Murli Revision - Bk Dr. Sachin - 10-04-2022


ओम शांति
कल की साकार मुरली से एक प्रश्न है सूक्ष्म पाप क्या है? सभी के लिए प्रश्न है, सुक्ष्म पाप क्या है? क्या है?
सूक्ष्म पाप की तीन परिभाषाएं दी है.... वरदान पहला....
पहला किसी की ग्लानि करना
दूसरा किसी की गलती को फैलाना और
तीसरा हां मैं हां मिलाना

कर्म सिद्धांत है, तुम किसकी ग्लानि करोगे, तुम्हारी दुगनी ग्लानि होगी । तो 1 मिनट के लिए सभी आंखें बंद करेंगे और पिछले एक हफ्ते में खुद को देखेंगे क्या हमारे मुख से किसी के लिए ग्लानि के शब्द निकले? उसकी उपस्थिति में या फिर अनुपस्थिति में । किसी की गलती को हमने फैलाया ? और तीसरा कोई दूसरा ग्लानि कर रहा था, तब हमने हां में हां मिलाई । आंखें बंद और इन तीन बातों की चेकिंग । सोमवार से चालू करते हुए आज तक । अपने इन सात दिनों को मन ही मन देखेंगे । स्टार्ट....

ओम शांति । यह एक ऐसी चेकिंग है कि रोज करनी है । जाने अनजाने में हमसे ये सूक्ष्म पाप होते रहते हैं । बाबा ने कहा कर्मों का सिद्धांत कर्म गति बहुत गुह्य है । यह ऊंचे लक्ष्य तक यह पाप हमें पहुंचने नहीं देते ।
आज सुबह की अव्यक्त वाणी । किस बात की अविद्या होने के लिए कहा है? जैसे सतयुग में किस बात की अविद्या रहती है? माया क्या है पता नहीं । विकार क्या है पता नहीं । दुख क्या है पता नहीं । उसी तरह इस संगम युग में भी कुछ ऐसे शब्द हैं जिनकी अविद्या हो जाए, ऐसे सात शब्द......

पहला थकावट । मुझे थकान हो गई है । वास्तव में शरीर नहीं थकता, मन ही थकता है हर बार । सेवाएं हमें इतना नहीं थकाती, जितना सेवाओं में जो व्यर्थ संकल्प चलते हैं वो थकाते है । तो इन सातों चीजों की क्या हो जाए अविद्या । पहला शब्द थकान, थकावट, फटिक टायर्डनेस । जब मन में यह उठता है कि आज मुझे थकान लग रही है, तो निष्कर्ष यह हुआ की सेवा ज्यादा कि नहीं, क्या किया ज्यादा? व्यर्थ ज्यादा चला है, इसलिए थकान है । कल की ही मुरली से जो तीन बातें हमने अभी सेल्फ चेकिंग की, एक प्रश्न उसके साथ जुड़ा हुआ है, एक व्यक्ति दूसरे की ग्लानी क्यों करता है? क्या कारण है? पाप की तीन परिभाषा है बाबा ने सुनाई, और जो अनजाने में होती रहती है।
और यह क्यों करता है ये उससे भी गहरा प्रश्न है। उसके भी तीन कारण है
पहला खालीपन। एक स्प्रिचुअल वेक्यूम है। एक अज्ञात सा खालीपन है इंप्टीनेस। व्यक्ति उसे भरना चाहता है।
दूसरा ज्ञान की
गहराई उन ऊंचाइयों को कभी छुआ ही नहीं। योग की उन ऊंचाइयों तक चेतना पहुंची ही नही और
तीसरा सूक्ष्म घृणा या नफरत या इर्ष्या या बदले का भाव।
तो किन किन शब्दों की अविद्या हो जाए, पहला तो थकान यह कहना कि मुझे आज थकान हो गई तो यह आत्मा अभिमानी स्थिति है या देह अभिमानी। तो आज के बाद क्या कहेंगे मैं अथक हूं। जितनी सेवाएं देनी है दे दो। मुझे थकाने वाला इस दुनिया में भी पैदा नहीं हुआ है।

दूसरा शब्द है भय। भय... भय शब्द हमारी डिक्शनरी से हट जाए। भय उनको सताता है जो राग और द्वेष में है। किसी से राग है तो छूटने का है। किसी से द्वेष है वह मेरा अहित ना कर दे इस का भय है।

तीसरा बोरडम, बोर हो गया। मुरली पढ़ पढ़ कर के बोर हो गए, योग कर करके बोर हो गए, सेवाएँ कर करके बोर हो गए। भगवान जब ऐसे शब्द सुनता होगा ऊपर, क्या सोचता होगा? मैं सुना सुना कर बोर नहीं होता हूं और यह केवल सुनकर, याद तो रखते नहीं है वह दूसरी बात। यह शब्द ही अपनी डिक्शनरी से निकाल देना है कि मुझे बोर हो रहा है, खंडाला आ रहा है।

चौथा इंडिसीजन, अनिर्णय। करू या ना करूं? एक तरफ परमात्मा प्रेम और एक तरफ मनुष्य आत्माओं का प्रेम। अनिर्णय की अवस्था, इंडिसीजन की अवस्था। इसको हटा देना है। इधर या उधर लुढ़कते रहे । करू की नही करू, जाऊं कि नहीं जाऊं, दुविधा में दोउ गए, ना राम मिला ना माया। अनिर्णय चौथा।

पांचवा रुकावट, विघ्न। मेरे जीवन में बहुत विघ्न है बाबा यह सुनकर खुश होगा? तुमको टाइटल क्या-क्या दिया है मैंने और तुम कहते क्या हो?

अगला मेहनत इसमें मेहनत बहुत है।

कन्फ्यूजन। बाबा मैं आपके ज्ञान की वजह से क्या हूं? कंफ्यूजड। पहले ही ठीक थे, चल रहा था, ठीक ठाक।
यह सातों शब्द अपने डिक्शनरी से, अपने शब्दकोश से क्या कर देने हैं, हटा देने हैं ? यहीं उमंग उत्साह को क्या करता हैं? नीचे लाता है, उड़ती कला से है नीचे लाता है। उमंग उत्साह ब्राम्हण जीवन का पावर हाउस है।

तो आज की मुरली में बाबा ने क्या देखा? मुरली की शुरुआत.... दो दृश्य देखे, दो प्रकार के बच्चे देखें और उमंग उत्साह की दो दो बातें देखी। कौन से दो दृश्य, कौन से देखे?

