कोई चिंता, दुःख, टेंशन या परेशानी हो तो सिर्फ दस मिनट यह मेडिटेशन करें।

35. दिनभर कर्म करते सदा खुश रहने के लिए तीन संकल्प।

36. पांच मिनट में परेशान मन को शांत करें।

37. पांच मिनट ट्रैफिक कंट्रोल - पीसफुल मेडिटेशन।

38. पांच स्वरूप का अभ्यास।

39. संगमयुग तन-मन-धन और समय सफल करने का युग ! अभी नहीं तो कभी नहीं.. Self Checking Meditation ।

40. सवेरे उठते ही और सोने से पूर्व करें यह 4 संकल्पों का अभ्यास | Reprogram Your Subconscious Mind ।

41. रोज़ अमृतवेला इस एक संकल्प का अभ्यास जरूर करें - बाबा, मैं जो भी हूं, जैसी भी हूं, आपकी हूं।

42. दिमाग को शक्तिशाली बनाने के लिए मेडिटेशन | Increase Brain Power, Enhance Intelligence ।

43. निमित्त भाव का अभ्यास - करावनहार परमात्मा करा रहे हैं, मैं इंस्ट्रूमेंट हूं।

44. पूरा दिन कर्म करते बीच-बीच में 5 मिनट में परमात्म शक्तियों से खुद को ऐसे करें चार्ज।

45. ब्रह्म मुहूर्त में खुलते हैं खज़ानों के दरवाज़े | Secrets of Brahma Muhurta ।

46. ब्राह्मण सो फरिश्ता सो देवता।

47. मुश्किल परिस्थिति में बुद्धि को स्थिर और शांत कैसे रखें - मेडिटेशन कमेंटरी।

48. मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं, सफलतामूर्त हूं - मनचाही सफलता प्राप्त करने के लिए यह अभ्यास करें।

49. यदि आप परमात्मा बाप के प्यार में मग्न रहने लगो, तो जन्म-जन्म संबंधो में प्यार मिलता रहेगा।

50. 25 स्वमान का अभ्यास।

51. योग नहीं लगता और Visualize नहीं होता तो यह अभ्यास करें - एकाग्रता बढ़ेगी।

52. योग में मन को शांत करने के लिए 5 स्टेप्स Meditation।

53. योग में मन भटकता है तो यह अभ्यास करें, योग सहज होगा।

54. रात सोने से पहले यह संकल्प करें | Peaceful Night Affirmations Before You Sleep ।

55. रोज़ सवेरे उठते ही इन 6 बातों का समर्पण करें।

56. रोज़ सुबह इन संकल्पों का अभ्यास करें | Powerful Positive Morning Affirmations ।

57. मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है.. सवेरे उठते ही और रात सोने से पहले 10 मिनट अनुभव करें।

58. लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करने की विधि।

59. शुभभावना और शुभकामना - हर दिन बस 10 मिनट इस विधि से दुआएं दो और दुआएं लो।

60 . सूक्ष्मवतन में हज़ारों फरिश्तों का अनुभव और मनसा सेवा - अनोखा और शक्तिशाली अनुभव | Angel Meditation ।

61. सूक्ष्मवतन में फरिश्ता स्वरूप के 8 अभ्यास।

62. सूक्ष्म वतन में मालिश का अनुभव - दिमाग, शरीर और स्थिति की सारी थकावट दूर करें।

63. सूक्ष्म शरीर से सूक्ष्म जगत की यात्रा | Astral World Experience Through Astral Body ।

64. सुबह और शाम परमात्मा से लेने हैं यह 4 वरदान - बड़ी से बड़ी बीमारी भी ठीक हो जायेगी।

65. सुबह और शाम परमात्मा से कंबाइंड होकर करें यह 10 संकल्प।

66. सवेरे उठते ही करने हैं यह 3 संकल्प | Meditation for Success ।

67. सिर दर्द हो या कोई भी शरीर का दर्द - यह मेडिटेशन करते ही पल भर में ठीक होगा | Pain Relief Meditation ।

68. सिर्फ इन दो शक्तियों की बचत करें - एकाग्रता बढ़ेगी, योग सहज हो जायेगा।

69. हर सुबह इन दो वरदानों का अभ्यास ज़रूर करें.. बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त होंगे।

70. हर सुबह अपने आप से यह पांच बातें कहें | Morning Motivational Meditation।

71. तपस्या की अग्नि : संस्कार परिवर्तन योग, जिससे सभी विघ्न, कमी व कमज़ोरियां समाप्त होंगी।

72. रोज़ सवेरे सिर्फ 10 मिनट अनुभव करें यह पुरानी दुनिया कब्रिस्तान है : बेहद का वैराग्य मेडिटेशन।

73. योग को शक्तिशाली व स्थिति को एकरस बनाने वाले शिवबाबा के चुने हुए महावाक्य।

74. मेडिटेशन द्वारा किसी की बीमारी ठीक करें | Healing Meditation।

75. यह 21 दिन करें और पहला पाठ पक्का करें - मैं आत्मा हूं।

76. रोज़ 10 मिनट विश्व के ग्लोब पे स्थित होकर संसार को दुआएं दें, आपके अनेक कष्ट दूर हो जाएंगे।

77. एकाग्रता से सर्व प्राप्तियों और सर्वशक्तियों का अनुभव - सर्व समस्याओं का समाधान - एकाग्रता की शक्ति।

78. योग करने की सबसे प्यारी और आसान विधि - एक बाबा ही मेरा संसार है - हर दिन यह एक मेडिटेशन ज़रूर करें।

79. अष्टावक्र और राजा जनक की इस कहानी को समझ लीजिये, सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जायेगा - 5 Min Meditation ।

80. सवेरे उठते ही परमात्मा से यह एक वरदान लें - हर बात में 100% सफलता होगी - असंभव भी संभव हो जायेगा।

81. 15 मिनट परमात्म सुरक्षा कवच - योग कमेंट्री।

82. बीमारी से परेशान हैं, दवाईयां काम नहीं कर रहीं - यह प्रयोग करें।

83. मुश्किलें कितनी भी हों, असंभव कुछ भी नहीं - हर दिन बस 5 मिनट यह मेडिटेशन करें।

84. जब भी कोई डर, चिंता या घबराहट होने लगे तो यह संकल्प करें।

85. सवेरे उठते ही परमात्मा से यह दो वरदान लें - तन और मन के सभी कष्ट दूर हो जाएंगें।

86. कितनी भी चाहे बीमारी या कष्ट हो, किसी से भी वर्णन न करें | किसी भी रोग से परेशान हैं तो अवश्य पढ़ें।

87. गुप्त दान महा पुण्य - सेवा करते यह 5 बातें इमर्ज हो तो जमा का खाता बढ़ता जायेगा।

88. एक परमात्म प्यार में मग्न होना ही संपूर्ण ज्ञान है।

89. परिस्थितियों में शिवबाबा की मदद कैसे लें.. भगवान के महावाक्य को यूज़ कर बीमारी कैसे दूर करें।

90. रोज़ सवेरे परमात्मा से लेना है यह एक वरदान, इस एक वरदान में सभी वरदान समाए हुए हैं।

91. मधुबन चार धाम की यात्रा - शक्तिशाली योग कमेंट्री।

92. कल्पवृक्ष को सकाश : विश्व की सभी आत्माओं की मनसा सेवा - दुआएं दो और दुआएं लो।

93. अंत समय में जब भोजन नहीं मिलेगा, तब यह एक अभ्यास ही काम आएगा।

94. आत्मा को बहुत शक्तिशाली बना देगा यह एक वरदान - निरंतर योगी भव।

95. संसार के सबसे बड़े 5 पुण्य कर्म | सच्चा पुण्य जमा करने की विधि।

96. अमृतवेले बहुत सुंदर योग की नई विधि का अनुभव : 8 शक्तियां, 9 खज़ाने - अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां।

97. यदि जीवन में बहुत विघ्न या कष्ट हैं... तो बस 21 दिन इस विधि से एक घंटा अमृतवेले मेडिटेशन करें।

98. योग की नई और अनोखी विधि - यह शरीर एक बॉक्स है, इसके अंदर मैं आत्मा एक हीरा हूं।

Section || अव्यक्त बापदादा ड्रिल

99. बीच बीच में ड्रिल करने की विधि और उसके फायदे। अव्यक्त बापदादा - 12-12-98 |

100. अपने मन मंत्री को विदेही बनने का ऑर्डर दो। अव्यक्त बापदादा 11-11-2000 |

101. अभी अभी मालिक, अभी अभी बालक ड्रिल। अव्यक्त बापदादा - 31-12-03 |

102. मैं फरिश्ता सो देवता हूं। अव्यक्त बापदादा - 02-11-04 |

103. बुरी दृष्टि वाले को आप नहीं, लाइट दिखेगी। अव्यक्त बापदादा - 15-12-08 |

104. दिन में 24 बार ड्रिल करने की आवश्यकता। अव्यक्त बापदादा - 31-12-09 |

105. परिस्थितियों के बीच में मन को कंट्रोल करने की ड्रिल। अव्यक्त बापदादा - 28-02-10 |

106. 12 बार निराकारी रूप और 12 बार फरिश्ता स्वरूप में स्थित रहो। अव्यक्त बापदादा 15-12-09 |

107. 5 स्वरूप की ड्रिल। अव्यक्त बापदादा 30-11-2010 |

108. मैं आत्मा, मेरा बाबा - चढ़ती कला की ड्रिल। अव्यक्त बापदादा 21-10-05 |


01. परमात्मा की शक्तियों की किरणें अपने शरीर को दें - बडी से बडी बीमारी भी ठीक हो जायेगी.. Pain Killer Meditation

ओम शांति।

परमात्मा की याद में रहने से शरीर के रोग जो तंग करते हैं, वह भी स्वतः ठंडे हो जायेंगे। तो आज हम परमात्म याद द्वारा परमात्म शक्तियों की किरणें अपने शरीर को देंगे। जितना जितना हम यह मेडिटेशन करेंगे, उतना हम शांत और रिलेक्स महसूस करेंगे। शरीर से हम बहुत ही लाइट और हल्का महसूस करेंगे। जितना जितना शरीर से हम हल्का महसूस करेंगे, शरीर की व्याधि या जो भी रोग है, वो स्वतः ही शांत होता जाएगा। और स्वतः ही शरीर से हम निरोगी और स्वस्थ बनेंगे। यह मेडिटेशन एक पेन किलर की तरह काम करेगा। चलें शुरू करते हैं।

फील करेंगे मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूं.. मस्तक के बीच में एक चमकता सितारा... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... मैं आत्मा इस शरीर को चलाने वाली इस शरीर की मालिक हूं... यह शरीर अलग हैं और मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूं... पूरी तरह से डिटैच हो जाएंगे अपने इस स्थूल शरीर से और बस एकाग्र रहेंगे अपने इस आत्मिक स्वरूप पे... अभी हम फील करेंगे आंखो के सामने परमपिता परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप... ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान... अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... जैसे फाउंटेन की तरह परमात्मा शिवबाबा से शांति की लाइट निकल कर मुझ आत्मा बिंदु में समाती जा रही है... पूरी तरह से एकाग्र हो जायेंगे इस स्थिति में.. मुझ आत्मा में निरंतर शांति की किरणें समाती जा रही हैं... मेरा कोई भी संकल्प नहीं.. मैं आत्मा पूरी तरह से सरेंडर हूं परमात्मा शिवबाबा को... मैं पूरी तरह से शांत हूं... अभी फील करेंगे यह शांति की किरणें मुझ आत्मा में समा कर हमारे पूरे शरीर में फैल रही हैं.. अनुभव करेंगे धीरे धीरे यह किरणें मुझ आत्मा बिंदु से निकल हमारे पूरे ब्रेन मैं फेल रही हैं.. मस्तिष्क शांत हो चुका है.. धीरे धीरे यह किरणें नीचे आंखो में, कानो में, नीचे गर्दन, दोनों कंधे, हाथों की उंगलियों तक फैल चुकी हैं... धीरे धीरे यह किरणें हमारे हृदय, फेफड़ों, पेट तक.. अब नीचे पैरो की उंगलियों तक यह शांति का प्रवाह फैल चुका है... मानो हमारा शरीर एक लाइट का शरीर बन चुका है.. सफेद प्रकाश चमक रहा है.. पूरा शरीर मानो सफेद रंगों के शांत किरणों से जगमगा उठा है... मेरा शरीर शांत और रिलैक्स हो चुका है.. इसी स्थिति में हम दो मिनिट एकाग्र रहेंगे - परमात्मा शिवबाबा से शांति की किरणें निकल मेरे पूरे शरीर में फैल रही हैं....

अभी हम फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा से लाल रंग की शक्तियों की किरणें निकल हमारे पूरे शरीर में फैल रही हैं.. यह लाल शक्तियों का प्रकाश मुझ आत्मा को और हमारे शरीर को शक्तिशाली बना रहा है.. परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान.. मैं उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... अनुभव करेंगे यह लाल दिव्य शक्तियों का प्रकाश मुझ आत्मा से निकल ऊपर ब्रेन में फैल चुका है और धीरे-धीरे हमारे पूरे शरीर में फैल चुका है... मानो हमारा शरीर लाल प्रकाश से जगमगा उठा है.. शरीर के एक एक अंग में, एक एक मांसपेशियों में यह किरणें फैल चुकी हैं... इन किरणों से हमारा शरीर बहुत ही शक्तिशाली बन चुका है.. मैं आत्मा बहुत ही शक्तिशाली बन चुकी हूं... मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ है, सम्पूर्ण निरोगी है... भगवान हमें वरदान दे रहे हैं - "बच्चे, सदा स्वस्थ भव! सदा निरोगी भव! मास्टर सर्वशक्तिवान भव! सदा सुखी भव!" तीन मिनट तक हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे - परमात्मा शिवबाबा से दिव्य लाल शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा कर पूरे शरीर में फैल चुकी हैं.. और हम बहुत ही शक्तिशाली बन चुके हैं...

अभी संकल्प करेंगे - मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मैं सफलता मूर्त हूं... मेरा शरीर पूरी तरह से स्वस्थ है... मैं निरोगी हूं... जहां परमात्मा साथ हैं, वहां कोई कुछ नहीं कर सकता! भगवान हमेशा मेरे साथ हैं! भगवान अपने बच्चों को सदा तन से, मन से और धन से सहज रखेंगे- यह बाप की गारंटी है!

हमें यह मेडिटेशन दिन भर में कम से कम तीन-चार बार करना है। और जो भी दवाई हम लेते हैं, या जब भी हम पानी पीते हैं, हम सात बार संकल्प करेंगे - मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! सम्पूर्ण स्वस्थ हूं! और इस प्रकार वह दवाई पानी या भोजन स्वीकार करेंगे। इक्कीस दिन के ही प्रयोग से हम इसके बहुत ही सुंदर रिजल्ट देखेंगे और जितना जितना यह मेडिटेशन हम करेंगे, उतना हम पूरी तरह से स्वस्थ बनेंगे।

ओम शांति।


 

02. पूरे विश्व की आत्माओं को दुख, दर्द, बीमारियों से मुक्त करने के लिए - Powerful Meditation

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को परमधाम में.. शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर... परमपिता परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर... सर्व गुणों के सागर... सर्वशक्तिवान.. उनसे अनंत किरणें सारे संसार में फैल रही हैं... फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा से सुख और शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा बिंदु में समाती जा रही हैं... परमपिता परमात्मा शांति के सागर.. मैं उनकी संतान मास्टर शांति का सागर हूं.. मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. बाप समान विश्व सेवक हूं.. उनसे सुख शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा में निरंतर समाती जा रही हैं... और मुझ आत्मा से चारों ओर यह अनंत सुख शांति की किरणें फैल रही हैं... अभी बुद्धि रूपी नेत्र के सामने हम इमर्ज करेंगे संसार की सर्व आत्माओं को.. पृथ्वी के पूरे ग्लोब को.. और फील करेंगे निरंतर शिवबाबा से सुख शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा कर, इस सारे ग्लोब को मिल रही हैं.. और संसार की सर्व आत्माओं को यह सुख और शांति की किरणें मिल रही हैं.....

संसार में अनेक दुखी अशांत आत्माएं बाबा को और हम फरिश्तों को पुकार रही हैं, चिल्ला रही हैं... यह हम पूर्वज आत्माओं को आवाज दे रही हैं - शांति दे दो.. जरा सा सुख की अंजलि दे दो... इन सर्व आत्माओं को सुख और शांति की अंजलि मिल रही है... और इनके मन के सर्व दुख, अशांति, कष्ट, रोग सब नष्ट हो रहे हैं.. समाप्त हो रहे हैं......

संसार में अनेक मानसिक और शारीरिक बीमारियों से तड़पती आत्माएं शांत हो रही हैं... वे मन से बहुत राहत महसूस कर रही हैं... निरंतर हमसे इन सर्व आत्माओं को सुख शांति की किरणें मिल रही हैं और वे सम्पूर्ण शांत हो रहे हैं... जैसे कि हम परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हैं, परमात्मा शिवबाबा मुझ द्वारा इन सर्व आत्माओं को शांत कर रहे हैं... अनुभव करेंगे यह सर्व आत्माएं शांत हो चुकी हूं, सुखी हो चुकी हैं.. निरंतर अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से सुख शांति की किरणें इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.. पृथ्वी के पूरे ग्लोब को मिल रही हैं.. प्रकृति के पांचों ही तत्व शांत हो चुके हैं.. स्थिर हो चुके हैं.. संसार की सर्व आत्माओं का मन शांत हो रहा है.. उनके मन से सर्व दुख, अशांति, व्यर्थ, नेगेटिविटी नष्ट हो चुकी है.. वह दिल से हमें और बाबा को शुक्रिया कह रहे हैं.. हम दो मिनट एकाग्र हो जाएंगे - निरंतर शिवबाबा से सुख शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा कर, संसार की सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.. और संसार की सर्व दुखी, अशांत, तड़पती आत्माएं शांत हो रही हैं.. सर्व दुख, अशांति, कष्ट, रोग सब नष्ट हो रहे हैं, समाप्त हो रहे हैं.......

ओम शांति।



03. सवेरे उठते ही परमात्मा से लेने हैं ये 3 वरदान। जीवन बनेगा निर्विघ्न - मनचाही सफलता प्राप्त होगी

ओम शांति।

अनुभव करेंगे मैं आत्मा... एक चमकता सितारा... मस्तक के बीच में... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्म इंद्रियों की मालिक.... अनुभव करेंगे मैं एक शक्तिशाली आत्मा हूं... फील करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... visualise करेंगे मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में... मैं एक अवतरित फरिश्ता हूं... अनुभव करेंगे मुझ फरिश्ता से रंग बिरंगी दिव्य शक्तियों की किरणें चारों तरफ फैल रही हैं... अभी मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ दिव्य सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा, मुझे दृष्टि दे रहे हैं... उनकी दृष्टि से दिव्य किरणें मुझमें समा रही हैं... अनुभव करेंगे परमात्म साथ का सुख.... बापदादा के सामने बैठ जाएं.. और फील करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... जैसे उनका हाथ हमारी छत्रछाया बन चुका है.... फील करेंगे इन हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल, मुझ आत्मा में और संपूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रहा है.... बहुत शक्तिशाली अनुभव है यह... फील करेंगे यह शक्तिशाली अनुभव- बाबा के हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश मानो हमें घेरे हुए है... एक सुरक्षा कवच बनाए हुए है... इस सुरक्षा कवच में मैं सदैव सुरक्षित हूं... शक्तिशाली हूं... निर्भय हूं... इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे और एक एक वरदानों का अनुभव करेंगे.... पहला वरदान बापदादा हमें दे रहे हैं - मास्टर सर्वशक्तिवान भव... मास्टर सर्वशक्तिवान भव... इस वरदान की प्राप्ति से परमात्म शक्तियां जैसे मुझे वरदान में मिल श चुकी हैं! मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! मैं शिव शक्ति हूं! मैं परमात्मा शिवबाबा से सदैव कंबाइंड हूं! परमात्म शक्तियां सदैव मेरे साथ हैं! जहां परमात्म शक्तियां साथ हैं, वहां हर कार्य में सफलता हुई पड़ी है! सहज ही हम हर कार्य में सफल बनेंगे!

अभी बापदादा हमें दूसरा वरदान दे रहे हैं - बच्चे निर्विघ्न भव! निर्विघ्न भव! इस वरदान की प्राप्ति से जीवन में चलते-चलते जो भी पेपर्स आते हैं, विघ्न आते हैं, समस्याएं आती हैं, वह चाहे धन का पेपर हो, संबंधों का हो, शरीर का हो या कोई भी कार्य में अन्य परिस्थिति हो, इन सभी परिस्थितियों को हम सहज ही निर्विघ्न हो पार करेंगे! इन विघ्नों में हम शक्तिशाली बने रहेंगे! हम स्थिर रहेंगे, अचल अडोल रहेंगे! विघ्न ऐसे पार हो जाएगा, जैसे सूली से कांटा बन जाएगा! जहां परमात्म शक्तियां साथ हैं, वहां कोई भी कुछ कर नहीं सकता! इस संसार की कोई भी नेगेटिविटी टच भी नहीं कर सकती! अभी बापदादा हमें तीसरा वरदान दे रहे हैं - सफलता का सितारा भव! सफलता का सितारा भव! इस वरदान की प्राप्ति से हमें हर कार्य में, हर क्षेत्र में सफलता अवश्य मिलेगी.... क्योंकि स्वयं भगवान ने हमें वरदान दिया है! सफलता का सितारा भव...! मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है! परमात्मा सदैव मेरे साथ हैं! हर कार्य में मैं विजयी हूं! हर क्षेत्र में, हर कार्य में, वह चाहे पढ़ाई हो, जॉब हो, कोई बिजनेस हो, हर कार्य में मैं सफल हूं! मैं विजयी हूं! सफलता का सितारा हूं! स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिए हैं- मास्टर सर्वशक्तिवान भव...! निर्विघ्न भव...! सफलता का सितारा भव...! मास्टर सर्वशक्तिवान भव! निर्विघ्न भव! सफलता का सितारा भव....!

ओम शांति।


04. रोज़ सुबह यह 4 बोझ परमात्मा को अर्पण करें..  बहुत हल्का और शक्तिशाली अनुभव करेंगें..

ओम शांति।

परमात्मा कहते हैं तुम सदा हल्के रहो। जहां कोई मुश्किल कार्य आए तो वह मुझे अर्पण कर दो, तो मुश्किल सहज हो जाएगी। जितना जितना हम ज़िम्मेदारी व बोझ शिवबाबा को अर्पण करेंगे, उतना हम हल्के रहेंगे, खुश रहेंगे और हमारा हर कार्य सहज होता जाएगा। तो आज हम 4 प्रकार के बोझ बाप को अर्पण करेंगे। यह अभ्यास करने से हम बहुत ही लाइट फील करेंगे। जितना हम लाइट होते जाएंगे, हल्के होते जाएंगे, उतना ही हमें परमात्मा की माइट मिलेगी, अर्थात शक्ति मिलेगी और हमारे जीवन में सबकुछ राइट होता रहेगा। तो यह 4 बातों का समर्पण चलें शुरू करते हैं..

एकाग्र करेंगे मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक चमकता सितारा... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं बहुत ही लाइट और हल्का महसूस कर रही हूँ... अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश की ओर... आकाश, चांद, तारों को पार कर पहुंच गया सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने हमारे परमात्मा शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरूप में... हमें प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं... और हमें दिल से गले लगा रहे हैं... यह परमात्म मिलन की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ अनुभूति है... हम बहुत ही हल्का और शांत महसूस कर रहे हैं... अभी बापदादा के सामने बैठ जाएं और फील करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... अभी हम एक एक बोझ उन्हें अर्पण करेंगे...

पहला बोझ हम अर्पण करेंगे तन का बोझ। बाबा मेरा यह तन आपको अर्पण है... आज से यह शरीर आपका है.. आप जैसे चलाना चाहो, चला सकते हो। तन का बोझ देने से हम बहुत ही हल्का महसूस कर रहे हैं... जितना जितना हम तन को परमात्म अर्पण करेंगे, उतना ही हम शरीर से लाइट रहेंगे... जो भी व्याधि या बीमारी शरीर में है, वह स्वत ही शांत होती जाएगी... और हम सदा निरोगी और स्वस्थ अनुभव करेंगे...

अभी हम दूसरा बोझ बाबा को अर्पण करेंगे मन के संकल्पों का बोझ। बाबा यह मन आपका है.. आज से हमारा कोई भी नेगेटिव या व्यर्थ संकल्प नहीं है... हम अपने सभी कमी कमजोरियां और कमजोर संकल्प आपको अर्पण करते हैं... हम हल्के हैं... आज से मेरे सर्व संकल्प श्रेष्ठ संकल्प हैं... परमात्म श्रीमत के अनुसार हैं... मन को अर्पण कर मैं पूरी तरह से निरसंकल्प हूँ....

अभी हम तीसरा समर्पण करेंगे धन का समर्पण। बाबा जो भी धन संपत्ति हमारे पास है, यह आपकी ही देन है... हम आपको मन बुद्धि से यह धन संपत्ति का समर्पण करते हैं... यह सर्व बोझ आपको अर्पण करते हैं... आज से मैं इसे ट्रस्टी बन संभालूंगा... और आपके श्रीमत अनुसार इसे यूज करूंगा... यह धन पवित्र धन है... धन को परमात्म अर्पण करने से वह धन पवित्र धन बन जाता है... और हम इस धन में वृद्धि का अनुभव करते हैं... हमारे घर की भंडारी अनगिनत रूप से भरपूर होती जाएगी... हम सुख समृद्धि का अनुभव करेंगे...

अभी हम बाबा को चौथा समर्पण करेंगे- सर्व संबंधों का समर्पण। हमारे जो भी रिश्ते हैं, हम सर्व संबंध परमात्मा को अर्पण करते हैं... जो भी हमारे मन में इन संबंधों के प्रति बोझ है, चिंताएं हैं, व्यर्थ संकल्प हैं, या किसी के प्रति नेगेटिव भाव है हम उन्हें परमात्म अर्पण करते हैं... पूरी तरह से अर्पण करके हल्का महसूस करें... जितना हम सर्व संबंध परमात्मा को अर्पण करेंगे, उतना स्वतः ही सभी के साथ हमारा संबंध अच्छा होता जाएगा! बाबा आज से हमारे सर्व संबंध आपके साथ हैं!!!! मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए... मेरा सबकुछ तेरा!! मेरा सबकुछ तेरा!! बहुत ही लाइट और हल्का महसूस करें... और मन ही मन रिपीट करें- बाबा हमारा तन मन धन और सारे संबंध संपर्क आपको अर्पण हैं!! यह सबकुछ आपका है... हम निश्चिंत हैं... हल्के हैं... सबकुछ तेरा!! सबकुछ तेरा!! सबकुछ तेरा....!!

ओम शांति।


05. मन के संकल्पों से रिश्ते ठीक कैसे करें - मन ही मन करें उनसे बातें - Mansa Sakash Meditation

ओम शांति।

यह एक कर्म का सिद्धांत है कि जो हम देते हैं, रिटर्न में हमें वहीं मिलता है। यदि हमारे मन में किसी व्यक्ति के प्रति नेगेटिव संकल्प चल रहे हैं, उनके प्रति अशुद्ध भाव है, तो इससे यह सिद्ध होता है कि सामने वाले व्यक्ति के मन में भी हमारे लिए नेगेटिव भाव हैं, उनके मन में हमारे प्रति नफरत या घृणा भाव है। तो यह रिश्ता ठीक करने के लिए पहले हमें हमारे संकल्पों को चेंज करना है, उनके प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रखनी है, उनके लिए शुभ सोचना है। हर दिन पांच मिनट यह मेडिटेशन करने से जिस आत्मा के साथ हम रिश्ते ठीक करना चाहते हैं, उन्हें पॉजिटिव और प्यार के वाइब्रेशन देंगे। प्यार के वाइब्रेशन देने से धीरे धीरे हम 21 दिन में ही इसका बहुत सुंदर परिणाम देखेंगे। और हर दिन यह 5 मिनट मेडिटेशन करने से हमारा रिश्ता स्वतः ही ठीक होता जाएगा, इस मेडिटेशन से हम चमत्कार देखेंगे। हम अनुभव करेंगे सामने वाली आत्मा स्वतः ही हमारे साथ अच्छा व्यवहार कर रही है। हमें यह एक जादू सा अनुभव होगा। तो प्यार के वाइब्रेशन किसी व्यक्ति या हमारे सर्व रिश्तों को देने से हमारे सभी रिश्ते बहुत ही सुन्दर होने लगते हैं। फलस्वरूप किसी के प्रति नेगेटिव भाव को पॉजिटिव में परिवर्तित करने से पहले हम मन की शांति और आनंद का अनुभव करेंगे, और सामने वाली आत्मा की हमें रिटर्न में दुआएं मिलेंगी। उनका व्यवहार हमारे प्रति सुखदाई होगा। तो यह 5 मिनट मेडिटेशन चलें शुरू करते हैं..

ओम शांति। अनुभव करेंगे मैं एक प्वाइंट ऑफ लाइट... ज्योति स्वरूप... अपने मस्तक के बीच में... देखें मैं फोरहेड के बीच में एक ज्योति स्वरूप... एक चमकता सितारा... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... इस शरीर से पूरी तरह अलग हूं... मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर शांति है... प्यार है... गहराई से फील करेंगे मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा, शांत हूँ... बहुत प्यारी हूँ... मुझे सबको प्यार देना है... मुझे सबको दुआएं देनी हैं... पूरी तरह से हम एकाग्र हैं अपने इस आत्मिक स्थिति में... और सामने हम विजुअलाइज करेंगे उस व्यक्ति को, जिनके साथ हमारा रिश्ता कुछ समय से ठीक नहीं है... उन्हें सामने देखेंगे... वह व्यक्ति एक लाइट स्वरूप में, एक चमकता सितारा... देखें अभी उस व्यक्ति के साथ बहुत प्यार से दिल से बातें करेंगे- पास्ट में हमसे जाने अनजाने जो भी गलती हुई हो, हमने आपको कुछ बुरा कहा हो, या आपके प्रति कुछ बुरा सोचा हो, उन सभी बातों को फुल स्टॉप लगा कर हम आपसे क्षमा मांगते हैं... हमें माफ कर दीजिए... जाने अंजाने हमसे गलती हुई, हमें माफ कर दीजिए... और जाने अनजाने आपसे कोई गलती हुई हो, हमारे लिए आपने कुछ negative बोला हो या सोचा हो, उसके लिए हम आपको पूरी तरह से माफ करते हैं... हम पूरी तरह से बिना किसी शर्त के (unconditionally) आपको माफ कर रहें हैं... यह स्थिति पूरी तरह से संकल्पों से मुक्त है... हमारा पास्ट का नेगेटिव हिसाब किताब इस व्यक्ति के साथ समाप्त हो चुका है... अभी देखेंगे मुझ आत्मा से प्यार की किरणें निकल सामने बैठी उस आत्मा को मिल रही हैं.... हम इन किरणों को हरे रंग के रूप में भी देख सकते हैं.... देखें उस आत्मा को ये प्यार के हरे रंग की किरणें मिल रही हैं.... हमारे मन में इस व्यक्ति के लिए बहुत प्यार है.... हम इन्हें प्यार के वाइब्रेशन दे रहे हैं.... यह आत्मा इन किरणों से पूरी तरह से तृप्त है.... संतुष्ट हो चुकी है.... देखेंगे इन प्यार की किरणें से इनके मन के सभी नेगेटिव भाव समाप्त हो चुके हैं... और इनके मन में हमारे प्रति प्यार है... जो हम उन्हें देते हैं, हमें रिटर्न में डबल होकर मिल रहा है... हमारे यह रिश्ता बहुत प्यारा है... हमारे सभी रिश्ते बहुत प्यारे हैं....

हमें दिन भर में यह मेडिटेशन सुबह और शाम पांच-पांच मिनट करना है। हम एक साथ अनेक आत्माओं को भी सामने इमर्ज कर सकते हैं। और दिनभर में हमें यह अटेंशन रखना है कि उस व्यक्ति के प्रति कुछ नेगेटिव भाव, नेगेटिव संकल्प या घृणा का संकल्प नहीं लाने हैं। और ना ही उनके प्रति किसी को कुछ नेगेटिव बोलना है। तो इस विधि से हम कुछ ही समय में एक चमत्कार देखेंगे! हमारा रिश्ता स्वतः ही ठीक हो जाएगा।

कुछ ही समय में बहुत ही प्यारा हो जाएगा। हमारे घर में सभी के साथ रिश्ता बहुत अच्छा हो जाएगा। घर में स्वतः ही सुख शांति बनी रहेगी।

ओम शांति।


06. अपने घर में भगवान की शक्ति फैलाएं

ओम शांति।

चारों ओर के सर्व संकल्पों को समेट कर, स्थित करेंगे अपने आप को मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक चमकता सितारा... प्वाइंट ऑफ लाइट... अपने फोरेहेड के बीच में... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्मेंद्रियों की मालिक... पूरी तरह से मैं आत्मा एकाग्र हूँ अपने ओरिजिनल स्वरूप में- ज्योति स्वरूप... अभी एकाग्र करेंगे परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप हमारे सिर के ऊपर... जैसे वे हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर... गुणों के सागर... सर्वशक्तिवान... मैं उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से दिव्य शक्तियों का लाल प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... दिव्य शक्तियों का यह लाल प्रकाश, मैं आत्मा इन किरणों से भरपूर बन रही हूँ... पूरी तरह से एकाग्रचित्त हूँ... मैं आत्मा परमानंद का अनुभव कर रही हूँ... फील करेंगे परमात्म साथ को... और उनकी शक्तियों को... मैं आत्मा इन दिव्य शक्तियों की किरणों से भरपूर हो चुकी हूँ... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ...

देखें, परमात्मा शिवबाबा से निरंतर मुझ आत्मा में शक्तियों की किरणें समा रही हैं... और हमारे पूरे शरीर में फैल रही हैं... ऊपर मस्तिष्क से लेकर नीचे पैरों तक यह किरणें फैल रही हैं... हर एक अंग, हर एक मांसपेशियों, एक एक बोन में यह किरणें फैल चुकी हैं... और हमारा शरीर मानो लाल रंग के किरणों से जगमगा उठा है... जैसे स्थूल शरीर दिखाई नहीं दे रहा... मुझ आत्मा से शक्तियों का दिव्य प्रकाश निकल हमारे पूरे सुक्ष्म शरीर में फैल चुका है... और धीरे धीरे अनुभव करेंगे यह किरणें हमें घेरे हुए एक सुरक्षा कवच बना चुकी है... जैसे हमारा पूरा स्थूल शरीर और सुक्ष्म शरीर एक सुरक्षा कवच से घिरा हुआ है... परमात्मा ने जैसे एक सुरक्षा कवच का गोल सर्किल हमें घेरे हुए बनाया है... शक्तियों का ऑरा हमें घेरे हुए हैं... इन परमात्म किरणों में मैं सदा शक्तिशाली हूँ.. सुरक्षित हूँ.. निर्भय हूँ... परमात्मा से मैं कंबाइंड हूं.... कंबाइंड स्वरूप की स्मृति ही सर्वश्रेष्ठ स्मृति है... इस स्मृति में हर असंभव कार्य भी संभव हो जाएगा... इस सुरक्षा कवच में मैं बहुत शक्तिशाली हूँ...

अभी अनुभव करेंगे यह सुरक्षा कवच फैल कर हमारे पूरे घर में यह किरणें फैल रही हैं... देखें, पूरे घर में, घर के कोने-कोने तक,हर कमरे तक यह परमात्म शक्तियों का दिव्य प्रकाश फैल चुका है... मानो पूरा घर लाल प्रकाश से जगमगा उठा है... जहां परमात्मा साथ हैं, जहां उनकी शक्तियां साथ हैं, वहां कोई कुछ नहीं कर सकता... यह घर परमात्मा का घर है... यहां के सभी सदस्य परमात्मा की संतान हैं... वे सदा सुरक्षित हैं... इस घर की भंडारी और भंडारे सदा भरपूर हैं... यहां कोई भी कमी नहीं है... परमात्म साथ और परमात्म किरणों से यह घर जगमगा उठा है... इस सुरक्षा कवच में कोई भी नेगेटिविटी हमें टच भी नहीं कर सकती.. हम सदा शक्तिशाली हैं... सुरक्षित हैं... निर्भय हैं... सदा निर्विघ्न हैं... हम बहुत सुखी हैं... पूरा घर लाल प्रकाश से जगमगा उठा है...

ओम शांति।


07. मैं विश्व के ग्लोब पे स्थित लाइट हाउस, माइट हाउस फरिश्ता हूं – मनसा सेवा मेडीटेशन

ओम शांति।

अनुभव करेंगे मैं एक प्वाइंट ऑफ लाइट.. चमकता सितारा.. अपने मस्तक के बीच में मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूं.. मैं पूरी तरह से अपने आत्मिक स्वरूप पर एकाग्र हूं... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... मैं परमात्मा की संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... अनुभव करेंगे हमारे सिर के ऊपर परमपिता परमात्मा शिवबाबा हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... परमपिता परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर... गुणों के सागर... सर्वशक्तिवान... मैं आत्मा उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं अनुभव करेंगे शिवबाबा से दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.. परमात्म दिव्य शक्तियों का प्रकाश, ज्ञान, गुणों और शक्तियों से भरपूर मुझ आत्मा में समाते जा रहा है.. यह किरणें मुझे भरपूर कर रही हैं... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... अनुभव करेंगे मैं एक लाइट हाउस, माइट हाउस फरिश्ता हूं... मैं आत्मा और मेरा सूक्ष्म शरीर परमात्म दिव्य शक्तियों से जगमगा उठा है... मैं एक फरिश्ता हूं... परमात्मा का एक इंस्ट्रूमेंट हूं... फील करेंगे मैं फरिश्ता ग्लोब पे स्थित हूं.. और परमपिता परमात्मा शिवबाबा से मुझमें दिव्य शक्तियों का प्रकाश समा कर नीचे पूरे ग्लोब को मिल रहा है... धीरे धीरे यह किरणें पूरे ग्लोब को घेरे हुए है... मानो पृथ्वी के इस ग्लोब को एक सुरक्षा कवच बना चुकी हैं.. मैं एक लाइट हाउस, माइट हाउस फरिश्ता हूं... परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं... मेरा कोई संकल्प नहीं... परमात्मा शिवबाबा मुझ द्वारा सारे संसार को दिव्य शक्तियों का दान दे रहे हैं... संसार की सभी आत्माएं इन किरणों को अनुभव कर रही हैं और तृप्त हो रही हैं... मुझ फरिश्ता से यह किरणें इस संसार रूपी ग्लोब को मिल रही हैं... अनुभव करेंगे संसार की सभी आत्माएं एक लाइट स्वरूप सितारा बन चमक रही हैं... प्रकृति के पांचों तत्वों को भी मुझसे यह किरणें मिल रही हैं... इसी स्थिति में एकाग्र रहें.... पूरा ग्लोब मानो यह परमात्म किरणों से जगमगा उठा है... संसार की सभी आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं... वे दिल से शिवबाबा को और मुझ फरिश्ता को दुआएं दे रही हैं...

परमात्मा कहते हैं - "तुम्हारा मुख्य कार्य है ज्ञान सूर्य से किरणें लेकर इस विश्व को देना!" यही हमारा मुख्य कर्तव्य है... अनुभव करेंगे प्रकृति के पांचों ही तत्व शांत और शीतल बन चुके हैं... सभी आत्माओं को यह सुख दे रहे हैं... इसी स्थिति में हम तीन मिनट तक एकाग्र रहेंगे... परमात्मा शिवबाबा से मुझ फरिश्ता में दिव्य शक्तियों की किरणें समा कर, नीचे पूरे ग्लोब को मिल रही हैं.......

जितना जितना हम ग्लोब पे स्थित हो सारे संसार को सकाश देंगे, उतना ही रिटर्न में हमें इन सभी आत्माओं की दुआएं प्राप्त होंगी! विनाश काल मे प्रकृति हमें सहयोग करेगी। जितना हम यह मनसा सेवा करेंगे, अंतिम समय में हमारा साक्षात्कार होगा.. हम साक्षात्कार मूर्त बनते जाएंगे! जितना जितना हम यह मनसा सेवा करेंगे, हमारे जीवन के सभी समस्याओं विघ्न स्वतः ही समाप्त हो जाएंगे। ओम शांति।


08. बीमारी से मुक्त होने के लिये यह मैडिटेशन करें

ओम शांति।

आज हम एक विशेष अभ्यास करेंगे। यह मेडिटेशन है प्यार और खुशी का। जब हमारे जीवन में प्यार और खुशी की कमी होती है तब हम उदास या निराश रहने लगते हैं। स्वतः ही शरीर की बिमारियां बढ़ती जाती हैं। और जब हमें कोई दिल से प्यार करता है, तो हमारा जीवन आनंद और खुशियों से भर जाता है। हम बहुत खुश और आनंद से भर जाते हैं। हमारे शरीर की बिमारियां स्वतः ही शांत हो जाती हैं। तो आज हम परमात्मा से विशेष एक प्यार भरा संबंध जोड़ेंगे। हम जो भी रिलेशन जीवन में चाहते हैं, वह संबंध हम उनसे जोड़ेंगे। वह संबंध हो सकता है एक साजन का, या दोस्त का, या मां, पिता, भाई का रिश्ता, उस संबंध से हम उनसे प्यार के वाइब्रेशन लेंगे, उनसे प्यार लेंगे, उन्हें प्यार करेंगे। तो इस मेडिटेशन में हम परमात्मा से कनेक्ट होकर उनके प्यार की किरणों से भरपूर हो वे किरणें हम अपने शरीर के एक एक अंग को देंगे। शरीर के एक एक अंग को यह प्यार की किरणें देने से शरीर की जो भी बिमारियां हैं, स्वत: शांत हो जाएंगी। और यह प्यार की किरणें हम अपने सभी संबंधियों को भी देंगे, जिससे हमें सभी का प्यार मिलेगा। हम स्वत: खुश रहने लगेंगे। और जितना हम खुश रहने लगेंगे, स्वत: ही हम अनुभव करेंगे कि हमारी बीमारियां धीरे धीरे शांत होती जा रही है। और हम सम्पूर्ण स्वस्थ और निरोगी बनेंगे। तो यह मेडिटेशन चलें शुरू करते हैं।

अनुभव करेंगे मस्तक के बीच मैं आत्मा एक चमकता सितारा... मैं आत्मा शांत हूं... अपने पूरे शरीर को रिलैक्स फील करेंगे... अपने शरीर को शिथिल कर दें... मैं शांत हूं... मेरा शरीर पूरी तरह से रिलैक्स्ड है, पूरी तरह से एकाग्र हो जाएंगे मैं आत्मा एक प्वाइंट ऑफ लाइट... अभी हम अपने सिर के ऊपर विजुलाइज करेंगे परमात्मा शिवबाबा को, जो हमारी तरह एक प्वाइंट ऑफ लाइट हैं... फील करेंगे वे हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... उनके साथ का अनुभव करें... उनसे प्यार भरा कोई एक संबंध जोड़ लें - साजन, खुदा दोस्त, बाप, मां या भाई... अनुभव करेंगे परमात्मा प्वाइंट ऑफ लाइट से प्यार की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... फाउंटेन की तरह यह प्रकाश, यह किरणें मुझ आत्मा बिंदु में फ्लो हो रही हैं... इस प्यार को गहराई से फील करें... परमात्मा प्यार के सागर हैं... उनसे नाता जोड़ के मैं आत्मा प्यार से भरपूर हो चुकी हूं... इस परमात्म प्रेम के अनुभव में मग्न हो जाएं....... वे हमसे बहुत प्यार करते हैं.. वे हमारा ख्याल रखते हैं.. केयर करते हैं.. साथ देते हैं.. धीरे धीरे हम अनुभव करेंगे यह परमात्म प्रेम की किरणें मुझ आत्मा में समा कर, हमारे पूरे शरीर को मिल रही हैं.. एक एक अंग को हम विजुलाइज करेंगे.. यह प्यार की किरणें ऊपर मस्तिष्क में फैल रही हैं.. हमारा मस्तिष्क इन किरणों से चार्ज हो चुका है.. हम बहुत बुद्धिवान हैं... परमात्म किरणों से यह ब्रेन चार्ज हो चुका है... धीरे धीरे अनुभव करेंगे यह परमात्म प्रेम का प्रकाश नीचे आंखों में आ रहा है... शुक्रिया करेंगे हम इन आंखों का जो हमें इस सुंदर दुनिया को देखने में सहयोग देती है.. धीर धीरे यह प्यार की किरणें नाक, पूरे चेहरे, गर्दन.. अनुभव करेंगे यह किरणें हमारे पूरे मेरुदंड यानी स्पाइन में फैल चुकी है.. धीर धीरे यह किरणें दोनों ही कंधों में और दोनो हाथों में, हाथों की उंगलियों तक फैल चुकी हैं.. अपने एक एक अंग को प्यार की किरणें दें.. उन्हें शुक्रिया करें... धीरे धीरे अनुभव करेंगे यह किरणें हमारे छाती में फैल चुकी है.. हृदय पूरी तरह से प्रकाशवान हो चुका है.. यह बिल्कुल नॉर्मल रूप से काम कर रहा है.. पूरे शरीर में रक्त का संचार हृदय से होता है। हृदय के ठीक रीति से काम करने से हमारे शरीर में रक्त संचार सही ढंग से हो रहा है... अनुभव करेंगे हमारे फफड़े बिलकुल ठीक रीति से काम कर रहे हैं.. पूरी तरह से परमात्म किरणों से जगमगा उठे हैं... हमारे फफड़ें अच्छे से काम कर रहे हैं... ऑक्सीजन लेवल हमारे शरीर को प्रॉपर मिल रहा है.. अनुभव करेंगे धीरे धीरे यह परमात्म किरणें हमारे आंतों को मिल रही हैं.. हमारे आंतें पूरी तरह से साफ हैं, बिलकुल ठीक रीति से काम कर रहे हैं... धीरे धीरे यह किरणें हमारे पेट को मिल रही हैं.. हमारी पाचन शक्ति नॉर्मल है.. हमारा पेट साफ है.. धीरे धीरे यह किरणें अनुभव करेंगे pancreas यानी अग्न्याशय और किडनी को मिल रही हैं... अनुभव करेंगे धीरे धीरे यह परमात्म प्रेम का प्रकाश नीचे hip joints, knee joints और नीचे पैरों व उनकी उंगलियों तक फैल चुका है... मानों हमारा पूरा शरीर इन परमात्म प्रेम की किरणों से जगमगा उठा है... परमात्मा हमें प्यार कर रहे हैं.. हमारे शरीर को healing energy दे रहे हैं.. अनुभव करेंगे हमारे शरीर का रक्त संचार नॉर्मल है.. ऑक्सीजन लेवल नॉर्मल है.. हमारे शरीर का एक एक अंग, एक एक मासपेशियां, हड्डियां शक्तिशाली बन चुकी हैं....

अभी हम अपना फोकस उस अंग पे करेंगे, जिसमें हम ज्यादा कठिनाई या दर्द अनुभव करते हैं। फोकस करेंगे इस अंग पे और अनुभव करेंगे यह अंग पूरी तरह से परमात्म किरणों से जगमगा उठा है... और पूरी तरह से ठीक रीति से काम कर रहा है... धीरे धीरे अनुभव करेंगे यह परमात्म प्यार की किरणें हमारे सभी संबंधियों को, हमारे घर में हमारे पूरे परिवार को मिल रही हैं... हमारे मन में किसी के प्रति नेगेटिव भाव नहीं है.. हम सबको प्यार करते हैं.. सभी हमें प्यार करते हैं.. हम सबको दुआएं दे रहे हैं.. सभी हमें दुआएं दे रहे हैं.. मेरा सभी के साथ संबंध अच्छे हैं.. अनुभव करेंगे हमारे घर में, हमारे परिवार में सभी इन प्यार की किरणों से भरपूर हो चुके हैं.. सभी संबंध अच्छे और स्वस्थ हैं.. हम सभी एकजुट हैं.. अभी अनुभव करेंगे यह परमात्म प्रेम का प्रकाश पूरे विश्व में फैल चुका है.. पूरी विश्व की आत्माएं इन प्यार की किरणों से भरपूर हो चुकी हैं.. हम सबको प्यार दे रहे हैं.. सबको दुआएं दे रहे हैं.. यह प्रकृति का नियम है कि जो हम देते हैं, बदले में हमें वही मिलता है.. तो हम सबको परमात्म प्यार के वाइब्रेशन दे रहे हैं.. हमारे मन में सबके लिए शुभ भावना, शुभ कामना है....

अभी संकल्प करेंगे - मैं शक्तिशाली हूं.. मैं निर्भय हूं.. मैं सुरक्षित हूं.. मैं सम्पूर्ण स्वस्थ हूं.. मेरा जीवन प्यार और खुशियों से भरा है.. मेरे सभी संबंध बहुत प्यारे हैं.. हम विश्व की सभी आत्माओं को दुआएं देते हैं.. और सभी से दुआएं लेते हैं.. मैं सम्पूर्ण स्वस्थ हूं.. मैं सम्पूर्ण स्वस्थ हूं.. मैं सम्पूर्ण स्वस्थ हूं.. मैं सम्पूर्ण स्वस्थ हूं.. मैं सम्पूर्ण स्वस्थ हूं.. मैं सम्पूर्ण स्वस्थ हूं...

ओम शांति।


09. भोजन बनाते समय परमात्मा शिवबाबा को याद कैसे करें - Meditation While Cooking.. Energise Your Food

ओम शांति ।

आज की मेडिटेशन कमेंट्री है भोजन बनाते समय परमात्मा शिव बाबा को याद कैसे करें? भोजन बनाते समय हम वैरायटी अभ्यास कर सकते हैं। उदाहरण के लिए- हम कोई स्वमान का अभ्यास कर सकते हैं, हम अपने फरिश्ता स्वरूप का अभ्यास कर सकते हैं। परमात्मा शिवबाबा से हम बातें कर सकते हैं, उनसे रूह रिहान कर सकते हैं। उनकी किरणें हम पूरे भोजन, रसोईघर व अपने घर में फैला सकते हैं, और योग युक्त होकर हम अच्छे संकल्प कर सकते हैं। उदाहरण के लिए- यह भोजन ब्रह्मा भोजन है, प्रसाद है। इस भोजन को स्वीकार करने से घर के सभी सदस्यों का मन शांत हो जाएगा, उनका जीवन सुखी हो जाएगा। किसी की कोई आदत छुड़ावानी हो तो हम संकल्प कर सकते हैं यह पवित्र ब्रह्मा भोजन स्वीकार कर, यह व्यक्ति की बुरी आदतें, बुरे संस्कार समाप्त हो रहे हैं, और यह भोजन स्वीकार कर यह आत्मा पवित्र बन रही है.. उनके संस्कार परिवर्तन हो रहे हैं।

इसी प्रकार हम साइलेंस में रहकर कोई अभ्यास भी कर सकते हैंl हम कोई कमेंट्री, गीत, क्लास या मुरली भी प्ले कर सकते हैं। तो आज हम भोजन बनाते समय वैरायटी अभ्यास करेंगे। भोजन स्टार्ट करने से पहले हम बैठकर 3 से 5 मिनट अच्छा योग अभ्यास करेंगे, जिससे कि भोजन बनाते समय हमारा योग इजी हो जाएगा। तो चलिए स्टार्ट करते हैं।

अपने सर्व संकल्पों को परमात्मा को समर्पण कर एकाग्र करेंगे मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूं.. अपने मस्तक के बीच में, संकल्प करेंगे मैं परम पवित्र आत्मा हूं.. मैं परम पवित्र आत्मा हूं.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मैं एक फरिश्ता हूं.. मैं एक फरिश्ता हूं.. अभी हम फील करेंगे, परमपिता परमात्मा शिवबाबा ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरूप में हमारे साथ हैं.. मैं एक फरिश्ता हूं.. अनुभव करेंगे, शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रही हैं, और मुझमें समाकर, मुझ आत्मा बिंदु से हमारे नैनों से भोजन पर पड़ रही है... यह भोजन संपूर्ण पवित्र बन रहा है...

अनुभव करेंगे यह परमात्म पवित्रता की किरणें, दिव्य प्रकाश मुझ आत्मा में समाकर भोजन में समा रही हैं... पूरी तरह से एकाग्र रहें इस स्थिति में, मैं परम पवित्र आत्मा हूं... मैं एक पवित्रता का फरिश्ता हूं... निरंतर हमारे नैनों से यह पवित्रता की किरणें, यह भोजन में समाती जा रही हैं... अनुभव करेंगे धीरे-धीरे यह परमात्म किरणें पूरे रसोई घर में फैल चुकी हैं... परमात्मा शिवबाबा से और हमसे पूरे रसोई घर में यह प्रकाश फैल चुका है... और इस रसोई घर में भोजन, अन्न का एक एक कण, पानी पवित्र बन रहा है...

बाबा से बातें करेंगे- बाबा हम आपके लिए यह भोजन बना रहे हैं... यह घर के सभी सदस्य आपकी संतान हैं! यह सभी आत्माएं पवित्र हैं... यह भोजन स्वीकार करते ही इन सभी का मन शांत हो जाएगा... बाबा यह घर आपका है... यह घर और इस घर के सभी भंडारे और भंडारी आपकी है... हम तन मन धन और सभी संबंधों से समर्पण है... यह भोजन हम आपके लिए बना रहे हैैं... यह भोजन ब्रह्मा भोजन है... यह भोजन स्वीकार करने से सभी के दुख, विघ्न, बीमारियां, बुरी आदतें, बुरे संस्कार समाप्त हो जाएंगे... अनुभव करेंगे, बाबा ने अपना हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है, और हमारे प्यार को देख, समर्पण भाव को देख, दिल से मुस्कुरा रहे हैं... पूरी तरह से एकाग्र रहे इसी स्थिति में- परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रही हैं, और हमसे पूरे भोजन और रसोई घर में फैल रही हैं... यह पवित्र किरणें इस भोजन को संपूर्ण पवित्र बना चुकी हैं... पवित्रता सुख शांति की जननी है!! पूरी तरह से एकाग्र रहें इसी स्थिति में- परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रही हैं, और हम से पूरे भोजन और रसोई घर में फैल रही हैं.....

इसी तरह अच्छे अभ्यास कर हम भोजन बनाएंगे और अच्छे स्वच्छ बर्तनों में हम यह भोजन बाबा को आह्वान कर, उन्हें स्वीकार कराएंगे। ओम शांति।


10. परमात्मा को गले लगाकर उनसे दिल की बातें करें..

ओम शांति।

अनुभव करेंगे मैं आत्मा एक प्वाइंट ऑफ लाइट.. अपने मस्तक के बीच में एक चमकता सितारा.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. पूरी तरह से मैं एकाग्र हूं अपने इस आत्मिक स्वरूप पर.. फील करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं एक फरिश्ता हूं.. पूरी तरह से हम एकाग्र हैं अपने डबल लाइट स्वरूप में.. अपने एंजल स्वरूप में.. अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्म वतन में.. चारों तरफ सफेद प्रकाश.. अनुभव करेंगे सामने हमारे बापदादा.. हमें प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहें हैं.. अभी हम बच्चा बन बाबा को गले लगा लेंगे.. बाबा ने हमें अपने बाहों में समा लिया है.. उनके कंधे पर सिर रख दें और पूरी तरह से रिलैक्स हो जाएं.. हम पूरी तरह से निर्संकल्प हैं.. कोई संकल्प नहीं.. बस हम बाबा की बाहों में.. अनुभव करेंगे बाबा के लाइट के ऑरा का सुरक्षा कवच हमें घेरे हुए है.. हम इस लाइट के कवच के ऑरा में पूरी तरह से सेफ हैं.. हमें यह लाइट का कवच घेरे हुए है.. कोई संकल्प नहीं.. हम इस पृथ्वी के स्थूल जगत की दुनिया से पूरी तरह डिटैच हैं.. परमात्म प्रेम में समाए हुए हैं... बाबा से बातें करेंगे - "बाबा आपने मुझे अपना बना लिया! कोटों में भी कोई, कोई में भी कोई विशेष आत्मा आपने हमें बना लिया है! मैं कितनी भाग्यवान हूं! मैं आपको दिल से शुक्रिया करती हूं! बाबा हमारा सबकुछ आपका है.. यह तन, मन, धन और हमारे सभी संबंध आपके हैं! हम आपको पूरी तरह से समर्पण हैं.. मेरा कुछ नहीं! सबकुछ तेरा! सबकुछ तेरा! सबकुछ तेरा! बाबा जब जब मैंने मेरा कहा है, मुझे बोझ अनुभव हुआ.. हमें विघ्न आए! और जब जब मैंने तेरा कहा, सबकुछ अर्पण किया, हम बहुत हल्के, निर्विघ्न, शक्तिशाली और सफलता मूर्त रहें! मैं आपको दिल से शुक्रिया करता हूं! मेरा सबकुछ तेरा.. सबकुछ तेरा.. सबकुछ तेरा.."

अनुभव करेंगे बाबा के मस्तक से प्यार की किरणें निकल, मुझ फरिश्ता के मस्तक बिंदु में समा रहीं हैं.. अनुभव करेंगे बाबा को हम गले लगाए हुए हैं.. और प्यार की किरणें उनके मस्तक बिंदु से हमारे मस्तक बिंदु में समा रही हैं.. पूरी तरह से इसी स्थिति में एकाग्र रहें.. परमात्म प्रेम में मग्न हो जाएं..

परमात्मा कहते हैं - "परमात्म प्यार में मग्न होना ही सम्पूर्ण ज्ञान है! यदि आप परमात्म प्रेम में मग्न रहो, तो जन्म जन्म संबंधों में प्यार मिलता रहेगा!" यदि हम परमात्म प्रेम में मग्न रहने लगें तो कोई भी विघ्न समस्या रहेगी ही नहीं। हमारा हर कार्य सफल होगा। दो मिनिट हम इसी परमात्म प्रेम में मग्न रहेंगे... ओम शांति।


11. परमात्म सुरक्षा कवच से सर्व समस्याओं, बीमारियों और विघ्नों से स्वयं को और और अपने परिवार को सुरक्षित करें

ओम शांति ।

देखें अपने मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक चमकता सितारा... मैं आत्मा शांत स्वरूप हूं.. इस शरीर को चलाने वाली मैं एक शक्ति हूं... मैं आत्मा पूरी तरह से शांत हूं... मुझ आत्मा से शांति के वाइब्रेशंस मेरे पुरे शरीर को मिल रहे हैं... और मेरा शरीर पूरी तरह से शांत और रिलैक्स्ड है... मैं शक्तिशाली हूं... मैं निर्भय हूं... मैं सुरक्षित हूं... मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं... आंखों के सामने हम देखेंगे परमपिता परमात्मा शिवबाबा... परमात्म साथ का अनुभव करें... अनुभव करेंगे परमात्म शक्तियों को.... परमात्मा पॉइंट ऑफ लाइट से शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... अनुभव करेंगे परमात्म शक्तियों को, उनके साथ को... मैं शक्तिशाली हूं... मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... अनुभव करेंगे यह परमात्म किरणें हमारे चारों ओर एक सुरक्षा कवच बना चुकी है... इस सुरक्षा कवच में मैं सुरक्षित हूं!! स्वस्थ हूं!! मैं तन, मन, और धन से भरपूर हूं... मेरा शरीर संपूर्ण स्वस्थ है!!

मैं एक खुशनसीब आत्मा हूं... मैं बहुत भाग्यवान हूं... मैं महान हूं... अनुभव करेंगे हमारे सामने परमपिता परमात्मा शिवबाबा... उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... फिल करेंगे परमात्म साथ का अनुभव... उनकी शक्तियों का अनुभव... निरंतर परमात्मा शिवबाबा से मुझ आत्मा में यह शक्तियों का प्रकाश समाते जा रहा है... भगवान मेरे साथ हैं... मेरे साथ जो भी हुआ अच्छा हुआ! मेरे साथ जो हो रहा है वो अच्छा हो रहा है! और आज से मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा! ड्रामा के हर सीन में कल्याण समाया हुआ है... भगवान स्वयं मेरे साथ हैं... उनकी शक्तियां मेरे साथ है! हर कर्म में मैं सदा शक्तिशाली हूं! विज्वलाइज करेंगे मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है! जीवन में मैं बहुत खुश हूं! विज्वलाइज करेंगे मैं बहुत खुश हूं... जीवन में मैं बहुत सुखी हूं... अनुभव करेंगे जीवन में हमारे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है... मैं तन से निरोगी हूं... सदा स्वस्थ हूं... बहुत शक्तिशाली हूं... मैं तन से संपूर्ण स्वस्थ हूं... अनुभव करेंगे हमारा मन‌ शक्तिशाली है... भगवान हमेशा मेरे साथ हैं... मैं बहुत शक्तिशाली हूं... मेरा मन शांत है... हर परिस्थिति में अचल अडोल है! मैं निर्भय हूं! सदा सुरक्षित हूं! फील करेंगे हम‌ धन‌ से भरपूर हैं! हमारी घर की भंडारी और भंडारे भरपूर हैं! हम ज्ञान धन से और स्थूल धन से भरपूर हैं! हमारे घर में सुख समृद्धि है....

विज्वलाइज करेंगे हमारे सभी संबंध, सभी के साथ रिश्ते बहुत अच्छे हैं... सभी बहुत अच्छे हैं... मैं सबको प्यार देता हूं... सभी बहुत प्यारे हैं... सभी मुझे दिल से बहुत पसंद करते हैं!! मुझे दुआएं दे रहे हैं!! सभी बहुत अच्छे हैं... अनुभव करेंगे संसार की सभी आत्मायें बहुत अच्छी हैं... सबका अपना अपना पार्ट है.. सभी अपने आप में विशेष हैं, सभी महान हैं!!

देखें, सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है...भगवान मेरे साथ हैं, मेरे साथ जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है!! और आज से जो भी होगा, वह इससे भी अच्छा होगा!!

अनुभव करें, सुख, शान्ति, प्रेम और शक्तिओं से भरपूर यह परमात्म किरणें पूरे विश्व में फैल रही हैं... संसार के सभी आत्माओं को यह सुख, शान्ति और शक्तिओं की किरणें मिल रही हैं... इस प्रकाश से वे भरपूर हो रहे हैं... उनके मन की अशान्ति, दुःख व उलझन समाप्त हो चुकी है... उनका मन शान्त हो चुका है...

