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भोग संदेश

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मोहिनी बहन द्वारा भोग संदेश का सार (मॉन्ट्रियल के तान्याबहन को धन्यवाद)


आज रात, बाबा को भोग लगाते हुए, मोहिनीबहन को बापदादा से अत्यंत स्पष्ट निर्देश मिला कि अब तूफान आ रहा है ... जो आत्मा के मन में क्रोध, भय और भ्रम की लहर पैदा करेगा। यह महत्वपूर्ण है कि हम जितना संभव हो कम से कम इस सप्ताह के लिए मौन का पालन करें। बैठकर भट्टियाँ करें। बाहरी चुप्पी रखें। न्यूनतम सेवा करें। यदि हमारे पास ऑनलाइन सेवा निर्धारित है, तो उस समय का उपयोग आत्माओं को आत्मा चेतना में निर्देशित करने और भगवान के प्रेम का अनुभव करने के लिए करें।

कोई भी वास्तव में अपने आचरण से यह बता सकता है कि वह किसी भी तरह के विस्तार में पूरी तरह से उदासीन था; भले ही उसने अंत में प्रश्न आमंत्रित किए, लेकिन उसने अंततः हमें बहुत अधिक सोच से दूर करने की कोशिश की ... सिर्फ अशरीरी अवस्था(उपराम) और बाबा में लवलीन। स्वीट साईलेन्स।

शांति की शक्ति बढ़ाने के लिए प्रेरणा (सीस्टर तान्या)

मुख्य पुरुषार्थ: आंतरिक शांति बनाए रखें। मन में एक शांति स्थान बनाएं जहां चेतना की ऊर्जा शांत, शक्तिशाली और मधुर हो, और केवल शुद्ध भावनाओं को उत्पन्न करें। इसे पूरे दिन बनाए रखें।

1) शक्तिशाली अमृत वेला: शरीर में आत्मा चेतना का ऐसा स्तर बनाएं कि मुझे स्वतः महसूस हो कि बाबा मुझे शुद्ध कर रहे हैं; एक परिवार के रूप में हमारे बीच संबंध को महसूस करो जो आत्माओं के उल्टे वृक्ष का हिस्सा है; असीमित विश्व सेवा।

2) मौन (मन और मुख का): जितना संभव हो मौन में रहें, अमृतवेला से मुरली के अंत तक। एक शुद्ध आत्मा होने का एक मजबूत अनुभव करने का प्रयास करें जो आंखों से सकाश दे और शरीर को उर्जा दे।

3) अमृत वेला की शुरुआत में हर दिन शांति की शक्ति से बापदादा की एक मुरली जरूर पढ़ें। अमृत ​​वेला पुस्तक को जरूर पढ़ें। (जिनके पास नहीं हैं उनके लिए अपलोड करने का प्रयास करेंगे।)

4) स्वदर्शनचक्रधारी बनने के लिए दिन भर में बीच बीच में प्रयास करें: अपने आप को स्वयं का दर्शन दें ... चक्र के दौरान अपने सभी रूपों (पांच स्वरूप का अभ्यास) का अनुभव करें (दिन में 5 से 8 बार)। आवश्यक शुद्धता, देवी पवित्रता, याद की पवित्रता, जागृत पवित्रता, असीमित पवित्रता।

5) फोलो फ़ादर: चलते-फिरते निराकारी और अव्यक्त स्थिति का अभ्यास करें। (एक दिन में 24 बार)

6) कर्म करते शांति बनाए रखें: शांत और पवित्र आत्मा के अभ्यास द्वारा शरीर की हर कर्मेन्दिय को सकाश दे, विशेष रूप से बोलते समय।

7) कम बोलें, मीठा बोलें, धीरे बोलें।

8) बिना कुछ और किए, मौन में भोजन करें। नाश्ते के दौरान: मुरली चिंतन करें।

दोपहर का भोजन: अशरीरी स्थिति का अभ्यास।

डिनर: मनसा सेवा करें।

9) याद, याद और याद: बाबा ने हाल ही में हमें बताया कि “भले ही आपको अपने व्यवसाय के बारे में सोचना पड़े, लेकिन बाबा के याद में लगे रहें। इसलिए चलते-फिरते, बात करते और सोचते समय बाबा की याद में रहें।