एक तो भावना देखी दूसरी वाइब्रेशनस। कौन सी भावना देखी? स्नेह संपन्न भावना, द पावर ऑफ भावना। भावना में बहुत शक्ति होती है।
दूसरी कौन सी बात देखी? श्रेष्ठ लक्ष्य के उमंग उत्साह के वाइब्रेशनस। केवल कोई व्यक्ति श्रेष्ठ लक्ष्य रखते हैं अपने आप वो वाइब्रेटिंग फोर्स बन जाता है। उसके प्रकंपन फैलने लग जाते हैं, तो यह दो दृश्य बाबा ने देखे, दो प्रकार के बच्चे देखे, कौन से? नए थे और पुराने थे पर दोनो में एक खूबी थी क्योंकि दोनो भी पुराने ते पुराने थे। परमात्मा लिटरेचर है, संसार इसे समझ नहीं पाएगा। दो प्रकार के बच्चे बताए ओल्ड एंड न्यू और बाकी का आगे का स्टेटमेंट है दोनों भी ओल्डअष्ट है। क्योंकि पुरानी पहचान है।

उमंग उत्साह की दो बातें। उमंग उत्साह कैसा हो तुम्हारा? निरंतर और निरंतर और एकरस... निरंतर और निरंतर और नेचुरल सहज, प्राकृतिक, कुदरती। ऐसा नही की जब ज्ञान कर रहे है योग, धारणा या लौकिक सेवा कर रहे हैं तब वह उमंग उत्साह हैं और जो दूसरे काम है दूसरी सेवाए है साधारण काम है वो काम करते हुए उमंग उत्साह नही। कुछ भी करो उसमे क्या भर दो उमंग, उत्साह भर दो, ऊर्जा भर दो उसमे, चाहे बर्तन साफ कर रहे, कपड़े धुलाई कर रहे, कुछ भी। झाड़ू लगा रहे हैं, झाड़ू लगा रहे हैं तो सोचो हम विश्व की सफाई कर रहे हैं। धर्ती पर कचडा बहुत हो गया है विकारों का। कर्म साधारण, स्थिति श्रेष्ठ। हर चीज हर कर्म मैं क्या कर देना है, उमंग उत्साह भर देना है, यह उमंग उत्साह ही क्या कर देता है हमें उड़ती कला में ले जाता है, यह उमंग उत्साह सी आधार है उड़ती कला का। एंथोसियाजम मेक्स द डिफरेंस। दो व्यक्ति समान काम कर रहे हैं, परंतु एक मर-मर के करता है और एक ऊर्जावान है... बहुत अंतर होगा दोनों में। नथिंग वर्ल्ड वाइड इस अचिव्ड विथआउट एंथोसियाज़म। किसी महान वैज्ञानिक ने कभी कहा कुछ भी पाना है जीवन में, तो बिना उत्साह के कुछ भी नहीं पाया जा सकता। तुम्हारा जीवन उत्सव बन जाए और उत्सव अर्थात प्रतिपल उत्साह। कुछ भी कर रहे हो, कुछ भी, दुखी होकर नहीं। तो दो प्रकार के बच्चे नए और पुराने। दो दृश्य देखें एक भावना देखी और एक प्रकंपन देखा और उमंग उत्साह देखा और उमंग उत्साह में भी उमंग उत्साह कैसा हो एक निरंतर हो शतत हो और दूसरा नेचुरल हो, जबरदस्ती नहीं, दिखावे वाली नहीं, प्लास्टिक इस्माइल नहीं, चिपकाई हुई हसी नहीं।

और इस उमंग उत्साह को नीचे करने वाली वही सात बातें या सात शब्द पहला बताया थकान, थकान को उखाड़ के फेंक दो, जो जो चीज थकाती है उसको आइडेंटिफाई करना है। हो सकता है अत्यधिक कर्म भी थका दे, अपनी दिनचर्या को ऐसा बना रखा है की जिसमे सिर्फ सेवा सेवा सेवा सेवा है। चिंतन कहो गया है । दूसरा बताया भय भय सूक्ष्मतम विकार है, पर बहुत बड़ा है। तीसरा बोरडम आज के बाद बोरडम शब्द को कोई दूसरा कहे तो क्या होता है, ये ऐसे कहना है बोरडम अविदया जैसे देवी देवताओं को विकार की, माया की, दुख की अविद्या है, तुम्हे भी बोरडम की अविद्या हो जाय। चौथा अनिर्णय की अवस्था। इधर या उधर, उधर या इधर। अगला रुकावट या विघ्न। कोई विघ्न हमे रोक नहीं सकते, बाबा से कहा, तब पूछा था किसी ने, ये सबको पता है यह पवित्रता की बात हटाओ, उत्तर क्या था? मुझे मैं मैं करने वाली बकरियां नहीं चाहिए, परंतु शेर और शेरनीया चाहिए जो दहाड़ लगाए, ऐसी दहाड़... जो दहाड़ सुनकर माया मूर्छित हो जाए, मुझे लाख नहीं चाहिए, लाखों में एक चाहिए। और वो लाखों में एक कौन है? लाखों में एक कौन है? हम नहीं मैं। हम कैसे एक हो सकता है? मैं...। तो विघ्न, परिस्थितियां। वह आ रहे हैं, परंतु उनका वर्णन करने की आवश्यकता नहीं है। अगला बताया मेहनत। मेहनत कौन करते हैं मजदूर। हम कौन हैं? राजे महाराजे। अगला कंफ्यूज ए कन्फ्यूज्ड माइंड इज अ पनिशमेंट। जरूर कोई पाप किया है, जरूर कोई विक्रम हुआ है इसलिए मन दुविधा में है, कन्फ्यूज्ड है। ढूँढना है क्या हो गया? जिस वजह से यह अवस्था आई है, जिस भी अवस्था में हम अब हैं, वह विगत कर्मों का परिणाम है । अगला... हो गई।
तो यह सात बातें हैं जो विघ्नों को विघ्न रुकावट एक ही है। तो बाबा ने क्या कहा? उमंग उत्साह है सतत, निरंतर। और उमंग उत्साह लाने के लिए क्या-क्या करो वो आप बताएंगे।
सबको उमंग उत्साह दिलाओ और... सेवा में लग जाओ और.... मैं अपन आज की मुरली का बताना साल भर की नहीं। क्या.. क्या..? भिन्न-भिन्न संबंध से याद करो। किसको? लौकिक रिश्तेदारों को ? किसको? और क्या करो.. प्रप्तियों को याद करो और क्या करो... लिमिट में खाओ और पियो। होशियारी नहीं दिखाओ बोला है ना लिमिट वाली होशियारी। जैसे एक व्यक्ति धार्मिक है, पुजारी है मंदिर का जा रहा है बारिश आ गई अचानक और वह तेजी तेजी से भागने लगता है। एक व्यक्ति अपने बरामदे में बैठा है और कहता है कि आप भगवान के भगत हो मंदिर को संभालते हो, भागते हो बारिश का अपमान। स्वयं परमात्मा अवतरित हो रहा है बूंदों के रूप में और कई व्यक्ति देख रहे हैं जब यह व्यक्ति बरामदे में बैठकर यह कह रहा है है तब पुजारी एकदम से रुक जाता है धीरे धीरे धीरे धीरे भीगते भीगते भीगते भीगते पहुंचता है घर बीमार पड़ता है, सर्दी हो जाती है निमोनिया। और दूसरे दिन देखता है कि यह जो बरामदे में बैठा हुआ था अब यह चल रहा है और बारिश आ गई और वह भाग रहा है बरामदे में बैठा हुआ व्यक्ति। यह उससे कहता है पुजारी कि तुम भगवान का अपमान करते हो, वह कहता है कि मैं अपमान ही तो नहीं करना चाहता भगवान की बूंदे बारिश के नीचे गिर रही है मैं उन पर पैर नहीं रखना चाहता, मैं उनका अपमान कैसे करूं? बाबा ने क्या कहा? होशियारी। अपने काम की पॉइंट लेते हैं धारणा की, लौ की, उसको छोड़ देते हैं। कम होशियार भव।

