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अमृतवेला

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06.01.2015

संतुष्टमणि आत्मा की दिव्य दर्पणदाता से रूहरिहान

पहली स्मृति

आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ।

मैं कौन हूँ?

मैं संतुष्टमणि आत्मा हूँ। मुझे उस एक से सर्व प्राप्तियां हो गयी हैं | मैं इच्छा मात्रम् अविद्या की स्थिति में रहती हूँ | ये स्मृति मुझे पूर्णतः संतुष्ट बना देती है |

मैं किसकी हूँ?

आत्मा की बाबा से रूहरिहान:

मीठे बाबा ! - गुड मॉर्निंग! जन्म-जन्मान्तर से अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए मैंने मनुष्य आत्माओं का सहारा लिया | दर-दर की ठोकरें खाकर मेरी बुद्धि कमज़ोर हो गयी | बाबा! इस जीवन में आपने मुझे सर्वप्राप्तियां कर दीं | सिर्फ आप ही मुझे मंजिल तक पहुंचा सकते हैं, मीठे बाबा! 

बाबा की आत्मा से रूहरिहान:

मीठे बच्चे! जागो! जब कभी भी तुम असंतुष्ट हो जाओ , तो स्वयं को बाप द्वारा मिले हुए अलौकिक दर्पण में देखो | इस रूहानी दर्पण को सदा अपने पास रख बार-बार अपना मुखड़ा देखने की आदत डालो | जैसे स्थूल रूप में कुछ बिगड़ जाए , तो दर्पण के सामने जाकर उसे ठीक किया जा सकता है , उसी प्रकार ज्ञान रूपी दर्पण में अपने आत्मिक स्वरुप को ठीक करो | दिव्या गुणों के दर्पण में स्वयं को देखकर देह के अभिमान से छूट जाओ | ये पुरुषार्थ तुम्हें सदा के लिए संतुष्ट बना देगा |

बाबा से प्रेरणाएं:

अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।

बाबा से वरदान:

सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं

तुम्हारा प्रकाशमय स्वरुप होपलेस में भी हॉप पैदा कर देता है व दिलशिकस्त आत्माओं में हिम्मत भर देता है | तुम्हारी लाइट आत्माओं की कमज़ोरियों को मिटाकर उनकी छुपी हुई शक्तियों को प्रज्जवलित कर देती है |

बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट - प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)

बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, मैं पूरे विश्‍व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता ड्रेस पहन कर मैं विश्‍व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।

रात्रि सोने के पहले

आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीं फंसी? अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।