अनुभव करेंगे यह प्रकाश उनके शरीर को शान्त और शीतल कर रहा है.. परमात्म किरणों से उनकी सभी बीमारियां शान्त हो चुकी हैं... प्रकृति के 5 तत्व शान्त और शीतल बन चुके हैं... वे विश्व की सभी आत्माओं को, जो भी आवश्यक पदार्थ या साधन हैं, उन्हें प्रदान कर रही हैं... विश्व की सभी आत्मायें तन, मन और धन से भरपूर हो चुकी हैं... कोई विघ्न नहीं, मन की कोई उलझन नहीं... उनके तन के सभी रोग शान्त हो चुके हैं... वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं...

मैं परमात्मा की सन्तान मास्टर सर्वशक्तिमान एक एंजेल हूं.... परमात्मा शिवबाबा मुझसे सभी को निरन्तर सुख, शान्ति और शक्तिओं का प्रकाश दे रहे हैं.... विश्व की सभी आत्मायें सुरक्षित हैं, शान्त हैं, शक्तिशाली हैं, सम्पूर्ण स्वस्थ हैं....

इस सुरक्षा कवच में मैं सुरक्षित हूं, स्वस्थ हूं, मैं तन, मन और धन से भरपूर हूं...

इस सुरक्षा कवच में मैं सुरक्षित हूं, स्वस्थ हूं, मैं तन,मन और धन से भरपूर हूं.....

ओम शांति।


12. बापदादा और दादियों से शक्तियों, वरदानों का अनुभव - बहुत हल्का और शक्तिशाली अनुभव करेंगें

ओम शांति।

अनुभव करेंगे मैं एक फरिश्ता हूं.. मैं आत्मा अपने प्रकाश के शरीर में... मैं एक डबल लाइट फरिश्ता हूं... इस देह, देह के सभी संबंध, देह के सभी पदार्थों को भूल मैं स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्म वतन में.. चारों तरफ सफेद प्रकाश.. फरिश्तो की दुनिया है ये.. अनुभव करेंगे हमारे सामने बापदादा.. बापदादा के साथ मम्मा, दादी जानकी, दादी प्रकाशमणि, दादी गुलज़ार, और अन्य सभी दादियां हमे दृष्टि दे रहे हैं... फील करेंगे उनके साथ का अनुभव.. मानो बापदादा और सभी दादियां दृष्टि द्वारा हमें शक्तियां दे रहे हैं.. बहुत ही शक्तिशाली और दिव्य अनुभव है ये.. अनुभव करेंगे बापदादा, मम्मा और सभी दादियों ने अपना वरदानी हाथ हमारे सर के ऊपर रख दिया है.. अनुभव करेंगे उनके हाथों से दिव्य प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है.. दिव्य शक्तियों का प्रकाश... मानो सभी हमें शक्तियां और वरदान दे रहे हैं.... बापदादा, मम्मा और दादियों के साथ का अनुभव करें..

फील करेंगे सभी इन हाथों से मुझे वरदान दे रहे हैं - "शक्तिशाली आत्मा भव! शक्तिशाली आत्मा भव!" इस वरदान की प्राप्ति से मैं सदा शक्तिशाली रहुंगा! हर परिस्थिति में निर्भय, अचल और अडोल रहूंगा!

यह सभी मुझे दूसरा वरदान दे रहे है - "विजयी भव! विजयी भव!" इस वरदान की प्राप्ति से मैं अपने हर पेपर में, हर परिस्थिति में, या कोई भी कार्य में विजयी बनूंगा! बाबा का, मम्मा का और सभी दादियों का हमें वरदान है, उनका आशीर्वाद है.. हमारी विजय निश्चित है!

अभी मुझे तीसरा वरदान दे रहे हैं - "सदा सुखी भव! सदा सुखी भव!" इस वरदान की प्राप्ति से हम जीवन में सदा खुश और सुखी रहेंगे। हम तन, मन और धन से भरपूर रहेंगे! हमारे सारे रिश्ते, सम्बन्ध अच्छे हैं.. जीवन में मैं बहुत सुखी हूं! अनुभव करेंगे सूक्ष्म वतन में हमारे साथ बापदादा, मम्मा, सभी दादियां और बाबा के सभी फरिश्तें हमें दिल से दुआएं दे रहे हैं! अपना आशीर्वाद दे रहे हैं! शक्तियां दे रहे हैं, वरदान दे रहे हैं! यह सभी हमारे साथ हैं। आज से हम बहुत शक्तिशाली है, निर्भय है, सुरक्षित हैं... विजयी हैं, सुखी हैं! ओम शांति।


13. भगवान को राज़ी करने की विधि।

ओम शांति।

सच्चे दिल पर साहेब राज़ी! सच्ची दिल वाले एक सेकंड में बिंदु बन बिंदु स्वरूप बाप को याद कर सकते हैं। तो जितना हम दिल से सच्चे बनते जाएंगे, उतना ही हमें परमात्मा की ब्लेसिंग मिलती जायेगी। उतना हमारा योग पॉवरफुल बनता जाएगा। हमारा हर कर्म, बोल व संकल्प यथार्थ बनता जाएगा। स्वतः ही हम राजयुक्त और युक्तियुक्त बन जाएंगे। जितना हम सच्चे दिल से बाप को याद करेंगे, उतना हम स्वतः ही ज्ञान, गुण, शक्तियों के खज़ाने से भरपूर बनते जाएंगे। हम तन, मन और धन से भी भरपूर होते जाएंगे। बाबा कहते हैं- सच्चे और साफ दिल वालों की हर मनोकामना हर मुराद अर्थात कामनाएं पूरी होती है। तो आज हम सच्चे दिल से मन की स्वच्छता और दिल की स्वच्छता से बाबा को याद करेंगे। तो चलें शुरू करते हैं।

अनुभव करेंगे मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... मस्तक के बीच एक चमकता सितारा... मैं एक परम पवित्र आत्मा हूँ... मैं आत्मा पूरी तरह से स्वच्छ और साफ हूँ... अनुभव करेंगे कि मैं आत्मा पूरी तरह से स्वच्छ चमकता सितारा हूँ... कोई भी दाग नहीं... एक चमकता हीरा... सम्पूर्ण पवित्र हूँ....

अभी मैं आत्मा यह स्थूल शरीर छोड़ चली ऊपर की ओर... आकाश, चांद तारों के पार कर पहुंच गयी अपने असली घर परमधाम में... फील करेंगे मैं आत्मा पहुंच गई शिवबाबा के एकदम पास.... परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप... फील करेंगे उनके साथ का अनुभव.... मैं आत्मा परमात्मा शिवबाबा की संतान हूँ... अभी उनसे बात करेंगे.... बाबा हमारा हर संकल्प, समय, सम्पत्ति, संबंध, कर्म और शरीर आपको अर्पण है... हम जो हैं, जैसे हैं, आपको समर्पण हैं.... मेरा कुछ नहीं... सब कुछ आपका है... कोई संकल्प नहीं, पूरी तरह से मन बुद्धि को समर्पण कर दें... हम पूरी तरह से एकाग्र हैं परमधाम में... शिवबाबा से हम कंबाइंड हैं... और फील करेंगे शिवबाबा से ज्ञान, गुणों और शक्तियों की किरणें मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.... इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे- ज्ञान गुणों और दिव्य शक्तियों से भरपूर यह किरणें.... हमारा कोई संकल्प नहीं... बस बाप को हम सच्चे दिल से समर्पण हैं, उनसे कंबाइंड हैं.... इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे......

अनुभव करेंगे कि मैं आत्मा बाप समान सर्व गुण व शक्तियों से सम्पन्न हूँ... पूरी तरह से स्वच्छ, पवित्र हूँ... जितना हम सच्चे दिल से बाप को याद करेंगे, उतना ही हम सर्वगुण और शक्ति सम्पन्न स्वतः ही बनते जाएंगे। हमें हर कार्य में सफलता मिलेगी। हर परिस्थिति में सही निर्णय ले पाएंगे। हमारी सर्व मनोकामनाएं स्वतः ही पूर्ण होते जाएंगे। निरंतर परमात्म दुआओं का अनुभव करेंगे।

ओम शांति।


14. मास्टर ज्ञान सूर्य स्थिति

ओम शांति।

अनुभव करेंगे मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... चमकता सितारा.. मस्तक के बीच में... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्म इंद्रियों की मालिक... संपूर्ण एकाग्र हो जाएं अपने आत्मिक स्थिति में... मैं मास्टर ज्ञान सूर्य हूं... अनुभव करेंगे मैं मास्टर ज्ञान सूर्य समान चमक रही हूं... मुझसे शक्तियों की किरणें चारों ओर फैल रही हैं... अभी अनुभव करेंगे परमधाम में परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप... परमात्मा ज्ञान के सागर... गुणों के सागर... सर्वशक्तिमान... ज्ञान सूर्य... फील करेंगे उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें निकल फ्लो हो रही हैं... और मुझ आत्मा में समा रही हैं... यह दिव्य शक्ति रूपी किरणें, गुण रूपी किरणें, मुझमें समाती जा रही हैं.... मैं मास्टर ज्ञान सूर्य समान दिव्य, तेजोमय चमक रही हूं... मैं ऊंची स्मृति, ऊंची वृत्ति, ऊंची दृष्टि और ऊंची प्रवृत्ति में रहने वाली मास्टर ज्ञान सूर्य आत्मा हूं... अनुभव करेंगे यह दिव्य शक्तियों की किरणें हमारे संपूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल चुकी हैं... मेरा देह संपूर्ण लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा अपने सूक्ष्म शरीर में... मेरा सूक्ष्म शरीर संपूर्ण तेजोमय चमक रहा है... परमात्मा शिवबाबा से निरंतर दिव्य शक्तियों और गुणों की किरणें मुझमें समाती जा रही हैं... मैं मास्टर ज्ञान सूर्य हूं... मुझ आत्मा का संपूर्ण अंधकार मिट चुका है... मैं संपूर्ण प्रकाशमय बन चमक रही हूं... और अनुभव करेंगे हमसे यह किरणें सारे विश्व में फैल रही हैं... मैं सारे विश्व का अंधकार मिटाने वाली मास्टर ज्ञान सूर्य हूं... इन किरणों से सारे विश्व की आत्माएं तृप्त हो रही हैं... यह दिव्य शक्तियों और गुणों की किरणें अनुभव कर रही हैं... संसार की सभी आत्माओं के मन की सभी उलझनें, प्रश्न, समस्याएं, विघ्न समाप्त हो रहे हैं... भटकती हुई आत्माएं, तड़पती हुई आत्माएं, रोगी, बीमार आत्माएं संपूर्ण शांत हो चुकी हैं... मैं मास्टर ज्ञान सूर्य प्रकाशमय हूं... सारे विश्व की विकार रूपी आग बुझ गई है... अंधकार दूर हो चुका है... सारे विश्व में हमसे शक्तियों और गुणों की किरणें फैल चुकी हैं... निरंतर परमात्मा शिवबाबा से मुझमें यह दिव्य किरणें समा कर सारे विश्व को मिल रही हैं... 2 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे....

ओम शांति।


15. बिन्दु रूप स्थिति

ओम शांति।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर एकाग्र करेंगे मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूं... मस्तिष्क के बीच में मैं बिंदु स्वरूप चमकता सितारा... पूरी तरह से एकाग्र करेंगे अपने आत्मा बिंदु पर... सर्व संकल्प, कर्म ,संसार को बिंदु लगाकर मैं एकाग्र हूं अपने बिंदु स्वरूप पर...

धीरे धीरे अनुभव करेंगे हमारा स्थूल शरीर पूरी तरह से लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. और कुछ दिखाई नहीं दे रहा है.. बस मैं एक बिंदु आत्मा हूं... कोई भी संकल्पों की हलचल नहीं है... पूरी तरह से एकाग्र और स्थिर हूं.. मैं आत्मा बिंदु हूं.. बीज हूं.. बिंदु बन हमने 84 जन्मों का पार्ट बजाया है.. सर्व सभी मुरलिओं का सार एक ही शब्द है बिंदु... अभी हम एकाग्र करेंगे परमधाम में.. परमात्मा शिवबाबा बिंदु स्वरूप पर.. परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान.. बिंदु स्वरूप परमात्मा परमधाम में... परमधाम.. शांतिधाम.. सभी बिंदुओं का घर.. साइलेंस की दुनिया.. सर्व आत्माएं अपनी अपनी जगह बिंदु रूप में स्थित हैं... अभी मैं आत्मा इस सृष्टि रूपी ड्रामा को बिंदु लगा कर चली परमधाम में.. फील करें यह सृष्टि, पृथ्वी, प्रकृति सभी आत्माएं बिंदु हैं... पूरी तरह से fullstop लगाकर मैं बिंदु धीरे-धीरे आकाश चांद तारों को पार कर पहुंच गई परमधाम में... परमात्मा शिवबाबा के समीप... उनके साथ का अनुभव करें... मैं बिंदु.. बाबा बिंदु.. संसार की सभी आत्माएं बिंदु है.. और कोई संकल्प नहीं.. पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं अपने बिंदु स्वरूप में... अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से शांति का प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समाते जा रहा है.. जैसे परमात्मा बिंदु से एक याद की तार मुझ आत्मा में जुड़ चुकी है.. कनेक्ट हो चुकी है.. मैं परमात्मा बिंदु से कम्बाइंड हूं... पूरी तरह से शांत हूं... कोई संकल्प नहीं.. बस परमात्मा शिवबाबा से मुझ आत्मा में शांति की किरणों का प्रकाश प्रवाह हो रहा है... मैं शांत हूं.. जितना हम बिंदु बन अशरीरीपन का अनुभव करेंगे, उतना संसार को शांति का दान स्वतः मिलता रहेगा...

अनुभव करेंगे मुझ बिंदु से नीचे सारी सृष्टि को शांति के वाइब्रेशन मिल रहे हैं... परमात्मा शिवबाबा से मुझ आत्मा बिंदु में यह शांति का प्रवाह हो रहा है... और मैं पूरी तरह बाप समान स्थिति में स्थित हूं... और नीचे सारे संसार को मुझ द्वारा परमात्मा शांति का दान दे रहे हैं... मैं निमित्त हूं.. परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं... और कोई संकल्प नहीं... पूरी तरह से समर्पण हो जाएं.. मैं परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं... मुझसे सारी सृष्टि को शांति का दान मिल रहा है... संसार की सभी आत्माएं इस बिंदु रूप में स्थित हो चुकी हैं... और पूरी तरह से शांत हो चुकी हैं... प्रकृति के पांचों तत्व- अग्नि, वायु, आकाश, जल और पृथ्वी - इन्हें बिंदु रूप में अनुभव करें... प्रकृति के ये पांचों तत्व पूरी तरह से बिंदु बन चुके हैं... और शांत हैं.. स्थिर हैं.. कोई हलचल नहीं.. परमात्मा कहते हैं जब किसी को आप बिंदु रूप आत्मा देखते हो, मानो आप उन्हें सकाश दे रहे हो... जितना हम इस संसार को शांति का दान देंगे, हमें संसार की सर्व आत्माओं की दुआएं प्राप्त होंगी.. हमारे पुण्य का खाता जमा होता जाएगा.. परमात्मा शिवबाबा कहते हैं बिंदु को जाना तो सब कुछ जाना, सब कुछ पाया... बिंदु रूप में स्थित हो जो संकल्प करो ,जो भावना रखो ,जो बोलो, जो कर्म करो , जैसे बिंदु महान है वैसे सर्व बातें महान हो जाती हैं, अर्थात स्वत: श्रेष्ठ हो जाती हैं... इस पूरे ज्ञान का सार बिंदु है... हम 3 मिनट इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे- परमात्मा शिव बिंदु से मुझ आत्मा बिंदु में शांति की किरणें समा कर नीचे सारे संसार को मिल रही हैं... संसार की सभी आत्माएं बिंदु बन चुकी हैं... पूरी तरह से शांत हो चुकी हैं.. अभी 1 सेकंड में मैं बिंदु आत्मा पहुंच गई अपने स्थूल शरीर में.. अपने मस्तिष्क के बीच में.. आज से हम सदैव समृति रखेंगे- मैं आत्मा बिंदु और सभी आत्माओं को देखेंगे तो उनके मस्तिष्क के बिंदु को देखेंगे... और संसार के सभी बातों को fullstop लगाकर, बिंदु लगाकर सदा शांत, स्थिर, अचल-अडोल और शक्तिशाली रहेंगे...

ओम शांति ।


16. अंतिम समय का पुरुषार्थ - में प्रकृति की हलचल को साक्षी हो देखने वाली प्रकृतिजीत आत्मा हूँ

ओम शांति।

आज हम एक विशेष अभ्यास करेंगे। यह अभ्यास है साक्षी स्थिति का अभ्यास। परमात्मा कहते हैं जैसे मैं इस ड्रामा के खेल को साक्षी हो देखता हूं, वैसे ही तुम भी साक्षी हो देखो। साक्षी होकर ड्रामा के हर सीन को देखने में बहुत मज़ा आता है। तो आज हम अपने देह, देह के संबंध, प्रकृति के पांच तत्वों को साक्षी होकर देख मनोरंजन का अनुभव करेंगें। तो चलें शुरू करते हैं।

अनुभव करेंगे मैं एक चमकता सितारा.. अपने मस्तक के बीच में... मैं एक प्वाइंट ऑफ लाइट... चमकता सितारा... मैं प्रकृतिजीत आत्मा हूं... मैं आत्मा अपने शरीर की मालिक.. अपने संकल्पों की मालिक... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक अवतरित फरिश्ता हूं... अनुभव करेंगे अपने प्रकाश का शरीर... अभी एक सेकंड में अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता स्थित हूं एक ऊंची पहाड़ी पर... इस सृष्टि के खेल को साक्षी होकर देख रहा हूं... मैं फरिश्ता ऊंची पहाड़ी पर स्थित अपने ऊंची स्टेज पे स्थित हूं... जितना ऊंचे होंगे उतना हलचल से स्वत: परे रहेंगे... साक्षी होकर देखेंगे अपने शरीर को... यह देह, इस देह की मैं मालिक हूं! देखेंगे सभी देह के संबंधों को, व्यक्तियों को.. साक्षीपन की स्थिति में मैं फरिश्ता ऊंची पहाड़ी पे स्थित हो ड्रामा के खेल को देख रहा हूं.. कोई गिरता है, कोई गिराता है लेकिन खेल देखने वाले को गिरता हुआ देख भी मजा आता... और विजय प्राप्त करता हुआ भी देख मजा आता है... साक्षी होकर देखेंगे प्रकृति के पांच तत्वों को.. अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी... मैं प्रकृति की हलचल को साक्षी हो देखने वाली प्रकृतिजीत आत्मा हूं.. हमारे मन में कोई भी हलचल नहीं.. ड्रामा के हर सीन को हम साक्षी होकर देख रहे हैं.. ड्रामा के हर सीन में कल्याण समाया हुआ है.. कोई सीन में अकल्याण भी दिखाई देता हो, तो साक्षी होकर देखने में उसमें भी कल्याण समाया हुआ है..

परमात्मा कहते हैं - यह साक्षी स्थिति का पहला और आखिरी पाठ है। लास्ट में जब चारों ओर की हलचल होगी, तो उस समय साक्षी स्थिति से ही विजयी बनेंगे! अनुभव करेंगे हमारे साथ परमपिता परमात्मा शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा के तन में.. बाबा के साथ हम यह ड्रामा को साक्षी होकर देख रहे हैं.. अभी अनुभव करेंगे बापदादा और मैं फरिश्ता इस पूरे सृष्टि को दिव्य शक्तियों का प्रकाश दे रहे हैं.. इस प्रकाश में सुख, शांति, पवित्रता, आनंद की किरणें हैं.. सभी आत्माएं यह सुख शांति का अनुभव कर रही हैं... दो मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे.... ओम शांति।


17. मैं पुण्य आत्मा हूँ - मेडिटेशन कमेंटरी

ओम शांति।

एक है दान करना, दूसरा है पुण्य करना। दान से भी पुण्य का ज़्यादा महत्व है। पुण्य कर्म निःस्वार्थ, सेवा भाव का कर्म है। पुण्य कर्म दिखावा नहीं होता है, लेकिन दिल से होता है। पुण्य कर्म अर्थात आवश्यकता के समय किसी आत्मा के सहयोगी बनना, अर्थात उसके काम में आना। पुण्य कर्म करने वाली आत्मा को अनेक आत्माओं की दिल की दुआएं प्राप्त होती हैं। तो आज हम पुण्य आत्मा का अनुभव करेंगे। हम अनुभव करेंगे मैं एक पुण्य आत्मा हूँ। मैं पुण्य करने वाली एक श्रेष्ठ आत्मा हूँ, और पुण्य आत्मा की विशेषताएं, गुण निशानियां हम अपने आप में इमर्ज करेंगे। तो चलें शुरू करते हैं..

अनुभव करेंगे मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप... मस्तक के बीच में एक चमकता सितारा... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्मेंद्रियों की मालिक... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से शांति का प्रकाश निकल सारे शरीर में फैल चुका है... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह शांति की किरणें फैल चुकी हैं... जैसे यह स्थूल शरीर पूरी तरह से लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक फरिश्ता हूँ.. परमात्मा शिवबाबा का भेजा हुआ एक अवतरित फरिश्ता हूँ... मुझे सिर्फ देना है.. मैं एक पुण्य आत्मा हूँ... सदा निस्वार्थ सेवा भाव से कर्म करने वाली मैं एक पुण्य आत्मा हूँ... हमारे चेहरे से सदा प्रसन्नता, संतुष्टता की झलक दिखाई देती है... मैं सदा पुण्य करने वाली एक श्रेष्ठ आत्मा हूँ... मनसा, वाचा, कर्मणा हम सदा सबको सुख देते हैं... हमारे मन में किसी आत्मा के प्रति भी नेगेटिव भाव नहीं है... मुझे सबको परमात्म प्रेम देना है... पुण्यात्मा अर्थात सदा कोई ना कोई खज़ाने का महादान कर पुण्य कमाने वाली... सदा ज्ञान रत्न अर्थात सदा अमूल्य बोल, हर कर्म में बाप समान चरित्र, सदा बाप समान विश्व कल्याणकारी वृत्ति है... हर सेकंड, हर संकल्प के कल्याणकारी, रहमदिल किरणों द्वारा चारों ओर दुख अशांति के अन्धकार को दूर करने वाले हैं.... अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा परमधाम में.... परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान... फील करेंगे उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... यह दिव्य शक्तियों की किरणें... ज्ञान, गुण और शक्तियों से भरपूर यह किरणें अनुभव करेंगे... मैं ज्ञान, गुणों और शक्तियों से संपन्न बन चुकी हूँ... और धीरे धीरे मुझ फरिश्ता से सारे संसार में यह शक्तियों की किरणें फैल रहीं हैं... संसार की सर्व आत्माओं को यह किरणों का अनुभव हो रहा है... ज्ञान, गुणों और शक्तियों का यह दिव्य प्रकाश संसार की दुख, अशांति, अन्धकार को दूर कर रहा है... सभी आत्माएं सुख का अनुभव कर रही हैं... परमात्मा कहते हैं- तुम्हारा मुख्य कर्तव्य है ज्ञान सूर्य से शक्तियों की किरणें ले सारे संसार को देना! बाकि सभी सेवाएं निमित्त मात्र हैं। यही हमारा मुख्य कर्तव्य है!

इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे- परमात्मा शिवबाबा से यह दिव्य किरणें निकल, मुझ फरिश्ता में समा कर, सारे संसार को मिल रही हैं... मानो हम इस पृथ्वी पर, इस ग्लोब पर स्थित एक अवतरित फरिश्ता हैं.. एक पुण्य आत्मा हैं... सदा मनसा, वाचा और कर्मणा द्वारा पुण्य करने वाली एक श्रेष्ठ आत्मा हैं... यह परमात्म किरणें संसार में चारों ओर फैल चुकी हैं... प्रकृति के पांचों तत्व भी इन किरणों को फील कर रहे हैं... प्रकृति के पांचों तत्व हमें दिल से दुआएं दे रहे हैं... मैं एक पुण्य आत्मा हूँ... एक लाइट हाउस समान भटकती आत्माओं को मंज़िल दिखाने वाली हूँ...

पुण्य आत्मा का संकल्प अति शीतल स्वरूप है, जो विकारों की आग में जली हुई आत्माओं को शीतला बनाने वाला है... पुण्य आत्मा का संकल्प ऐसा श्रेष्ठ शस्त्र है, जो अनेक बंधनों के परतंत्र आत्मा को स्वतंत्र बनाने वाला है... अनुभव करेंगे संसार की सभी आत्माएं इन किरणों से बहुत ही शक्तिशाली बन चुकी हैं... वे सभी दुख अशांति, विघ्नों से, समस्याओं से मुक्त बन चुकी हैं... पूरी तरह से स्वतंत्र बन चुकी हैं....

ओम शांति।


18. मैं नम्बरवन आज्ञाकारी आत्मा हूँ - Meditation Commentary

ओम शांति ।

ओम शांति! अनुभव करेंगे मस्तक के बीच मैं आत्मा, एक पॉइंट ऑफ लाइट.. ज्योति स्वरूप.. पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं, अपने इस आत्मिक स्वरूप पर और संकल्प करेंगे, मैं नंबरवन आज्ञाकारी आत्मा हूं.. मैं नंबरवन आज्ञाकारी आत्मा हूं.. सदा सफलता को प्राप्त करने वाली आत्मा हूं.. मैं नंबरवन आज्ञाकारी आत्मा हूं... सदा हर संकल्प, हर बोल व हर कर्म करते परमात्मा बाप की आज्ञा प्रमाण चलने वाली स्मृति स्वरूप हूं... नंबरवन अर्थात सहज स्वतः स्मृति स्वरूप, आज्ञाकारी... दूसरे नंबर अर्थात कभी स्मृति से कर्म करने वाले और कभी कर्म के बाद स्मृति में आने वाले! मैं नंबर वन आज्ञाकारी हूं!! सदा अमृतवेले से रात तक सारे दिन की दिनचर्या के हर कर्म में आज्ञा प्रमाण चलने वाली आत्मा हूं...

आज्ञाकारी बच्चे के ऊपर हर कदम बापदादा के दिल की दुआएं साथ हैं, इसलिए दिल की दुआओं के कारण हर कर्म फलदाई होता है। नंबर वन आज्ञाकारी आत्मा का हर कर्म रूपी बीज शक्तिशाली होने के कारण हर कर्म का फल अर्थात संतुष्टता सफलता प्राप्त होती है। संतुष्टता अपने आप से भी होती है और कर्म के रिजल्ट से भी होती है और अन्य आत्माओं के संबंध संपर्क से भी होती है। नंबर वन आज्ञाकारी तीनों ही बातों में संतुष्टता अनुभव करेंगे और सदा आज्ञा प्रमाण श्रेष्ठ कर्म होने के कारण हर कर्म करने के बाद संतुष्ट होने के कारण कर्म बार-बार बुद्धि को विचलित नहीं करेगा कि ठीक किया व नहीं किया। नंबर वन आज्ञाकारी आत्मा का कभी मन नहीं खाता, आज्ञा प्रमाण चलने के कारण सदा हल्के रहते हैं क्योंकि कर्म के बंधन का बोझ नहीं है। एक है कर्म के संबंध में आना दूसरा है कर्म के बंधन वश कर्म करना। तो नंबर वन आत्मा हर कर्म के संबंध में आने वाली है इसलिए सदा हल्की है। नंबर वन आत्मा हर कर्म में बापदादा द्वारा विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति के कारण, हर कर्म करते आशीर्वाद के फल स्वरुप सदा ही आंतरिक विल पावर अनुभव करेगी। सदा अतींद्रिय सुख का अनुभव करेगी। सदा अपने को भरपूर अर्थात संपन्न अनुभव करेगी। मैं नंबर वन आज्ञाकारी आत्मा हूं। अग्नि स्वरूप स्थिति अर्थात शक्तिशाली याद की स्थिति में रहने वाली आत्मा हूं। ऐसे सदा अग्नि स्वरूप स्थिति, शक्तिशाली स्थिति, बीज रूप, लाइट हाउस, माइट हाउस स्थिति में रहने से सभी हिसाब किताब भस्म हो जाते हैं और कहीं भी मन का खिंचाव नहीं होता। अवज्ञा एक होती है कोई पाप कर्म करना या कोई बड़ी भूल करना और दूसरी छोटी-छोटी अवज्ञाएं भी होती है जैसे बाप की आज्ञा है अमृतवेला विधि पूर्वक शक्तिशाली याद में रहना, हर कर्म कर्म योगी बनकर करना, निमित्त भाव- निर्माण भाव में रहना।

अभी हम बापदादा का याद प्यार सुनेंगे और गहराई से और अनुभव करेंगे। चारों ओर के सर्व आज्ञाकारी श्रेष्ठ आत्माओं को सदा बाप द्वारा प्राप्त हुई आशीर्वाद की अनुभूति करने वाली विशेष आत्माओं को, सदा हर कर्म में संतुष्टता, सफलता अनुभव करने वाली महान आत्माओं को, सदा कदम पर कदम रखने वाले आज्ञाकारी बच्चों को बापदादा का याद प्यार और नमस्ते।

ओम शांति।


19. मैं आत्मा सहनशील हूँ..  सहनशील आत्मा की विशेषताएं - सहनशीलता की शक्ति.. Meditation Commentary

ओम शांति ।

आज हम सहनशीलता रूपी विशेष गुण पर मेडिटेशन करेंगे। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम अनुभव करेंगे- मैं आत्मा सहनशील हूँ। मैं आत्मा सहनशीलता की देवी हूँ। और अव्यक्त मुरली के आधार पर हम सहनशीलता की एक एक विशेषता को अनुभव करेंगे। तो चलिए स्टार्ट करते हैं...

चारों तरफ के सर्व बातों को समेट कर एकाग्र करेंगे... मस्तक के बीच... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... एक पॉइंट ऑफ लाइट... पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप पर और संकल्प करेंगे.. मैं आत्मा सहनशील हूँ... मैं आत्मा सहनशीलता की देवी हूँ, मैं आत्मा सहनशीलता की देवी हूँ.... अनुभव करेंगे... मैं आत्मा सहन करने की शक्ति से भरपूर हूँ... हर परिस्थिति में अचल, अडोल हूँ... मान-अपमान, निंदा-स्तुति, हार या जीत में समान रहती हूँ... हर परिस्थिति, विघ्न व समस्या में मैं सहनशील बन बड़ी बात को छोटी बनाकर.., फुलस्टॉप लगाकर, उड़ती रहती हूँ!! कोई प्रशंसा करें और मुस्कुराए, इसको सहनशीलता नहीं कहते। लेकिन कोई दुश्मन बन, क्रोधित हो अपशब्दों की वर्षा करे, पर ऐसे समय भी सदा मुस्कुराते रहना.., संकल्प मात्र भी मुरझाने का चिन्ह चेहरे पर न हो - इसको कहा जाता है सहनशीलता! सहनशीलता अर्थात् दुश्मन आत्मा को भी रहमदिल भावना से देखना, बोलना व सम्पर्क में आना!

जैसे ब्रह्मा बाप ने बड़ी बात को छोटा सा खिलौना बनाया, खेल की रीति से सदा पार किया.... उन्होंने बड़ी बात को सदा हल्का बनाया, स्वयं भी हल्के रहे और दूसरों को भी हल्का बनाया - इसको कहते हैं सहनशीलता!!

मैं आत्मा ब्रह्मा बाप समान सहनशील हूँ!! अनुभव करेंगे.... मैं सहनशील श्रेष्ठ आत्मा हूँ, सदा ज्ञान योग के सार में स्थित हो विस्तार को, समस्या को, विघ्न को भी सार में ले आती हूँ... उन परिस्थितियों में फुलस्टॉप लगाकर, बिन्दु लगाकर आगे बढ़ती हूँ.... सदा हर परिस्थिति में बिन्दु बन... फुलस्टॉप लगाकर मौज में रहती हूँ.... मुस्कुराती हूँ!! सहनशीलता की शक्तिवाला कभी घबराएगा नहीं.... सदा सम्पन्न होने के कारण ज्ञान की, याद की गहराई में जायेगा। सहनशील सदा इन सब बातों से मुक्त सदा मौज में रहता है, उड़ता रहता है!! ब्राह्मण जीवन अर्थात् ब्रह्मा बाप समान मौज की जीवन... लेकिन इसका आधार है- सहनशीलता! इस विशेषता के कारण ब्रह्मा बाप सदा अटल, अचल व अडोल रहे!

लोगों ने अपशब्द भी बोले, अत्याचार भी किए... यज्ञ की स्थापना में भिन्न भिन्न विघ्न आये, कोई ब्राह्मण बच्चे ट्रेटर बने.... लेकिन इसमें भी सदा असंतुष्ट को संतुष्ट करने की भावना से, सदा कल्याण की भावना से, सहनशीलता की साइलेंस पावर से उन्होंने हरेक को आगे बढ़ाया। सामना करने वाले को भी मधुरता और शुभ भावना से सहनशीलता का पार्ट पढ़ाया!

ऐसे मैं आत्मा ब्रह्मा बाप को फॉलो करने वाली, सहनशीलता की शक्ति से सम्पन्न हूँ! मैं आत्मा सहनशीलता की देवी हूँ.... मैं आत्मा सहनशीलता का देवता हूँ... मैं एक सहनशील श्रेष्ठ आत्मा हूँ....

ओम शान्ति।


20. मैं नम्बरवन पूज्य आत्मा हूँ - संगमयुग पर पूज्य तो भविष्य के पूज्य - Meditation Commentary

ओम शांति ।

अनुभव करेंगे मैं आत्मा अपने मस्तक के बीच में एक चमकता हुआ सितारा हूँ.. एक पॉइंट ऑफ लाइट हूं... पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप पे... अभी संकल्प करेंगे मैं नंबर 1 पूज्य आत्मा हूँ... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूँ अपने संगमयुगी ब्राह्मण स्वरुप में... अनुभव करेंगे मैं श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा हूँ... सम्पूर्ण पवित्र... स्वयं भगवान की नज़र हमपे पड़ी है... मैं एक विशेष आत्मा हूँ... सभी मुझे दिल का स्नेह, दिल का रीगार्ड देते हैं.... सभी मुझे दिल से ऊंचा मानते हैं।

एक है दिल से ऊंचा मानना अर्थात दिल से रीगार्ड देना, दूसरा होता है बाहर के मर्यादा प्रमाण रीगार्ड देना ही पड़ता है। तो दिल से देना और देना ही पड़ता है - इसमें कितना अंतर है।

नम्बर 1 पूज्य बनना अर्थात दिल से सब ऊंचा माने, स्नेह दें, रीगार्ड दें। इस ब्राह्मण जीवन में मेहनत कम और प्राप्ति ज्यादा है। हर कार्य में, हर सेवा में हम सफलता प्राप्त करते हैं। ये सफलता का आधार इस ब्राह्मण जीवन की विशेषता है, परमात्मा बाप की देन है।

मैं बस निमित हूँ, करनकरावनहार बाप करा रहे हैं! सफलता के फल को मैंपन में लाने वाले ऐसा पूज्य नहीं बन सकते, इसलिए मैं सदा निमित हूँ!

वर्तमान समय पूज्य, तो भविष्य में भी पूज्य! इसको ही विशेष नम्बर 1 आत्माएं कहते हैं।

भक्ति मार्ग के पूज्य बनने से श्रेष्ठ पूजा अब की है। जैसे भक्ति मार्ग की पूज्य आत्माओं के 2 घड़ी के संपर्क से अर्थात मूर्ति के सामने जाने से 2 घड़ी के लिए भी शांति, शक्ति, खुशी का अनुभव होता है, ऐसे संगमयुगी पूज्य आत्माओं द्वारा अब भी 2 घड़ी, 1 घड़ी भी दृष्टि मिलने से खुशी, शांति, उमंग उत्साह व शक्ति का अनुभव होता है। ऐसे पूज्य आत्माएं नंबर 1 विशेष आत्माएं हैं।

अनुभव करेंगे मैं नंबर 1 विशेष आत्मा हूँ! मैं नंबर 1 पूज्य आत्मा हूँ! सदा स्मृति स्वरुप हूँ! सभी को निरंतर हमारे द्वारा सुख, शांति की किरणें मिलती हैं! स्वयं भगवन की नज़र मुझ आत्मा पे पड़ी है। मैं एक विशेष आत्मा हूँ! अभी की नंबर 1 पूज्य आत्मा हूँ! सो भविष्य में भी नंबर 1 पूज्य आत्मा हूँ!

जैसे ब्रह्मा बाप वर्तमान समय नंबर 1 पूज्य और भविष्य में भी नंबर 1 पूज्य हैं, वैसे मैं भी फॉलो फादर करने वाली नंबर 1 पूज्य आत्मा हूँ!!


21. मैं महान तपस्वी आत्मा हूँ - करो तपस्या मिटे समस्या

ओम शांति।

अपने शरीर को पूरी तरह से रिलैक्स और शिथिल करें.. और अपने मन बुद्धि को एकाग्र करेंगे, अपने भृकुटी के मध्य में.. मैं एक चमकता सितारा..... मैं आत्मा भृकुटी के आसन में स्थित एक तपस्वी हूं.... मुझ आत्मा का मुख्य लक्ष्य है तपस्या.... अनुभव करेंगे अंतर्मुखता की गुफा में स्थित मैं एक तपस्वी आत्मा हूं.... संपूर्ण तेजस्वी, प्रकाशवान, बेहद का बैरागी, मैं एक तपस्वी हूं..... अपने देह, व्यक्ति, वस्तु और वैभवों के आकर्षण से मुक्त हूं....मैं त्याग मूर्त आत्मा हूं......मैं तपस्वी.. एक राजऋषि हूं..... मैं आत्मा परमात्म छत्रछाया में स्थित हूं... अनुभव करेंगे, परमात्म छत्रछाया में स्थित मैं आत्मा तपस्या कर रही हूं.....

एक बाप दूसरा ना कोई!! एक का ही लगन!! एक का ही चिंतन!! एक बल एक भरोसा!! एक से ही सर्व संबंध!! एक के प्यार में ही मगन!! एक के प्रति संपूर्ण समर्पण!! तपस्या अर्थात एक बाप दूसरा ना कोई!! तपस्वी अर्थात सदा प्योरिटी की पर्सनालिटी में रहने वाले, सदा प्योरिटी के रॉयलटी में रहने वाले.. मन, वचन, कर्म और संबंध संपर्क में संपूर्ण पवित्र!! मैं एक तपस्वी आत्मा हूं.. मेरा कुछ नहीं, सब कुछ तेरा... सब कुछ तेरा.... सब कुछ तेरा...!

अनुभव करें मुझ तेजस्वी तपस्वी आत्मा से विश्व की सभी आत्माओं को यह तपस्या के वाइब्रेशन, बेहद के वैराग्य के वाइब्रेशन मिल रहे हैं.... एक-एक आत्मा को यह तपस्या की किरणें मिल रही है.... इनके अंदर का वैराग्य भाव जाग रहा है.... सभी आत्माओं के मन में प्रभु प्रेम जाग रहा है.... मैं एक तपस्वी हूं... इस संसार के लिए एक लाइट हाउस हूं.... तपस्या अर्थात एक बाप दूसरा ना कोई.. एक की ही लगन में मगन.. मैं तपस्वी स्थित हूं अपने अंतर्मुखता की गुफा में.... मैं राजऋषि हूं... तपस्या अर्थात एक की ही लग्न में मगन.. एक बल, एक भरोसा! एक से ही सर्व संबंध, एक के प्रति संपूर्ण समर्पण..... मेरा तन, मन, धन और सर्व संबंध, संपर्क परमात्मा को समर्पण है... मेरा कुछ नहीं.. सब कुछ तेरा..... सब कुछ तेरा..... सब कुछ तेरा........ ओम शांति।


22. मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूँ.. - कंट्रोलिंग पावर बढ़ेगी, मन बुद्धि एकाग्र होगी

ओम शांति ।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेट कर एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच... मैं आत्मा हूं.. एक प्वाइंट ऑफ लाईट... पूरी तरह से डिटैच हो जाए अपने इस देह और देह की दुनिया से.... बस मैं एक चमकता हुआ सितारा... मैं स्वराज अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूं... मैं स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेंद्रियों का मालिक.. अपने इस शरीर का मालिक.. अपने एक एक कर्मेंद्रियों का मालिक.. यह शरीर अलग है, इस शरीर को चलाने वाली मैं एक श्रेष्ठ आत्मा हूं.. स्वराज अधिकारी हूं... मेरा अपने शरीर पे, अपने एक एक कर्मेंद्रियों पे पूरा कंट्रोल है... कान, आंख, मुख, हाथ, पैर इन सर्व कर्मेद्रियों की मैं आत्मा मालिक हूं... स्वराज अधिकारी हूं... शक्तिशाली हूं... राज्य अर्थात सत्ता, सत्ता अर्थात् शक्ति... मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ शक्तिशाली आत्मा हूं... अपने सर्व सूक्ष्म व स्थूल कर्मेंद्रियों की मालिक हूं.. मन बुद्धि संस्कार इन सभी की मैं मालिक हूं... मेरे मन के संकल्प मेरे पूरे कंट्रोल में हैं... एकाग्रचित्त है.. स्मृति स्वरूप है.. मैं आत्मा हर कर्म सोच समझकर करती हूं... स्वराज्य अधिकारी अर्थात मायाजीत.. मायाजीत अर्थात जगतजीत.. स्वराज्य अधिकारी सो विश्व राज्य अधिकारी...

स्वराज्य त्रिनेत्री त्रिकालदर्शी तीनो लोको के नॉलेजफुल अर्थात त्रिलोकीनाथ बना देता है... स्वराज्य परमात्मा बाप के दिल-तख्थनशीन बना देता है... स्वराज्य सर्व प्राप्तियों के खजानों का मालिक बना देता है... सदा अचल अडोल मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूं... जितना समय और जितने पावर से हम कर्मद्रियों अर्थात् मन बुद्धि और संस्कारों के अधिकारी बनेंगे, उतना ही भविष्य में राज्याधिकारी मिलेगा! इस समय का स्वराज्य स्वयं का राजा बनने से ही 21 जन्मों की गैरंटी है! मेरा मन बुद्धि संस्कार और सभी स्थूल कर्मेंद्रिया ऑर्डर में है... कंट्रोल में है... स्वराज्य अधिकारी अर्थात रूलिंग पावर, कंट्रोलिंग पावर!! जितना जितना हम स्वराज्य अधिकारी स्थिति में स्थित रहेंगे, उतना ही हमारी एकाग्रता बढ़ेगी, हमारा योग बल बढ़ेगा! हम स्वतः शक्तिशाली बनेंगे और हर कार्य में सफलता प्राप्त करेंगे... स्वराज्य अधिकारी अर्थात इस दुनिया के सभी आकर्षणों से मुक्त.. स्वतंत्र!! अपनी देह, देह के पदार्थ, वस्तु, सभी साधन हम मालिक बन यूज करते हैं.. साधनों के, पदार्थों के अधीन नहीं हैं... मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूं... मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूं... मैं स्वराज्य अधिकारी श्रेष्ठ आत्मा हूं...!

ओम शांति।


23. मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं, मैं सफलता मूर्त हूं, मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा - तीन शक्तिशाली स्वमान अभ्यास

ओम शांति ।

जो संकल्प हम बार बार करते हैं, वैसी परिस्थिति, वैसी घटना का हम निर्माण करते हैं! What we think, we become! जितना हम पॉजिटिव सोचेंगे, अच्छा सोचेंगे, उतना हमारे जीवन में सबकुछ अच्छा होता जयेगा। सवेरे उठते ही पहले 5-10 मिनट हमारा अवचेतन मन एक्टिव होता है। उठते ही जो पॉजिटिव संकल्प हम करते हैं, उसका प्रभाव सारा दिन रहता है। स्वतः ही हम सारा दिन पॉजिटिव रहते हैं। और जो भी नेगेटिव परिस्थिति या समस्या दिन भर में आती है, उनमें परिस्थितियों में भी हमारे मन में वह संकल्प इमर्ज होते हैं, और हम पॉजिटिव रहते हैं। तो आज हम ऐसे 3 संकल्प का अभ्यास करेंगे जो हमें सवेरे उठते ही पहले 10 मिनट करना है। इन संकल्पों का अभ्यास करने से पूरा दिन हमें परमात्म साथ का अनुभव होगा, हमारे संकल्प पॉजिटिव रहेंगे। हम हर परिस्थिति में, हर कार्य में सफलता प्राप्त करेंगे। इक्कीस दिन के ही प्रयोग से हम इसका बहुत सुन्दर रिजल्ट देखेंगे।

तो सवेरे उठते ही हम दिल से मुस्कुराकर परमात्मा को गुड मॉर्निंग कहेंगे। और पहला संकल्प हम करेंगे - मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ! तो यह संकल्प करते समय हमें फील करना है कि हाँ, मैं आत्मा परमात्मा शिवबाबा की संतान हूँ, मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ! बहुत शक्तिशाली हूँ! मास्टर सर्वशक्तिमान की स्मृति में रहने से हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है! सफलता आपके आगे पीछे घूमती है! इसी शक्तिशाली स्थिति में स्थित होकर हम दूसरा संकल्प करेंगे - मैं सफलतामूर्त हूँ! यह संकल्प करते समय हमें विज़्वलाइज़ करना है कि हाँ मैं सफलतामूर्त हूँ , विजयी हूँ! जीवन में वह घटना होते हुए विज़्वलाइज़ करेंगे कि मैं जीवन में सफल हूँ, विजयी हूँ!‌ इसी से जुड़ा हम तीसरा संकल्प करेंगे - मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा! यह संकल्प करते समय हमें विज़्वलाइज़ करना है कि जीवन में हमारे साथ सबकुछ अच्छा हो रहा है। तन से, मन से हम सहज और भरपूर हैं। जब भी कोई नेगेटिव संकल्प या नेगेटिव परिस्थिति आती है, तब यह पॉजिटिव संकल्प नेगेटिव संकल्पों के जाल को समाप्त कर देता है। तो यह अभ्यास सवेरे 10 मिनट कैसे करना है, चलें शुरू करते हैं।

अनुभव करेंगे मैं आत्मा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. अपने मस्तक के बीच में.. सामने हम विज़्वलाइज़ करेंगे शिवबाबा को.. उन्हें हम दिल से मुस्कुराकर गुड मॉर्निंग करेंगे... और आज के दिन के लिए उन्हें शुक्रिया करेंगे! और अपने आत्मिक स्वरूप में एकाग्र होकर हम पहला संकल्प करेंगे - मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूँ..

अनुभव करेंगे मैं आत्मा परमात्मा शिवबाबा की संतान हूँ! मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ! बहुत शक्तिशाली हूँ! अनुभव करेंगे मैं बहुत शक्तिशाली हूँ! स्वयं भगवान मेरे साथ हैं! उनकी शक्तियां मेरे साथ हैं! अतः उनके साथ से हर असंभव कार्य भी संभव हो जायेगा! मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ....

इसी के साथ हम दूसरा संकल्प करेंगे - मैं सफलता मूर्त हूँ... मैं सफलता मूर्त हूँ.... अनुभव करेंगे मैं सफलतामूर्त हूँ.. विजयी हूँ...

विज़्वलाइज़ करेंगे जीवन में जो हम चाहते हैं... जो लक्ष्य हमारे जीवन का है..- वो चाहे जॉब का हो, पढ़ाई का हो, रिश्तों का हो, या कोई धन का पेपर हो, या तन की व्याधि हो जिसपे विजय प्राप्त करनी हो.. विज़्वलाइज़ करेंगे जीवन में मैं सफलता मूर्त हूँ! वह घटना को होते हुए देखें जो हम चाहते हैं... कॉन्फिडेंस के साथ हम विज़्वलाइज़ करते हुए संकल्प करेंगे मैं सफलता मूर्त हूँ, विजयी हूँ, सफल हूँ....

इसी से जुड़ा हम तीसरा संकल्प करेंगे - मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा..... मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा....

विज़्वलाइज़ करें हमारे जीवन में सब कुछ बहुत अच्छा हो रहा है.... देखेंगे हम तन से पूरी तरह स्वस्थ हैं, शक्तिशाली हैं! हमारा मन शक्तिशाली है, पॉजिटिव है! हम धन से भरपूर हैं! हम बहुत धनवान हैं! विज़्वलाइज़ करें हम जो भी अमाउंट चाहते हैं... हम तन, मन, धन से भरपूर हैं... हमारे सभी रिश्तें अच्छे हैं, विज़्वलाइज़ करें हमारे सभी सम्बन्ध, रिश्तें बहुत अच्छे हैं! हमारे मन में सभी के लिए शुभभावना, शुभकामना है! हम दिल से सबको दुआएं दे रहे हैं! हमें भी इन सबकी दुआएं मिल रही हैं....

यह तीन संकल्प हम पांच बार रिपीट करेंगे... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ... मैं सफलता मूर्त हूँ... मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ... मैं सफलता मूर्त हूँ... मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ... मैं सफलता मूर्त हूँ... मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ... मैं सफलता मूर्त हूँ... मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ... मैं सफलता मूर्त हूँ... मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा...

इसी प्रकार रात सोने से पहले 10 मिनट इन 3 संकल्पों का‌ हम अभ्यास करेंगे...

रात सोने से पूर्व इस अभ्यास को करने से इन संकल्पों का प्रभाव रात भर रहेगा। हमें व्यर्थ या बुरे स्वप्न नहीं आएंगे। और हम सुबह उठते ही फ्रेश फील करेंगे। इसके अलावा उठते ही हमारा योग/मेडिटेशन भी अच्छा हो जायेगा....

ओम शांति।


24. मैं मास्टर सर्वशक्तिमान, महावीर हनुमान हूँ - पूज्य स्वरुप योग कमेंट्री

ओम शांति ।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेट कर, एकाग्र करें मस्तक के बीच... मैं आत्मा.. एक प्वाइंट ऑफ लाइट... पूरी तरह एकाग्र हो जाएं... और एक सेकंड में अनुभव करें मैं आत्मा स्थित हूं अपने पूज्य स्वरूप श्री हनुमान के रूप में.... अनुभव करें मैं आत्मा स्वयं का पूज्य स्वरूप, मास्टर सर्वशक्तिवान श्री हनुमान हूं... मैं खुदाई खिदमतगार महावीर हनुमान हूं, शिवशक्ति हूं!! अनुभव करें परमधाम में परमात्मा शिवबाबा से दिव्य शक्तियों का लाल प्रकाश निकलकर नीचे फ्लो हो रहा है, और मुझ आत्मा में समा रहा है.....

अनुभव करें मैं श्री हनुमान, ग्लोब पर स्थित हूं... और मुझसे परमात्म शक्तियां चारों ओर पूरे ब्रह्मांड में फैल रही हैं.... संसार की सभी आत्माओं को मुझ हनुमान रूप से, मेरे पूज्य स्वरूप से, मेरे भृकुटी के तख्त से, नयनों से यह शक्तियां मिल रही हैं.... अनुभव करें यह शक्तियों की किरणें संसार की एक एक आत्मा को मिल रही हैं... मैं महावीर हनुमान.. संकट मोचन श्री हनुमान हूं.... मुझसे किरणें निकलकर सभी के दुःख, दर्द, विघ्न, संकट नष्ट हो रहे हैं... संकट कटे मिटे सब पीड़ा जो सुमरे हनुमत बल बीरा।। मेरे दर्शन मात्र से, मेरे नाम सिमरन मात्र से सभी के संकट दूर होते हैं... नासे रोग हरे सब पीड़ा जपत निरंतर हनुमत बीरा।। अनुभव करें सभी लाखो करोड़ों भक्त आत्माओं को हमारे द्वारा शक्तियों की किरणें मिल रही हैं... उनके सभी विघ्न, संकट, सभी रोग, कष्ट, पीड़ाएं दूर हो रहे हैं... सभी भटकती आत्माओं को राहत मिल रही है... अनुभव करें मैं श्री हनुमान.. मास्टर सर्वशक्तिवान... मुझसे विश्व की सभी आत्माओं को परमात्मा शिव का साक्षात्कार हो रहा है...

अभी 5 मिनिट अनुभव करें मैं मास्टर सर्वशक्तिवान महावीर श्री हनुमान... घर घर में, हजारों लाखों मंदिरों में भक्त मेरी पूजा कर रहे हैं.... भक्ति कर रहे हैं... और उन सभी के कष्ट, रोग, विघ्न व सभी संकट दूर हो रहे हैं... उनकी सभी शुभ मनोकामनाएं पूर्ण हो रही हैं...

ओम शांति।


25. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं- परमधाम शक्तिशाली स्थिति।

ओम शांति।

सर्व संकल्पों को समाप्त कर एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच.. मैं एक आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. एक चमकता सितारा... एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप में... मैं शक्तिशाली आत्मा हूं... अनुभव करेंगे हमसे चारों तरफ शक्तियों की किरणें फैल रही हैं.. मैं आत्मा कर्मेंद्रियों की मालिक.. मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. बहुत शक्तिशाली हूं.. निर्भय हूं.. सदा सुरक्षित हूं.. अनुभव करेंगे मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं.. और कोई संकल्प नहीं.. अभी एक सेकंड में मैं आत्मा चली ऊपर की ओर.. और पहुंच गई परमधाम में.. परमधाम.. शांतिधाम.. हमारा असली घर.. चारों तरफ सुनहरा लाल प्रकाश.. पहुंच जाएं परमपिता परमात्मा शिवबाबा के समीप.. मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा परमात्मा शिवबाबा के पास.. फील करेंगे उनके साथ का अनुभव.. हम ऊंचे ते ऊंचे बाप की संतान.. ऊंची स्थिति में स्थित हैं.. अनुभव करेंगे शिवबाबा से शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समाते जा रहा है.. मैं आत्मा इन दिव्य शक्तियों की किरणों से भरपूर हो चुकी हूं.. मैं सर्व शक्तियों से संपन्न, परमात्मा की संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. बाप समान हूं.. इस बाप समान स्थिति में अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से दिव्य शक्तियों की किरणें निकल नीचे सारे विश्व को मिल रही हैं.. इस विश्व की सभी आत्माएं इन शक्तियों की किरणों का अनुभव कर रही हैं.. और तृप्त हो रही हैं.. इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे.. परमधाम में मैं शिवबाबा के साथ ऊंची स्थिति में स्थित.. बाप समान मास्टर सर्वशक्तिवान की स्थिति में स्थित हूं... और शिवबाबा हमारे द्वारा विश्व की सभी आत्माओं को शक्तियों का दान दे रहे हैं.. इन शक्तियों की किरणों से संसार की सभी आत्माएं भरपूर हो रहे हैं.. ज्ञान, गुणों और शक्तियों से भरपूर इन परमात्म शक्तियों की किरणों से विश्व की सभी आत्माओं के दुख, दर्द और समस्याएं और विघ्न समाप्त हो चुके हैं.. और वे पूरी तरह से भरपूर, संपन्न और शक्तिशाली बन चुके हैं.. परमात्मा कहते हैं मास्टर सर्वशक्तिवान की स्मृति ही सर्वश्रेष्ठ स्मृति है.. इस स्मृति से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है.. जहां सर्व शक्तियां साथ हैं, वहां सफलता हुई पड़ी है... हमारी विजय निश्चित है... इस संसार की कोई भी नेगेटिविटी हमें टच भी नहीं कर सकती.. हम सदा निर्भय हैं.. सुरक्षित हैं.. हम परमात्मा की संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हैं.. और जितना जितना हम इस संसार की सभी आत्माओं को इन शक्तियों की किरणों का दान देंगे, उतना हमें इन सभी आत्माओं की दुआएं प्राप्त होंगी.. हमारे पुण्य का खाता जमा होता जाएगा.. परमात्मा कहते हैं तुम्हारा मुख्य कार्य है ज्ञान सूर्य से शक्तियों की किरणें ले सारे संसार को देना.. बाकि सभी सेवाएं निमित्त मात्र हैं.. तो अगले दो मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे- परमात्मा शिवबाबा से शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा कर हम परमधाम से विश्व की सभी आत्माओं को इन शक्तियों का दान दे रहे हैं...

ओम शांति।


26.  45 Minutes - अमृतवेला योग की सहज विधि

ओम शांति ।

चारो तरफ से अपने सर्व संकल्प समेट कर, एकाग्र करेगें मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. एक प्वाइंट ऑफ लाइट.. अपने फोरेहेड के बीच में एक चमकता सितारा.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. शांति मेरी एक शक्ति हैं.. मुझ आत्मा का स्वभाव शांत हैं.. अनुभव करेंगें.. मुझ आत्मा से शान्ति की किरणें निकल कर संपुण शरीर में फैल रही है, विजुलाइज करेंगें यह शान्ति की किरणें ऊपर ब्रेन में फैल रही हैं... धीरे धीरे यह किरणें कानों में, नीचे गले, कंधे, दोनो हाथों तक, दोनो हाथों की उंगलियों तक फैल चुकी है... धीरे धीरे यह किरणें छाती, हृदय, पेट, किडनी, एक एक अंग में यह शान्ति की किरणें समाती जा रही हैं.. सारे अंग, सारी मांसपेशियां रिलैक्स होते जा रही हैं... फील करेंगे.. धीरे धीरे यह किरणें दोनों पैरों में, घुटनों, नीचे पैरों की उंगलियों तक फैल चुकी हैं... मैं सम्पूर्ण रिलैक्स हूं... इस शरीर से डिटैच हूं... जैसे यह शरीर लाइट का बन चुका है.. हर अंग, मांसपेशियां, हड्डियां जैसे लाइट हो चुके हैं, संपुण रिलेक्स हो चुके हैं... कोई हलचल नहीं, फील करेंगे इस शांति को... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... मैं परमात्मा का फरिश्ता हूं... एंजल हूं... संपुण लाइट.. अशरीरी हूं....

अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सुक्ष्मवतन में.. चारों तरफ सफेद प्रकाश.. फरिश्तों की दुनिया है ये!! अनुभव करेंगे हमारे सामने बापदादा! बापदादा के साथ मम्मा, दादी जानकी, दादी प्रकाशमणि, दादी गुलज़ार और अन्य सभी दादियां हमें दृष्टि दे रहे हैं... फील करेंगे उनके साथ का अनुभव... मानो बापदादा और सभी दादियां दृष्टि द्वारा हमें शक्तियां दे रहे हैं... बहुत ही शक्तिशाली और दिव्य अनुभव है ये... अनुभव करेंगे- बापदादा, मम्मा और सभी दादियों ने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... उनके हाथों से दिव्य प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है... दिव्य शक्तियों के प्रकाश द्वारा मानो सभी हमें शक्तियां और वरदान दे रहे हैं... बापदादा, मम्मा और दादियों के साथ का अनुभव करें... फील करेंगे हाथों से सभी मुझे वरदान दे रहे हैं - शक्तिशाली आत्मा भव! शक्तिशाली आत्मा भव! इस वरदान की प्राप्ति से मैं शक्तिशाली रहूंगा... हर परिस्थिति में निर्भय रहूंगा... अचल अडोल रहूंगा...

अभी यह सभी मुझे दूसरा वरदान दे रहे हैं- विजय भव! विजय भव! इस वरदान की प्राप्ति से मैं अपने हर पेपर में, हर परिस्थिति में, या किसी भी कार्य में विजयी बनूंगा! बाबा का, मम्मा का, और सभी दादियो का हमेंमे वरदान हैं, उनका आशीर्वाद है, हमारी विजय निश्चित है!

अभी सभी मुझे तीसरा वरदान दे रहे है- सदा सुखी भव! सदा सूखी भव! इस वरदान की प्राप्ति से हम जीवन में सदा खुश और सुखी रहेंगे। हम तन मन धन से भरपूर रहेंगे। हमारे सभी रिश्ते.. संबंध अच्छे हैं... जीवन मे मैं बहुत सुखी हूं... अनुभव करेंगे सूक्ष्म वतन में हमारे साथ बापदादा, मम्मा, सभी दादियां और बाबा के सारे फरिश्ते हमें दिल से दुआएं दे रहे हैं... अपना आशीर्वाद दे रहे हैं... शक्तियां दे रहे हैं... वरदान दे रहे हैं...

अभी धीरे धीरे मेरा संपूर्ण लाइट का शरीर लोप हो रहा है, बची सिर्फ मैं आत्मा.. एक चमकता सितारा! पहुंच गई हूं परमधाम में... परमधाम, शांतिधाम, मुक्तिधाम... चारों ओर लाल प्रकाश... असंख्य आत्माएं अपने ज्योति स्वरूप में स्थित हैं अपने अपने जगह पर... जैसे कि एक आत्माओं का झाड़ है इस लाल प्रकाश की दुनिया में... अभी मैं आत्मा पहुंच गई हूं परमात्मा शिव बाबा के एकदम पास... अनुभव करेंगे परमपिता परमात्मा शिवबाबा मेरे समीप... उनसे दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है... मैं आत्मा स्थित हूं अपने निरकारी स्वरूप में... परमात्मा शिवबाबा से निरन्तर दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समाता जा रहा है... जेसे जेसे ये किरणें मुझमें समा रही हैं, मेरे जन्म जन्म के विकर्म नष्ट हो रहे हैं.. और मैं आत्मा संपूर्ण स्वच्छ, पवित्र बन रही हूं... दो मिनट तक हम अनुभव करेंगे परमात्मा से पवित्रता की किरणें निकल मुझमें समाती जा रही हैं...., संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में...

अनुभव करेंगे मैं आत्मा संपूर्ण पवित्र बन चुकी हूं! मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म, नेगेटिविटी संपूर्ण नष्ट हो चुकी है... जैसे कि मैं एक बेदाग हीरा हूं... बाप समान संपूर्ण पवित्र... अभी अनुभव करेंगें मुझ आत्मा से यह पवित्रता का प्रकाश निकल सारे संसार को मिल रहा है... प्रकृति के पांचों तत्व - आग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी संपूर्ण पवित्र बन रहे हैं... संसार की सर्व आत्माओं को यह पवित्रता की किरणें मिल रही हैं... पवित्रता सुख शान्ति की जननी है! इन पवित्रता की किरणों से संसार की हर आत्मा सुख, शांति का अनुभव कर रही है... उन आत्माओं पर अपवित्रता की चढ़ी हुई मैल संपूर्ण स्वच्छ हो रही है... 2 मिनट तक हम पवित्रता का दान सारे संसार को देंगे..... अनुभव करेंगे जैसे कि मैं आत्मा परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं.., परमधाम में परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निरंतर मुझमें समा कर सारे संसार को मिल रही हैं....