तो उमंग उत्साह कि बहुत सारी बातें आज बाबा ने कही। ऐसी 10 बातें हम लेंगे।
सबसे पहला बाबा ने कहा की कभी-कभी उमंग उत्साह कम हो जाता है नीचे आ जाते हो परंतु ऐसी कुछ बातें है जो तुम्हें फिर से ऊपर उठाती है पहली श्रेष्ठ लक्ष्य। उमंग उत्साह के लिए क्या चाहिए.... श्रेष्ठ लक्ष्य। जब लक्ष्य ही रखा है कि मुझे सारे दिन में 1 सेकंड भी वेस्ट नहीं करना है तो... तो... अपने आप सारे कर्म वैसे होंगे। रोना ही नहीं है, रोना बंद। कुछ भी हो जाए, अचल अडोल रहना है। श्रेष्ठ लक्ष्य। नोट फेलियर बट लो एम इस क्राइम। असफलता नहीं परंतु छोटा लक्ष्य रखना क्या है? अपराध, क्राइम है एक। इसके लिए चाहे पहुंचे या ना पहुंचे चाहे असफलता ही क्यों ना मिल जाए, परंतु लक्ष्य कैसा हो बहुत ऊंचा। जो सोचता है मुझे पास होना है उसका फेल होना निश्चित है। जो सोचता है मुझे फर्स्ट आना है, हो सकता है पहले 10 में आ जाए या 5 में आ जाए, परंतु एकदम फेल नहीं होगा वह। लक्ष्य ही रखा है मुझे 4:00 बजे उठना है, 4:30 या 4:15 तो हो ही जाएंगे। मार्जिन बड़ी रखनी है।
पहला उमंग उत्साह के लिए क्या चाहिए श्रेष्ठ लक्ष्य
दूसरा प्यारी मंजिल। प्यारी मंजिल। लक्ष्य को हम इंग्लिश में ट्रांसलेट करें तो टारगेट हो जाएगा और मंजिल अर्थात डेस्टिनेशन। संपूर्णता। दो छोटे, दो अलग-अलग शब्द है एम डेस्टिनेशन अर्थात जहां पहुंचना है, और टारगेट अर्थात आज सारे दिन भर में कितना कवर करना है? आज यह यह करना है छोटे छोटे लक्ष्य। आज लक्ष्य है की मुरली कितने बार पढ़नी है? 21 बार। एक ही बार बहुत बड़ा काम है। बहुत बड़ा काम है असंभव जैसा। हो सकता है पर.... कितनी बार पढ़ रहे हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है, कितनी अंडरस्टैंडिंग के साथ पढ़ रहे हैं और उसको प्रैक्टिकल में कितना ला रहे हैं। पढ़ना प्रैक्टिकल में लाना, पढ़ना प्रैक्टिकल मैं लाना and than checking again । पढ़कर कहीं भाषण तो देना नहीं है, यह रही आज की मुरली। पूरा ऊपर से चालू किया लास्ट तक और इसके साथ ली बाबादादा ने विदाई। दूरदर्शन का म्यूजिक। प्यारी मंजिल
तीसरा परमात्मा प्रेम का अनुभव। तीसरा उमंग उत्साह के लिए क्या चाहिए... परमात्मा प्रेम का अनुभव। बाबा ने कहा कि यह अनुभव है इसलिए तो ऊपर उठ जाते हो, नीचे आते हो परंतु फिर उड़ती कला में चले जाते हो क्योंकि तुम्हारे पास यह अनुभव है। हर एक के पास यह अनुभव है चाहे अब कुछ भी पुरुषार्थ ना भी कर रहा हूं परंतु हृदय की गहराई में वह प्रथम मिलन का वह परमात्मा प्रेम का अनुभव हर एक के पास है। अभी बहुत सारी बाधाएं आ गई कुछ शरीर की बाधा है, कोई विघ्न आ गए, संसार के विघ्न आ गए, परंतु वह अनुभव है जो खींचता है और जो पुकारता है और जो कहता है उड़ो फिर से ऊंचाई में। हार्ट.... बाप के हार्ट में रहो। क्या हो जाएगा? सेफ। लकीर... कौन सी, सेफ्टी की लकीर। शेर का उदाहरण दिया, यदि आग है, यदि रोशनी है तो शेर वहां आ नहीं सकता। जंगल का वो राजा है पर आ नहीं सकता। जहां परमात्मा है, जहां बाप है उस हिर्दय में लाइट वहां माया आ नहीं सकती। बाइबिल में एक जगह लिखा है रॉक ऑफ एजस, क्लेप्ट फॉर लेट मी हाईड इन धी। तुम एक बड़े विशाल से पर्वत या एक चट्टान हो, सदियों से हजारों को तुमने आश्रय दिया है, मुझे तुम मैं खो जाने दो छिप जाने दो। कहां छुपुंगा मैं? तुम्हारे अंदर। लेट मी हाईड माय सेल्फ इन धी, तुम में। सेफ्टी का यह साधन है, परंतु केवल परमात्मा प्रेम, परमात्मा प्राप्तियां हो तीसरा कोई ना हो। जब परमात्मा प्रेम हृदय में भरा है तो हर कर्म में अपने आप उमंग उत्साह होगा, अपने आप इंटेंसिटी। तीव्र पुरुषार्थ करने की विधि एक ही है तीव्र प्रेम। तीव्र पुरुषार्थ की विधि क्या है? तीव्र प्रेम। भक्ति में कहते हैं जितना प्रेम एक मां को अपने बेटे से होता है, जितना प्रेम एक लोभी व्यक्ति को धन से होता है और जितना प्रेम एक कामी को शरीर से होता है वो तीनो ही प्रेम एक हो जाए और भगवान की तरफ डायरेक्ट हो जाए तो वह अवतरित होगा तब... तब तक नहीं क्योंकि यह तीनों ही प्रेम इंटेंसिटी में बहुत ज्यादा है। मां का प्रेम बच्चे के लिए, तड़पती है वह बच्चा नहीं दिखा तो 1 लोभी व्यक्ति का प्रेम धन के लिए और एक कामी का प्रेम देह के लिए इंटेंसपैशन है इसमें। वैसा ही पैशन वैसा ही जुनून किस लिए हो प्रभु के लिए, क्योंकि यह सारे प्रेम संसार के लिए अनुभव करके देख लिया, कैसे हैं, सब झूठे हैं, मिथ्या है, ढोंगी हैं, धोखा देने वाले हैं, दुख देने वाले हैं, आज ना कल कभी ना कभी दुख ही मिलेगा। कोई कितना भी कहे कि मैं तुम्हारे लिए जान दे दूंगा, चांद तारे तोड़ कर लाऊं। अव्यक्त महावाक्य हैं बाबा के तुम्हारे सामने हजार भुजाओं वाला खड़ा है तुम दो भुजाओं वालों के पास क्यों जाते हो? बताओ कारण क्यों? क्यों जाते हो बताओ.... तो यह तीन बातें उमंग उत्साह की पहला श्रेष्ठ लक्ष्य। अमृतवेला... अमृतवेला होते ही कुछ पॉइंट लिखनी है.... आज सारे दिन का क्या टारगेट है। दूसरा प्यारी मंजिल.. वहां तक मुझे पहुंचना है उसमें यह जो है आज...आज का दिन... वह गुल्लक का एक सिक्का है, वह तालाब की एक बूंद है, जंगल का एक पेड़ है। एवरी स्टेप्स कॉउंटस। आज अगर यह कर दिया तो एक नया संस्कार बन जाएगा, आज अगर यह बात को कर दिया तो कल इसी बात को करने में आसानी होगी। 3 दिन है अभी कर दिया तो हिम्मत और बढ़ जाएगी।
चौथा पॉइंटस नोट करना। चौथी उमंग उत्साह की बात, उमंग उत्साह बढ़ाने के लिए चौथी बात... क्या करना है पॉइंटस नोट करना है कहां पर? डाएरियों में तो बहुत ही नोट करके रखी है, डायरिया नोट कर करके भरी हुई है। डायरिया इतनी ज्यादा है, पर कभी कोई पुरानी डायरी को खोल कर नहीं देखता है इसलिए नोट कहां करना है ब्रेन। दोनों जगह करो पर ज्यादा इधर माइंड में। डायरिया खो जाएगी। कौन सी पॉइंट नोट करो? वैरायटी पॉइंट नोट करो। बोरडम नहीं होगा। ज्ञान एक ही एक नहीं केवल, अब घर जाना है। फिर वापस आना है, मैं ज्योति बिंदु बाप भी ज्योति बिंदु। मैं भी बिंदु तू भी बिंदु। तुम प्रेम के सागर, ज्ञान के सागर हो, ज्ञान के सागर हो, आनंद के सागर हो। सुबह सुबह उठकर उसको हम जोर जोर से रिमाइंड कराते हैं कि तुम यह हो भूलना मत तुम ही हो जो प्रेम के सागर हो और योग तब तक पूरा खत्म। ब्राम्हण सुप्रीम चार्जर को चार्ज करने निकला है। दूसरा योग बाबा ने कहा केवल वह चीज अलग-अलग स्थितियां बीज रूप, कभी फरिश्ता, कभी रूह्रिहान यहां अलग-अलग मेथडस... वैरायटी खजाने, वैरायटी प्राप्तियां, वैरायटी खुशी की बातें, वैरायटी में आनंद है। वही वही वही चीज नहीं करते रहेंगे, हर दिन नया नया पुरुषार्थ हो, हर दिन का अमृतवेला नया हो, हर दिन का नुमा शाम का योग नया हो, हर दिन के कर्म की स्थिति नै हो। नया उमंग नया उत्साह, नया सूरज, नई किरण, सब कुछ नया। वही वही करते रहेंगे तो थक जाते हैं बोर हो जाते है। चौथा क्या करेंगे पॉइंट्स को नोट करेंगे
