BRAHMA KUMARIS WORLD SPIRITUAL UNIVERSITY


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अमृतवेला

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08.01.2015

मोहजीत आत्मा की कर्मातीत ब्रह्मा बाप से रूहरिहान

पहली स्मृति

आँख खुलते ही संकल्प करें कि मैं आत्मा हूँ। मैं इस धरा को प्रकाशमय करने के लिये स्वीट लाइट के होम से अवतरित हुई हूँ।

मैं कौन हूँ?

मैं मोहजीत आत्मा हूँ। मैं मोह पर जीत पाने के लिए सारा दिन अपने पांचों स्वरूपों की स्मृति में रहती हूँ | १. मैं आपकी संतान हूँ | २. मैं गॉडली स्टूडेंट हूँ | ३. मैं रूहानी यात्री हूँ | ४. मैं रूहानी योद्धा हूँ | ५. मैं खुदाई खिदमदगार आत्मा हूँ |

मैं किसकी हूँ?

आत्मा की बाबा से रूहरिहान:

मीठे बाबा ! - गुड मॉर्निंग! मैंने विश्व कल्याण की जिम्मेवारी निभाने की प्रतिज्ञा की है | गोल्डन दुनिया लाने के लिए मैं आपकी मददगार बनूँगी | इस जिम्मेवारी को अच्छी तरह पूरा करने के लिए मुझे मोह को जीतना होगा व स्मृति स्वरुप बनना होगा |

बाबा की आत्मा से रूहरिहान:

मीठे बच्चे! जागो! मेरे साथ बैठो | अमृतवेला उठते ही तुम बाबा से रूहरिहान करो व अपने पाँचों स्वरूपों का अनुभव करो – ईश्वरीय सन्तान , गॉडली स्टूडेंट , रूहानी यात्रा , रूहानी योद्धा व खुदाई खिदमदगार | जब तुम इन पाँचों ही स्वरूपों से बाबा से मिलोगे , तो तुम कर्मबंधनों से छूट जाओगे | सारा दिन भिन्न-भिन्न कार्य करते तुम इन पाँचों स्वरूपों को स्मृति में रखो | इस तरह स्मृति स्वरुप बनकर तुम मोह पर जीत पा सकोगे व ब्रह्मा बाप समान कर्मातीत बन जाओगे |

बाबा से प्रेरणाएं:

अपने मन को सर्व बातों से हटा कर बाबा में लगाऐं। बाबा है साइलेन्स का सागर। इस साइलेन्स में मैं बाबा से प्रेरणायुक्त और पवित्र सेवा के संकल्प ले रही हूँ।

बाबा से वरदान:

सूक्ष्म वतन में मीठे बाबा के सामने मेरा फरिश्ता स्वरूप साफ दिखाई दे रहा है। बहुत प्यार व शक्तिशाली दृष्टि से बाबा मुझे वरदान दे रहे हैं

तुम्हारे जादुई नैन हर आत्मा की विशेषता और सुन्दरता को ही देखते हैं | तुम्हारी इस रूहानी दृष्टि से संगठन एकमत बनता जा रहा है और हर आत्मा के दिल में अपनेपन की भावना पैदा हो रही है |

बेहद की सूक्ष्म सेवा: (आखिरी के पंद्रह मिनिट - प्रातः ४:४५ से ५:०० बजे तक)

बाबा द्वारा इस वरदान को अपने शुभ संकल्पों द्वारा, वरदाता बन, मैं पूरे विश्‍व को दान दे रही हूँ। अपनी फरिश्ता ड्रेस पहन कर मैं विश्‍व भ्रमण करते हुए सर्व आत्माओं को ये वरदान दे रही हूँ।

रात्रि सोने के पहले

आवाज़ की दुनिया के पार जा कर अपनी स्टेज को स्थिर बनाऐं। चेक करें की आज मैंने दिन भर में किसी बात की अवज्ञा तो नहीं की? अगर हाँ तो बाबा को बताऐं। किसी के मोह या आकर्षण मे बुद्धि तो नहीं फंसी? अपने कर्मो का चार्ट बनाऐं। तीस मिनिट के योग द्वारा किसी भी गलत कर्म के प्रभाव से स्वयं को मुक्त करें। अपने दिल को साफ और हल्का कर के सोऐं।