अभी मैं आत्मा चली नीचे सृष्टि की ओर.. पहुंच गई अपने स्थूल शरीर में... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में.. एकाग्र करेंगे बुद्धि को परमधाम में शिव ज्योती स्वरूप पर... शिवबाबा ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, शांति के सागर, सर्वशक्तिमान!! अनुभव करेंगे शिवबाबा से रंग बिरंगी किरणें निकल नीचे फाउंटेन की तरह फ्लो हो रही हैं, और मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... जैसे जैसे ये किरणें मुझ आत्मा में समा रही हैं, परमात्मा के सभी गुण शक्तियां मुझमें समा रहे हैं... जैसे परमात्मा ज्ञान के सागर हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर ज्ञान का सागर हूं... परमपिता परमात्मा सर्वशक्तिमान, मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... इन किरणों से भरपूर होकर मैं बिल्कुल बाप समान बन चुका हूं... मेरी आत्मा संपूर्ण दिव्य, बाप समान चमक रही है... बाप कहते हैं- जैसे मैं चमकता हूं उस दुनिया में, वैसे ही आप चमको इस संसार में! अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह रंग बिरंगा प्रकाश सारे संसार में फैल रहा है... संसार की लाखों करोड़ों आत्माओं में यह रंग बिरंगा प्रकाश समाते जा रहा है... जैसे एक फाउंटेन की तरह मुझसे यह रंग बिरंगी किरणों का दान संसार को मिल रहा है... 3 मिनट तक हम संसार को यह किरणें देंगे.....

ओम शांति।


27. Beginners Meditation for Peace of Mind

ओम शांति।

यह मेडिटेशन आपकी हर तरह की समस्या को दूर करके मन को हल्का और शांत करेगा। अगले 15 मिनट हम एक एक शब्द को गहराई से फील करेंगे, अनुभव करेंगे। यह मेडिटेशन हम कोई भी कुर्सी या ज़मीन पर बैठ कर सकते हैं। अपने शरीर को रिलैक्स करें.. शरीर को पूरी तरह से ढीला और शिथिल करेंगे.. अपने मन के सर्व संकल्पों को कुछ समय के लिए विश्राम देंगे.. और अपना पूरा ध्यान अपने सांसों पर केन्द्रित करेंगे.. हमारा मन पूरी तरह से शांत है.. हम बहुत ही लाइट और हल्का महसूस कर रहे हैं.. अनुभव करेंगे अंदर जाती हुई सांस इस ब्रह्मांड की सम्पूर्ण सकारात्मक ऊर्जा से समायी हुई है.. और बाहर जाती हुई सांस हमारे अंदर की सम्पूर्ण नकारात्मकता को हमसे बाहर निकाल रही है.. पूरी तरह से अपना ध्यान अपने सांसों पर एकाग्र करेंगे.. अपने अंदर की पॉजिटिविटी को फील करें.. अपने अंदर की शक्ति को फील करें.. अभी कुछ बात करनी है आपको खुद से.. ये समय केवल और केवल आपका है, आपके लिए ही है.. अपने अंदर की शांति को अनुभव करने की कोशिश करें..

अब मुझे बताओ आप कौन हो? आप एक आत्मा हो! आपकी समस्याएं आपकी नहीं हैं, इस शरीर की हैं, इस संसार की है... आप तो एक पवित्र आत्मा हो.. आपकी इच्छाएं भी आपकी नहीं है, आपके शरीर की है, इस संसार की है... आप एक पवित्र आत्मा समस्याओं से मुक्त हो...बहुत हल्की हो..आप जरूरतों से मुक्त हो.. कितनी ऊर्जा है आप में... कितनी शांति है... कितना आनंद है... आपके अंदर सबकुछ है.. आपके लिए आपका लक्ष्य प्राप्त करना संभव है...! आपका लक्ष्य क्या है...? सुख? शांति...? समृद्धि...?

आप अपनी चिंताओं से, समस्याओं से, इच्छाओं से, जरूरतों से बड़े हो... आप उनसे ज़्यादा शक्तिशाली हो.. आप ये मन के संकल्पों से अलग हो.. यह संकल्प आपके कंट्रोल में है.. आप इनके क्रिएटर हो और उन्हें बदल सकते हो...

संसार के सभी संकल्पों को दूर करके अभी अपने अंतर्मन की शांति पर ध्यान दीजिए... ध्यान को सांस पर बनाए रखिए.. कितनी शांति है ! कितना आनंद है ! अपने मस्तक के बीच विसुअलाइज करेंगे- एक ज्योति बिंदु.. एक चमकता सितारा.. और गहराई से फील करेंगे मैं आत्मा शांत हूं.. मैं आत्मा शांत हूं.. मैं आत्मा शांत हूं.. मेरा ओरिजिनल नेचर शांति है.. मेरा स्वभाव शांत है.. कुछ समय के लिए इस सम्पूर्ण शांति की स्थिति में आप अकेले समय बिताएं.. खो जाएं अपने अंदर की दुनिया में.. खो जाएं इस शांति की दुनिया में... ओम शांति.. ओम शांति.. ओम शांति.. ओम शांति.. ओम शांति।।

इस अनुभव से हम बहुत ही शांत और शक्तिशाली महसूस कर रहे हैं... आज से हमारे लिए कुछ भी असंभव नहीं है.. हर कार्य में, हर क्षेत्र में हम सफल बनेंगे... हम विजयी रहेंगे.. आज से हमारे साथ जो कुछ भी होगा, अच्छा होगा!

ओम शांति।


28. Immunity Booster Meditation For Protection From Any Negetivity & Diseases

ओम शांति।

फील करेंगे मैं एक पॉइंट ऑफ लाइट.. अपने फोरहेड के बीच में.. मैं एक पॉइंट ऑफ लाइट आत्मा हूं.. मैं शांत हूं, मैं शक्तिशाली हूं.. मैं आत्मा निर्भय हूं, सुरक्षित हूं.. अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा हमारे साथ हैं.. उनकी छत्रछाया में हम सुरक्षित हैं.. परमात्मा हमेशा मेरे साथ हैं.. अनुभव करेंगे उनसे शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रही हैं.. मैं शक्तिशाली हूं.. परमात्मा की संतान मास्टर सर्वशक्तिमान हूं.. परमात्मा सदैव मेरे साथ हैं.. उनकी शक्तियां मेरे साथ हैं.. अनुभव करेंगे मुझ आत्मा लाइट से यह शक्तियों का प्रकाश निकल, हमारे पूरे शरीर को मिल रहा है.. ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह लाइट फैल रही है.. मेरा शरीर स्वस्थ है, निरोगी है.. जैसे यह लाइट की किरणें हमारे शरीर को घेरे हुए एक सुरक्षा कवच बना चुकी हैं.. लाइट का ऑरा हमारे शरीर को घेरे हुए है.. मैं शक्तिशाली हूं, सुरक्षित हूं.. मेरा शरीर स्वस्थ है.. हमारे घर के सभी फैमिली मेंबर्स शक्तिशाली हैं, स्वस्थ है, सुखी हैं.. अनुभव करेंगे यह परमात्म लाइट पूरे विश्व में फैल चुकी है.. विश्व की सभी आत्माएं यह लाइट फील कर रही हैं.. वे भी शक्तिशाली बन चुकी है, सभी स्वस्थ हैं.. पूरे विश्व में सुख शांति है.. ओम शांति।


29. Morning Motivation - Affirmations for Happiness - Success from Murli

ओम शांति।

  1. जो संकल्प हम बार बार करते हैं, उसका निर्माण करते हैं। What we think, we become.

  2. परमात्मा कहते हैं तुम सिर्फ मुझे याद करो, तो तुम्हारे लिए सोचने का काम भी मैं करूँगा।

  3. परमात्मा की याद में रहने से जीवन की सर्व समस्या सहज ही समाप्त हो जाएंगी।

  4. जितना परमात्मा बाप की याद में रहेंगे तो परमात्मा के साथ का, व उनके छत्रछाया का अनुभव होता रहेगा।

  5. जो आत्माएं सच्चे हैं और जो परमात्मा की याद में रहते हैं, उनका जवाबदार स्वयं परमात्मा है।

  6. परमात्मा बाप की याद में रहने का साधन है, मेरापन भूल जाना। सबकुछ बाप का है, यह तन भी आपका नहीं, परमात्मा बाप का है।

  7. जैसा संग, वैसा रंग। परमात्मा एवर प्योर है, हम आत्मा मन बुद्धि द्वारा उनके साथ रहेंगे तो हम भी पवित्र बन जाएगा।

  8. अंतर्मुखी बन प्रभु चिंतन करने से जीवन यात्रा सहज होती है।

  9. शिव भगवानुवाच- मैं गारंटी करता हूँ कि तुम मुझे याद करो तो इस योग अग्नि से तुम्हारे जन्म जन्मान्तर के पाप भस्म हो जाएंगे। - 01/02/2019

  10. परमात्मा की याद में रहने से शरीर के रोग जो तंग करते हैं, वह भी ऑटोमेटिकली ठंडे हो जाते हैं। - 24/07/2019

  11. जो सदा ईश्वरीय नशे में मस्त रहते हैं, वह सर्व प्राप्ति संपन्न बनते हैं।

  12. स्वचिन्तन और प्रभुचिन्तन करो तो व्यर्थ चिंतन स्वतः समाप्त हो जाएगा।

  13. हर कदम में कल्याण है। जिस बात में अकल्याण भी दिखाई देता, उसमें भी कल्याण समाया हुआ है, सिर्फ अंतर्मुख होकर देखो।

  14. जब तुम योगयुक्त होकर कर्म करते हो, तो परमात्म शक्तियां तुम्हारे साथ काम करती हैं।

  15. जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा। यह पॉजिटिव संकल्प कमजोर संकल्पों के जाल को खत्म कर देता है।

  16. यदि आप परमात्मा के प्यार में मग्न रहने लगो तो जन्म जन्म संबंधों में प्यार मिलता रहेगा।

  17. दिल एक ईश्वर से लगाओ तो सर्व दुःख दर्द समाप्त हो जाएंगे।

  18. भगवान अपने बच्चों को तन से मन से और धन से सहज रखेगा, यह बाप की गारन्टी है।

  19. दूसरों की गलतियां क्षमा करना और भूलना ही महानता है।

  20. यदि आप सम्मान चाहते हो, तो पहले सबको सम्मान दो।

  21. न व्यक्ति बदलेगी, न स्थान बदलेगा, न परिस्थिति बदलेगी। तुम्हें स्वयं को बदलना होगा।

  22. तुम अपनी श्रेष्ठ पोज़िशन में स्थित रही तो कोई भी अपोजिशन कर नहीं सकता।

  23. रहम की दृष्टि घृणा की दृष्टि को समाप्त कर देती है।

  24. सबके प्रति शुभ कामना, श्रेष्ठ कामना रखना ही सबसे बड़ा पुण्य है। यही यथार्थ सेवा है।

  25. परदर्शन परचिन्तन है धूल। तुम्हें बेदाग हीरा बनना है।

  26. दिल से दूसरों की सेवा करो तो दुआओं का दरवाजा अपने आप खुल जायेगा।

  27. जो अपने घर को, अपने भंडारे को परमात्मा बाप का भंडारा समझते हैं, वो मानो ब्रह्मा भोजन ही खाते हैं। उनके भंडारे और भंडारी सदा भरपूर रहते हैं।

  28. ज्यादा कमज़रियों को सोचो नहीं। कमजोरियों को सोचते सोचते भी और कमज़ोर हो जाते हैं।

  29. सदा एक ही लक्ष्य की तरफ नज़र रहे। वह लक्ष्य है बिंदु। और कोई भी बातों के विस्तार को देखते हुए नहीं देखो, सुनते हुए नहीं सुनो।

  30. विघ्नों को सदा खेल समझ कर चलो तो जीवन में कभी फेल न नहीं होंगे।

  31. परमात्मा बाप की प्रीत में रहना अर्थात अशरीरी सहज बनना।

  32. सवेरे सवेरे जब तुम अशरीरी बनते हो तो सारे संसार को शांति का दान मिलता है।

ओम शांति।



30. अंगद समान स्थिति

ओम शांति।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर, एकाग्र करेंगे मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा... अपने मस्तक के बीच में एक चमकता सितारा... मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूं... एकाग्र हो जाएंगे अपने आत्म अभिमानी स्थिति में... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्म इंद्रियों की मालिक... अपने शरीर की मालिक... मेरा अपने शरीर पर पूरा नियंत्रण है... मेरा अपने संकल्पों पर, अपने स्वभाव पर पूरा नियंत्रण है... मैं अंगद सामान अचल अडोल हूं... पूरी तरह से एकाग्र हूं... अंगद के सामान अचल अर्थात सदा निश्चय बुद्धि विजयंती... मैं हर परिस्थिति में अचल अडोल रहने वाली आत्मा हूं... जीवन के हर खेल को हम खिलाड़ी बनकर खेलते हैं... खिलाड़ी की स्टेज पर हम सदा हर्षित रहते हैं... और मनोरंजन का अनुभव करते हैं... कोई भी पेपर या परिस्थिति वह चाहे व्यक्ति के रूप में हो, धन के रूप में हो या चाहे शरीर के रूप में हो, या अपने ही स्वभाव संस्कार से हो, इन परिस्थितियों में, इन समस्याओं मेंश्रहम सदा अचल हैं.. अडोल हैं... अंगद समान सदा शक्तिशाली रहते हैं... इन परिस्थितियों का प्रभाव हमारे मन पर नहीं होता... हमारा अपने मन पर, संकल्पों पर पूरा नियंत्रण है... इन परिस्थितियों से अचल अडोल और उपराम रहने से हम सदा निर्विघ्न रहते हैं... और हर कार्य में, परिस्थिति में विजय का अनुभव करते हैं... हर परिस्थिति में हम एकरस रहते हैं... सदा स्थिर रहते हैं... कोई भी हलचल हमें नहीं हिला सकती... हम मान अपमान, निंदा स्तुति, या हार और जीत में समान स्थिति में रहते हैं... मैं सदा अंगद समान अचल अडोल हूं... इसी को ही संपूर्ण योगी कहा जाता है... जितना जितना हम अपने इस आत्मिक स्वरूप में एकाग्र करेंगे, एक बल एक भरोसा के आधार पर परमात्मा शिवबाबा पर पूरा निश्चय रख एकाग्र रहेंगे, उतना ही हमारी नियंत्रण शक्ति बढ़ती जाएगी.... और अंतिम महाविनाश के सीन में भी हम खेल का अनुभव करेंगे... मनोरंजन का अनुभव करेंगे... कोई भी परिस्थिति में हम हिलेंगे नहीं.. हलचल में नहीं आएंगे! सदा हर परिस्थिति में निश्चय बुद्धि विजयंती बनेंगे! हमें हर परिस्थिति में सफलता का अनुभव होगा! यह परिस्थितियां, यह समस्याएं हमें एक लिफ्ट की तरह अनुभव होंगी! इन पेपर्स को पार करते करते हम अनुभवी बनते जाएंगे, शक्तिशाली बनते जाएंगे! और मनोरंजन का अनुभव करेंगे! तो 2 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे.... मैं अंगद सामान हर परिस्थिति में अचल अडोल और स्थिर हूं..........

ओम शांति।


31. अपना भाग्य बदलो - क्या जन्मपत्री में लिखा बदला जा सकता है - जो चाहोगे वही पाओगे

ओम शांति।

कुंडली horoscope, या palm mystery यह एक प्रकार के साइंस हैं। कोई हमें भविष्य बताता है, इनमें जो भी predictions हैं, वो हमारे पिछले जन्मों के karmic accounts पे आधारित होते हैं। जो भी हमारे द्वारा कर्म हुए हैं, उनपे आधारित यह एक साइंस है। कई आत्माओं के प्रश्न आते हैं कि नौ ग्रहों पे मेडिटेशन बनाइए हमें साढ़ेसाती है, हमें कोई अन्य ग्रह का problem है, तो इन सभी समस्याओं के लिए हम यह मेडिटेशन दो भाग में बाटेंगे। पहले भाग में हम परमात्मा से योग लगाएंगे, हम उनसे कनेक्ट होकर अपने सभी पूर्व जन्मों के पाप भस्म करेंगे। मुरलियों में परमात्मा कहते हैं - "बच्चे तुम मुझे याद करो, तो मैं तुम्हें गारंटी करता हूं कि तुम्हारे जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाएंगे।" तो पहले भाग में हम परमात्म किरणों द्वारा अपने पाप कर्म नष्ट करेंगे। दूसरे भाग में हम forgiveness का अभ्यास करेंगे, क्षमा याचना का अभ्यास करेंगे। इस अभ्यास में हमने पूर्व जन्मों में किसी आत्मा को दुख दिया हो, तो हम दिल से उनसे क्षमा मांगेगे। तो यह दो प्रकार के मेडिटेशन करने से यह जो कुंडली का दोष है, जो भी नेगेटिविटी है, कोई भी अन्य ग्रहों का imbalance है, वह सभी नेगेटिव प्रभाव अपने आप शांत हो जाएगा। स्वतः ही कुंडली का नेगेटिव प्रभाव कम हो जाएगा। और हमारे साथ धीरे धीरे सबकुछ अच्छा होने लगेगा। तो भले ही कुंडली हमें अपना भाग्य बता रही है, लेकिन हम मेडिटेशन से अपना भाग्य बना सकते हैं। जितना ज्यादा हम मेडिटेशन करेंगे, उतना हम सभी प्रकार के नेगेटिविटी से सेफ हो जाएंगे। हमारे साथ स्वतः ही सब सकारात्मक होने लगेगा। हम देखेंगे एक अद्भुत परमात्म शक्ति हमें हेल्प कर रही है, हमारे साथ सबकुछ पॉजिटिव हो रहा है। तो यह मेडिटेशन चलें शुरू करते हैं।

चारों ओर के सर्व संकल्पों को समेट कर, एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को मस्तक के बीच.. मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.. मैं आत्मा अपने कर्मेंद्रियों की मालिक.. स्वराज्य अधिकारी.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा यह शरीर छोड़ चली ऊपर की ओर.. आकाश, चांद, तारों को पार कर पहुंच गई हूं अपने घर परमधाम में.. चारों तरफ सुनहरी लाल रंग की किरणें.. मैं आत्मा पहुंच गई हूं परमात्मा शिवबाबा के एकदम समीप.. परमपिता परमात्मा शिवबाबा गुणों के सागर, सर्वशक्तिमान.. अनुभव करेंगे उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रही हैं.. अनुभव करेंगे दिव्य शक्तियों का लाल प्रकाश शिवबाबा से निकल कर मुझमें समाते जा रहा है.. जैसे जैसे यह किरणें मुझ पर पड़ रहीं हैं, वैसे वैसे मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म पाप सब नष्ट हो रहे हैं.. मैं सम्पूर्ण स्वच्छ बन रही हूं.. यह कंबाइंड स्वरूप की स्मृति में मेरे जन्म जन्मांतर के विकर्म नष्ट हो रहें हैं.. समाप्त हो रहे हैं.. अनुभव करेंगे निरंतर परमात्मा शिवबाबा से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समाते जा रहा है.. और मैं सम्पूर्ण स्वच्छ बन चुकी हूं.. संपूर्ण पवित्र.. सर्व शक्तियों से भरपूर.. जैसे कि एक बेदाग चमकता हीरा.. परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान.. मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूं...

अभी हम forgiveness, क्षमा याचना का अभ्यास करेंगे। चारों तरफ से अपना ध्यान समेट कर, एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच.. मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप... एक प्वाइंट ऑफ लाइट... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... मेरा स्वभाव बहुत शांत है... शांति मेरा ओरिजिनल नेचर है... फील करेंगे मुझ आत्मा से शांति का प्रकाश निकल सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है.. ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह प्रकाश फैल चुका है.. मैं सम्पूर्ण रिलैक्स हूं.. मेरा सम्पूर्ण शरीर लोप हो चुका है.. बस मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. अभी एक सेकंड में पहुंच जाएं सुक्ष्म वतन में.. चारों तरफ सफेद प्रकाश.. सामने मेरे बापदादा.. मुझे दृष्टि दे रहे हैं.. उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.. उन हाथों से प्रेम का प्रकाश निकल मुझमें निरंतर समाते जा रहा है.. मुझे वरदान दे रहे हैं - "अशरीरी भव! सदा सुखी भव!" फील करेंगे मैं सम्पूर्ण प्रेम की किरणों से भरपूर हो चुका हूं....

अभी बापदादा के साथ बैठ जाएं और सूक्ष्म वतन में ही सामने इमर्ज करेंगे उन आत्माओं को जिन्होंने हमें दुख दिया हो.. वह चाहें हमारे फैमिली मेंबर्स हो, या कर्म क्षेत्र में कोई फ्रेंड हो.. इमर्ज करें इन सभी आत्माओं को.. इसी के साथ हम इमर्ज करेंगे उन आत्माओं को भी जिन्होंने हमें पिछले किसी जन्मों में दुख दिया हो... फील करेंगे बापदादा से प्यार की किरणें निकल, मुझमें समा कर इन सर्व आत्माओं को मिल रहीं हैं.. यह सर्व आत्माएं प्यार की किरणों से भरपूर हो रही हैं.. इन आत्माओं ने जाने अंजाने स्वभाव संस्कार वश या परिस्थिति वश मुझे दुख दिया हो.. इनमे इनकी कोई गलती नही है.. मैं इन्हें unconditionally माफ करता हूं.. क्षमा करता हूं.. एक मिनट तक हम यह प्यार की किरणें इनको देते रहेंगे.......

यह आत्माएं प्यार की किरणों से भरपूर हो मुझे दिल से दुआएं दे रहीं हैं.. हमारा पूरा कार्मिक अकाउंट समाप्त हो चुका है..

अभी हम सूक्ष्म वतन में इमर्ज करेंगे उन आत्माओं को, जिनको हमने जाने अंजाने कोई दुख दिया हो.. वो चाहे इस जन्म में हो या पिछले किसी जन्मों में हो.. देखेंगे इन आत्माओं को.. फील करेंगे परमात्मा से प्यार की किरणें निकल, मुझमें समा कर इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.. हम दिल से उनसे माफी मागते हैं.. जाने अंजाने हमने आपको दुख दिया है, मुझे माफ कर दीजिए! मैं आपसे दिल से क्षमा मांगता हूं... एक मिनट तक हम यह प्यार की किरणें इन आत्माओं को देंगे..... ओम शांति।


32. अपने पापकर्म भस्म करनेवाला 20 मिनिट Powerful Jwalamukhi Rajyog Meditation

ओम शांति।

मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. चमकता सितारा.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा एक प्वाइंट ऑफ लाइट.. स्थित हूं अपने मस्तक के बीच में... एकाग्र करेंगे बुद्धि अपने इस आत्मिक स्वरूप पर... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... शांति मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर है... अनुभव करेंगे मेरा सम्पूर्ण शरीर लोप हो चुका है... बची मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में... अभी फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा मेरे सिर के ऊपर हैं... जैसे कि मेरी छत्रछाया बन चुके हैं... फील करेंगे परमात्मा का साथ.. परमात्मा शिवबाबा मेरे सिर के ऊपर... परमात्मा शिवबाबा शांति के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान हैं... अनुभव करेंगे उनसे शांति की दिव्य किरणें निकल मुझ आत्मा में फ्लो हो रही हैं.. जैसे एक लेजर बीम की तरह शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रही हैं... सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में... गहराई से अनुभव करें कंबाइंड स्वरूप में परमात्मा शिवबाबा से शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाते जा रही हैं... मैं आत्मा यह शांति की किरणें खींच रही हूं... सर्व संकल्प समाप्त हो चुके हैं... सिर्फ शांति का प्रवाह मुझ आत्मा में हो रहा है... गहराई से अनुभव करेंगे, सम्पूर्ण एकाग्र होकर.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. शांति मेरी एक शक्ति है.. परमात्मा शिवबाबा सदैव मेरे साथ हैं......

मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... अनुभव करेंगे मैं एक लाइट हाउस, माइट हाउस फरिश्ता हूं... मैं आत्मा और मेरा सूक्ष्म शरीर परमात्म दिव्य शक्तियों से जगमगा उठा है... मैं एक फरिश्ता हूं... परमात्मा का एक इंस्ट्रूमेंट हूं... फील करें मैं फरिश्ता ग्लोब पे स्थित हूं... और परमपिता परमात्मा शिवबाबा से मुझमें दिव्य शक्तियों का प्रकाश समा कर नीचे सारे ग्लोब को मिल रहा है.... धीरे धीरे यह किरणें पूरे ग्लोब को घेरे हुए हैं... मानो पृथ्वी के इस ग्लोब के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बना चुकी है... मैं एक लाइट हाउस, माइट हाउस फरिश्ता हूं... परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं... मेरा कोई संकल्प नहीं.. परमात्मा शिवबाबा मुझ द्वारा सारे संसार को दिव्य शक्तियों का दान दे रहे हैं... संसार की सभी आत्माएं इन किरणों को अनुभव कर रही हैं.. और तृप्त हो रही हैं... मुझ फरिश्ता से यह किरणें इस संसार रूपी ग्लोब को मिल रही हैं... अनुभव करेंगे संसार की सभी आत्माएं एक लाइट स्वरूप सितारा बन चमक रही हैं.... प्रकृति के पांचों तत्वों को भी मुझसे यह किरणें मिल रही हैं.... इसी स्थिति में एकाग्र रहें........

पूरा ग्लोब मानो यह परमात्म किरणों से जगमगा उठा है... संसार की सभी आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं.... वे दिल से शिवबाबा को और मुझ फरिश्ता को दुआएं दे रही हैं..

परमात्मा कहते हैं तुम्हारा मुख्य कार्य है - ज्ञान सूर्य से किरणें लेकर इस विश्व को देना! यही हमारा मुख्य कर्तव्य है.... अनुभव करेंगे प्रकृति के पांचों ही तत्व शांत और शीतल बन चुके हैं... सभी आत्माओं को यह सुख दे रहे हैं.... इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे.. परमात्मा शिवबाबा से मुझ फरिश्ता में दिव्य शक्तियों की किरणें समा कर नीचे पूरे ग्लोब को मिल रही हैं......

ओम शांति।


33. अमृतवेला योग - 30 मिनट परमधाम में एकाग्र होने की सहज विधि

ओम शांति ।

चारों तरफ से अपने संकल्पों को समेटकर एकाग्र करें अपने बुद्धि को, मस्तक के बीच- मैं आत्मा ज्योति स्वरूप, एक प्वांइट ऑफ लाइट, अनुभव करेंगे.... मैं आत्मा स्थित हूं अपने फोरहेड के बीच में.. एक सफेद चमकता सितारा... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक.... मैं एक शान्त स्वरूप आत्मा हूं... देखेंगे मुझ आत्मा से सफेद शान्ति का एक प्रकाश निकल मेरे सम्पूर्ण शरीर में फैल रहा है... ऊपर ब्रेन से लेके नीचे पैरों तक.. यह प्रकाश फैल रहा है...

मेरा सम्पूर्ण शरीर एक सफेद प्रकाश का बन चुका है... मेरे शरीर का एक एक अंग जैसे लाइट बन चुका है... इन किरणों से मैं बहुत ही रिलैक्स महसूस कर रहा हूं....

अभी धीरे धीरे मेरा सम्पूर्ण लाइट का शरीर लोप हो रहा है.... बची सिर्फ मैं आत्मा... एक चमकता सितारा... चली आकाश..की और... आकाश, चांद, तारों को पार कर..पहुंच गई हूं परमधाम में... परमधाम...शान्ति धाम...मुक्तिधाम.... चारों ओर लाल प्रकाश... असंख्य आत्मायें....अपने ज्योति स्वरूप में स्थित हैं... अपने अपने जगह पर... जैसे कि आत्माओं का एक झाड़़ है इस लाल प्रकाश की दुनिया में... अभी मैं आत्मा पहुंच गई हूं परमात्मा शिवबाबा के एकदम पास.... अनुभव करेंगे परमपिता परमात्मा शिवबाबा मेरे समीप, उनसे दिव्य शक्तिओं का प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है... मैं आत्मा स्थित हूं अपने निराकारी स्वरूप में... परमात्मा शिवबाबा से निरन्तर दिव्य शक्तिओं का प्रकाश निकल मुझमें समाते जा रहा है.... जैसे जैसे यह किरणें मुझमें समा रही हैं, मेरे जन्म- जन्मान्तर के विकर्म नष्ट हो रहे हैं... और मैं आत्मा सम्पूर्ण स्वच्छ, पवित्र बन रही हूं.... दो मिनट तक हम अनुभव करेंगे- परमात्मा से पवित्रता की किरणें निकल मुझमें समाती जा रही है... सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं इस स्थिति में.....

अनुभव करेंगे....मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र बन चुकी हूं!! मेरे जन्म-जन्मान्तर के विकर्म, नेगेटिविटी सम्पूर्ण नष्ट हो चुकी हैं.. जैसे कि मैं एक बेदाग हीरा हूं.... बाप समान सम्पूर्ण पवित्र....

अभी अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह पवित्रता का प्रकाश निकल नीचे सारे संसार को मिल रहा है.... प्रकृति के पांचों तत्व- अग्नि, वायु, आकाश, जल व पृथ्वी...सम्पूर्ण पवित्र बन रहे हैं..... संसार की सर्व आत्माओं को यह पवित्रता की किरणें मिल रही हैं... पवित्रता सुख-शान्ति की जननी है... इन पवित्रता की किरणों से संसार की हर आत्मा सुख शान्ति का अनुभव कर रही हैं... उनके आत्मा में चढ़ी हुई अपवित्रता की मैल सम्पूर्ण स्वच्छ हो रही है... दो मिनट तक हम पवित्रता का दान सारे संसार को देंगे.... अनुभव करेंगे जैसे कि मैं आत्मा परमात्मा का इन्ट्रूमेंट हूं... परमधाम में परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निरन्तर मुझमें समाकर सारे संसार को मिल रही हैं....

अभी मैं आत्मा चली नीचे सृष्टि के ओर... पहुंच गई अपने स्थूल शरीर में.... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में... एकाग्र करेंगे बुद्धि को परमधाम में... शिव ज्योति स्वरूप पर! शिवबाबा ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, शान्ति के सागर, सर्वशक्तिवान!! अनुभव करेंगे... शिवबाबा से रंग-बिरंगी किरणें निकल नीचे फाउन्टेन की तरह फ्लो हो रही हैं... और मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.... जैसे जैसे यह किरणें मुझ आत्मा में समा रही है, वैसे वैसे परमात्मा के सर्व गुण, शक्तियां मुझमें समा रहे हैं.... जैसे परमात्मा ज्ञान के सागर हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर ज्ञान का सागर हूं.... शिवबाबा प्रेम के सागर....वैसे मैं आत्मा मास्टर प्रेम का सागर हूं... परमपिता परमात्मा सर्वशक्तिवान... मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.... यह किरणें मुझमें समाते समाते.... मैं सम्पूर्ण बाप समान बन चुका हूं....‌ मेरी आत्मा सम्पूर्ण बाप समान दिव्य चमक रही है...... बाप कहते हैं- जैसे मैं चमकता हूं उस दुनिया में, वैसे आप चमको इस संसार में!!

अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से यह रंग-बिरंगा प्रकाश सारे संसार में फैल रहा है.... संसार की लाखों-करोड़ों आत्माओं में यह रंग-बिरंगा प्रकाश समाते जा रहा है... जैसे एक फाउन्टेन की तरह मुझसे यह रंग-बिरंगी किरणों का दान संसार को मिल रहा है.... तीन मिनट तक हम संसार को यह किरणें देंगे....

ओम शांति!


34. जब भी मन उदास हो, कोई चिंता, दुःख, टेंशन या परेशानी हो तो सिर्फ 10 मिनट यह मेडिटेशन करें

ओम शांति ।

जब भी मन में कोई दुःख, चिंता, टेंशन हो जाये तो बस 10 मिनट इस विधि से मेडिटेशन करें। जब भी हमारे मन में कोई नेगेटिव संकल्प या व्यर्थ संकल्प चलते हैं, हमारा मन जब भी दुखी, अशांत उदास हो जाये, तो इस विधि से मडिटेशन करने से हम अनुभव करेंगे हमारा मन शांत रहने लगेगा। जो भी मन के उलझनें हैं, व्यर्थ संकल्प हैं, चिंताए, नेगेटिव संकल्प हैं, हम अनुभव करेंगे धीरे धीरे वह शांत होते जायेंगे। यह लॉ ऑ नेचर (Law of Nature) है- चित्त को शांत कर दो, तो समस्याएं भी स्वतः ही शांत हो जाएंगी। तो हमें परिस्थितियों में न उलझकर हमारे मन को मेडिटेशन से शांत करना है। जैसे ही हमारा मन चित्त शांत होगा, हम अनुभव करेंगे कि समस्याएं भी शांत हो जाएंगी। तो चलिए ये मेडिटेशन स्टार्ट करते हैं...

अनुभव करेंगे मैं एक ज्योति स्वरुप आत्मा हूं.... अपने मस्तक के बीच में एक चमकता हुआ सितारा... एकाग्र करें अपने इस आत्मिक स्वरुप पर.. और संकल्प करेंगे मैं आत्मा शांत हूं.... मैं आत्मा शांत हूं.... मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर शांत है.. मेरा स्वभाव शांत है... फील करेंगे मुझ आत्मा ज्योति बिंदु से शांति की किरणें निकल हमारे पूरे शरीर में फैल रहीं हैं... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक ये शांति का प्रभाव हो रहा है... और मेरा शरीर पूरी तरह से रिलैक्स हो चूका है... जैसे हमारा पूरा शरीर यह शांति की सफेद किरणों से जगमगा उठा है... जैसे मैं आत्मा अपने एक लाइट के प्रकाश के शरीर में हूं... पूरी तरह से अशरीरी हूं... इस संसा के सभी बातों से मुक्त हूं... फील करेंगे मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर के साथ अपना ये स्थूल शरीर छोड़ धीरे धीरे ऊपर जा रही हूं... और आकाश चाँद तारों को पार कर पहुंच गयी हूं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश.... अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरुप में हमारे सामने..... हमें प्यार भरी दृष्टी दे रहे हैं... अद्भुत शांति है उनके नैनो में... पूरी तरह से मेरा मन शांत हो चुका है... अभी हम बाबा के सामने बैठ जायेंगे और अनुभव करेंगे बाबा ने अपना हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है.. और उनके हाथों से शांति की सफेद किरणें मुझ आत्मा और मेरे पूरे सूक्ष्म शरीर में फैल रही हैं.... अनुभव करेंगे इस परम शांति को..... अनुभव करेंगे परमात्म साथ को..... अनुभव करेंगे स्वयं भगवान् का हाथ मेरे सिर के ऊपर है... और वे मुझे निश्चिंत कर रहे हैं... सभी बोझ, सभी बातें जैसे वे हमारे मन से खींच रहे हैं, अब्सॉर्ब (absorb) कर रहे हैं... और हमें कह रहे हैं- "बच्चे तुम चिंता मत करो, मैं हूं ना!! मैं तुम्हारे साथ हूं!! जब भी मुश्किल आए, बस दिल से कहना- बाबा, मेरे बाबा, मेरे साथी, आ जाओ, मदद करो! फिर बाबा भी बंधा हुआ है! बस दिल से कहना! जहां बाप साथ है, वहां कोई कुछ नहीं कर सकता.... तुम चिंता मत करो, मैं हूं ना... भगवान् अपने बच्चे को सदा तन से, मन से, धन से सहज रखेगा, ये बाप की गारंटी है! तुम सिर्फ मुझे याद करो, तुम्हारे लिए सोचने का कार्य भी मैं करूँगा!!"

इसी स्थिति में एकाग्र रहें- स्वयं भगवान का हाथ मेरे सिर पर है! दुनिया की सभी बातों, चिंताओं, परेशानियों से मैं मुक्त हूं.. कोई संकल्प नहीं.. बस परमात्मा का हाथ मेरे सिर के ऊपर.. और उनसे शांति का प्रकाश मुझमें समा रहा है....

ओम शांति।


35. दिन भर कर्म करते सदा खुश रहने के लिए 3 संकल्प - 3 Thoughts For A Happy Life

ओम शांति।

जब हम योग करते हैं, तो हमारी स्थिति अच्छी होती है। हमें बहुत अच्छा अनुभव होता है। परन्तु जीवन में चलते चलते कुछ ऐसी मुश्किल परिस्थितियां या पेपर आते हैं, उन परिस्थतियों में कर्म करते करते हम योगयुक्त कैसे रहें? परमात्म साथ का अनुभव कैसे हो? अचानक के पेपर में हमें यह तीन संकल्प बहुत हेल्प करेंगे। यह तीन संकल्प दिनचर्या के तीन परिस्थितियों पर आधारित हैं। जब भी कोई मुश्किल अनुभव हो, ऐसी परिस्थितियां आ जाएं, बहुत ही विघ्न हो, तब हमें संकल्प करना है भगवान साथी मेरे साथ हैं, जो भी होगा अच्छा होगा! भगवान साथी मेरे साथ हैं, जो भी होगा अच्छा होगा! स्वयं परमात्मा कहते हैं- सदैव कहो मेरे साथ जो भी होगा, अच्छा होगा, तब यदि बुरा होने वाला होगा, तो वो भी अच्छा हो जाएगा। तो यह संकल्प हमारे मन के व्यर्थ और नेगेटिव संकल्पों के जाल को समाप्त कर देगा और उन मुश्किल परिस्थितियों को सही निर्णय लेकर हम पार करेंगे।

इसी प्रकार दूसरी परिस्थिति जब भी हमें कर्मों में बोझ अनुभव हो, कभी कभी कई प्रकार के कर्म एक साथ हमारे सामने आ जाते हैं और हम उलझ जाते हैं, बोझ अनुभव करते हैं, उस समय हम तुरंत निर्णय नहीं ले पाते। तो उस समय हमें संकल्प करना है- मेरा कुछ नहीं, सब परमात्मा बाप का है... मेरा कुछ नहीं, सब परमात्मा बाप का है... यह संकल्प करने से जो भी बोझ वाली परिस्थिति है वह हल्की हो जाएगी, हम लाइट अनुभव करेंगे। परमात्म शक्ति हमें मिलेगी और वह कर्म राइट होगा। हम सही निर्णय लेंगे उस परिस्थिति में।

तीसरी परिस्थिति हमारे सामने आती है संबंध संपर्क से, हमारे रिश्तों से। कभी कभी हमें इन रिश्तों में दुख का अनुभव होता है, हमें hurt की फीलिंग होती है, हमारे साथ कुछ ग़लत व्यवहार हो या कोई हमारे प्रति ग्लानि करता हो या किसी के मन में हमारे प्रति नफरत भाव हो, इन परिस्थितियों में कभी कभी हमें दुख का अनुभव होता है। तो इन रिश्तों के पेपर में, संबंध संपर्क में हमें संकल्प करना है - मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए, मुझे सिर्फ देना है... मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए, मुझे सिर्फ देना है... यह संकल्प करने से हमारे मन में जो भी हद की इच्छाएं, कामनाएं, जो व्यक्तियों से है वो समाप्त हो जाएंगी और हमारा मन हल्का हो जाएगा। और मन में हमें फील करना है हम परमात्मा की संतान हैं, हमें किसी से कुछ नहीं चाहिए, हमें सिर्फ देना है। तो इन परिस्थितियों में मेडिटेशन कैसे करें, कैसे इनको यूज करें, चलें शुरू करते हैं...

पहली परिस्थिति - मुश्किल या विघ्नों में संकल्प करेंगे भगवान साथी मेरे साथ है, जो भी होगा अच्छा होगा.... भगवान मेरा साथी है! वह हमेशा मेरे साथ है! मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा! यह मुश्किल परिस्थिति, पेपर सहज पार होगा, क्योंकि स्वयं भगवान मेरे साथ है!! उनकी शक्तियां मेरे साथ हैं.... परमात्म साथ होने से हर मुश्किल सहज होती है... हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है... जहां परमात्मा बाप साथ है, वहां कोई भी कुछ कर नहीं सकता... कोई भी नेगेटिविटी, किसी के भी नेगेटिव संकल्प हमें टच भी नहीं कर सकते... स्वयं भगवान मेरे साथ हैं! जो होगा, अच्छा होगा....

दूसरी परिस्थिति - जब भी कर्मों में बोझ अनुभव हो, हम उलझ जाए, हम निर्णय नहीं ले पा रहे हैं... तब संकल्प करें - मेरा कुछ नहीं... सब परमात्मा बाप का है.... यह कर्म, यह घर, या कोई भी ऑफिस का कार्य हो.. सभी संपत्ति, संबंध, यह शरीर, यह सब परमात्मा को अर्पण है... मेरा कुछ नहीं, सब परमात्मा बाप को अर्पण है!! गहराई से संकल्प करें - सब कुछ तेरा... सब कुछ तेरा... सब कुछ तेरा... हम बहुत ही हल्का और लाइट अनुभव कर रहे हैं... मुक्त अवस्था है ये!! हर कर्म बाप को अर्पण करने से हर कर्म सहज हो जाएगा और हर कर्म में सफलता प्राप्त करेंगे....

तीसरी परिस्थिति - संबंध- संपर्क, रिश्तों में जब हमें दुख हो, तब हमें संकल्प करना है - मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए... मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए... मुझे सिर्फ देना है!! मुझे सिर्फ देना है!! स्वयं परमात्मा मेरे साथ हैं! उनकी शक्तियां मेरे साथ हैं! मैं एक महान आत्मा हूँ... मैं भाग्यवान हूँ... मैं भरपूर हूँ... स्वयं भगवान ने मुझे भरपूर किया है.... मुझे किसी से कुछ भी नहीं चाहिए... मुझे सिर्फ देना है... परमात्मा कहते हैं - इच्छा अच्छा बनने नहीं देगी! इसलिए इच्छा मात्रम् अविद्या बनो... ब्राह्मण जीवन में देना ही लेना है। जितना हम देंगे, मन से, कर्म से, तो रिटर्न में कई गुना हमें स्वतः ही मिलता रहेगा... इसलिए मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए... मुझे सिर्फ देना है... मैं भरपूर हूँ... बहुत शक्तिशाली हूँ... निर्भय हूँ... निर्विघ्न हूँ... और सफलता मूर्त हूँ... आज से मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा....

ओम शांति।


36. 5 मिनट में परेशान मन को शांत करें।

ओम शांति।

परमात्मा कहते हैं बातें बड़ी नहीं होती, तुम सोच सोच कर बड़ा बना देते हो! परिस्थितियां और कुछ नहीं, कमज़ोर मन की रचना हैं! जीवन में चलते-चलते कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं, कुछ ऐसे पेपर्स आ जाते हैं और हम उलझ जाते हैं। जीवन में हम उदास हो जाते हैं, और परेशान हो जाते हैं। उस सिचुएशन में हम डिसीजन नहीं ले सकते। हमारे संकल्पों की स्पीड बहुत ही फास्ट और नेगेटिव हो जाती है। ऐसी सिचुएशन में कई बार हम टेंपरेरी सॉल्यूशंस का आधार लेते हैं। जैसे कोई गीत सुनना, कोई मनपसंद कार्य करना, अपने कोई प्रिय व्यक्ति से बातें करना... परंतु यह टेंपरेरी सॉल्यूशंस है। हमारे मन को सदा शांत और खुश रखने के लिए परमानेंट सलूशन है पॉजिटिव थॉट्स। जिसे हम ज्ञान कहते हैं। और मेडिटेशन। इन दो आधारों पर हम हमेशा शांत, खुश और शक्तिशाली महसूस करेंगे। ज्ञान से हमारे मन को, संकल्पों को एक पॉजिटिव डायरेक्शन मिलता है। परिस्थितियां हमें इज़ी लगने लगती है। हमें फील होने लगता है कि हमारे साथ जो भी हुआ, अच्छा हुआ! और जो हो रहा है, वह भी अच्छा है! और आगे भी मेरे साथ सब कुछ अच्छा होगा! यह समस्या, यह प्रॉब्लम हमें एक लिफ्ट की तरह अनुभव होगी ! मेडिटेशन से हमें शक्ति मिलेगी और वह समस्या से हम पूरी तरह से बाउंस करेंगे। पूरी तरह से उससे बाहर आकर हम आगे बढ़ते जाएंगे। यह जीवन खेल लगने लगेगा, और हमें रियलाइज होने लगेगा there is no reason to be sad in this world! इस संसार में कोई भी ऐसा कारण नहीं है जो हमें दुखी कर सकता है। 2 से 5 मिनट के मेडिटेशन के अभ्यास से ही हमारे मन के संकल्पों की स्पीड कम हो जाएगी। हम शांत महसूस करेंगे और जैसे ही हमारे मन के संकल्पों की स्पीड कम होगी, पॉजिटिव होगी, तो हम सही डिसीजन ले सकेंगे। और रेगुलरली यह प्रैक्टिस करने से हमारा यह नैचुरल संस्कार हो जाएगा। हम स्वत: ही शक्तिशाली रहेंगे। हर क्षेत्र में हमें सफलता प्राप्त होगी। तो 5 मिनट यह मेडिटेशन पॉजिटिव संकल्पों के साथ चलिए स्टार्ट करते हैं..

फील करेंगे मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूं... स्थित हूं मस्तक के बीच में... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... पूरी तरह से एकाग्र हो जाएंगे अपने सोल कॉन्शियस स्टेज में... मैं एक लाइट हूं... चमकता सितारा.. ज्योति स्वरूप... फील करेंगे जैसे कि यह शरीर दिखाई नहीं दे रहा है... बस मैं एक पॉइंट ऑफ लाइट आत्मा हूं.. मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर शांति है... अभी फील करेंगे हमारे सामने परमात्मा शिवबाबा एक पॉइंट ऑफ लाइट... परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर... गुणों के सागर... शांति के सागर... सर्वशक्तिवान हमारे सामने.... अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से मुझ आत्मा में शांति का प्रकाश फ्लो होकर मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... अनुभव करेंगे यह शांति की किरणें फाउंटेन की तरह मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... मैं इन किरणों से बहुत ही रिलैक्स और शांत फील कर रही हूं.... पूरी तरह से एकाग्र हो जाएंगे, मग्न हो जाएंगे इस स्थिति में.... परमात्म किरणों से हमारे मन की नेगेटिविटी समाप्त हो चुकी है... मैं पूरी तरह से शांत हूं.. पॉजिटिव हूं... शक्तिशाली बन चुकी हूं.... परमात्म साथ का अनुभव करें... हम उनकी संतान हैं... वह सदैव हमारे साथ हैं.... निरंतर उनके किरणों को अपने अंदर समाते जाएंगे.... एकाग्र रहेंगे इसी स्थिति में... और संकल्प करेंगे- भगवान मेरे साथ हैं!! मैं बहुत शक्तिशाली हूं! मैं निर्भय हूं! मैं सदा सुरक्षित हूं! मैं इस संसार के किसी भी व्यक्ति, परिस्थिति, वैभव पर डिपेंडेंट नहीं हूं। मेरी खुशी किसी पर भी डिपेंडेंट नहीं है। मैं पूरी तरह से स्वतंत्र हूं, मुक्त हूं! भगवान हमेशा मेरे साथ हैं! उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिमान हूं! जहां परमात्मा साथ है, वहां कोई कुछ नहीं कर सकता! कोई नेगेटिविटी हमें टच भी नहीं कर सकती! हम हमेशा शांत हैं, खुश हैं, शक्तिशाली हैं! जहां परमात्मा साथ हैं, वहां सफलता हुई पड़ी है। मुझे कोई फिक्र करने की बात नहीं है। हमें हर रोज यह अभ्यास दो से तीन बार करना है। रेगुलर प्रैक्टिस करने से 21 दिन से 3 महीने तक अभ्यास करने से धीरे-धीरे यह मेडिटेशन प्रैक्टिस हमारा नैचुरल संस्कार बन जाएगा। हम स्वत: ही पॉजिटिव रहने लगेंगे, शक्तिशाली रहेंगे। कोई भी परिस्थिति में हम परेशान नहीं होंगे। हम शांत और शक्तिशाली रहकर सही डिसीजन लेंगे।

ओम शांति।


37. 5 मिनट - ट्रैफिक कंट्रोल - पीसफुल मेडिटेशन।

ओम शांति।

परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर... गुणों के सागर... शांति के सागर... सर्वशक्तिवान हमारे सामने... अनुभव करेंगे शिवबाबा से मुझ आत्मा में शांति का प्रकाश फ्लो होकर मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... अनुभव करेंगे यह शांति की किरणें एक फाउंटेन के तरह मुझ आत्मा में समाती जा रही है... मैं इन किरणों से बहुत ही रिलैक्स और शांत फील कर रही हूँ... पूरी तरह से एकाग्र हो जाएंगे, मग्न हो जाएंगे इस स्थिति में... परमात्म किरणों से हमारे मन की नेगेटिविटी समाप्त हो चुकी है.. मैं पूरी तरह से शांत हूँ... पॉजिटिव हूँ... शक्तिशाली बन चुकी हूँ... परमात्म साथ का अनुभव करें.. हम उनकी संतान हैं.. वे सदैव मेरे साथ हैं... निरन्तर उनकी किरणों को अपने अंदर समाते जाएंगे.... एकाग्र रहेंगे इसी स्थिति में... और संकल्प करेंगे भगवान मेरे साथ हैं... मैं बहुत शक्तिशाली हूँ... मैं निर्भय हूँ... मैं सदा सुरक्षित हूँ... मैं इस संसार के किसी भी व्यक्ति,परिस्थिति, वैभव पे निर्भर नहीं हूँ... मेरी खुशी किसी पर भी निर्भर नहीं है... मैं पूरी तरह से स्वतंत्र हूँ... मुक्त हूँ... भगवान हमेशा मेरे साथ हैं... मैं उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ... जहां परमात्मा साथ हैं, वहां कोई कुछ नहीं कर सकता... कोई नेगेटिविटी हमें टच भी नहीं कर सकती... हम हमेशा शांत हैं, खुश हैं, शक्तिशाली हैं... जहां परमात्मा साथ हैं, वहां सफलता हुई पड़ी है... मुझे कोई फिकर करने की बात नहीं है... हमें हर दिन यह अभ्यास दो से तीन बार करना है... रेगुलर प्रैक्टिस करने से 21 दिन से 3 महीने तक यह प्रैक्टिस करने से धीरे धीरे यह मेडिटेशन प्रैक्टिस हमारा नेचुरल संस्कार बन जाएगा। हम स्वतः ही पॉजिटिव रहने लगेंगे...

शक्तिशाली रहने लगेंगे... किसी भी परिस्थिति से हम परेशान नहीं होंगे... हम शांत व शक्तिशाली रहकर सही निर्णय लेंगे।

ओम शांति।


38. 5 स्वरूप का अभ्यास।

ओम शांति।

एक सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने निराकारी स्वरूप में.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं परमधाम में.. चारों तरफ लाल प्रकाश.. सितारों की दुनिया है ये.. हर आत्मा अपने अपने सेक्शन में स्थित है.. फील करेंगे मैं आत्मा पहुंच गई परमात्मा शिवबाबा के एकदम पास.. फील करेंगे उनके साथ का अनुभव.. मैं परमात्मा शिवबाबा से कंबाइंड हूं.. अनुभव करेंगे परमात्मा शिव ज्योति से दिव्य गुणों और शक्तियों का प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समाते जा रहा है.. इन किरणों से मुझ आत्मा के जन्म जन्मांतर के विकर्म नष्ट हो चुके हैं.. मैं सम्पूर्ण बाप समान गुणमूर्त, शक्तिशाली बन चुकी हूं.. जैसे परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान हैं, वैसे मैं आत्मा उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं अपने इस निराकारी स्वरूप में.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा अपने निराकारी स्वरूप में, सम्पूर्ण बेदाग हीरा बन चुकी हूं... एक हीरे समान चमक रही हूं... मुझपे कोई नेगेटिविटी का दाग नहीं है.. मैं सम्पूर्ण स्वच्छ हूं..

अभी एक सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने देवता स्वरूप में.. फील करें, अनुभव करें देवता रूपी ड्रेस.. सिर पर डबल ताज.. एक पवित्रता का और एक रत्नों जड़ित हीरों का ताज... कंचन काया... सम्पूर्ण सतोप्रधान... सोलह कला संपन्न.. देवता अर्थात दिव्य गुणों से सजे सजाए.. सर्व दिव्य गुणों से मैं संपन्न हूं.. देवता अर्थात देने वाला.. मैं सदा देता हूं.. देने का संस्कार मुझ आत्मा का ओरिजिनल संस्कार है.. अनुभव करेंगे अपने देवता स्वरूप को.. संपूर्ण एकाग्र होकर फील करेंगे स्वर्ग का आनंद.. पंछियों की आवाज.. एक नेचुरल संगीत.. मैं एक सतयुगी दिव्य आत्मा हूं.. सतयुग में मैं प्रिंस हूं.. अनुभव करेंगे चारों तरफ सोने के महल.. महलों के आंगन में खड़े पुष्पक विमान.. अनुभव करेंगे पुष्पक विमान की सैर.. सेकंड में बटन दबाया और उड़ चले... मैं सतयुगी दिव्य आत्मा हूं...

अभी एक सेकंड में फील करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने पूज्य स्वरूप में.. मंदिरों में मेरी पूजा हो रही है.. कभी गणेश के रूप में.. कभी दुर्गा माता के रूप में.. कभी माता लक्ष्मी के रूप में.. कभी हनुमान के रूप में.. द्वापर और कलयुग में मैंने भक्तों की शुद्ध मनोकामनाएं पूर्ण की हैं.. उनके दुखों को समाप्त कर सुख का अनुभव कराया है.. उन्हें शांति का अनुभव कराया है.. हनुमान बन भक्त आत्माओं को मैंने शक्ति दी है, बल दिया है.. गणेश बन उनके दुखों को हर कर उनको सुख दिया है.. माता लक्ष्मी बन उनको धन की प्राप्ति कराई है.. दुर्गा माता बन उनके सर्व दुख, कष्ट, समस्याएं शक्ति रूप से नष्ट किए हैं.. मैं एक पूज्य आत्मा हूं..

एक सेकंड में स्थित हो जाएं अपने ब्राह्मण स्वरूप में.. मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप, चमकता सितारा.. स्थित हूं अपने श्रेष्ठ संगमयुगी ब्राह्मण स्वरूप में... संपूर्ण पवित्र.. सर्व शक्तियों से संपन्न.. ब्राह्मण अर्थात मायाजीत.. सर्वशक्ति संपन्न बनना ही मायाजीत बनना है.. ब्राह्मण अर्थात स्वराज्य अधिकारी.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेन्द्रियों की मालिक.. संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण स्वरूप... ब्राह्मण अर्थात विजय.. सर्व शक्तियां अर्थात सर्व शस्त्रों से संपन्न.. ब्राह्मण स्वरूप अर्थात सदा ताज, तख्त और तिलकधारी... विश्व कल्याण की जिम्मेदारी के ताजधारी... सदा स्वतः स्मृति के तिलकधारी... सदा बाप के दिल तख्त नशीन... ब्राह्मण अर्थात सदा अलौकिक जीवन के मौज में रहने वाले... सदा रूहानी सूरत और सीरत वाले... मैं ब्राह्मण सदा मौज में रहने वाला संपूर्ण पवित्र स्वराज्य अधिकारी सर्वशक्ति संपन्न मायाजीत आत्मा हूं...

अभी अनुभव करेंगे एक सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. फरिश्ता अर्थात डबल लाइट.. सदा हल्का.. सारे दिन में स्वभाव संस्कार, संबंध संपर्क में लाइट.. फरिश्ता अर्थात जिसका पुरानी देह और पुरानी दुनिया से कोई रिश्ता नहीं... फरिश्ता का यथार्थ स्वरूप है देह भान और देह के संबंध से, देह अभिमान से न्यारा.. फरिश्ते सदा उड़ते रहते हैं.. और परमात्मा का मेसेज देते रहते हैं.. मैं फरिश्ता इस संसार में परमात्मा का भेजा हुआ एक एंजेल हूं.. एक अवतरित फरिश्ता हूं.. सारे संसार को मुझे परमात्मा का मेसेज देना है.. उनके अवतरण का संदेश देना है.. मुझ फरिश्ता को इस संसार के किसी आत्मा से कुछ नहीं चाहिए.. मुझे सिर्फ देना है.. मुझ फरिश्ता से इस संसार को सदैव पवित्रता, ज्ञान, गुणों और शक्तियों के वाइब्रेशन सदैव मिलते हैं... और मैं सदैव हल्के और उड़ते रहता हूं.. फरिश्ता आया, संदेश दिया और उड़ा....

ओम शांति।


39. संगमयुग तन-मन-धन और समय सफल करने का युग - अभी नहीं तो कभी नहीं.. Self Checking Meditation

ओम शांति ।

आज हम एक विशेष चिंतन करेंगे। अपने आप से बातें करेंगे। अपने आप को चेक करेंगे। साकार मुरलियों में कई बार आया है, बाबा कहते हैं- यह संगमयुग बहुत ते बहुत 100 साल है। आज लगभग 85 वर्ष पूरे होने को हैं। बस कुछ ही समय में यह भाग्य बनाने का समय पूरा हो जाएगा। भाग्यविधाता बाबा भी वापस चले जाएंगे। साकार पार्ट पूरा हो गया। प्रकृति के पांच तत्व और पांचो विकार अपने तमोप्रधान अवस्था में हैं। अचानक कुछ भी हो सकता है, तो हमें अपने आप से बातें करनी हैं..

स्वयं को देखेंगे मस्तक के बीच, मैं चमकता हुआ सितारा.. पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं अपनी इस आत्मिक स्थिति में, और अपने आप से बातें करें - यह संगमयुग है ही एक का पदमगुणा जमा करने का युग, तो हमने संगमयुग में, परमात्मा के सृष्टि परिवर्तन के कार्य में, अपना तन मन धन और समय, कितना सफल किया है? अपने आपको चेक करें। हम बाबा के बने, हम क्या करना चाहते थे, और क्या कर रहे हैं? क्या हम 100% बाबा से सच्चे हैं? अचानक कभी भी हम यह शरीर छोड़ सकते हैं, फिर हम कुछ नहीं कर पाएंगे, बाबा भी साक्षी हो जाएंगे। यह पृथ्वी एक पाठशाला है। हम इस ब्राह्मण जीवन में परमात्मा का ज्ञान लेते हैं, अपने विकर्म विनाश करते हैं, अपने पुण्य का खाता, अपने दुआओं का खाता बढ़ाते हैं। तो अपने आप को चेक करें, हमने अपना तन मन धन और समय कितना सफल किया है?

अव्यक्त मुरली 24 फरवरी 1985, इस मुरली में बाबा कहते हैं, "अभी भोलेनाथ के भरपूर भंडारे खुले हुए हैं। जितना चाहो ले सकते हो। बाप समान संपूर्ण बनो। समय के महत्व को जान, महान बनो।" इस मुरली में बाबा कहते हैं - "बाबा की सेवा में तन से जो सेवा करते हैं, तो 21 जन्मों के लिए संपूर्ण निरोगी तन प्राप्त होता है।" बाबा कहते हैं - कैसा भी कमजोर तन हो, रोगी हो, लेकिन वाचा कर्मणा नहीं तो मनसा सेवा अंतिम घड़ी तक कर सकते हो। अपने अतीन्द्रिय सुख शांति की शक्ति चेहरे से, नैनों से दिखा सकते हो, जो संपर्क वाले देखकर यही कहें यह तो वंडरफुल पेशेंट है! इस तन की सेवा का फल 21 जन्म खाते हैं।

और मन द्वारा जो सुख शांति की किरणें, शुभ भावना के वाइब्रेशन्स मनसा सेवा करते हैं , वे 21 जन्म मन से सदा सुख शांति की मौज में होंगे और आधा कल्प भक्ति द्वारा, चित्रों द्वारा मन की शांति देने के निमित्त बनेंगे।

और इसी प्रकार धन द्वारा सेवा के निमित बनने वाले 21 जन्म, अनगिनत धन के मालिक बन जाते हैं। साथ-साथ द्वापर से अब तक भी, ऐसी आत्मा कभी धन की भिखारी नहीं बनेंगी। 21 जन्म राज्य भाग्य पाएंगे, जो धन मिट्टी के समान होगा और द्वापर कलयुग में 63 जन्मों में, किसी जन्म में भी धन के भिखारी नहीं बनेंगे। मजे से दाल रोटी खाने वाले होंगे। जितना धन लगाओ उतना द्वापर से कलयुग तक भी आराम से खाते रहेंगे।

इसी प्रकार समय लगाने वाले एक तो सृष्टि के चक्र के सबसे श्रेष्ठ समय, सतयुग में आते हैं, सतोप्रधान युग में आते हैं। जिस समय का भक्त लोग भी गायन करते रहते हैं।

तो आज हम अपने आप को यह चारों ही बातें, तन मन धन और समय कितना सफल किया यह चेक करेंगे। अंतिम विनाश के समय में ना व्यक्ति, ना वैभव, ना वस्तु काम आएंगी। जो हमने श्रेष्ठ स्थिति बनाई है, पुण्यों का खाता, दुआओं का खाता जो बनाया है, वही काम आएंगे! तो समय के महत्व को जान अपना तन मन धन और समय सफल कर हम बाप समान संपूर्ण बनेंगे।

ओम शांति।


40. सवेरे उठते ही और सोने से पूर्व करें यह 4 संकल्पों का अभ्यास - Reprogram Your Subconscious Mind

ओम शांति।

आज हम 4 नए संकल्पों का अभ्यास करेंगे। इन 4 संकल्पों का हमें हर सुबह 5 मिनट और रात सोने से पहले 5 मिनट गहराई से चिंतन कर मेडिटेशन करना है। और दिनभर में भी कर्म करते कोई बोझ, टेंशन, चिंता या उलझन हो, तो उस समय 1 मिनट, 2 मिनट इन संकल्पों का अभ्यास करने से हम तुरन्त ही शान्त और हल्केपन का अनुभव करेंगे। प्रतिदिन इन 4 संकल्पों का अभ्यास करने से हम बहुत शक्तिशाली अनुभव करेंगे। हम हर कार्य में सफल रहेंगे। हमारे जीवन में सब कुछ अच्छा होगा, हम सदा बेफिक्र रहेंगे।

तो सवेरे उठते ही हमें यह 4 संकल्पों का अभ्यास करना है।

पहला संकल्प है- भगवान मेरे साथ हैं... हमें फील करना है... मैं आत्मा अपने फोरहेड के बीच में एक चमकता सितारा हूं... स्वयं भगवान हमारे साथ हैं.. वे हमारे साथी हैं! हमारे फ्रेंड हैं...