पांचवा मनन। जो पॉइंट्स नोट की है उसके ऊपर क्या करना है मनन करना है। यह जो पढ़ा यह क्या है? नई-नई बातें मुरलियों में आती है नई-नई पॉइंट्स आती है, नई नई कहानी स्टोरीज आती है, उन पर चिंतन करना है नए-नए शब्द आते हैं शब्दों पर चिंतन करना है नए-नए पॉइंट जैसे कल की पॉइंट बताइ सूक्ष्म पाप क्या है... तीन तो बाबा ने गिना दिया और क्या हो सकते हैं? अत्यंत सूक्ष्म पाप... क्योंकि यह पाप हमें अपनी मंजिल से दूर ले जाते हैं। रोज-रोज होते रहे, बाबा के महावाक्य हैं के तुम जितना सोचते हो तुम्हारा जमा है उतना बाप के खाते में जमा नहीं है क्योंकि तुम यह देखते हो कि मैंने क्या-क्या किया सेवाएं, पुण्य, पर जो सूक्ष्म में पाप होते रहे, वह तुमने नहीं देखा। जैसे एक सूफी संत कहता है मेरे से है प्रभु बहुत बड़ा गुनाह हो गया। क्या हुआ बहुत पहले, कई वर्ष बीत गए। क्या गुनाह था तो कहता है कि मैं कहीं दूर गया था और जो मार्केट है जहां मेरी दुकान थी वहां आग लग गई उस मार्केट में सब जगह... मैं भागा भागा गया वहां सब जगह आग है अपनी दुकान के पास पहुंचा मेरी दुकान को आग नहीं लगी थी मैंने कहा हे खुदा तेरा धन्यवाद, बस यह पाप हो गया। मुह से अपने आप निकल गया। वह कहते हैं कि यह जितनी.. जितना मन सूक्ष्म होते जाएगा.. उतना पापों का डिटेक्शन और डायग्नोसिस सूक्ष्म होते जाएगा, जो स्थूल मन है वह कहता है मेरा सब कुछ ठीक चल रहा है, पर मन जितना सूक्ष्म, अति सूक्ष्म, अति सूक्ष्म होते जाएगा और सूक्ष्म होते जाएगा वह 1-1 चीज को पकड़ते जाएगा जो साधारण अवस्था मैं चेतना बिलकुल पकड़ ही नहीं पाती है। तो क्या करना है पॉइंट पर केवल नोट करके नहीं रह जाना है, उन पर मनन, एकांत में जाओ,
छटवा रूह रिहान चिय चेट आपस में एक दूसरे के साथ, बाबा ने यह कहा है इसका अर्थ क्या होता है मुरलिया में कितनी नई बातें आती है, झूलेलाल का झूला था, किसी मुरली में आया था ढूंढो, यह क्या है, बच्चू बादशाह पीरु वजीर, कौन थे यह दोनों और कब थे, किस सभ्यता में थे? भारत में थे या और कहाँ थे ढूंढो, ढूंढो... खोज करो। हैंगिंग गार्डन...टू लॉन्ग बूट। हैंगिंग गार्डन तब नाम था अब कौन सा नाम है ढूंढो। अब नाम वह नहीं है खोज करो, खोज ही करनी है, मन को भटकाना हीं है तो किस में भटकाना है, ज्ञान में भटकाव क्योंकि उसका स्वभाव है भटकाना में, अगर उसको रोकोगे तो उसको बेचैनी होती है। उसको अच्छा लगता है भटकना। अगर भटकाना हीं है तो किस में भटकाना ज्ञान में, ज्ञान के विस्तार में और ज्ञान के विस्तार में भटकना ऐसा है कि इस विस्तार में भटकते भटकते हैं उसमें एक ऐसी भी शक्ति आ जाती है कि जब चाहे वह सार में आ सकता है। विकारों में भटकने से और भटकता है, ज्ञान में भटकने से तुरंत सार स्वरूप भी हो सकता है, यह अंतर है दो जगह भटकने में तो क्या करनी है ज्ञान की चिट चैट परंतु उन लोगों से करना जिनको थोड़ा ज्ञान में इंटरेस्ट है, नहीं तो ब्राह्मणों को ज्ञान सुना दो, एलर्जीक रिएक्शन होती है। ज्ञानी को ज्ञान नहीं सुनाया जा सकता है कठिन काम है।
सातवाँ ब्राम्हण कल्चर। उमंग उत्साह मैं लाने के लिए आने के लिए, क्या करना है, किस कल्चर में आना है? यह नया शब्द बाबा ने इंट्रोड्यूस किया है, ब्राहमण कल्चर। मेरा कल्चर, तेरा कल्चर नहीं ब्राह्मण कल्चर। इस्टर्न कल्चर वेस्टर्न कल्चर नहीं, ब्राम्हण कल्चर। गुजराती कल्चर महाराष्ट्रीयन कल्चर नहीं, ब्राह्मण कल्चर। ये हमारे ब्राह्मण कल्चर अर्थात जो ब्रह्मा का कल्चर है वो। उस कल्चर को अपनाना है, उस कल्चर में अपना आपको ढाल लेना है मोल्ड कर लेना है। इस कल्चर को समझना है आप सबके लिए काम निबंध लिखना है इस टॉपिक पर, किस टॉपिक पर ब्राह्मण कल्चर। जैसे भारतीय संस्कृति होती है वैसे ब्राह्मण संस्कृति क्या है? संस्कृति में कौन-कौन सी बाते आती है, जैसे यदि इंडियन कल्चर को डिस्क्राइब करना है जैसे इंडियन कल्चर एंड हेरीटेज तो उसमें क्या क्या बात है आती है? ड्रेस कौन सा होता है, स्प्रिचुअलस कौन से होते हैं, सेरेमोनियल कौन से, फेस्टिवल कौन से, खाना क्या होता है? ढेर सारी कल्चर में कितनी बातें आती है, वह सारी बातें तो कल यह काम करना है, ब्राहमण कल्चर इस टॉपिक पर निबंध लिखना है और पॉइंटस में लिखना थोड़ा आसान है 1-2-3 अगर कोई कहे कि ऐसा लिखो कि कल न्यूज़पेपर में पब्लिश करना है वह बहुत मुश्किल काम है, जो इन्हें प्रैक्टिस है वह कर सकता है पूरा एक निबंध है ऐसे जैसे लिखना परंतु शुरुआत में क्या करना है पॉइंटस में डिवाइड कर देना है तो क्या होता है काम थोड़ा आसान हो जाते हैं। बाबा भी तो पॉइंट मैं ही सुनाता है चार बातें देखी, पांच बातें देखी, हाथों में ये देखा. पैर में वो देखा. नाक में वो देखा, गाल में वो देखा, मुख में वो देखा, आंखों में ऐसा देखा, वैसा हुआ, तीन प्रकार के बच्चे, दो प्रकार के बच्चे, पांच प्रकार के बच्चे यह कहां से लाता है क्लासिफिकेशन? छोटे बच्चे, बड़े बच्चे, नए बच्चे पुराने बच्चे, तीन बच्चे चौथे की बात मत पूछो, पहला यह दूसरा यह है क्लासिफिकेशंस हैं पूरा मुरली मुरली में। मुरली को भी पार्टीशन देना है, क्या करना है मुरली को भी टुकड़े-टुकड़े कर देना है ताकि वह याद रहे क्योंकि परिस्थितियों में कोई भी ज्ञान का पॉइंट याद नहीं आता है। परिस्थितियों में क्या याद आता है जो सार हमने समझा है वह याद आता है जैसे आज की मुरली उसको डिवाइड कर देना टुकड़ों टुकड़ों में। अब टुकड़ों टुकड़ों को डिवाइड कर दिया है और उसको याद किया। कल जरूरी नहीं है कि वह सारे पॉइंट्स याद आएंगे सारे इधर उधर हो जाएंगे पर दो-तीन दिन के बाद जो बचेगा वह केवल सार बचेगा और वह सार परिस्थितियों में काम आएगा। पॉइंट काम नहीं आती है, पॉइंट्स भूल जाती है और काम आए भी तो केवल वह रटन रहेगा बस, इसलिए मुरली पर गहरा काम करना है। गहरा अर्थात टुकड़े-टुकड़े करो, नोट करो, पॉइंट्स में डिवाइड करो उसके पार्टीशन करो कि यह पॉइंट यहां पर पूरा हुआ, अब दूसरा चालू हो रहा है, फिर तीसरा, फिर चौथा, यह चार, फिर उन पर चिंतन फिर जोड़ो उनको, फर्स्ट रीडिंग, सेकंड रीडिंग, थर्ड रीडिंग, फोर्थ रीडिंग, बच्चे कैसे पढ़ते हैं एग्जाम के लिए, वैसे फर्स्ट पहले रीडिंग, जस्ट कैजुअल रीडिंग। यह सोचो ही नहीं कि मुझे किसी को यह बताना है या सुनाना है केवल पढ़ो। एंटरटेनमेंट क्या कहा है, उत्सुकता के साथ ओहो! पहला पूरा हुआ, सेकंड... कुछ-कुछ अभी अंडरलाइन करो। तीसरा कुछ और गहरी गहरी पॉइंट्स नोट करो। फिर थोड़ा सा एकांत, फिर चिंतन और फिर पूरा पूरा याद करने की कोशिश करो और फिर पूरा पैटर्न वैसे के वैसे। एक पैटर्न है उसमें छिपा हुआ, पैराग्राफ के पैराग्राफ याद हो जाए कहां क्या था, यह काम कर दिया अब छोड़ दिया। टाइम मिला तो रिवाइज, परंतु इसका सार कहीं ना कहीं बुद्धि में चला जाएगा। जरूरी नहीं की परिस्थितियां आएंगी तो वह पॉइंट याद आएगा परिस्थिति में पॉइंट नहीं याद आते हैं जो समझा है वह याद आता है और वह हमें अचल अडोल बना देगा। तो कहां पहुंचे सातवा ब्राह्मण कल्चर... इस पर संशोधन करना है कि कल्चर क्या है, कैसा है और इस पर बाबा ने ड्रेस कोड की बात कही है। क्या कहा... सेवा के लिए करना है तो करो भले परंतु यह नहीं कि पर्सनैलिटी के लिए, हम फॉरेनर्स हैं इसलिए इसलिए, इसलिए नहीं। निमित्त से पूछ कर... यहीं पर वह होशियारी वाली बात है। लिमिटेड और अनलिमिटेड।
आठवां मैं कमजोर हूं, अपनी कमजोरियों का वर्णन नहीं करो। क्या करो विशेषताएं क्या है और बाबा को सुनाओ, लिखो, लेटर राइटिंग की बात कही है कि बाबा से कहते भी हैं कि हमने आपको सुनाया था परंतु आपने किया तो कुछ भी नहीं। आपको बताया तो था पर किया तो कुछ भी नहीं लेटर भी लिखा था पर बाबा ने क्या उत्तर दिया था। इसका क्या उत्तर दिया... बाबा का क्या.. बाबा शक्ति खुशी उमंग उत्साह उसी समय भर देता है, जैसे दान कर दिया, दे दिया उसको उसी समय। पर रिटर्न लेने में तुम क्या कर देते हो मिस और मिकसेड, मिस और मिक्सड। उसको दिया, लिखा, चाहे लिखो या बताओ परंतु वह बताना भी कैसा हो आर्थ पुकार, अंदर से, दिल से। रोज रोज पाप करना, रोज रोज पश्चाताप किसी मुरली में बाबा ने कहा ना कि यह चक्र जो है इसको तोड़ो.. कौन सा चक्र? पाप पश्चाताप पार्डन पी, थ्री पीज। पाप करना रोज, रोज पश्चाताप करना और रोज बाबा से माफी मांगना बाबा माफ कर दो, अभी बाबा ने माफ कर दिया, दूसरे दिन फिर पाप करना, फिर पश्चाताप करना, फिर माफी मांगना, बाबा ने कहा यह जो है यह चक्र है इसको हटाओ, इसको तोड़ दो। रोज-रोज पाप, रोज-रोज माफी और रोज रोज... । इस चक्र से मुक्त होना है। महान आत्माए एक ही बार संकल्प करती है, एक बार छोड़ दिया सो छोड़ दिया अब दोबारा नहीं। तो क्या करना है सुनाना और बाबा ने क्या कहा कि मैं कितने पेज का पत्र लिखता हूं चार... अव्यक्त मुरली कितने पेज की होती है? 8- 10- 11 पेजेस, रोज। संसार में किसी को लव लेटर आता है तो छुप छुप के पढ़ते हैं, बाथरूम में जा जा के पढ़ते हैं लाइट के नीचे पढ़ते हैं, तकिए के नीचे रखते हैं, तो भगवान का लेटर आ रहा है रोज, इस भाव से पढ़ना है कि मुझे कुछ भी पता नहीं है, अभी पता करता हूं एक साधक की भांति, एक बच्चे की भांति, एक अज्ञात की भांति उत्साह कि जैसे छोटे बच्चे को कैसे होता है हर चीज उसे चौकाती है समुद्र के तट पर जाता है पत्थर बीनता है, वहां जोगिंग करने वाले लोग होते हैं उन्हें कोई मतलब नहीं उससे। वहा जो सूरज निकलता है तो वह देखते रहता है सूरज को, पत्तों को देखता है यह पत्ते हरे क्यों है, ये आसमान नीला क्यों है, यह पानी गीला क्यों है, टमाटर लाल क्यों है, ऐसे उसके प्रश्न है उत्सुकता है, वैसे ही मुरली के प्रति क्या हो उत्सुकता का भाव, क्या है.. क्या है... ।
अगला समर्पण। अगला समर्पण, यहां पर बड़ी डीप साइकोलॉजी की दो बातें कही है और जिनमें एक बात होती है और उसमें दूसरी बात आ जाती है। पहली बात ब्लेंम गेंग और दूसरी बात सेल्फ विक्टिमाईजेशन, बाबा से कहते हैं कि आप कहते हो कि मैं मददगार हूं और आपने सेवा में मदद ही नहीं की, ब्लेम किसको किया यू। तुमने कहा था कि मैं मदद करूंगा और पर तुमने मदद की नहीं, फिर नेक्स्ट स्टेटमेंट क्या? शायद मैं ही योग्य नहीं हूं, सेल्फफैक्टमायजेशन, खुद ही को दोषी ठहराना, मैं ठीक नहीं हूं, मैं योग्य नहीं हूं, मैं आया ना इसलिए सेवा में गड़बड़ हो गई, मैं अगली बार आऊंगा ही नहीं क्योंकि जहां भी जाता हूं कुछ तो गड़बड़ होती है, मेरी वजह से सब होता है, मैं ही सभी के दुखों का कारण हूं। एक होता है दूसरों को दुख देना पर दूसरी एक साइक्लोजिकल डिसऑर्डर वह है सेल्फविक्टमायजेशन, यह भी बहुत खतरनाक है एक गिल्ट कॉन्शियसनेस होता है जो व्यक्ति को पुरुषार्थ करने नहीं देता है और दूसरा खुद को विक्टिम समझते हैं, खुद को विक्टिम बना देते हैं मेरी वजह से हो रहा है सब कुछ। अरे तुम्हारी वजह से नहीं हुआ है, पर वह सोचता है मेरी वजह से हुआ है जैसे दो भाई एक को कोविड उसकी वजह से उसके भाई को हो गया उसका जो भाई था वह सीरियस हो गया और फिर उसकी डेथ हो गई। अभी जो दूसरा भाई है वह इतने महीने हो गए पर गिल्ट कॉन्शियस से बाहर ही नहीं निकल पा रहा है कि वह सोचता है कि मेरी वजह से मेरा भाई गया। उसको कितने सारे काउंसलिंग सेशन हो गए, पर वो बात इतनी गहरी अंदर चली गई है कि मेरे भाई की डेथ मेरी वजह से हुई है। वो गिल्ट कॉन्शसनेस सेल्फविक्टमायजेशन कर दिया है। और ऐसा केवल यही नहीं है ऐसे बहुत सारे उदाहरण है कि हमको लगता है कि यह मेरी वजह से हो गया है। यह उल्टा है एक तो हुआ मेरी वजह से पर कहना मैंने कुछ नहीं किया, यह ज्यादा प्रेवेलेंट है, यह ज्यादा होता है। पर यह भी ज्यादा केसिस है तो क्या कहते हैं मैं योग्य ही नहीं। बाबा क्या कहते हैं जिम्मेदारी बाप को दे दी मैं कहां से आया। मैं सेवाओं में सफलता को दूर ले जाता है। मैं... मैं कहां से आया? मेरी सेवा, मैं कर रहा हूं। बाबा ने कहा बोझ उसके ऊपर डाल दो अपने ऊपर क्यों लेते हो? जिम्मेदारी का बोझ बाप के ऊपर डाल दो तो यह है नोवीं बात और लास्ट