हमें फील करना है.. भगवान हमारे साथ हैं.. उनका वरदानी हाथ मेंरे सिर के ऊपर है... उनकी शक्तियाँ मेरे साथ हैं... यह संकल्प करते ही हम निश्चिन्तता का अनुभव करेंगे और एक secure फीलिंग यानी निर्भयता का अनुभव कर हम शक्तिशाली महसूस करेंगे।

इसी के साथ जुड़ा.. हमें दूसरा संकल्प करना है- मैं विजयी आत्मा हूँ... मैं विजयी आत्मा हूँ.... हमें फील करना है कि हम विजयी हैं... हमें विज़्वलाइज़ करना है कि जो भी हम कार्य सफल देखना चाहते हैं, वह कार्य निर्विघ्न रूप से सफल होकर हम विजयी हो रहे हैं.... सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।

इसी के साथ जुड़ा हमें तीसरा संकल्प करना है- मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है... मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है... हमें पूर्ण विश्वास के साथ विज़्वलाइज़ करना है कि हमारे जीवन में सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है... सभी रीति से हेल्थ, वेल्थ व हैप्पीनेस से हम भरपूर हैं... हमारे सभी रिश्ते अच्छे हैं...

जितना हम यह पॉजिटिव संकल्प करेंगे, उतना हमारे मन में जो भी नेगेटिव संकल्पों का जाल है, वह स्वतः समाप्त हो जायेगा।

भगवान कहते हैं- सदैव कहो कि मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा... तो यदि कुछ बुरा होने वाला होगा तो वह भी अच्छा हो जायेगा...

कई बार यह संकल्प करते समय हमें कोई उलझन, टेन्शन, चिंता सताने लगती है कि हम मेडिटेशन कर रहे हैं... हम पॉजिटिव सोच रहे हैं.. लेकिन यह अच्छा होगा या नहीं हमें चिन्ता हो जाती है, तो इन परिस्थितियों में हमें चौथा संकल्प करना है-

मैं बेफिक्र बादशाह हूँ... मैं बेफिक्र बादशाह हूँ... परमात्मा कहते हैं- मेरे को तेरे में परिवर्तन कर फिक्र बाप को दे, फखुर ले लो... अर्थात् बेफिक्र बादशाह बनो.... जो भी मन में उलझन हो, परेशानी हो, कोई भी कार्य का बोझ हो, तो हमें वह बोझ, वह संकल्प परमात्मा को अर्पण कर हल्के हो जाना चाहिए... और संकल्प करना है - मैं बेफिक्र बादशाह हूँ...

तो यह चारों ही संकल्प मेडिटेशन के रूप में कैसे करना है, चलिए स्टार्ट करते हैं...

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर एकाग्र करेंगे.. मस्तक के बीच..... मैं आत्मा, एक पॉइंट ऑफ लाइट... पूरी तरह एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप में... और अपने आँखों के सामने विज़्वलाइज़ करें... परमात्मा शिवबाबा एक पॉइंट ऑफ लाइट.... इनको दिव्य नयनों से देखते हुए हम संकल्प करेंगे -

भगवान मेरे साथ हैं... भगवान मेरे साथ हैं.... उनका वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर है... उनकी कृपा दृष्टि, उनका आशीर्वाद, उनकी शक्तियाँ मेरे साथ हैं!! अनुभव करें उनके साथ का.. उनके शक्तिओं का... भगवान मेरा साथी हैं... मैं निश्चिन्त हूँ... निर्भय हूँ...

इसी के साथ दूसरा संकल्प करें... मैं विजयी आत्मा हूँ... मैं विजयी आत्मा हूँ.. अपने आत्मिक स्वरूप पे एकाग्र रहें और संकल्प करें मैं विजयी आत्मा हूँ... फील करेंगे...भगवान हमारे साथ हैं... उनका वरदान... उनका आशीर्वाद.... उनकी कृपा... उनकी शक्तियाँ हमारे साथ हैं... मैं विजयी हूँ... सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है... विज़्वलाइज़ करें अपनी सफलता को... जो भी कार्य हो- वह चाहे जॉब हो, बिज़नेस हो, कोई घर का कार्य हो, कोई सेवा हो... उसे विज़्वलाइज़ करें... हम विजयी हैं..

इसी के साथ तीसरा संकल्प करेंगे - मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है... मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है... विज़्वलाइज़ करें हमारे जीवन में सबकुछ अच्छा हो रहा है... देखेंगे भगवान हमारे साथ हैं... हम विजयी हैं... शरीर से स्वस्थ हैं... धन से भरपूर हैं... मेरा जीवन सुखी है... हम बहुत खुश हैं... मेरे सभी रिश्ते बहुत अच्छे हैं... मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है...

इसी के साथ जुड़ा चौथा संकल्प करेंगे- मैं बेफिक्र बादशाह हूँ... मैं बेफिक्र बादशाह हूँ... अपने सर्व संकल्प, बोझ, मान-अपमान, निंदा-स्तुति, हार-जीत.. सबकुछ परमात्मा को अर्पण करें... हल्के हो जाएं... बेफिक्र स्थिति का अनुभव करें.... हल्केपन का अनुभव करें... मैं बेफिक्र बादशाह हूँ... मैं बेफिक्र बादशाह हूँ....

यह चारों ही संकल्प हम एक बार दोहराएं...

  1. भगवान मेरे साथ हैं...

  2. मैं विजयी आत्मा हूँ...

  3. मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है...

  4. मैं बेफिक्र बादशाह हूँ...

ओम शान्ति।


41. रोज अमृतवेला इस एक संकल्प का अभ्यास जरूर करें - बाबा मैं जो भी हूँ, जैसी भी हूँ, आपकी हूँ..

ओम शांति ।

आज हम एक विशेष संकल्प का अभ्यास करेंगे। इस एक संकल्प के अभ्यास में सभी अभ्यास, सभी पुरुषार्थ समाया हुआ है। इस एक संकल्प से हम सर्व गुणों और सर्व शक्तियों से भरपूर बनेंगे। हम जो चाहे परमात्मा से ले सकते हैं। इस एक संकल्प से हम अनुभव करेंगे परमात्मा बाप के खज़ाने सो हमारे खज़ाने। हम बाप समान सर्व शक्ति संपन्न अनुभव करेंगे। इस संकल्प का अभ्यास हमें रोज़ अमृतवेले करना है।

अव्यक्त मुरली 17-12-1979

बाबा कहते है अमृतवेले सिर्फ माया की बहानेबाज़ी को छोड़ एक संकल्प करो कि मैं जो भी हूँ, जैसी भी हूँ आपकी हूँ! मन, बुद्धि बाप के हवाले कर तख़्तनशीन बन जाओ, तो बाप के सर्व खज़ाने अपने खज़ाने अनुभव होंगे। बाबा कहते हैं इस अमृतवेले के समय बाबा लॉफुल नहीं, लवफुल है। जैसी स्थिति हम बनाना चाहते हैं, अमृतवेले बना सकते हैं। तो यह एक संकल्प का अभ्यास अमृतवेले कैसे करना हैं, चलें स्टार्ट करते हैं।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेट कर एकाग्र करें मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक प्वांइट ऑफ लाइट...

मैं आत्मा स्थित हूँ अपने फरिश्ता स्वरूप में... फील करेंगे अपना डबल लाइट का सूक्ष्म शरीर... मैं आत्मा प्वांइट ऑफ लाइट.. और मेरा प्रकाश का सूक्ष्म शरीर... मैं एक फरिश्ता हूँ... सभी बातों से मुक्त हूँ... स्वतंत्र हूँ... अभी एक सेकंड में पहुँच जाएं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... फील करेंगे बापदादा हमारे सामने.. हमें दृष्टि दे रहे हैं... खो जाएं इस प्यार भरी मीठी दृष्टि में... खो जाएं इस परमात्म प्रेम में... बाबा से बातें करे... बाबा मैं जो भी हूँ, जैसी भी हूँ, आपकी हूँ!! बाबा मैं जो भी हूँ, जैसी भी हूँ, आपकी हूँ!! और कोई संकल्प नहीं... सभी बातें, अपनी सभी विशेषताएं, अपनी सभी कमज़ोरियाँ बाबा को सौंप दें... फील करेंगे बापदादा ने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... इन हाथों से दिव्य गुणों और शक्तियों का प्रकाश मुझमें समाते जा रहा है... मेरा कोई संकल्प नहीं है... बाबा के हाथों से दिव्य शक्तियों की लाल किरणें मुझमें समाते जा रही हैं....

बाबा मैं जो भी हूँ, जैसी भी हूँ, आपकी हूँ! मेरा कोई संकल्प नहीं। हमारा तन, मन, धन सभी सम्बंध आपको अर्पण है! अनुभव करें अपने हाथों से बाबा जैसे हमें सर्वगुणों और शक्तियां किरणों द्वारा दे रहे हैं... सभी वरदान सभी खज़ाने अधिकार में हम अनुभव कर रहे हैं... अनुभव करें बाप समान स्थिति का!!

जितना हम इस संकल्प का अभ्यास करेंगे, उतना स्वतः ही हम अनुभव करेंगे कि जैसे बाबा हममें दिव्य शक्तियाँ भर रहे हैं, और हम सर्वशक्ति संपन्न, सर्व खजानों से संपन्न बन जाएंगे! इसी स्थिति में हम दो मिनट एकाग्र रहें! बाबा के हाथों से दिव्य शक्तियों की किरणें मुझ आत्मा में और मेरे सूक्ष्म शरीर में समा रही हैं.... और मैं एक संकल्प में स्थित हूँ कि बाबा मैं जो भी हूँ, जैसी भी हूँ, आपकी हूँ !!

ओम् शांति।


42. दिमाग (Brain) को शक्तिशाली बनाने के लिए मेडिटेशन

ओम शांति।

किसी भी क्षेत्र या कार्य में सफल होने के लिए हमारे ब्रेन का पावरफुल होना बहुत ज़रूरी है। दिमाग के तेज़ होने के लिए दिमाग का ब्लड सर्कुलेशन का ठीक से चलना बहुत ज़रूरी है। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम ब्रेन को शांति के वाइब्रेशन देकर उसे आराम देंगे। अर्थात संकल्पों को स्लो डाउन करेंगे, धीमा करेंगे। और जब हमारे संकल्प और ब्रेन शांत हो जाएंगे, तब उस स्थिति में हम ब्रेन को परमात्म शक्तियों से भरपूर करेंगे। यह मेडिटेशन करने से हमारा ब्रेन शक्तिशाली बनेगा। ब्रेन का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगा। हमारी एकाग्रता बढ़ेगी। कंट्रोलिंग पावर बढ़ेगी। हमारे ब्रेन की रचनात्मक शक्तियां बढ़ेंगी। हमारे परखने की और निर्णय करने की शक्ति भी बढ़ेगी, जिससे हम हर कार्य में निर्विघ्न रूप से सफलता प्राप्त करेंगे। तो चलें शुरू करते हैं..

एकाग्र करें मैं आत्मा... एक पॉइंट ऑफ लाइट.. स्थित हूं अपने ब्रेन के मध्य में... देखें मैं एक ज्योति स्वरूप चमकता सितारा हूं... संकल्प करें मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं... मेरा स्वभाव शांत है.. मैं एकाग्रचित्त हूं.. बुद्धिवान हूं... मेरा ब्रेन शांत और शक्तिशाली है.. मेरा ब्रेन शांत और शक्तिशाली है... अभी देखें परमधाम में परमपिता परमात्मा शिवबाबा... एक पॉइंट ऑफ लाइट.. शांति के सागर... फील करें उनसे शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... मैं संपूर्ण शांत हूं.. और मुझसे यह शांति की तरंगे संपूर्ण ब्रेन में फैल रही हैं... मेरा ब्रेन संपूर्ण रिलैक्स हो चुका है.. मैं बहुत ही शांत और रिलैक्स महसूस कर रहा हूं.. मेरा संपूर्ण ब्रेन शांत और रिलैक्स है... इस शांति की स्थिति में मेरे ब्रेन का ब्लड सर्कुलेशन सामान्य रूप से काम कर रहा है...

अभी देखें परमात्मा से शक्तियों की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा कर, संपूर्ण ब्रेन को मिल रही हैं... जैसे एक शक्तियों का प्रवाह मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... और संपूर्ण ब्रेन को यह शक्तियों की किरणें मिल रही हैं... देखें शक्तियों का लाल प्रकाश संपूर्ण ब्रेन में फैल चुका है.. लाल रंग की शक्तियों की किरणों से संपूर्ण ब्रेन जगमगा उठा है... परमात्म शक्तियों से भरपूर हो चुका है... परमात्मा सर्वशक्तिवान हैं, मैं आत्मा उनकी सन्तान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मेरा ब्रेन परमात्म दिव्य शक्तियों से भरपूर है... मेरा ब्रेन शक्तिशाली है.. स्वस्थ है.. मैं बुद्धीवान हूं... एकाग्रचित्त हूं... मेरा ब्रेन संपूर्ण परमात्म शक्तियों से भरपूर हो लाल रंग की किरणों से जगमगा उठा है! मेरा ब्रेन शक्तिशाली है! दिव्य है! इसमें अनंत रचनात्मक शक्तियां हैं.... 2 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे- परमात्मा से दिव्य शक्तियों की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाकर, मेरे संपूर्ण ब्रेन में फैल रही हैं.. और मेरा ब्रेन संपूर्ण स्वस्थ है...

ओम शांति।


43. निमित्त भाव का अभ्यास - करावनहार परमात्मा करा रहे हैं - मैं इंस्ट्रूमेंट हूँ - Meditation Commentary

ओम शांति ।

आज हम निमित्त भाव का अभ्यास करेंगे। परमात्मा कहते हैं - कोई भी कर्म में आओ तो संकल्प करो "बाबा मैं इंस्ट्रूमेंट आपके सेवा के अर्थ तैयार हूं!" सेवा में निमित्त भाव ही सेवा के सफलता का आधार है।

चाहे हम कोई भी कार्य करते हों, वो चाहे घर का हो, जॉब हो, या कोई अलौकिक सेवा हो, हमें हर कार्य को सेवा भाव यानी निमित्त भाव से करना है.. अर्थात परमात्मा करावनहार करा रहे हैं, मैं निमित्त हूं, परमात्मा की इन्ट्रूमेंट हूं! इस निमित्त भाव के साथ कार्य करने से हमें सहज सफलता प्राप्त होती है। बाबा कहते हैं- निमित्त भाव अनेक प्रकार का मैं-पन, मेरापन को सहज ही खत्म कर देता है। हम सहज ही निराकारी, निर्विकारी व निरहंकारी स्थिति का अनुभव करते हैं। इस निमित्त भाव से हमारे मन में सर्व आत्माओं के प्रति शुभभावना, शुभकामना स्वतः रहेगी। जितना हम निमित्त भाव में रहेंगे, उतना हम हल्केपन का अनुभव करेंगे, हल्केपन का अनुभव करने से हमारी परखने की शक्ति व निर्णय करने की शक्ति बहुत ही बढ़ जाती है। हम स्वतः ही साक्षी स्थिति का अनुभव करते हैं। और साक्षी स्थिति का अनुभव करने से परमात्मा के साथ का अनुभव स्वतः होता है। और परमात्म बाप के साथ का अनुभव होने से हम स्वतः ही सर्वशक्ति संपन्न अनुभव करते हैं, हम संतुष्ट रहते हैं। तो यह निमित्त भाव ही सर्व सिद्धियों का आधार है। हर सेवा में, हर कार्य में सफलता का आधार है। तो यह अभ्यास कैसे करना है, इसे शुरू करते हैं।

कोई भी कार्य करते समय, कर्म में हो, या बैठे योग में हो, हम अनुभव करेंगे.. मैं आत्मा अपने मस्तक के बीच में एक प्वाइंट ऑफ लाइट.. एक चमकता सितारा.. पूरी तरह एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप पर... संकल्प करेंगे मैं परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं... निमित्त हूं.. मैं इंस्ट्रूमेंट हूं... करावनहार बाप निमित्त बनाए करा रहे हैं... यह कार्य, यह सेवा मैं आत्मा निमित्त बन कर रही हूं... इसमें मेरापन कुछ नहीं है, सबकुछ परमात्मा बाप का है... मैं बस ट्रस्टी हूं... बहुत हल्की हूं.. मन ही मन सभी कार्य, बोझ, वो चाहे कोई जॉब हों, चाहे कोई सेवा हो, कोई सम्बन्धों की ज़िम्मेदारी हो, धन का कोई पेपर हों, सभी मन ही मन परमात्मा को अर्पण करें और हल्के हो जाएं... मेरा कुछ नहीं, मैं निमित्त हूं... मेरा कुछ नहीं, मैं निमित्त हूं... करावनहार परमात्मा करा रहें हैं, यह कार्य में सफलता हुई पड़ी है... सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है!! मैं बस परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं, निमित्त बन यह कार्य कर रही हूं... अनुभव करें.. यह हल्कापन, यह न्यारापन, बंधनमुक्त स्थिति, जीवन-मुक्त स्थिति.. सभी बोझ, चिंताओं से मुक्त, मैं आत्मा परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं... मैं आत्मा पूरी तरह से निराकारी, निर्विकारी और निरहंकारी हूं... मेरा कुछ नहीं, सभी ज़िम्मेदारियां, मन के सभी बोझ, सभी संबंध, हमारा घर, हमारी संपत्ति, हम निमित्त बन, ट्रस्टी बन संभाल रहे हैं... यह परमात्मा की देन है... मैं बस निमित्त हूं... इंस्ट्रूमेंट हूं...

ओम शांति।


44. पूरा दिन कर्म करते बीच बीच में - 5 मिनट में परमात्म शक्तियों से खुद को ऐसे करें चार्ज

ओम शांति।

मैं आत्मा ज्योति स्वरूप, चमकता सितारा.. अनुभव करेंगे, मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट.. स्थित हूं अपने मस्तक के बीच में.. एकाग्र करेंगे बुद्धि अपनी इस आत्मिक स्वरूप पर.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. शांति मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर है.. अनुभव करेंगे, मेरा संपूर्ण शरीर लोप हो चुका है.. बची मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में..

अभी फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा मेरे सिर के ऊपर हैं.. जैसे कि मेरी छत्रछाया बन चुके हैं.. फील करेंगे परमात्मा का साथ... परमात्मा शिवबाबा मेरे सिर के ऊपर.. परमात्मा शिवबाबा शांति के सागर, गुणों के सागर, सर्वशक्तिवान है... अनुभव करेंगे उनसे शांति की दिव्य किरणें निकल, मुझ आत्मा में फ्लो हो रही हैं.. जैसे एक लेज़र बीम की तरह, शिवबाबा से शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा रही है... संपूर्ण एकाग्र हो जाएं इसी स्थिति में, deeply अनुभव करें - कंबाइंड स्वरूप में परमात्मा शिवबाबा से शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं...

मैं आत्मा यह शांति की किरणे खींच रही हूं.. सर्व संकल्प समाप्त हो चुके हैं.. सिर्फ शांति का फ्लो मुझ आत्मा में हो रहा है.. गहराई से अनुभव करेंगे.. संपूर्ण एकाग्र! मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. शांति मेरी एक शक्ति है, परमात्मा शिवबाबा सदैव मेरे साथ हैं..!

ओम शांति।


45. बह्ममुहूर्त में खुलते हैं खजानों के दरवाजे - Secrets of Brahma Muhurta

ओम शांति ।

अमृतवेला.. वरदानी वेला है। यह वेला परमात्म मिलन की है... हम जो चाहें, परमात्मा से ले सकते हैं.. हम जो संकल्प करेंगे, वह सिद्ध होगा। हम जीवन में जो भी चाहते हैं.. वह चाहे किसी भी क्षेत्र में सफलता हो, धन की कोई प्रॉब्लम हो, सम्बन्धों में कुछ टकराव हो, कोई बीमारी हो या मन की कोई भी उलझन व टेन्शन हो, वह इस वेला में मेडिटेशन करने से, योग करने से स्वतः समाप्त हो जायेंगे। हम जीवन में जो चाहते हैं, वही होगा..

तो आज हम कुछ ऐसे सीक्रेट्स यानी राज़ जानेंगे कि इस अमृतवेले की, इस ब्रह्म मुहूर्त की इतनी महिमा क्यों है? सदियों से हर धर्म में इसकी इतनी महिमा किसलिए की जाती है!

हम अमृतवेला की महिमा 3 नज़रिए से देखेंगे -

• एक- हमारे वेद शास्त्र में इसकी महिमा में क्या लिखा है

• दूसरा- आज के वैज्ञानिक व उनके खोज (scientific studies) इस वेला के महत्व में क्या कहते हैं

• तीसरा- मुरलियों के आधार पर स्वयं परमात्मा अमृतवेला का क्या महत्व बताते हैं

• अथर्व वेद में लिखा है- ब्रह्म मुहूर्त उठस्तते स्वास्थ्य रक्षा अर्थम् आयुष्यह्य।।

अर्थात् जो व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में उठता है, जीवन में वह व्यक्ति हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस यानी सेहत, समृद्धि व सुख से भरपूर बनता है! वह सभी रोगों से.. सभी कष्टों से.. मुक्त हो जाता है! आज भक्ति मार्ग में भी अनेक ऐसे संस्थाएं हैं, जो अमृतवेला भजन करते हैं, भगवान को याद करते हैं। उनके अनुभवों के आधार पे भी हमने देखा हैं कि कैसे हज़ारों, लाखों आत्माओं के कष्ट दूर हुए हैं!

• इसी प्रकार आज की साइंटिफिक स्टडीज कहती है- सुबह ब्रह्म मुहूर्त 4 बजे एक ऐसी एनर्जी होती है, वातावरण में कुछ ऐसा चेंज होता है जो हमारे ब्रेन में एक केमिकल - मेलाटोनिन सीक्रिट होता है। इस केमिकल से हमारी एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है।

साइंस कहता है- इस समय जो भी हम कार्य करते हैं, वह पढ़ाई हो या कुछ भी हो, इस समय एकाग्रता यानी concentration पावर ज्यादा होने से हमें उस कार्य में, उस क्षेत्र में सहज सफलता मिलती है!

इस समय व्यक्ति का अवचेतन मन (subconscious mind) एक्टिव होता है, तो जो भी हम पढ़ते है, स्टडी करते हैं, वह सहज ही याद रहता है। पश्चिमी वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलिन कहते हैं- "Early to bed and early to rise, makes a man healthy, wealthy and wise". अर्थात् जो व्यक्ति जल्दी सोता है और जल्दी उठता है, वह व्यक्ति स्वास्थ्य व संपत्ति से भरपूर बनता है!

• हम बहुत भाग्यवान है कि स्वयं भगवान की पालना इस संगमयुग में हमें मिल रही है। ऐसा समय पूरे 5000 वर्ष के कल्प में नहीं मिलेगा जब स्वयं भगवान अमृतवेला हमें मिलते हैं! परमात्मा कहते हैं- "बच्चे तुम सिर्फ अपना अमृतवेला ठीक करो, मैं तुम्हारा सबकुछ ठीक कर दूंगा!"

अव्यक्त मुरली (17/12/1979) में परमात्मा ने कहा है- "अमृतवेले बापदादा विशेष बच्चों के प्रति दाता के स्वरूप और मिलन मनाने के लिए सर्व सम्बन्धों के स्नेह सम्पन्न स्वरूप, सर्व खज़ानों से झोली भरने वाले भोले भण्डारी के रूप में होते हैं। उस समय जो भी करना चाहो, बाप को मनाना चाहो, रिझाना चाहो, सम्बन्ध निभाना चाहो, सहज विधि का अनुभव चाहो, सर्व विधियां और सर्व सिद्धियां सहज प्राप्त कर सकते हो!

अमृतवेले के एक सेकेण्ड का अनुभव सारे दिन और रात में सर्व प्राप्ति के स्वरूप के अनुभव का आधार है। "अमृतवेला का समय आफीशल नहीं है बाप भोले भण्डारी के रूप में है। हर प्रकार के पाप बख्शाने के लिये, कमज़ोरी मिटाने के लिए सब बातों के लिये बाप फ्री है।"

इसी प्रकार अव्यक्त मुरली (19/3/1986) में परमात्मा ने कहा है - रोज अमृतवेले बापदादा स्नेह और शक्ति की विशेष पालना से सभी रूहानी गुलाब के पुष्पों(बच्चों) से मिलन मनाते हैं।

अमृतवेला विशेष प्रभू पालना का वेला है। अमृतवेला विशेष परमात्म मिलन का वेला है। रूहानी रूह-रूहान करने का वेला है। अमृतवेले भोले भण्डारी के वरदानों के खज़ाने से सहज वरदान प्राप्त होने का वेला है। जो गायन है मन इच्छित फल प्राप्त करना, यह इस समय अमृतवेले के समय का गायन है। बिना मेहनत के खुले खज़ाने प्राप्त करने का वेला है। ऐसे सुहावने समय को अनुभव से जानते हो ना! अनुभवी ही जानें इस श्रेष्ठ सुख को, श्रेष्ठ प्राप्तियों को!"

ओम शांति।


46. ब्राह्मण सो फरिश्ता सो देवता

ओम शांति।

एक सेकंड में स्थित हो जाएं अपने ब्राह्मण स्वरूप में... मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप चमकता सितारा.. स्थित हूं अपने संगमयुगी ब्राह्मण स्वरूप में... संपूर्ण पवित्र.. सर्व शक्तियों से संपन्न... ब्राह्मण अर्थात मायाजीत... सर्वशक्ति संपन्न बनना ही मायाजीत बनना है! ब्राह्मण अर्थात स्वराज्य अधिकारी.... अनुभव करेंगे मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्म इंद्रियों की मालिक... संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण स्वरूप.... ब्राह्मण अर्थात विजयी.... सर्व शक्तियां अर्थात सर्व शस्त्रों से संपन्न.... ब्राह्मण स्वरूप अर्थात सदा ताज, तख्त और तिलकधारी... विश्व कल्याण की जिम्मेदारी के ताजधारी... सदा स्वत: स्मृति के तिलकधारी... और सदा बाप के दिलतख्त नशीन... ब्राह्मण अर्थात सदा अलौकिक मौज के जीवन में रहने वाले... सदा रूहानी सीरत और सूरत वाले.... मैं ब्राह्मण सदा मौज में रहने वाला, संपूर्ण पवित्र स्वराज्य अधिकारी.... सर्वशक्ति संपन्न मायाजीत....

अभी अनुभव करेंगे एक सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में.... फरिश्ता अर्थात डबल लाइट, सदा हल्का.... सारे दिन में स्वभाव संस्कार, संबंध संपर्क में लाइट... फरिश्ता अर्थात जिसका पुरानी देह और दुनिया से कोई रिश्ता नहीं.... फरिश्ता का यथार्थ स्वरूप है देह और देह के संबंध से और देह अभिमान से न्यारा.... फरिश्ते सदा उड़ते रहते हैं.... और परमात्मा का मैसेज देते रहते हैं... मैं फरिश्ता इस संसार में परमात्मा का भेजा हुआ एक एंजेल हूं... एक अवतरित फरिश्ता हूं... सारे संसार को मुझे परमात्मा का मैसेज देना है.... उनके अवतरण का संदेश देना है... मुझ फरिश्ता को इस संसार की किसी आत्मा से कुछ नहीं चाहिए... मुझे सिर्फ देना है... मुझ फरिश्ता से इस संसार को सदैव पवित्रता, ज्ञान, गुणों और शक्तियों के वाइब्रेशन सदैव मिलते रहते हैं.... मैं सदैव हल्का और उड़ता रहता हूं.... फरिश्ता आया और संदेश दिया और उड़ा....

अभी 1 सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने देवता स्वरूप में... फील करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने देवता स्वरूप में... अनुभव करेंगे देवता रूपी ड्रेस.. सिर पर डबल ताज- एक प्योरिटी का और एक रत्नों जड़ित हीरों का ताज... कंचन काया... संपूर्ण सतोप्रधान... 16 कला संपन्न... देवता अर्थात दिव्य गुणों से सजे सजाए... सर्व गुणों से मैं संपन्न हूं... देवता अर्थात देने वाला... मैं सदा देता हूं... देने का संस्कार मुझ आत्मा का ओरिजिनल संस्कार है... अनुभव करेंगे अपने देवता स्वरूप को... संपूर्ण एकाग्र... फील करेंगे स्वर्ग का आनंद... पंछियों की आवाज... एक नैचुरल संगीत... मैं एक सतयुगी दिव्य आत्मा हूं.... सतयुग में मैं प्रिंस हूं.... अनुभव करेंगे चारों तरफ सोने के महल... महलों के आंगन में खड़े पुष्पक विमान.... अनुभव करेंगे पुष्पक विमान की सैर.... सेकंड में बटन दबाया और उड़ चलें.... मैं सतयुगी दिव्य आत्मा हूं.....

ओम शांति।


47. मुश्किल परिस्थिति में बुद्धि को स्थिर और शांत कैसे रखें - Meditation Commentary

ओम शांति ।

एकाग्र करेंगे... मैं आत्मा... ज्योति स्वरूप... एक चमकता सितारा.. अनुभव करेंगे, मैं आत्मा स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं बहुत ही लाइट और हल्का महसूस कर रही हूं। मुश्किल या विघ्नों में संकल्प करेंगे की भगवान साथी मेरे साथ हैं.. जो भी होगा अच्छा होगा.. भगवान मेरा साथी हैं वह हमेशा मेरे साथ हैं.. मेरे साथ जो होगा अच्छा होगा.. यह मुश्किल परिस्थिति, पेपर सहज पार होगी क्योंकि स्वयं भगवान मेरे साथ हैं.. उनकी शक्तियां मेरे साथ हैं.. परमात्मा साथ होने से हर मुश्किल सहज होती है। हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है.. जहां परमात्मा बाप साथ हैं वहा कोई भी कुछ कर नही सकता.. भगवान साथी मेरे साथ हैं.. जो भी होगा अच्छा होगा... कोई भी नेगेटिविटीतिवी, कोई के नेगेटिव संकल्प हमें टच भी नही कर सकते.. स्वयं भगवान मेरे साथ है..जो होगा अच्छा होगा...

ओम शांति।


48. मैं मास्टर सर्व शक्तिमान हूँ, सफलतामूर्त हूँ - मनचाही सफलता प्राप्त करने के लिए अभ्यास करें

ओम शांति।

अनुभव करेंगे मैं आत्मा ज्योति स्वरूप.. अपने मस्तक के बीच में... एक चमकता सितारा.. एकाग्र करेंगे अपने इस आत्मिक स्वरूप पर.. मैं आत्मा एक प्वाइंट ऑफ लाइट हूं.. अपने कर्मेंद्रियों और शरीर की मालिक.. पूरी तरह से हम एकाग्र हैं अपने आत्मा बिंदु पर.. संकल्प करेंगे मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं.. फील करेंगे हमारे सिर के ऊपर परमपिता परमात्मा शिवबाबा.. प्वाइंट ऑफ लाइट.. एकाग्र करेंगे परम ज्योति शिवबाबा पर.. परमपिता परमात्मा शिवबाबा.. ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिमान.. मैं आत्मा उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... अनुभव करेंगे शिवबाबा से एक लाइट की तार निकल मुझ आत्मा में कनेक्ट हो चुकी है.. फील करेंगे इस तार से परमात्मा शिवबाबा हमें दिव्य शक्तियों की किरणें दे रहें हैं... दिव्य शक्तियों का प्रवाह मुझ आत्मा में समाते जा रहा है.. अनुभव करेंगे परमात्मा का साथ.. उनकी शक्तियों को अपने अंदर समाते जाएं.. मैं आत्मा इन किरणों से पूरी तरह शक्तिशाली बन चुकी हूं.. मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं.. परमात्मा शिवबाबा मुझ आत्मा से कंबाइंड हैं.. मैं सदा शक्तिशाली हूं.. हर कर्म में सफलता मूर्त हूं.. जीवन के हर परिस्थिति में, हर कर्म में, हर क्षेत्र में मैं सफलता मूर्त हूं.. विजयी हूं.. भगवान हमेशा मेरे साथ हैं.. उनकी शक्तियां हमारे साथ हैं.. जहां परमात्मा साथ हैं, वहां कोई कुछ नहीं कर सकता.. हमारी विजय निश्चित है.. अपने आत्मिक स्वरूप पे एकाग्र करेंगे.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा पूरी तरह से शक्तिशाली बन चुकी हूं.. मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूं.. सफलता मूर्त हूं..

जो मास्टर सर्वशक्तिमान के नशे में रहते हैं, सफलता उनके आगे पीछे घूमती है! विघ्न और समस्या उनके पास आ नहीं सकती! जहां परमात्मा साथ हैं, जहां उनकी शक्तियां साथ हैं, वहां हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है! कोई भी परिस्थिति, विघ्न, समस्या हमें सफल होने में, विजयी बनने में रोक नहीं सकती! यह परिस्थिति भी हमारे लिए एक गुड लक का काम करती है! इन परिस्थितियों को मैं शक्तिशाली बन पार करूंगा! जिसका भगवान मददगार है, उसकी विजय नहीं होगी तो किसकी होगी! मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं.. सफलता मूर्त हूं.. मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं.. सफलता मूर्त हूं.. मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं.. सफलता मूर्त हूं...

ओम शांति।


49. यदि आप परमात्म बाप के प्यार में मग्न रहने लगो, तो जन्म जन्म संबंधो में प्यार मिलता रहेगा

ओम शांति ।

आज हम एक विशेष अभ्यास करेंगे। यह अभ्यास सबसे सहज है। यह अभ्यास है पतंग की डोर का अभ्यास। जैसे पतंग की डोर नीचे से ऊपर कनेक्ट होती है, वैसे ही हम आत्मा पतंग की डोर की तरह परमात्मा से कनेक्ट होंगे। और बस एक बाप की याद में मग्न रहेंगे। गायन भी है तेरा एक नाम तारे संसार.. एक परमात्म याद ही सर्व प्राप्तियों का आधार है! जितना हम एक परमात्मा की याद में रहेंगे, हमारे सभी दुःख , विघ्न , समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो जाएँगी। अव्यक्त मुरली 9 मार्च, 1982 में परमात्मा कहते हैं- किसी बात को सोचो नहीं, जो बात ज्यादा सोचते हो वो ज्यादा बढ़ती है। सब सोच छोड़ एक परमात्मा बाप को याद करो, यही दुआ हो जायेंगी। याद में बहुत फायदे भरे हैं, जितना याद करेंगे उतना शक्ति भरती जाएगी। सहयोग भी प्राप्त होगा और सेवा भी हो जाएगी। जितना हम सभी बातों को फुल स्टॉप लगाकर, बिन्दु बन बिन्दु बाप को याद करेंगे, हम अनुभव करेंगे हम बहुत शक्तिशाली बन रहे हैं। हमें परमात्म दुआएं मिलेगी, हमें परमात्मा का सहयोग प्राप्त होगा!

परमात्मा इस सृष्टि रूपी झाड़़ के बीज हैं, वे सभी आत्माओं के पिता हैं! बीज को याद करने से हमें संसार की सभी आत्माओं का सहयोग और स्नेह प्राप्त होगा! जितना हम एक बाप की याद में रहेंगे, हम सहज अशरीरी बन जायेंगे.. और जितना हम अशरीरी बनेंगे, सारे संसार को शांति का दान स्वतः प्राप्त होगा! हमने यह अभ्यास दादी जानकी जी के क्लास में सुना था- कि आत्मा परमात्मा से जैसे पतंग की डोर की तरह लटकी हुई हो। कई मुरलियो में बाबा ने कहा है याद की सुली पे लटके रहो। तो ये अभ्यास चलिए स्टार्ट करते है।

चारों तरफ की सर्व बातों को फुल स्टॉप लगाकर, एकाग्र करेंगे मैं आत्मा अपने मस्तक के बीच में.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. कोई संकल्प नहीं.. सर्व बातें जो भी हैं, चाहे व्यक्ति से हो, कर्म से हो, मन की संकल्पों की उलझन हो या तन की कोई व्याधि हो या धन की कोई समस्या हो, इन सभी बातों को फुल स्टॉप लगाएंगे... बिन्दु बन जायेंगे मैं बस एक बिन्दु.. ज्योति स्वरूप बिन्दु आत्मा हूँ... अभी हम बुद्धि रुपी नेत्र के सामने विसुअलाइज़ करेंगे परमधाम में परमात्मा शिवबाबा को, जो हमारी तरह पॉइंट ऑफ लाइट हैं....

परमपिता परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, सर्वशक्तिमान... हम उनकी संतान हैं.. जन्म जन्म हमने ये परमात्म प्राप्ति के लिए भक्ति की है... और आज स्वयं भगवान हमें मिले हैं... पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं परमात्मा बिन्दु पे... अभी हम अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा से एक लाइट की तार निकल, जैसे एक डोर निकल नीचे धीरे धीरे आ रही है... देखेंगे आकाश, चाँद, तारों को पार कर यह डोर परमात्मा से निकल कर मझ आत्मा में कनेक्ट हो चुकी है , जुड़ चुकी है... जैसे पतंग की डोर नीचे से ऊपर कनेक्ट होती है, वैसे ही मैं आत्मा परमात्मा से कनेक्टेड हूँ....

कोई संकल्प नहीं, बस हम परमात्मा से कनेक्टेड हैं...

एक परमात्मा प्यार में मग्न होना ही सम्पूर्ण ज्ञान है! इस एक अभ्यास में पूरा ज्ञान समाया हुआ है। जितना हम एक बाप की याद में रहेंगे, उतना बुद्धि का ताला खुलता जायेगा। हमें कोई भी समस्या, विघ्न, कनफ्यूशन्स, प्रश्न रहेंगे ही नहीं। 2 मिनट हम इसी तरह परमात्मा प्रेम में मग्न रहेंगे.....

अभी हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे और भगवान के इन एक एक शब्दों को गहराई से फील करेंगे :-

बच्चे, तुम सिर्फ मुझे याद करो.. तुम्हारे सोचने का कार्य भी मैं करूंगा!

परमात्मा बाप की याद में रहने का साधन है मेरापन भूल जाना.. सबकुछ बाप का है, यह तन भी आपका का नहीं, परमात्मा बाप का है!

मैं गारंटी करता हूँ तुम सिर्फ मुझे याद करो तो इस योग अग्नि से तुम्हारे जन्म जन्मांतर के पाप भस्म हो जायेंगे!

यदि आप परमात्म बाप की प्यार में मग्न रहने लगो, तो जन्म जन्म संबंधो में प्यार मिलता रहेगा!

बच्चे मुझे याद करो, इस अभ्यास से तुम सदा सुखी रहोगे।

जहां परमात्मा साथ हैं, वहां कितने भी चाहे तूफान हो, वह तोहफा बन जायेंगे।

बच्चे जहां भी मुश्किल आवे न, बस दिल से कहना - बाबा, मेरा बाबा, मेरे साथी, आ जाओ, मदद करो.. तो बाबा भी बंधा हुआ है.. सिर्फ दिल से कहना!

भागवान अपने बच्चों को सदा तन से, धन से और मन से सहज रखेगा- यह बाप की गारंटी है।

इसी स्थिति में एकाग्र रहें... मैं आत्मा बिन्दु परमात्मा बिन्दु से कंबाइंड हूं.. और कोई संकल्प नहीं!


50. 25 स्वमान का अभ्यास

ओम शांति।

आज हम स्वमान का अभ्यास करेंगे।

  1. मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ...

  2. मैं श्रेष्ठ योगी आत्मा हूँ...

  3. मैं शान्त स्वरूप आत्मा हूँ...

  4. मैं परमपवित्र आत्मा हूँ...

  5. मैं मास्टर ज्ञान सूर्य हूँ...

  6. मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूँ...

  7. मैं सुख स्वरूप आत्मा हूँ...

  8. मैं सफलता का सितारा हूँ...

  9. मैं निर्विघ्न आत्मा हूँ...

  10. मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूँ...

  11. मैं देवकुल की महान आत्मा हूँ...

  12. मैं परमपूज्य आत्मा हूँ...

  13. मैं एक फरिश्ता हूँ...

  14. मैं प्रकृतिजीत आत्मा हूँ...

  15. मैं परमधाम निवासी हूँ...

  16. मैं अशरीरी आत्मा हूँ...

  17. मैं मन बुद्धि से समर्पित आत्मा हूँ...

  18. मैं ज्ञान धन से सम्पन्न आत्मा हूँ...

  19. मैं खुशी के खज़ाने से सम्पन्न आत्मा हूँ...

  20. मैं बंधन मुक्त आत्मा हूँ...

  21. मैं शिवशक्ति कंबाइंड हूँ...

  22. मैं विश्व कल्याणकारी आत्मा हूँ...

  23. मैं सोलह कला सम्पन्न आत्मा हूँ...

  24. मैं बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण हूँ...

ओम शांति।


51. योग नहीं लगता और Visualize नहीं होता तो यह अभ्यास करो - एकाग्रता बढ़ेगी

ओम शांति।

कई आत्माओं के प्रश्न आते हैं कि हमारा योग नहीं लगता। जब भी हम योग में बैठते हैं, तो हमारे व्यर्थ संकल्प चलते हैं, या नेगेटिव संकल्प चलते हैं। योग ना लगने का मुख्य कारण है दिनभर में व्यर्थ या नेगेटिव संकल्प चलाना। हमें दिन भर में 3 विशेष बातों पर अटेंशन रखना है- ना हमें व्यर्थ देखना है, ना हमें व्यर्थ सुनना है और ना हमें व्यर्थ सोचना है। इन व्यर्थ संकल्पों से हमारी एनर्जी लीक होती है। फलस्वरूप जब भी हम योग में बैठते हैं, तब हम एकाग्र नहीं हो पाते। व्यर्थ संकल्पों से हमारी एकाग्रता की शक्ति नष्ट होती है। तो दिनभर में यह व्यर्थ संकल्पों को हमें अवॉइड करना है। इसी प्रकार हमें ना व्यर्थ देखना है। परमात्मा कहते हैं जैसा चित्र वैसा चरित्र! जैसे जो भी हम दिन भर में देखते हैं, किसी आत्मा के अवगुण देखते हैं, या मोबाइल में कोई वेस्ट या नेगेटिव देखते हैं.... इसी प्रकार ना हमें व्यर्थ सुनना है। तो इन तीन बातों को अवॉइड कर हमें दिन भर में अच्छा ज्ञान चिंतन करना है। हमें स्वमानों का अभ्यास करना है, अपने संकल्पों पर अटेंशन रखना है। हमारी सर्व आत्माओं के प्रति आत्मिक दृष्टि हो। सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना हो, शुभकामना हो। दिन भर में हम अच्छे पॉजिटिव संकल्पों में रहेंगे, स्वमानों का अभ्यास करेंगे, ज्ञान मुरली को रिवाइज करेंगे, तो इससे हमारा ज्ञान बल बढ़ेगा! और ज्ञान का बल बढ़ने से योग का बल स्वतः बढ़ता है! हमारी एकाग्रता बढ़ेगी, और धीरे धीरे पॉजिटिव चिंतन हमारा नैचुरल हो जाएगा। हम स्वत: ही व्यर्थ से किनारा करेंगे। और हम निरंतर पॉजिटिव रहने लगेंगे। इन पॉजिटिव संकल्पों के साथ हमें दिनभर में बीच-बीच में ट्रैफिक कंट्रोल की प्रैक्टिस करनी है। इस ट्रैफिक कंट्रोल में शुरुआत में हम काउंटिंग मेथड(counting method) का इस्तमाल कर सकते हैं। इस काउंटिंग मेथड में अलग-अलग स्वरूपों में 10 सेकंड टिकएंगे। हम मन ही मन काउंट करेंगे। उदाहरण के लिए मैं आत्मा हूं ,आत्मा पर एकाग्र कर हमें 10 बार काउंटिंग करनी है। इसी प्रकार हम परमात्मा ज्योति स्वरूप पर भी 10 सेकंड एकाग्र करेंगे। हमें यह ड्यूरेशन धीरे-धीरे बढ़ाना है- 10 सेकंड, 20 सेकंड, 30 सेकंड, 1 मिनट... इस प्रैक्टिस से हमारा योग पावरफुल होगा.... हमारी कंट्रोलिंग पावर बढ़ेगी, हमारी एकाग्रता बढ़ेगी.... हमारा योग नेचुरल हो जाएगा...

तो यह काउंटिंग मेथड हम 2 मिनट करेंगे। पहले 1 मिनट में हम अपने आत्मा और परमात्मा ज्योति स्वरूप पर एकाग्र करेंगे और दूसरे मिनट में हम 10 -10 सेकंड अपने 5 स्वरूपों पर एकाग्र करेंगे। तो यह बीच-बीच में मेडिटेशन कैसे करना है चलिए स्टार्ट करते हैं।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर, एकाग्र करेंगे अपने आत्मिक स्वरूप पर... हम मन ही मन काउंट करेंगे 1 2 3 4 5 6 7 8 9 और 10... अभी हम एकाग्र करेंगे परमधाम में परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर... काउंटिंग करेंगे- 1 2 3 4 5 6 7 8 9 और 10.. एकाग्र करेंगे अपने आत्मिक स्वरूप पर 1 2 3 4 5 6 7 8 9 और 10.. अभी एकाग्र करेंगे परमात्मा शिवबाबा पर 1 2 3 4 5 6 7 8 9 और 10.. एकाग्र करेंगे अपने आत्मिक स्वरूप पर 1 2 3 4 5 6 7 8 9 और 10.. अभी एकाग्र करेंगे परमात्मा शिवबाबा पर1 2 3 4 5 6 7 8 9 और 10.. इसी प्रकार 1 मिनट हम अपने 5 स्वरूपों पर एकाग्र करेंगे... अनुभव करेंगे मैं आत्मा परमधाम में एक चमकता सितारा 1 2 3 4 5 6 7 8 9 और 10.. मैं आत्मा स्थित हूं अपने देवता स्वरूप में 1 2 3 4 5 6 7 8 9 और 10.. अभी मैं आत्मा स्थित हूं अपने पूज्य स्वरूप में 1 2 3 4 5 6 7 8 9 और 10.. अभी मैं आत्मा स्थित हूं अपने संगमयुगी ब्राह्मण स्वरूप में 1 2 3 4 5 6 7 8 9 और 10.. अभी मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में 1 2 3 4 5 6 7 8 9 और 10.. इस काउंटिंग मेथड से हमारी एकाग्रता की शक्ति बढ़ेगी... जितना जितना हमारी एकाग्रता की शक्ति बढ़ती जाएगी, उतना हमारा योग नैचुरल हो जाएगा... धीरे-धीरे हम इसका ड्यूरेशन बढ़ाएंगे। 20 सेकंड, 30 सेकंड, 1 मिनट तक ले जाएंगे। दिनभर में बीच-बीच में यह प्रैक्टिस करने से हमारा योग सहज हो जाएगा। जब भी हम योग में बैठेंगे, हम एकाग्र हो जाएंगे... और हमारी स्थिति शक्तिशाली बनेगी....

ओम शांति।


52. योग में मन को शांत करने के लिए 5 स्टेप्स Meditation

ओम शांति।

आज हम विशेष 5 स्टेप मेडिटेशन करेंगे। कई आत्माओं के प्रश्न आते हैं कि हमारा योग नहीं लगता, योग करते समय व्यर्थ संकल्प चलते हैं, नेगेटिव संकल्प चलते हैं, हमारा मन एकाग्र नहीं होता। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम योग कैसे करें, कैसे अपने शरीर से detach यानी अलग हों, ये अभ्यास करके और व्यर्थ संकल्प समाप्त कर हम परमात्मा से मिलन मनाएंगे। दिन भर में बीच बीच में कुछ मिनट यह अभ्यास करने से हमारा योग सहज होगा। और हमारे व्यर्थ संकल्प समाप्त हो जाएंगे। हमें गहरी अनुभूति होगी। तो चलें शुरू करते हैं..

स्टेप 1- अपने शरीर से सम्पूर्ण detach हो जाएं.. मैं आत्मा एक प्वाइंट ऑफ लाइट.. अपने मस्तक के बीच में.. detach हो जाएं अपने इस शरीर से.. यह शरीर अलग.. मैं आत्मा इस शरीर को चलाने वाली मालिक हूं.. मैं अपने इस शरीर से अलग हूं.. यह शरीर अलग.. मैं आत्मा अलग हूं.. deeply एकाग्र करें अपने आत्मिक स्वरूप पर..

स्टेप 2- फील करेंगे मैं आत्मा इस शरीर से सम्पूर्ण न्यारी हूं.. इस शरीर से अलग एक न्यारी प्यारी विशेष आत्मा हूं.. अपने बिंदु रूप पे सम्पूर्ण एकाग्र हो जाएं.. मैं इस शरीर से सम्पूर्ण न्यारी हो चुकी हूं.. मैं एक विशेष आत्मा हूं.. मैं एक महान आत्मा हूं..

स्टेप 3- साक्षी हो जाएं इस शरीर से और इस संसार से.. जो भी कार्य है- घर, ऑफिस, संबंध इस सब से मैं आत्मा साक्षी हो चुकी हूं.. जैसे यह ड्रामा, एक नाटक चल रहा है.. और मैं आत्मा साक्षी अवस्था में स्थित होकर इस खेल को देख रही हूं.. मैं साक्षी होकर देख रही हूं देह को.. इस संसार के खेल को.. सम्पूर्ण साक्षी हूं अपने हर कर्म संबंधों से...

स्टेप 4- गहराई में जाएंगे अपने इस आत्मिक स्थिति में.. जैसे कि यह देह लोप हो चुका है.. मुझे बस दिखाई दे रही है एक आत्मा.. ज्योति स्वरूप.. जैसे कि यह शरीर, यह संसार लोप हो चुका है.. बस मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप.. बाकी कुछ नहीं दिखाई दे रहा.. बस मैं एक चमकता सितारा.. ज्योति बिंदु आत्मा हूं.. गहराई से फील करेंगे इस soul conscious स्टेज को.. गहराई से मैं अनुभव कर रही हूं मैं आत्मा ज्योति स्वरूप....

स्टेप 5- उपराम हो जाएंगे इस संसार से.. इस देह से उड़ चलें ऊपर की ओर.. पहुंच जाएं परमधाम में.. आत्माओं की दुनिया में.. शांतिधाम.. चारों तरफ लाल प्रकाश.. पहुंच जाएं परमात्मा शिवबाबा के एकदम पास.. जैसे मैं बिंदु आत्मा हूं, वैसे परमात्मा भी बिंदु स्वरूप आत्मा हैं.. वे हमारे पिता हैं.. फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा से एक लाइट निकल मुझ आत्मा में समा रही है.. मैं सम्पूर्ण कनेक्टेड हूं परमात्मा शिवबाबा से.. deeply उनके साथ का अनुभव करें.. परमधाम में मैं आत्मा परमात्मा शिवबाबा से कंबाइंड हूं.. एक लाइट की तार जुड़ी हुई है परमात्मा शिवबाबा से मुझ आत्मा में.. इस लाइट से मैं आत्मा सम्पूर्ण शक्तिशाली बन चुकी हूं.. जैसे परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान हूं...

अभी धीरे धीरे पहुंच जाएं अपने इस शरीर में.. मस्तक के बीच में.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं...

ओम शांति।


53. योग में मन भटकता है तो यह अभ्यास करें, योग सहज होगा

ओम शांति।

कई आत्माओं के प्रश्न आते हैं कि हमें ज्योति बिंदु visualise नहीं होती, हमारा योग नहीं लगता। तो रेगुलर ये अभ्यास करने से हमारी एकाग्रता की शक्ति बढ़ेगी, हमारी visualisation power बढ़ेगी जिससे हमारे संकल्पों की स्पीड कम हो जाएगी और हम धीरे धीरे ज्योति स्वरूप पे एकाग्र हो सकेंगे। रेगुलर यह प्रैक्टिस करने से हम जितना समय चाहें, उतना समय एकाग्र रह सकेंगे, परमात्मा से योग लगा सकेंगे और बहुत ही शक्तिशाली महसूस करेंगे। तो चलें स्टार्ट करते हैं..

ओम शांति.. अगले दस मिनट हम गहरी शांति का अनुभव करेंगे.. अपने शरीर को पूरी तरह से रिलैक्स करें.. सर्व संकल्पों को समेट कर, अपना पूरा ध्यान अपने सांसों पर केन्द्रित करेंगे.. नेचुरल सांसों पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे.. फील करेंगे अंदर जाती हुई सांसें इस ब्रह्मांड की सम्पूर्ण सकारात्मक ऊर्जा से समायी हुई हैं.. और बाहर जाती हुई सांसें नकारात्मकता को हमसे बाहर निकाल रही हैं.. पॉजिटिविटी हमारे अंदर जा रही है, नेगेटिविटी हमसे दूर जा रही है.. इसी पर ही एकाग्र रहेंगे.. धीरे धीरे हमारे सर्व संकल्प शांत हो चुके हैं.. कोई संकल्प नहीं.. बस पूरा ध्यान अपने सांसों पर है.. मैं लाइट और रिलैक्स महसूस कर रहा हूं.. मेरा शरीर पूरी तरह से रिलैक्स है.. मेरा मन सम्पूर्ण शांत है.. अभी हम एकाग्र करेंगे अपने मस्तक के बीच में- मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूं.. मस्तक के बीच में मैं एक चमकता सितारा.. एक प्वाइंट ऑफ लाइट.. मैं आत्मा शांत हूं.. मैं आत्मा शांत हूं.. मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर शांति है.. मेरा स्वभाव शांत है.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मस्तक के बीच में.. इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे- मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.... अपने अंदर की ऊर्जा को महसूस करेंगे.. अपने अंदर की शक्ति को फील करें.. मैं एक लाइट हूं.. अभी बुद्धि रूपी नेत्र के सामने हम visualise करेंगे परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप जो हमारी तरह एक प्वाइंट ऑफ लाइट हैं... परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान हैं.. हम उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हैं.. फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा से लाल रंग की शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा ज्योति बिंदु में समाते जा रही हैं... फील करें इन परमात्म दिव्य शक्तियों को.. परमात्मा ज्योति स्वरूप से यह किरणें मुझ आत्मा में फ्लो हो रही हैं.. एक फाउंटेन की तरह फ्लो होकर मुझ आत्मा में निरन्तर समाती जा रही हैं... इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे- परमात्मा शिवबाबा से जैसे यह लाइट की तार जुड़ चुकी है और मैं आत्मा उनसे कंबाइंड हो चुकी हूं.. उनसे जुड़ चुकी हूं.. पूरी तरह से शक्तिशाली बन चुकी हूं.. मैं बहुत शक्तिशाली बन चुकी हूं.. आज से मेरी सर्व समस्याएं, चिंताएं, बोझ हम परमात्मा शिवबाबा को अर्पण करते हैं.. मेरा कुछ नहीं.. मैं आत्मा पूरी तरह से शांत हूं.. परमात्मा सदैव मेरे साथ हैं.. फील करेंगे उनके साथ का अनुभव.. आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा... आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा... आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा...

ओम शांति।


54. रात सोने से पहले यह संकल्प करें - Peaceful Night Affirmations Before You Sleep

ओम शांति।

आज के दिन के सर्व कार्य और संकल्पों को समेट कर मैं पूरी तरह से शान्त हूं... मेरा मन, मेरी बुद्धि और मेरा शरीर पूरी तरह से शान्त है... आज के दिन के लिए मैं सबसे पहले परमात्मा का शुक्रिया करता हूं और उन सबका शुक्रिया करता हूं जिन्होंने मुझे सहयोग दिया... पास्ट में मुझसे जाने अनजाने जो भी गलतियां हुई, उनके लिय मैं खुद को पूरी तरह से माफ करता हूं... मैं उन सबको माफ करता हूं जिन्होंने जाने अनजाने मुझे दुख दिया और जिन्हें जाने अनजाने हमसे दुख मिला... हम उनसे क्षमा मांगते हैं... मेरा आज का दिन बहुत अच्छा था.. और मेरा आने वाला कल इससे भी अच्छा होगा... मैं आज के दिन के लिए पूरी तरह से संतुष्ट हूं... परमात्म दुआएं और शक्तियां मेरे साथ हैं... मैं बहुत शक्तिशाली हूं... मैं निर्भय हूं... मैं सुरक्षित हूं... मैं बहुत खुश हूं... इस जीवन में मैं बहुत सुखी हूं... मैं हेल्थ, वेल्थ और खुशियों से भरपूर हूं... मैं सबसे अलग हूं... मैं विशेष हूं... सभी अपने आप में विशेष हैं... सभी की विशेषताएं अलग हैं... इसलिए मेरी तुलना किसी से की जा नहीं सकती... मैं सिर्फ यह शरीर नही हूं, इस शरीर की मालिक, मैं एक चेतन्य शक्ति हूं... मैं एक energy हूं... मैं सर्व गुणों और शक्तियों से भरपूर एक आत्मा हूं... इस ब्रह्माण्ड की अनन्त शक्तियां मुझमें समाई हुई हैं... मेरे लिये कुछ भी असम्भव नही है... मैं हर असम्भव कार्य को सम्भव कर सकता हूं... मेरे जीवन में आज जो भी मुश्किलें हैं, उन्हें शक्तिशाली बन पार करूंगा... जीवन में मैं सफल हूं... मैं विजयी हूं... मुझे आगे बढ़ने से दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती... सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है... मैं अपने अन्दर की हर बुराई, हर negativity से मुक्त हूं... मैं पूरी तरह से निश्चिंत हूं... मेरा मन आनंद से भरा है... मैं बहुत बुद्धिवान हूं.. जीवन की हर परिस्थिति में मैं सही decision लेता हूं... मेरा पूरा ध्यान आने वाले कल पे है.. मेरा पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पे है... मेरे साथ जो कुछ भी हुआ, अच्छा हुआ... मेरे साथ जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है... और आज से मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा.... मुझे किसी से गिला शिकवा नहीं है... मेरे सभी relations अच्छे हैं... मेरे दिल में सबके लिए प्यार है... मैं सबको दिल से दुआएं देता हूं... और सभी मुझे दिल से दुआएं देते हैं... संसार में सभी के प्रति मेरी शुभ भावना, शुभ कामना है... सबका भला हो... सभी सुखी रहें... परमात्मा सभी को तन, मन और धन से भरपूर रखें.... Past की सभी बातों को fullstop लगा कर, मैं अब सोने जा रहा हूं.... और कल सुबह मैं नए उमंग उत्साह से उठूँगा.... मेरा शरीर और सर्व संकल्प पूरी तरह से शान्त हैं.... मैं सम्पूर्ण शान्त हूं......

ओम शांति।


55. रोज़ सवेरे उठते ही यह 6 बातों का समर्पण करें

ओम शांति।

परमात्मा कहते हैं जितना समर्पण उतना संपूर्ण। हम जितना जितना मन बुद्धि से परमात्मा को समर्पण होते जाएंगे, उतना ही हमारा योग शक्तिशाली होता जाएगा। हमारे संकल्प स्वत: ही पॉजिटिव रहेंगे। हमारी विल पावर बढ़ेगी। हम तन, मन और धन से भरपूर बनेंगे। हर परिस्थिति में, जीवन के हर क्षेत्र में हम शक्तिशाली बने रहेंगे, हमें सहज सफलता प्राप्त होगी। तो सुबह उठते ही, हमें यह 6 बातों का समर्पण करना है। सबसे पहले उठते ही हम आज के दिन के लिए परमात्मा का शुक्रिया करेंगे। उन्हें दिल से मुस्कुरा के गुड मॉर्निंग कहेंगे। अव्यक्त मुरली- 29 जून, 1970 में हमें बाबा ने समर्पण की गहराई बताई है, समर्पण का विशाल रूप बताया है। तो हमें 6 बातों का समर्पण करना है - समय, संकल्प, संपत्ति, अपने सर्व संबंध, कर्म और देह। जितना ही हम इन्हीं बातों का समर्पण करते जाएंगे - उतना ही हमारा मन हल्का होता जाएगा। हमारे संकल्पों की स्पीड कम होती जाएगी। हमें निरंतर परमात्म साथ का अनुभव होगा। हम शक्तिशाली, निश्चिंत और सुरक्षित अनुभव करेंगे। तो यह 6 बातों का समर्पण एक मेडिटेशन के रूप में ,चलिए शुरू करते हैं।

अनुभव करेंगे मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट - अपने मस्तक के बीच में, एक चमकता सितारा... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मेरे सर्व संकल्प शांत हैं.. मेरा स्वभाव शांत है.. मेरा शरीर पूरी तरह से रिलैक्स्ड है.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा संपूर्ण शांत हो चुकी हूं.. सामने हम visualise करेंगे परमात्मा शिवबाबा, एक पॉइंट ऑफ लाइट... ज्योति स्वरूप... परमात्मा ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान हैं... हम उनकी संतान, हम एक शिवशक्ति हैं... बहुत शक्तिशाली हैं... उन्हें निहारते रहें ,उनसे बातें करते रहें... आज के दिन के लिए हम आपका शुक्रिया करते हैं, गुड मॉर्निंग करते हैं... और

पहला समर्पण हम करेंगे- समय.. बाबा मेरे जीवन का पूरा समय हम आपको समर्पण करते हैं... हर समय मुझे स्मृति रहेगी कि मैं परमात्मा की संतान, एक शिवशक्ति हूं, सर्वशक्तिवान हूं... समर्पण कर दें अपने पूरे समय को.. हमारे पूरे जीवन का समय आपका है...

दूसरा समर्पण हम करेंगे - संकल्पों का समर्पण... बाबा मेरे सर्व संकल्प आपको समर्पण हैं.. मेरा हर संकल्प श्रेष्ठ है... आपके श्रीमत के अनुसार है... मेरा कोई संकल्प नहीं... संपूर्ण संकल्पों को समर्पण कर दें... कोई संकल्प नहीं.... मैं पूरी तरह से निर्संकल्प हूं... निश्चिंत हूं... बोझ मुक्त बन चुकी हूं... मेरे सर्व संकल्प परमात्मा शिवबाबा को अर्पण है...

अभी तीसरा समर्पण हम करेंगे - संपत्ति का समर्पण.. मन बुद्धि से हम सारी संपत्ति, जो भी धन है परमात्मा को समर्पण करते हैं... आज से यह संपत्ति, धन, प्रॉपर्टी आपकी है... मैं इसे संभालने वाली एक ट्रस्टी हूं... यह धन पवित्र धन है... इस धन से जो भी होगा श्रेष्ठ होगा... हमारे घर की भंडारी और भंडारे सब परमात्मा के हैं, और सदा भरपूर हैं...