दसवी अलौकिक वरदान क्या है रूहानी मौज मस्ती। वह अल्पकाल की मौज नहीं, वह अल्पकाल की मस्ती नहीं, क्षणभंगुर सुख नहीं संसार का, वह चीप एंटरटेनमेंट कॉमेंडी नहीं संसार की जो टीवी और सीरियल्स में दिखाई देती है। हमारा मौज हमारा एंटरटेनमेंट कैसा है, रूहानी। तो इस मौज में रहना है तो ऐसी ये दस बातें हैं, किस बात की, उमंग उत्साह में रहने की। पहली श्रेष्ठ लक्ष्य फिर फिर रिवाइज करो, हर दिन अमृत वेले के बाद आज का टारगेट क्या है, एक्सरसाइज की होनी चाहिए, के बिना एक्सरसाइज के सारा दिन निकल गया। सेवा की, योग कितना किया, ज्ञान का चिंतन कितना किया, सारी बातें होनी चाहिए। एक चेक लिस्ट बनाना है कि सारे दिन भर टिक करना है, यह भी हुआ, यह भी हुआ यह भी हुआ यह भी हुआ चेक इट लिस्ट, जो सारी चीजें रोज होनी चाहिए। प्रकृति के सानिध्य में कितना रहे, मुरली पढ़ी, चिंतन कितना किया तो सबसे पहली बात श्रेष्ठ लक्ष्य, दूसरा प्यारी मंजिल यह शब्द कितना अच्छा है, प्यारी मंजिल। तीसरा परमात्मा प्रेम का अनुभव। डबल विदेशियों से मुलाकात बाबा ने कहा इस अनुभव को बढ़ाओ, प्रभु प्रेम का अनुभव। चौथा, क्या करना है रोज की मुरली से पॉइंट नोट करना है वही वही वही वही नहीं करना कईयों का यह भी कहना है कि यह सब नहीं जरूरत, बाप को याद करो, आत्मा समझ के बस यह सब की कोई जरूरत नहीं है और वही खुद कह रहे है की जरूरत है, वह खुद कह रहा है वैरायटी लाओ सेवाओं में, योग में, ज्ञान में, सब में। अगला चिंतन अगला रूहरिहान, किससे एक तो बाबा से भी डिस्कस कर सकते हो या तो अपने साथियों से अगर कोई भी ना मिले तो आईने के सामने बैठकर अपने आप से... कुछ समझ में आया.... किसको बोलेंगे, अपने आप को, कुछ बुद्धि में घुसा क्या, आज की पॉइंट बहुत भूसा भरा है निकालो भूसा सब, अब इसको घुसाओ। अगला ब्राह्मण कल्चर इस कल्चर में आना है अभी ब्राह्मण बन गए परंतु वह बोली अब तक है हमारे लौकिक में भी ऐसा होता था, हमको तो बचपन से ही यह चीज पसंद है, हमारे वहां ऐसा होता। कौन सा हमारे? अरे वाह! आप भी गुजरात से हम भी गुजरात से हैं आप भी पंजाब से हैं हम भी पंजाब के हैं, हम भी महाराष्ट्र से हैं, आप भी महाराष्ट्र से हैं ऐसा क्यों नहीं कहते कि हम भी परमधाम से हैं आप भी परमधाम से हैं आपको मिलकर बहुत खुशी हुई।

ब्राह्मण कल्चर इस पर काम करना है, यह अच्छा टॉपिक है पूरे हफ्ते भर के लिए... ब्राह्मण कल्चर में कौन-कौन सी बातें हैं ब्राह्मण संस्कृति क्या होती है यह नव संस्कृति है संगम युग की, नव संस्कृति जो आज तक कभी नहीं थी। मिस्र की सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता, यह ब्राम्हण सभ्यता क्या है? तहजीब, ट्रेडीशन, सिविलाइजेशन, कल्चर, हेरिटेज। अगला अपनी विशेषता, कमजोरियों का वर्णन नहीं करते मुझे यह नहीं आता, मुझे वह नहीं आता, मुझे ऐसा नहीं, मेरा वो नहीं, मेरा यह भी नहीं मेरा वह भी नहीं, क्या करूं। अगला समर्पण, सेवा कर दी बस छोड़ दो अब सफलता असफलता जो भी मिले साक्षी। असफलता मिले तो भी चलेगा कुछ भी उसे सीखना है, आगे बढ़ना है यह नहीं की बाबा तुमने मदद की नहीं की, मदद नहीं की, मदद नहीं की, जो होना है वही होगा। दिल्ली मुंबई में प्रोग्राम था बहुत बड़ा एक बार। सुबह से बारिश चालू थी नॉन स्टॉप बारिश। सभी ब्राह्मण यहा वहां योग करने लग गए। बाबा बारिश रोको, बारिश रोको, बारिश रोको, शाम होते-होते बारिश और तेज हो गई, रुके ही नहीं लास्ट तक। वह प्रोग्राम सब सब पूरे महाराष्ट्र के लोग आये थे और वह प्रोग्राम बाहर वालों के लिए थे, पर प्रोग्राम में केवल बीके सफेद कपड़े पहन कर, छाता लेकर खड़े थे बस वह भी स्वीकार करना पड़ेगा यह ड्रामा ही ऐसा बना हुआ है। हर पार्ट मुरली में कहा ना जीरो हीरो, पार्ट भी वैरायटी है। हर सीन को एक्सेप्ट करो। सफलता असफलता सब होगी, असफलता का भी तो अनुभव चाहिए कि हमेशा सफल ही होते रहोगे.. स्वाद।