चौथा समर्पण हम करेंगे - अपने सर्व संबंधों का समर्पण... बाबा मेरे सारे संबंध, रिलेशनशिप हम आपको समर्पण करते हैं... यह सभी संबंध परमात्मा को समर्पण करने से, यह सभी संबंध अच्छे हो जाएंगे... इन संबंधों के प्रति मेरी शुभ भावना है.. मेरी श्रेष्ठ कामना है कि सबका भला हो... मेरा सभी के साथ प्यार है... सभी बहुत अच्छे हैं... सभी मुझे दिल से बहुत प्यार करते हैं... मुझे दिल से दुआएं देते हैं...

पांचवा समर्पण हम करेंगे - अपने कर्मों का समर्पण... फील करेंगे ,जो भी कर्म हम करते हैं, वह चाहे साधारण घर का कार्य हो, या कोई जॉब हो, या कोई बिजनेस हो हम पूरा कर्म परमात्मा को समर्पण करते हैं... यह कर्म परमात्मा की सेवा है.. मैं निरंतर योगी, निरंतर सेवाधारी हूं... मेरा हर कर्म आपके लिए है..मेरा हर कर्म श्रेष्ठ है.. मैं हर कर्म में विजयी हूं... हर कर्म में सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है...

अभी छठा समर्पण हम करेंगे- अपने शरीर का समर्पण... इस देह का समर्पण... बाबा यह शरीर आपका है, आप इसे जैसे चाहे यूज़ कर सकते हैं... परमात्मा शिवबाबा को शरीर समर्पण करने से हम बहुत ही हल्का महसूस करेंगे, संपूर्ण बोझमुक्त मैं एक लाइट का शरीर हूं... मन बुद्धि से शरीर का समर्पण करने से शरीर तंदुरुस्त रहेगा, हम निरोगी रहेंगे, सदा स्वस्थ रहेंगे... शरीर की जो भी बीमारियां हैं, वह स्वत: हल्की हो जाएंगी.. हम फिर से एक बार रिपीट करेंगे- समय, संकल्प, संपत्ति, सर्व संबंध, कर्म और देह। इसी प्रकार हमें रात को सोने से पहले भी समर्पण का अभ्यास करना है।

ओम शांति।


56. रोज़ सुबह इन संकल्पों का अभ्यास करें । Powerful Positive Morning Affirmations

ओम शांति।

अगले 5 मिनट हम अपने शरीर से डिटैच हो जाएंगे और अपने आत्मिक स्थिति में स्थित हो कर एक-एक शब्द को गहराई से फील करेंगे।

  1. मैं एक लाइट हूं..

  2. मैं सर्व शक्तियों से भरपूर एक आत्मा हूं..

  3. मैं शक्तिशाली हूं.. मैं निर्भय हूं..

  4. मैं सुरक्षित हूं.. मैं निश्चिंत हूं..

  5. मैं महान हूं..

  6. मैं बहुत बुद्धिवान हूं..

  7. मैं सफलता का सितारा हूं..

  8. मैं विजयी हूं..

  9. मैं बहुत धनवान हूं..

  10. मैं सुखी हूं..

  11. मैं प्रसन्न हूं..

  12. मैं संतुष्ट हूं..

  13. मैं बहुत खुश हूं..

  14. मैं प्रकाशवान हूं..

  15. मैं ज्ञान, गुणों और शक्तियों से संपन्न हूं..

  16. मैं फरिश्ता हूं..

  17. मैं परमात्मा का भेजा हुआ शांति का एक फरिश्ता हूं..

  18. मैं सबको प्यार देता हूं..

  19. मैं सबका प्यारा हूं..

  20. मैं सबको दुआएं देता हूं.. और सभी मुझे दिल से दुआएं देते हैं.. मेरे मन में सभी के प्रति शुभ भावना और शुभ कामना है..

  21. मैं स्वतंत्र हूं..

  22. मैं निर्बंधन हूं..

  23. मैं पूरी तरह से मुक्त हूं..

  24. मैं बहुत बुद्धिमान हूं.. मेरी परखने की और निर्णय करने की शक्ति बहुत अच्छी है.. जीवन की हर परिस्थिति में मैं सही निर्णय लेता हूं..

  25. मैं अपने हर संकल्प को पूरा करने में सक्षम हूं..

  26. मैं हर असंभव कार्य को संभव कर सकता हूं..

  27. मैं अपने लक्ष्य पर पूरी तरह से एकाग्र हूं.. मेरा कॉन्फिडेंस दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है.. मेरा अपने संकल्पों पर पूरा अटेंशन है.. मेरा अपने संकल्पों पर पूरा कंट्रोल है.. हर समय मैं सकारात्मक सोचता हूं..

  28. मैं निरोगी हूं..

  29. मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं..

  30. मैं जीवन में सुख और समृद्धि से भरपूर हूं.. इस जीवन के लिए मैं परमात्मा का शुक्रिया करता हूं..

  31. मैं उन सब का भी शुक्रिया करता हूं जिन्होंने मुझे सहयोग दिया..

  32. मैं शुक्रिया करता हूं इस प्रकृति का, मैं शुक्रिया करता हूं इस शरीर का, जो हमेशा मुझे साथ देता है..

  33. मैं शुक्रिया करता हूं अपने सारे दोस्तों और फैमिली का.. इन सबको मैं दिल से दुआएं देता हूं.. इस विश्व की सभी आत्माओं को मैं दिल से दुआएं देता हूं.. सबका भला हो.. सभी सुखी रहें..

  34. मैं शांत हूं -3..

  35. मैं आनंदित हूं -3..

  36. मैं खुश हूं -3..

  37. मैं परमात्मा की संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं -3..

ओम शांति।


57. मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा हो रहा है.. सवेरे उठते ही और रात सोने से पहले 10 मिनट अनूभव करें

ओम शांति।

मैं आत्मा अपने मस्तक के बीच में एक चमकता सितारा... एक प्वाइंट ऑफ लाइट... मैं एक खुशनसीब आत्मा हूं.. मैं बहुत भाग्यवान हूं.. मैं महान हूं.. अनुभव करेंगे हमारे सामने परमपिता परमात्मा शिवबाबा... उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.. फील करेंगे परमात्म साथ का.. अनुभव करें उनकी शक्तियों का, निरंतर परमात्मा शिवबाबा से मुझ आत्मा में यह शक्तियों का प्रकाश समाते जा रहा है.. भगवान मेरे साथ हैं.. मेरे साथ जो भी हुआ अच्छा हुआ! मेरे साथ जो हो रहा है, वो अच्छा हो रहा है! और आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा! ड्रामा के हर सीन में कल्याण समाया हुआ है.. भगवान स्वयं मेरे साथ हैं! उनकी शक्तियां मेरे साथ हैं! हर कर्म में मैं सदा शक्तिशाली हूं.. विजुलाइज करेंगे मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा हो रहा है.. जीवन में मैं बहुत खुश हूं.. विजुलाइज करेंगे मैं बहुत खुश हूं... जीवन में मैं बहुत सुखी हूं.. अनुभव करेंगे जीवन में हमारे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है.. मैं तन से निरोगी हूं.. सदा स्वस्थ हूं.. बहुत शक्तिशाली हूं.. मैं तन से संपूर्ण स्वस्थ हूं.. अनुभव करेंगे हमारा मन शक्तिशाली है.. भगवान हमेशा मेरे साथ हैं.. मैं बहुत शक्तिशाली हूं.. मेरा मन शांत है.. हर परिस्थिति में अचल अडोल है.. मैं निर्भय हूं.. सदा सुरक्षित हूं.. फील करेंगे हम धन से भरपूर हैं.. हमारे घर की भंडारी और भंडारे भरपूर हैं.. हम ज्ञान धन और स्थूल धन से भरपूर हैं.. हमारे घर में सुख समृद्धि है.. विजुलाइज करेंगे हमारे सभी संबंध, सभी के साथ रिश्ते बहुत अच्छे हैं.. सभी बहुत अच्छे हैं.. मैं सबको प्यार देता हूं.. सभी बहुत प्यारे हैं.. सभी मुझे दिल से बहुत पसंद करते हैं.. मुझे दिल से दुआएं दे रहे हैं.. अनुभव करेंगे संसार की सभी आत्माएं बहुत अच्छी हैं.. सबका अपना अपना पार्ट है.. सभी अपने आप में विशेष हैं. सभी महान हैं.. अनुभव करेंगे सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है.. भगवान मेरे साथ हैं.. मेरे साथ जो हो रहा है, वो अच्छा हो रहा है.. और आज से जो भी होगा वो इससे भी अच्छा होगा..!

ओम शांति।


58. लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करने की विधि

ओम शांति।

आज की मेडिटेशन कमेंट्री है लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करने की युक्ति। यह अभ्यास करने से हम बहुत ही लाइट और शक्तिशाली महसूस करेंगे। हर कार्य निर्विघ्न बनेगा। हमें हर क्षेत्र में, हर कार्य में सहज सफलता प्राप्त होगी। यह चिंतन करने से, यह मेडिटेशन करने से हमारा हर कर्म परमात्मा की सेवा बन जाएगा। हमारा हर बोल वरदानी बोल बन जाएगा और हमारा हर संकल्प विश्व सेवा करेगा। तो यह लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करने का अभ्यास चले स्टार्ट करते हैं..

अनुभव करेंगे मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा अपने मस्तक के बीच में.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मुझ आत्मा का स्वभाव शांत है.. शांति मेरी एक शक्ति है.. फील करेंगे यह शांति की किरणें मुझ आत्मा से पूरे शरीर में फैल रही हैं.. ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह प्रकाश फैल चुका है.. और मेरा स्थूल शरीर पूरी तरह से लोप हो चुका है.. बस मैं आत्मा अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं एक शांति का फरिश्ता हूं.. अभी हम हमारे सामने visualise करेंगे परमात्मा ज्योति स्वरूप.. प्वाइंट ऑफ लाइट.. परमपिता परमात्मा शिवबाबा - ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान.. हम उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हैं.. फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा से मुझ आत्मा में परमात्म किरणें समाती जा रही हैं.. एकाग्र हो जाएंगे इस स्थिति में.. मैं आत्मा बहुत शक्तिशाली महसूस कर रही हूं.. फील करेंगे यह किरणें पूरे सूक्ष्म शरीर में फैल चुकी हैं.. और धीरे धीरे यह किरणें पूरे घर में फैल चुकी हैं.. अनुभव करेंगे जैसे यह परमात्म सुरक्षा कवच बन चुका है.. परमात्मा शिवबाबा से मुझमें यह किरणें समा कर हमारे पूरे घर में फैल चुकी हैं.. यह घर परमात्मा का घर है.. यह मंदिर है.. अनुभव करेंगे यह किरणें इस घर के कोने कोने तक फैल चुकी हैं.. फील करेंगे इस घर में जो भी सदस्य हैं, हमारे जो भी संबंधी है, यह किरणें उनको भी मिल रही हैं.. और वे भी लाइट बन चुके हैं.. वे भी परमात्मा की संतान हैं.. वे भी फरिश्ता हैं.. मेरा घर परमात्मा का घर है.. सभी सदस्य उनकी संतान हैं.. सभी अच्छे हैं.. अनुभव करेंगे हमारा हर कर्म परमात्मा की सेवा है.. वो चाहे भोजन बनाना हो या कोई घर का कार्य हो या कोई ऑफिस, बिजनेस हो.. ये सब परमात्मा की सेवा है.. मैं ट्रस्टी हूं.. मैं बस निमित्त हूं.. यह घर, यह सभी संबंध, यह कर्म परमात्मा को समर्पण है.. यह शरीर परमात्मा की दी हुई अमानत है.. मेरा हर कर्म सेवा है.. हमारे मन में सभी के लिए प्यार है.. सभी का भला हो.. सभी सुखी रहें.. संसार की सभी आत्माओं को हम दुआएं देते हैं.. हमारा हर कर्म परमात्म सेवा है.. यह कर्म करते हम सदैव शक्तिशाली रहते हैं.. हमारा हर संकल्प, समय, कर्म, सभी संबंध, धन और यह शरीर परमात्मा को अर्पण है.. यहां के भंडारी और भंडारे सदा भरपूर हैं.. हमसे सभी को सुख मिलता है.. मैं परमात्मा की संतान हूं.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. निर्भय हूं.. बहुत शक्तिशाली हूं.. सदैव सुरक्षित हूं.. निर्विघ्न हूं.. हर क्षेत्र में, हर कार्य में हमारे साथ परमात्म शक्तियां कार्य करती हैं.. हमारा हर कार्य सफलता को प्राप्त करता है...

ओम शांति।


59. शुभभावना और शुभकामना - हर दिन बस 10 मिनट इस विधि से दुआएं दो और दुआएं लो

ओम शांति ।

यह एक लॉ ऑफ नेचर है कि जो हम देते हैं, रिटर्न में हमें वही मिलता है। यदि हमारे मन में कोई आत्मा के प्रति नेगेटिव भाव है, घृणा या नफरत का भाव है, तो हम सदा संतुष्ट या खुश रह नहीं सकते। परमात्मा कहते हैं यदि आपके मन में कोई एक आत्मा के प्रति भी घृणा भाव है, तो आप सम्पूर्ण बन नहीं सकते। तो हमें सदा खुश रहना है, संतुस्ट रहना है, अच्छा योगी बनना है तो हमें ये सूक्ष्म अटेंशन रखना है कि हमारे मन में कोई एक आत्मा के प्रति भी नेगेटिव भाव न हो। हमें यह निरंतर अटेंशन रखना है कि सदा सबके प्रति शुभ भावना हो, शुभ कामना हो। जितना हम सबके प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रखेंगे, स्वतः ही हमें सभी का प्यार मिलेगा, सभी का सहयोग मिलेगा, सभी हमें दिल से दुआए देंगे। एक मुरली में बाबा ने कहा है - "और कुछ पुरुषार्थ नहीं करो, बस सबके प्रति शुभ भावना शुभ कामना रख सबको दुआएं दो और दुआएं लो, बस इस एक पुरुषार्थ से आप माला का मणका बन जायेंगे!" जितना हम सबके प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखेंगे, सभी को दुआएं देंगे, उतना हम बहुत ही हल्का और रिलैक्स महसूस करेंगे! हमारे जो भी कर्मो का खाता - नेगेटिव कार्मिक अकाउंट पूर्व जन्मों में या इसी जन्म में क्रिएट हुए हैं, वह स्वतः समाप्त हो जाएंगे। जितना हमें दुआ मिलेगी, उतना यह दुआ हमारा जीवन योगयुक्त बनाएगी। यह शुभ भावना शुभ कामना से प्राप्त हुई दुआएं हमें योगयुक्त बनने में मदद करेंगी। हम कोई आत्मा से किनारा भी कर रहे हैं, तो बाबा ने एक मुरली में कहा है- अगर संस्कारों का तकरार होता है, किनारा करते हो, तो भी शुभभावना रख कर किनारा करना है।" तो हमें कम से कम 5 से 10 मिनट एक विशेष समय हमारे सर्व रिश्तों, सम्बन्धों जो भी हमें इस जन्म में मिले हैं, उन्हें हम दुआएं देंगे। इसी के साथ हम संसार के सभी आत्माओं को इमर्ज करेंगे भले ही वो ज्ञान में हैं या नहीं हैं। हमें सबके प्रति शुभ भावना शुभ कामना अर्थात रहम की दृष्टि रखनी है। जितना हमारी दृष्टि रहम की होगी, उतना स्वतः ही हमारी शुभ भावना रहेगी। तो यह मेडिटेशन कैसे करना है, चलिए स्टार्ट करते हैं।

चारों ओर के सर्व संकल्पों को समेट कर एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच.. मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं आत्मा शांत हूँ.. अपने इस शरीर से पूरी तरह से डीटैच हूं...

मेरे मन में सबके प्रति शुभभावना शुभकामना है... अनुभव करेंगे हमारे सिर के ऊपर परमात्मा शिवबाबा एक पॉइंट ऑफ लाइट... हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... उनके साथ का अनुभव करें... जैसे एक लाइट की तार निकल परमात्मा से मुझ आत्मा बिन्दु में कनेक्ट हो चुकी है.. और इस कनेक्शन से हम पूरी तरह से शक्तिशाली बन चुके हैं... अनुभव करेंगे परमात्म साथ को... अनुभव करेंगे उनकी शक्तियों को... परमात्मा सर्वशक्तिमान, मैं आत्मा उनकी संतान मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ..., भरपूर हूँ , संपन्न हूँ, संतुष्ट हूँ... परमात्मा रहम के सागर हैं... मैं आत्मा मास्टर रहम का सागर हूँ... मेरी सभी आत्माओं के प्रति शुभभावना शुभकामना है... सभी के प्रति प्यार है, रहम का भाव है!!

रहम की दृष्टि से घृणा की दृष्टि स्वतः ही समाप्त हो जाती है! अभी हम हमारे सामने उन आत्माओं को इमर्ज करेंगे जिन आत्माओं के प्रति कभी न कभी नेगेटिव सोचा हो, उनके प्रति नफरत, घृणा भाव आयी हो। अनुभव करेंगे प्यार के सागर परमात्मा शिवबाबा से प्रेम की, स्नेह की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाकर सभी आत्माओ को मिल रही हैं... हम इन आत्माओं को परमात्म प्रेम की किरणें दे रहे हैं... यह सभी आत्माएं परमात्मा की संतान हैं.. हम इन्हें दिल से दुआएं दे रहे हैं... सब का भला हो, सभी सुखी रहें... कभी इन्होंने मेरे साथ कुछ गलत भी किया हो, इनमें इनका दोष नहीं है! हमारा ही पिछला कोई कार्मिक अकाउंट होगा.. यह सभी आत्माएं बहुत अच्छी हैं.. पहले जो भी हुआ हो, हम इनसे दिल से माफ़ी मांगते हैं, क्षमा मांगते हैं। और इन आत्माओं को हम दिल से रहम की दृष्टि से, प्यार की किरणे दे रहे हैं... 2 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे....

अभी हम इमर्ज करेंगे पृथ्वी के ग्लोब को। और अनुभव करेंगे परमात्मा से प्रेम के किरणें निकल मुझ आत्मा में समा कर संसार के सभी आत्माओं को मिल रही हैं..= अनुभव करेंगे संसार की सभी आत्माओं को यह प्यार की किरणें मिल रही हैं... हम इन्हें दिल से दुआएं दे रहे हैं... जितना हम इन आत्माओं को दुआएं देंगे, उतना हम अनुभव करेंगे अनगिनत रूप में हमें रिटर्न में दुआए मिलेंगी, सहयोग मिलेगा। 2 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहें- परमात्मा शिवबाबा से प्यार की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाकर संसार की सभी आत्माओं को मिल रही हैं.....

ओम शांति।


60. सुक्ष्मवतन में हजारों फरिश्तों का अनुभव और मनसा सेवा - अनोखा और शक्तिशाली अनुभव | Angel Meditation

ओम शांति।

अनुभव करेंगे, मैं एक फरिश्ता हूं.. फील करेंगे मैं एक डबल लाइट फरिश्ता.. मैं आत्मा एक प्वाइंट ऑफ लाइट.. अपने प्रकाश के शरीर में... इस देह और देह की दुनिया से संपूर्ण डिटैच हो जाएं.. मैं एक फरिश्ता हूं.. अभी एक सेकंड में, मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्म वतन में.. अनुभव करेंगे चारों तरफ सफेद प्रकाश.. सामने हमारे बापदादा, हमें प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं... अभी बापदादा के सामने बैठ जाएं.. और अनुभव करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... इन हाथों से दिव्य प्रकाश निकल मुझमें समा रहा है.. इस अनुभव से मैं पूरी तरह निर्संकल्प और हल्का बन चुका हूं.. बापदादा मुझे वरदान दे रहे हैं- "श्रेष्ठ योगी भव.. श्रेष्ठ योगी भव!"

इस वरदान की प्राप्ति से हम जितना समय चाहें, जहां चाहें, अपने मन बुद्धि को एकाग्र कर सकते हैं.. ब्राह्मण जीवन में सर्वश्रेष्ठ वरदान- श्रेष्ठ योगी भव का वरदान है! जिसे यह वरदान प्राप्त होता है, उसे बाकी वरदान स्वतः प्राप्त होते हैं.. मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूं.. अभी बापदादा मुझे दूसरा वरदान दे रहे हैं - "संपूर्ण फरिश्ता भव.. संपूर्ण फरिश्ता भव!" इस वरदान की प्राप्ति से मैं संपूर्ण फरिश्ता स्थिति में स्थित हूं.. मेरा प्रकाश का शरीर पूरी तरह जगमगा उठा है.. मैं फरिश्ता अपनी संपूर्ण फरिश्ता स्थिति में स्थित हूं.. कोई संकल्प नहीं.. बोझमुक्त, शक्तिशाली, मैं संपूर्ण फरिश्ता हूं, बाप समान हूं.. मैं एक संपूर्ण फरिश्ता हूं...

अभी अनुभव करेंगे बापदादा ने हमारे साथ हजारों फरिश्तों को इमर्ज किया है.. जैसे बापदादा के सामने संपूर्ण फरिश्ता स्थिति में हम हजारों फरिश्तें स्थित हैं.. सभी फरिश्तें अपनी संपूर्णता की स्थिति में जगमगा रहे हैं.. हजारों फरिश्ते बापदादा के सामने.. मानो हम फरिश्तों का संगठन सूक्ष्म वतन में बैठा है.. अभी फील करेंगे बापदादा हमारे द्वारा नीचे संसार में पवित्रता का दिव्य प्रकाश फैला रहे हैं.. देखेंगे बापदादा और हम हजारों फरिश्तों से दिव्य पवित्रता का प्रकाश निकल, नीचे संसार को मिल रहा है.. बहुत ही दिव्य, अलौकिक और शक्तिशाली अनुभव है यह.. अनुभव करेंगे पृथ्वी पर स्थित 800 करोड़ आत्माएं इस पवित्रता के प्रकाश को फील कर रहे हैं.. पवित्रता सुख शांति की जननी है.. इस प्रकाश से संसार की सभी आत्माओं का मन शांत हो रहा है.. संसार की सभी आत्माएं इन पवित्रता की किरणों से सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं.. इसी दिव्य स्थिति में एकाग्र रहें.. अनुभव करेंगे प्रकृति के पांचों तत्व भी इन पवित्रता की किरणों से भरपूर हो रहे हैं.. अग्नि, वायु, आकाश, जल, पृथ्वी, यह पांचों तत्व स्थिर हो रहे हैं.. कोई हलचल नहीं, पूरी तरह से शांत हैं.. अनुभव करेंगे संसार की सभी आत्माएं सुख शांति से भरपूर हो चुकी हैं.. उनके मन की हलचल पूरी तरह से शांत हो चुकी है.. इस पृथ्वी पर सुख ही सुख है.. यह सभी आत्माएं हम फरिश्तों को और परमात्मा शिवबाबा को दिल से दुआएं दे रही हैं, शुक्रिया कर रही हैं.. 3 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे - सूक्ष्म वतन से, हम फरिश्तों से पवित्रता, सुख शांति की किरणें नीचे सारे संसार को मिल रही हैं.....

ओम शांति।


61. सूक्ष्मवतन में फरिश्ता स्वरूप के 8 अभ्यास

ओम शांति।

चारों ओर से सर्व संकल्पों को समेट कर एकाग्र करें मस्तक के बीच.. मैं आत्मा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. एक चमकता सितारा.. स्वराज्य अधिकारी.. अपने कर्मेंद्रियों की मालिक.. इस शरीर की मालिक.. यह देह अलग और मैं आत्मा इस देह को चलाने वाली एक ज्योति स्वरूप बिंदु हूं.. मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं.. मुझ आत्मा का स्वभाव शांत है.. फील करें मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल सम्पूर्ण शरीर में फैल रही हैं.. ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह शांति का प्रकाश फैल चुका है.. मानो सम्पूर्ण देह लोप हो चुका है.. बस मैं आत्मा अपने प्रकाश के शरीर में.. अपने फरिश्ता स्वरूप में.. मैं एक शांति का फरिश्ता हूं.. इस संसार में परमात्मा का एक फरिश्ता हूं.. अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्मवतन में.. चारों तरफ सफेद प्रकाश.. फरिश्तों की दुनिया है ये.. देखें सामने मेरे परमपिता परमात्मा शिवबाबा.. ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त फरिश्ता स्वरूप में...

पहला अभ्यास - अनुभव करें बापदादा हमें प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं.. अनंत प्रेम भरा है इस दृष्टि में.. अनुभव करें बाबा की दृष्टि से प्यार की किरणें निकल मुझ फरिश्ता के दृष्टि में समा रही हैं.. और मेरे सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर में फैल रही हैं.. खो जाएं इस प्यार भरी मीठी दृष्टि में.. बाबा प्यार के सागर हैं.. इनके आंखों से अनंत प्यार की किरणें निकल मुझमें समा रही हैं.. मैं इस प्यार में सम्पूर्ण मग्न हो चुका हूं...

दूसरा अभ्यास - दृष्टि देते देते बाबा ने हमें गले लगा लिया है! समा जाएं बापदादा की बाहों में.. फील करें बाबा ने हमें अपनी बाहों में समा लिया है.. और उन्हें गले लगा कर हम सम्पूर्ण लाइट हो चुके हैं.. सम्पूर्ण बोझमुक्त अवस्था है ये.. सर्व बोझ दे दें बाबा को.. तन, मन, धन, जो भी कार्य व संबंध संपर्क सब बोझ बाबा को दे दें.. और उनकी बाहों में सम्पूर्ण निर्संकल्प स्थिति में स्थित हो जाएं.. और कोई संकल्प नहीं.. बस मैं बाबा का और बाबा मेरा है! बाबा कहते हैं इस संगमयुग में यदि तुम परमात्म प्यार में मग्न हो जाओ, तो जन्म जन्म संबंधों में प्यार मिलता रहेगा...

तीसरा अभ्यास - बैठ जाएं बापदादा के सामने.. अनुभव करें बाबा हमारे मस्तक पे तिलक लगा रहे हैं और हमें वरदान दे रहे हैं - विजयी भव.. सफलता मूर्त भव.. विजयी भव.. सफलता मूर्त भव.. इन वरदानों की प्राप्ति से आज से मैं हर कार्य में सफल रहूंगा.. स्वयं भगवान का मुझे वरदान है- विजयी भव! सफलता मूर्त भव! हर कार्य में परमात्मा सदैव मेरे साथ रहेंगे! और मैं सफलता मूर्त बनूंगा! जहां परमात्मा, उनके वरदान और शक्तियां साथ हैं, वहां विजय हुई पड़ी है! सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है!

चौथा अभ्यास - अनुभव करें बाबा के मस्तक मणि से अनंत दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझ फरिश्ता के मस्तक बिंदु में समाती जा रही हैं... अनंत शक्तियों की रंग बिरंगी किरणें, दिव्य ज्ञान, गुण शक्तियों से भरपूर मैं आत्मा बन चुकी हूं.. बापदादा हमें उनकी सर्व शक्तियां, गुण, ज्ञान मानो वरदान में दे रहे हैं.. सम्पूर्ण खो जाएं, मग्न हो जाएं इस स्थिति में!

पांचवां अभ्यास - फील करें बापदादा ने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है.. इन हाथों से अनंत शक्तियों का लाल प्रकाश निकल मुझ फरिश्ता में समा रहा है.. मानो मेरा सम्पूर्ण सूक्ष्म शरीर लाल प्रकाश से जगमगा उठा है.. निरंतर बाबा के हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल मुझमें समाते जा रहा है.. और बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं - मास्टर सर्वशक्तिवान भव.. सदा सुखी भव.. मास्टर सर्वशक्तिवान भव.. सदा सुखी भव.. इन वरदानों के माध्यम से परमात्मा ने सर्व शक्तियां हमें वरदान में दे दिए हैं... परमात्मा सर्वशक्तिवान हैं.. मैं आत्मा उनकी सन्तान मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! सदा सुखी हूं! हेल्थ वेल्थ हैप्पीनेस से भरपूर हूं! मेरे सर्व संबंध सुखमय हैं, अच्छे हैं!

छठा अभ्यास - सूक्ष्मवतन में बापदादा से सर्व संबंधों का अनुभव करें! बाप, मां, टीचर, सदगुरु, साजन, सखा, भाई और बच्चे के रूप में हम इन सर्व संबंधों का अनुभव करेंगे... बाप बनकर बाबा हमारी पालना कर रहे हैं.. मां बन हमें अनंत प्यार देते हैं- निस्वार्थ प्यार! टीचर बन हमें पढ़ाई पढ़ाते हैं.. सदगुरु बन मुक्ति, जीवन-मुक्ति का वरदान देते हैं.. साजन बन सदैव मेरे साथ रहते हैं.. हर कार्य में मुझे हेल्प करते हैं.. सखा बन मुझसे खेलते हैं.. मेरा साथ देते हैं.. मुझे हसाते हैं.. मेरा सर्व कार्य सहज कर देते हैं.. भाई बन मेरी रक्षा करते हैं.. मैं सदैव सेफ हूं.. सुरक्षित हूं.. और कभी कभी हमारा बच्चा बन हमसे खेलते हैं.. हमें प्यार करते हैं.. हम उन्हें बच्चे रूप में खिलाते हैं!

सातवां अभ्यास - बापदादा से रूह रिहान करें! परमात्मा कहते हैं जो बच्चे मुझे बहुत याद करते हैं, मैं उन्हें वतन में इमर्ज कर उनसे रूह रिहान करता हूं.. अनुभव करें हम बाबा से बातें कर रहे हैं.. उन्हें अपने दिल की हर बात बता रहे हैं.. सर्व संकल्प जो भी हमारे मन में हैं, हम उन्हें सब बता रहे हैं.. सम्पूर्ण समर्पण की अनुभूति करें.. और बाबा से बातें करें- बाबा मेरा समय, संकल्प, संपत्ति, सर्व संबंध, मेरा कर्म और यह शरीर मैं आपको समर्पण करता हूं.. मेरा कुछ नहीं.. मेरे गुण और विशेषताएं सब आपकी देन है! मेरा कुछ नहीं.. सब कुछ आपका है! सम्पूर्ण निर्संकलप हो जाएं.. सब कुछ तेरा! सब कुछ तेरा! सब कुछ तेरा!

आठवां अभ्यास - बापदादा के साथ बैठ जाएं.. और सूक्ष्मवतन में हम इमर्ज करेंगे संसार की सर्व दुखी, अशांत, रोगी और तड़पती आत्माओं को.. फील करें सूक्ष्मवतन में बाबा से अनंत शांति की किरणें निकल मुझ आत्मा में समा कर, इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.. इन किरणों से ये सम्पूर्ण शांत हो रहे हैं.. इनके सर्व दुख, अशांति, बीमारियां सब समाप्त हो रहे हैं.. यह आत्माएं सम्पूर्ण तृप्त महसूस कर रही हैं.. इनके साथ हम इमर्ज करेंगे पृथ्वी के सम्पूर्ण ग्लोब को.. और बाबा से अनंत पवित्रता की किरणें निकल मुझ फरिश्ता में समा कर इस सारे ग्लोब को यह किरणें मिल रही हैं.. संसार की सर्व आत्माओं को पवित्रता का दान मिल रहा है.. पवित्रता सुख शांति की जननी है.. इन पवित्रता की किरणों से संसार की सर्व आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं.. प्रकृति के पांचों ही तत्वों को यह पवित्रता का दान मिल रहा है.. अग्नि, वायु, जल, आकाश व पृथ्वी- पांचों ही तत्व सम्पूर्ण पवित्र बन चुके हैं! शांत.. स्थिर.. कोई हलचल नहीं है.. प्रकृति हमें दिल से दुआएं दे रही है.. वरदान दे रही है- सदा निरोगी भव! प्रकृतिजीत भव! संसार की सर्व आत्माएं सुख और शांति का अनुभव कर रही हैं.. संसार की सर्व आत्माएं हमें दिल से दुआएं दे रही हैं.. 2 मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे कि जैसे मैं परमात्मा का इंस्ट्रुमेंट हूं, परमात्मा मुझ द्वारा इस संसार को, प्रकृति को सुख शांति का दान दे रहे हैं...

ओम शांति।


62. सूक्ष्म वतन में मालिश का अनुभव - दिमाग, शरीर और स्थिति की सारी थकावट दूर करें

ओम शांति।

आज हम विशेष सूक्ष्म वतन में वतन में मालिश का अनुभव करेंगे। अव्यक्त मुरली- 20 फरवरी, 1988 में बाबा ने कहा है, "बापदादा तो बच्चों को इतना बिज़ी देख यही सोचते हैं कि इन्हों के माथे की मालिश होनी चाहिए। लेकिन समय निकालेंगे तो वतन में बापदादा मालिश भी कर देंगे। वह भी आलौकिक होगी, ऐसे लोकिक मालिश थोड़े ही होगी, एकदम फ्रेश हो जाएंगे। एक सेकंड की भी शक्तिशाली याद, तन और मन दोनों को फ्रेश कर देती है। बाप के वतन में आ जाओ... जो संकल्प करेंगे, वह पूरा हो जाएगा। चाहे शरीर की थकावट हो, चाहे दिमाग की, चाहे स्थिति की थकावट हो... बाप तो आये ही हैं थकावट उतारने।"

तो यह मेडिटेशन करने से हम बहुत ही फ्रेश और रिलैक्स महसूस करेंगे। तो यह अभ्यास चलिए स्टार्ट करते हैं-

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर.. अनुभव करेंगे..‌ मैं आत्मा एक ज्योति स्वरूप... मस्तक के बीच में एक चमकता सितारा... गहराई से अनुभव करेंगे.. मैं आत्मा अपने शान्त स्वरूप में स्थित हूं.. मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... मुझ आत्मा का अरिजिनल नेचर शांति है... अभी फील करेंगे मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल सारे शरीर में फैल चुकी हैं... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक शांति की किरणों का प्रभाव हो रहा है... मैं आत्मा अशरीरी बन चुकी हूं.. रिलैक्स हूं... फील करेंगे अब यह स्थूल शरीर लोप हो चुका है... मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में... अपने फरिश्ता स्वरूप में... मैं एक शांति का फरिश्ता हूं। अब एक सेकंड में पहुंच जाएं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा... मुझे दृष्टि दे रहे हैं... असीम शान्ति है इन नयनों में... अनुभव करेंगे... बापदादा ने हमें गले लगा लिया है... मैं सम्पूर्ण रिलैक्स... अशरीरी, बोझ मुक्त अवस्था में हूं... कोई संकल्प नहीं... बस मैं बाबा का, और बाबा मेरा... अभी बापदादा के सामने बैठ जाएं और फील करेंगे- बापदादा ने अपने दोनों हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिए हैं... बाबा के हाथों से दिव्य प्रकाश मुझ आत्मा में व मेरे सूक्ष्म शरीर में फैल रहा है... अभी अनुभव करेंगे- बापदादा बहुत प्यार से हमारे माथे की मालिश कर रहे हैं... धीरे धीरे अपनी उंगलियों से हमारे माथे की मालिश कर रहे हैं। इन हाथों से दिव्य प्रकाश पूरे मस्तिष्क में फैल रहा है... बहुत ही दिव्य और आलोकिक अनुभव है ये। मैं सम्पूर्ण अशरीरी, निर्संकल्प स्थिति में स्थित हूं। जैसे कि कोई बोझ है ही नहीं.... ब्रेन, मस्तिष्क इन किरणों से, बाबा के हाथों की वायब्रेशन्स से सम्पूर्ण रिलैक्स हो चुका है.. दिव्य प्रकाश से चमक रहा है... बड़े ही प्यार से बाबा हमारे माथे की मालिश कर रहे हैं... एक माँ के रूप में हमें प्यार की पालना दे रहे हैं... एक बाप बन सर्व बोझ से हमें मुक्त कर दिया है... और एक फ्रेंड बन, खुदा दोस्त बन हमें निरंतर साथ का अनुभव कराते हैं... अभी फील करेंगे.. इन हाथों से दिव्य प्रकाश निकल सारे शरीर में फैल चुका है... जैसे सारे शरीर की मालिश हो रही है... एक अतीन्द्रिय सुख का अनुभव है ये... इस अनुभव से मैं बहुत ही रिलैक्स और फ्रेश महसूस कर रहा हूं... सम्पूर्ण बोझ मुक्त अवस्था है ये, कोई संकल्प नहीं... बाबा कहते हैं- बाप के वतन में आ जाओ.. जो संकल्प करेंगे वह पूरा हो जाएगा। चाहे शरीर की थकावट हो, चाहे दिमाग की, चाहे स्थिति की थकावट हो... बाप तो आये ही हैं थकावट उतारने। बाबा से हम वरदान लेंगे- अशरीरि भव...! इस वरदान से हमारी यह बोझ मुक्त स्थिति, अशरीरी स्थिति निरंतर बनी रहेगी। हमें यह अनुभव निरंतर रहेगा और हमारे जीवन में नैचरल बन जायेगा। इस आलौकिक मालिश से हमारे मन की, संकल्पों की, दिमाग की और शरीर की सारी थकावट समाप्त हो चुकी है। मैं फरिश्ता बहुत ही फ्रेश और रिलैक्स महसूस कर रहा हूं....

ओम शान्ति।


63. सूक्ष्म शरीर से सूक्ष्म जगत की यात्रा - Astral World Experience Through Astral Body

ओम शांति।

विजुलाइज करेंगे मैं आत्मा अपने मस्तक के बीच में एक चमकता सितारा... प्वाइंट ऑफ लाइट... पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप पर... मुझ आत्मा के सर्व संकल्प शांत हो चुके हैं... मेरा शरीर पूरी तरह से रिलैक्स्ड है... फील करेंगे मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... अनुभव करेंगे मैं एक फरिश्ता हूं... एक एंजल हूं... मैं आत्मा लाइट अपने लाइट के शरीर में... अनुभव करेंगे मैं फरिश्ता स्थित हूं पृथ्वी के ग्लोब पे...

अभी हम इस स्थूल लोक का सैर करेंगे.. अपने फरिश्ता रूपी पंख इमर्ज करें और उड़ चलें आकाश में.. अनुभव करेंगे हम आकाश में पंछी समान उड़ रहे हैं.. पूरी तरह से स्वतंत्र, निर्भय, शक्तिशाली..! देखेंगे नीचे पृथ्वी लोक को... असंख्य आत्माएं अपना अपना रोल प्ले कर रही हैं... सैर करेंगे अलग अलग स्थानों की... अनुभव करेंगे हम समंदर के ऊपर से उड़ रहे हैं.. इस पृथ्वी को हम साक्षी हो देख रहे हैं.....

अपने सूक्ष्म शरीर से हम कहीं भी सैर कर सकते हैं.. मनचाहें स्थान पे सैर करें... धीरे धीरे और ऊपर मैं फरिश्ता उड़ते जा रहा हूं.. साक्षी हो देखेंगे सूर्य को... इस आकाश तत्व में स्थित नौ ग्रहों को... धीरे धीरे और ऊपर उड़ चला.. और स्थूल जगत को पार कर मैं फरिश्ता पहुंच गया फरिश्तों के लोक में.. सूक्ष्म वतन में.. विजुलाइज करेंगे परमात्मा शिवबाबा ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरूप में.. और उनके साथ असंख्य फरिश्ते सुक्ष्म वतन में स्थित हैं... मानों यहां फरिश्तों की महफिल है.. देखेंगे सूक्ष्म वतन का नज़ारा.. हम यहां उड़ रहे हैं.. देख रहे हैं इस सूक्ष्म वतन में कैसे बापदादा इस सृष्टि परिवर्तन का कार्य कर रहे हैं.. बापदादा के सामने बैठ जाएं.. और अनुभव करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है.. और हमें अपने सर्व शक्तियों का वरदान दे रहे हैं - "बच्चे, मास्टर सर्वशक्तिमान भव.. मास्टर सर्वशक्तिमान भव!" फील करेंगे हम पूरी तरह से संपूर्ण फरिश्ता, शक्तिशाली बन चुके हैं.. मास्टर सर्वशक्तिमान हैं..

अभी हम अपना सूक्ष्म शरीर समेट कर, सिर्फ बिंदु स्वरूप में, अपने प्वाइंट ऑफ लाइट आत्मिक स्वरूप में स्थित इस सूक्ष्म शरीर को छोड़ चलें... और ऊपर उड़कर पहुंच जाएं मूलवतन में.. परमधाम में.. परमधाम.. शांतिधाम.. यह हमारा असली घर है.. चारों तरफ लाल प्रकाश.. असंख्य आत्माएं अपनी अपनी जगह, अपने अपने सेक्शन में स्थित हैं.. और हम आत्मा पहुंच गए परमात्मा शिवबाबा के पास.. उनके साथ का अनुभव करें.. और फील करेंगे उनसे एक लाइट की तार निकल मुझ आत्मा में कनेक्ट हो चुकी है.. इस लाइट की तार से अनुभव करेंगे परमात्मा शिवबाबा हमें प्यार की किरणें दे रहे हैं.. इस परमात्म प्रेम की किरणों को अपने अंदर मैं आत्मा समा रही हूं.. फील करेंगे इस परमात्म प्रेम को...

'एक परमात्म प्रेम के मग्न होना ही सम्पूर्ण ज्ञान है!' अनुभव करेंगे हम प्यार के सागर परमात्मा से प्यार का अनुभव कर रहे हैं... यही सर्वश्रेष्ठ अनुभूति है... खो जाएं इस परमात्म प्रेम में.. दो मिनट तक हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे और परमात्म प्रेम में मग्न रहेंगे...

ओम शांति।


64. सुबह और शाम परमात्मा से लेने हैं यह 4 वरदान - बडी से बडी बीमारी भी ठीक हो जायेगी

ओम शांति।

आज हम चार वरदानों का अभ्यास करेंगे। इन वरदानों का अभ्यास करने से हम पूरी तरह स्वस्थ बनेंगे। जो भी बीमारी या रोग हमारे शरीर में है, हम उस पर पूरी तरह से विजय प्राप्त करेंगे। जो भी बीमारी या व्याधि हमारे तन में है, वो शांत हो जाएगी। परमात्मा कहते हैं जितना परमात्मा शिवबाबा को याद करेंगे, उतना शरीर की बीमारी जो तंग करती है, वह ठंडी हो जाएगी। तो आज हम परमात्म याद और वरदानों द्वारा पूरी तरह स्वस्थ बनेंगे। जितना जितना हम इन चार वरदानों का अभ्यास करते जाएंगे, उतना हमारा मन शक्तिशाली बनता जाएगा। हमारे मन के पॉजिटिव शक्तिशाली संकल्पों का प्रभाव हमारे शरीर पर दिखेगा। हम धीरे धीरे फील करेंगे कि हमारे शरीर की जो बीमारी है, वह शांत होती जा रही है। हम शरीर से लाइट और शक्तिशाली महसूस करते जा रहे हैं। मानो मेडिटेशन हमारे लिए एक पेन किलर का काम करता है। तो बीमारी से मुक्ति पाने के लिए चार वरदानों का अभ्यास चलें शुरू करते हैं...

चारों तरफ के सर्व संकल्प समेट कर एकाग्र करेंगे... मैं एक आत्मा हूँ... अपने मस्तक के बीच में देखें मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा अपने फौरहेड के बीच में... अभी संकल्प करेंगे मैं शांत स्वरूप आत्मा हूँ... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूँ... मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर शांत है... अनुभव करेंगे मुझ आत्मा से शांति की किरणें निकल पूरे शरीर में फैल रहीं हैं... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह शांति की किरणें फैल चुकी हैं... इन शांति की किरणें से मेरा पूरा शरीर एक लाइट का शरीर बन चुका है... मानो मेरा स्थूल शरीर पूरी तरह से लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में... अभी एकाग्र करेंगे परमधाम में परमात्मा शिवबाबा... एकाग्र करेंगे परम ज्योति पर... परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर... शांति के सागर... सर्वशक्तिवान... हम दिल से उनको याद कर रहे हैं... और दिल से उनका हम आह्वाहन करेंगे- बाबा, मेरे बाबा, मेरे साथी, आ जाओ, मदद करो... अनुभव करेंगे हमारे दिल की पुकार सुन परमात्मा शिवबाबा धीरे धीरे नीचे उतर रहे हैं... और आ चुके हैं सुक्ष्म वतन में... ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरूप में... उनके सुक्ष्म शरीर का आधार लेते हुए वे धीरे धीरे नीचे आ रहे हैं... आकाश, चांद, तारों से भी नीचे आ गए हैं... हमारे सामने फील करेंगे परमात्मा शिवबाबा ब्रह्मा बाबा के सुक्ष्म शरीर में फरिश्ता स्वरूप में प्यार भरी मीठी दृष्टि का अनुभव करें... फील करेंगे उनके साथ का अनुभव... उनके प्यार का अनुभव... अनुभव करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... अनुभव करेंगे उनका हाथ हमारे सिर के ऊपर है... पूरी तरह से रिलैक्स हो जाएं बोझ मुक्त अवस्था है ये... फील करेंगे उनके हाथों से दिव्य किरणें निकल मुझ आत्मा में समा रही हैं, और पूरे सुक्ष्म शरीर में फैल रहीं हैं... दिव्य परमात्म शक्तियों की किरणें है ये... यह किरणें हमारे पूरे सुक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर में फैल चुकी हैं... अनुभव करेंगे परमात्मा शक्तियों का लाल प्रकाश हमारे पूरे शरीर में फैल चुका है, और हमारे शरीर को घेरे हुए यह किरणें एक सुरक्षा कवच बना चुकी है...

अनुभव करेंगे परमात्मा हमें पहला वरदान दे रहे हैं - मास्टर सर्वशक्तिवान भव... मास्टर सर्वशक्तिवान भव... इस वरदान की प्राप्ति से मानो परमात्मा ने अपनी सर्व शक्तियां वरदान में दी हैं... मास्टर सर्वशक्तिवान के सामने कोई भी विघ्न या समस्या ठहर नहीं सकतीं... स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिया है- मास्टर सर्वशक्तिवान भव... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूँ.. इस स्मृति से मैं बहुत शक्तिशाली हूँ.. निर्भय हूँ.. सुरक्षित हूँ.. कोई भी विघ्न समस्या या बीमारी हमें कुछ नहीं कर सकती मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ...

अभी परमात्मा हमें दूसरा वरदान दे रहे हैं- निर्विघ्न भव... निर्विघ्न भव... इस वरदान की प्राप्ति से आज से हमारे जीवन के सभी विघ्न, समस्याएं पूरी तरह से समाप्त हो चुकी हैं... मैं शक्तिशाली हूँ.. निर्विघ्न हूँ.. विसुअलाइज करें हमारे जीवन में कोई भी विघ्न, समस्याएं नहीं हैं... जो भी परिस्थितियां हैं, वो हम एक सेकंड में शक्तिशाली बन पार करेंगे....

अभी अनुभव करेंगे परमात्मा हमें तीसरा वरदान दे रहे हैं- सफलता मूर्त भव... सफलता मूर्त भव... इस वरदान की प्राप्ति से जीवन के हर परिस्थिति में, हर कार्य में मैं विजयी हूं... मैं सफलता को प्राप्त करूंगा... इस बीमारी पर मेरी विजय प्राप्त हो चुकी है... जीवन में मैं पूरी तरह से सफल हूँ... भगवान ने मुझे वरदान दिया है - सफलता मूर्त भव... इस दुनिया की कोई ताकत, कोई नेगेटिविटी हमें टच भी नहीं कर सकती... मैं सफलता मूर्त हूँ..

अभी परमात्मा हमें चौथा वरदान दे रहे हैं- सम्पूर्ण स्वस्थ भव... सम्पूर्ण स्वस्थ भव... इस वरदान की प्राप्ति से मैं तन और मन से पूरी तरह से स्वस्थ हूँ... निरोगी हूँ.. मैं बीमारी से मुक्त हूँ.. स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिया है सम्पूर्ण स्वस्थ भव... विजुलाइज करें अपना स्वस्थ शरीर, अपना निरोगी शरीर बीमारी से मुक्त हूँ.. देखेंगे हम पूरी तरह से स्वस्थ हैं.. नाच रहे हैं.. खेल रहे हैं.. बहुत खुश हैं.. स्वस्थ हैं... जीवन में पूरी तरह से सुखी हैं...

हम इन चार वरदानों को रिवाइज करेंगे- मास्टर सर्वशक्तिवान भव... निर्विघ्न भव... सफलता मूर्त भव... सम्पूर्ण स्वस्थ भव...

ओम शांति।


65. सुबह और शाम परमात्मा से कंबाइंड होकर करें यह 10 संकल्प

ओम शांति।

जितना हम पॉजिटिव सोचेंगे, हमारे जीवन में स्वतः सब कछ पॉजिटिव होगा। जितना हम अच्छा सोचते हैं, स्वतः ही हमारा मन शांत और शक्तिशाली बनता है। वही मन का प्रभाव हमारे शरीर में दिखने लगता है। हमारी इम्युनिटी पावर बढ़ती है, हम शरीर से बहुत हेल्दी और शक्तिशाली महसूस करते हैं। हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी, फलस्वरूप शरीर की जो भी व्याधि या बिमारी है, स्वतः शान्त होती जायेंगी। और इम्युनिटी बढ़ने से अनेक प्रकार की बीमारियां, वायरस से हमारा प्रोटेक्शन होता है। जैसे ये पॉजिटिव संकल्प, यह मैडिटेशन हमारे लिए एक सुरक्षा कवच बन जाते हैं। तो आज हम ऐसे दस संकल्पों का मेडिटेशन करेंगे, इन संकल्पो का हम अनुभव करेंगे। तो यह मेडिटेशन चलिए स्टार्ट करते है।

पहला संकल्प

अनुभव करेंगे अपने मस्तक के बीच मैं आत्मा एक चमकता सितारा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. एकाग्र हो जाएं अपने इस सोल कॉन्ससियस स्टेज में.. और पहला संकल्प हम करेंगे परमात्मा मेरे साथ हैं.. परमात्मा मेरे साथ हैं... फील करेंगे परमपिता परमात्मा शिवबाबा हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... वे हमारे साथ हैं.. उनके साथ का अनुभव करें... उनकी शक्तियों को फील करें... परमात्म साथ का अनुभव करें.....

यह संकल्प करने से हम परमात्मा से कंबाइंड हो जाते हैं और हमारे साथ उनकी शक्तियां, उनकी दुआएं, उनके वरदान कार्य करते हैं.. जैसे परमात्मा शक्तियां हमारे लिए एक सुरक्षा कवच बन जाती हैं.. तो पहला संकल्प है परमात्मा मेरे साथ हैं.. परमात्मा मेरे साथ हैं....

अभी हम दूसरा संकल्प करेंगे- मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं.. मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... अनुभव करेंगे मैं आत्मा परमात्मा शिवबाबा की संतान, मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं.. बहुत शक्तिशाली हूं.. परमात्म शक्तिया निरंतर मेरे साथ हैं.. मैं सदा सुरक्षित हूं.. फील करेंगे मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं.. बहुत शक्तिशाली हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं.. बहुत शक्तिशाली हूं..!

तीसरा संकल्प हम करेंगे - मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ है.. मेरा शरीर सम्पूर्ण स्वस्थ है.. अनुभव करेंगे परमात्मा मेरे साथ हैं.. मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं.. उनकी शक्तिया मेरे साथ हैं.. मेरा मन बहुत शक्तिशाली है.. मेरा शरीर बहुत शक्तिशाली है, स्वस्थ है, निरोगी है.. मैं सम्पूर्ण स्वस्थ हूं.. विजुलाइज़ करेंगे अपने स्वस्थ शरीर को, निरोगी शरीर को.. हम नाच रहे हैं, खेल रहे हैं, झूम रहे हैं....

इसी के साथ हम चौथा संकल्प करेंगे - मैं निर्भय हूं.. मैं निर्भय हूं.. अनुभव करेंगे परमात्मा मेरे साथ हैं... उनकी शक्तियां मेरे साथ हैं.. मेरा शरीर स्वस्थ है.. मैं निर्भय हूं.. मैं निर्भय हूं.. परमात्मा मेरे साथ हैं.. मैं निर्भय हूं.. जहां परमात्मा साथ हैं, वहां कोई कुछ नहीं कर सकता! मैं सदा सेफ हूं, सुरक्षित हूं, निर्भय हूं...

पांचवां संकल्प करेंगे - मेरा मन शांत हैं... मेरा मन शांत हैं.. अनुभव करेंगे मैं आत्मा शांत हूं... मन के संकल्प शांत हो चुके हैं.. अनुभव करेंगे इस शांति को.. मैं शांत हूं.. मैं शांत हूं...

इसी से कनेक्टेड हम छठा संकल्प करेंगे - मैं बहुत खुश हूं.. मैं बहुत खुश हूं.. अनुभव करेंगे जीवन में हम बहुत खुश हैं, सुखी हैं.. भगवन हमारे साथ हैं.. हमारे जीवन में कुछ कमी नहीं है.. तन, मन और धन से भरपूर हूं.. मैं बहुत खुश हूं.. देखेंगे अपने आप को जीवन में- हम बहुत खुश हैं.. बहुत खुश हैं..!

सातवां संकल्प करेंगे - मैं विजयी हूं.. मैं विजयी हूं.. अनुभव करेंगे जीवन के हर कार्य में, हर क्षेत्र में, हर परिस्थिति में मैं विजयी हूं.. कोई भी नेगेटिविटी, विघ्न हमें सफलता प्राप्त करने से रोक नहीं सकती.. सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है! मैं विजयी हूं.. मैं विजयी हूं...

आठवां संकल्प करेंगे - मेरे सभी रिश्तें बहुत अच्छे हैं.. मेरे सभी रिश्तें बहुत अच्छे हैं... अनुभव करेंगे हमारे सारे रिश्तें, वो चाहे घर में हो या कोई भी सम्बन्ध संपर्क में हो, हमारा सभी के साथ रिश्ता बहुत अच्छा है, प्यारा है! हम सबको दुआए दे रहे हैं.. सभी हमको दुआए दे रहे हैं... सभी बहुत अच्छे हैं! मेरे सभी रिश्तें बहुत अच्छे हैं, सबका भला हो, सभी सुखी रहें!

नौवां संकल्प हम करेंगे - मेरे मन में विश्व की समस्त आत्माओं के लिए शुभ-भावना, शुभ-कामना है! अनुभव करेंगे विश्व की समस्त आत्माओं को हम दुआएं दे रहे हैं... हमसे इन सबको सुख, शान्ति की किरणें मिल रही हैं.. सबका भला हो, सभी खुश रहें! हम सबको दुआएं दे रहे हैं.. हमारे मन में सभी के प्रति शुभभावना, शुभकामना है.. वो चाहे कोई भी धर्म का हो, सभी के प्रति हमारी समान दृष्टि है! सभी आत्माएं भाई भाई हैं... मैं सबको दुआएं दे रहा हूं.. सबका भला हो! सभी सुखी रहें! मैं सबको दुआएं दे रहा हूं.. सबका भला हो! सभी सुखी रहें!

दसवां संकल्प करेंगे - आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा.. आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा.. देखेंगे स्वयं परमात्मा मेरे साथ हैं! परमात्मा की शक्तियां, दुआएं, वरदान हमारे साथ हैं! विश्व की सभी आत्माओं की दुआएं हमारे साथ हैं.. इन दुआओं के बल से, पुण्य के बल से, परमात्म याद के बल से हमारे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है.. अनुभव करेंगे मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है.. मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है.. जीवन में हम बहुत सुखी हैं! तन, मन और धन से भरपूर हैं!

ओम शांति।


66. सवेरे उठते ही करने हैं यह 3 संकल्प | Meditation for Success

ओम शांति।

सवेरे उठते ही हम जो संकल्प करते हैं, उसका प्रभाव सारा दिन रहता है। तो सुबह उठते ही जब हम पॉजिटिव संकल्प करते हैं, तो सारा दिन उन संकल्पों का प्रभाव स्वतः रहता है.. दिनभर स्वतः ही हमारे साथ सबकुछ अच्छा होगा.. पॉजिटिव होगा.. हम निर्विघ्नं रहेंगे.. हमें सब कार्य में सफलता स्वतः मिलती रहेगी... यदि हमारे जीवन में विघ्न है, कई प्रयास करने के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है, वह समस्या चाहे धन की हो या कोई संबंध से हो या कोई बिजनेस, जॉब या पढ़ाई की समस्या हो, उन सभी समस्याओं अथवा पेपर्स को पार करने के लिए सुबह उठते ही हम यह तीन संकल्प करेंगे। यह तीनों ही संकल्प एक दुसरे से जुड़े हुए हैं। 21 दिन के प्रयोग से ही हमें बहुत सुंदर रिजल्ट मिलना शुरू हो जाएंगे। और रेगुलर करते करते यह अभ्यास हमारा नेचुरल बन जाएगा। सवेरे उठते ही हमें परमात्मा का आज के दिन के लिए शुक्रिया करना है, उन्हें गुड मॉर्निंग करना है। और पहला संकल्प हम करेंगे- मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं! यह संकल्प करते समय हमें विजुअ्लाइज करना है कि हम परमात्मा की संतान, बहुत शक्तिशाली हैं! जहां परमात्म शक्तियां साथ हैं, वहां कोई कुछ नहीं कर सकता। उनकी शक्तियां हर कार्य में हमारे साथ रहेंगी। हमें इस संकल्प को विजुअ्लाइज करना है कि हां मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं! बहुत शक्तिशाली हूं! इसी से जुड़ा हुआ हम दूसरा संकल्प करेंगे- मैं सफलता का सितारा हूं! मैं सफलता का सितारा हूं! जब हम यह संकल्प करेंगे, तो साथ में जो भी हमारे जीवन का लक्ष्य है, जिस भी क्षेत्र में हम सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, उस सफलता को हम विजुअ्लाइज करेंगे कि हम 100% सफल हैं। हम सक्सेसफुल हैं। जितना हम इन संकल्पों को क्रिएट करके विजुअ्लाइज करेंगे उतना मानो हम इन संकल्पों का निर्माण करेंगे। उस घटना को हम स्वतः ही आकर्षित करेंगे! सभी परिस्थितियां ऐसी बन जाएंगी कि हमारी सफलता सहज हो जाएगी। इसी से जुड़ा हम तीसरा संकल्प करेंगे- मैं हेल्दी, वेल्दी और हैप्पी हूं! मैं हेल्दी वेल्दी और हैप्पी हूं! यह संकल्प करते समय हमें विजुअ्लाइज करना है कि मैं बहुत हेल्दी हूं, स्वस्थ हूं। हम अपने स्वस्थ शरीर को भी विजुअ्लाइज कर सकते हैं। मैं हेल्दी हूं। और हमें विजुअ्लाइज करना है मैं बहुत धनवान हूं! मैं बहुत धनवान हूं! हम उस अमाउंट को भी विजुअ्लाइज कर सकते हैं, जो हम अपने जीवन में चाहते हैं। और हैप्पी हूं.. खुश हूं.. मैं हेल्दी वेल्दी और हैप्पी हूं.. विजुअ्लाइज करेंगे अपने जीवन के हर कार्य में मैं सफलता प्राप्त कर हेल्थ वेल्थ से भरपूर हूं! मैं बहुत खुश हूं! हैप्पी हूं! मेरे सर्व संबंध भी बहुत अच्छे हैं! तो सुबह उठते ही पहले 10 मिनट हमारा अवचेतन मन एक्टिव होता है, जागृत होता है! तो यह मेडिटेशन चलें शुरू करते हैं...

आंखें खुलते ही हम सामने विजुअ्लाइज करेंगे परमपिता परमात्मा शिवबाबा को.. एक पॉइंट ऑफ लाइट.. हम उन्हें दिल से आज के दिन के लिए शुक्रिया करेंगे.. उन्हें गुड मॉर्निंग करेंगे.. उनके साथ का अनुभव करेंगे.. और पहला संकल्प हम क्रिएट करेंगे- मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! परमात्मा शिवबाबा की संतान मैं मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा हूं! मैं बहुत शक्तिशाली हूं! परमात्मा हमेशा मेरे साथ हैं! उनकी शक्तियां हमेशा मेरे साथ हैं! मैं इतना शक्तिशाली हूं जो हर असंभव कार्य को संभव कर सकता हूं! परमात्मा मेरे साथ हैं! मैं बहुत शक्तिशाली हूं! यह शक्तियां साथ होने से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा... हम विजुअ्लाइज करेंगे मैं बहुत शक्तिशाली हूं! मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं...

इसी से जुड़ा हम दूसरा संकल्प करेंगे- मैं सफलता का सितारा हूं.. मैं सफलता का सितारा हूं.. मैं सफलता का सितारा हूं.. विजुअ्लाइज करेंगे हम अपनी सफलता को.. देखेंगे उस घटना को होते हुए जीवन में जो हम सफल देखना चाहते हैं... मैं सफल हूं.. चाहे कोई एग्जाम हो, बिजनेस हो, जॉब हो, हर क्षेत्र में मैं सफल हूं.. मैं एक सफलता का सितारा हूं.. मैं हर कार्य में विजयी हूं.. सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है.. इस संसार की कोई भी शक्ति मुझे सफलता प्राप्त करने से रोक नहीं सकती.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. सफलता का सितारा हूं...

इसी से जुड़ा हम तीसरा संकल्प करेंगे- मैं हेल्दी वेल्दी और हैप्पी हूं.. मैं हेल्दी वेल्दी और हैप्पी हूं.. मैं हेल्दी वेल्दी और हैप्पी हूं.. विजुअ्लाइज करेंगे मैं जीवन में बहुत हैप्पी हूं.. निरोगी हूं.. मेरा शरीर स्वस्थ है.. मैं वेल्दी हूं.. विजुअ्लाइज करेंगे मैं बहुत धनवान हूं.. मेरे जीवन में धन की कोई कमी नहीं है.. मैं बहुत संपन्न हूं.. हेल्थ वेल्थ से भरपूर हूं.. जीवन में मैं बहुत हैप्पी हूं.. खुश हूं.. विजुअ्लाइज करेंगे हम हमारा सुखी जीवन... मैं बहुत खुश हूं.. हेल्थ वेल्थ हैप्पीनेस से भरपूर हूं... मेरे जीवन में कोई कमी नहीं है.. सुख समृद्धि से भरपूर हूं.. मेरे सर्व संबंध भी बहुत अच्छे हैं.. देखेंगे अपने आप को.. मैं बहुत खुश हूं.. हम इन तीनों ही संकल्प को रिपीट करेंगे.. मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. मैं सफलता का सितारा हूं.. मैं हेल्दी वेल्दी और हैप्पी हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. मैं सफलता का सितारा हूं.. मैं हेल्दी वेल्दी और हैप्पी हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूं.. मैं सफलता का सितारा हूं.. मैं हेल्दी वेल्दी और हैप्पी हूं...

इसी प्रकार रात को सोने से पहले भी हम इन संकल्पों का अभ्यास आठ से दस मिनट करेंगे, जिससे रात भर इन संकल्पों का प्रभाव रहेगा। हमारी नींद अच्छी होगी, और सोने से पहले यह संकल्प करने से हमारे अवचेतन मन में इन संकल्पों का प्रभाव रहेगा। और वैसे ही इन संकल्पों का निर्माण होगा। ऐसी घटनाएं स्वतः ही निर्माण होंगी।

ओम शांति।


67. सिर दर्द हो या कोई भी शरीर का दर्द - यह मेडिटेशन करते ही पल भर में ठीक होगा | Pain Relief Meditation

ओम शांति।

एकाग्र करेंगे अपने मस्तक के बीच में.. मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट.. मैं आत्मा शांत हूं....मुझ आत्मा का ओरिजिनल नेचर शांति है....पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप पर.. फील करेंगे मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में, अपने सूक्ष्म शरीर में.. अनुभव करेंगे मैं एक फरिश्ता हूं.... अभी आंखों के सामने हम विजुलाइज करेंगे परमात्मा शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरूप में.. जैसे कि हमारे सामने परमात्मा एक एंजेल स्वरूप में स्थित हैं... फील करेंगे उनके साथ का अनुभव.. और अनुभव करेंगे उन्होंने अपने दोनों हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिए हैं.... उनके दोनों हाथ हमारे सिर के ऊपर.. जैसे परमात्मा हमें healing energy दे रहे हैं...... विजुलाइज करेंगे उनके हाथों से दिव्य प्रकाश, हीलिंग एनर्जी हमारे पूरे ब्रेन में फैल रही है...... अनुभव करेंगे यह शांति की किरणें उनके हाथों से हमारे पूरे ब्रेन में फैल चुकी है... हमारा ब्रेन शांत हो रहा है.... सभी ब्रेन का तनाव, संकल्पों का तनाव शांत हो चुका है.... ब्रेन के सभी मसल्स रिलैक्स हो चुके हैं...... देखेंगे यह किरणें हमारे पूरे चेहरे में और गर्दन तक फैल चुकी है... फील करेंगे इस शांति की हीलिंग एनर्जी को...... शांति.... ओम शांति.... ओम शांति.... ओम शांति।।।

हमारे सर्व संकल्प शांत हो चुके हैं... सिर का सभी तनाव, दर्द समाप्त हो चुका है... अनुभव करेंगे यह शांति की हीलिंग एनर्जी हमारे दोनों कंधे, दोनों हाथों में और पीठ में फैल चुकी है.... अनुभव करेंगे हमारे कंधों के, हाथों के और पीठ के सभी मांसपेशियां शांत हो चुकी है.. कोई तनाव नहीं.. पूरी तरह से रिलैक्स हैं... परमात्मा द्वारा यह हीलिंग एनर्जी धीरे-धीरे नीचे पैरों तक फैल चुकी है... दोनों पैर के मांसपेशियां पूरी तरह से शांत हो चुके हैं... यह दोनों पैर पूरी तरह से रिलैक्स्ड हैं... कोई तनाव नहीं.. हमारा पूरा शरीर इन शांति के किरणों से जगमगा उठा है.. और पूरी तरह से रिलैक्स हो चुका है... शांत और शीथिल हो चुका है.... शरीर में कोई भी तनाव, कोई भी दर्द नहीं है.. परमात्मा की हीलिंग एनर्जी से यह शरीर शांत हो चुका है.... इन परमात्म किरणों ने हमारे शरीर का पूरा तनाव, दर्द जैसी खींच लिया हो!

संकल्प करेंगे परमात्मा मेरे साथ हैं.... मैं संपूर्ण स्वस्थ्य हूं.... मेरा शरीर निरोगी है.. पूरी तरह से स्वस्थ है... मैं पूरी तरह से शांत हूं... ओम शांति।


68. सिर्फ इन दो एनर्जी की बचत करें - एकाग्रता बढ़ेगी, योग सहज हो जायेगा

ओम शांति ।

एक बार अव्यक्त बापदादा से दादियों ने एक प्रश्न पूछा कि "बाबा अपने दादी गुलज़ार को ही अपना रथ क्यों चुना?" तो बाबा ने एक विशेष राज़ बताया। बाबा ने कहा, "दादी ने अपनी एनर्जी की बचत की है।" बाबा ने कहा, "दादी ने अपने संकल्पों की एनर्जी और बोल की एनर्जी की बचत की है। वही आत्मिक शक्ति बाबा ने सेवा में लगाया और उनको इतने महान कार्य के निमित्त बनाया। दादी स्वयं भगवान का रथ बन गए।"

दादी का पूरा जीवन योग पे बहुत ध्यान रहता था। वे अपने संकल्पों को सदा समर्थ रखते थे और बहुत कम बोलते थे। एनर्जी मुख्य रूप से इन दो चीजों से ही लीक होती है। तो हमें अगर अच्छा मेडिटेशन करना है, यदि हम भगवान की सेवाओं में मददगार बनना चाहते हैं व विश्व सेवा करना चाहते हैं, तो हमें भी यह दो एनर्जी - संकल्प की एनर्जी और बोल की एनर्जी की बचत करनी है। जितना हम इन दो एनर्जी की बचत करेंगे, उतना हमारा मेडिटेशन पावरफुल बनता जायेगा, और हम शक्तिशाली बनते जायेंगे और स्वतः ही कोई न कोई कार्य में, कोई न कोई सेवा में बाबा हमें निमित्त बनायेंगे।

अव्यक्त मुरली 17 दिसंबर,1984 में बाबा कहते हैं - "व्यर्थ संकल्प एनर्जी अर्थात् आत्मिक शक्ति और समय गंवाने के निमित्त बनता है। हर समय एक एक महावाक्य मनन करते रहें तो समर्थ बुद्धि में व्यर्थ आ नहीं सकता है। खाली बुद्धि रह जाती है इसलिए खाली स्थान होने के कारण व्यर्थ आ जाता है। बुद्धि को समर्थ संकल्पों से सदा भरपूर रखो। उसका आधार है रोज़ की मुरली सुनना, समाना और स्वरूप बनना।"

इसी प्रकार बोल के लिए बाबा कहते हैं हमारे बोल सदा समर्थ हों, आशीर्वाद देने वाले बोल हों, वरदान देने वाले बोल हों! हमें अटेन्शन रखना है कि हमारे बोल द्वारा सभी को सुख मिलना चाहिए, आशीर्वाद, वरदान मिलना चाहिए, परमात्मा का ज्ञान मिलना चाहिए! और हमें हमेशा यह अटेन्शन रखना है कि हमारे बोल कम से कम हो, सार युक्त हो। क्योंकि जितना हम सार युक्त बोलेंगे, उतना हमारे बोल शक्तिशाली रहेंगे, और जितना हम विस्तार में जायेंगे, उतना हमारी एनर्जी खर्च होगी। एक मुरली में बाबा ने कहा है- जो सार में रहता है वह सदा शक्तिशाली रहता है, उड़ते रहता है और जो विस्तार में रहता है वह खाली रहता है और उछलते रहता है।

स्वामी विवेकानन्द जी ने अपने बुक Rajyoga Meditation में लिखा है- व्यक्ति की जितनी एनर्जी काम विकार में खर्च होती है, उतनी ही एनर्जी जब वह वाणी में आता है तो खर्च होती है। तो आज से हमें इस बात का विशेष अटेन्शन रखना है और हमारी बोल की एनर्जी और संकल्प की एनर्जी की बचत करनी है। इस एनर्जी को बचत करने से हम शक्तिशाली बनेंगे। हम सम्पूर्ण फरिश्ता बनेंगे और परमात्मा हमें विश्व कल्याण के कार्य में निमित्त बनायेंगे।

ओम शांति।


69. हर सुबह यह 2 वरदानों का अभ्यास जरूर करें.. बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त होंगे

ओम शांति।

आज हम विशेष दो वरदानों का अभ्यास करेंगे। इन दो वरदानों का हर रोज अभ्यास करने से हमें बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त हो जाएंगे। यह वरदान नैचुरली हमें परमात्मा शिवबाबा से प्राप्त है। बस इन दो वरदानों का हमें हर रोज अभ्यास करना है। इन्हें हर रोज यूज़ करना है। जितना जितना इन दो वरदानों का हम अभ्यास करेंगे, उतना यह दो वरदान हमारे जीवन में नैचुरल बन जाएंगे। स्वतः ही इमर्ज हो जाएंगे। इन दो वरदानों का हर रोज अभ्यास करने से हम स्वतः ही हर कर्म में, हर परिस्थिति में शक्तिशाली रहेंगे! परमात्मा का साथ हमें निरंतर अनुभव होगा... हमें सभी की दुआएं स्वतः प्राप्त होंगी। तो इन दो वरदानों का अभ्यास चलिए स्टार्ट करते हैं..

अनुभव करेंगे मैं आत्मा ज्योति स्वरूप, अपने मस्तक के बीच में एक चमकता सितारा... फील करेंगे मैं परम पवित्र आत्मा हूं... फील करेंगे मुझ आत्मा से पवित्रता का प्रकाश निकल सारे शरीर में फैल चुका है... ऊपर ब्रेन से लेकर नीचे पैरों तक यह प्योरिटी की किरणें, पवित्रता का प्रकाश फैल चुका है... और मेरा स्थूल शरीर पूरी तरह से लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा अपने फरिश्ता स्वरूप में, अपने लाइट के शरीर में... मैं एक परम पवित्र आत्मा हूं... मैं पवित्रता का फरिश्ता हूं... प्योरिटी मेरा ओरिजिनल नेचर है.. अभी मैं फरिश्ता उड़ चला आकाश, चांद तारों को पार कर... एक सेकंड में पहुंच गया सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने हमारे बापदादा... हमें प्यार भरी मीठी दृष्टि दे रहे हैं... असीम शांति है इस दृष्टि में... इस दृष्टि से मैं पूरी तरह से निर्संकल्प हूं... कोई संकल्प नहीं.... बस परमात्म प्रेम में लीन हूं... बापदादा के सामने बैठ जाएंगे... फील करेंगे उन्होंने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... इन हाथों से हमारे पूरे मस्तक और पूरे सूक्ष्म शरीर में एक दिव्य प्रकाश फैल रहा है.. एकाग्र हो जाएंगे इस स्थिति में... बापदादा हमें पहला वरदान दे रहे हैं- श्रेष्ठ योगी भव..! श्रेष्ठ योगी भव...! आज से मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूं! परमात्मा से मुझे वरदान मिला है- श्रेष्ठ योगी भव! इस ब्राह्मण जीवन में सर्वश्रेष्ठ वरदान श्रेष्ठ योगी भव का वरदान है... जिसे यह वरदान प्राप्त होता है, उसे बाकी सभी वरदान स्वतः प्राप्त होते हैं... श्रेष्ठ योगी अर्थात एक बल एक भरोसा... सदा एकाग्रचित्त, श्रेष्ठ योगी अर्थात एक के सिवाय और कुछ दिखाई नहीं दे... मेरा हर कर्म और बोल, और संकल्प परमात्मा को अर्पण है... हर कर्म, बोल और संकल्प परमात्मा की याद में है... श्रेष्ठ योगी अर्थात एक ही लक्ष्य की तरफ नज़र... वह लक्ष्य है बिंदु! बाकी किसी भी विस्तार को देखते हुए नहीं देखना, सुनते हुए नहीं सुनना... तो आज से मैं एक श्रेष्ठ योगी आत्मा हूं! स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिया है- श्रेष्ठ योगी भव! अभी बापदादा हमें दूसरा वरदान दे रहे हैं- संपूर्ण पवित्र भव..! संपूर्ण पवित्र भव...! मैं परम पवित्र आत्मा हूं... स्वयं भगवान ने मुझे वरदान दिया है- संपूर्ण पवित्र भव! आज से मैं मनसा, वाचा और कर्मणा पूरी तरह से पवित्र हूं! हमारी वृत्ति में सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना, शुभकामना है... सबका भला हो.. सभी सुखी रहें... आज से हमारी दृष्टि आत्मिक दृष्टि है... हम हर एक को आत्मिक स्वरूप में देखते हैं... अर्थात उनके शरीर को ना देख, उनके मस्तक मणि को देखते हैं... वे पवित्र आत्मा हैं... सभी पवित्र हैं... हमारा हर बोल पवित्र है, अर्थात वरदानी है... हम अपने बोल से सभी को दुआएं देते हैं, सुख देते हैं... हमारा हर एक बोल पवित्र है... परमात्मा शिवबाबा की श्रीमत अनुसार है... मेरा हर कर्म पवित्र है... मैं अपने हर कर्म से पवित्रता की झलक और फलक का अनुभव करवाता हूं... हमारा हर कर्म सभी को सुख देता है... मैं परम पवित्र आत्मा हूं...

परमात्मा कहते हैं- वरदाता द्वारा सर्व वरदानों में मुख्य दो वरदान हैं, जिसमें कि सारे वरदान समाए हुए हैं, वे दो वरदान हैं- योगी भव और पवित्र भव!

ओम शांति।


70. हर सुबह अपने आप से ये 5 बातें कहें | Morning Motivational & Meditation

ओम शांति।

सवेरे उठते ही पहले दस मिनट हमारा अवचेतन मन जागृत होता है। हम जो संकल्प करेंगे उसे हमारा अवचेतन मन तुरंत ग्रहण कर लेगा। तो जितना हम पहले 10 मिनट अच्छा सोचेंगे, उतना उसका प्रभाव सारा दिन रहेगा। हमारी महानताएं और शक्तियां स्वतः ही इमर्ज हो जाएंगी। और हमारे साथ जीवन में सबकुछ अच्छा होता जाएगा। तो सुबह उठते ही पहला संकल्प हमें करना है - मैं महान हूं.. मैं महान हूं.. जितना हम इस संकल्प को गहराई से फिल करेंगे उतना ही हमारी महानताएं, हमारी विशेषताएं इमर्ज हो जाएंगी... हमारी हीन भावना, inferiority complex खत्म हो जाएगी... और दिनभर में, हर कार्य में हमारा कॉन्फिडेंस बना रहेगा.. स्वतः ही हमारे द्वारा विशेष कार्य होते रहेंगे. हर क्षेत्र में हमें सफलता मिलती रहेगी.. हमें महानता का अनुभव होता रहेगा.. सर्व द्वारा हमें सम्मान मिलेगा.. तो पहला संकल्प- मैं महान हूं.. इसी के साथ हम दूसरा संकल्प करेंगे भगवान हमेशा मेरे साथ हैं.. भगवान हमेशा मेरे साथ हैं... यह संकल्प करने से हमें स्वतः ही परमात्मा का साथ अनुभव होता रहेगा... उनकी शक्तियां हमारे साथ कार्य करेंगी... हम बहुत ही निर्भय होते जाएंगे... सुरक्षित फील करेंगे.. स्वतः ही हम बहुत शक्तिशाली फील करेंगे... इसी से जुड़ा हम तीसरा संकल्प करेंगे- मैं बहुत शक्तिशाली हूं.. मैं बहुत शक्तिशाली हूं.. जितना हम यह संकल्प को गहराई से फील करेंगे, कल्पना करेंगे कि हम बहुत शक्तिशाली हैं, उतना ही दिन भर में, हर क्षेत्र में, हर कार्य में, हर परिस्थिति में हम शक्तिशाली बने रहेंगे... हमारे अंतर्मन की शक्तियां स्वतः इमर्ज हो जाएंगी.. और कोई भी नेगेटिव परिस्थिति में या चैलेंजिंग परिस्थिति में हम निर्भय रहेंगे.. शक्तिशाली बन हम उन परिस्थितियों को पार करेंगे.. हम फील करेंगे हमारे लिए कुछ भी असंभव नहीं है.. मैं बहुत शक्तिशाली हूं.. इसी से जुड़ा हुआ हम चौथा संकल्प करेंगे- मैं विजयी हूं.. मैं विजयी हूं.. जितना हम यह संकल्प करेंगे उतना हम हर कार्य में, हर क्षेत्र में सफल रहेंगे.. विजयी बनेंगे... हम हर पल यही अनुभव करेंगे सफलता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है... इसी से जुड़ा हुआ हम पांचवा संकल्प करेंगे- आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा.. यह संकल्प करने से हमारे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होता जाएगा... परमात्मा कहते हैं सदैव कहो मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा.. तो यदि बुरा होने वाला होगा, तो वह भी अच्छा हो जाएगा... इस संकल्प से नेगेटिव को भी हम पॉजिटिव में परिवर्तन कर सकते हैं... तो यह पांच संकल्प- मैं महान हूं.. भगवान सदैव मेरे साथ हैं.. मैं बहुत शक्तिशाली हूं.. मैं विजयी हूं.. आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा.. तो यह 5 संकल्प मेडिटेशन के रूप में चले स्टार्ट करते हैं...

सुबह उठते ही हम दिल से.. मुस्कुरा कर परमात्मा को गुड मॉर्निंग करेंगे... और पहला संकल्प हम करेंगे- मैं महान हूं.. मैं महान हूं... visualise करेंगे अपनी महानताएं.. अपनी विशेषताएं... फील करेंगे मैं महान हूं... मैं विशेष हूं... मैं सबसे अच्छा हूं... मेरा हर कर्म महान है... मैं किसी से कम नहीं हूं... मैं विशेष हूं.. मैं महान हूं.. इसी से जुड़ा हुआ हम दूसरा संकल्प करेंगे- भगवान हमेशा मेरे साथ हैं.. भगवान हमेशा मेरे साथ हैं... परमात्म साथ का अनुभव करेंगे... परमात्मा सर्वशक्तिवान हैं... हमेशा मेरे साथ हैं... उनकी शक्तियां हमारे साथ कार्य करती हैं... वे सदैव मेरे साथ हैं.. उनकी छत्रछाया में मैं सुरक्षित हूं.. निर्भय हूं.. भगवान हमेशा मेरे साथ हैं.. मैं सुरक्षित हूं.. निर्भय हूं.. इसी से जुड़ा हम तीसरा संकल्प करेंगे- मैं शक्तिशाली हूं.. भगवान हमारे साथ हैं.. उनकी शक्तियां सदैव हमारे साथ हैं.. हम बहुत शक्तिशाली हैं.. जीवन के हर क्षेत्र में, हर परिस्थिति में, हर कार्य में मैं शक्तिशाली हूं... हर परिस्थिति को मैं शक्तिशाली बन पार करता हूं... मेरे लिए कुछ भी असंभव नहीं है.. मैं हर असंभव कार्य को संभव कर सकता हूं... मैं बहुत शक्तिशाली हूं... इसी से जुड़ा हम चौथा संकल्प करेंगे- मैं विजयी हूं.. मैं विजयी हूं... Visualise करेंगे जीवन के हर कार्य में, हर क्षेत्र में, वो चाहे बिजनेस हो या कोई जॉब हो, पढ़ाई हो या अन्य कोई प्रोफेशन हो, हम हर क्षेत्र में विजयी हैं... सफलता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है... मैं विजयी हूं.. मैं विजयी हूं.. इसी से जुड़ा हम पांचवा संकल्प करेंगे- आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा.. आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा... Visualise करेंगे हमारे जीवन में सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है... हम हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस से भरपूर हैं... हम सुख समृद्धि से भरपूर हैं... आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा... मैं महान हूं.. भगवान हमेशा मेरे साथ हैं.. मैं बहुत शक्तिशाली हूं.. मैं विजयी हूं.. आज से मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा होगा..

ओम शांति।


71. तपस्या की अग्नि : संस्कार परिवर्तन योग, जिससे सभी विघ्न, कमी व कमज़ोरियां समाप्त होंगी

ओम शांति।

योग एक अग्नि है, जिसमें हमारे सभी पुराने पाप, विकर्म भस्म हो जाते हैं। हमारे पुराने संस्कार, पुरानी स्मृतियां मर्ज हो जाती हैं। तो जितना हम तपस्या करेंगे, जितना हम मेडिटेशन करेंगे, उतना हमारी बुद्धि दिव्य बनती जाएगी। हम कितना भी ज्ञान पढ़ लें, कितनी भी सेवा कर लें, परंतु तपस्या के बिना हमारे संस्कार परिवर्तन नहीं होंगे। हमें सदा खुशी का और संतुष्टता का अनुभव नहीं होगा। जितना हम बाबा को याद करेंगे, मेडिटेशन करेंगे, उतना ही हमारे वाइब्रेशंस पॉजिटिव बनते जाएंगे। हमारी स्थिति लाइट रहेगी। हमें परमात्मा की शक्ति यानी माइट मिलती रहेगी और हमारे जीवन में सब स्वत: राइट होता रहेगा।

दादी प्रकाशमणि जी अपने बुक में लिखते हैं - "पुराने संस्कारों को खत्म करने के लिए एकाग्रता का अभ्यास करो, अशरीरी बनो, यही अभ्यास कमी कमज़ोरियों को खत्म कर देगा।" तो आज हम एक विशेष मेडिटेशन करेंगे। यह मेडिटेशन है - तपस्या की अग्नि। बाबा कहते हैं - "जैसे मैं सूरज समान चमकता हूं उस जहान में, वैसे तुम चमको इस जहान में!" तो यह मेडीटेशन चलिए शुरू करते हैं।

अपने मन के सभी संकल्पों को समेटकर एकाग्र करेंगे, मस्तक के बीच में... मैं एक तेजस्वी आत्मा हूं...!! अनुभव करेंगे... मैं सूर्य समान एक तेजस्वी आत्मा चमक रही हूं.... सूरज समान प्रकाशवान.. मैं आत्मा चमक रही हूं....!! सभी बातें, सभी संकल्प भस्म हो चुके हैं... और कोई संकल्प नहीं.... मैं सूरज समान चमक रही हूं... ! ! ! मैं मास्टर ज्ञान - सूर्य हूं....

अभी अनुभव करेंगे.. जैसे मुझ आत्मा से एक तार निकल कर ऊपर की ओर परमात्मा से जुड़ी है... परमधाम में परमात्मा शिवबाबा सूरज समान चमक रहे हैं...!! उनपे अपनी बुद्धि एकाग्र करें.... जितना हम परमात्मा शिवबाबा पर अपनी बुद्धि को एकाग्र करेंगे, उतना ही हमारी बुद्धि दिव्य बनती जाएगी ! हमारे सभी कमी- कमजोरियां, पुराने संस्कार व विकर्म भस्म होते जाएंगे !! अनुभव करेंगे.. जैसे परमात्मा शिवबाबा सूर्य समान धीरे-धीरे नीचे आ रहे हैं....!! जैसे एक सूरज नीचे उतर रहा है... धीरे-धीरे आ गए हमारे सिर के ऊपर ... हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... जैसे दो सूरज चमक रहे हैं... मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य और हमारे सिर के ऊपर परमपिता परमात्मा शिवबाबा.... यही कंबाइंड स्वरूप है.. यही सर्वश्रेष्ठ स्वरूप है... इसी स्वरूप में हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है ....

इसी स्थिति में एकाग्र रहें.... अनुभव करेंगे.. मैं आत्मा बेदाग बाप समान.. सूर्य समान... चमक रही हूं...... तेजस्वी प्रकाशवान.... जैसे हमारा प्रकाश विश्व के चारों ओर फैल चुका है...... यही तपस्या की अग्नि है !! इसी स्थिति में एकाग्र रहें.....

बाबा कहते हैं- "तुम सिर्फ अव्यक्त वायुमंडल बनाने में बिज़ी रहो, बाकी सब स्वतः होगा !" हमारा मुख्य कार्य है - तपस्या में स्थित होकर, परमात्मा ज्ञान सूर्य से किरणें लेकर, सारे विश्व को देना..! यही मुख्य सेवा है, बाकी सभी सेवाएं तो निमित्त मात्र हैं।

इसी स्थिति में हम एकाग्र रहेंगे......

ओम शांति।


72. रोज़ सवेरे सिर्फ 10 मिनट अनुभव करें - यह पुरानी दुनिया कब्रिस्तान है : बेहद का वैराग्य मेडिटेशन

ओम शांति।

परमात्म महावाक्य है - "बिना बेहद के वैराग्य, तुम मन्सा सेवा, सकाश देने की सेवा कर नहीं सकते।" यदि हम अपना योग शक्तिशाली बनाना चाहते हैं, लंबा काल हम अपनी बुद्धि को परमात्मा पे एकाग्र करना चाहते हैं, तो हमें सदा बेहद की वैराग्य वृत्ति इमर्ज रखनी है। अंत समय में और कुछ काम नहीं आएगा। बस एक परमात्म याद ही काम आएगी। लंबे काल के अशरीरी बनने के अभ्यास से ही हम अंतिम पेपर में पास होंगे। हमें चेक करना है, कि जब हम योग में बैठते हैं, तो हमारी बुद्धि कहां जाती है? कोई व्यक्ति, वस्तु, वैभव या पदार्थ हमारी बुद्धि को आकर्षित तो नहीं करती? इन सबसे बुद्धि हटाने के लिए परमात्मा हमें बहुत सुंदर विधि बताते हैं।

अव्यक्त मुरली 7 अक्टूबर, 1975, परमात्मा कहते हैं - "इस पुरानी देह और देह की दुनिया से बेहद के वैरागी बन गये हो? वा अभी भी यह पुरानी देह और दुनिया अपनी तरफ आकर्षित करती है? यह कब्रिस्तान अनुभव होता है? सभी मूर्छित हुई आत्मायें नजर आती हैं या सिर्फ कहने मात्र हैं? ये सब मरे पड़े हैं अर्थात् कब्रिस्तान है, जब तक वह अनुभव न होगा तो बेहद के वैरागी नहीं बन सकेंगे।”

तो आज हम यह विशेष अभ्यास करेंगे कि यह सारी दुनिया कब्रिस्तान है। कब्रिस्तान अर्थात, सब कुछ जलकर भस्म हो चुका है। तो यह मेडिटेशन चलिए शुरू करते हैं।

अनुभव करेंगे.. मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा... अपने मस्तक के बीच में.. और कोई संकल्प नहीं... बस मैं आत्मा स्थित हूं अपने मस्तक के बीच में... अनुभव करेंगे यह शरीर जैसे पूरी तरह लोप हो चुका है.. और मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में....

अभी अनुभव करेंगे.. यह सारी दुनिया कब्रिस्तान है... भस्म हो चुकी है... जहां भी हमारी बुद्धि जाती है, वह कोई व्यक्ति हो, वैभव हो, वस्तु हो, कोई पदार्थ हो, वह चाहे हमारा मोबाइल हो, हमारा बैंक अकाउंट, प्रॉपर्टी या जो भी व्यक्तियों के कनेक्शन हमने बना के रखे हैं, वह जैसे जलकर भस्म हो रहे हैं... हमारी बुद्धि इस दुनिया से उपराम हो चुकी है.... मुझे पूरी तरह वैराग्य है... कहां भी बुद्धि जा नहीं सकती... अनुभव करें यह सारी दुनिया जल रही है... इस सारी दुनिया में आग लग चुकी है... जहां-जहां हमारी बुद्धि जाए, वहां आग ही आग है! कब्रिस्तान है.. शमशान है....

अभी अपनी ही देह को जलता देखें... कुछ नहीं रहा, ना देह, ना देह की दुनिया, सब जल रही है... कब्रिस्तान है.... अभी मेरी बुद्धि इस पुरानी देह और दुनिया से हट चुकी है.. और अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्म वतन में, परमात्मा शिवबाबा के पास... अनुभव करेंगे.. हमारे सामने परमात्मा शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरूप में... उनसे स्नेह भरी दृष्टि लें..... उनका हाथ पकड़े... अनुभव करेंगे.. बाबा और हम साक्षी होकर इस सूक्ष्म वतन से ही पुरानी दुनिया को जलता हुआ देख रहे हैं... जैसे यह पुरानी दुनिया कब्रिस्तान है... बाबा को थैंक्यू करें.. और उन्हें गले लगा लें....

और अभी तीन मिनट तक हम एकाग्र रहेंगे इसी स्थिति में.. कि बाबा को हम गले लगाए हुए हैं... बाबा ने हमें अपने बाहों में लिया हुआ है.... और बाबा के मस्तक बिंदु से प्रेम की किरणें निकल कर मुझ आत्मा में समा रही हैं..... अनुभव करें इस असीम परमात्म प्रेम को.... जिस प्रेम के लिए मैं आत्मा जन्म-जन्मांतर की प्यासी थी, जन्म-जन्मांतर इस परमात्म प्रेम के लिए मैंने भक्ति की.., वह परमात्मा हमें मिल चुके हैं !! दिल से उनका शुक्रिया करें !! हमें कोई चिंता नहीं, भगवान का हमसे वायदा है, वे सदा हमें तन से, मन से और धन से सहज रखेंगे - यह स्वयं परमात्मा की गारंटी है..!!

अभी मैं आत्मा और बाबा अपना सूक्ष्म शरीर समेटकर, एक सेकंड में पहुंच गई परमधाम में... बस अनुभव करें.. परमधाम में बाबा और मैं कंबाइंड... और उनसे शक्तियों की दिव्य किरणें निकल कर मुझ आत्मा में समा रही है..... दो से तीन मिनट तक हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे.....

ओम शांति।


73. योग को शक्तिशाली व स्थिति को एकरस बनाने वाले शिवबाबा के चुने हुए महावाक्य..

ओम शांति।

1) जितना समय नाजुक आएगा, उतनी बीमारियां भी तो बढ़ेंगी ना। दवाई खाएंगे तो बीमारी हटेगी। दवाई बंद तो बीमारी फिर से आ जाती है। तो ऐसी दवाई दो, जो बीमारी का नाम निशान नहीं हो। वह है - मेडिटेशन। AM - 15/12/99

2) कितनी भी बीमारी हो लेकिन परमात्मा बाप याद है तो बीमारी कम हो जाती है। जितनी कोशिश करके परमात्मा की याद में रहते हैं, तो बीमारी आधी हो जाती है। जैसे वह दवाई है, तो पहली दवाई यह परमात्म याद की है। AM - 18/01/13

3) सेवाओं का उमंग छोटी-छोटी बीमारियों को मर्ज कर देता है। AM - 26/01/95

4) सेवा से जो दुआयें मिलती हैं - वह दुआयें ही तन्दरूस्ती का आधार हैं। SM - 02/06/15

5) याद में रहो और जो प्राप्त हुआ है, उससे औरों की सेवा करो, जितनी सेवा करेंगे, उतनी दुआएं मिलेंगी और वह दुआएं आप को आगे बढ़ाती रहेंगी। AM - 02/02/11

6) सदैव एक मंत्र याद रखो - परमात्मा बाप को दिल का साथी बनाकर रखेंगे, तो सदा अनुभव करेंगे खुशियों की खान मेरे साथ है। AM - 21/05/77

7) खुशी जैसी खुराक नहीं । तुम खुशी में चलते फिरते, पैदल करते परमात्मा बाप को याद करो तो पावन बन जाएंगे | SM - 22/03/05

8) सदा वाह बाबा, वाह तकदीर और वाह मीठा परिवार - यही गीत गाते रहो | SM - 19/05/20

9) जो दिल से बाबा कहते हैं, उनको बाबा द्वारा दिल में सहज खुशी और शक्ति की प्राप्ति होती है। AM - 09/01/96

10) बाप से कनेक्शन ठीक रखो तो सर्व शक्तियों की करेन्ट आती रहेगी। SM - 27/11/20

11) बापदादा सदा अमृतवेले हर बच्चे की संभाल करने के लिए, देखने के लिए विश्व भ्रमण करते हैं ! AM - 15/12/79

12) सारा बोझ परमात्मा बाप को दे दो और तुम सदा हल्के रहो। जहां कोई मुश्किल कार्य आए, तो वह मुझे अर्पण कर दो, तो मुश्किल सहज हो जावेगी। AM - 12/01/79

13) 'परमात्मा बाप मेरे साथ है' इसलिए बाप के आगे अक्षोणी सेना भी कुछ नहीं। AM - 25/11/85

14 ) न व्यर्थ बोल, ना व्यर्थ कर्म, ना व्यर्थ संग, व्यर्थ संग भी समय और शक्ति खत्म कर देता है। AM - 23/11/79

15) भगवान की महिमा तो आत्माएं गाती हैं, लेकिन आप बच्चों की महिमा स्वयं भगवान बाप करते हैं। AM - 30/03/98

16) दुनिया वाले कहते हैं हाथ खाली आए, हाथ खाली जाएंगे। लेकिन आप कहते हो हम भाग्य विधाता के बच्चे भर कर जाएंगे, खाली नहीं जाएंगे। AM - 07/03/93

17) एक परमात्मा बाप के प्यार में मग्न होना ही संपूर्ण ज्ञान है।

18) जितना निराकारी स्थिति में स्थित होंगे, उतना ही नेगेटिव भावना समाप्त होती जाएगी।

19) जो स्वयं समर्पित स्थिति में रहते हैं, सर्व का सहयोग भी उनके आगे समर्पित हो जाता है। SM - 30/05/05

20) सदा एक शब्द याद रखना कि मैं निमित्त हूं, ऐसे निमित्त बनने से ही निराकारी, निरहंकारी और नम्रचित्त, निःसंकल्प अवस्था में रह सकेंगे। AM - 02/02/69

21) कोई भी इच्छा अच्छा बनने नहीं देगी। इसलिए इच्छा मात्रम् अविद्या बनो। SM - 13/10/21

22) चित्त को शांत कर दो तो समस्याएं भी शांत हो जाएंगी।

23) सर्वशक्तिमान को साथी बना लो तो माया पेपर टाइगर बन जायेगी। SM - 09/05/15

24) मेहनत व थकावट से बचने के लिए अर्थात मन को सदा हल्का और खुश रखने के लिए हमेशा समझो करावनहार करा रहा है, चलाने वाला चला रहा है!

25) समस्या आ गयी, यह नहीं सोचो। पेपर आया, पास हुए, मौज मनाओ। AM - 01/03/99

26) बोलने वालों का काम है बोलना। तुम्हारा काम है अचल अडोल रहना।

27) जहां परमात्मा बाप साथ है, वहां कोई भी कुछ नहीं कर सकता।

28) जहां मेरापन होगा वहां भय जरूर होगा। मेरा बाबा - सिर्फ एक ही है जो निर्भय बनाता है। AM - 15/01/86

29) जब मेरापन होता है तो फिकर होती है। जब परमात्मा बाप के हवाले कर दिया तो बाप जाने, बाप का काम जाने। AM - 21/11/84

30) प्राप्तियों को याद करो तो दुःख व परेशानी की बातें भूल जायेंगी। SM - 19/11/20

31) जब भी मन बुद्धि भटकती है तो यह गाना गाओ - पाना था सो पा लिया ! परमात्मा बाप मिला, सबकुछ मिला। AM - 13/10/92

32) यदि तुम संसार को सकाश देने की सेवा में लग जाओ, तो तुम्हारे जीवन में समस्याएं, माया रहेंगी ही नहीं।

ओम शांति।


74. मेडिटेशन द्वारा किसी की बीमारी ठीक करें | Healing Meditation

ओम शांति ।

आज का मेडिटेशन हम विशेष कोई अपनों के लिए करेंगे। हम आत्माएं इस सृष्टि में एक दुसरे से जुड़ी हुई हैं। वह चाहे हमारे घर में कोई अपना हो, या कर्म क्षेत्र पे कई आत्माएं हम से जुड़ी हुई होती हैं। जब हमारा कोई अपना बीमार होता है, हम हर तरह से उन्हें मदद करना चाहते हैं। इन परिस्थितियों में उनके लिए शुद्ध भोजन, दवाई, इत्यादि तो हम करते ही हैं, लेकिन जब हम उन्हें परमात्म सकाश देते हैं, परमात्मा ब्लेसिंग्स देते हैं, तो उनकी रिकवरी कई गुना बढ़ जाती है। परमात्मा कहते हैं - "परमात्म याद में रहने से शरीर के रोग जो तंग करते हैं, वह स्वत: ठंडे हो जाएंगे।" तो आज हम यह परमात्म याद की ब्लेसिंग, परमात्म शक्तियों की सकाश हमारे कोई प्रियजन को देंगे, जो दुखी है, दर्द में है, बीमार है, तो चलिए शुरू करते हैं।

अनुभव करेंगे... मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट.. चमकता सितारा.... फील करेंगे मैं आत्मा, स्थित हूं अपने लाइट के शरीर में, अपने फरिश्ता स्वरूप में। अनुभव करेंगे... मैं एक फरिश्ता हूं...एंजेल हूं... मैं पवित्रता का फरिश्ता हूं... परमात्मा शिवबाबा की संतान हूं... मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... मास्टर सुखकर्ता-दुखहर्ता हूं...। अभी एक सेकंड में अपने फरिश्ता स्वरूप से उस व्यक्ति के पास पहुंच जाए, जो बीमार है, दुखी है, कोई टेंशन में है।

अनुभव करेंगे... हम उनके सामने खड़े हैं... उनको मस्तक के बीच आत्मा देखें। अनुभव करें... उनका शरीर प्रकाश का है... अभी हम फील करेंगे... परमात्मा शिवबाबा फरिश्ता स्वरूप में हमारे साथ हैं.. और उनके मस्तक बिंदु से शक्तियों का दिव्य प्रकाश निकल मुझ आत्मा में समाकर, हमारे प्रियजन को मिल रहा है.... फील करेंगे, यह आत्मा इन परमात्म किरणों से शक्तिशाली बन रही है... अनुभव करेंगे, यह दिव्य शक्तियों का लाल प्रकाश हमारे प्रियजन, इस आत्मा को मिल रही है। इसी स्थिति में एकाग्र रहें.....

यह आत्मा शक्तिशाली बन रही है... परमात्मा सर्वशक्तिवान... मैं उनकी संतान...मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! इस आत्मा को मुझ द्वारा परमात्म शक्तियां मिल रही हैं। इन दिव्य शक्तियों की किरणों में सुख, शांति, प्रेम, शक्तियां समाई हुई हैं... अनुभव करें, इस आत्मा का पूरा शरीर लाल किरणों से जगमगा उठा है... यह किरणें इनके पूरे शरीर को मिल रही हैं... और इन किरणों से इनके सभी दुख, दर्द व बीमारियां नष्ट हो चुकी हैं... इसी स्थिति में एकाग्र रहें.... परमात्म शक्तियों की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा कर इस आत्मा को मिल रही हैं... और वह पूरी तरह शांत, स्वस्थ और शक्तिशाली बन चुके हैं.......

अभी अनुभव करेंगे, परमात्मा शिवबाबा ने और हमने अपना हाथ उस व्यक्ति के सिर पर रख दिया है... और हमारे हाथों से उन्हें दिव्य शक्तियां मिल रही हैं.... अनुभव करें, इन किरणों में परमात्म दुआएं, आशीर्वाद, वरदान व शक्तियां समाई हुई हैं... और हम इन्हें वरदान देंगे - शक्तिशाली भव ... सदा सुखी भव... निरोगी स्वस्थ आत्मा भव...!!

इसी स्थिति में हम 2 मिनट एकाग्र रहेंगे.........

ओम शांति।


75. यह 21 दिन करें और पहला पाठ पक्का करें - मैं आत्मा हूं

ओम शांति।

परमात्मा कहते हैं - "मैं कौन हूं? इस एक शब्द के उत्तर में सारा ज्ञान समाया हुआ है। यह एक शब्द ही खुशी के खजाने, सर्व शक्तियों के खजाने, ज्ञान-धन के खजाने, श्वास और समय के खजाने की चाबी है!"

एक मुरली में बाबा ने कहा - "आत्मिक स्थिति में एकाग्र होना भी याद है, एकाग्रता ही स्वमान है।" और एक मुरली में बाबा ने कहा - "योग ना लगने का मुख्य कारण है, अपनी ड्रेस बदल नहीं सकते। ड्रेस अर्थात मैं यह शरीर नहीं, एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूं।"

तो हमारे ज्ञान का पहला पाठ है - मैं आत्मा हूं। गीता ज्ञान का भी पहला पाठ है - अशरीरी आत्मा बनो। जितना हम अपने आत्मिक स्थिति का अच्छा अभ्यास करेंगे, उतना हमें अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति होगी। हम स्वत: ही ज्ञान, गुणों और शक्तियों से भरपूर अनुभव करेंगे। हमारा परमात्मा से योग पावरफुल बनेगा। तो कम से कम 21 दिन हम इस आत्मिक स्थिति का अभ्यास सुबह 15 मिनट और शाम को 15 मिनट करेंगे। हम यह अभ्यास किसी मेडिटेशन म्यूजिक या ओम ध्वनि पर भी कर सकते हैं।

हमें सिर्फ अपने मस्तक के बीच आत्मा बिंदु में एकाग्र करना है। हम इसकी ऑडियो कॉमेंट्री भी प्ले कर सकते हैं। चलिए शुरू करते हैं।

तीन बार गहरी सांस लेंगे... Breathe in.... breathe out.... Breathe in.... breathe out.... Breathe in.... breathe out...  और अपने मस्तक के बीच में एक चमकता सितारा देखें... इस सितारे पर एकाग्र हो जाएं... और जैसे-जैसे ये कॉमेंट्री आगे बढ़ेगी, एक-एक शब्द को हम गहराई से अनुभव करेंगे।

मैं एक आत्मा हूं...  मैं ज्योति बिंदु स्वरूप आत्मा हूं... मस्तक के मध्य एक चमकता सितारा हूं...  मैं इस शरीर को चलाने वाली एक आत्मा हूं... इस शरीर की मालिक हूं... मैं एक चैतन्य शक्ति हूं... मैं एक मणि समान आत्मा अपने भृकुटी के मध्य विराजमान हूं... यह मेरा तख्त है... यह शरीर प्रकृति के पांच तत्वों से बना है... मैं यह शरीर नहीं हूं, मैं इस शरीर को चलाने वाली एक आत्मा हूं...

जैसे एक ड्राइवर गाड़ी को चलाता है, वैसे ही मैं आत्मा इस भृकुटी के मध्य में स्थित, इस शरीर को अपने अनुसार चला रही हूं... मैं इस शरीर की मालिक हूं... मैं प्रकृतिजीत आत्मा हूं... मैं आत्मा इस शरीर से अलग हूं...!!

मैं आत्मा पूरी तरह साक्षी हो चुकी हूं अपने इस शरीर से... जैसे-जैसे मेरे विचार कम हो रहे हैं, मैं आत्मा बहुत हल्का और रिलैक्स्ड महसूस कर रही हूं... मेरा शरीर भी पूरी तरह शांत, स्थिर और रिलैक्स्ड हो चुका है... मैं एक चैतन्य ऊर्जा हूं...

मैं एक अलौकिक शक्ति हूं... मैं प्रकाशवान हूं... मैं अजर, अमर, अविनाशी, आत्मा हूं... मैं आत्मा कभी मरती नहीं... मेरा कभी विनाश हो नहीं सकता... समय अनुसार, ड्रामा प्लैन अनुसार, मैं अपना शरीर बदलती हूं... यह सृष्टि जैसे एक नाटक है... इस नाटक में मैं आत्मा एक रोल प्ले कर रही हूं... इस नाटक से, इस ड्रामा से पूरी तरह साक्षी हूं...

मैं दिव्य आत्मा हूं... मेरा अपने संकल्पों पे पूरा कंट्रोल है... मेरा अपने इस शरीर पर पूर्ण कंट्रोल है... मेरा अपने कर्म इंद्रियों पर पूरा कंट्रोल है... मैं मालिक हूं... मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूं... मैं अपने सत्य स्वरूप में स्थित अतीन्द्रिय सुख का अनुभव कर रही हूं...

अभी हम सभी को आत्मा देखेंगे... विज्वलाइज़ करेंगे, हमारे सभी संबंध, वह चाहे घर में हो या कोई भी कनेक्शन में हो, वह भी एक ज्योति स्वरूप आत्मा हैं... विश्व के सभी व्यक्ति एक आत्मा हैं...

विज्वलाइज़ करें जैसे यह पूरा विश्व अनेकों चमकते हुए सितारों से भरा हुआ है... सभी आत्माएं अपना-अपना रोल प्ले कर रही हैं...

मैं आत्मा परमधाम निवासी हूं... मैं आत्मा शांतिधाम निवासी हूं... परमात्मा शिवबाबा की संतान हूं...

अभी ओम ध्वनि में हम अपने इस आत्मिक स्थिति में ही एकाग्र रहेंगे....

ओम.......... ओम........... ओम.......... ओम............

ओम शांति।


76. रोज़ 10 मिनट विश्व के ग्लोब पे स्थित होकर संसार को दुआएं दें, आपके आने वाले कष्ट दूर हो जाएंगे

ओम शांति।

जब हम सारे विश्व को दुआएं देते हैं, मनसा संकल्पों से सकाश देते हैं, तो रिटर्न में हमें विश्व की सभी आत्माओं की दुआएं प्राप्त होती हैं। इन दुआओं के बल से हमारा जीवन निर्विघ्न और समस्याओं से मुक्त हो जाता है।

मनसा सेवा करने के लिए हमें एकांतवासी बनना है। एकांत अर्थात - एक के अंत में खो जाना। एकांतवासी बनना अर्थात् सर्व आकर्षण के वाइब्रेशन से परे, अंतर्मुखी बनना। जितना हम मनसा सेवा करेंगे, उतना हमारा दुआओं का खाता बढ़ेगा। हमारी सेवा के सब्जेक्ट में मार्क्स जमा होगी और हमारे सभी हिसाब-किताब व विकर्म नष्ट हो जाएंगे! साथ ही, रेगुलर प्रैक्टिस करने से ही हमारी स्थिति बहुत ही शक्तिशाली बनती जाएगी। हमारी एकाग्रता बढ़ेगी। हमारा जीवन स्वत: ही निर्विघ्न हो जाएगा। तो आज हम ग्लोब पर स्थित होकर परमात्मा द्वारा दिव्य शक्तियों की किरणें लेकर सारे विश्व को दान देंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर, एकाग्र करेंगे‌ मस्तक के बीच, मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट.... मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में.... मैं आत्मा बिंदु अपने लाइट के शरीर में.... अनुभव करेंगे, हमारे सिर के ऊपर परमात्मा शिवबाबा, एक पॉइंट ऑफ लाइट...... परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, सर्वशक्तिवान... मैं उनकी संतान, मास्टर सर्वशक्तिवान हूं! अनुभव करेंगे, परमात्मा शिवबाबा से रंग-बिरंगी किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... देखें, जैसे परमात्म बिंदु से रंग-बिरंगी दिव्य शक्तियों की किरणें निकल कर मुझ आत्मा में समा रही हैं....

एकाग्र हो जाएं इसी कंबाइंड स्थिति में..... अभी फील करेंगे, मैं फरिश्ता स्थित हूं पृथ्वी के ग्लोब पर.... परमात्मा शिवबाबा से दिव्य शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्मा में समाकर, नीचे पूरे विश्व को, पूरे ग्लोब को मिल रही हैं... जैसे फाउंटेन फ्लो हो रहा हो मुझ फरिश्ता से... यह दिव्य रंग-बिरंगी शक्तियों की किरणें पूरे ग्लोब को मिल रही हैं... और पूरे ग्लोब को घेरे हुए हैं.... विज्वलाइज़ करें पूरा ग्लोब... लाखों-करोड़ों आत्माएं, बिंदु स्वरूप में चमक रही हैं... उनको यह परमात्म सकाश मिल रहा है... मैं परमात्मा का फरिश्ता हूं... मेरे मन में सभी के लिए शुभ भावना, शुभकामना है... मैं सबको दुआएं दे रहा हूं... रिटर्न में मुझे विश्व की सभी आत्माओं की दुआएं मिल रही हैं.....

इसी स्थिति में एकाग्र रहें.... मानो पूरा ग्लोब, पृथ्वी इन किरणों से जगमगा उठा है.... विश्व की सभी आत्माएं अपने बिंदु स्वरूप में चमक रही हैं.... यह किरणें ज्ञान, गुण, प्रेम, आनंद, सुख और शक्तियों से भरपूर हैं!! इन किरणों से सभी के कष्ट, समस्याएं, विघ्न व बीमारियां दूर हो रही हैं........ वे सुख-शांति का अनुभव कर रही हैं...... इसी स्थिति में एकाग्र रहें, परमात्मा से कंबाइंड मैं फरिश्ता, मुझसे पूरे विश्व को परमात्म सकाश, दिव्य रंग-बिरंगी किरणें मिल रही हैं...... सबका भला हो, सब सुखी रहें, सबका कल्याण हो.... मेरे मन में कोई के प्रति भी नेगेटिव भाव, घृणा भाव नहीं है.... सब अच्छे हैं! सब परमात्मा की संतान है! और सभी को मैं फरिश्ता, दुआएं दे रहा हूं.....

जितना हम मनसा सेवा करेंगे, यही आत्माएं सतयुग-त्रेता में हमारी प्रजा बनेंगी और जो आत्माएं द्वापर-कलयुग में आएंगी, वे हमारे भक्त बनेंगे। उनको हमारा फरिश्ता स्वरूप या इष्ट देव-देवी स्वरूप का साक्षात्कार होगा... हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे.......

ओम शांति।


77. एकाग्रता से सर्व प्राप्तियों और सर्वशक्तियों का अनुभव - सर्व समस्याओं का समाधान - एकाग्रता की शक्ति।

ओम शांति।

स्थिति श्रेष्ठ तो परिस्थितियां स्वत: बदल जाएंगी और श्रेष्ठ स्थिति का आधार है - एकाग्रता। एकाग्रता अर्थात स्वमान की स्थिति। एकाग्रता ही सफलता की चाबी है। एकाग्रता ही सर्व सिद्धियों का आधार है। एकाग्रता अर्थात एक ही संकल्प में टिक जाना। एकाग्रता सर्व गुणों और सर्व शक्तियों की अनुभूति स्वत: कराती है। एकाग्रता की शक्ति से स्वत: ही एक परमात्म बाप, दूसरा न कोई, यह अनुभूति होती है। जितना हम डेली एकाग्रता का अभ्यास करेंगे, मेडिटेशन करेंगे, उतना ही यह प्रैक्टिस नेचुरल हो जाएगा।

जीवन में चलते-चलते कई अनेक ऐसी परिस्थितियां आती हैं, ऐसी समस्याएं आती हैं, जिन समस्याओं में, जिन प्रश्नों में हम उलझ जाते हैं, और हम सही डिसीजन नहीं ले सकते। उस समय वह बातें, वह परिस्थितियां हमें बहुत बड़ी लगने लगती है। इन परिस्थितियों में हमारे मन में बहुत व्यर्थ और नेगेटिव संकल्प चलने लगते हैं, वह नेगेटिव संकल्पों का फोर्स हमें उलझा देता है। और जब हम एकाग्रता का अभ्यास करते हैं, स्वमान का अभ्यास करते हैं, तब हमारी स्थिति स्वत: श्रेष्ठ बनने लगती है और इस श्रेष्ठ स्थिति से वह परिस्थितियां हमें सहज लगती हैं, छोटी लगने लगती हैं और उन परिस्थितियों में हम सही निर्णय लेते हैं। एकाग्रता के अभ्यास में हमें अपने आत्मिक स्वरूप पर एकाग्र होकर पॉजिटिव संकल्प करने हैं या कोई एक स्वमान में स्थित होना है। और इसी एकाग्रता की स्थिति में स्थित होकर, हम परमात्मा बिंदु पर एकाग्र करेंगे। रेगुलर प्रैक्टिस करने से ही हमारा यह अभ्यास नैचुरल हो जाएगा। शुरुआत के दिनों में एकाग्रता के लिए, हम काउंटिंग मेथड का भी आधार ले सकते हैं। अर्थात, अपने आत्मिक स्वरूप पर एकाग्र हो या परमात्म बिंदु पर एकाग्र हो, हम काउंट करेंगे - 10 काउंटिंग, 25 काउंटिंग। धीरे-धीरे इस काउंटिंग को 50 और 100 तक भी बढ़ाएंगे। इससे हमारा अभ्यास बहुत ही सरल हो जाएगा, तो यह अभ्यास कैसे करना है, with five minute meditation, चलिए स्टार्ट करते हैं।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर... विज्वलाइज़ करें मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... एक चमकता सितारा... इसी पॉइंट ऑफ लाइट पे एकाग्र रहें... मैं आत्मा इस देह, देह की दुनिया से न्यारी हूं... सब बातों और  परिस्थितियों से डिटैच हूं... कोई संकल्प नहीं, बस मैं एक पॉइंट ऑफ लाइट, आत्मा हूं... मैं आत्मा शांत हूं... मैं आत्मा शांत हूं... मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं... गहराई से इस स्थिति में एकाग्र हो जाएं... मगन हो जाएं... अभी हम बुद्धि रूपी नेत्र के सामने विज्वलाइज़ करेंगे, परमधाम में परमात्मा शिवबाबा, हमारी तरह एक पॉइंट ऑफ लाइट... उनपे पूरी तरह एकाग्र हो जाएं... फील करेंगे... परमात्म बिंदु से एक लाइट की तार निकलकर, मुझ आत्मा में कनेक्ट हो चुकी है... इसी कनेक्शन में स्थित रहें... परमात्म बिंदु पर एकाग्र रहें... जैसे हमारे मन के सभी संकल्प, बोझ परमात्मा ने एब्जॉर्ब कर ली हो, खींच ली हो... मेरा कोई संकल्प नहीं.... बस मैं एकाग्र हूं, परमात्मा शिवबाबा पे... परमात्म बिंदु में मगन हो जाएं... कोई संकल्प नहीं, एक परमात्म बाप दूसरा न कोई......

Avyakt Murli - 12-12-1983

1. जहाँ एकाग्रता की शक्ति है वहाँ सर्व शक्तियाँ साथ हैं। इसलिए - एकाग्रता ही सहज सफलता की चाबी हैं।

2. जहाँ एकाग्रता होगी वहां श्रेष्ठता और स्पष्टता स्वत: होगी। किसी भी नवीनता की इन्वेन्शन के लिए एकाग्रता की आवश्यकता है।

3. एकाग्रता अर्थात् एक ही संकल्प में टिक जाना। एक ही लगन में मगन हो जाना। एकाग्रता अनेक तरफ का भटकाना सहज ही छुड़ा देती है। जितना समय एकाग्रता की स्थिति में स्थित होंगे उतना समय देह और देह की दुनिया सहज भूली हुई होगी। क्योंकि उस समय के लिए संसार ही वह होता है, जिसमें ही मगन होते।

ओम शांति।


78. योग करने की सबसे प्यारी और आसान विधि - एक बाबा ही मेरा संसार है - हर दिन यह एक मेडिटेशन जरूर करें

ओम शांति।

आज हम एक विशेष अभ्यास करेंगे। यह अभ्यास है, एक बाबा ही मेरा संसार है। अभी अंत में सभी हद के आधार टूटने हैं, इसलिए हमें सभी आधार छोड़, एक परमात्मा बाप को आधार बनाना है। अंतिम समय में न व्यक्ति काम आएंगे, न वस्तु, वैभव या साधन काम आएंगे, काम आएगी एक परमात्मा बाप की याद। काम आएगी, हमारी श्रेष्ठ स्थिति और हमारे पुण्य कर्म। इसलिए समय से पहले हमें एक परमात्म बाप को अपना संसार बनाना है। यदि परमात्म प्राप्ति के बाद भी हमारी बाहर के रसों में आसक्ति है, हम उन पर आधारित हैं, तो हम सदा संतुष्ट रह नहीं सकते। शिव भगवानुवाच - अभी याद की सब्जेक्ट में अनेक जन्मों के विकर्म विनाश करने में और अटेंशन दो। बाबा ही मेरा संसार है, यह पक्का करो। संसार में सबकुछ समाया होता है। संसार के बाहर और कोई दूसरा संसार नहीं होता! तो बाबा ही मेरा संसार है, यह अभ्यास कैसे करना है, चलिए स्टार्ट करते हैं।

अनुभव करें... मैं आत्मा अपने मस्तक के बीच में, एक चमकता सितारा... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट...अनुभव करें... मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... फील करें अपना डबल लाइट शरीर... मैं आत्मा लाइट.. और मेरा स्थूल शरीर पूरी तरह लाइट बन चुका है... मैं एक फरिश्ता हूं.... एंजेल हूं... अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता बन पहुंच गया, सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने हमारे बापदादा। बापदादा हमें दृष्टि दे रहें हैं... अभी सजनी बन, बाबा के साथ बैठ जाएं.... अनुभव करेंगे... उनके कंधे पर सिर रखकर, उन्हें गले लगा लें... अनुभव करें... बाबा ने हमें अपनी बाहों में समा लिया है... फील करेंगे ... बाबा ही हमारा संसार है... हमारे सभी संबंध एक परमात्मा बाप से है... पूरी तरह मन-बुद्धि को समर्पित कर दें... कोई संकल्प नहीं...

अनुभव करेंगे.... बाबा के मस्तक बिंदु से दिव्य प्रेम का प्रकाश निकल कर, मुझ आत्मा में समाते जा रहा है... इस प्रेम के प्रकाश को अपने अंदर समाते जाएं... और इसी स्थिति में एकाग्र होकर, बाबा से हम बातें करेंगे.... "बाबा, आप ही मेरे संसार हो... मैं आपको तन, मन, धन और सभी संबंधों से समर्पित हूं..." परमात्मा प्रेम में मगन हो जाएं..... अनुभव करें... यह मन हमारा है ही नहीं, पूरी तरह बाप को समर्पण है... यह तन हमारा है ही नहीं, पूरी तरह समर्पण है... जो भी धन है, वैभव है, वह परमात्मा बाप को मन से समर्पण है... जो भी है, बाप का है! हम ट्रस्टी बन संभाल रहे हैं... जो होगा, अच्छा होगा, भगवान मेरे साथ हैं.... एक परमात्मा बाप ही मेरा संसार है... अनुभव करें...जो भी संबंध हैं हमारे, वह बाप को अर्पण हैं... और फील करें, हमारे सभी संबंध एक बाप से हैं... हर संबंध की अनुभूति बाबा हमें कराते हैं...

एक मुरली में बाबा ने कहा- "कोई एक संबंध गहराई से जोड़ो, तो उस संबंध में सर्व संबंध समाए हुए हैं..." इसी स्थिति में एकाग्र रहें... हमारा कोई संकल्प नहीं, बस परमात्म बाप को गले लगाएं हुए हैं और परमात्म प्रेम की किरणों से भरपूर हो चुके हैं... एक बाबा ही मेरा संसार है......

इस एक अभ्यास से हमारे सभी विकर्म विनाश होंगे। हम तन, मन, धन से भरपूर बनेंगे। हमारे जो भी रिश्तें हैं, वह भी स्वत: अच्छे हो जाएंगे। हमें सभी का सहयोग स्वत: मिलेगा। प्रकृति भी हमें समय पर सहयोग देगी... इसी स्थिति में दो मिनट एकाग्र रहें... और परमात्म प्यार में मग्न हो जाएं... इस एक संकल्प में ही एकाग्र रहें - एक बाबा ही मेरा संसार है...

Avyakt Murli - 30-11-10

जब बाप ही मेरा संसार है दूसरा कोई संसार है ही नहीं। संसार नहीं है लेकिन संस्कार कैसे पैदा हो जाता? आजकल बापदादा समय प्रमाण संस्कार शब्द को मिटाने चाहते हैं। मिट सकता है? मिट सकता है? जो समझते हैं कि संस्कार विघ्न रूप नहीं बन सकता यह दृढ़ संकल्प कर सकते हैं, दृढ़ पुरूषार्थ द्वारा आज भी दृढ़ पुरूषार्थ कर सकते हैं कि खत्म करना ही है। करेंगे सोचेंगे देखेंगे.. यह नहीं। करना ही है। संस्कार का काम है आना और बच्चों का काम है समाप्त करना ही है।

ओम शांति।


79. अष्टावक्र और राजा जनक की इस कहानी को समझ लीजिये, सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जायेगा - 5 Min Meditation

ओम शांति।

आज हम एक विशेष संकल्प का अभ्यास करेंगे। यह प्रयोग हमने दादी जानकी जी के क्लास में सुना था। एक बार दादी जानकी जी ने मम्मा से प्रश्न पूछा कि मम्मा आप की स्थिति ऐसी स्थिर, एकरस और शक्तिशाली कैसे रहती है? तो मम्मा ने एक वाक्य में उनको उत्तर दिया। उन्होंने कहा "यह मन मेरा है ही नहीं... यह मन मेरा है ही नहीं..." अर्थात यह मन मेरा नहीं है, परमात्मा शिवबाबा को पूरी तरह समर्पण है।

इस वाक्य का उल्लेख 'अष्टावक्र गीता' में भी है। राजा जनक जब महान अष्टावक्र को कहते हैं - "आप मुझे आत्म-ज्ञान दीजिए, मुझे मन की शांति दीजिए, इसके लिए मैं आपको पूरे राज्य की संपत्ति देने के लिए तैयार हूं।" तब अष्टावक्र कहते हैं - "मुझे यह संपत्ति नहीं चाहिए, यह संपत्ति तो राज्य की है, आप मुझे कुछ देना चाहते हो, तो अपना मन दे दो।" मन दे दो अर्थात, आप कोई संकल्प अपना नहीं कर सकते। 7 दिन के बाद अष्टावक्र उनका हाल पूछते हैं, राजा जनक उनको उत्तर देते हैं - मेरा मन तो आप के हवाले है और इसमें मैं बहुत ही शांति का और अतीन्द्रिय सुख का अनुभव कर रहा हूं। राजा जनक अष्टावक्र को कहते हैं - "मैं जान गया हूं कि मैं यह शरीर नहीं हूं। मैं एक चैतन्य शक्ति, आत्मा हूं। मैं आत्मा हमेशा शांत और खुश हूं।"

तो आज हम इसी संकल्प का अभ्यास सिर्फ 5 मिनट करेंगे। यह संकल्प है - यह मन मेरा है ही नहीं... इस संकल्प का 5 मिनट ही अभ्यास करने से, हम बहुत हल्का और एनर्जेटिक महसूस करेंगे। तो इस संकल्प का अभ्यास गहराई के साथ, चलिए स्टार्ट करते हैं।

अनुभव करें... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... अपने मस्तक के बीच में... एक चमकता सितारा... संकल्प करेंगे, यह मन मेरा है ही नहीं... इस संकल्प से यह मन पूरी तरह परमात्मा को समर्पण है... गहरी शांति का अनुभव करें... कोई संकल्प नहीं, बस एक ही संकल्प, यह मन मेरा है ही नहीं... यह मन मेरा है ही नहीं... यह मन परमात्मा का है... मेरा कोई संकल्प नहीं!! पूरी तरह संकल्पों से मुक्त, नि:संकल्प अवस्था है यह! मन, मन के संकल्प परमात्मा को अर्पण हैं... हमारा कोई संकल्प नहीं... हमारे हर संकल्प, वह चाहे किसी परिस्थिति का हो, कोई व्यक्ति, वैभव, धन, मन की परेशानी, मन की उलझनें - अब मेरी नहीं रही! परमात्मा ने जैसे इन संकल्पों को एब्जॉर्ब कर लिया हो! मैं आत्मा पूरी तरह रिलैक्स्ड हूं... शांत हूं... मेरा कोई संकल्प नहीं...यह मन मेरा है ही नहीं... यह मन मेरा है ही नहीं... यह मन मेरा है ही नहीं... 