अगला अलौकिक रूहानी मौज... ऐसे कैसे अलौकिक रूहानी मौज की मस्ती मैं रहने वाले.. ऐसे रहम दिल आत्माओं को, अहम वहम से मुक्त और रहम करने वाली आत्माओं को, ऐसे मैं पन को समाप्त करने वाली आत्माओं को, समर्पण करने वाली आत्माओं को, ऐसे नए और पुराने बच्चों को और पुराने से पुराने बच्चों को और पुरानी पहचान वाले बच्चों को, ऐसे श्रेष्ठ भावना वाली स्नेह संपन्न भावना वाले बच्चों को, ऐसे कौन से वाइब्रेशन? श्रेष्ठ लक्ष्य के उमंग उत्साह की वाइब्रेशंस वाले बच्चों को, ऐसे प्यारे मीठे बच्चों को, ऐसे मंजिल... प्यारी मंजिल और श्रेष्ठ लक्ष्य... ऐसे ब्राह्मण कल्चर में रहने वाली आत्माओं को, ऐसे लिमिट में खाना-पीना और ज्यादा कम होशियार बच्चों को, ऐसे सदा श्वेत वश्त्रधारी, जरूरत पड़ी तो कलर, ऐसे विम्जिकल व्हिमसिकल अर्थात सनकी जो होते हैं थोड़े सनकी, थोड़े झक्की, थोड़े सनकी ,थोड़े मनमौजी, व्हिमसिकल.... बाबा भी इधर उधर से शब्द ले करके आता है, अच्छे-अच्छे ऐसे व्हिमसिकल बच्चे को नहीं, ऐसे स्टेबल बच्चों को, नैचरल और हार्ट में रहने वाले बच्चों को, ऐसे नेचुरल और निरंतर उमंग उत्साह रखने वाली आत्माओं को, ऐसे संगम युग की छत्रछाया है यह यह लकीर है यह छत्रछाया है इसमें रहने वाली आत्माओं को, ऐसे हजार भुजाओं वाला आज की मुरली में ऐसे ज्ञान रत्नों से खेलने वाले, वैरायटी खजाने, वैरायटी खुशी की बातें, वैरायटी प्राप्तियां, बोरडम खत्म, रुकावट खत्म, विघ्न खत्म, समस्या भय खत्म, कंफियूशन खत्म, इन डिसीजन खत्म, ऐसे ऐसे थकान खत्म, रुकावट खत्म और यह बाल्टी वाला भी है जो कमजोर होता है वह एक गिलास भी नहीं उठा पाता है और जो ताकतवर होता है वह दो बाल्टी ,,दो बाल्टी उठाने वाली आत्माओं को बाप दादा का याद प्यार और गुड नाइट और नमस्ते। हम रूहानी बच्चों की रूहानी बाप दादा को याद प्यार गुड नाइट नमस्ते। ओम शांति।