जितना जितना हम रेगुलर, डेली यह अभ्यास करेंगे, उतना हमारी स्थिति बहुत ही शक्तिशाली बनती जाएगी। हम निर्विघ्न बनेंगे, हमारा मन हमेशा शांत और खुश रहने लगेगा। हमें हर कार्य में परमात्मा की टचिंग मिलेगी कि क्या राइट है‌ व क्या रॉन्ग है। हम सही डिसीजन ले, सफलतामूर्त बनेंगे,  विजयी बनेंगे!

ओम शांति।


80. सवेरे उठते ही परमात्मा से यह एक वरदान लें - हर बात में 100% सफ़लता होगी - असंभव भी संभव हो जायेगा

ओम शांति।

आज हम विशेष अभ्यास करेंगे। यह अभ्यास है - मैं सफलता का सितारा हूं। सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम परमात्मा शिवबाबा से सफलता का सितारा हूं - यह वरदान लेंगे। यह अभ्यास हर दिन करने से, हमारे मन की शक्ति बढ़ती है, हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है, हम हर कार्य में निर्भय बनते हैं, कार्य क्षेत्र में, किसी व्यक्ति के संबंध-संपर्क में हमारा कॉन्फिडेंस बढ़ता है। यदि कोई इंफेरियारिटी कंपलेक्स है, हीन भावना है, तो वह भी समाप्त हो, हम अपने स्वमान में स्थित होते हैं। और सर्व को सम्मान देते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं।

चारों तरफ से अपना ध्यान समेटकर, एकाग्र करेंगे... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... स्थित हूं अपने मस्तक के बीच में... संपूर्ण डिटैच हो जाएं अपने स्थूल शरीर से, जैसे कि यह शरीर संपूर्ण लोप हो चुका है... बस मैं आत्मा, ज्योति स्वरूप... मैं आत्मा स्वराज्य अधिकारी... मैं एक महान आत्मा हूं... मैं इस संसार की सर्वश्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा हूं... एकाग्र करेंगे अपनी बुद्धि को परमधाम में, शिवबाबा ज्योति स्वरूप पर... परमात्मा शिवबाबा ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, सर्वशक्तिवान... हम उनका दिल से आह्वान करते हैं...

अनुभव करेंगे... शिवबाबा धीरे-धीरे परमधाम से नीचे उतर रहें हैं... आकाश, चांद, तारों को पार कर, पहुंच गए हमारे सिर के ऊपर... हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... फील करेंगे उनके साथ का अनुभव... मैं आत्मा ज्योति स्वरूप... परमात्मा शिवबाबा से कंबाइंड... वे मेरे सिर के ऊपर हमारी छत्रछाया बन चुके हैं.... परमात्मा शिवबाबा मेरे साथ हैं... अनुभव करेंगे, शिवबाबा से शक्तियों की दिव्य किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... अनुभव करेंगे यह दिव्य शक्तियों की किरणें... मैं आत्मा शक्तियों से भरपूर.. संपन्न बन चुकी हूं... परमात्मा शिवबाबा सर्वशक्तिवान... मैं आत्मा उनकी संतान, मास्टर सर्वशक्तिवान... मास्टर ऑलमाइटी... इन किरणों द्वारा बाबा मुझे एक दिव्य वरदान दे रहे हैं -

सफलता का सितारा भव...... सफलता का सितारा भव...... सफलता का सितारा भव...... सफलता का सितारा भव...... सफलता का सितारा भव...... सफलता का सितारा भव...... सफलता का सितारा भव......

बाबा ने मुझे इस वरदान से भरपूर किया है... आज से मैं परमात्म शक्तियों से संपन्न हूं... मास्टर सर्वशक्तिवान हूं... सफलता का सितारा हूं... सफलता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है... हर कार्य में मुझे सफलता सहज प्राप्त होगी... इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे, परमात्मा शिवबाबा से निरंतर दिव्य शक्तियों और वरदानों की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिवान... मैं सफलता का सितारा हूं... सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है.... मैं अपने स्व पुरुषार्थ में सदा सफल हूं... परमात्मा का मुझे वरदान है - मैं सफलता का सितारा हूं..!!

कार्य व्यवहार में, संबंध-संपर्क में, कभी आते मुश्किल परिस्थितियों में भी‌ हमें सफलता प्राप्त होगी! कभी समय लग सकता है, लेकिन सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है! कहां-कहां परिस्थिति का सामना भी करना पड़ेगा, व्यक्तियों द्वारा सहन भी करना पड़ेगा, लेकिन वह सहन करना उन्नति का साधन बन जाएगा! परिस्थिति का सामना करते, परिस्थिति स्व-स्थिति के उड़ती कला का साधन बन जाएगी, अर्थात हर बात में सफलता स्वत:, सहज और अवश्य प्राप्त होगी!

ओम शांति।


81. 15 मिनट परमात्म सुरक्षा कवच - योग कमेंट्री

ओम शांति।

विज्वलाइज़ करेंगे, अपने मस्तक के बीच में... मैं आत्मा एक चमकता सितारा... मैं आत्मा शांत हूं... इस शरीर को चलाने वाली, मैं एक शक्ति हूं... मैं आत्मा पूरी तरह से शांत हूं... मुझ आत्मा से शांति के प्रकंपन हमारे पूरे शरीर को मिल रहे हैं... और मेरा शरीर पूरी तरह से शांत और रिलैक्स है... मैं शक्तिशाली हूं... मैं निर्भय हूं... मैं सुरक्षित हूं... मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं... आंखों के सामने हम देखेंगे, परमपिता परमात्मा शिवबाबा... परमात्म साथ का अनुभव करें... अनुभव करेंगे, परमात्म शक्तियों को... परमात्मा पॉइंट ऑफ लाइट से शक्तियों की किरणें निकल मुझ आत्म में समाती जा रही हैं... अनुभव करेंगे, परमात्मा शक्तियों को, उनके साथ को... मैं शाक्तिशाली हूं... मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... अनुभव करें, यह परमात्म किरणें हमारे चारों ओर एक सुरक्षा कवच बना चुकी हैं... इस सुरक्षा कवच में मैं सुरक्षित हूं, स्वस्थ हूं! मैं तन, मन और धन से भरपूर हूं.... मेरा शरीर संपूर्ण स्वस्थ है...

अनुभव करेंगे, यह परमात्म किरणें सुख, शांति, प्रेम, और शक्तियों से भरपूर, पूरे विश्व में फैल रही हैं.... संसार की सभी आत्माओं को यह सुख-शांति और शक्तियों की किरणें मिल रही हैं... इस प्रकाश से वह भरपूर हो रहे हैं... उनके मन की अशांति, दुख, उलझन, समाप्त हो चुकी हैं... उनका मन शांत हो चुका है... अनुभव करेंगे, यह प्रकाश उनके शरीर को शांत और शीतल कर रहा है... परमात्म किरणों से सभी बीमारियां शांत हो चुकी हैं... प्रकृति के पांच तत्व शांत और शीतल बन चुके हैं... ये विश्व की सभी आत्माओं को जो भी आवश्यक पदार्थ व साधन हैं, उन्हें प्रदान कर रही हैं... विश्व की सभी आत्माएं तन, मन और धन से भरपूर हो चुकी हैं... कोई विघ्न नहीं, मन की कोई उलझन नहीं, उनके तन के सभी रोग शांत हो चुके हैं! वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं... मैं परमात्मा की संतान, मास्टर सर्वशक्तिमान, एक एंजेल हूं... परमात्मा शिवबाबा मुझसे सभी को निरंतर सुख-शांति और शक्तियों का प्रकाश दे रहे हैं... विश्व की सभी आत्माएं सुरक्षित हैं.. शांत हैं.. शक्तिशाली हैं.. संपूर्ण स्वस्थ हैं!!

ओम शांति।


82. बीमारी से परेशान हैं, दवाईयां काम नहीं कर रहीं - यह प्रयोग करें

ओम शांति।

आज हम एक विशेष मेडिटेशन करेंगे। अगर हम किसी बीमारी से परेशान हैं, दवाइयां काम नहीं कर रहीं, अनेक डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी हमें सॉल्यूशन नहीं मिल रहा है, तो इस परिस्थिति में हम यह दस मिनट का मेडिटेशन दिन में तीन बार करेंगे। कुछ दिन के ही प्रयोग से हमें बीमारी में राहत मिलने लगेगी। दवाइयां असर करने लगेंगी। या कहीं ना कहीं से परमात्मा स्वयं हमें सहयोग देंगे। और कुछ दिन के प्रयोग से ही हमारे शरीर की बीमारी धीरे-धीरे शांत होने लगेगी। तो यह मेडिटेशन है - क्षमा याचना का और धन्यवाद का।

मुरलियों में कई बार आता है, यह जो शरीर की बीमारियां हैं, वह हमारा पास्ट का कर्मभोग है। पास्ट में, चाहे इस जन्म में या पिछले कोई जन्म में जाने-अनजाने हमने किसी को दुख दिया हो, पिछले जन्मों में शायद हमने किसी से धन लिया हो, किसी को शारीरिक पीड़ाएं दीं हो - ऐसे अनेक कर्मभोग के रिटर्न में उन आत्माओं से हमें बद्दुआएं मिली। उनके मन में हमारे प्रति नेगेटिव भाव रहा। तो ऐसी परिस्थिति में कार्मिक अकाउंट, कर्मभोग क्लियर करने के लिए हम क्षमा याचना का मेडिटेशन करेंगे। और प्रकृति को धन्यवाद देने का मेडिटेशन करेंगे। जैसे ही यह प्रैक्टिस हम रेगुलर करेंगे, हमारा मन हल्का होता जाएगा। फलस्वरूप शरीर की जो व्याधि, रोग या बीमारी है, वह हल्की हो जाएगी। और इन आत्माओं को सकाश देने से, अच्छे वाइब्रेशंस देने से, इन आत्माओं की दुआएं हमें मिलेंगी। उन दुआओं के बल से हमें जल्दी से जल्दी बीमारी में राहत मिलती जाएगी और हम बीमारियों से मुक्त होने लगेंगे। कई बार डॉक्टर भी कहते हैं - "इन्हें दवा की नहीं, दुआ की जरूरत है!"  ब्लेसिंग्स ऐसी परिस्थितियों में बहुत काम करती है। तो यह मेडिटेशन कैसे करना है, चलिए शुरू करते हैं।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... इसी पॉइंट ऑफ लाइट पे एकाग्र रहें... मैं आत्मा शांत हूं... अनुभव करेंगे... मैं आत्मा अपने लाइट के बॉडी में, लाइट के शरीर में, जिसे हम फरिश्ता स्वरूप कहते हैं..., मैं आत्मा पॉइंट ऑफ लाइट... और मेरा पूरा शरीर लाइट का है... मैं एक फरिश्ता हूं... फील करेंगे, हमारे सिर के ऊपर, परमात्मा शिवबाबा, एक पॉइंट ऑफ लाइट... फील करेंगे... परमात्मा शिवबाबा से प्रेम की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा रही हैं... प्रेम की किरणों से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूं... परमात्मा प्यार के सागर, क्षमा के सागर, रहम के सागर हैं... मैं उनकी संतान, मास्टर प्रेम का सागर हूं...

इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे, और हमारे सामने‌ हम उन आत्माओं को विज्वलाइज़ करेंगे, जिन्हें हमसे जाने-अनजाने इसी जन्म में या पूर्व किन्हीं जन्मों में दुख मिला हो, हमारे द्वारा इनको कष्ट हुआ हो, शायद इनके कोई कार्य में हम विघ्न बने हो, हमारे द्वारा इनका धन का नुकसान हुआ हो, या अन्य कोई परिस्थिति से वह आत्मा को दुख मिला हो! फील करेंगे, यह परमात्म प्रेम की किरणें, स्नेह की किरणें, मुझ आत्मा में समाकर, सामने इन सभी आत्माओं को मिल रही हैं... परमात्म प्रेम की किरणें इन आत्माओं को देते जाएं... इन आत्माओं से हम क्षमा मांगेंगे... हे आत्माओं! जाने-अनजाने हमसे गलती हुई, आपको दुख मिला, हमने आप पे क्रोध किया, हम आपसे पूरे दिल से क्षमा मांगते हैं... हमें माफ कर दो! हम पूरे दिल से आपसे क्षमा मांगते हैं... आपका कल्याण हो! आप सदा सुखी रहें! यह हमारी दिल से कामना है!!

अभी हम उन आत्माओं को सामने इमर्ज करेंगे, जिन आत्माओं से जाने-अनजाने हमें दुख मिला हो। पिछले जन्मों में या इसी जन्म में, उन्होंने हमें दुख दिया हो, हम पर क्रोध किया हो, हमारे लिए कोई ना कोई विघ्न बने हो। इन्हें भी हम यह परमात्म प्रेम की किरणें दे रहे हैं... इन प्रेम की किरणों से, स्नेह की किरणों से, यह आत्माएं भरपूर हो रही हैं... और मास्टर रहम का सागर बन, हम इन्हें पूरी तरह दिल से क्षमा कर रहे हैं... हे आत्माओं! जाने-अनजाने आपसे गलती हुई, प्रकृति-वश या स्वभाव-संस्कार वश आपने हमें दुख दिया। जो हुआ सो हुआ। It's past. अभी हम आपको पूरे दिल से क्षमा करते हैं... आप सदा खुश रहें! आपका कल्याण हो!

अभी अनुभव करेंगे... यह सभी आत्माएं हमें दिल से दुआएं दे रही हैं... हमारा सभी कार्मिक अकाउंट निल हो चुका है... सभी ने हमें माफ कर दिया... हमने सभी को माफ कर दिया... हमारे मन में किसी के प्रति भी नफरत का भाव, या घृणा का भाव नहीं है...‌ हम पूरे निश्चिंत और हल्के हो चुके हैं...

अभी हम दिल से परमात्मा का शुक्रिया करेंगे...‌ जिन्होंने हमें यह शरीर दिया, अच्छे संबंधी दिए, हमें सहयोग दिया, जो हमारे सदैव साथ हैं! सामने हम इमर्ज करेंगे उन आत्माओं को, जिन्होंने  पूर्व जन्मों में, या इसी जन्म में हमें सहयोग दिया हो, या हमें हेल्प की हो, जब हमें जरूरत थी। उन्होंने हमें सहयोग दिया, उन्हें भी हम परमात्म किरणें दे रहे‌ हैं और दिल से उन्हें शुक्रिया करेंगे, थैंक यू करेंगे, धन्यवाद करेंगे... आपने हमें समय पर मदद की, सहयोग दिया.., आपको दिल से थैंक यू! धन्यवाद!

अभी हम धन्यवाद करेंगे इस प्रकृति का... प्रकृति के पांच तत्वों का.. और प्रकृति के पांच तत्वों से बने इस शरीर का.... आपने हमें सहयोग दिया, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया...! थैंक यू..!

अनुभव करेंगे... चारों तरफ से हमें दुआएं मिल रही हैं... सभी आत्माएं और प्रकृति हमें दुआएं दे रही हैं और हम बहुत हल्के और शांत हो चुके हैं....!

ओम शांति।


83. मुश्किलें कितनी भी हों, असंभव कुछ भी नहीं - हर दिन बस 5 मिनट यह मेडिटेशन करें

ओम शांति।

जीवन में चलते-चलते कुछ ऐसे मोड़ आ जाते हैं, कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं, जिन परिस्थितियां पार करना‌ हमें असंभव लगता है। हमारे मन के संकल्प नेगेटिव हो जाते हैं। हमें लगता है, यह हम से नहीं होगा या हम कंफ्यूज हो जाते हैं, पता नहीं यह होगा कि नहीं? पता नहीं यह व्यक्ति साथ देगा कि नहीं? मैं यह कैसे कर सकता हूं? तो इन परिस्थितियों में, इन बातों में, हमें कुछ ऐसे संकल्प करने हैं, जो हमारे मन के व्यर्थ संकल्पों के जाल को समाप्त कर, हमें पॉजिटिव बनाए, हमें शक्तिशाली बनाएं, हमें उमंग-उत्साह में लाएं। तो आज हम 5 मिनट कुछ ऐसे ही संकल्पों का अभ्यास करेंगे। इन संकल्पों का अभ्यास करते ही हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा का प्रवाह होगा। हम स्वत: ही शक्तिशाली, पॉजिटिव और उमंग-उत्साह का अनुभव करेंगे। तो यह मेडिटेशन चलिए शुरू करते हैं।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर एकाग्र करेंगे, मस्तक के बीच, मैं आत्मा.... एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं आत्मा एक चमकता सितारा... अनुभव करेंगे, हमारे सिर के ऊपर, परमपिता परमात्मा शिवबाबा, एक पॉइंट ऑफ लाइट... जैसे भगवान हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... उनके साथ का अनुभव करें... विज्वलाइज़ करेंगे, परमात्मा बिंदु से दिव्य शक्तियों की किरणें निकल, मुझे आत्मा में समाती जा रही हैं.... अपने आत्मिक स्वरूप पर एकाग्र होकर फील करें.. जैसे परमात्म शक्तियां मुझमें समा रही हैं.... जैसे मैं आत्मा, परमात्म शक्तियां खींच रही हूं... भगवान मेरे साथ हैं! जहां भगवान साथ हैं, वहां कितने भी चाहे तूफान हों, वह तौहफा बन जाएंगे! इसी स्थिति में एकाग्र रहें, परमात्मा हमारे साथ, हमारी छत्रछाया बन चुके हैं.. और उनसे शक्तियों की किरणें निकल.., मुझमें समाती जा रही हैं... और मैं आत्मा बहुत शक्तिशाली बन चुकी हूं... अभी इसी स्थिति में एकाग्र होकर एक-एक वाक्य को गहराई से फील करेंगे...

जहां परमात्मा साथ हैं, वहां कोई कुछ कर नहीं सकता!

जहां परमात्मा साथ हैं, वहां सफलता है ही! वहां असंभव भी संभव हो जाता है! भगवान मेरे साथ हैं! वे हमें कहते हैं - "आप हिम्मत का एक कदम बढ़ाओ, तो परमात्मा बाप मदद के हजार कदम बढ़ाएंगे! जहां भी मुश्किल आवे ना, बस दिल से कहना - "बाबा, मेरा बाबा, मेरा साथी आ जाओ, मदद करो... तो भगवान भी बंधा हुआ है! सिर्फ दिल से कहना!"

इसी स्थिति में एकाग्र रहें.., परमात्म किरणें मुझमें समा रही हैं... मैं पूरी तरह पत्मात्मा की संतान, मास्टर सर्वशक्तिवान बन चुकी हूं... इस मास्टर सर्वशक्तिवान की स्थिति में, हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है.... इस स्थिति के आगे कोई विघ्न, कोई समस्या रहेगी ही नहीं... हर बात में, हर कार्य में, सफलता हुई पड़ी है! यही सर्वश्रेष्ठ स्थिति है!

ओम शांति।


84. जब भी कोई डर, चिंता या घबराहट होने लगे तो यह संकल्प करें

ओम शांति।

जीवन में चलते-चलते, कई अनेक ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं, जिससे हमें डर, चिंता या घबराहट होने लगती है। यह व्यर्थ और नेगेटिव चिंतन या तो पास्ट में की हुई घटना की होती है या फ्यूचर में क्या होगा - यह चिंता सताती है। कई बार यह संकल्प हमारे अंतर्मन में कई दिनों तक, कई महीनों तक चलते हैं, तो इन नेगेटिव संकल्पों में हमारी एनर्जी वेस्ट होती है। और इन परिस्थितियों में हम सही डिसीजन नहीं ले सकते! तो इन परिस्थितियों में हम ऐसे एक संकल्प का अभ्यास करेंगे, जिसका अभ्यास करते ही हमारे मन में जो भी चिंता, डर और घबराहट है, वह स्वत: समाप्त हो जाएगी और हमारी स्थिति शक्तिशाली बन जाएगी। दिनभर में जब भी समय मिले, इस संकल्प का अभ्यास हमें बार-बार करना है। कुछ ही दिनों की प्रैक्टिस से, इस एक संकल्प का अभ्यास नेचुरल हो जाएगा और स्वत: ही हर परिस्थिति में इस एक संकल्प के आधार से हम पॉजिटिव रहेंगे, शक्तिशाली रहेंगे और सही डिसीजन लेंगे। तो इस एक संकल्प का अभ्यास कैसे करना है, चलिए शुरू करते हैं।

चारों तरफ से सर्व संकल्पों को समेटकर, एकाग्र करेंगे मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... मैं आत्मा एक चमकता सितारा... फील करें... स्वयं भगवान परमात्मा शिवबाबा, हमारे सिर के ऊपर, हमारी छत्रछाया बन चुके हैं... उनके साथ का अनुभव करें... परमात्मा मेरे साथ हैं! अभी अपने मस्तक के बीच पॉइंट ऑफ लाइट पर एकाग्र करें और संकल्प करें,  भगवान मेरे साथ हैं! मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा! भगवान मेरे साथ हैं!! मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा..!! भगवान के साथ होने से उनकी शक्तियां मेरे साथ हैं! मैं शक्तिशाली हूं... मैं निर्भय हूं... सुरक्षित हूं... स्वयं भगवान मेरे साथ हैं..! मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा! मैं हर कार्य में सफल हूं, विजयी हूं!

जहां भगवान साथ हैं, उनके सामने अक्षौहिणी सेना भी कुछ नहीं कर सकती! जिसका साथी हो भगवान, उसे क्या रोकेगी आंधी और तूफान! जहां बाप साथ हैं, वहां कोई कुछ कर नहीं सकता.! हमारी विजय हुई पड़ी है... भगवान मेरे साथ हैं, मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा! भगवान अपने बच्चों को सदा तन से, मन से और धन से सहज रखेंगे, यह बाप की गारंटी है!              

ओम शांति।


85. सवेरे उठते ही परमात्मा से यह दो वरदान लें - तन और मन के सभी कष्ट दूर हो जाएंगें।

ओम शांति।

अनुभव करेंगे, मैं आत्मा... अपने मस्तक के बीच एक चमकता सितारा.... एक पॉइंट ऑफ लाइट.... मैं आत्मा शांत हूं.. मैं आत्मा शांत हूं... अनुभव करेंगे, मैं आत्मा अपने लाइट के शरीर में, अपने फरिश्ता स्वरूप में.... मैं एक फरिश्ता हूं... अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया आकाश के ऊपर, सूक्ष्म वतन में! चारों तरफ सफेद प्रकाश.... सामने हमारे परमात्मा शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरूप में! हमें दृष्टि दे रहें हैं.... असीम प्यार का अनुभव करें इस दृष्टि में.....

अभी हम बापदादा के सामने बैठ जाएंगे और फील करेंगे, उन्होंने अपना वरदानी हाथ, हमारे सिर के ऊपर रख दिया है... और इन हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल, मुझ आत्मा में और पूरे लाइट के शरीर में फैल रहा है.... जैसे इन हाथों से परमात्म शक्तियां, परमात्म दुआएं हमें मिल रही हैं.....‌ अभी बापदादा मुझे पहला वरदान दे रहे हैं - बच्चे, सर्वशक्ति भव... सर्वशक्ति भव... सर्वशक्ति भव... जैसे बाबा अपने हाथों से इस वरदान द्वारा हमें अपनी सर्व शक्तियां दे रहे हैं... और हम पूरी तरह शक्तिशाली बन चुके हैं! हम परमात्मा की संतान.. मास्टर सर्वशक्तिमान बन चुके हैं!

मास्टर सर्वशक्तिमान की स्थिति में हर असंभव कार्य भी संभव हो जाता है! यही सर्वश्रेष्ठ स्थिति है! आज से मुझे स्वयं परमात्मा का वरदान है - सर्वशक्ति भव! मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं...! मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं..!

अभी बापदादा हमें दूसरा वरदान दे रहे हैं - सदा स्वस्थ भव... सदा स्वस्थ भव... जैसे बापदादा अपने हाथों से हमें यह सदा स्वस्थ भव का वरदान दे रहे हैं.... आज से हमारा मन और हमारा तन सदा स्वस्थ है! हमारा शरीर पूरी तरह स्वस्थ और तंदुरुस्त है! स्वयं परमात्मा का मुझे वरदान है - सदा स्वस्थ भव... हमारा मन पूरी तरह स्वस्थ है.... और हमारे तन की जो भी बीमारी या कष्ट है, वह पूरी तरह सूली से कांटा बन चुकी है! जैसे कि यह कष्ट, यह बीमारी हमें महसूस ही नहीं हो रही!

मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं! सदा स्वस्थ हूं! मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं! सदा स्वस्थ हूं! मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं! सदा स्वस्थ हूं!

ओम शांति।


86. कितनी भी चाहे बीमारी या कष्ट हो, किसी से भी वर्णन न करें - किसी भी रोग से परेशान हैं तो अवश्य पढ़ें

ओम शांति।

जीवन में चलते-चलते कभी-कभी हमें कोई ऐसी बीमारी या कोई शारीरिक कष्ट हो जाता है, कि उस बीमारी से हम उदास हो जाते हैं। हमारे मन में कई व्यर्थ और नेगेटिव संकल्प चलने लगते हैं, कि मुझे ही ऐसा क्यों हुआ? मैंने ऐसा क्या बुरा कर्म किया? यह कष्ट मुझे ही क्यों हो रहा है? इन नेगेटिव संकल्पों के साथ हम कई बार इन बीमारी या कष्ट का वर्णन दूसरों के साथ भी करते हैं। जितना हम इस बीमारी का वर्णन करेंगे, उतना यह बीमारी, कष्ट बढ़ती जाएगी। यह प्रकृति का नियम है, कि जितना हम इस बीमारी के बारे में नेगेटिव सोचेंगे, और इसका दूसरों के साथ वर्णन करेंगे, उतना यह बीमारी और कष्ट बढ़ती जाएगी। तो ऐसी सिचुएशन में हमें अपने मन को कुछ ऐसे पॉजिटिव संकल्प देने हैं, जिससे हमारा मन स्वस्थ और पॉजिटिव बन जाए। और हमारा मन स्वस्थ और पॉजिटिव बनते ही इसका इफेक्ट स्वत: शरीर पर दिखने लगेगा और धीरे-धीरे यह तन की जो भी बीमारी या कष्ट है, वह सूली से कांटा बन जाएगी। अर्थात हम मन और तन से पूरी तरह तंदुरुस्त महसूस करने लगेंगे और धीरे-धीरे यह तन की बीमारी और कष्ट शांत हो जाएगी।

अव्यक्त मुरली 29-10-1987 में हमें बाबा इस कर्म भोग या बीमारी के बारे में बहुत ही गहरी बात समझाते हैं। बाबा कहते हैं - "जब आत्मा स्वस्थ है तो तन का हिसाब-किताब वा तन का रोग सूली से कांटा बनने के कारण, स्व-स्थिति के कारण स्वस्थ अनुभव करता है। उनके मुख पर, चेहरे पर बीमारी के कष्ट के चिन्ह नहीं रहते। मुख पर कभी बीमारी का वर्णन नहीं होता, कर्मभोग के वर्णन के बदले कर्मयोग की स्थिति का वर्णन करते हैं। क्योंकि बीमारी का वर्णन भी बीमारी की वृद्धि करने का कारण बन जाता है। वह कभी भी बीमारी के कष्ट का अनुभव नहीं करेगा, न दूसरे को कष्ट सुनाकर कष्ट की लहर फैलायेगा। और ही परिवर्तन की शक्ति से कष्ट को सन्तुष्टता में परिवर्तन कर सन्तुष्ट रह औरों में भी सन्तुष्टता की लहर फैलायेगा। अर्थात् मास्टर सर्वशक्तिवान बन शक्तियों के वरदान में से समय प्रमाण सहन शक्ति, समाने की शक्ति प्रयोग करेगा और समय पर शक्तियों का वरदान वा वर्सा कार्य में लाना - यही उसके लिए वरदान अर्थात् दुआ दवाई का काम कर देती है।"

ओम शांति।


87. गुप्त दान महा पुण्य - सेवा करते यह 5 बातें इमर्ज हो तो जमा का खाता बढ़ता जायेगा।

ओम शांति।

परमात्मा कहते हैं - "जो दिखावे के लिए सेवा करेंगे, वे टूटते रहेंगे और जो गुप्त सेवा करेंगे, वे सदा स्थिर रहेंगे!" जितना हम गुप्त सेवा करेंगे, निष्काम सेवा करेंगे, उतना ही हमारी स्थिति स्थिर और शक्तिशाली रहेगी। एक मुरली में बाबा ने कहा था - अगर नाम के लिए सेवा करेंगे, या कोई हद की प्राप्ति के लिए सेवा करेंगे, तो बाबा मदद नहीं करेंगे, बस नाम मात्र सेवा होगी। दिखावे के लिए की गई सेवा या नाम के लिए की गई हुई सेवा के मार्क्स कट हो जाएंगे। फाइनल में मार्क्स जमा होने का आधार है - कितनों को हमने सुख दिया? पूरे ब्राह्मण जीवन में हम कितना शक्तिशाली रहें? कितना हम संतुष्ट रहें? कितना हम पूरा जीवन धारणा युक्त रहें? कई बार सेवा करके भी हम संतुष्ट नहीं होते, वह भरपूरता का अनुभव नहीं होता। इसका मुख्य कारण है - कहीं ना कहीं हमारे किए हुए पुण्य कर्म में, हमारे संकल्पों में लीकेज है। वह जमा का खाता नहीं बढ़ रहा। जितना हमारा जमा का खाता बढ़ता जाएगा, उतना ही हम शक्तिशाली और भरपूरता का अनुभव करेंगे। और जितना हम गुप्त सेवाधारी बनेंगे, निष्काम सेवाधारी बनेंगे, वह जमा का खाता बढ़ता जाएगा। गुप्त सेवाधारी सदा खुशी से भरपूर रहता है।

तो यह लीकेज को समाप्त कर, जमा का खाता बढ़ाने के लिए अव्यक्त मुरली 31 दिसंबर, 2000 में बाबा हमें बहुत ही गहरी बात समझाते हैं। बाबा कहते हैं - "सेवा की और उसकी रिजल्ट अपनी मेहनत या मैंने किया... मैंने किया यह स्वीकार किया अर्थात् सेवा का फल खा लिया। जमा नहीं हुआ। बापदादा ने कराया, बापदादा के तरफ अटेन्शन दिलाया, अपने आत्मा की तरफ नहीं। यह बहन बहुत अच्छी, यह भाई बहुत अच्छा, नहीं। बापदादा इन्हों का बहुत अच्छा, यह अनुभव कराना - यह है जमा खाता बढ़ाना।" इसी मुरली में बाबा कहते हैं - "जमा के खाते की चाबी बहुत सहज है, वह डायमण्ड चाबी है, गोल्डन चाबी लगाते हो लेकिन जमा की डायमण्ड चाबी है ‘‘निमित्त भाव और निर्मान भाव’’। अगर हर एक आत्मा के प्रति, चाहे साथी, चाहे सेवा जिस आत्मा की करते हो, दोनों में सेवा के समय, आगे पीछे नहीं सेवा करने के समय निमित्त भाव, निर्मान भाव, नि:स्वार्थ शुभ भावना और शुभ स्नेह इमर्ज हो तो जमा का खाता बढ़ता जायेगा।"

तो इस मुरली में बाबा हमें जमा का खाता बढ़ाने के लिए यह पांच बातें बताते हैं:- निमित्त भाव, निर्माण भाव, निस्वार्थ भाव, सर्व के प्रति शुभ भावना और शुभ स्नेह - सेवा करते समय इमर्ज हो तो जमा का खाता बढ़ता जाएगा!

ओम शांति।


88. एक परमात्मा प्यार में मगन होना ही संपूर्ण ज्ञान है

ओम शांति।

चारों तरफ की सर्व बातों को फुल स्टॉप लगाकर एकाग्र करेंगे, मैं आत्मा.. अपने मस्तक के बीच में... एक पॉइंट ऑफ लाइट... कोई संकल्प नहीं... सर्व बातें जो भी हैं, चाहे व्यक्ति से हो, कोई कर्म से हो, मन के संकल्पों की उलझन हो, या तन की कोई व्याधि हो, या धन की कोई समस्या हो, इन सभी बातों को फुल स्टॉप लगाएंगे... बिंदु बन जाएंगे! मैं बस एक बिंदु... ज्योति स्वरूप आत्मा हूं....

अभी हम बुद्धि रूपी नेत्र के सामने विज्वलाइज़ करेंगे...‌ परमधाम में परमात्मा शिवबाबा... हमारी तरह एक पॉइंट ऑफ़ लाइट... परमपिता परमात्मा शिवबाबा... ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान! हम उनकी संतान हैं!! जन्म-जन्म हमने यह परमात्म प्राप्ति के लिए भक्ति की है, और आज हमें स्वयं भगवान मिले हैं! पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं परमात्म बिंदु पर.....

अभी हम अनुभव करेंगे, परमात्मा शिवबाबा से एक लाइट की तार निकल, जैसे एक डोर निकल, नीचे धीरे-धीरे आ रही है.... देखेंगे आकाश, चांद, तारों, को पार कर यह डोर परमात्मा से निकलकर, मुझ आत्मा में आकर कनेक्ट हो चुकी है... जुड़ चुकी है.... जैसे पतंग की डोर नीचे से ऊपर कनेक्ट होती है, वैसे ही मैं आत्मा परमात्मा से कनेक्टेड हूं... कोई संकल्प नहीं! बस हम परमात्मा से कनेक्टेड हैं......

एक परमात्म प्यार में मग्न होना ही संपूर्ण ज्ञान है! इस एक अभ्यास में पूरा ज्ञान समाया हुआ है। जितना हम एक बाप की याद में रहेंगे, बुद्धि का ताला खुलता जाएगा। हमें कोई भी समस्या, विघ्न, कन्फ्यूजन, प्रश्न रहेंगे ही नहीं! दो मिनट हम इसी परमात्म प्रेम में मग्न रहेंगे...... अभी हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे.. और भगवान के इन एक-एक शब्दों को गहराई से फील करेंगे...

बच्चे तुम सिर्फ मुझे याद करो, तुम्हारे सोचने का कार्य भी मैं करूंगा!

परमात्म बाप की याद में रहने का साधन है - मेरापन भूल जाना, सब कुछ बाप का है। यह तन भी आपका नहीं, परमात्मा बाप का है!

मैं गारंटी करता हूं, तुम सिर्फ मुझे याद करो तो इस योग अग्नि से तुम्हारे जन्म-जन्मांतर के पाप भस्म हो जाएंगे!

यदि आप परमात्म बाप के प्यार में मग्न रहने लगो, तो जन्म-जन्म संबंधों में प्यार मिलता रहेगा!

बच्चे मुझे याद करो, इस अभ्यास से तुम सदा सुखी रहोगे!

जहां परमात्मा साथ है, वहां कितने भी चाहे तूफान हों, वह तोहफा बन जाएंगे!

बच्चे जहां भी मुश्किल आवे ना, बस दिल से कहना - बाबा, मेरा बाबा, मेरा साथी, आ जाओ मदद करो! तो बाबा भी बंधा हुआ है! सिर्फ दिल से कहना!

भगवान अपने बच्चों को सदा तन से, धन से और मन से सहज रखेगा, यह बाप की गारंटी है!

इसी स्थिति में एकाग्र रहें.. मैं आत्मा बिंदु.., परमात्म बिंदु से कंबाइंड हूं.... और कोई संकल्प नहीं........

ओम शांति।


89. परिस्थितियों में शिवबाबा की मदद कैसे लें.. भगवान के महावाक्य को यूज़ कर बीमारी कैसे दूर करें

ओम शांति।

आज हम मुरलियों से कुछ ऐसे गहरे महावाक्य सुनेंगे, जिन महावाक्यों में परमात्मा शिवबाबा ने शरीर की बीमारी को ठीक करने की सहज विधियां बताई हैं। इन महावाक्यों को यूज करने से जो भी बीमारी या कष्ट है, वह सहज दूर हो जाएंगे और हमारा जीवन खुशियों से भरपूर बनेगा! तो पहला महावाक्य है:- अव्यक्त मुरली 15 दिसंबर 1999, परमात्मा कहते हैं - "जितना समय नाजुक आएगा, उतनी बीमारियों भी तो बढ़ेंगी ना। दवाई खाएंगे तो बीमारी हटेगी, दवाई बंद तो बीमारी फिर से आ जाती है। तो ऐसी दवाई दो, जो बीमारी का नाम निशान नहीं हो। वह है - मेडिटेशन!"

तो इस महावाक्य में बाबा कहते हैं - मेडिटेशन ऐसी दवाई है, जो बीमारी का नामो-निशान भी समाप्त कर देगी! इसी प्रकार साकार मुरली 24 जुलाई, 2019 में बाबा कहते हैं - "परमात्मा की याद में रहने से शरीर के रोग जो तंग करते हैं, वह भी ऑटोमेटिकली ठंडे हो जाते हैं।"

इसी प्रकार अव्यक्त मुरली 18 जनवरी, 2013 में बाबा कहते हैं -  "जितनी कोशिश करके परमात्मा की याद में रहते हैं, तो बीमारी आधी हो जाती है। जैसे वह दवाई है, तो पहली दवाई यह परमात्म याद की है!"

इसी प्रकार अव्यक्त मुरली 9 जनवरी, 1983 में बाबा कहते हैं - "शरीर बीमार हो, लेकिन शरीर की बीमारी से मन डिस्टर्ब न हो। सदैव खुशी में नाचते रहो, तो शरीर भी ठीक हो जाएगा।

मन की खुशी से शरीर को भी चलाओ, तो दोनों एक्सरसाइज हो जाएगी। खुशी है दुआ और एक्सरसाइज है दवाई। तो दुआ और दवा दोनों होने से सहज हो जाएगा।"

इसी प्रकार अव्यक्त मुरली 22 दिसंबर, 1995 में बाबा हमें दवाई खाने की बहुत सुंदर विधि बताते हैं। बाबा कहते हैं - "आजकल के हिसाब से दवाइयाँ खाना ये बड़ी बात नहीं समझो। क्योंकि कलियुग का वर्तमान समय सबसे शक्तिशाली फ्रूट ये दवाइयाँ हैं। देखो कोई रंग-बिरंगी तो हैं ना। कलियुग के लास्ट का यही एक फ्रूट है तो खा लो प्यार से। दवाई खाना ये बीमारी याद नहीं दिलाता। अगर दवाई को मज़बूरी से खाते हो तो मज़बूरी की दवाई बीमारी याद दिलाती है और शरीर को चलाने के लिये एक शक्ति भर रहे हैं, उस स्मृति में खायेंगे तो दवाई बीमारी याद नहीं दिलायेगी, खुशी दिलायेगी तो बस दो-तीन दिन में दवाई से ठीक हो जायेंगे। आजकल के तो बहुत नये फैशन हैं, कलियुग में सबसे ज्यादा इन्वेन्शन आजकल दवाइयाँ या अलग-अलग थेरापी निकाली है, आज फलानी थेरापी है, आज फलानी, तो ये कलियुग के सीजन का शक्तिशाली फल है। इसलिए घबराओ नहीं। लेकिन दवाई कांसेस, बीमारी कांसेस होकर नहीं खाओ। तो तन की बीमारी होनी ही है, नई बात नहीं है। इसलिए बीमारी से कभी घबराना नहीं। बीमारी आई और उसको फ्रूट थोड़ा खिला दो और विदाई दे दो।"

ओम शांति।


90. रोज़ सवेरे परमात्मा से लेना है यह एक वरदान - इस एक वरदान में सभी वरदान समाए हुए हैं

ओम शांति।

आज हम एक विशेष वरदान का अभ्यास करेंगे। हम परमात्मा द्वारा वरदान लेंगे - अशरीरी भव! अंतिम विनाश काल में जब चारों तरफ हलचल होगी, चारों ही तरफ से पेपर होंगे, वह चाहे शरीर से हो, संबंधों से हो, वैभव या पांच तत्वों से हो, इन अंतिम परिस्थितियों में सेफ रहने का साधन है - एक सेकंड में मैं अशरीरी आत्मा हूं... इस अभ्यास से ही हम अंतिम विनाश काल में सेफ रहेंगे, पास विद ऑनर बनेंगे। पूरे ज्ञान का सार है - अशरीरी भव! इस एक अभ्यास में सभी वरदान समाए हुए हैं। लंबे काल की प्रैक्टिस ही हमें अंतिम पेपर में पास करेगी। हम सेफ रहेंगे। बाबा ने मुरलियों में कहा है - "जो लंबा काल अशरीरी बनने का अभ्यास करेंगे, विनाश काल में उनका विनाश नहीं होगा। वह स्वेच्छा से शरीर छोड़ेंगे।" कर्म करते भी बीच-बीच में हमें चेक करना है, क्या हम अपने संकल्पों को एक सेकंड में फुल स्टॉप देकर अशरीरी बन सकते हैं? यही अभ्यास सर्वश्रेष्ठ अभ्यास है। तो यह मेडिटेशन चलिए शुरू करते हैं।

एकाग्र करेंगे, अपने ब्रेन के मध्य में... मैं एक पॉइंट ऑफ लाइट.... अशरीरी आत्मा हूं! जैसे अपने मस्तक रूपी गुफा में, मैं एकाग्र चित्त हूं.... कोई संकल्प नहीं... बस मैं अशरीरी आत्मा.. शरीर के बंधन से न्यारी हूं..... मैं अशरीरी आत्मा...‌ कर्म करने के लिए कर्म में आती हूं... और कर्म समाप्त कर, कर्म संबंध से न्यारी हो जाती हूं! मैं अशरीरी आत्मा हूं...

अभी फील करेंगे, मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... अपने लाइट के शरीर में... और एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्म वतन में.... चारों तरफ सफेद प्रकाश.... हमारे सामने परमात्मा शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा के फरिश्ता स्वरूप में!! हमें दृष्टि दे रहे हैं..... इनके सामने बैठ जाएं और फील करें, उनका वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर है.... और उन हाथों से दिव्य शक्तियों का प्रकाश निकल कर, मुझ आत्मा में समा रहा है.... इन हाथों से दिव्य किरणें, शक्तियों, दुआओं और वरदानों से भरपूर यह प्रकाश.... अभी बापदादा हमें वरदान दे रहे हैं - अशरीरी भव... अशरीरी भव... अशरीरी भव!! इस वरदान की प्राप्ति से आज से मैं एक सेकंड में अशरीरी आत्मा बनने की प्रैक्टिस सहज कर सकूंगी.... यह वरदान निरंतर मेरे साथ रहेगा!

इसी संकल्प में स्थित रहें, मैं अशरीरी आत्मा हूं...!! सभी बंधन जैसे परमात्मा ने खींच लिए हैं... कोई बंधन नहीं..... सभी बंधनों से मुक्त हूं! वह चाहे शरीर का बंधन हो, कर्म का बंधन, व्यक्तियों का बंधन, वैभवों का बंधन, अपने ही स्वभाव संस्कारों का बंधन, इन सभी बंधनों से मैं मुक्त, अशरीरी आत्मा हूं!!

अभी फील करेंगे, सूक्ष्म वतन में मैं आत्मा अपना सूक्ष्म शरीर समेटकर.. एक सेकंड में पहुंच गई परमधाम में... परमधाम, शांतिधाम में... परमात्मा शिवबाबा के पास...!! परमात्मा शिवबाबा से दिव्य प्रकाश निकल, मुझ आत्मा बिंदु में समा रहा है.... इसी स्थिति में एकाग्र रहें.... परमात्मा शिवबाबा से जैसे कंबाइंड हूं... अशरीरी अवस्था अर्थात् जीते जी सबकुछ भूल, एक बाप की याद रहे - यह है अशरीरी अवस्था! इस अवस्था में शरीर का भी भान नहीं रहता... ना ही और कोई संकल्प रहते... केवल मैं आत्मा और मेरा बाबा.....!!

इसी स्थिति में एकाग्र रहें.... मैं अशरीरी आत्मा, परमात्मा शिवबाबा के साथ परमधाम में.... और उनसे दिव्य प्रकाश मुझमें समाते जा रहा है.....

ओम शांति।


91. मधुबन चार धाम की यात्रा | शक्तिशाली योग कमेंट्री।

ओम शांति।

आज हम चार धाम की यात्रा का मेडीटेशन करेंगे। पांडव भवन, एक साइंटिफिक रिसर्च में देखा गया, पूरे विश्व में सबसे ज्यादा कॉस्मिक एनर्जी, पावरफुल वाइब्रेशंस इस स्थान में हैं। यह वह स्थान है, जहां स्वयं ब्रह्मा बाबा और सभी दादियों ने तपस्या की। तो इस मेडिटेशन कमेंट्री में हम फरिश्ता स्वरूप बनकर, चार धाम यात्रा करेंगे। और एक-एक स्थान पर जाकर हम बाबा से एक वरदान लेंगे। तो यह मेडिटेशन चलिए स्टार्ट करते हैं।

अनुभव करेंगे, मैं आत्मा... अपने फरिश्ता स्वरूप में.. डबल लाइट शरीर.. प्रकाश से जगमगा रहा है.... अभी मैं फरिश्ता एक सेकंड में उड़कर पहुंच गया बाबा की कुटिया में.. बाबा की झोपड़ी में... अनुभव करेंगे, हम बाबा के सामने... बापदादा हमें दृष्टि दे रहे हैं..!! परमात्म महावाक्य है - "कब उदास हो जाओ, तो झोपड़ी में रूह-रिहान करने आ जाना!" अनुभव करें, हम बाबा से रूह-रिहान कर रहे हैं.... बाबा को हम अपनी दिल की बातें बता रहे हैं... सारे बोझ उनको देकर हल्के हो रहे हैं.... "बाबा, मैं जो भी हूं, जैसी भी हूं, आपकी हूं!" अनुभव करें, बाबा ने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है! और फिल करेंगे, इन हाथों से दिव्य किरणें निकलकर मुझमें समा रही हैं.... अनुभव करेंगे, बाबा जैसे मेरी सभी उदासी, सभी परेशानियां समाप्त कर मुझे वरदान दे रहे हैं - "बच्चे, सदा सुखी भव! बच्चे, सदा सुखी भव!" इस वरदान की प्राप्ति से आज से मेरा जीवन सदा सुखी है! मैं हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस से भरपूर रहूंगा! परमात्मा का मुझे वरदान है - सदा सुखी भव!

अभी एक सेकंड में, मैं फरिश्ता पहुंच गया शांति स्तंभ पर... परमात्म महावाक्य है - "शक्तिशाली बनने की आवश्यकता हो, तो शांति स्तंभ पर पहुंच जाना।" अनुभव करेंगे, शांति स्तंभ पर बाबा के सामने... बाबा का वरदानी हाथ, हमारे सिर के ऊपर...! और हमें वरदान दे रहे हैं - "बच्चे, मास्टर सर्वशक्तिमान भव! बच्चे, मास्टर सर्वशक्तिमान भव!" अनुभव करें, बाबा ने जैसे अपने हाथों से अपनी सारी शक्तियां हममें ट्रांसफर कर दी हों.... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं!! मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं!!

अभी एक सेकंड में, मैं फरिश्ता पहुंच गया हिस्ट्री हॉल में.... परमात्म महावाक्य है - "Waste thoughts, व्यर्थ संकल्प बहुत तेज़ हों, बहुत फास्ट हों, तो हिस्ट्री हॉल में पहुंच जाना!" अनुभव करेंगे, बाबा हमारे सामने.. हमें दृष्टि दे रहे हैं... अनुभव करेंगे, उन्होंने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है! जैसे हमारे सभी व्यर्थ संकल्प समाप्त हो चुके हैं... वह चाहे संकल्प कोई कार्य की प्रति हो, कोई मन में उलझन हो, वे सभी समाप्त हो चुके हैं! और बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं - "सफलता मूर्त भव! सफलता मूर्त भव!" इस वरदान की प्राप्ति से हमारे सभी व्यर्थ संकल्प समाप्त हो चुके हैं... मैं सफलता मूर्त हूं! मैं हर कार्य में, हर क्षेत्र में विजयी हूं! स्वयं भगवान का मुझे वरदान है - सफलता मूर्त भव!

अभी एक सेकंड में, मैं फरिश्ता पहुंच गया बाबा के कमरे में... फील करें, हम बाबा के ट्रांसलाइट के सामने बैठे हैं... बाबा से दृष्टि ले रहे हैं... परमात्मा महावाक्य है - "समान बनने का दृढ़ संकल्प उत्पन्न हो, तो बापदादा के कमरे में आ जाना!" अनुभव करें, बाबा ने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है और इन हाथों से दिव्य रंग-बिरंगा प्रकाश निकलकर मुझमें समा रहा है....! बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं - "बाप समान भव! बाप समान भव!" बाबा जैसे इस वरदान से हमें अपनी सारी शक्तियां, सभी वरदान, सभी खज़ाने, सभी गुण जैसे हममें ट्रांसफर कर रहे हैं... और अपने समान, बाप समान बना रहे हैं.... अनुभव करेंगे, मैं बाप समान आत्मा हूं! स्वयं भगवान का मुझे वरदान है - बाप समान भव! बाप समान भव!

ओम शांति।

अव्यक्त मुरली - 30-11-2006

जब भी कुछ हो मधुबन में पहुंच जाओ। भक्ति मार्ग में चार धाम करने वाले अपने को बहुत भाग्यवान समझते हैं और मधुबन में भी चार धाम हैं, तो चार धाम किये? पाण्डव भवन में देखो, चार धाम हैं। जो भी आते हो पाण्डव भवन तो जाते हो ना, एक शान्ति स्तम्भ महाधाम। दूसरा बापदादा का कमरा, यह स्नेह का धाम। और तीसरा झोपड़ी, यह स्नेहमिलन का धाम और चौथा - हिस्ट्री हाल, तो आप सभी ने चार धाम किये? तो महान भाग्यवान तो हो ही गये। अभी किसी भी धाम को याद कर लेना,

01. कब उदास हो जाओ तो झोपड़ी में रूहरिहान करने आ जाना।

02. शक्तिशाली बनने की आवश्यकता हो तो शान्ति स्तम्भ में पहुंच जाना और

03. वेस्ट थॉट्स बहुत तेज हो, बहुत फास्ट हों तो हिस्ट्री हाल में पहुंच जाना।

04. समान बनने का दृढ़ संकल्प उत्पन्न हो तो बापदादा के कमरे में आ जाना।


92. कल्पवृक्ष को सकाश: विश्व की सभी आत्माओं को मनसा सेवा - दुआएं दो और दुआएं लो

ओम शांति।

परमात्मा कहते हैं - "जितना आप मास्टर बीज रूप बन, पूर्वज की स्मृति में रहकर सारे विश्व की आत्माओं को सकाश देंगे, अच्छे वाइब्रेशंस देंगे, उतना ही रिटर्न में आपको इन सभी आत्माओं की दुआएं प्राप्त होंगी! जितना हम इस संगमयुग में मन्सा सेवा करेंगे, उतना ही यह आत्माएं द्वापर कलयुग में हमारी भक्त बनेंगी, उन्हें हमारे द्वारा परमात्मा का साक्षात्कार होगा।" बाबा ने कहा है - अंतिम समय में इस मन्सा सेवा द्वारा ही संसार की हर धर्म की आत्मा कहेगी - "मेरा बाबा! मेरा बाबा! सारे विश्व का पिता.. परमपिता परमात्मा शिवबाबा हमारा बाबा है!" तो आज हम कल्प वृक्ष की जड़ों में स्थित होकर, बाबा से कंबाइंड होकर, पूर्वज बन सारे कल्पवृक्ष को सकाश देंगे। तो यह मेडिटेशन चलिए स्टार्ट करते हैं।

चारों तरफ के सभी संकल्पों को समेटकर एकाग्र करेंगे.. मस्तक के बीच.. मैं आत्मा एक चमकता सितारा... पॉइंट ऑफ लाइट... अपने इस आत्मिक स्वरूप पे एकाग्र रहें.... अभी एक सेकंड में अनुभव करें, मैं आत्मा पहुंच गई परमधाम में... परमात्मा शिवबाबा के पास... यह मेरी बीज रूप अवस्था है! अनुभव करेंगे, शिवबाबा से दिव्य शक्तियों की किरणें निकलकर मुझ आत्मा में समा रही हैं..... बाबा से मैं आत्मा पूरी तरह कंबाइंड हूं... मास्टर बीज रूप हूं... मैं आत्मा पूर्वज हूं! मास्टर विश्व कल्याणकारी हूं! अनुभव करेंगे, परमधाम में ही पूरा कल्प वृक्ष, विश्व की सभी आत्माओं का झाड़! और अनुभव करेंगे, परमात्मा शिवबाबा से यह दिव्य शक्तियों की किरणें निकलकर, मुझ आत्मा में समाकर, नीचे पूरे कल्पवृक्ष में फैल रही हैं.... अनुभव करें, यह परमात्म प्रकाश मुझ द्वारा धीरे-धीरे कल्प वृक्ष के तने में फैल रहा है...‌ इन सभी आत्माओं को यह परमात्म प्रकाश मिल रहा है....

विश्व की सभी 33 करोड़ देवी-देवताएं इस कल्प वृक्ष का तना हैं.... इन सभी आत्माओं को परमात्म किरणें मुझ आत्मा द्वारा मिल रही हैं.... अभी धीरे-धीरे अनुभव करें, यह परमात्म किरणें सृष्टि के हर एक टाल-टालियां, अर्थात सभी धर्म की आत्माओं को मिल रही हैं.... यह परमात्म प्रकाश मुझ द्वारा संसार की सभी आत्माओं को मिल रहा है.... यह दिव्य परमात्म प्रकाश, पवित्रता, ज्ञान, सुख, शांति, प्रेम, आनंद और शक्तियों से भरपूर..., इन सभी आत्माओं को तृप्त कर रहा है!! मैं मास्टर बीज रूप... मास्टर विश्व कल्याणकारी... पूर्वज आत्मा... पूरे कल्प वृक्ष को निमित्त बन यह परमात्म किरणों का दान दे रही हूं... जैसे कि मैं बस परमात्मा का इंस्ट्रूमेंट हूं... परमात्मा मुझ द्वारा सारे विश्व को मुक्ति और जीवनमुक्ति दे रहे हैं.... सभी आत्माओं को सुख-शांति का अनुभव करा रहे हैं... अनुभव करेंगे, पूरा कल्प वृक्ष इन किरणों से जगमगा उठा है... और इन किरणों से संसार की सभी आत्माओं के दिल में यह पुकार है - "मेरा बाबा..! मेरा बाबा...! शुक्रिया बाबा...! शुक्रिया बाबा...!"

बाबा ने कहा है - "अंत में विश्व की सभी धर्म की आत्माएं कहेंगी - "यह सिर्फ ब्रह्माकुमारियों का बाबा नहीं है, यह हम सभी का बाबा है!" फील करें, यह सभी आत्माएं दिल से कह रही हैं - मेरा बाबा... मेरा बाबा... मेरा बाबा...

ओम शांति।


93. अंत समय में जब भोजन नहीं मिलेगा, तब यह एक अभ्यास ही काम आएगा

ओम शांति!

अंतिम समय में जब प्रकृति के पांचों ही तत्व हलचल में होंगे, प्राकृतिक आपदाओं के कारण भोजन खाने लायक नहीं होगा, पानी पीने लायक नहीं होगा.. ऐसा समय आएगा जो कोई साधन होते हुए भी हम उसे यूज़ नहीं कर सकेंगे, उस समय हम अपनी स्थिति अचल-अडोल बनाए रखने के लिए क्या अभ्यास करेंगे? और क्या अभ्यास करने से यह प्रकृति हमारी जो आवश्यकताएं हैं, वह पूरी करेगी...?

एक बार दादी गुलज़ार जी से प्रश्न पूछा गया कि दादी इस अंतिम परिस्थितियों में हमें भोजन कैसे मिलेगा? तो दादी ने उत्तर दिया - "आज तक ऐसी अनेक परिस्थितियां आयीं, बेगरी पार्ट आएं। सुबह नाश्ते के लिए तो था, लेकिन दोपहर में खाने के लिए कुछ नहीं था। ऐसे अनेक पेपर आएं, लेकिन बाबा ने हम बच्चों से कभी उपवास नहीं कराया, कभी भूखा नहीं रखा!"

बाबा ने मुरलियों में कहा है- "दाल रोटी तो मिलती रहेगी!" एक मुरली में बाबा ने कहा - "ऐसे पेपर आएंगे, जो सूखी रोटी खानी पड़ेगी।" ऐसे समय में हम क्या अभ्यास करेंगे? तो दादी ने कहा - "कुछ समय के लिए हमें अनासक्त भाव में रहने का अभ्यास करना है। तो यह अनासक्त भाव ही हमें अंतिम समय के पेपर में पास कराएगा। हमें कोई आसक्ति नहीं रखनी है, कि यह पदार्थ होना ही चाहिए, इसके बिना हम रह नहीं सकते। जो भी बाबा दे, हमें प्यार से स्वीकार करना है!"

एक मुरली में बाबा ने कहा है - "आप सहज राजयोगी आत्माएं हो! सिद्धि स्वरूप हो! प्रकृति जीत हो! आराम से इन सभी साधनों को यूज करो.. लेकिन समय पर यह साधन, पदार्थ धोखा ना दे, यह चेक करो! परिस्थितियां स्थिति को नीचे नहीं लाएं।" अव्यक्त मुरली 26 दिसंबर, 1969 में यह अनासक्त भाव बनाने के लिए बाबा बहुत ही सहज अभ्यास बताते हैं। बाबा कहते हैं - "अनासक्त बनने के लिए तन और मन को अमानत समझो। पदार्थों के विशेष आधार - खाना, पीना, पहनना, चलना, रहना और संपर्क में आना, इन सबकी चेकिंग करो - कोई भी बात महीन रूप में भी विघ्न रूप तो नहीं बनती? यह अभी से ट्रायल करो। जिस समय पेपर आएगा, उस समय ट्रायल नहीं करना, नहीं तो फेल होने की मार्जिन है!" तो आज हम पांच मिनट इस अनासक्त भाव का अभ्यास करेंगे। तो यह मेडिटेशन चलिए स्टार्ट करते हैं।

अनुभव करेंगे, मस्तक के बीच मैं आत्मा.. एक चमकता सितारा... एक पॉइंट ऑफ लाइट... फील करें, मैं एक तेजस्वी.. तपस्वी.. आत्मा हूं!! परमात्मा ज्ञान सूर्य समान चमक रही हूं... मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूं... इसी आत्मिक स्वरूप पे एकाग्र रहें.... मैं संपूर्ण पवित्र राजयोगी आत्मा हूं! सिद्धि स्वरूप हूं! प्रकृति जीत हूं! अनुभव करेंगे, यह तन और मन अमानत है... यह बाबा की है! मैं बस ट्रस्टी होकर संभाल रही हूं... अनासक्त हूं.... मेरा कुछ नहीं, सब कुछ बाबा का है! पूरी तरह अनासक्त हो जाएं अपने इस देह से और देह के पदार्थों से...

अनुभव करेंगे, यह तन, मन, धन और सभी संबंध-संपर्क, सभी अमानत हैं... मैं आत्मा अनासक्त हूं... मेरा किसी से भी लगाव नहीं है... कोई पदार्थ या साधन में आसक्ति नहीं है... मैं आत्मा पूरी तरह से अनासक्त हूं!! बाबा जहां बिठाए, जो भी खिलाएं, जो भी साधन दें, सभी में मैं आत्मा राज़ी हूं... सदा संतुष्ट हूं... इसी स्थिति में दो मिनट एकाग्र रहें.... यह तन, मन, धन और सभी संबंध-संपर्क बाबा की दी हुई अमानत है! मैं आत्मा अनासक्त हूं....

ओम शांति।


94. आत्मा को बहुत शक्तिशाली बना देगा यह एक वरदान - निरंतर योगी भव

ओम शांति।

अभी के समय स्वयं भगवान का वायदा है - निरंतर साथ निभाने का! कोई भी बात हो, सदा बाबा याद रहे, इसको कहते हैं - निरंतर योगी! यदि हमें स्मृति रहती है कि स्वयं परमात्मा मेरे साथ हैं, जो होगा अच्छा होगा, इसको कहते हैं - निरंतर योगी! तो हम चेक करेंगे, जब कोई परिस्थितियां आती हैं, तो हम पहले बाबा को याद करते हैं या अन्य कोई देहधारी व्यक्ति का आधार लेने का सोचते हैं? सदा स्वयं परमात्मा के साथ का अनुभव होने से, हमें किसी देहधारी की आवश्यकता नहीं रहेगी! तो आज हम यह स्मृति - "बाबा मेरे साथ हैं", यह निरंतर रहने के लिए परमात्मा से एक विशेष वरदान लेंगे। यह वरदान है - निरंतर योगी भव! बाबा कहते हैं - सदा बाप के साथ, अर्थात निरंतर योगी! कोई भी बात हो, सदा बाबा ही याद रहे। इसको कहा जाता है - निरंतर योगी! तो यह मेडिटेशन चलिए शुरू करते हैं।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को समेटकर एकाग्र करेंगे, अपने मस्तक के बीच... मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट...  मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... मैं आत्मा मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... फील करेंगे, मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... अपने डबल लाइट शरीर में... अभी एक सेकंड में मैं फरिश्ता पहुंच गया सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश.... सामने मेरे बापदादा... मुझे दृष्टि दे रहे हैं!! उनके सामने बैठ जाएं.... अनुभव करेंगे, बाबा ने अपना वरदानी हाथ हमारे सिर के ऊपर रख दिया है! और इन हाथों से दिव्य परमात्म किरणें निकलकर मुझमें समा रही हैं.... मग्न हो जाएं इन परमात्म किरणों में.... भगवान मेरे साथ हैं...!! उनका वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर है... और कोई संकल्प नहीं.....

बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं - "बच्चे, निरंतर योगी भव! निरंतर योगी भव!" जैसे बाबा यह वरदान गिफ्ट दे रहे हैं... और मुझे वायदा कर रहे हैं - "बच्चे, मैं सदा तुम्हारे साथ हूं!!" आज से स्वयं भगवान का मुझे वरदान है, निरंतर योगी भव! निरंतर योगी भव! इस वरदान की प्राप्ति से मुझे सदा स्मृति रहेगी - बाबा हमेशा मेरे साथ हैं!! मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा!! इस वरदान से हम सदा हल्के रहेंगे... लाइट रहेंगे... उड़ते रहेंगे... निश्चिंत रहेंगे... स्थिति शक्तिशाली बनी रहेगी!!

इस वरदान की प्राप्ति से मुझे हर परिस्थिति में बाबा याद रहेंगे! कोई व्यक्ति या देहधारी के विनाशी आधार के सहारे की आवश्यकता नहीं रहेगी! इस वरदान से स्वयं भगवान हमारी हर परिस्थिति में मदद करेंगे, रक्षा करेंगे.. हमें सही संकल्प लेने की शक्ति देंगे, टचिंग देंगे! यदि कोई स्थूल मदद की भी जरूरत होगी, तो बाबा कोई न कोई आत्मा को निमित्त बनाएंगे! हम सदा हल्के रहेंगे!

हम दो मिनट इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे.... और फिल करेंगे, बाबा का हाथ हमारे सिर के ऊपर है... और बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं - निरंतर योगी भव!!

Avyakt Murli - 25-01-76

"सदा बाप के साथ अर्थात् निरन्तर योगी। वह तो सदा लाइट रूप है, तो ऐसे संग से लाइट रूप भी और हल्के भी हो जायेंगे। तो डबल लाइट हुई ना। जब ‘लाईट’ बोझ उठाने के लिए ऑफर कर रहे हैं तो फिर तुम बोझ क्यों उठा रहे हो? बोझ वाला फुल स्पीड में चल नहीं सकता। तो अब इन अनेक प्रकार के बोझों से हल्के हो जाओ। अपना कोना-कोना साफ करो, किचड़े को अन्दर ही अन्दर सम्भाल के नहीं रखो। ऐसे नहीं कि चॉन्स मिलेगा तो देंगे। है तो किचड़ा ही ना, किचड़े से तो कीड़े पैदा होते हैं। उन को रखने का अर्थ है उनकी वृद्धि करना। तो जब किचड़े से खाली रहेंगे तब बाप द्वारा मिला हुआ खज़ाना अपने में भर सकेंगे। अच्छा!"

ओम शांति।


95. संसार के सबसे बड़े 5 पुण्य कर्म | सच्चा पुण्य जमा करने की विधि

ओम शांति।

ब्राह्मण जीवन सर्वश्रेष्ठ जीवन है! इस संसार की करोड़ों आत्माओं में, कोटों में कोई, कोई में भी कोई भगवान ने हम आत्माओं को चुना है! तो आज हम ब्राह्मण जीवन के सबसे बड़े पांच पुण्य कर्म पर चिंतन करेंगे।

तो ब्राह्मण जीवन का पहला पुण्य कर्म है - पवित्रता की धारणा। परमात्मा कहते हैं - "ब्राह्मण जीवन का फाउंडेशन है - पवित्रता! और पवित्रता द्वारा ही परमात्म प्यार और सर्व परमात्म प्राप्तियां होती हैं!" इस संसार में महात्मा भी, जिनको यह पवित्रता की धारणा कठिन लगती है, असंभव लगती है, और हम ब्राह्मण आत्माओं का स्वधर्म ही पवित्रता है! हमारी पवित्रता की धारणा से प्रकृति के पांच तत्व भी पवित्र बन जाते हैं!

इसी प्रकार ब्राह्मण जीवन का दूसरा पुण्य कर्म है - संसार की सभी आत्माओं को मन्सा सकाश द्वारा सुख शांति के वाइब्रेशंस देना। जितना हम संसार की सभी आत्माओं को, प्रकृति को सुख शांति के वाइब्रेशन देंगे, उतना रिटर्न में हमें सभी आत्माओं की दुआएं प्राप्त होंगी! बाबा कहते हैं- "अभी संगमयुग की की हुई मन्सा सेवा से, जिन आत्माओं की हम मन्सा सेवा करते हैं, वह आत्माएं सतयुग-त्रेता में हमारी प्रजा बनती हैं। और बाकी सभी आत्माएं द्वापर-कलयुग में हमारे भक्त बनते हैं। उन्हें हमारी जड़ मूर्तियों से सुख-शांति का अनुभव होगा!" बाबा ने एक मुरली में कहा है - "तुम्हारा मुख्य कार्य है - परमात्मा ज्ञान सूर्य से किरणें लेकर सारे विश्व को देना!"

इसी प्रकार तीसरा पुण्य कर्म है - ईश्वरीय सत्य ज्ञान का दान करना। परमात्मा कहते हैं - "संसार का सर्वश्रेष्ठ दान - ज्ञान दान है! ज्ञान दान ही महापुण्य है! इस ज्ञान से ही सारे विश्व की आत्माओं को मुक्ति और जीवनमुक्ति का वर्सा मिलता है!"

इसी प्रकार चौथा पुण्य कर्म है - किसी आत्मा को भगवान से मिला देना।‌ आज संसार की करोड़ों आत्माएं भगवान को पाने के लिए तड़प रही हैं, भक्ति कर रही हैं, हठयोग कर रही हैं, जागरण कर रही हैं! ऐसी परमात्म प्रेम की प्यासी, तड़पती आत्माओं को जब हम भगवान से मिलाते हैं, तो उनका भटकना समाप्त होता है! कोई आत्मा को ज्ञान देकर हम मधुबन ले जाते हैं, भगवान से मिलाते हैं! यह सबसे बड़ा पुण्य कर्म है! वह आत्मा हमें जीवन भर दुआएं देंगी! तो जैसे बाबा कहते हैं - "हमें बीसों नाखूनों का ज़ोर लगाकर ईश्वरीय ज्ञान का दान करना है। भटकती आत्माओं को भगवान से मिलाना है!"

इसी प्रकार सबसे बड़ा, पांचवा पुण्य कर्म है - भगवान के यज्ञ में तन, मन, धन से सहयोग देना। इस संगमयुग में जितना हम तन, मन और धन से इस ईश्वरीय यज्ञ में सहयोग देंगे, सेवा करेंगे, उतना ही पूरा कल्प, 5000 साल हम तन, मन और धन से भरपूर रहेंगे!! पूरा कल्प हमारा मन स्वस्थ रहेगा, बुद्धि शक्तिशाली रहेगी। पूरा कल्प हम धन से भरपूर बनेंगे। और जितना हम तन से इस ईश्वरीय कार्य में सहयोग देंगे, उतना हमारा शरीर स्वस्थ बनता जाएगा! और कभी कोई बीमारी हो भी जाए, तो इस सेवा से प्राप्त हुई दुआओं से, हमारी बीमारी वा कष्ट सूली से कांटा बन जाएगी! हम बहुत ही सहज रीति से वह कष्ट, बीमारी या विघ्न को पार करेंगे!

बाबा ने कहा है - "यह संगमयुग बहुत से बहुत सौ साल है।" अभी लगभग 85-86 साल पूरे हो चुके हैं। बहुत कम समय रहा है, जितना हम भाग्य बनाना चाहते हैं, भाग्य बना सकते हैं! परमात्मा शिवबाबा के भंडारे खुले हैं!

ओम शांति।


96. अमृतवेले बहुत सुंदर योग की नई विधि का अनुभव: 8 शक्तियां, 9 खजाने - अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां

ओम शांति।

जैसे एक बच्चा मां के गर्भ में 9 महीने रहता है और अपनी मां से हर तरह की पालना लेता है - शरीर की पूर्ति से लेकर संस्कार तक। इसी तरह हम आत्माएं शिव मां के गर्भ, अर्थात परमधाम में अपनी शिव मां से 9 मिनट के लिए पालना लेंगे! इस मेडिटेशन में हम पहले 7 मिनट 7 गुणों से भरपूर बनेंगे। फिर 1-1 मिनट हम अष्ट शक्तियों का और 9 खज़ाने, नवनिधि का अनुभव करेंगे। और सभी गुणों, शक्तियों और खज़ानों से भरपूर होकर, हम इस सृष्टि रंगमंच पर रोल प्ले करेंगे। तो यह मेडिटेशन चलिए शुरू करते हैं।

एक सेकंड में अनुभव करें, मैं आत्मा अपने मस्तक के बीच में.... एक पॉइंट ऑफ लाइट.. एक चमकता सितारा... पूरी तरह एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप पर.... अभी एक सेकंड में मैं आत्मा पहुंच गई परमधाम में... अपने शिव मां के पास...!! अनुभव करेंगे.. परमधाम में... परमपिता परमात्मा शिवबाबा.... जैसे मां अपने बच्चे की पालना करती है, उसी प्रकार शिव मां के पालना का अनुभव करें....!! उनसे दिव्य किरणें निकलकर, मुझ आत्मा में समा रही हैं......

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अभी हम एक-एक मिनट सातों ही गुणों का अनुभव करेंगे... दिव्य ज्ञान का प्रकाश निकलकर, मुझ आत्मा में समाते जा रहा है..... इसी स्थिति में एकाग्र रहें.... जैसे परमात्मा ज्ञान के सागर हैं, वैसे मैं आत्मा मास्टर ज्ञान की सागर हूं..!! मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूं..!! दिव्य तेज अनुभव करें... मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूं... मैं आत्मा मास्टर ज्ञान सूर्य हूं...

अभी हम फील करेंगे.. परमात्मा शिवबाबा से पवित्रता की किरणें निकल कर, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.... यह दिव्य पवित्रता का प्रकाश अपने अंदर समा रही हूं.... इसी स्थिति में एकाग्र रहें.. मैं परम पवित्र आत्मा हूं... मैं परम पवित्र आत्मा हूं....

अभी फील करेंगे.. अपनी शिव मां से हम शांति की किरणें ले रहे हैं.... यह शांति का प्रकाश मुझ आत्मा में समाते जा रहा है..... मैं आत्मा इस शांति की किरणों से भरपूर हो चुकी हूं.... मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं...! मैं शांत स्वरूप आत्मा हूं...!

अभी हम अनुभव करेंगे.. हमारी शिव मां से प्रेम की किरणें निकलकर, मुझ आत्मा में समा रही हैं.... जैसे एक मां अपने बच्चे को बहुत दिल से नि:स्वार्थ वृत्ति से प्यार करती है, उसी प्रकार मैं आत्मा शिव मां से प्रेम की अनुभूति कर रही हूं.... मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूं... मैं प्रेम स्वरूप आत्मा हूं....

अभी हम अनुभव करेंगे.. परम ज्योति से सुख की किरणें निकल कर, मुझ आत्मा में समाती जा रही है.... इन सुख की किरणों का अनुभव करें.... इन किरणों से मैं आत्मा भरपूर हो रही हूं.... मैं आत्मा बहुत सुखी हूं... मैं सुख स्वरूप आत्मा हूं... मैं सुख स्वरूप आत्मा हूं....

अभी हम फील करेंगे.. परम ज्योति से आनंद की किरणें निकल कर, मुझ आत्मा में समा रही हैं.... गहराई से अनुभव करें इन आनंद की किरणों को.... इसी स्थिति में एकाग्र रहें और संकल्प करें - मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूं... मैं आनंद स्वरूप आत्मा हूं...

अभी हम फील करेंगे... परमात्मा शिवबाबा से‌ शक्तियों की किरणें निकल कर, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.... इन दिव्य शक्तियों को फील करें... जैसे परमात्मा सर्वशक्तिवान है, वैसे मैं आत्मा उनकी संतान.. मास्टर सर्वशक्तिमान हूं... मैं मास्टर सर्वशक्तिमान हूं...

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अभी एक मिनट हम आठों ही शक्तियों को गहराई से फील करेंगे.... जैसे मेरी शिव मां मुझे सर्व शक्तियों से भरपूर कर रही हैं... मैं आत्मा बहुत शक्तिशाली बन चुकी हूं.... एक-एक शक्ति को गहराई से फील करें - समेटने की शक्ति.. समाने की शक्ति.. सामना करने की शक्ति.. विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति.. सहयोग की शक्ति.. सहनशक्ति.. निर्णय करने की शक्ति.. परखने की शक्ति.... इन आठों ही शक्तियों से मैं आत्मा भरपूर हो चुकी हूं!!

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इसी स्थिति में एकाग्र रहें... और अनुभव करें, मेरी शिव मां ने मुझ आत्मा पर अपने सारे खज़ाने लुटा दिए हैं! अपना सर्वस्व मुझे दे दिया है.... मैं अपनी मां की प्यारी संतान हूं! मेरी शिव मां ने मुझे अपना सर्वस्व देकर, मुझे अपने समान बना दिया है....

मुझे नौ खज़ानों से भरपूर कर दिया है..!! एक-एक खज़ाने को फील करें - पवित्रता.. ज्ञान... गुण... शक्तियां... समय... श्रेष्ठ संकल्प... श्रेष्ठ कर्म... खुशी.. और दुआएं... इन नौ खज़ानों से भरपूर हूं... परमात्मा बाप समान हूं...

अब मैं आत्मा भरपूर होकर सृष्टि रूपी रंगमंच पर आने के लिए तैयार हो गई हूं... अनुभव करें, धीरे-धीरे मैं आत्मा परमधाम से नीचे उतर रही हूं इस सृष्टि की ओर... धीरे-धीरे नीचे उतर कर अनुभव करें, मैं आत्मा अपने पहले जन्म में, देवता स्वरूप में... अनुभव करेंगे, देवता रूपी ड्रेस... सिर पर डबल ताज.. कंचन काया... संपूर्ण सतोप्रधान.. 16 कला संपन्न.. देवता अर्थात,  दिव्य गुणों से सजे सजाए! सर्व गुणों से मैं संपन्न हूं...

अभी एक सेकंड में मैं आत्मा स्थित हूं अपने पूज्य स्वरूप में... मंदिरों में मेरी पूजा हो रही है... कभी गणेश के रूप में, कभी दुर्गा माता के रूप में, कभी माता लक्ष्मी के रूप में, कभी हनुमान के रूप में! द्वापर और कलयुग में मैंने भक्तों की शुद्ध मनोकामनाएं पूर्ण की हैं! उनके दुख समाप्त कर सुख का अनुभव कराया है... उन्हें शांति का अनुभव कराया है....

एक सेकंड में स्थित हो जाएं अपने ब्राह्मण स्वरूप में... संपूर्ण पवित्र... सर्व शक्तियों से संपन्न... ब्राह्मण अर्थात, मायाजीत! सर्वशक्ति संपन्न बनना ही मायाजीत बनना है! ब्राह्मण अर्थात स्वराज्य अधिकारी! ब्राह्मण अर्थात विजयी!  ब्राह्मण स्वरूप अर्थात सदा ताज, तख्त, और तिलकधारी!

अभी अनुभव करेंगे, मैं आत्मा स्थित हूं अपने फरिश्ता स्वरूप में... फरिश्ता अर्थात डबल लाइट... सदा हल्का... फरिश्ता अर्थात, जिसका पुरानी देह और पुरानी दुनिया से कोई रिश्ता नहीं... फरिश्ते सदा उड़ते रहते हैं... और परमात्मा का मैसेज देते रहते हैं... मैं फरिश्ता इस संसार में परमात्मा का भेजा हुआ एक एंजेल हूं! एक अवतरित फरिश्ता हूं!

ओम शांति।


97. यदि जीवन में बहुत विघ्न या कष्ट हैं... तो बस 21 दिन इस विधि से एक घंटा अमृतवेले मेडिटेशन करें

ओम शांति।

अमृतवेला वरदानी वेला है! यह वेला परमात्मा मिलन की है। हम जो चाहें, परमात्मा से ले सकते हैं। हम जो संकल्प करेंगे, वह सिद्ध होगा। हम जीवन में जो भी चाहते हैं, वह चाहे कोई क्षेत्र में सफलता हो, धन की कोई प्रॉब्लम हो, संबंधों में कुछ टकराव हो, कोई बीमारी हो या मन की कोई भी उलझन, टेंशन हो, वह इस वेला में मेडिटेशन करने से, योग करने से स्वत: समाप्त हो जाएगी। हम जीवन में जो भी चाहते हैं, वह स्वत: होगा।

अथर्ववेद में लिखा है - ब्राह्मे मुहूर्त: उठिस्तते, स्वस्थो: रक्षार्थम अवश्य।। अर्थात जो व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में उठता है, जीवन में वह व्यक्ति हेल्थ, वेल्थ और हैप्पीनेस से भरपूर बनता है। वह सभी रोगों से, सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है!

आज भक्ति मार्ग में भी अनेक ऐसे संस्थाएं हैं, जो अमृतवेला भजन करते हैं, भगवान को याद करते हैं। उनके अनुभवों के आधार पर भी हमने देखा है, हजारों लाखों आत्माओं के कष्ट दूर हुए हैं। इसी प्रकार पश्चिमी वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलिन कहते हैं:- "Early to bed and early to rise, makes a man, healthy, wealthy and wise." अर्थात, जो व्यक्ति जल्दी सोता है, जल्दी उठता है, वह व्यक्ति हेल्थ और वेल्थ से भरपूर बनता है।

परमात्मा कहते हैं - "बच्चे तुम सिर्फ अपना अमृतवेला ठीक करो, मैं तुम्हारा सब कुछ ठीक कर दूंगा!" अव्यक्त मुरली 17 दिसंबर, 1979, परमात्मा कहते हैं - "अमृतवेले बापदादा विशेष बच्चों के प्रति दाता के स्वरूप और मिलन मनाने के लिए सर्व सम्बन्धों के स्नेह सम्पन्न स्वरूप, सर्व खज़ानों से झोली भरने वाले भोले भण्डारी के रूप में होते हैं। उस समय जो भी करना चाहो, बाप को मनाना चाहो, रिझाना चाहो, सम्बन्ध निभाना चाहो, सहज विधि का अनुभव चाहो, सर्व विधियां और सर्व सिद्धियां सहज प्राप्त कर सकते हो!"

इसी प्रकार अव्यक्त मुरली 19 मार्च 1986, परमात्मा कहते हैं- "अमृतवेला विशेष प्रभू पालना का वेला है। अमृतवेला विशेष परमात्म मिलन का वेला है। रूहानी रूह-रूहान करने का वेला है। अमृतवेले भोले भण्डारी के वरदानों के खज़ाने से सहज वरदान प्राप्त होने का वेला है। जो गायन है मन इच्छित फल प्राप्त करना, यह इस समय अमृतवेले के समय का गायन है। बिना मेहनत के खुले खज़ाने प्राप्त करने का वेला है। ऐसे सुहावने समय को अनुभव से जानते हो ना! अनुभवी ही जानें इस श्रेष्ठ सुख को, श्रेष्ठ प्राप्तियों को।"

तो यह अभ्यास चलिए शुरू करते हैं।

ओम शांति! अनुभव करेंगे, मस्तक के बीच में.. मैं आत्मा एक पॉइंट ऑफ लाइट... पूरी तरह से एकाग्र.... अपने देह से न्यारी.. मैं एक ज्योति स्वरूप आत्मा हूं.... पूरी तरह से एकाग्र हो जाएं अपने इस आत्मिक स्वरूप में.... अभी हम विज्वलाइज़ करेंगे परमधाम में परमपिता परमात्मा शिवबाबा.. एक पॉइंट ऑफ लाइट... परमपिता परमात्मा शिवबाबा.. ज्ञान के सागर.. गुणों के सागर.. सर्वशक्तिवान... पापकटेश्वर... मुक्तिदाता... हम उनका दिल से आह्वान करेंगे, "बाबा, मेरे प्यारे बाबा, आ जाओ!" अनुभव करेंगे, हमारा आह्वान स्वीकार कर बाबा धीरे-धीरे नीचे आ रहे हैं... और आ गए हमारे घर में! और अनुभव करेंगे हमारे सिर के ऊपर, हमारी छत्रछाया बन चुके हैं! एकाग्र करें, परमात्मा शिवबाबा ज्योति स्वरूप... बाबा सर्वशक्तिवान... पापकटेश्वर... मुक्तिदाता... "बाबा, हमारे सभी भूलें आप माफ कर, हमें स्वच्छ और पवित्र बनाइए! हमारे सभी विकर्म, जो जाने-अनजाने हुए, वह नष्ट करिए!" और अनुभव करेंगे, परमात्मा शिव ज्योति से एक ज्वाला रूपी अग्नि हमारे आत्मा बिंदु में समाती जा रही हैं... यह ज्वाला स्वरूप किरणें मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं... और मुझ आत्मा को स्वच्छ बना रही हैं.... एकाग्र हो जाएं‌ इस स्थिति में.... हमारे सभी विकर्म, पाप नष्ट हो रहे हैं.... आत्मा पर चढ़ी हुई मैल, नेगेटिविटी समाप्त हो रही है....

अनुभव करेंगे, यह ज्वाला स्वरूप किरणें पूरी तरह से परमात्मा शिवबाबा से कंबाइंड, हमारे सिर के ऊपर उनसे ज्वाला रूपी अग्नि निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.... और मुझ आत्मा को सभी दुखों से, समस्याओं से, विघ्नों से‌ मुक्त कर रही हैं.... दो मिनट हम इसी स्थिति में एकाग्र रहेंगे.... अनुभव करेंगे, मैं आत्मा पूरी तरह से स्वच्छ और संपूर्ण पवित्र बन चुकी हूं.... मुझ आत्मा में विकर्मों की, नेगेटिविटी की कोई मैल नहीं... जैसे बेदाग हीरा चमक रहा है! पूरी तरह से स्वच्छ, पवित्र मैं आत्मा एक चमकता सितारा! सभी पापों से, विकर्मों से, भूलों से मुक्त हो चुकी हूं। मुक्तिदाता बाबा ने मुझे पूरी तरह से मुक्त कर दिया है! मैं पूरी तरह से मुक्त‌ और स्वतंत्र बन चुकी हूं। अनुभव करेंगे, परमात्मा से हम कंबाइंड है.. और उनको हम दिल से शुक्रिया कर रहे हैं!! "बाबा, मीठे बाबा! प्यारे बाबा! मुझे सभी विकर्मों से मुक्त करने के लिए, सभी भूलें क्षमा करने के लिए, हम आपको दिल से शुक्रिया करते हैं!!"

मैं एक खुशनसीब आत्मा हूं...  मैं बहुत भाग्यवान हूं... मैं महान हूं... अनुभव करेंगे, हमारे सामने परमपिता परमात्मा शिव बाबा... उनसे दिव्य शक्तियों की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समाती जा रही हैं.... फील करेंगे परमात्म साथ का अनुभव!! उनकी शक्तियों का अनुभव!! निरंतर परमात्मा शिवबाबा से मुझ आत्मा में यह शक्तियों का प्रकाश समाते जा रहा है.... भगवान मेरे साथ हैं... मेरे साथ जो भी हुआ, अच्छा हुआ! मेरे साथ जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है! और आज से मेरे साथ सब कुछ बहुत अच्छा होगा! ड्रामा के हर सीन में कल्याण समाया हुआ है.. भगवान स्वयं मेरे साथ हैं!  उनकी शक्तियां मेरे साथ हैं! हर कर्म में मैं सदा शक्तिशाली हूं!

विज्वलाइज़ करेंगे, मेरे साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो रहा है... जीवन में मैं बहुत खुश हूं... विज्वलाइज़ करेंगे, मैं बहुत खुश हूं... जीवन में मैं बहुत सुखी हूं... अनुभव करेंगे, जीवन में हमारे साथ सब कुछ बहुत अच्छा हो रहा है! मैं तन से निरोगी हूं, सदा स्वस्थ हूं! बहुत शक्तिशाली हूं! मैं तन से संपूर्ण स्वस्थ हूं! अनुभव करेंगे, हमारा मन शक्तिशाली है... भगवान हमेशा मेरे साथ हैं! मैं बहुत शक्तिशाली हूं! मेरा मन शांत है, हर परिस्थिति में अचल अडोल है! मैं निर्भय हूं! सदा सुरक्षित हूं! फील करेंगे, हम धन से भरपूर हैं... हमारे घर की भंडारी और भंडारे भरपूर हैं... हम ज्ञान धन से और स्थूल धन से भरपूर हैं.. हमारे घर में सुख समृद्धि है। विज्वलाइज़ करेंगे, हमारे सभी संबंध, सभी के साथ रिश्ते बहुत अच्छे हैं! सभी बहुत अच्छे हैं! मैं सबको प्यार देता हूं... सभी बहुत प्यारे हैं... सभी मुझे बहुत दिल से पसंद करते हैं.. मुझे दुआएं दे रहे हैं.. सभी बहुत अच्छे हैं! अनुभव करेंगे, संसार की सभी आत्माएं बहुत अच्छी हैं..... सबका अपना-अपना पार्ट है! सभी अपने आप में विशेष हैं! सभी महान हैं! अनुभव करेंगे, सब कुछ बहुत अच्छा हो रहा है! भगवान मेरे साथ हैं! मेरे साथ जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है... और आज से जो भी होगा, वह इससे भी अच्छा होगा! ओम शांति.....

अनुभव करेंगे, यह परमात्म किरणें सुख, शांति, प्रेम और शक्तियों से भरपूर, पूरे विश्व में फैल रही हैं.... संसार की सभी आत्माओं को यह सुख, शांति और शक्तियों की किरणें मिल रही हैं... इस प्रकाश से वह भरपूर हो रहे हैं... उनके मन की अशांति, दुख, उलझन, समाप्त हो चुकी है... उनका मन शांत हो चुका है! अनुभव करेंगे, यह प्रकाश उनके शरीर को शांत और शीतल कर रहा है... परमात्म किरणों से सभी बीमारियां शांत हो चुकी हैं! प्रकृति के पांच तत्व शांत और शीतल बन चुके हैं!! विश्व की सभी आत्माओं को जो भी आवश्यक पदार्थ, साधन उन्हें प्रदान कर रही हैं.... विश्व की सभी आत्माएं तन, मन और धन से भरपूर हो चुकी हैं... कोई विघ्न नहीं, मन की कोई उलझन नहीं! उनके तन के सभी रोग शांत हो चुके हैं! वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं!

मैं परमात्मा की संतान, मास्टर सर्वशक्तिमान, एक एंजेल हूं... परमात्मा शिवबाबा मुझसे सभी को निरंतर सुख, शांति और शक्तियों का प्रकाश दे रहे हैं... विश्व की सभी आत्माएं सुरक्षित हैं, शांत हैं, शक्तिशाली हैं, संपूर्ण स्वस्थ हैं! इस सुरक्षा कवच में मैं सुरक्षित हूं, स्वस्थ हूं! मैं तन, मन और धन से भरपूर हूं! इस सुरक्षा कवच में मैं सुरक्षित हूं, स्वस्थ हूं! मैं तन, मन और धन से भरपूर हूं!

अब एक सेकंड में पहुंच जाएं सूक्ष्म वतन में... चारों तरफ सफेद प्रकाश... सामने मेरे बापदादा.. मुझे दृष्टि दे रहे हैं... उन्होंने अपना वरदानी हाथ मेरे सिर के ऊपर रख दिया है... उन हाथों से प्रेम का प्रकाश निकल मुझमें निरंतर समाते जा रहा है.... मुझे वरदान दे रहे हैं - अशरीरी भव... सदा सुखी भव... फील करेंगे, मैं संपूर्ण प्रेम की किरणों से भरपूर हो चुका हूं!

अभी बापदादा के साथ में बैठ जाएं और सूक्ष्म वतन में ही सामने इमर्ज करेंगे उन आत्माओं को, जिन्होंने हमें दुख दिया हो.. वह चाहे हमारे फैमिली मेंबर्स हों, या कर्म क्षेत्र में कोई फ्रेंड्स हों.. इमर्ज करेंगे सामने इन आत्माओं को.. इसी के साथ हम इमर्ज करेंगे उन आत्माओं को भी, जिन आत्माओं ने हमें कोई पिछले जन्मों में दुख दिया हो... फील करेंगे, बापदादा से प्यार की किरणें निकल, मुझ में समा कर, इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.... यह सर्व आत्माएं प्यार की किरणों से भरपूर हो रही हैं... इन आत्माओं ने जाने-अनजाने, स्वभाव संस्कार वश या परिस्थिति वश मुझे दुख दिया हो.. इनमें इनकी कोई गलती नहीं है! मैं इन्हें अनकंडीशनली माफ करता हूं, क्षमा करता हूं... एक मिनट तक हम यह प्यार की किरणें इनको देते रहेंगे...... यह आत्माएं प्यार की किरणों से भरपूर हो, मुझे दिल से दुआएं दे रही हैं.... हमारा पूरा कार्मिक अकाउंट समाप्त हो चुका है....

अभी हम सूक्ष्म वतन में इमर्ज करेंगे उन आत्माओं को, जिनको जाने-अनजाने हमने दुख दिया हो... वह चाहे इस जन्म में हो या पिछले कोई जन्मों में हो.. देखेंगे इन आत्माओं को....

फील करेंगे, परमात्मा से प्यार की किरणें निकल, मुझ में समा कर, इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं... हम दिल से इनसे माफी मांगते हैं... जाने-अनजाने हमने आपको दुख दिया है.. मुझे माफ कर दीजिए!! मैं आपसे दिल से क्षमा मांगता हूं! हम यह प्यार की किरणें इन आत्माओं को देंगे...... मुझे दिल से दुआएं दे रही हैं... मेरा संपूर्ण कार्मिक अकाउंट इनके साथ निल हो चुका है.... मैं सर्व बंधनों से मुक्त हो चुका हूं... मेरे सर्व कार्मिक अकाउंट, हिसाब-किताब नष्ट हो चुके हैं....

अभी सूक्ष्म वतन में सामने इमर्ज करेंगे हम उन आत्माओं को, जो हमारे परिवार में हैं.... हमारे भाई, बहन, जो भी आत्माएं हैं, इन्हें इमर्ज करें.. इनके साथ हम इमर्ज करेंगे हमारे सर्व संबंध, हमारे सर्व रिलेशनशिप्स, जो हमारे संबंध संपर्क में आते हैं.. वह  हमारे फ्रेंड सर्कल हों, या कोई कर्म क्षेत्र में कलीग्स हों, इन सर्व आत्माओं को एक साथ इमर्ज करेंगे... और फील करेंगे, परमात्मा शिवबाबा से मुझ में प्यार की किरणें समा रही हैं... और इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं... इन सर्व आत्माओं को बापदादा मुझ द्वारा प्यार की किरणों का दान दे रहे हैं.... यह आत्माएं प्यार की किरणों से भरपूर हो रही हैं... संपूर्ण तृप्त हो रही हैं... यह परमात्म प्रेम निस्वार्थ प्रेम है!! सच्चा प्रेम है!!

यह सर्व आत्माएं मुझे और परमात्मा शिवबाबा को दिल से दुआएं दे रही हैं... यह सर्व आत्माएं वही आत्माएं हैं, जिनका कुछ न कुछ कार्मिक अकाउंट हमारे साथ जुड़ा हुआ है.... वह चाहे सुख का हो, या दुख का हो! यह सर्व आत्माएं मेरे भाई बहन हैं, यह बहुत अच्छे हैं! यह हमेशा हमें हेल्प करते हैं! दिल से इनका धन्यवाद करें!! इनके मन में हमारे प्रति शुभभावना है... यह हमें दिल से अपना समझते हैं! दो मिनट हम इन आत्माओं को इसी रूप में सकाश देंगे..... बापदादा से प्यार की किरणें निकल, मुझमें समा कर, इन सर्व आत्माओं को मिल रही हैं.... ओम शांति......

अभी बुद्धि रूपी नेत्र के सामने हम इमर्ज करेंगे संसार की सर्व आत्माओं को, पृथ्वी के पूरे ग्लोब को.... और फील करेंगे, निरंतर शिवबाबा से सुख-शांति की किरणें निकल, मुझ आत्मा में समा कर, इस सारे ग्लोब को मिल रही हैं... और संसार की सर्व आत्माओं को यह सुख और शांति की किरणें मिल रही हैं... और इनके मन के सर्व दुख, अशांति, कष्ट, रोग सब नष्ट हो रहे हैं... समाप्त हो रहे हैं....

ओम शांति।


98. योग की नई और अनोखी विधि - यह शरीर एक बॉक्स है, इसके अंदर मैं आत्मा एक हीरा हूं

ओम शांति।

अव्यक्त मुरली 28 जुलाई, 1971 में बाबा हमें बहुत सुंदर एक योग का अभ्यास बताते हैं। बाबा कहते हैं। "बिल्कुल ऐसा अनुभव हो, जैसे यह शरीर एक बॉक्स है। इनके अंदर जो हीरा है, उनसे ही संबंध स्नेह है.. ऐसा अनुभव करना है!"

तो आज हम अनुभव करेंगे.. यह शरीर जैसे एक बॉक्स है, एक डिब्बी है, और इस डिब्बी के अंदर, मस्तक के बीच, मैं आत्मा एक चमकता हीरा..! बाबा कहते हैं, "इस हीरे से ही स्नेह संबंध हो!" तो यह मेडिटेशन चलिए शुरू करते हैं।

चारों तरफ के सर्व संकल्पों को परमात्मा को समर्पण कर एकाग्र करेंगे... मैं आत्मा मस्तक के बीच... एक चमकता हीरा... मस्तक मणि..! मैं आत्मा एक बेदाग हीरा... चमक रही हूं... यह शरीर एक बॉक्स है... इस बॉक्स के अंदर मैं आत्मा एक चमकता बेदाग हीरा हूं.... साक्षी होकर देखें... इस हीरे में कोई दाग नहीं है.. यह हीरा सात रंगों के प्रकाश से चमक रहा है...‌ अनुभव करेंगे, मुझ आत्मा हीरे से चारों तरफ रंग-बिरंगी किरणें फैल रही हैं.... सारे विश्व में यह किरणें फैल रही हैं...

एक चमकता हीरा.. डायमंड... और कोई संकल्प नहीं.... मैं एक बेदाग हीरा.... चारों तरफ मुझसे रंग-बिरंगी किरणें फैल रही हैं... मैं आत्मा एक बेदाग हीरा... सर्व गुणों, शक्तियों, वरदानों और खज़ानों से भरपूर हूं... एक-एक खज़ाने को अपने अंदर गहराई से अनुभव करें... पवित्रता.. ज्ञान.. गुण.. शक्तियां.. समय.. श्रेष्ठ संकल्प.. श्रेष्ठ कर्म.. खुशी.. दुआएं.. इन नौ खज़ानों से मैं आत्मा भरपूर हूं... इसी स्थिति में हम दो मिनट एकाग्र रहेंगे.... मैं आत्मा एक चमकता, बेदाग हीरा... और मुझसे चारों तरफ रंग-बिरंगी किरणें फैल रही हैं......

ओम शांति।


99. बीच बीच में ड्रिल करने की विधि और उसके फायदे |  अव्यक्त बापदादा - 12-12-98

ओम शांति।

बाप कहते हैं एक सेकण्ड में सभी अभी-अभी विदेही बन सकते हो? तो अभी एक सेकण्ड में विदेही स्थिति में स्थित हो जाओ। (ड्रिल) अच्छा – अभी देह में आ जाओ। अभी फिर विदेही बन जाओ। ऐसे सारे दिन में बीच-बीच में एक सेकण्ड भी मिले, तो बार-बार यह अभ्यास करते रहो। अच्छा।

यह रोज़ हर एक को करनी चाहिए। ऐसे नहीं हम बिजी हैं। बीच में समय प्रति समय एक सेकण्ड चाहे कोई बैठा भी हो, बात भी कर रहा हो, लेकिन एक सेकण्ड उनको भी ड्रिल करा सकते हैं और स्वयं भी अभ्यास कर सकते हैं। कोई मुश्किल नहीं है। दो-चार सेकण्ड भी निकालना चाहिए इससे बहुत मदद मिलेगी। नहीं तो क्या होता है, सारा दिन बुद्धि चलती रहती है ना, तो विदेही बनने में टाइम लग जाता है और बीच-बीच में अभ्यास होगा तो जब चाहें उसी समय हो जायेंगे क्योंकि अन्त में सब अचानक होना है। तो अचानक के पेपर में यह विदेहीपन का अभ्यास बहुत आवश्यक है। ऐसे नहीं बात पूरी हो जाए और विदेही बनने का पुरूषार्थ ही करते रहें। तो सूर्यवंशी तो नहीं हुए ना! इसलिए जितना जो बिजी है, उतना ही उसको बीच-बीच में यह अभ्यास करना ज़रूरी है। फिर सेवा में जो कभी-कभी थकावट होती है, कभी कुछ-न-कुछ आपस में हलचल हो जाती है, वह नहीं होगा। अभ्यासी होंगे ना। एक सेकण्ड में न्यारे होने का अभ्यास होगा, तो कोई भी बात हुई एक सेकण्ड में अपने अभ्यास से इन बातों से दूर हो जायेंगे। सोचा और हुआ। युद्ध नहीं करनी पड़े। युद्ध के संस्कार, मेहनत के संस्कार सूर्यवंशी बनने नहीं देंगे। लास्ट घड़ी भी युद्ध में ही जायेगी, अगर विदेही बनने का सेकण्ड में अभ्यास नहीं है तो। और जिस बात में कमज़ोर होंगे, चाहे स्वभाव में, चाहे सम्बन्ध में आने में, चाहे संकल्प शक्ति में, वृत्ति में, वायुमण्डल के प्रभाव में, जिस बात में कमज़ोर होंगे, उसी रूप में जान-बूझकर भी माया लास्ट पेपर लेगी। इसीलिए विदेही बनने का अभ्यास बहुत ज़रूरी है। कोई भी रूप की माया आये, समझ तो है ही। एक सेकण्ड में विदेही बन जायेंगे तो माया का प्रभाव नहीं पड़ेगा। जैसे कोई मरा हुआ व्यक्ति हो, उसके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ना। विदेही माना देह से न्यारा हो गया तो देह के साथ ही स्वभाव, संस्कार, कमज़ोरियाँ सब देह के साथ हैं, और देह से न्यारा हो गया, तो सबसे न्यारा हो गया। इसलिए यह ड्रिल बहुत सहयोग देगी, इसमें कण्ट्रोलिंग पावर चाहिए। मन को कण्ट्रोल कर सकें, बुद्धि को एकाग्र कर सकें। नहीं तो आदत होगी तो परेशान होते रहेंगे। पहले एकाग्र करें, तब ही विदेही बनें। अच्छा।

ओम शांति।


100. अपने मन मंत्री को विदेही बनने का ऑर्डर दो | अवयक्त बापदादा - 11-11-2000

ओम शांति।

ब्रह्मा बाप से तो प्यार है ना! तब तो ब्रह्माकुमारी वा ब्रह्माकुमार कहलाते हो ना! जब चैलेन्ज करते हो कि सेकण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा ले लो तो अभी सेकण्ड में अपने को मुक्त करने का अटेन्शन। अभी समय को समीप लाओ। आपके सम्पूर्णता की समीपता, श्रेष्ठ समय को समीप लायेगी। मालिक हो ना, राजा हो ना! स्वराज्य अधिकारी हो? तो ऑर्डर करो। राजा तो ऑर्डर करता है ना! यह नहीं करना है, यह करना है। बस ऑर्डर करो। अभी-अभी देखो मन को, क्योंकि मन है मुख्य मन्त्री। तो हे राजा, अपने मन मन्त्री को सेकण्ड में ऑर्डर कर अशरीरी, विदेही स्थिति में स्थित कर सकते हो? करो ऑर्डर एक सेकण्ड में। (5 मिनट ड्रिल) अच्छा।

ओम शांति।


101. अभी अभी मालिक, अभी अभी बालक ड्रिल | अव्यक्त बापदादा - 31-12-03

ओम शांति।

बापदादा यह रॉयल रूप के मैं-मैं के गीत बहुत सुनते हैं। मैंने जो किया वही ठीक है, मैंने जो सोचा वही ठीक है, वही होना चाहिए, यह मैं पन धोखा दे देता है। सोचो भले, कहो भले लेकिन निमित्त और निर्माण भाव से। बापदादा ने पहले भी एक रूहानी ड्रिल सिखाई है, कौन सी ड्रिल? अभी-अभी मालिक, अभी-अभी बालक। विचार देने में मालिक पन, मैजारिटी के फाइनल होने के बाद बालक पन। यह मालिक और बालक... यह रूहानी ड्रिल बहुत-बहुत आवश्यक है। सिर्फ बापदादा के तीन शब्द शिक्षा के याद रखो - सबको याद हैं! मन्सा में निराकारी, वाचा में निरहंकारी, कर्म में निर्विकारी। जब भी संकल्प करते हो तो निराकारी स्थिति में स्थित होके संकल्प करो और सब भूल जाए लेकिन यह तीन शब्द नहीं भूलो। यह साकार रूप की तीन शब्दों की शिक्षा सौगात है।

ओम शांति।


102. मैं फरिश्ता सो देवता हूं | अव्यक्त बापदादा - 02-11-04

ओम शांति।

अच्छा - अभी सभी एक सेकण्ड में, एक सेकण्ड एक मिनट नहीं, एक सेकण्ड में “मैं फरिश्ता सो देवता हूँ” - यह मन्सा ड्रिल सेकण्ड में अनुभव करो। ऐसी ड्रिल दिन में एक सेकण्ड में बार-बार करो। जैसे शारीरिक ड्रिल शरीर को शक्तिशाली बनाती, वैसे यह मन की ड्रिल मन को शक्तिशाली बनाने वाली है। मैं फरिश्ता हूँ, इस पुरानी दुनिया, पुरानी देह, पुराने देह के संस्कार से न्यारी फरिश्ता आत्मा हूँ। अच्छा।

ओम शांति।


103. बुरी दृष्टि वाले को आप नहीं, लाइट दिखेगी | अव्यक्त बापदादा - 15-12-08

ओम शांति।

बापदादा ने शुरू-शुरू में ट्रांस द्वारा बहुत नज़ारे दिखाये थे कि अन्तिम समय जब कोई हलचल होगी सब वृत्तियां बाहर आयेंगी, खराब वृत्तियां भी तो सहारा देने की वृत्तियां भी। तो बापदादा ने शुरू-शुरू में बच्चों को दिखाया था कि कई बुरी दृष्टि वाले पीछे आते हैं लेकिन उन्हों को लाइट ही दिखाई देती है। मनुष्य दिखाई नहीं देता लाइट ही दिखाई देती, फरिश्ता रूप ही दिखाई देता। ऐसे आपका एकाग्रता का अभ्यास होते भी आप ऐसे सामने बैठे हो लेकिन उनको दिखाई नहीं देगा। लाइट लाइट ही दिखाई देगी। ऐसे होना है। लेकिन अभ्यास अब से करो। फरिश्ता। अच्छा। अभी तीन मिनट मन की एकाग्रता का अभ्यास करो। यह ड्रिल करो। अच्छा।

ओम शांति।


104. दिन में 24 बार ड्रिल करने की आवश्यकता | अव्यक्त बापदादा - 31-12-09

ओम शांति।

आप सभी देख रहे हो दुनिया की हालतें बिगड़ने में शुरू जोर से हो रही हैं और बापदादा का यह महावाक्य कुछ समय से चल रहा है कि अचानक होना है। तो अचानक होना है और अगर बहुत समय का अभ्यास नहीं होगा तो बताओ अचानक के समय अभ्यास की आवश्यकता है ना! अभी-अभी देखो बापदादा ने होम वर्क दिया, 10 मिनट, टोटल 24 बारी 10-10 मिनट का होमवर्क दिया, तो कई बच्चों को मुश्किल हो रहा है। तो सोचो, अगर 10 मिनट का अभ्यास का नहीं हो सकता तो अचानक में उस समय क्या करेंगे? बापदादा जानते हैं कि 24 बारी में कईयों को समय थोड़ा कम मिलता है, लेकिन बापदादा ने ट्रायल की कि 10 मिनट एक ही स्मृति में जब चाहे, जैसे चाहे वैसे कर सकते हैं, बापदादा यह नहीं कहते अभी भी 10 मिनट करो, अच्छा नहीं हो सकता, जिसको हो सकता है वह करे, अगर नहीं हो सकता है तो 5 मिनट करो, 5 मिनट से 7 मिनट, 6 मिनट, जितना भी बढ़ा सको उतनी ट्रायल करो। बापदादा खुद ही कह रहा है इसमें ऐसी बात नहीं है। अगर 10 मिनट ज्यादा टाइम लगता है तो चलो 8 मिनट करो, 9 मिनट करो, जितना ज्यादा कर सको उतनी आदत डालो क्योंकि बहुतकाल का वरदान प्रैक्टिकल में अभी कर सकते हैं। अगर अभी बहुतकाल का अभ्यास नहीं होगा तो अभी के बहुतकाल का पुरूषार्थ की जो प्राप्ति है, आधाकल्प की उस बहुतकाल में फर्क पड़ जायेगा। अगर अभी कम समय देंगे, जितना हो सकता है उतना बापदादा ने छुट्टी दे दी है, अगर 5 मिनट से ज्यादा करो, 10 मिनट नहीं हो सकता है तो 7 मिनट करो, 8 मिनट करो, 5 मिनट की भी छुट्टी है। लेकिन अगर कोई भी समय 10 मिनट हो तो अच्छा है। ऐसा समय आयेगा जो आप लोगों को खुद अपने लिए और विश्व के लिए भी किरणें देनी पड़ेगी। इसीलिए बापदादा छुट्टी देते हैं, जितना ज्यादा समय कर सको, उतना प्रैक्टिस करो क्योंकि अभी का बहुत समय भविष्य का आधार है। ठीक है? मुश्किल लगता है, कोई बात नहीं है, अभी तो कोई हर्जा नहीं है और बाप को सुनाया यह बहुत अच्छा किया क्योंकि मानो 10 मिनट बैठ नहीं सको, सोच में ही चला जाए, तो 5 मिनट भी गये, इसीलिए बापदादा कहे कम से कम 5 मिनट से कम नहीं करना। जितना बढ़ा सको उतना बढ़ाओ। ठीक है स्पष्ट हुआ? क्योंकि बापदादा हर एक को बहुत श्रेष्ठ स्वरूप में देखते हैं। बापदादा ने इसकी निशानी हर एक बच्चे को कितने स्वमान दिये हैं। स्वमान की लिस्ट अगर निकालो तो कितनी बड़ी है?

ओम शांति।


105. परिस्थितियों के बीच में मन को कंट्रोल करने की ड्रिल | अव्यक्त बापदादा - 28-02-10

ओम शांति।

अभी बापदादा सभी बच्चों को एक ड्रिल कराने चाहते हैं। वह ड्रिल है, चारों ओर की परिस्थितियां हैं, कहाँ कोई परिस्थिति है, कहाँ कोई परिस्थिति है, ऐसे चारों ओर के परिस्थितियों के बीच में आप एक सेकण्ड में एकाग्र हो सकते हो? ऐसी प्रैक्टिस स्वयं में अनुभव करते हो? या समझो जिस समय आपको कारणे अकारणे किसी बात के प्रति व्यर्थ संकल्प का तूफान आ गया है, ऐसे समय पर आप अपने मन बुद्धि को एकाग्र कर सकते हो? यह एकाग्रता के शक्ति की ड्रिल समय पर करके देखी है? अगर ऐसे समय पर एक सेकण्ड में एकाग्रता की शक्ति कार्य में नहीं आती तो आगे चलकर ऐसी परिस्थिति बार-बार आयेगी। तो आज बापदादा सेकण्ड में फुलस्टाप अर्थात् एकाग्र स्थिति के अभ्यास पर अटेन्शन खिंचवाना चाहता है क्योंकि प्रकृति अपने भिन्न-भिन्न रंग दिखाने शुरू कर दिये हैं। चारों ओर क्या-क्या हो रहा है, वह आप सब ज्यादा जानते हो। तो ऐसे मन-बुद्धि को भटकाने वाली बातें आनी ही हैं, तो अभी यह प्रैक्टिस करो कि मन को बुद्धि को आप एक सेकण्ड में परमधाम में टिका सकते हो! अभी अपने को फरिश्ते रूप में टिकाओ। अभी अपने को मैं ब्राह्मण मास्टर सर्वशक्तिवान स्थिति में हूँ, इस मास्टर सर्वशक्तिवान स्थिति में स्थित हो जाओ। (बापदादा ने ड्रिल कराई) ऐसी प्रैक्टिस सारे दिन में जब भी समय मिले, बार-बार मन को एकाग्र करके देखो। जहाँ चाहो, जो चाहो वहाँ मन एकाग्र हो। पुरूषार्थ एक मिनट लगे, एक सेकण्ड में फुलस्टॉप क्योंकि ऐसा समय हलचल का अभी तैयारी कर रहा है इसलिए माइण्ड कन्ट्रोल - मन मेरा है, मैं मन नहीं, मेरा मन है तो मेरे के ऊपर मैं का कन्ट्रोल है? यह ड्रिल बहुत आवश्यक है।

ओम शांति।


106. 12 बार निराकारी रूप और 12 बार फरिश्ता स्वरूप में स्थित रहो | अव्यक्त बापदादा - 15-12-09

अभी क्या करना है? लगन की अग्नि को जलाओ। करना ही है। प्यार का रिटर्न होता है समान बनना, सम्पन्न बनना, सम्पूर्ण बनना। तो अभी बापदादा एक ड्रिल बताता है, सभी कहते हैं बापदादा दोनों से प्यार है.. ब्रह्मा बाप से और शिव बाप से दोनों से प्यार है ना! दोनों से प्यार है तो शिव बाप है निराकारी, ठीक है और ब्रह्मा बाप है फरिश्ता। फरिश्ता है ना! तो कल से नहीं, आज से ही अभी से सारे दिन में दोनों बाप से प्यार है तो कभी अपने को निराकार बाप समान निराकारी स्थिति में अभ्यास करो, फालो फादर। और कभी फरिश्ता बन करके साकार रूप ब्राह्मण नहीं, ब्राह्मण तो हो ही, कर्म भले करो लेकिन कर्म करते भी फरिश्ता स्थिति में रहो तो कर्म का बोझ प्रभाव नहीं डालेगा। ब्रह्मा बाप से प्यार है तो ब्रह्मा बाप ने कर्म सब किया, निमित्त बना लेकिन ब्रह्मा बाप के ऊपर कितना बोझ था। आप कोई के ऊपर इतना बोझ नहीं है, है कोई, ब्रह्मा बाप से ज्यादा किसके ऊपर बोझ है, जिम्मेवारी है? वह हाथ उठाओ। कोई नहीं उठाता। तो ब्रह्मा बाप ने इतनी जिम्मेवारी निभाते हुए कार्य में कैसे रहा, कर्म में भी फरिश्ता रूप रहा ना! तो आपका भी ब्रह्मा बाप से प्यार है, तो कभी फरिश्ता रूप में रहो, कभी निराकार स्थिति में रहो, यह प्रैक्टिस, ब्रह्मा बाबा कहके ब्रह्मा बाप समान फरिश्ता बन जाओ और शिव निराकार बाप को याद कर निराकारी स्थिति में स्थित हो जाओ, यह कर सकते हो? यह कर सकते हो या मुश्किल है? जो कर सकते हैं बीच-बीच में, वह बीच-बीच में ऐसे करें जो लगातार हो जाए, अपने कर्म के हिसाब से जो आपकी दिनचर्या है उसके हिसाब से फिक्स करो। कम से कम सारे दिन में 12 बारी फरिश्ता बनो, 12 बारी निराकार स्थिति में स्थित रहो, यह कर सकते हो? हाथ उठाओ। कर सकते हो? मुश्किल नहीं है ना! सहज है ना! सहज है? सहज में हाथ उठाओ। अच्छा, करना है। यह पक्का करो। फिर तो जो लक्ष्य रखा है ना, इस सीजन के अन्त तक परिवर्तन हो सकता है। अगर यह ड्रिल 24 टाइम करेंगे तो लगातार हो जायेगा ना। ठीक है ना, हो सकता है! हाथ उठाओ। हो सकता है! फिर तो बापदादा की तरफ से पदम पदम पदम पदम गुणा मुबारक हो, मुबारक हो। लेकिन ढीला नहीं छोड़ना। सभी निश्चय करो हमको इसमें नम्बरवन होना है। नम्बरवार नहीं होना, नम्बरवन क्योंकि बापदादा के पास समय बहुत आता है। प्रकृति तो चिल्लाती है, बोझ सहन नहीं होता। माया भी विदाई लेने चाहती है लेकिन कहती है मैं क्या करूं, ब्राह्मण कोई न कोई ऐसा काम संस्कारों वश होकर करते हैं जो मुझे आह्वान करते हैं तो मुझे जाना ही पड़ता है। तो बापदादा क्या जवाब दे! इसलिए जैसे समय आगे बढ़ रहा है, अभी आप लोग सेवा में भी अन्तर देख रहे हो ना! सेवा का रिटर्न अभी सभी चाहते हैं, कुछ हो, कुछ हो। ब्रह्माकुमारियां जो कहती थीं वह अभी ठीक हो रहा है। पहले कहते थे विनाश, विनाश नहीं कहो, अब तो कहते हैं कब होगा, आप ही तारीख बताओ। अभी सुनने चाहते हैं, पहले बहाना देते थे, तो यह भी फर्क हो रहा है ना! प्रैक्टिकल देख रहे हो ना इसलिए अभी जो बापदादा से वायदा किया है उसको निभाते रहना। ठीक है! बापदादा ने सभी समाचारों की रिजल्ट सुनी है, जो भी चला है, अच्छा चला और रिजल्ट भी अच्छी उमंग-उत्साह की रही है इसलिए अभी लक्ष्य रखो होना ही है, करना ही है, समाप्ति को समीप लाओ। आप थोड़े हिलते हो ना तो समाप्ति भी दूर हो जाती है। आपको ही समाप्ति को समीप लाना है क्योंकि राज्य करने वाले तैयार नहीं होंगे तो समय क्या करेगा? इसलिए सब बहाना, कारण, कारण शब्द को समाप्त करो। निवारण सामने लाओ। हाथ भले थोड़ोने उठाया लेकिन आप सबका भी यही लक्ष्य है ना कि दु:खियों को सन्देश दे मुक्त करें। उन्हों को मुक्त करने के बिना आप मुक्ति में जा नहीं सकते। तो इन्हों को मुक्त करो क्योंकि बाप आया है ना तो सारे विश्व के बच्चों को वर्सा तो देंगे ना। आपको जीवनमुक्ति का वर्सा देंगे लेकिन सभी बच्चे तो है ना। उनको भी वर्सा तो देना है ना। तो उन्हों का वर्सा है मुक्ति, आपका वर्सा है जीवनमुक्ति। जब तक मुक्ति नहीं देंगे तो आप भी जा नहीं सकते। इसके लिए यह ड्रिल करो। 24 बारी। रात और दिन के 24 घण्टे हैं और 24 बार करना है, नींद के टाइम, नींद भले करो। बापदादा यह नहीं कहते कि नींद नहीं करो। नींद करो लेकिन दिन में बढ़ाओ। जब कोई फंक्शन करते हो तो सारा सारा दिन काम करते हो ना। जागते हो ना! अच्छा।

ओम शांति।


107. 5 स्वरूप की ड्रिल | अव्यक्त बापदादा - 30-11-10

ओम शांति।

अपने 5 रूपों को जानते हो ना! पहला सभी का ज्योति बिन्दु रूप आ गया आपके सामने! कितना चमकता हुआ प्यारा रूप है। दूसरा देवता रूप वह रूप भी कितना प्यारा और न्यारा है। तीसरा रूप मध्य में पूज्यनीय रूप चौथा रूप ब्राह्मण रूप संगमवासी वह भी कितना महान है और पांचवा रूप फरिश्ता रूप। यह 5 ही रूप कितने प्यारे हैं। बापदादा आज बच्चों को मन की एक्सरसाइज सिखाते हैं क्योंकि मन बच्चों को कभी-कभी अपने तरफ खींच लेता है। तो आज बापदादा मन को एकरस बनाने की एक्सरसाइज सिखा रहा है। सारे दिन में इन 5 रूपों की एक्सरसाइज करो और अनुभव करो जो रूप सोचो उसका मन में अनुभव करो। जैसे ज्योतिबिन्दू कहने से ही वह चमकता रूप सामने आ गया! ऐसे 5 ही रूप सामने लाओ और उस रूप का अनुभव करो। हर घण्टे में 5 सेकण्ड इस ड्रिल में लगाओ। अगर सेकण्ड नहीं तो 5 मिनट लगाओ। हर एक रूप सामने लाओ अनुभव करो। मन को इस रूहानी एक्सरसाइज में बिजी करो तो मन एक्सरसाइज से सदा ठीक रहेगा।

जैसे शरीर की एक्सरसाइज शरीर को तन्दरूस्त रखती है ऐसे यह एक्सरसाइज मन को शक्तिशाली रखेगा। एक सेकण्ड भी मन में उस रूप को लाओ समझते हो सहज है ना यह कि मुश्किल लगता है? मुश्किल नहीं लगेगा क्यां कि यह एक्सरसाइज आपने अनेक बार की हुई है। हर कल्प की है। अपना ही रूप सामने लाना यह मुश्किल नहीं होता। एक-एक रूप के सामने आते ही हर रूप की विशेषता का अनुभव होगा। कभी-कभी कई बच्चे कहते हैं कि हम इन्हीं रूप में अनुभव करने चाहते लकिन मन दूसरे तरफ चला जाता। जितना समय जहाँ मन लगाते चाहते हैं उतना समय के बजाए व्यर्थ अयथार्थ संकल्प भी आ जाते हैं। कभी मन में अलबेलापन भी आ जाता तो बापदादा हर घण्टे 5 सेकण्ड या 5 मिनट इस एक्सरसाइज में अनुभव कराने चाहते हैं। 5 मिनट करके मन को इस तरफ चलाओ। चलना तो अच्छा होता है ना! फिर अपने काम में लग जाओ क्योंकि कार्य तो करना ही है। कार्य के बिना तो चलना नहीं है। यज्ञ सेवा विश्व सेवा तो सभी कर रहे हो और करनी ही है। यह 5 मिनट की ड्रिल करने के बाद जो अपना कार्य है उसमें लग जाओ। ऐसा कोई है जिसको चाहे 5 सेकण्ड लगाओ चाहे 5 मिनट लगाओ लेकिन कोई ऐसा है जिसको इतना टाइम भी नहीं मिलता है! है कोई हाथ उठाओ। जिसको 5 मिनट भी नहीं हैं। कोई नहीं है। है कोई? सब निकाल सकते हैं।

तो बार-बार यह एक्सरसाइज करो तो कार्य करते भी यह नशा रहेगा क्योंकि बाप का मन्त्र भी है मनमनाभव। इसी मन्त्र को मन के अनुभव से मन यन्त्र बन जायेगा मायाजीत बनने में क्योंकि बापदादा ने बता दिया है कि जितना समय आगे बढ़ेगा उस अनुसार एक सेकण्ड में स्टॉप लगाना होगा। तो यह एक्सरसाइज करने से मनमनाभव होने में मदद मिलेगी क्योंकि बापदादा ने देखा कि जो भी भाषण करते हो या किसको भी सन्देश देते हो तो क्या कहते हो? हम विश्व को परिवर्तन करने वाले हैं। तो जब विश्व को परिवर्तन करना है तो पहले अपने मन को ऐसा शक्तिशाली बनाओ जो जिस समय जो संकल्प करने चाहे वही मन संकल्प कर सकता है। सेकण्ड में आर्डर करो जैसे इस शरीर की और कर्मेन्द्रियों को आर्डर करते हो ऊपर हो नीचे हो तो करती हैं ना! ऐसे मन व्यर्थ अयथार्थ से बच जाये मन के मालिक हो मेरा मन कहते हो ना! तो मेरा मन इतना आर्डर में रहे उसके लिए यह मन की एक्सरसाइज बताई।

ओम शांति।


108. मैं आत्मा, मेरा बाबा - चढ़ती कला की ड्रिल | 21-10-05

ओम शांति।

फरिश्तेपन में या पुरूषार्थ में विशेष जो रूकावट होती है, उसके दो शब्द ही हैं जो कामन शब्द हैं, मुश्किल भी नहीं हैं और सभी यूज भी करते हैं अनेक बार। वह क्या है? मैं और मेरा। बापदादा ने बहुत सहज विधि पहले भी बताई है, इस मैं और मेरे को परिवर्तन करने की। याद है? देखो, जिस समय आप मैं शब्द बोलते हो ना, उस समय सामने मैं हूँ ही आत्मा, मैं शब्द बोलो और सामने आत्मा रूप को लाओ। मैं शब्द ऐसे नहीं बोलो, मैं, आत्मा। यह नेचुरल स्मृति में लाओ, मैं शब्द के पीछे आत्मा लगा दो। मैं आत्मा। जब मेरा शब्द बोलते हो तो पहले कहो मेरा बाबा, मेरा रूमाल, मेरी साड़ी, मेरा यह। लेकिन पहले मेरा बाबा। मेरा शब्द बोला, बाबा सामने आया। मैं शब्द बोला आत्मा सामने आई, यह नेचर और नेचुरल बनाओ। सहज है, ना कि मुश्किल है। जानते ही हो मैं आत्मा हूँ। सिर्फ उस समय मानते नहीं हो। जानना 100 परसेन्ट है, मानना परसेन्टेज में है। जब बॉडी कान्सेस नेचुरल हो गया, याद करना पड़ता है क्या मैं बॉडी हूँ ? नेचरल याद है ना। तो मैं शब्द मुख के पहले तो संकल्प में आता है ना। तो संकल्प में भी मैं शब्द आवे तो फौरन आत्मा स्वरूप सामने आये। सहज नहीं है यह अभ्यास करना। सिर्फ मैं शब्द नहीं बोलना, आत्मा साथ में बोलना, पक्का हो जायेगा। है ना पक्का। दूसरे को भी कोई बुलायेगा तो आप ऐसे ऐसे करेंगे। तो मैं आत्मा हूँ। आत्मा का संसार बापदादा। आत्मा का संस्कार ब्राह्मण सो फरिश्ता, फरिश्ता सो देवता। तो क्या करेंगे, यह मन की ड्रिल। आजकल डाक्टर्स भी कहते हैं ड्रिल करो, ड्रिल करो। एक्सरसाइज। तो यह एक्सरसाइज करो। मैं आत्मा। मेरा बाबा।

ओम शांति।